सप्ताह में एक दिन का उपवास रख करे अन्न दान


प्रिय पाठकों, आज मैं आपको एक ऐसे तरीके के बारे में बताऊंगी जिसे अपनाकर हम अपनी व्यस्त जिंदगी में भी दूसरों का भला कर सकते हैं। तो आइये जानते हैं कि क्या है वो तरीका और कौन है वो जिन्होंने इसे ईजाद किया है।

ईश्वर का दिया हुआ हमारा ये भौतिक शरीर तीन चीजों पर आधारित होता है। हवा, पानी तथा भोजन। मनुष्य को हवा और पानी तो फिर भी कहीं न कहीं से प्राप्त हो जाता है, किंतु भोजन प्राप्त के लिए मनुष्य न जाने क्या क्या करता है। इस संसार में कुछ अभागे जीव ऐसे भी हैं जिन्हें 2 वक़्त का भोजन भी नसीब नहीं हो पाता।

 

हमारे देश में ऐसे लाखों लोग है जिनके लिए एक वक़्त की रोटी का जुगाड़ करना भी मौत को गले लगाने जैसा होता है। ये लोग खाने के लिए कुछ भी करने को मजबूर हो जाते हैं। कहते हैं कि इंसान को पापी पेट के लिए क्या कुछ नहीं करना पड़ता। कभी किसी की जान लेनी भी पड़ती है और कभी जान देनी भी पड़ती है। और ये भुखमरी एक मुख्य कारण है कि आज हमारे देश के नौजवान जुर्म की गिरफ्त में फंसते जा रहे हैं। एक ओर जहां देश में लोग दाने-दाने के लिए मोहताज हैं, वहीं दूसरी और ऐसे लाखों लोग हैं जो प्रतिदिन झूठी शानो-शौकत का दिखावा कर भोजन को बर्बाद करते हैं। आज कल लोग दिखावे के लिए शादी, बर्थडे पार्टी और यहां तक कि अंतिम भोग में भी तरह तरह के पकवान बनाते हैं और बाद में बचने के बाद उन्हें फेंक देते हैं।

भोजन को बिना किसी मतलब के बर्बाद करना किसी अपराध से कम नहीं है। भोजन की बर्बादी न जाने कितने मासूम लोगों से उनका हक छीन लेती है। भोजन की कमी से ही पेट की आग के हाथों मजबूर होकर न जाने कितने निर्दोष लोग अपराधी बन जाते हैं। भोजन की बर्बादी कहीं न कहीं हमारे देश को गलत दिशा की ओर धकेल रही है। और हम सब को मिलकर इसे रोकना चाहिए।

 

इस मतलब से भरी दुनिया में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो दुनियादारी में रहते हुए भी अपने आप से पहले दूसरों का, समाज का भला सोचते हैं। ऐसे लोगों के कारण ही इस विकट समय में भी कहीं न कहीं इंसानियत आज भी जिंदा है। वो लोग जो खुद भूखे रहकर दूसरों के पेट की भूख को शांत करते हैं, वे लोग जो अन्न को बर्बाद नहीं बल्कि अन्न को बचाना तथा उसका सही उपयोग करना आता है। आज के इस संसार में ऐसे जीव मिलना एक दुर्लभ बात है किन्तु इस हकीकत के प्रमाण खुद डेरा सच्चा सौदा के अनुयायी हैं। डेरा सच्चा सौदा एक सामाजिक संगठन है जो सभी धर्मों को एक समान मानने में विश्वास रखता है। डेरा अनुयायी आए दिन कोई न कोई समाजिक कार्य करते रहते हैं और इन्हीं में से एक है- सप्ताह में एक दिन का उपवास रखना तथा उस दिन के बचे हुए अन्न को गरीबों में बांट देना।

 

जी हाँ इस ये लोग अपने गुरु गुरमीत राम रहीम जी की दी गयी शिक्षा के अनुरूप करते हैं। उनका कहना है कि सप्ताह में एक दिन उपवास रखने स्व शरीर की मांसपेशियां स्वस्थ रहती हैं आपका शरीर सुचारू रूप से कार्य करता है। इसके साथ ही ये लोग बचे हुए अन्न को दान कर देते हैं जो कि एक सराहनीय कार्य है।

दोस्तों, वजह चाहे कोई भी हो, अपने शरीर को स्वस्थ रखने की या फिर आस्था को ध्यान में रख कर किए गए उपवास की, महत्वपूर्ण ये है कि किसी भी इंसान के उठाये गए कदम में दूसरों के लिए क्या हित है? और अगर यह कदम समाज की भलाई के लिए उठाया जाए तो यह अति प्रशंसनीय है।

Author: admin

Admin: Hindi Blog Exclusive Samachar


Leave a Reply