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September 2018

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सबरीमाला मंदिर में महिलाओ के प्रवेश पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला

भगवान ने जहां औरत को माँ का दर्जा देकर खुद भी बडा बताया,वही उसी भारत की धरती पर उसे मंदिर जाकर भगवान के दर्शन करने पर रोक लगाई जाती है। केरल स्थित सबरीमालामंदिर में महिलाओं के प्रवेश के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया। अदालत ने कहा कि सभी उम्र की महिलाएं मंदिर में प्रवेश कर सकती है। उच्चतम न्यायालय ने 4:1की बहुमत से सुनाए इस फैसले में कहा कि महिलाओं के मंदिर में प्रवेश पर रोक लगाना लैंगिक भेदभाव है। पाँच सदस्यों वाली संविधान पीठ की अगुआई चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा कर रहे थे।कोर्ट ने माना कि केरला हिंदू प्लेसेज आॅफ पब्लिक वर्कशिप (अथाॅराइजेशन आॅफ एंट्री) रूल्स 1965 का प्रावधान हिंदू महिलाओं के धर्म के पालन खे अधिकार को सीमित करता है। इस बडे फैसले के बाद यह समझते है कि यह पूरा मामला आखिर है क्या।

पाँच महिला वकीलों के एक समूह ने केरला हिंदू प्लेसेज आॅफ पब्लिक वर्कशिप रूल्स,1965 के रूल 3 बी को चुनौती दी थी। यह नियम महावारी वाली महिलाओं को मंदिर में प्रवेश देने से रोकने का अधिकार देता है। वकीलों के समूह ने सुप्रीम कोर्ट ने उस वक्त गुहार लगाई, जब हाई कोर्ट ने यह भी कहा था कि सिर्फ पुजारी ही परंपराओं पर फैसला लेने का अधिकारी है। याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट इंदिरा जयसिंह ने कहा कि ये प्रतिबंध संविधान के आर्टिकल 14,15,17 के खिलाफ है और महिलाओं को अपनी पंसद के स्थान पर पूजा करने की आजादी मिलनी चाहिए।

 

जहां तक मंदिर प्रशासन का सवाल है, वह महिलाओं के प्रवेश पर रोक लगाए जाने पर कायम था। मंदिर प्रशासन का कहना था कि यह परंपरा भेदभाव करने वाला नहीं है क्योंकि यह उस विश्वास वाले भगवान “नैतिक ब्रह्मचारी है। वही, महिला श्रद्धालुओं का एक समूह ऐसा भी था, जो इस पाबंदी के समर्थन में था। जब सोशल मीडिया पर इस बदंश के खिलाफ #राइट_टू_प्रे अभियान चलाया। उनका कहना था कि सिर्फ निश्चित उम्र वाली महिलाओं को ही मंदिर में दाखिल होने के लिए 50 साल की उम्र का इंतजार कर सकते है। जहां तक केरल सरकार के रूख का सवाल है, राज्य ने सुप्रीम कोर्ट को इस साल सुनवाई के दौरान कहा था कि महिलाओं को मंदिर में प्रवेश देने के पक्ष में है।

सुप्रीम कोर्ट में यंग लायर्स एसोसिएशन की ओर से इस मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर केस लड़ा जा रहा है ऐसे में ज्यादातर यही बात सामने आ रही है कि मंदिर में 10 से 50 साल तक की महिलाओं के प्रवेश न होने के पीछे कारण इनके पीरियड्स है, असल सच्चाई क्या है अभी पूरी तरह नहीं पता परंतु मंदिर के आख्यान में इसके पीछे कोई दूसरी ही कहानी बताई जा रही है कि मंदिर के देवता ने शादी न करने की शपथ ले रखी है।

एक लेख में एम ए देवैया इस आख्यान के बारे में बताते है वे लिखते है कि मैं पिछले 25सालों से सबरीमाला मंदिर जा रहा हूं और लोग मुझसे अक्सर पूछते है कि इस मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध किसने लगाया है मैं छोटा-सा जवाब देता हूं “खूद अयप्पा (मंदिर में स्थापित देवता) ने, आख्यानों (पुरानी कथाओं ) के अनुसार, अयप्पा अविवाहित है और वे अपने भक्तों की प्रार्थनाओं पर पूरा ध्यान देना चाहते हैं। साथ ही उन्होने तब तक उनके पास कन्नी स्वामी (यानी वे भक्त जो पहली बार सबरीमाला आते हैं) आना बंद नहीं कर देते “माना जाता है कि अयप्पा किसी कहानी का हिस्सा न होकर एक ऐताहासिक किरदार हैं। वे पंथालम के राजकुमार थे यह केरल के पथानामथिट्टा जिले में स्थित एक छोटा-सा राज्य था। परंपरा को लेकर इन लोगों का कहना है कि अगर इस पूर्व कहानी पर लोगों का विश्वास नहीं तो फिर मंदिर में श्रद्धा के साथ दर्शन करें क्या फायदा होगा? इसीलिए वे कह रहे है कि जज के फैसले से इस पर क्या फर्क पड़ेगा क्योंकि पूर्व कहानी में श्रद्धा के बिना उन्हें दर्शन से पूण्य नहीं मिलेगा।

खैर, अदालत द्वारा प्रवेश के लिए अनुमति भले दे दी गई हो, परंतु लोगों की मानसिकता आज भी वही ही पड़ी हुई है। वे आधुनिकता के इस दौर में भी सोच को परंपराओं से जोड़ कर सीमित किए हुए हैं। कोर्ट द्वारा फैसला देना ही काफी नहीं है, बल्कि लोगों को परंपराओं की बेडियां तोड़ कर आगे बढ़ना जरूरी है। लोगों को स्त्री-पुरूष के समान दर्जे के प्रति जागरूक करना होगा।

 

 

आधार – आम आदमी की पहचान । आधार कार्ड भारत सरकार दुवारा भारत के
नागरिकों को जारी किये जाने वाला पहचान पत्र  मात्र है , यह नागरिकता का पहचान पत्र नही है। इसमे 12 अंको की ए क विशिष्ट संख्या छ्पी होती है जिसे भारतीय विशेष्ट संख्या छ्पी होती है जिसे भारतीय विशेस्ट पहचान प्राधिकरण जारी करता है।
  • पिछ्ले कुछ दिनों से मीडिया, न्यूज़ चेनल्स मे आधार कार्ड की संवेधानिक वेध्ता पर बहुत चर्चा चल रही थी। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फ़ैसला सुनाते हुए इसकी सांविधानिक वैधता मे कुछ बद्लाव करते हुए बरकरार रखा है।
  • देश की सर्वोच्च अदालत ने बुधवार को आधार पर फेसला सुनाते हुआ साफ किया है कि आधार कहाँ जरूरी है कहाँ नही । प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के नेतृत्व में पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने 38 दिन चली लंबी बहस के बाद फ़ैसला सुरक्षित रख लिया था। इसके सन्दर्भ मे कुल 31 याचिकाएं दायर की गई थी।
  •  केन्द्र सरकार ने आधार योजना का बचाव करते हुए कहा था की बिना आधार कार्ड सरकारी योजनाओं का लाभ प्राप्त नही किया जा सकता । जो की योजनाओं मे फर्ज़िवाडा और सरकारी धन के दुरुपयोग को रोकने के लिय आधार कार्ड की अनिवार्यता जरूरी है। केंन्द्र ने ये भी तर्क दिया की आधार समाज के कमजोर वर्गो के अधिकारों की रक्षा करता है।

 

आधार कहाँ जरूरी है

  • पेन कार्ड बनाने के लिये, आयकर  रिटर्न्स के लिए, सरकारी कल्याणकारी योजनाओं और सब्सिडी का लाभ पाने के लिये आधार जरूरी है।

 

 आधार कहाँ जरूरी नही है
  • मोबाईल सिम के लिये, बैंकों मे अकाउंट खुलवाने के लिये, इनके अलावा सी बी एस ई ,नीट , युजिसी नेट के लिय भी आधार जरुरी नही है।

 

  • 14 साल से कम के बच्चों के पास आधार नही होने पर उसे केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा दी जाने वाली जरुरी सेवाओं से वंचित नही किया जा सकता है।
फैसले के दोरान कोर्ट ने कहा आधार एकदम सुरक्षित है। इसके डुप्लीकेट होने का कोई खतरा नही है।

 

नमस्कार दोस्तों, मैं आपके सामने एक बार फिर अपने विचार लेकर हाज़िर हूं। यदि आपने मेरे पिछले ब्लॉग को पढ़ा है तो आपको याद होगा कि उसमें मैंने बात की थी 23 sept से जुड़ा बाबा राम रहीम का  सच  ।

बाबा राम रहीम और डेरा सच्चा सौदा से जुड़े बहुत सारे सवालों के जवाब

दोस्तों बाबा राम रहीम और डेरा सच्चा सौदा से जुड़े बहुत सारे सवालों में से कुछ जवाब मुझे मेरी कलीग से मिल तो चुके थे लेकिन फिर भी एक सामाजिक प्राणी होने के नाते मुझे प्रत्यक्ष प्रमाण की आवश्यकता थी और मैं केवल तभी इन सब बातों पर विश्वास कर सकती थी यदि ये सब मैंने खुद देखा हो। तो जैसा कि मैंने आप सब से कहा था कि मैं इस बारे में और जानकारी जुटाना चाहती थी ताकि हकीकत जान सकूं और आप सब के सामने रख पाऊं। बस इसी सिलसिले में कल रात ही मेरे दिमाग में एक विचार आया कि 23 सितम्बर को(आज) डेरा के गुरु गुरमीत राम रहीम जी का गद्दी दिवस है (मेरी कलीग के अनुसार) तो मुझे वहाँ जा कर सच का पता करना चाहिए कि जो कुछ भी मेरी कलीग ने मुझे बताया है वह वाकई में सच है या केवल एक मिथक है।

मैंने अपने मम्मी-पापा को डेरा जाने के विषय में बताया तो उन्होंने पहले मुझे मना कर दिया लेकिन जब मैंने उन्हें मेरे वहां जाने के उद्देश्य तथा मेरी कलीग से हुई बातचीत के बारे में बताया तो बहुत सोचने पर वो मान गए।

तो मैंने डेरा जाने का तय किया और उन कलीग से डेरे का पता तथा रास्ता जानकर मैं घर से निकल पड़ी। मैंने अपनी कलीग को अपनी योजना के बारे में नहीं बताया क्योंकि मैं सच्चाई का पता अपने तरीके से लगाना चाहती थी। रास्ते भर बहुत से सवाल मेरे दिमाग में दोबारा उठने लगे कि जो मैंने डेरा के बारे में लोगों से सुना है, जो पढ़ा है वह सच है या जो मेरी उन कलीग ने बताया वह सच है।

ख़ैर करीब 6 घण्टे के सफर के बाद मैं डेरा सच्चा सौदा के सामने थी और वहाँ का नज़ारा देख कर एक पल के लिए मैं दंग रह गई। लाखों की तादाद में लोग डेरा की ओर आ रहे थे और हज़ारों की तादाद में वाहन भी मौजूद थे। लोगों का इतना बड़ा हुजूम मैंने आज तक केवल सुना था लेकिन अपनी आंखों से पहली बार देख रही थी। वहाँ अंदर जाने के लिए श्रद्धालु लंबी लंबी कतारों में खड़े थे, मैं भी एक कतार में लग कर अंदर जाने की प्रतीक्षा करने लगी।

डेरा के अंदर का सच 

अंदर पहुंच कर मैंने देखा कि लोगों का जितना बड़ा हुजूम बाहर नज़र आ रहा था उस से दुगुनी तादाद में लोग डेरा के अंदर मौजूद थे। एक पल के लिए मुझे लगा कि मैं इंसानों के समुद्र में आ गई हूं। मैंने आगे बढ़ कर एक महिला से पूछा कि ये सब लोग यहाँ किसलिए इकट्ठा हुए हैं? यहाँ ऐसा क्या होने वाला है? मेरे पूछने पर उन्होंने बताया कि आज उनके मौजूदा गुरु संत डॉ गुरमीत राम रहीम सिंह जी इंसा (गुरुजी का पूरा नाम जो मुझे भी उसी वक़्त पता लगा) का गुरु गद्दी दिवस है और इसी उपलक्ष्य में वहां एक नामचर्चा (उनके अनुसार) मतलब सत्संग का आयोजन किया गया है, जिसमें सभी श्रद्धालु गुरु गद्दी दिवस मनायेंगे। उन्हें धन्यवाद देकर में आगे बढ़ी। मैंने देखा कि वहां एक बहुत बड़ा शैड़ था जिसके नीचे सभी श्रद्धालु एकत्रित हुए थे। वहां एक ओर सभी महिलाएं बैठी थीं और दूसरी ओर पुरूष। मैं भी महिलाओं वाली ओर आगे बढ़ गई।

डेरा सच्चा सौदा में खूनदान शिविर 

मैंने सुना कि माइक पर बार बार अनाउंसमेंट हो रही थी कि जो भी व्यक्ति रक्तदान करना चाहते हैं वो सचखंड हाल के अंदर पहुंच जाएं। मुझे लगा कि मुझे भी वहां जाकर देखना चाहिए। मैंने देखा कि सामने एक हालनुमा बिल्डिंग थी और रक्तदान करने वाले लोग उसी ओर बढ़ रहे थे। मैं भी उत्सुकतावश उस ओर बढ़ गई। अंदर मैंने देखा कि हज़ारों लोग रक्तदान के लिए कतारों में खड़े थे और बहुत से लोग रक्तदान कर रहे थे और बहुत से लोग कर चुके थे। पर एक अलग बात ये हुई कि वहाँ मौजूद सभी लोगों के चेहरे पर एक खुशी थी। मैंने ऐसा पहली बार देखा था कि कुछ देने पर किसी के चेहरे पर ऐसी खुशी हो। वहाँ दूसरी ओर अन्य मेडिकल चेकअप के लिए भी कैम्प लगे हुए थे। मैं वहां से बाहर आ कर श्रद्धालुओं के बीच बैठ गई।

बाबा राम रहीम की अनुपस्थिति में कैसे किया जाता है डेरा  सच्चा सौदा में सत्संग 

सत्संग की कारवाई शुरू हो चुकी थी और मैं ये देखकर हैरान थी कि वहाँ न किसी प्रकार का शोर था न कोई तमाशा। शान्ति से सभी श्रद्धालु भजन गा रहे थे तथा उसके बाद गुरुजी के वचनों की वीडियो स्क्रीन पर चलाई गई। मैंने गुरुजी के वचनों को ध्यान से सुना और मुझे हैरानी हुई कि सभी गुरुजी के सभी कथन समाज के भले और मानवता को बचाने के लिए थे। गुरुजी के वचनों में भगवान के नाम की एहमियत को बताया गया था तथा ऐसा कुछ भी नहीं था जो भड़काऊ या लोगों के बुरे के लिए हो। करीब 4 घण्टे बाद सत्संग की कारवाई समाप्त हुई। सत्संग के अंत में सभी श्रद्धालुओं ने मिलकर शांति से नाम शब्द (गुरुजी द्वार दिया गया गुरुमन्त्र) का जाप किया। इसके अतिरिक्त वहाँ कुछ शादियां भी सम्पन्न हुईं जो कि बिल्कुल सादे तरीके से दूल्हा दुल्हन ने वरमाला डाल कर की।

कैसे मनाया गया 23 sept का खास दिन 

सत्संग के दौरान बहुत से गरीब परिवारों को डेरा की तरफ से राशन भी   गया तथा दिव्यांग लोगों को ट्राइसाइकिल भी वितरित की गई। इसके बाद कुछ गरीब लोगों को नए बनाए गए मकानों की चाबी भी दी गई। मेरे लिए ये सब देखना एक बहुत ही नया और अलग तरह का अनुभव था। मैंने अपने पास बैठी एक महिला श्रद्धालु से पूछा कि क्या ये सब करने के लिए यहां कोई दान वगैरह लिया जाता है? या यहां कोई दान पेटी तो होगी (जैसा कि सभी तीर्थ स्थानों पर होता है)? लेकिन उन्होंने मुझे बताया कि यहाँ पर किसी प्रकार का दान या चढ़ावा नहीं लिया जाता और ये सब जो भी डेरा की तरफ से मानवता भलाई के काम किये जाते हैं ये गुरुजी के परिवार की तरफ से अपनी की गई कमाई में से किए जाते हैं। इसके अलावा डेरा श्रद्धालु इन सामाजिक कार्यों को करने के लिए प्रतिदिन एक रुपया निकल कर उस से एकत्रित होने वाली राशि को इस्तेमाल करते हैं।

एक रुपया! एक रुपया बहुत ही छोटी रकम है एक दिन में यदि हम अपनी तरफ से किसी के भले के लिए सोचें तो। लेकिन ये एक दुखद बात है कि हम अपनी जरूरतों से आगे कभी बढ़ ही नहीं पाते, कभी सोच ही नहीं पाते। डेरा के इस कदम ने मुझे ये सोचने पर मजबूर कर दिया कि क्या हम सच में इतने गरीब है कि हम किसी की मदद के लिए प्रतिदिन एक रुपये की राशि निकालने का भी न सोच पाएं।

अंत में प्रसाद ग्रहण कर मैं वहां से बाहर आ गई। डेरा परिसर में एक अलग बात जो मैंने महसूस की वो ये थी कि वहां मौजूद हर एक व्यक्ति में अपनापन था। वहां के लोग देशद्रोही नहीं बल्कि समाज में इंसानियत को जिंदा रखने वाले थे। डेरा में कोई हथियार नहीं बल्कि सहायता के लिए तत्पर लाखों हाथ थे। जो कुछ भी मैंने डेरा के बारे में पिछले एक साल में लोगों से सुना, अखबारों में पढ़ा, न्यूज़ चैनलों पर देखा वो सब बातें यहां आकर केवल एक भ्रम  साबित हुईं। केवल एक धारणा, एक नकारात्मक धारणा जो पिछले एक साल में  हमारे समाज ने बिना कुछ सोचे समझे डेरा के लिए बना ली। डेरा के हालात पिछले दिनों में जो भी रहे लेकिन एक बात है जो डेरा के लोगों ने कभी नहीं छोड़ी वो है सच्चाई और इंसानियत।

उपरोक्त लिखी सारी घटना स्वयं मेरी आंखों देखी है और मैंने जो कुछ भी आपके साथ साझा किया है यह मेरा खुद का अनुभव है जो मुझे डेरा में आकर महसूस हुआ। अब मेरे सभी सवाल शांत थे। और इसके अतिरिक्त मैं एक सभ्य समाज की नागरिक होने के नाते डेरा से एक प्रेरणा लेकर आई थी, कि हर हाल में सच के साथ और अच्छाई के लिए खड़े रहना।

यदि अब भी आप लोगों को मेरी बातों पर किसी प्रकार का संशय हो तो मैं आप सबसे अनुरोध करती हूं कि आप भी स्वंय डेरा में जाएं और इस हकीकत तथा इस अनुभव के साक्षी बनें।

और एक बात, मैं उपरोक्त घटना के साक्ष्यों के तौर पर डेरा की कुछ तस्वीरें साझा करना चाहती हूं जो मैंने घर आने पर अपनी कलीग से मांगी।

 23 सितम्बर से जुड़ा बाबा राम रहीम का सच

दोस्तों पिछले कुछ दिनों से मेरे मन में एक सवाल चल रहा था। शायद आप में से भी बहुत लोगों के दिमाग में ये सवाल उठा हो। तो आज में आप सब को उसी के बारे में बताना चाहती हूं।
हम सब सोशल मीडिया से जुड़े हैं और आप में से भी बहुत लोग आजकल ट्रेडिंग में चल रहे सभी मुद्दों पर गौर करते होंगे। मैंने पिछले कुछ दिनों से देखा है कि डेरा सच्चा सौदा जो कि एक सामाजिक संस्था के रूप में जानी जाती है उनके हैशटैग जो कि हमेशा उनके द्वारा किए जा रहे सामाजिक कार्यों और उनके गुरुजी की शिक्षाओं से जुड़े होते हैं, सोशल मीडिया पर हर जगह ट्रेंड करते हैं। हालांकि पिछले एक साल के चलते समाज में उनके लिए एक नकारात्मक सोच पैदा हुई है लेकिन उसके बावजूद डेरा के लोगों ने अपने सामाजिक कार्यों को चालू रखा है। मुझे ये देखकर हैरानी भी हुई और उत्सुकता भी कि आखिर ऐसा क्या है जो इन लोगों का हौंसला कम नहीं पड़ने दे रहा है। और अगर बात इस महीने की करें तो डेरा के लोगों के लिए ये उनके मौजूदा गुरु का गुरुगद्दी दिवस का महीना है, और ये अब मुझे इसलिए पता है क्योंकि हाल ही में मेरे ऑफिस की एक कलीग ने मुझे इस बारे में बताया जो कि डेरा से ही ताल्लूक रखते हैं।
मेरे मन में उठ रहे सवालों के जवाब जानने के लिए मैंने उनसे मिलने का प्लान बनाया। उनसे मिलने पर मैंने उनसे पूछा कि इतना सब होने के बाद भी आप को अपने गुरु पर इतना विश्वास क्यों है? और आखिर क्या है ये गुरुगद्दी दिवस,  जिस के लिए आप लोग इतने खुश नजर आते हैं और आए दिन सोशल मीडिया पर इस बारे में पोस्ट डालते हैं?
मेरे पूछने पर उन्होंने बताया कि ये गुरुगद्दी दिवस का त्योहार वो सब इसलिए मनाते है क्योंकि इस दिन उनके दूसरे गुरु “सतनाम सिंह जी महाराज ने उनके मौजूदा गुरु बाबा गुरमीत राम रहीम सिंह जी को डेरे का उत्तराधिकारी बनाया था।” गुरमीत राम रहीम जी ने मात्र 23 साल की उम्र में ही अपना घर और परिवार का त्याग कर के डेरे में आकर अपने गुरु की तरह ही लोगों को राम के नाम से जोड़ने का कार्य शुरू किया। उनके अनुसार डेरा के लोग उनके गुरु की शिक्षा के अंतर्गत 133 सामाजिक कार्य करते हैं जिनमें वेश्यावृत्ति में फंसी हुई लड़कियों को छुड़ाकर उनकी शादी करवाना, जगह जगह सफाई अभियान चलाना, पौधरोपण, कन्या भ्रूण हत्या रोकने जैसे कार्य सम्मिलित हैं। उन्होंने बताया कि डेरा में 23 सितम्बर का दिन बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है और इस दिन डेरा श्रद्धालु गरीबों के लिए दान करते हैं और आंखे दान, गुर्दा दान , शरीर दान जैसे कार्यों के लिये लिखित फार्म भी भरते हैं। उन्होंने कहा कि समाज में उनके गुरु और उन्हें बहुत कुछ कहा गया लेकिन फिर भी उन्होंने अपने गुरु का साथ और उनकी अच्छी शिक्षाओं को नहीं छोड़ा है।
जब मैं उनसे मिलकर वापिस लौटी तो मन में काफी हद तक कुछ जवाब मिल चुके थे। मैं कुल मिलाकर इस निष्कर्ष पर पहुंची कि यदि किसी की वजह से समाज का भला हो, लोग अच्छाई को महत्व दें और  सच्चाई के लिए आगे बढ़े तो समाज को एक नई दिशा ही मिलेगी। और वैसे भी ये बात बहुत प्रचलित है कि कई बार जैसा दिखता है वैसा होता नहीं है और जो होता है उसे हम देख नहीं पाते। तो क्या पता कि जो नकारात्मक धारणा हमनें डेरा और डेरा श्रद्धालुओं के लिए बना रखी है वो असल में बेबुनियाद हो या फिर हम शायद कोई ऐसा सच हो जिसे हम अपनी मानसिकता की वजह से देख नहीं पा रहे। अंत में मैं केवल इतना कहना चाहूंगी कि बात चाहे देश की हो या एक व्यक्ति की एक अच्छा नागरिक होने के नाते हमें हर चीज़ को परखना चाहिए तभी हम सही निर्णय ले सकते हैं। तो इसी नाते मैं इस बारे में और भी जानकारी जुटाना चाहूंगी ताकि सच आप सब के सामने रख सकूँ।

अब घर पर बनाए रसमलाई

जैसा कि आप सब जानते है कि रसमलाई का नाम आते ही मुंह में पानी आ जाता है तो आइये हम आपको बहुत ही आसान तरीके बाजार जैसी रसमलाई बनाना सिखाते है जिसे आप बहुत आसानी से अपने घर पर बना सकते है और सभी मिल कर खा सकते है।
तो चालिए, इससे बनाना शुरू करे। इसके लिए हमे ज्यादा साम्रगी की जरुरत भी नही पडती ये चीजे बहुत ही आसानी से घर मे मिल जाती है।।

साम्रगी:

*2 कप गाय का दूध, छैना बनाने के लिए यानी रसगुल्ले बनाने के लिए

* 2 कप फूल क्रीम का, दूध मलाई बनाने के लिए

*1 कप चीनी चाशनी यानी सिरप बनाने के लिए

* 1 नींबू का रस या विनेगर, दूघ को फाडने के लिए

*कलर के लिए केसर

*सजावट के लिए कुछ मेवे जैसे बादाम,पिस्ता ,काजू आदि बारिक कटे हुए

आईए हम रसमलाई बनाना शुरू करते है।

छैना बनाने कि विधि:

सबसे पहले हम रसगुले बनाएगें उसके लिये हम छैणा तैयार करेगें जिसके लिये हम गैस पर एक पैन या कढाई चड़ायेंगे उसमे थोड़ा सा पानी डालेगें जिससे दुध बर्तन पर ना लगे या ना चिपके अब इसमें दो कप गाय का दूध डालेंगे इसमे उबाल आने के बाद इसमे धीरे धीरे निंबू का रस डालेंगे जिससे कि दूध फटना शुरु हो जाएगा फिर इसे सफेद कपड़े मे छानकर टूंटी पर लटका दी जिए जब इसका पानी सूख जाए तो इसका मुलायम सा आटा तैयार कर लिजिए और इसकी लोई बनाकर इसे रसमलाई की तरह गोल आकार दी जिए ।

चाशनी बनाने की विधि:

अब एक अलग बर्तन मे सिरप बनाने के लिए एक कप चीनी डालेगें उसमे से थोड़ी सी चीनी हम मलाई बनाने के लिए रख लेगें अब हम ढाई कप पानी डालेगें जब तक चीनी पानी मे घुल ना जाए तब तक करछी चलाएगें,उबाल आने फिर हमने जो रसगुल्ले तैयार किए हैं वो डालेगें उसे हम 20 मिनट के लिए ढक कर पकाएगें इसे हम तेज गैंस पर ही पकाएगें तो जब तक ये पेकगा

मलाई तैयार करने कि विधि:

हम मलाई तैयार करते है इसके लिए हम एक कढाई को मिडियम से हाई गैस पर ऱख दिया है इसमे हमने 2 कप फुल क्रीम वाला दूध डालना है इसे हमने तब तक चलाना है जब तक यह आधा नही हो जाता अब इसे चलाते रहना है जब तक यह गाढा ना हो जाए अब इसमे इलायची पाऊडर व बची हुई शुगर मिलाएगें और अब सिरप को 20 मिनट बाद बंद करके ठंडा होने के लिए रख देते है। अब थोडी देर मलाई को और चलाने के बाद मलाई वाला गैस बंद कर देगें और उसे भी ठंडा होने देगें अब सिरप मे से रसगुल्ले निकार कर उन्हे थोडा निचोड कर एक बाऊल मे डालेंगें फिर उसके ऊपर मलाई डालेगें फिर उसे हम बादाम,पिस्सा,काजू,केसर से सजा कर ठंडा होने के लिए फ्रिज मे रख कर खाऐगें।यह खाने मे भी बहुत स्वददिष्ट लगती है

आशा करती हूँ कि आपको मेरी ये आसान रेसिपि जरुर पंसद आई होगी प्लीज ट्राई किजिए और हमे बताईए आपको कैसी लगी।

बिना संघर्ष अपंग है जीवन

दोस्तों आज मैं आपसे एक प्रेरणादायक कहानी साझा करने जा रही हूं। ये कहानी है संघर्ष की और संघर्ष के महत्व की। संघर्ष एक व्यक्ति के जीवन में ऐसे ही जरूरी है जैसे किसी सोने के आभूषण के लिए आग की तपन, जिस से उसमें और भी निखार आता है। जो व्यक्ति जीवन में संघर्ष की सीढ़ी अपनाता है वही व्यक्ति सफलता के मुकाम को हासिल कर सकता है। वही इंसान अपने सपनों को हकीकत का रूप दे सकता है। संघर्ष के इस महत्व को समझने के लिए आइए जानते है ये कहानी।

दोस्तों, आप में से कई लोगों ने सुना होगा कि तितली अपने कोकून से बाहर आने के लिए बहुत संघर्ष करती है क्योंकि ये संघर्ष ही उसके जीवन का आधार होता है। ये संघर्ष ही उसे उसके पँखो को उड़ने की ताकत देता है। यदि तितली बिना संघर्ष के ही कोकून से बाहर आ जाए तो उसके शरीर का तरल पदार्थ उसके पँखो तक नहीं पहुंच पाता और वह कभी उड़ नहीं पाती। बस इसी संघर्ष से जुड़ी है यह कहानी।

एक बार एक व्यक्ति बाग में घूमने गया। घूमते घूमते वहाँ उसकी नज़र एक पेड़ पर एक कोकून यानि तितली के अंडे पर पड़ी। व्यक्ति को अंडे में एक छोटा सा छेद दिखाई दिया। उस व्यक्ति का कोतुहल बढ़ गया और वह वहीं बैठकर उस तितली के अंडे को देखने लगा। थोड़ी देर में उस अंडे का छिद्र थोड़ा बढ़ गया। उस व्यक्ति ने देखा कि एक तितली उस छिद्र से बाहर निकलने की जदोजहद कर रही है। किन्तु बहुत कोशिश करने पर वह तितली भी निकल नहीं पा रही थी। कुछ समय के बाद अंत में वह तितली शांत हो गयी। व्यक्ति को लगा कि तितली हार चुकी है इसलिए उसने उस तितली की सहायता करने के लिए अंडे का सुराख बड़ा कर दिया और तितली उसमें से बहुत ही आसानी से बिना किसी मेहनत के बाहर निकल आई। किन्तु तभी उस व्यक्ति ने देखा कि तितली के पंख सुख चुके थे और उसके शरीर में सूजन आ गयी थी और अंत में वह मर गयी। चूंकि तितली बिना सँघर्ष के बिना मेहनत के बाहर आई थी, इसलिए उसके शरीर का तरल पदार्थ उसके पँखो तक नहीं पहुंच पाया और वह अपनी जान से हाथ धो बैठी।

यह कहानी हमें सिखाती है कि जब तक व्यक्ति संघर्ष की आग में न जले उसका जीवन निर्थक है।
यदि हमें अपने जीवन को सार्थक बनाना है तो संघर्ष को अपना रास्ता बनाना होगा सफलता तक पहुंचने का। क्योंकि बिना मेहनत और संघर्ष के मिली सफलता का सुख क्षणमात्र ही रहता है। किंतु संघर्ष से हासिल की हुई सफलता का साथ हमारे जीवन को और अधिक खुशनुमा बना देता है। संघर्ष अंधकार में जलती एक लौ की तरह है जिसके सहारे व्यक्ति अपने किसी भी दुख और मुसीबत को भूलकर अपने अंदर के आत्मविश्वास को कायम रख सकता है। और वो कहावत तो आपने सुनी ही होगी, “भगवान भी उन्हीं की मदद करता है, जो अपनी सहायता खुद करते हैं” । तो संघर्ष को जीवन का नियम बनाइए और सफलता की हर सीढ़ी चढ़ जाइए।

सफलता का सूचक – गुरूमंत्र

कोई भी लक्ष्य मनुष्य के साहस से बड़ा नहीं।

हारा वही, जो लडा नहीं।।

‌आज हम जिस विषय पर चर्चा करने जा रहे हैं वो विषय है “सफलता का सूचक – गुरुमंत्र”। गुरूमंत्र का हमारे जीवन में बहुत ज्यादा महत्व है। गुरुमंत्र के जाप के बिना हम जीवन में सफल नहीं हो सकते। गुरूमंत्र के पहले हमें अपने जीवन में एक गुरु की आवश्यकता है जो हमें सही गुरुमंत्र का मार्गदर्शक कर सके।

‌गुरु और गुरूमंत्र का जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है। गुरुमंत्र के माध्यम से गुरु शिष्य के जीवन में उतरता है और शिष्य का जीवन सफल बन जाता है। सच्चा गुरुमंत्र एक सच्चे संत द्वारा ही सिखाया जाता है। वही इसका सही तरीका बता सकता है। ये कोई नहीं जानता कि हमारे अंदर एक दिव्य शक्ति है जो पूरे विश्व में हर एक की मदद करती है। केवल एक गुरु ही इस के बारे में मार्गदर्शक कर सकता है। गुरुमंत्र का लगातार अभ्यास करने से हम अपनी सोई हुई आत्मा को जगा सकते हैं और जब एक बार आत्मा जाग जाऐ तो इसके बाद हमारे अंदर एक जुनून पैदा हो जाता है। फिर सुमिरन से उठने का दिल ही नहीं करता ये एक ऐसा सुकून भरा जुनून है। इससे हमारी जिंदगी में कई तरह के बदलाव आ जाते हैं जैसे हर प्रकार की समस्या हल हो जाती है, मन शांत रहता है। क्रोध, लोभ, मोह, ममता और माया ये पांच चोरों से भी पीछा छूट जाता है। गुरुमंत्र का जाप करने से हमारी आत्मा ताकतवर वन जाती है और अंदर बाहर से हम खुशियों से मालामाल हो जाते हैं और सुमिरन से हम दसवें द्वार को भी खोल सकते हैं जिसके खुलने से परमात्मा का ऐसा नूर दिखाई देता है जो कहने सुनने से परे है और उसमें जो आनन्द मिलता है वो दुनिया की किसी चीज में नहीं।

‌सफलता और असफलता के बीच जरा सा फासला है और वो है जुनून का। ऐसा जुनून जो रात को सोने नहीं देता, जो मजबूर कर देता है शिद्दत से गुरुमंत्र का जाप करने के लिए।

यूं ही नहीं मिलती राही को मंजिल,

एक जुनून दिल में जगाना पडता है।

पूछा चिड़िया से कैसे बना आशियाना,

बोली, भरनी पडती है उड़ान बार – बार।

सबसे पहले आप अपनी कमजोरी पता करें और उसे दूर करने की बार- बार कोशिश करें जैसे आप सुबह जल्दी नहीं उठ सकते लेकिन आप के पास सुबह 2-5 के बीच ही सुमिरन करने का वक्त है। तो पहले आप 4 बजे उठे धीरे-धीरे उसे बढाते जाए और फिर आप देखना एक दिन आप की आंख 2बजे खुद-ब-खुद ही खुलने लगेगी। कई बार हमारा मन बगावत करता है इसकी भावनाओं को काबू में रखने के लिए ध्यान केंद्रित करने के लिए रोज योगा के साथ सुमिरन करें।

हिम्मत करे इन्सान, तो सहायता करे भगवान।

दुनिया में कोई इन्सान इतनी आसानी से सफल नहीं होता, ठोकरें खानी पड़ती है। अभी ठोकरों से डरोगे तो कभी सफल नहीं हो पाओगे। राह में चाहे जितनी भी ठोकरें आऐ आप अपने लक्ष्य को मत छोड़ो। ये ठोकरें तो आपकी परीक्षा लेती है आपके कदम को मजबूत करती है उसी प्रकार हमें गुरुमंत्र का जाप करते रहना चाहिए कभी भी यह मत सोचना कि हमें कुछ हासिल तो हो नहीं रहा। उस भगवान को सब पता है कहां हमारे लिए क्या सही है वो समय आने पर खुद हमारी रक्षा करता है इसलिए हमें लगातार सुमिरन करते रहना चाहिए।

‌आज मैं आपके साथ कुछ अपने अनुभव शेयर करना चाहती हूं कैसे मुझे गुरुमंत्र का जाप करने से जिदंगी में सफलता हासिल हुई है। मेरी जिंदगी गुरुमंत्र लेने से पहले कुछ भी नहीं थी पर गुरुमंत्र लेने के बाद मेरी जिंदगी की काया ही पलट गई। मैंने 13 साल की उम्र में ही गुरुमंत्र ले लिया था। जैसे – जैसे मैं गुरूमंत्र का जाप करती गई मेरी जिंदगी की हर मुश्किल अपने आप हल होती गई। पढ़ाई के दौरान भी गुरुमंत्र का बहुत महत्वपूर्ण रहा है। जब पढ़ाई से मन ऊब जाता मैं 10 मिनट सुमिरन करती और फिर पढ़ाई करने बैठ जाती। ऐसा करने से पढ़ाई में मन ज्यादा लगता और याददाश्त भी बढ जाती। मेरे अंदर पहले बहुत गुस्सा था पर अब सुमिरन का अभ्यास करने से गुस्से पर मैंने 70% काबू पा लिया है। एक और बात मैं आपके साथ शेयर करना चाहूँगी। जब मेरे बेवी होने वाला था डाक्टर ने मेरे और बच्चे की जान बचाने से जबाव दे दिया मैंने हिम्मत न हारते हुए लगातार सुमिरन किया और 15 मिनट के बाद ही मेरे बेवी हो गया और हम दोनों मां बेटे की जान बच गई। मैं अपने गुरु की आभारी हूँ जिसने मेरे को गुरुमंत्र दे कर गुरु भक्ति करने का सच्चा मार्ग बताया और मुझे जिंदगी में वो हर सफलता दी जिसका मैंने कभी अनुमान भी नहीं लगाया था।

‌अंत में मैं यही कहना चाहूँगी कि हमें ब्रह्म मुहूर्त में सुमिरन करना चाहिए इससे हमारी हर जायज मांग पूरी होती है। गुरुमंत्र के जाप के द्वारा हम सफलता की हर ऊंचाई को छू सकते हैं। गुरूमंत्र ही एक ऐसा तरीका है जिससे हम बड़ी से बड़ी मुश्किल को पार कर सकते हैं।

रात गवाई सोय के दिवस गवाया खाय।

हीरा जन्म अनमोल है, कोडी बदले जाय।।

कही आप भी तो डायबिटीज के शिकार नही?

डायबिटीज जिसे  मधुमेह  भी  कहा जाता  है एक गंभीर बीमारी है जिसे धीमी मौत (साइलेंट किलर ) भी कहा जाता है। संसार भर में मधुमेह रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है विशेष रूप से भारत में। आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से ब्लड शुगर को कन्ट्रोल करने के कुछ महत्वपूर्ण तरीके बताने जा रहे है…

शरीर मे शुगर लेवल बढ़ने पर मिलते है ये संकेत

शरीर मे शुगर लेवल का बढ़ना या कम होना सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है। शुगर लेवल के अनकंटरोल होने पर शरीर के कई आॅगनस ड़ैमेज भी हो सकते है। इसलिए शरीर मे शुगर लेवल का सही होना बहुत जरूरी होता है।

▶ड़ायबिटीज के मरीजो को फाइबर रिच से भरपूर चीजे जरूर खानी चाहिए।

अगर आप हेल्दी रहना चाहते है तो आप आपनी ड़ेली ड़ाइट मे फाइबर खाना शुरू कर दे। फाइबर ब्लड शुगर को नियंत्रित करने मे मदद करता है ।

इन चीजो को खाने से कंट्रोल मे रहेगी ब्लड शुगर:-

मेथी :- मेथी के बीज और पत्तियां दोनो ही ड़ायबिटीज से लड़ने मे मददगार है,भरपूर मात्रा मे फाइबर होने से पाचन क्रिया धीमी होती है।ये शरीर मे खराब कोलेस्ट्रॉल को घटाते है ।

दाले :- दालें प्रोटीन के साथ-2 फाइबर का भी अच्छा स्त्रोत होती है। दालों मे पाई जाने वाली कार्बोहाइड्रेट का कुल 40% फाइबर होता है जो ब्लड शुगर को कम करने मे मददगार होता है ।

अमरूद:- अमरूद मे भी खूब फाइबर होता है,  इससे कब्ज से लड़ने मे मदद मिलती है । ड़ायबिटीज के मरीजो को अक्सर कब्ज की शिकायत रहती है। यह एक बढ़िया स्नैक्स साबित हो सकता है ।

▶ इसके अलावा पपीता, चेरीज, तरबूज, हरी पत्तेदार सब्जियां, टमाटर, कदू के बीज भी ड़ायबिटीज के मरीजो को खाने चाहिए ; इसके अलावा रोजाना एक्सरसाइज भी करनी चाहिए।

ड़ायबिटीज के लक्षण

1.) अत्यधिक भूख:- आपको इसलिए भूख महसूस होती है क्योंकि आपका शरीर उस ऊर्जा का प्रयोग नही कर पाता जितनी वह कर सकता है। इसके बजाए ज्यादातर कैलोरी यूरिन के द्वारा निकाल जाती है ।

2.) वजन घटना:- ऐसा शरीर मे पानी की कमी की वजह से होता है । शरीर का पानी भी कम हो जाता है ।शरीर के पानी और अन्य तत्व यूरिन के माध्यम से बाहर निकल जाते है ।

3.) थकान:- आपको थकावट और भूख दोनो महसूस होगी। आपका शरीर उस कैलोरी को नही पचा पाता जिसे शरीर ग्रहण करता है । वही आपके शरीर को पर्याप्त ऊर्जा भी मिल जाती है ।

4.) चिड़चिड़ापन या व्यवहार परिवर्तन:- ड़ायबिटीज होने का यह भी संकेत है, जब व्यवहार परिवर्तन होने लगे और चिड़चिड़ापन होने लगे तो यह ठीक नही है ।

5.) सांसो से फलों की गंध का आना:- ड़ायबिटीज के लक्षणों मे यह भी है कि, इस अवस्था मे सांसो मे फलों के जैसी गंध भी आती है यानी आपकी सांसो मे एक तरह का स्मेल आता है।

 

कड़वे तेल के नाम से पारंपरिक रूप से उपयोग किया जाने वाला सरसों का तेल अपनी तासीर और गुणों के कारण कई तरह की समस्याओं में औषधि‍ के रूप में भी उपयोग किया जाता है। अगर आप अब तक इसके स्वास्थ्यवर्धक गुणों से अनजान हैं, तो आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से सरसों के तेल के फायदे (sarso ke tel ke fayde) बताने जा रहे हैं कि आपकी जिंदगी में कितना महत्वपूर्ण है। इसका सेवन करने से आपकी जिंदगी में किस तरह के बदलाव आएंगे। हम सभी घरों में सब्जी बनाने में सरसों के तेल का इस्तेमाल करते हैं। कुछ जगह पर इसको कडवा तेल के नाम से जाना जाता है।

यदि आप भारत में रहते हैं, तो इसकी बहुत संभावना है कि आप हर महीने अपनी किराने की सूची में सरसों का तेल जरूर लाते होंगे । यह एक आवश्यक चीज़ है, और कुछ खाने के पदार्थ जैसे कि लेडीफिंगर का स्वाद सबसे ज्यादा अच्छा लगता है जब इसमें पकाया जाता है। यह तेल सरसों के पौधे के बीजों से निकाल कर बनाया जाता है और अन्य तेलों से बहुत अलग होता है। इसमें हल्का पीला रंग, एक मजबूत सुगंध, तेज स्वाद और तीखा स्वाद है। इसका अपने आप मे स्वाद इतना अच्छा तो नहीं है लेकिन इसे अपने व्यंजनों में जोड़ने से कई स्वास्थ्य लाभ मिलते है उनमें से कुछ यहाँ एक सूची में हैं।

सरसों का तेल सेहत और सुंदरता दोनों के लिए ही बहुत फायदेमंद है | इसमें कई ऐसे तत्व पाए जाते हैं जो दर्दनाशक का काम करते हैं। ये एक औषधि की तरह काम करता है। आमतौर पर लोग इसे सिर्फ तेल समझकर ही इस्तेमाल करते हैं पर आप को इसके फायदे जान कर बहुत हैरानी होगी |

Sarso Ke Tel Ke Fayde

दर्दनाशक के रूप में

जोडों का दर्द हो चाहे कानों का दर्द हो या फिर कहीं चोट लगी हो सरसों का तेल इन सब की एक आयुर्वेदिक दवाई है। सरसों के तेल की मालिश करने से जोडों का दर्द ठीक हो जाता है। सरसों के तेल को गुनगुना करके कान में डालने से कान का दर्द ठीक हो जाता है।

त्वचा के लिए फायदेमंद

सरसों के तेल में वेसन और हल्दी मिलाकर चेहरे पर लगाने से चेहरे पर निखार तो आता ही है साथ में त्वचा की नमी भी बनी रहती है। पुरुष सरसों के तेल को चेहरे पर लगाकर शेव करें तो चेहरा और भी निखार आ जाता है।

भूख बढ़ाने में मददगार

अगर आपको भूख नहीं लगती तो ये तेल आपके लिए बहुत फायदेमंद है ये हमारे पेट में ऐपिटाइजर का काम करता है जो भूख बढाता है।

बजन घटाने में मददगार

सरसों के तेल में मौजूद विटामिन शरीर के मेटाबॉलिज्म को बढाते है जिससे बजन कम हो जाता है।

अस्थमा की रोकथाम

अस्थमा से पीड़ित लोगों के लिए सरसों का तेल बहुत फायदेमंद है। इस में मैग्नीशियम पाया जाता है जो अस्थमा के मरीजों के लिए फायदेमंद है। सर्दी हो जाने पर भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।

दांत दर्द में फायदेमंद

दातों पर सरसों के तेल में नमक मिलाकर लगाने से दांत सफेद और मजबूत बनते हैं।

Sarso Ke Tel Ke Fayde Balo Ke Liye

Mustard Oil Benefits for Hair in Hindi: बालों की मजबूती के लिए फायदेमंद – सरसों के तेल को बालों में लगाकर रोजाना मालिश की जाऐ तो बाल मजबूत बन जाते हैं। सरसों के तेल और बादाम दोनों को मिलाकर अच्छी तरह से उबाल लें और फिर ठंडा कर लें और फिर उस से बालों की जड़ों में मालिश करें जिससे बाल तो मजबूत बनते ही है साथ में दिमाग भी तेज होता है। रात को सोने से पहले सिर में सरसों का तेल लगाने से तनाव दूर हो जाता है।

नाभि

सोने से पहले सरसों का तेल नाभि पर लगाऐ इससे होंठ फटने की समस्या दूर हो जाती है और होंठ खूबसूरत दिखने लगते हैं। नाभि पर सरसों का तेल लगाने से पेट दर्द और डाइजेस्ट की समस्या दूर हो जाती है।

चोट

अगर लम्बे समय से लगी चोट ठीक नहीं हो रही तो सरसों के तेल लगाने से वो सूख कर जल्दी ठीक हो जाती है।

स्वस्थ शरीर

स्वस्थ शरीर और मजबूती बनाने के लिए रोजाना सुबह नहाने से पहले सरसों के तेल की मालिश की जाऐ। इससे शरीर निरोग बन जाता है। फलस्वरूप आप लंबे समय तक सुखद और जवान रह पाएंगे।

पैर के तलबे पर मालिश

रात को सोने से पहले अगर रोजाना पैरों के तलवों पर मालिश करके सोयेंगे तो बहुत फायदेमंद है। इससे आखों की रोशनी तेज होती है। इससे नींद अच्छी आती है।

दिल की सेहत में सुधार

सरसों के तेल में मोनोअनसैचुरेटेड (Monounsaturated) और पॉलीअनसेचुरेटेड फैटी एसिड(Polyunsaturated Fatty Acids), ओमेगा -3 (Omega-3) और ओमेगा -6 फैटी एसिड(Omega-6 Fatty Acid) होते हैं जो इस्केमिक हृदय रोग (Ischemic Heart Disease) के जोखिम को 50 प्रतिशत तक कम कर सकता हैं। यह खराब कोलेस्ट्रॉल को भी कम करता है और अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाता है।

कैंसर की रोकथाम के लिए

खोज से साबित हुआ है कि सरसों के तेल में कैंसर से लड़ने वाले गुण होते हैं। यह आपके पेट को कैंसर के खतरे से लड़ने में मदद करता है।

खांसी और जुखाम को खत्म करे

ज्यादातर लोग खांसी और जुखाम को खतरनाक मानते हैं क्योंकि इससे छुटकारा पाना बहुत मुश्किल है। शुक्र है कि सरसों का तेल खांसी और जुखाम का कारण बनने वाली भीड़ से छुटकारा दिलाता है। खांसी और जुखाम से छुटकारा पाने के लिए गर्म पानी मे गाजर के बीज और थोड़ा सा सरसों का तेल मिलाकर भाप लें।

मांसपेशियों का सुन्न होना बंद करे

त्वचा पर सीधे सरसों के तेल की मालिश करने से सुन्न मांसपेशियों में सनसनी होने में मदद मिलेगी। यह तनाव ग्रस्त मांसपेशियों को आराम करने में भी मदद करेगा।

अंगों का प्रदर्शन बढ़ाये

जब रक्त परिसंचरण (Blood Circulation) बढ़ जाती है, तो यह आपके शरीर को ताज़ा कर सकता है और जरूरी अंगों के काम करने की गति को बढ़ा सकता है। यही कारण है कि न केवल नवजात बच्चों को बल्कि वयस्कों (Adults) को भी सरसों के तेल की मालिश का विकल्प चुनना चाहिए। यह न केवल ताकत बढ़ाएगा बल्कि आपके शरीर को गर्माहट भी प्रदान करेगा।

जोड़ों या गठिया के दर्द

जो लोग जोड़ों या गठिया के दर्द के कारण पीड़ित हैं उन्हें सरसों के तेल को जहा-जहा दर्द है उन क्षेत्रों पर रगड़ने से कुछ राहत मिल जाती है। यह आपके रक्त परिसंचरण को बढ़ाएगा। यह ओमेगा -3 फैटी एसिड के साथ भी भरा हुआ है जो इस दर्द का विरोधी है।

बैक्टीरिया से लड़ता है

आप यह भी भरोसा कर सकते हैं कि सरसों के तेल में एंटी-बैक्टीरियल प्रभाव होता है। इसमें जीवाणु रोधी एजेंट होते हैं जो बैक्टीरिया को हराने के लिए काम करते हैं। इसमें ग्लूकोसिनोलेट भी है जो खराब बैक्टीरिया और रोगाणुओं के विकास को रोकने में भी मदद करता है।

फंगी से लड़ता है

इस तेल में ऐंटिफंगल गुण भी होते हैं, जिसका अर्थ है कि यह फफूंद के कारण होने वाले स्पर्श रोग और लाल चकत्ते का इलाज कर सकता है। एक अध्ययन में, एलिल आइसोथियोसाइनेट नामक यौगिक के लिए फफूंद से लड़ने में अन्य तेलों के मुकाबले सरसों का तेल सबसे प्रभावी साबित हुआ।

दिमाग के लिए महत्वपूर्ण

आप संज्ञानात्मक कार्यों, स्मृति और यहां तक ​​कि अवसाद के इलाज में मदद करके अपने मस्तिष्क के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए इस तेल में फैटी एसिड पर भरोसा कर सकते हैं। बच्चों को परीक्षा के मौसम में यह तेल दिया जा सकता है ताकि उन्हें बेहतर याद रखने में मदद मिल सके।