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October 2018

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आजकल एलोवेरा अपने गुणों के कारण काफी प्रसिद्ध है पर कई लोग इसके बारे में नहीं जानते। लेकिन आज हम आपको इसी गुणों के बारे में बताएंगे।यह एक औषधिवर्धक गुणकारी पौधा है इसको धृतकुमारी नाम से भी जाना जाता है। इसका इस्तेमाल औषधियों को बनाने में किया जाता है जैसे आजकल बाजार में भी एलोवीरा ज्यूस के कई तरह के स्वाद अनुसार फ्लेवर आते हैं जिनका आसानी से सेवन किया जा सकता है। एलोवेरा में 12 प्रकार के विटामिन, मिनरलस, एमिनो एसिड उपलब्ध है जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। वह रोगों से लड़ने की शक्ति प्रदान करता है इसका रोजाना सेवन करने से पुराने रोग जैसे जोड़ों के दर्द बवासीर आदि में लाभ मिलता है। एलोवेरा पेट दर्द , गैस, तेजाब, कब्ज दूर कर शरीर की पाचन क्रिया को मजबूत करता है। इतना ही नही एलोवेरा सभी रोगों में फायदेमंद है जैसे माइग्रेन, ब्लड प्रेशर ,एलर्जी ,जोड़ों के दर्द, साइटिका बाय,गठिया बाय ,गुर्दे की पथरी आदि अनेक रोगों में लाभकारी है।
बालों के लिए भी यह बहुत फायदेमंद है, साथ मे आंखों की रोशनी को भी बढ़ाता है त्वचा संबंधी रोगों हेतु भी यह बहुत ही लाभदायक है। खून साफ कर करता है त्वचा कोमल मुलायम बनाता है कील मुंहासे ,एलर्जी आदि चर्म रोगों में भी काफी लाभदायक है। एलोवेरा जेल एलर्जी ,जलने- कटने में धूप से बचाव करता है और एलोवेरा जेल को चेहरे पर लगाने से चेहरे में निखार भी आता है।
एलोवेरा का रोजाना सुबह खाली पेट सेवन करने से यह अत्यधिक लाभ करता है जिससे धरण जैसी बीमारियां भी दूर हो जाती है इसलिए इसका सेवन लगातार करना चाहिए। यह कई रोगों में फायदेमंद है। यह घुटनों के दर्द में भी मॉयल का काम करता है।
एलोवेरा का पौधा हमें आसानी से उपलब्ध हो जाता है ।एलोवेरा की खेती किसी भी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है। चाहे तो आप एलोवेरा के पौधे को घर में भी एक गमले में लगा सकते हैं और उसका रोजाना इस्तेमाल कर सकते हैं ।इसका एक टुकड़ा लेकर उसके गुदे को जो कि प्राकृतिक जेल का काम करती है को हम चेहरे पर रोजाना लगाएं तो हमारे चेहरे में निखार आता है और जो दाग धब्बे साफ होते जाते हैं।बहुत ही गुणकारी पोधा है एलोवेरा। शरीर को स्वस्थ ,तंदरुस्त व सुंदर बनाता है।

दोस्तों ,आज कल नजर का चश्मा तो बस बुढ़ापे का प्रतीक माना जाने लगा है। क्योंकि युवाओं में इसका प्रयोग अब चलन के बाहर हो गया है।जिसे देखिए वह चश्मा  हटवा कर कॉन्टेक्ट लेंस लगवाने की सलाह देता नजर आता है। दें भी क्यों न , इसे लगा कर नजर की समस्या का समाधान भी हो जाता है और फैशन से समझौता भी नही करना पड़ता।

परन्तु देखा-देखी कॉन्टेक्ट लेंस प्रयोग करने की बजाय पहले इसके बारे में पूरी जानकारी प्राप्त कर लेनी चाहिए।

कॉन्टेक्ट लेंस के प्रयोग के साथ-साथ इसके साइड इफेक्ट्स भी पता होने चाहिए।

अधिकतर लोग इस बात से अनजान हैं की आंखों में लगाये जाने वाले लेंस ही आंखों के लिए खतरा साबित हो सकते हैं।

आइए जानें, कैसे?

  •  बिना धुले हाथों से लेंस छूने पर हाथों के किटाणु लेंस के द्वारा आंखों तक पहुंच सकते हैं|
  • जो लोग रात को लेंस पहन कर सोते हैं उनकी आंखों में ऑक्सीजन की आपूर्ति घट जाती है जो बाद में इंफेक्शन का कारण बन सकता है। जब आंखे बंद होती हैं तो लेंस के जीवाणु आंखों में फैल जाते हैं तथा जलन व लालपन पैदा कर देते हैं|
  • लम्बे समय तक लेंस पहन कर रखना आँखों के लिए हानिकारक होता है। हालांकि कहा जाता है कि सिलिकॉन हाइड्रोजेल लेंस को लम्बे समय तक पहना जा सकता है परंतु इन्हे भी एक निश्चित अंतराल के बाद बदलना पड़ता है। लेंस का प्रयोग करते हुए लापरवाही बरतना कभी-कभी बहुत महंगा पड़ सकता है।

जी हाँ ! लेंस का प्रयोग कभी-कभी केराटाइटिस नामक रोग को भी आमन्त्रण दे सकता है।

 

आइये जानें ,क्या है केराटाइटिस?

कई बार लम्बे समय तक आँखों में कॉन्टेक्ट लेंस लगाये रखने से कॉर्निया में सूजन आ जाती है । जो आँखों में जलन व खुजली का कारण बनती है तथा धीरे – धीरे केराटाइटिस का रूप ले सकती है।

इस बीमारी की सामान्य अवस्था अधिक खतरनाक नही होती ,परन्तु यदि समय रहते इसका इलाज न किया जाये तो ये इंसान को अंधा भी बना सकती है। सिलिकॉन हाइड्रोजैल लेंस के साथ सोने से केराटाइटिस जैसे संक्रमण की आशंका कम होती है।

केराटाइटिस का कारण :

कॉन्टेक्ट लेंस लगाने से आँखों के प्राकृतिक माइक्रोबियल वातावरण में बदलाव आने लगता है जिस कारण इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है।लेंस के कारण , त्वचा पर पाये जाने वाले जीवाणुओं की संख्या आँखों की सुरक्षा करने वाले सूक्ष्मजीवों के मुकाबले अधिक हो जाती है तथा संक्रमण सम्भावना बढ़ जाती है।

 केराटाइटिस से बचाव : 

* कॉन्टेक्ट लेंस पहन कर गर्म पानी के टब, तालाब व समुन्द्र में नहाने से बचना चाहिए।

* सोते समय लेंस निकाल कर सोना चाहिए।

*लेंस को छूने से पहले हाथों को अच्छी तरह धो लेना चाहिए तथा लेंस बॉक्स को साफ-सुथरा रखना चाहिए।

* नेत्र विशेषज्ञ की सलाह से एक निश्चित समय बाद लेंस बदलते रहना चाहिए।

* आँखों में जलन,खुजली ,लालपन या सूजन आदि की शिकायत होने पर तुरंत नेत्र विशेषज्ञ का परामर्श लेना चाहिए।

*लगातार लम्बे समय तक कॉन्टेक्ट लेंस पहनने से बचना चाहिए।

 

तो मित्रों ! पूरी जानकारी और सावधानी से कॉन्टेक्ट लेंस का प्रयोग करें व स्वस्थ रहें।

पूरे विश्व में प्रत्येक वर्ष 24 अक्टूबर को विश्व पोलियो दिवस मनाया जाता है। जोनास सॉक ने पोलियो के खिलाफ़ वैक्सीन का विकास किया था। यह दिवस उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए मनाया जाता है। वर्ष 2016 में इस दिवस का मुख्य विषय-‘एक दिन एक फोकसः पोलियो समाप्त’ है। भारत सरकार ने वर्ष 1995 में पोलियो उन्मूलन अभियान की शुरूआत की। 27 मार्च, 2014 को विश्व स्वास्थ्य संगठन (W.H.O.) ने भारत को पोलियो मुक्त घोषित किया।

उद्देश्य:

इस दिवस को मनाये जाने का मुख्य उद्देश्य पोलियो जैसी बीमारी के विषय में लोगों में जागरूकता फैलाना है। पोलियो एक संक्रामक बीमारी है, जो पूरे शरीर को प्रभावित करती है। इस बीमारी का शिकार अधिकांशत: बच्चे होते हैं। पोलियो को ‘पोलियोमाइलाइटिस’ या ‘शिशु अंगघात’ भी कहा जाता है। यह ऐसी बीमारी है, जिससे कई राष्ट्र बुरी तरह से प्रभावित हो चुके हैं। हालांकि विश्व के अधिकतर देशों से पोलियो का खात्मा पूरी तरह से हो चुका है, लेकिन अभी भी विश्व के कई देशों से यह बीमारी जड़ से खत्म नहीं हो पायी है।

पोलियो क्या है?

पोलियो एक वायरल संक्रमण रोग है, जो कि अपनी प्रकृति में संक्रामक है तथा अति गंभीर मामलों में सांस लेने में कठिनाई एवं अपरिवर्तनीय पक्षाघात का कारण बनता है।
यह वायरस व्यक्ति से व्यक्ति में मुख्य रूप से मल के माध्यम से फैलता है या बेहद कम स्तर पर सामान्य माध्यमों (जैसे कि दूषित भोजन एवं पानी) के माध्यम से फैलता है तथा आंत में पनपता है।
यह रोग वन्य पोलियो वायरस के कारण होता है।
यह रोग मुख्यत: 5 वर्ष की आयु से कम उम्र के सभी बच्चों को प्रभावित करता है।
पोलियो को केवल रोका जा सकता है, क्योंकि पोलियो का कोई उपचार उपलब्ध नहीं है।
पोलियो वैक्सीन की निर्धारित ख़ुराक से बच्चे को जीवन भर के लिए पोलियो से सुरक्षित किया जा सकता है।
पोलियो से दो प्रकार का टीकाकरण सुरक्षित करता हैं। पहला मौखिक टीका है, जिसे मौखिक तौर पर यानि कि दवाई के रूप में पिलाया जाता है तथा दूसरा निष्क्रिय पोलियो वायरस टीका है, जिसे रोगी की उम्र के आधार पर हाथ या पैर में लगाया जाता है।

पोलियो के लक्षण:

पोलियो की बीमारी में मरीज़ की स्थिति वायरस की तीव्रता पर निर्भर करती है। अधिकतर स्थितियों में पोलियो के लक्षण ‘फ्लू’ जैसै ही होते हैं, लेकिन इसके कुछ सामान्य लक्षण इस प्रकार होते हैं-
  • पेट में दर्द होना।
  • गले में दर्द।
  • सिर में तेज़ दर्द।
  • जटिल स्‍‍थितियों में हृदय की मांस-पेशियों में सूजन आ जाती है।
  • तेज़ बुखार।
  • खाना निगलने में कठिनाई होना।

पोलियो की रोकथाम:

पोलियो के लिए कोई उपचार उपलब्ध नहीं है। इस रोग को केवल टीकाकरण के माध्यम से रोका जा सकता है। पोलियो टीकाकरण निर्धारित अनुसूची के अनुसार कई बार दिया जा सकता है। यह जीवनभर बच्चे की रक्षा करता हैं। वैक्सीन दो प्रकार के होते हैं, जो कि पोलियो से रक्षा करते हैं-निष्क्रिय पोलियो वायरस वैक्सीन (आईपीवी) एवं जीवित-तनु वैक्सीन मौखिक पोलियो वायरस वैक्सीन (ओपीवी)। मौखिक वैक्सीन को मौखिक रूप से दिया जाता है तथा निष्क्रिय पोलियो वायरस वैक्सीन को रोगी की उम्र के आधार पर हाथ या पैर में लगाया जाता है।
भारत में भी डेरा सच्चा सौदा नाम की एक संस्था इसको रोकने के लिए प्रयास कर रही है इसके लिए उन्होंने बहुत सी मुहिम शुरू की है जैसे:-
मुफ्त पोलियो शिविर आयोजित करना और नवजात शिशु को पोलियो टीकाकरण की सुविधा देना।
  • माँ-बेटा सम्भाल– नि:शुल्क कैंप लगाकर गर्भवती महिला व उसके होने वाले बच्चे के लिए स्वस्थ।

 

  • जननी-शिशु सुरक्षा – गरीब जच्चा-बच्चा का भरण-पोषण करना।

 

  • जननी सत्कार – गरीब गर्भवती महिलाओं को पौष्टिक आहार देना व इलाज करवाना।

 

  • कायाकल्प – बच्चों को पोलियो की बूंदें पिलवाना व पोलियो कैंप द्वारा मरीजों के मुफ्त आप्रेशन करवाना।

 

  • कदम से कदम – गुणवान विकलांगों की शादी करवाना और उनको रोजगार दिलवाना।

 

  • साथी -विकलांगों को ट्राई साईकिल उपलब्ध करवाना |

 

 

प्रिय पाठकों, आज मैं आपको एक ऐसे तरीके के बारे में बताऊंगी जिसे अपनाकर हम अपनी व्यस्त जिंदगी में भी दूसरों का भला कर सकते हैं। तो आइये जानते हैं कि क्या है वो तरीका और कौन है वो जिन्होंने इसे ईजाद किया है।

ईश्वर का दिया हुआ हमारा ये भौतिक शरीर तीन चीजों पर आधारित होता है। हवा, पानी तथा भोजन। मनुष्य को हवा और पानी तो फिर भी कहीं न कहीं से प्राप्त हो जाता है, किंतु भोजन प्राप्त के लिए मनुष्य न जाने क्या क्या करता है। इस संसार में कुछ अभागे जीव ऐसे भी हैं जिन्हें 2 वक़्त का भोजन भी नसीब नहीं हो पाता।

 

हमारे देश में ऐसे लाखों लोग है जिनके लिए एक वक़्त की रोटी का जुगाड़ करना भी मौत को गले लगाने जैसा होता है। ये लोग खाने के लिए कुछ भी करने को मजबूर हो जाते हैं। कहते हैं कि इंसान को पापी पेट के लिए क्या कुछ नहीं करना पड़ता। कभी किसी की जान लेनी भी पड़ती है और कभी जान देनी भी पड़ती है। और ये भुखमरी एक मुख्य कारण है कि आज हमारे देश के नौजवान जुर्म की गिरफ्त में फंसते जा रहे हैं। एक ओर जहां देश में लोग दाने-दाने के लिए मोहताज हैं, वहीं दूसरी और ऐसे लाखों लोग हैं जो प्रतिदिन झूठी शानो-शौकत का दिखावा कर भोजन को बर्बाद करते हैं। आज कल लोग दिखावे के लिए शादी, बर्थडे पार्टी और यहां तक कि अंतिम भोग में भी तरह तरह के पकवान बनाते हैं और बाद में बचने के बाद उन्हें फेंक देते हैं।

भोजन को बिना किसी मतलब के बर्बाद करना किसी अपराध से कम नहीं है। भोजन की बर्बादी न जाने कितने मासूम लोगों से उनका हक छीन लेती है। भोजन की कमी से ही पेट की आग के हाथों मजबूर होकर न जाने कितने निर्दोष लोग अपराधी बन जाते हैं। भोजन की बर्बादी कहीं न कहीं हमारे देश को गलत दिशा की ओर धकेल रही है। और हम सब को मिलकर इसे रोकना चाहिए।

 

इस मतलब से भरी दुनिया में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो दुनियादारी में रहते हुए भी अपने आप से पहले दूसरों का, समाज का भला सोचते हैं। ऐसे लोगों के कारण ही इस विकट समय में भी कहीं न कहीं इंसानियत आज भी जिंदा है। वो लोग जो खुद भूखे रहकर दूसरों के पेट की भूख को शांत करते हैं, वे लोग जो अन्न को बर्बाद नहीं बल्कि अन्न को बचाना तथा उसका सही उपयोग करना आता है। आज के इस संसार में ऐसे जीव मिलना एक दुर्लभ बात है किन्तु इस हकीकत के प्रमाण खुद डेरा सच्चा सौदा के अनुयायी हैं। डेरा सच्चा सौदा एक सामाजिक संगठन है जो सभी धर्मों को एक समान मानने में विश्वास रखता है। डेरा अनुयायी आए दिन कोई न कोई समाजिक कार्य करते रहते हैं और इन्हीं में से एक है- सप्ताह में एक दिन का उपवास रखना तथा उस दिन के बचे हुए अन्न को गरीबों में बांट देना।

 

जी हाँ इस ये लोग अपने गुरु गुरमीत राम रहीम जी की दी गयी शिक्षा के अनुरूप करते हैं। उनका कहना है कि सप्ताह में एक दिन उपवास रखने स्व शरीर की मांसपेशियां स्वस्थ रहती हैं आपका शरीर सुचारू रूप से कार्य करता है। इसके साथ ही ये लोग बचे हुए अन्न को दान कर देते हैं जो कि एक सराहनीय कार्य है।

दोस्तों, वजह चाहे कोई भी हो, अपने शरीर को स्वस्थ रखने की या फिर आस्था को ध्यान में रख कर किए गए उपवास की, महत्वपूर्ण ये है कि किसी भी इंसान के उठाये गए कदम में दूसरों के लिए क्या हित है? और अगर यह कदम समाज की भलाई के लिए उठाया जाए तो यह अति प्रशंसनीय है।

आजकल हर कोई सुंदर दिखने के लिए अच्छा मेकअप करना चाहता है। मेकअप से हमारे चेहरे की अनेक खामिया समाप्त हो जाती हैं और हमारा चेहरा खूबसूरत लगने लगता है। चेहरे को खूबसूरत बनाने के लिए मेकअप के तौर पर फाउंडेशन सबसे बेस्ट है। मेकअप की अगर बात करे तो आमतौर पर फाउंडेशन से ही मेकअप की शुरुआत की जाती है।
क्योंकि फाउंडेशन से हम चेहरे के दाग-धब्बो को आसानी से छुपा सकते हैं। यह एक बहुत ही अच्छा स्किन मेकअप है जिसकी मदद से चेहरे की अनेक खामियों को आसानी से छुपाया जा सकता है और चेहरे को खूबसूरत बनाया जा सकता है। फाउंडेशन त्वचा के कलर का एक उत्पाद होता है, जो त्वचा के टोन को इवन करता है। इसे चेहरे पर अप्लाई करने के लिए सबसे पहले मॉइस्चर या कंसीलर लगाना चाहिए। यदि आप भी चाहती हैं आपका चेहरा खूबसूरत लगे तो आप फाउंडेशन की मदद से अपने चेहरे का मेकअप कर सकते हैं।

फाउंडेशन लगाने के बेस्ट टिप्स

स्टेप 1

स्किन को अच्छी तरह मॉइश्चराइज करें। मॉइश्चराइजर को अब्जॉर्व होने के लिए कुछ समय दें।

स्टेप 2

चेहरे और गर्दन पर प्राइमर लगाएं। कुछ लोग मेकअप किट में प्राइमर नहीं रखते लेकिन इसका मेकअप में बेहद अहम रोल होता है। यह आपके चेहरे के छिद्रों को बंद करता है साथ ही इससे मेकअप ज्यादा देर तक टिका रहता है।

स्टेप 3

फाउंडेशन से पूरे चेहरे और गर्दन पर डॉट-डॉट बनाएं। जॉ-लाइन और चिन पर लगाना न भूलें। ब्रश से अच्छी तरह चेहरे पर एकसार करें। आंखों के नीचे ठीक से ब्लेंड करें ताकि सिकुड़न में फाउंडेशन भरा न दिखाई दे।

स्टेप 4

आखिर में मुलायम ब्रश या स्पंज से पूरा एकसार कर लें। रोशनी में एक बार चेक करें कि इसकी परत न दिखाई दे रही हो। इसके बाद कंसीलर और कॉम्पैक्ट पाउडर लगा सकती हैं।

ये गलतियां न करें

फाउंडेशन की खरीदारी

पाउडर फाउंडेशन फाइन लुक नहीं देता। तरल फाउंडेशन को तरजीह दें। लगाना ही है तो लिक्विड फाउंडेशन के ऊपर हल्का लगाएं।

शेड की जांच

सही टोन वाले फाउंडेशन की खरीदारी करते समय इसकी जांच गालों या कलाई के गोरे भाग पर न करें। इसे अपनी ठुड्डी, आंखों के नीचे, नाक के आसपास और हाथ पर जांच करें।

सिर्फ चेहरे पर फाउंडेशन लगाते हैं

यकीनन यह खतरनाक हो सकता है। चेहरा और नेकलाइन का अलग-अलग दिखना बहुत बुरा लगता है। गर्दन के आस-पास फाउंडेशन लगाना न भूलें।

स्पॉन्ज का इस्तेमाल न करें

स्पॉन्ज में फाउंडेशन बहुत बर्बाद होता है। ब्रश से फाउंडेशन लगाऐं।

कैसे चुनें सही फाउंडेशन

त्वचा के अनुसार

सही टोन वाले फाउंडेशन को चुनने के लिए सबसे पहले अपनी त्वचा को जानना जरूरी है। त्वचा सामान्य है या रूखी या तैलीय।
अगर त्वचा रूखी है तो ऐसे फाउंडेशन का चुनाव सही होगा, जिसमें मॉइस्चराइजर और हाईड्रेटिंग तत्व हो।  जिनकी त्वचा तैलीय है, उनके लिए मॉइस्चराइजर वाले फाउंडेशन का चुनाव गलत होगा। तैलीय त्वचा के लिए ऑयल फ्री फाउंडेशन लेना चाहिए। रूखी व तैलीय मिली-जुली त्वचा के लिए पाउडर आधारित फाउंडेशन और जिन लोगों की त्वचा ज्यादा संवेदनशील है उनके लिए मिनरल फाउंडेशन सही पसंद है।
फाउंडेशन दिन में खरीदें ताकि उसे ठीक से देख सकें। त्वचा पर लगाकर शेड की जांच करें। इसे खरीदने से पहले दुकानदार आपकी उल्टी कलाई पर इसका रंग दिखाता है। आप हाथ सीधा करके जांच कीजिए। त्वचा के टोन से यदि यह मैच करता है तो समझ लें कि यह आपके लिए सही है।

 

आज जहां एक तरफ डेरा सच्चा सौदा के अनुयायी बाबा राम रहीम के पिताजी- नम्बरदार बापू मग्घर सिंह जी की पुण्य तिथि के अवसर पर रक्तदान शिविर का आयोजन कर रहे थे, वहीं दूसरी तरफ सीबीआई कोर्ट में बाबा राम रहीम की ज़मानत की कार्यवाही चल रही थी। ३ अगस्त को बाबा राम रहीम पर कथित रूप से साधुओं को नपुंसक बनाने के आरोप लगाए गए थे, व सीबीआई ने बाबा राम रहीम, डॉ एम् पी सिंह व् डॉ पंकज गर्ग पे केस तय किया था। २३ अगस्त को जज सुनील राठी द्वारा बेल याचिका ख़ारिज करने के बाद बाबा राम रहीम ने जज जगदीप सिंह की अदालत में याचिका दायर की थी।

इस केस में सीबीआई की स्थानीय विशेष अदालत ने बाबा राम रहीम को ज़मानत दे दी है।बचाव पक्ष के वकील तनवीर अहमद मीर व ध्रुव गुप्ता की दलीलों से सहमत होते हुए सीबीआई कोर्ट के न्यायाधीश जगदीप सिंह ने बाबा राम रहीम की ज़मानत का फैसला सुनाया। डॉ एम् पी सिंह को भी इस मामले में बेल दे दी गई है। डेरा के प्रबंधकों का कहना है की उन्हें माननीय न्यायालय पे पूरा भरोसा है।

उल्लेखनीय है की डेरा सच्चा सौदा के समर्थकों में जहाँ उनके गुरूजी पे उनका ढृढ़ विश्वास बना हुआ है, वहीँ उन्हें यकीन भी है की जल्द ही सच उजागर होगा और उनके गुरूजी जल्द ही वापिस आएंगे। ऐसे में अपने गुरूजी की प्रेरणा पे चलते हुए आज भी उन्होंने रक्तदान शिविर लगाया है, व किसी भी अवसर पे वे मानवता भलाई के कार्य करने से नहीं चूकते, फिर चाहे वह स्वच्छ भारत दिवस हो, पौधरोपण , या मरणोपरांत शरीरदान। गौरतलब है की बाबा राम रहीम के 6.5 करोड़ से भी अधिक अनुयायी हैं।