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April 2019

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सिरसा शहर में आज का माहौल भारी टैफिक से भरपूर रहा और अनेक स्टेटों से अनेक लोगों का आना अभी भी ज़ारी है। सिरसा के लोगों के लिए यह नज़ारा देखना एक आम बात है, पर ऐसा क्या है जो ये शहर इस तरह के नज़ारे देखता रहता है? वजह है वहां पर स्थापित डेरा सच्चा सौदा, जहां पर ये सब लोग एकत्रित हो रहे हैं।

 

कुछ वक़्त से ट्विटर और फेसबुक पर भी ट्रेंड में चल रहे इस विषय पर थोड़ा पढ़ा तो पता लगा की पूरे माह इन्होंने देश भर में गरीब बच्चों को स्टेशनरी का सामान व यूनिफार्म इत्यादि बाँटे हैं, और कुछ जगह पर गरीबों को राशन भी दिया है।

 

अखबारों में यह पढ़ने में आया की पिछले रविवार, 21 अप्रैल को डेरा सच्चा सौदा के अनुयायियों ने देश भर में अनेक स्टेटों में नामचर्चा मनाई, जिसमे बहुत ज्यादा भीड़ एकत्रित हुई। तब मैने यह जाना कि डेरा सच्चा सौदा के सेवादार स्थापना दिवस मना रहे हैं। भारी तादाद और इतने बड़े पैमाने पर मनाई गयी इस नामचर्चा और उनके द्वारा किये गए मानवता भलाई कार्यों ने उन्हें एक बार फिर अखबारों की सुर्ख़ियों में लाकर खड़ा कर दिया।

 

डेरा सच्चा सौदा का ‘स्थापना दिवस‘ 29 अप्रैल को है और इसी दिन उनके मौजूदा गुरु संत डॉ गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने 29 अप्रैल 2007 को ‘जाम-ए-इन्सां गुरु का’ भी शुरू किया था। क्यूंकि इस दिन को भंडारे के रूप में मनाया जाता है, तो एक बार फिर से डेरा सच्चा सौदा में उनके सेवादारों का आना शुरू हो गया है और यही वजह है की सिरसा शहर में माहौल किसी त्यौहार के जैसा हो गया है।

 

कल के इस भंडारे पर मुफ्त एलॉपथी मेडिकल कैंप, मुफ्त आयुर्वेदिक मेडिकल कैंप भी लगाए जा रहे हैं, जहाँ पर सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टरों के द्वारा मरीज़ों की मुफ्त जांच की जाएगी, व अति गरीब लोगों को समस्त उपचार व दवाइयां भी मुफ्त दी जाएँगी।

 

यही नहीं, हर बार की तरह इस बार भी गरीबों की मदद के लिए मानवता भलाई के कार्य किये जायेंगे।

 

यह सब देख कर हैरानी भी होती है और कहीं न कहीं इस श्रद्धा के आगे दिल नतमस्तक भी होता है। जिस तरह से ये आज भी इंसानियत को बरकरार रखे हुए हैं, ऐसा शायद ही कभी देखा हो।

डेरा सच्चा सौदा का स्थापना दिवस

★  29 अप्रैल, 1948 को एक फ़कीर, जिन्हें बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज के नाम से जाना जाता था, उन्होंने डेरा सच्चा सौदा की नींव रखी थी। इनके बाद इन्होंने अपनी शाह सतनाम जी महाराज को गुरगद्दी सौंपी जिन्होंने शाह मस्ताना जी के लगाए इस बीज को प्रेम से सींचा व सच्चे सौदे का नाम हर तरफ गूंजने लगा। सन 1990 में उन्होंने मौजूदा गुरु संत डॉ गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां को गद्दीनशीन किया, जिन्होंने मानवता भलाई के अनेक कार्य शुरू किये व समाज से हर बुराई को दूर करने का बीड़ा उठाया।
आज इनके देश व विदेशों में साढ़े छह करोड़ से भी अधिक अनुयायी हैं को इस पूरे माह को हर्षोंउल्लास के साथ मनाते हैं। 29 अप्रैल का यह  दिन भंडारे के रूप में मनाया जाता है।

जाम-ए-इन्सां दिवस

◆ डेरा सच्चा सौदा अपने मानवता भलाई के कार्यों के लिए अनेक विश्व कीर्तिमान स्थापित कर चुका है और देश तथा विदेश में जाना जाता है।  आज से 12 वर्ष पहले 29 अप्रैल 2007 को ही बाबा राम रहीम ने ‘जाम-ए-इन्सां गुरु का’ की शुरुआत की थी, जिससे उन्होंने इंसानियत का सन्देश देते हुए सभी को जात पात व धर्म पर भेद भाव न करने का, व इंसानियत को सबसे ऊपर रखने का संकल्प दिलवाया। इस मुहिम में करोड़ों लोग शामिल हो चुके हैं जो इंसानियत को जीवित रखने के लिए दिन-रात प्रयासरत हैं और समाज में मानवता को एक नया जीवन मिला है। लोगों को पता चला कि दुखियों, लाचारों और बेसहारों का सहारा बन कर जीना ही इंसानी गुण है। किसी के दुख-दर्द को देखकर तड़प उठना ही सच्चे अर्थों में इंसानियत है, और इसी इंसानियत को जीवित रखे हुए है डेरा सच्चा सौदा।

भलाई कार्य

◆ करीब 12 वर्षों में ही डेरा सच्चा सौदा के करोड़ों अनुयायियों ने दुनिया के सामने मानव कल्याणकारी कार्यों के नए कीर्तिमान खड़े कर दिए हैं, फिर चाहे वो गरीबों का घर बना कर देना हो, रक़्तदान हो, सफाई महा-अभियान हो, या मरणोपरांत आँखे दान व शरीरदान। ऐसे 134 मानवता भलाई के कार्य इनके गुरूजी द्वारा चलाये गए हैं। अपने काम धंधों, सुख-आराम की परवाह न करते हुए डेरा अनुयायी दीन-दुखियों की मदद में जुटे रहते हैं।
तो देखना अब यह है की इस बार डेरा सच्चा सौदा के 71वें स्थापना दिवस व ‘जाम-ए-इन्सां गुरु का’ की 12वीं वर्षगांठ पर क्या ख़ास होता है। जानने के लिए ज़रूर पढ़ें हमारा आने वाला अगला आर्टिकल।

 

अभी केरला बाढ आने के बाद उसी स्थिति से उभर नहीं पाया था कि फिर दक्षिण प्रायद्वीपीय भारत के पास अरब सागर में सीज़न का पहला चक्रवाती तूफान फानी विकसित हो गया है। मौसम विभाग के मुताबिक यह तूफान राज्य में भारी नुकसान पहुंचा सकता है। प्रशासन ने तटवर्ती जिलों में अलर्ट जारी किया है।

 

तमिलनाडु और केरल में भारी बारिश और लक्षद्वीप में भी चक्रवाती तूफान का अलर्ट जारी किया गया है।

 

मौसम विभाग के मुताबिक अगले 24 घंटे के दौरान तमिलनाडु और केरल में भारी बारिश के साथ 90 से 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से तूफानी हवाएं भी चलेंगी। वहीं, लक्षद्वीप में  40 से 50 किलोमीटर प्रति घंटे की तेज़ हवाएं और आंधी तूफान आने की संभावना है।

 

भारत मौसम विज्ञान विभाग ने आज रविवार को मौसम की चेतावनी जारी करते हुए कहा कि चक्रवाती तूफान फानी एक गंभीर चक्रवाती तूफान में बदल जाएगा। “30 अप्रैल तक इस तूफ़ान की उत्तर-पश्चिम की ओर बढ़ने की बहुत संभावना है और इसके बाद धीरे-धीरे उत्तर-पूर्व की ओर जाएगा, इस तूफ़ान के अगले 12 घंटों के दौरान एक गंभीर चक्रवाती तूफान में और बाद के 24 घंटों के दौरान अत्यंत गंभीर चक्रवाती तूफान में परिवर्तित होने की संभावना है।” मौसम विभाग ने आज जारी बुलेटिन में कहा।
इस तूफान ने अपना कहर दिखाना शुरू कर किया है। जगह-जगह पर पेड़ और होर्डिंग गिरे पड़े हैं, समुद्र में ऊंची व भयानक लहरें उठ रही हैं। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, दक्षिण भारत में इस चक्रवात को आगे बढ़ने के चलते हालात और भी ज्‍यादा खराब हो सकते हैंं। प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वह अपने घरों में रहें और समुद्र तट के पास आने से बचें। मछुआरों को समुद्र में न जाने की सलाह दी गई है। बताया जाता है कि तूफान की रफ़तार तेजी से बढ़ रही हैैै, जिसके कारण प्रशासन ने अलर्ट जारी किया हुआ है।

 

बंगाल और पड़ोस के दक्षिण पूर्व खाड़ी में 80-90 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली आंधी हवा की गति प्रचलित है जिसकी 28वीं सुबह से 90-100 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से 115 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलने की संभावना है; बंगाल की दक्षिण-पश्चिम खाड़ी में 29 वीं सुबह से 145 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवाओं के चलने की संभावना है।

 

तूफान की ताकत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कई जगह पर घर पूरी तरह से गिर चुके हैं और जगह- जगह पर पेड़ गिरे होने के कारण यातायात भी रुक गया है। हम उम्मीद करते हैं कि जल्द ही यह चक्रवात बिना किसी की जान को नुक्सान पहुंचाए खत्म हो जाए और फिर से इन सभी राज्यों में सामान्य जन जीवन शुरू हो सके।

मैं कुछ दिनों से जब भी अख़बार पढ़ती हूँ और फेसबुक खोलती हूँ तो बस, डेरा सच्चा सौदा के अनुयायियों की तस्वीरें और खबरें ही पढ़ने को मिल रही हैं। उनकी तस्वीरों से यह लग रहा है जैसे डेरा सच्चा सौदा के अनुयायी एक बहुत बड़े अरसे के बाद फिर से ज़ोर शोर से वापिस लौटे हैं, जैसा कि हम आज से दो साल पहले देखा करते थे। बाबा राम रहीम के जेल जाने के बाद ऐसी तस्वीरें पहली बार देखने को मिल रही हैं। सुनने में आया है कि इतनी भारी संख्या में इकट्ठे होकर नामचर्चा और मानवता भलाई के कार्य करके यह लोग डेरा सच्चा सौदा का ‘स्थापना दिवस’ और ‘जाम-ए-इन्सां गुरु का’ दिवस मना रहे हैं।

वैसे एक बात मैं आप सब से पूछना चाहूंगी कि जो 2 सालों में मीडिया ने डेरा सच्चा सौदा के बारे में दिखाया क्या वो सच था?

क्योंकि आज इनके अनुयायियों का विश्वास देखकर तो नहीं लगता कि जो भी मीडिया ने दिखाया है वो सच होगा। तो क्या ये आज भी करोड़ों की तादाद में बाबा को मानते हैं? ऐसे अनेक सवाल हर किसी न किसी के मन में ज़रूर आते होंगे, तो चलिए देखते हैं कि क्या डेरा सच्चा सौदा कि गतिविधियों में कोई कमी आयी? क्या टूट गए डेरा प्रेमी?

नामचर्चाओं का आयोजन

सुनने में आया है कि डेरा सच्चा सौदा के अनुयायी अप्रैल का महीना फाऊंडेशन मंथ (स्थापना माह) के रूप में मनाते हैं। 29 अप्रैल 1948 को डेरा सच्चा सौदा की नींव रखी गई थी। वैसे तो हर साल इस दिन डेरा सच्चा सौदा आश्रम में भंडारा मनाया जाता था। पर बाबा राम रहीम के जेल जाने के बाद यहां कोई भंडारा नहीं मनाया गया। पर इस बार, इसी माह, डेरा सच्चा सौदा के अनुयायियों ने देश के हर कोने में जिला स्तर पर नामचर्चा करके यह महीना मनाया है। यही नहीं, इस महीने में हर ज़िले, ब्लॉक व लोकल जगहों पर अनुयायियों द्वारा गरीब बच्चों की शिक्षा हेतु कॉपियां, किताबें, ड्रेस, पेन, पेंसिल व स्टेशनरी का अन्य सामान भी बांटा गया। गरीब परिवारों को राशन, गरीब घर की बेटियों कि शादी में सहायता करना व रक्तदान जैसे कार्य भी इस स्थापना माह में बढ़ चढ़ कर किए गए हैं।

नामचर्चाओं में जन सैलाब की

अख़बारों और फेसबुक की तस्वीरों को देख कर लगता है जैसे नामचर्चाओं में जनता की बाढ़ आ गई हो। समुन्दर कि लहरों कि तरह दूर दराज़ से लोग उमड़े और एक अरसे के बाद इन ब्लॉकों की सड़कों पर कई कई किलोमीटर तक लगे जाम देखने को मिले। रेलगाड़ियों, बसों में वही भीड़ देखने को मिली जो आज से 2 साल पहले हुआ करती थी और लोग बातें किया करते थे कि लगता है आज फिर डेरा सिरसा में सत्संग है। मगर आज की नामचर्चाओं के इकट्ठ ने सभी को हैरत में डाल दिया लोग यह देखकर दातों तले अंगुली दबा रहे हैं।

डेरा के अनुयायियों का विश्वास

जैसा कि अखबारों की सुर्खियों में हम रोज़ाना पढ़ते हैं कि डेरा सिरसा की संगत अब टूट चुकी है मगर यह सब तो झूठ साबित हो गया। इन नामचर्चाओं में डेरा के अनुयायियों की संख्या देखकर तो नहीं लगता कि बाबा राम रहीम पर से उनका विश्वास ज़रा भी हिला है। जैसा विडिओ में हमनें देखा है कि लोग ढोल बजाते हुए नाच नाच के नामचर्चाओं में खुशी-खुशी आ रहे हैं इससे तो लगता है कि डेरा के अनुयायी आज भी टस से मस नहीं हुए, उनका विश्वास ज्यों का त्यों बना हुआ है।

राजनीतिक दलों का वोट मांगने के लिए आना

हम सभी को पता है कि डेरा सच्चा सौदा एक ऐसी संस्था है जिसके अनुयायी देश व विदेश में करोड़ों की संख्या में हैं। यहां के अनुयायी हर कार्य एकता में रह कर करते हैं, चाहे वो मानवता भलाई के कार्य हो या देश की सरकार चुननी हो। जैसा कि हम सभी को पता है कि अब भी 2019 में लोकतंत्र चुनाव चल रहे हैं। तो अब भी तसवीरों में देखने को मिला कि अलग अलग राजनीतिक पार्टियां डेरा के अनुयायियों से वोट मांगने के लिए लगातार आ रही हैं। हर कोई बहुमत हासिल करने के लिए डेरा के अनुयायियों का साथ चाहता है। एक बार फिर सवाल उठता है यहां पर, कि अगर डेरा सच्चा सौदा पर लगे इलज़ाम सही थे, तो आखिर क्यों इन पार्टियों को डेरे के साथ कि ज़रुरत है? कहीं न कहीं हर आम इंसान और हर राजनीतिक पार्टी यह जानती है कि डेरे के खिलाफ बहुत गहरी साज़िश रची गयी थी।

अंत में मैं यही कह सकती हूँ कि इन सब गतिविधियों से यही पता चलता है कि डेरा सच्चा सौदा के अनुयायियों की एकता और विश्वास अब भी बरकरार है, इनको कोई नहीं हिला सकता चाहे मीडिया हो या अख़बार की झूठी खबरें। इनके जोश और जज़्बे की दाद देती हूँ और सलाम करती हूँ इनके द्वारा किये जा रहे मानवता भलाई के कार्यों को, जो आज भी सैकड़ों ज़रूरतमंदो कि मदद कर रहे हैं।

क्यों 22 अप्रैल पृथ्वी दिवस के रूप में मनाया जाता है?

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि, पूरे ब्रह्मांड में पृथ्वी जीवन वाला एकमात्र ज्ञात ग्रह है। इसलिए, हमें पृथ्वी से जो कुछ भी प्राप्त होता है, उसका सम्मान करना चाहिए और उन्हें बनाए रखना चाहिए। हमें धरती माँ की रक्षा करनी चाहिए, ताकि हमारे भविष्य की पीढ़ियाँ सुरक्षित वातावरण में रह सकें। हम पृथ्वी की रक्षा पेड़ों, प्राकृतिक वनस्पति, पानी, प्राकृतिक संसाधन आदि की रक्षा करके कर सकते हैं। हमें पर्यावरण प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग को नियंत्रित करने वाले संभव प्रयासों का कड़ाई से पालन करना चाहिए, ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी पृथ्वी जीवन दायिनी साबित हो।

पृथ्वी दिवस क्या है?

पर्यावरण प्रोजेक्ट के अन्तर्गत पृथ्वी को बचाने के लिए 1970 से हर साल 22 अप्रैल को मनाया जाने वाला दिन पृथ्वी दिवस कहलाता है। इस प्रोजेक्ट को शुरु करने का उद्देश्य लोगों को स्वस्थ वातावरण में रहने के लिए प्रोत्साहित करना है।

विस्कॉन्सिन से अमरीका के एक सीनेटर, गेलॉर्ड नेल्सन ने इस दिन की स्थापना की थी ताकि लोगों को आज के दिन औद्योगिकीकरण की बढ़ती हुई दर और पृथ्वी पर रहने वाले लोगों की लापरवाह रवैये के बारे में जागरूक किया जा सके। लोगों के बीच प्राकृतिक संतुलन के विचार को प्रोत्साहित करने के साथ ही ग्रह की संपत्ति का सम्मान करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए उनके द्वारा यह कदम उठाया गया। सदियों से क्रूर लोगों ने प्राकृतिक संसाधनों का निर्दयतापूर्वक उपयोग किया, जिससे अनेक दिक्कतें आयीं हैं और जानवरों व पौधों की कईं प्रजातियां लुप्त हो चुकी हैं। स्वस्थ और जीवित रहने के लिए पर्यावरणीय मुद्दों का ध्यान रखना जरूरी है।

इसका सबसे बड़ा उदाहरण ओज़ोन परत की कमी है, जो हमें सूरज की अल्ट्रा वायलेट किरणों से बचाती है। एक और बड़ी समस्या औद्योगिक विषैले पदार्थों को नदियों में बहा देना है, जो अनेक नदियों की मौत का कारण बनता है, जो की एक बार फिर ग्लोबल वार्मिंग की ओर जाता है। दैनिक आधार पर औद्योगीकरण में वृद्धि, तथा जनसँख्या में वृद्धि से वनों की कटाई हो रही है जो अंततः पृथ्वी के तापमान में वृद्धि हो रही है। छोटे पेड़ों  के वृक्षारोपण, वनों की कटाई को रोकना, वाहनों को सीमित करना, वायु प्रदूषण को कम करना, बिजली के अनावश्यक उपयोग को कम करना इत्यादि के माध्यम से पर्यावरण व ऊर्जा संरक्षण को बढ़ावा दिया जा सकता है। ज़रुरत हैं इन कदमों पर चलने की। इस तरह के छोटे कदम एक बड़ा कदम बन जाते हैं अगर दुनिया भर में लोगों द्वारा देखभाल की जाती है।

ऐसे में पृथ्वी की देखभाल के लिए कुछ कदम बाबा राम रहीम की दिशा निर्देश में डेरा सच्चा सौदा ने उठाए हैं जो इस प्रकार है:-
१ वातवरण रक्षा:- किसानों को पराली जलाने की बजाय गौशालाओं में चारे हेतू भेजने की प्रेरणा देना।

२ जल संरक्षण :- जल संरक्षण के लिए प्रेरित किया और इसके लिए बाबा राम रहीम ने कई तरह के तरीक़े भी बताऐ हैं, जैसे बरसात के पानी का इस्तेमाल, काम पानी से खेती करना, ड्रिप सिस्टम से पानी लगाना।

३ बिजली बचाना:- बिजली का सही तरीके से प्रयोग करना जैसे सोलर ऊर्जा लगाने से हम बिजली की बचत कर सकते हैं। डेरा सच्चा सौदा में भी सोलर एनर्जी द्वारा बनी बिजली का उपयोग किया जाता है।

४ स्वच्छता अभियान : सफाई अभियान द्वारा लोगों को प्रदूषण और बिमारियों से बचाना। इस दौरान डेरा सच्चा सौदा अब तक 32 शहरों में महा सफाई अभियान कर चुका है, जिससे देश को ही नहीं बल्कि विदेशों में भी जागरूकता पैदा हुई है।प्रधान मंत्री मोदी द्वारा भी इस मुहिम को सराहा व अपनाया गया है।

५ नेचर कैंपेन :पर्यावरण संरक्षण हेतु पौधे लगाना। डेरा सच्चा सौदा ने पौधारोपण के लिए सिर्फ जागरूक ही नहीं किया बल्कि खुद भी करोड़ों पौधे लगाकर एक नया रिकॉर्ड बनाया है और आज तक इनके गिनिज बुक में ३ रिकॉर्ड दर्ज हैं।

६ मिट्टी और जल प्रदूषण से बचने के लिए लोगों को प्लास्टिक की थैलियों के उपयोग को कम करने के लिए प्रेरित किया और आश्रम में भी यही मुहिम चलाई।

७ रीसाइक्लिंग और पुराने सामग्रियों के पुन: उपयोग के बारे में सीखना। बाबा राम रहीम ने एक फिल्म जट्टू इंजनियर के जरिए भी गोबर का रिसाइकिल करके बायो गैस प्लांट लगाना सिखाया। डेरा सच्चा सौदा में बायो गैस प्लांट लगा हुआ है तथा आस पास के गाँवों में ऐसा प्लांट लगाने के लिए डेरा सच्चा सौदा द्वारा पूर्ण मदद की जाती है।

निष्कर्ष:-

पृथ्वी हमारी माता है, जो हमें हमारे जीवन के लिए आवश्यक सभी वस्तुएं देती है। इसलिए, हम इसकी प्राकृतिक गुणवत्ता और हरे-भरे वातावरण को बनाए रखने के लिए भी जिम्मेदार है। हमें छोटे लाभों के लिए इसके प्राकृतिक संसाधनों को बर्बाद और प्रदूषित नहीं करना चाहिए, व इसे इसके प्राकृतिक रूप में रखने के लिए हर संभव प्रयत्न करना चाहिए।
जैसे कि हम सब रोजाना सोशल मीडिया, अखबारों की सुर्खियों में देख रहे हैं कि डेरा सच्चा सौदा के अनुयायी मानवता भलाई के कार्यों में पूरी लगन से आगे बढ़ रहे हैं। मगर आश्चर्यचकित करने वाली बात यह है कि डेरा सच्चा सौदा के मौजूदा गद्दीनशीन बाबा राम रहीम के जेल में होने के बावजूद डेरा सच्चा सौदा में लगने वाले शिविर ज्यों के त्यों लग रहे हैं, चाहे वह आँखों का शिविर हो, रक्तदान शिविर हो या अन्य मासिक मैडिकल कैंप। कल मुझे पता चला कि इसी कड़ी में एक और शिविर जो डेरा सच्चा सौदा द्वारा लगाया जा रहा है, वह है विकलांग मरीजों के लिए ‘याद-ए-मुर्शिद निःशुल्क पोलियो एवं विकलांगता निवारण शिविर’। आईऐ जानते हैं  कि क्या है ये याद-ए-मुर्शिद शिविर।

याद-ए-मुर्शिद पोलियो एवं विकलांगता निवारण कैंप क्या है?

याद-ए-मुर्शिद पोलियो एवं विकलांगता निवारण शिविर एक ऐसा कैंप है जिसमें अपाहिज मरीजों का बिल्कुल मुफ्त इलाज किया जाता है। यह कैंप बेपरवाह मस्ताना जी महाराज की पावन याद में लगाया जाता है जिन्होंने डेरा सच्चा सौदा की नींव रखी थी।

यह कैंप सबसे पहले 18 अप्रैल 2008 में लगाया गया था। कल मैं डेरा सच्चा सौदा का इतिहास पढ़ रही थी जिसमें मुझे पता चला कि 18 अप्रैल 1960 को डेरा सच्चा सौदा की पहली पातशाही बेपरवाह मस्ताना जी महाराज ज्योति ज्योत समा गऐ थे। 2008 में डेरा सच्चा सौदा के मौजूदा गद्दीनशीन बाबा राम रहीम की दिशा निर्देश में ही इस कैंप का आयोजन किया गया था। उनकी याद में अब तक 10 कैंप लग चुके हैं। एक दिन पहले ही मरीजों की पर्चियां कटनी शुरू हो जाती हैं। यह कैंप 18-21अप्रैल तक चलता है। अब 18 अप्रैल 2019 में 11वां कैंप लगाया जाएगा।

यह शिविर शाह सतनाम जी स्पेशलिटी हॉस्पिटल में लगता है तथा अनेक स्टेटों, शहरों व गाँवों से यहाँ मरीज़ आते हैं। मैंने पिछले लग चुके 10 परमार्थी कैंपों का डाटा पढ़ा, जिससे पता चला कि इस दौरान भारत के जाने माने हड्डियों के विशेषज्ञ डाक्टर, जैसे कि पंजाब, हरियाणा, दिल्ली आदि से ओरथोपैडिक के सपैशलिस्ट डॉक्टर यहां अपनी सेवाएं देते हैं।

इस कैंप के दौरान मरीजों की जांच, उनका इलाज व उनके ऑपरेशन भी मुफ्त में किये जाते हैं, यही नहीं उनको दवा व ज़रुरत की वस्तुएं, जैसे कि कैलिपर इत्यादि भी मुफ्त में दी जाती हैं। यहां डेरा सच्चा सौदा के सेवादारों द्वारा मरीजों की संभाल भी अच्छे ढंग से की जाती है। मरीजों को व्हील चेयर तक भी मुफ्त प्रदान की जाती हैं।

पिछले 10 सालों में इस कैंप का फायदा हज़ारों मरीजों ने उठाया है।

इस साल भी 18 अप्रैल 2019 को यह शिविर लगने जा रहा है, तो आप भी इस निःशुल्क शिविर का फायदा उठाएं। अपने आस पास के विकलांग मरीज़ों को शाह सतनाम जी स्पेशलिटी हास्पिटल में ले कर जाइये, और इस कैंप का फायदा उठाईऐ।

दिनांक : 18 अप्रैल 2019, दिन : वीरवार
जगह : शाह सतनाम जी स्पेशलिटी हॉस्पिटल, सिरसा

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें: 01666 -260222 और 9728860222