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May 2019

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हर साल 31 मई को विश्व तंबाकू निषेध दिवस ( वर्ल्ड नो टोबैको डे) मनाया जाता है। इस दिन को मनाने की शुरुआत विश्व स्वास्थय संगठन (WHO) ने 1987 में की थी। पूरी दुनिया में प्रति वर्ष लगभग 60 लाख लोग तम्बाकू के प्रयोग के कारण मर जाते हैं, इसलिए इस दिन को मनाने के पीछे का ध्येय यही है कि आम जनता तम्बाकू से होने वाले नुक्सान को जाने, जागरूक रहे और तम्बाकू से बने पदार्थों से दूर रहे।

हमें यह बात स्वीकारने में गुरेज नहीं होना चाहिए कि भारत में पुराने समय से ही तम्बाकू का प्रचलन रहा है। पहले के समय में भी हुक्का-चिल्लम, बीड़ी, खैनी आदि के द्वारा लोग नशा करते रहे हैं, किन्तु आज की स्थिति कहीं ज्यादा विस्फोटक हो चुकी है। अब तो ज़माना एडवांस हो गया है और एडवांस हो गए हैं नशे करने के तरीके! बीड़ी की जगह सिगरेट ने ले ली है तो हुक्का और चिल्लम की जगह स्मैक, ड्रग्स ने और खैनी बन गया है! वहीं शराब ने जितना फैलाव कर लिया है, उसका तो कहना ही क्या! पहले शराब अमीर लोगों का शौक हुआ करती थी, तो अब शराब के कई सस्ते संस्करण व रूप आम लोगों की दिनचर्या का अहम हिस्सा बन गए हैं। ये जानते हुए भी कि तम्बाकू एक धीमा ज़हर है, जो सेवन करने वाले व्यक्ति को धीरे धीरे करके मौत के मुँह मे धकेलता रहता है, लोग जाने अनजाने मे तम्बाकू उत्पादों का सेवन करते रहते हैं। धीरे धीरे शौक लत में परिवर्तित हो जाता है और तब नशा आनंद प्राप्ति के लिए नहीं बल्कि ना चाहते हुए भी किया जाता है। एक शायर ने क्या खूब कहा है –

कौन कमबख्त पीता है मज़ा लेने के लिए,
हम तो पीते हैं क्योंकि पीनी पड़ती है!

तम्बाकू उत्पादों का सेवन अनेक रूप में किया जाता है, जैसे बीड़ी, सिगरेट, गुटखा, जर्दा, खैनी, हुक्का, चिलम आदि। सिगरेट, बीड़ी और हुक्के का हर कश एवं गुटखे, जर्दे, खैनी की हर चुटकी हर पल मौत की ओर ले जा रही होती है।

तम्बाकू उत्पादों के सेवन से नुकसान

तम्बाकू में मादकता या उत्तेजना देने वाला मुख्य घटक निकोटीन (Nicotine) है व यही तत्व सबसे ज्यादा घातक भी है।
इसके अलावा तम्बाकू मे अन्य बहुत से कैंसर उत्पन्न करने वाले तत्व पाये जाते है।

धुम्रपान एवँ तम्बाकू खाने से मुँह् ,गला, श्वासनली व फेफडोँ का कैंसर  होता है। दिल की बीमारियाँ, धमनी काठिन्यता,उच्च रक्तचाप, पेट के अल्सर, अम्लपित (Acidity), अनिद्रा आदि रोगों की सम्भावना तम्बाकू उत्पादों के सेवन से बढ़ जाती है।

तम्बाकू की लत के कारण

कभी दूसरों की देखा देखी, कभी बुरी संगत में पड़कर, कभी मित्रों के दबाब में, कई बार कम उम्र में खुद को बड़ा दिखाने की चाहत में, तो कभी धुएँ के छ्ल्ले उड़ाने की ललक में, कभी फिल्मों मे अपने प्रिय अभिनेता को धूम्रपान करते हुए देखकर, तो कभी पारिवारिक माहौल का असर- ये सब तम्बाकू उत्पादों की लत का कारण बनते हैं। अधिकतर लोग किशोरावस्था या युवावस्था में दोस्तों के साथ सिगरेट, गुट्खा, जर्दा, आदि का शौकिया रूप मेँ सेवन करते है शौक कब आदत और आदत कब लत मे बदल जाती है, पता ही नहीं चलता और जब तक पता चलता है तब तक शरीर को बहुत नुक्सान पहुँच चुका होता है।

धूम्रपान, जर्दा, खैनी आदि नशा छोडने के उपाय

1.नशा छोड़्ने का दृढ़ निश्चय करें।

2.यदि नशा एक बार में झटके से छोड़ना मुश्किल लगे तो धीरे धीरे मात्रा कम करते हुए छोड़ें।

3.सभी मित्रों,परिचितों को बता दें कि आपने नशा छोड़ दिया है ताकि वे आपको नशा करने के लिये बाध्य ना करें।

4.डायरी लिखें कि आप कब और कितनी मात्रा मे नशा करते हैं, क्या कारण है जो आप नशा करने के लिये प्रेरित होते हैं।

5.अपने पास सिगरेट, गुटखा, तम्बाकू, एवम् माचिस आदि रखना छोड दें।

6.खान पान एवं लाइफ स्टाइल में सुधार करें।

नशे छुडवाने की अनोखी मिसाल

हम सभी जानते हैं कि डेरा सच्चा सौदा एक ऐसी संस्था है जिसमें सबसे ज्यादा मानवता भलाई के कार्य चल रहे हैं उनमें से एक है नशा न करना और नशा छुडवाना , जिसमें डेरा अनुयायियों ने काफी हद तक सफलता प्राप्त की है। बाबा राम रहीम की दिशा निर्देश में यहां अब तक लाखों लोगों के नशे छुडवाऐ जा चुके हैं इसके लिए यहां 7 से 10 दिन तक कैंप भी लगवाया जाता है। यही नहीं बाबा राम रहीम के द्वारा बनाई गई MSG MOVIES में भी देश को नशा मुक्त बनाने के लिए जागरूक किया गया है।

31 मई को तम्बाकू निषेध दिवस / World No Tobacco Day मनाया जाता है आइये इस अवसर पर हम संकल्प लें कि खुद भी नशा नही करेंगे और अन्य लोगों को भी नशा ना करने के लिये प्रोत्साहित करेंगे।

मई माह में विश्व अस्थमा दिवस आता है। यूं तो कई दिवस आते हैं और हम उनके बारे में चर्चा करके भूल भी जाते हैं, पर अस्थमा दिवस याद रखना जरूरी है, क्योंकि सवाल सांसों का है। अगर इस दिन की गंभीरता को न समझा तो सांसें कभी भी थम सकती हैं। न चाहते हुए भी दुनिया भर में करोड़ों लोग ऐसे हैं, जो अपने हिस्से की सांस भी पूरी तरह नहीं ले पाते।

आखिर इसकी क्या वजह है, कैसे अस्थमा के रोगियों को कम किया जा सकता है? शहरों में धुएं और धूल के कारण अस्थमा के मरीजों की संख्या बढ़ रही है। यही नहीं, पेट्रोल पंप पर काम करने वाला हर दसवां कर्मचारी अस्थमा की चपेट में है। इसकी सबसे प्रमुख वजह है प्रदूषण के बीच कार्य करना। इस रोग को रोका जा सकता है, जरूरत है कुछ सावधानियों की।

अस्थमा अटैक से बचने के टिप्स

  • ज्या‍दा गर्म और नम वातावरण में मोल्ड स्पोर्स के फैलने की सम्भावना अधिक होती है, इसलिए ऐसे वातावरण से बचें। आंधी और तूफान के समय घर से बाहर ना निकलें ।
  • अस्थमा को नियंत्रित रखें और अपनी दवाएं हमेशा साथ रखें।
  • अगर आपका बच्चा अस्थमैटिक है, तो उसके दोस्तों व अध्यापक को बता दें कि अटैक की स्थिति में क्या करना है।
  • हो सके तो अपने पास स्कार्फ रखें जिससे आप हवा के साथ आने वाले पॉलेन से बच सकें।
  • घर के अंदर किसी भी प्रकार का धुंआ ना फैलने दें।
    अल्ग–अल्ग लोगों में दमा के दौरे के कारण भिन्न हो सकते हैं, इसलिए सबसे आवश्यक बात यह है कि आप अपनी स्थितियों को समझें।
  • अस्थमा के मरीज़ों के लिए बरसात से कहीं ज्यादा खतरनाक होती है, धूल भरी आंधी। इसलिए हर संभव प्रयत्न करें की आंधी के समय घर से बाहर न निकलें।
  • एक बार अपनी स्वास्‍थ्‍य स्थितियों को समझने के बाद आपके लिए अस्थमा से बचना आसान हो जायेगा। कुछ सावधानियां बरतकर आप अस्थमा की जटिलता से भी बच सकते हैं और वातावरण के अनुसार स्वास्थ्य को ढाल सकते हैं।

अस्थमा के मरीजों के लिए एक नई दिशा

हम आज कल अखवारों में पढ़ ही रहे हैं कि समाज में एक जानी मानी संस्था डेरा सच्चा सौदा मानवता भलाई के रोज नये कदम उठाती है और अस्थमा को भी रोकने के लिए इन्होंने नए कदम उठाए हैं, जो समाज को जागृत करने में भी सफल हुए हैं।

  • डेरा सच्चा सौदा के मुखिया बाबा राम रहीम की दिशा निर्देश में अस्थमा के मरीजों के लिए आश्रम में कैंप भी लगाए जाते हैं, जिसमें मुफ्त में इन मरीजों का चैकअप और ईलाज किया जाता है।
  • यही नहीं इसके लिए बाबा राम रहीम ने अपनी पहली फिल्म MSG THE MESSENGER में जो कलेक्शन हुई, वो सारा पैसा अस्थमा के मरीजों के लिए परमार्थ के रुप में दे दिया था और समाज में एक नई मिसाल कायम की।
  • बाबा राम रहीम द्वारा बताई गई प्राणायाम की विधि से अस्थमा व फेफड़ों के अन्य रोगों से कईं लोगों सफलतापूर्वक निजात पाई है।
  • डेरा सच्चा सौदा ने समाज को बिमारियों से बचाने के लिए कई महानगरों और शहरों में सफाई अभियान किये।
  • जेल में होने के बावजूद भी बाबा राम रहीम ने समाज को बिमारियों से बचाने के लिए प्रदूषण को रोकने की मुहिम भी चलाई।

इसी प्रकार हमें भी समाज में अस्थमा के मरीज़ों के लिए इस दिन सैमीनार भी लगाना चाहिए जिससे लोगों में जागरूकता उत्पन्न हो। उम्मीद है कि जल्द ही लोगों में जागरूकता उत्पन्न होगी व अस्थमा रोग को नियंत्रित व कम किया जा सकेगा।