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June 2021

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ट्विटर यूजर्स के लिए सबसे बड़ी चिंता,निरंतर कम क्यों हो रही फॉलोअर्स की संख्या?

ये देखा गया है ट्विटर पर अकसर आरोपों का सिलसिला लगा ही रहता है। लेकिन इस बार एक अलग ही तरह का आरोप देखने को मिल रहा है कि अचानक ट्विटर यूजर्स के फॉलोअर्स कम होना?

एक वर्ष पहले भी ट्विटर यूजर्स ने अपने फॉलोअर्स कम होने का आरोप लगाया था और *ट्विटर फॉलोअर्स घटाना बंद कर इस हैशटैग ने भारत ट्रेंड में 16वे नंबर पर ट्रेंड किया था। इस हैशटैग पर आठ हजार से अधिक ट्वीट हुए थे।

अचानक ट्विटर यूजर्स के कम हो रहे है फॉलोअर्स-

अब सबसे बड़ी बात ये निकल के सामने आ रही है कि बॉलीवुड अभिनेता अनुपम खेर का कहना है कि सोशल मीडिया साइट ट्विटर पर 36 घंटे के भीतर उनके 80 हज़ार फ्लॉवर्स कम हो गए है। अनुपम खेर के अलावा रिचा अनिरुद्ध और कई लोगों के द्वारा भी इस बात का खुलासा किया गया है।

यूजर्स के अचानक से ही फॉलोअर्स कम होने की शिकायत से इस बार ट्विटर ने अपनी सफाई दी और बताया है कि किस वजह से उसको परेशानी हुई तो आइए जानते हैं क्या है इसके पीछे बड़ी वजह ?

ट्विटर स्पैम प्रोफाइल को हटा रहा है-

संभवतः ट्विटर का कहना है कि इसके पीछे वजह स्पैम प्रोफाइल को ट्विटर से हटाना है। एक पोस्ट द्वारा ट्विटर का बताना है कि कंपनी सबसे अधिक मनमाने ढंग से अपनी वैरिफाई करने के लिए कहती है। जैसे कि फोन नंबर या पासवर्ड नंबर से। इस तरह कंपनी द्वारा बताया गया कि “हम ऐसे स्पैम को रोकने और सभी खातों को सुरक्षित रखने में मदद के लिए नियमित रूप से ऐसा कर रहे हैं। जिसका अनिवार्य रूप से मतलब है कि जो प्लेटफॉर्म होता है वो उन खातों की जांच करता है जो अस्थायी रूप से ईमेल आईडी के साथ बनाएं गए। ट्रोल खातों के रूप में काम व ऑफलाइन व्यवहार द्वारा प्रोजेक्ट किये जाते है, अगर ट्विटर का कोई भी अकाउंट फर्जी या निष्क्रिया पाया जाए तो उस ट्विटर अकाउंट को लाक कर दिया जाता है। ऐसे यूजर्स दूसरों के फाॅलोअर्स लिस्ट में दिखाई नहीं देते।

Twitter द्वारा via SMS service को बंद करना भी हो सकती है इसकी एक वजह-

जैसे कि हम जानते ही हैं कि पिछले वर्ष ट्विटर द्वारा अधिकांश देशों में एसएमएस सेवा के माध्यम से ट्विटर को बंद करने का फैसला किया था। एसएमएस सेवा के साथ-साथ कंपनी ने कमजोरियों के बाद यूजर्स के ट्विटर खाते को सुरक्षित रखने का निर्णय लिया था। ट्विटर ने दावा किया था कि इस सेवा को हटाने के कारण, कुछ यूजर्स को अपने ट्विटर पर कुछ फाॅलोअर्स की संख्या में गिरावट देखने को मिल सकती है। कंपनी ने बताया कि इन निष्क्रिय खातों को हटाने के बाद उपयोगकर्ताओं के ट्विटर प्रोफाइल अधिक सक्रिय व प्रामाणिक फाॅलोअर सुनिश्चित होंगे।

एक्टिव अकाउंट न होने पर उनको हटा देना भी बन रहा है, इसकी एक वजह-
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ट्विटर ने बताया है कि निष्क्रिय व लगातार रिपोर्ट किए जा रहे अकाउंट को प्लेटफार्म से हटा दिया जाता है। जिसका असर यूजर्स के फाॅलोअर्स के कम होने पर देखने को मिलता है। ट्विटर ने यह भी बताया है कि उनके प्लेट फार्म द्वारा झूठी बातों को फैलाने से रोकने के लिए नया साॅलयूशन लाया गया है। जो ये फीचर बर्डवाॅच के नाम से लाया है।

अब सबसे ज्यादा यह विषय चर्चा में है, ट्विटर पर निरंतर फॉलोअर्स का घटना। इस तरह यूजर्स के द्वारा ट्विटर के काम करने के तरीकों पर सवाल उठाए जा रहे हैं और शिकायतों का सिलसिला निरंतर जारी है। ट्विटर ने अपनी तरफ से सफाई भी दें दी है। क्या यूजर्स उनकी बात मानेंगे? अब देखना है कि इसके बारे में ट्विटर का अगला कदम क्या होगा।

हमारे शरीर के स्वास्थ्य और संतुलित कार्य प्रणाली के लिए बहुत से विटामिन आवश्यक हैं। विटामिन बी 12 भी शरीर के लिए अत्यंत आवश्यक है। विटामिन b12 को कोबालमीन भी कहा जाता है। यह इकलौता ऐसा विटामिन है। जिसमें कोबाल्ट धातु पाया जाता है। मेटाबॉलिज्म से लेकर डीएनए सिंथेसिस और रेड ब्लड सेल्स के गठन में विटामिन बी 12 की जरूरत पड़ती है। नर्वस सिस्टम की हेल्थ के लिए भी बी12 अत्यंत आवश्यक है।

विटामिन बी12 की कमी से दिखने वाले लक्षण-

बी 12 की कमी के कारण शरीर में कई तरह के लक्षण और विकार दिखने लगते हैं। बढ़ती उम्र या पोषण तत्व या पेट की सर्जरी की वजह से विटामिन b12 की कमी हो सकती है। इस कमी को पूरा करने के लिए विटामिन b12 सप्लीमेंट्स दिए जाते हैं। परंतु सबसे पहले विटामिन b12 की कमी के लक्षणों को पहचानना आवश्यक है।

एक्सपर्ट्स के अनुसार इसकी चार प्रकार के प्रमुख लक्षण होते हैं। इसमें स्किन हाइपरपिगमेंटेशन, विटिलिगो, एंगुलर चेलाइटिस और बालों में बदलाव शामिल है।

हाइपरपिगमेंटेशन-

यह एक ऐसा रोग है जिसमें त्वचा पर दाग धब्बे, पेट या शरीर की दूसरी त्वचा से रंग गहरा हो जाता है। यह डार्क पेज चेहरे के अलावा शरीर के किसी भी हिस्से पर दिखाई दे सकते हैं।

अमेरिकन ओस्टियोपेथिक कॉलेज ऑफ डर्मेटोलॉजी के अनुसार हाइपरपिगमेंटेशन तब होता है, जब त्वचा ज्यादा मात्रा में मेलेनिन नामक पिगमेंट का उत्पादन करने लगती है। यह पिगमेंट त्वचा के रंग से काला रंग प्राप्त होता है। बढ़ती उम्र के लोगों में यह ज्यादा धूप में रहने वालों में ज्यादा होता है। वैज्ञानिकों के अनुसार ऐसा इसलिए होता है क्योंकि सूर्य की यूवी किरणों से अपनी रक्षा करने के लिए त्वचा मेलेनिन का ज्यादा मात्रा में उत्पादन करने लगती है। इसी कारण से त्वचा पर पैच आ जाते हैं।

विटिलिगो-

यह एक आम तौर पर देखी जाने वाली बीमारी है। इसे सफेद दाग भी कहा जाता है। यह हाइपरपिगमेंटेशन के विपरीत है क्योंकि इसमें मेलेनिन की कमी हो जाती है। जिसके कारण सफेद पैच हो जाते हैं। शरीर पर सफेद दाग या पैच की स्थिति को विटिलिगो कहते हैं। यह उन अंगों पर होती है जो सूर्य के सीधे संपर्क में आते हैं। चेहरा, गर्दन और हाथ के हिस्से में यह आम तौर पर होती है।

एंगुलर चेलाइटिस-

यह एक ऐसा रोग है। जिसमें मुंह के कोनो पर लालिमा और सूजन आ जाती है। एक्सपर्ट्स के अनुसार लालिमा और सूजन के अलावा दरारों में दर्द होना ट्रस्टिंग पोजिंग और खून निकलने की समस्या भी होती है।

बालों का झड़ना-

विटामिन b12 की कमी से बालों की समस्या भी उत्पन्न होती है। बालों में विकास के लिए शरीर में पर्याप्त मात्रा में विटामिन b12 का होना आवश्यक है और विटामिन b12 की कमी से ही बाल झड़ने लगते हैं।
सिर्फ इतना ही नहीं विटामिन b12 की कमी के अन्य लक्षण है।
त्वचा का रंग हल्का पीला होना, जीव का रंग पीला या लाल होना, मुंह में छाले, त्वचा में सुई चुभना, चलने के तरीके में बदलाव,धुंधली दृष्टि, चिड़चिड़ापन, डिप्रेशन, सोचने व महसूस करने के तरीकों में बदलाव आना, मानसिक क्षमताओं में गिरावट जैसे स्मृति, समझ और निर्णय लेने में असमर्थ होना।

विटामिन b12 को हम कैसे पूरा कर सकते हैं-

विटामिन b12 दूध, दही, पनीर वह चीज के सेवन से पर्याप्त मात्रा में प्राप्त होता है। अगर आप भी इन समस्याओं से बचना और सुरक्षित रहना चाहते हैं, तो इन सब का सेवन अवश्य करें। इनमें से किसी भी प्रकार की समस्या होने पर जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करें।

लॉकडाउन के दौरान वर्क फ्रॉम होम के तनाव से खुद को बचाने के लिए लाए अपने रोजाना जिंदगी में कुछ बदलाव –

वैसे तो लोगों में काम को लेकर पहले भी तनाव और स्ट्रेस रहता था। लेकिन कोरोना काल में लॉकडाउन की वजह से यह तनाव बढ़ गया है। क्योंकि लॉकडाउन की वजह से लोगों को अपना काम वर्क फ्रॉम होम करना पड़ रहा है। जिस वजह से वह घर रहकर भी अपना समय परिवार या फैमिली मेंबर को नहीं दे पाते और ना ही घर रह कर सही तरीके से ऑफिस वर्क कर पाते हैं। इन्हीं कारणों की वजह से लोगों में तनाव की समस्या बढ़ती जा रही है। कई बार तो फैमिली इश्यूज तो सामान्य होते हैं, लेकिन वर्क फील्ड में बढ़ रहे कंपटीशन का माहौल दिमाग पर तनाव हावी करने के लिए काफी है। आपको आज कुछ ऐसे टिप्स बताना चाहते है, जिन्हें अपनाकर आप अपना तनाव बिल्कुल तो नहीं पर 70% तक कम कर सकते हैं। आइए जानते हैं उन टिप्स और तरीकों के बारे में।

टेंशन को खत्म करने के लिए अपनी समस्या को शेयर करें-

आज के इस भाग दौड़ भरी जिंदगी में समस्या का आना या होना आम बात है। लेकिन उस समस्या या परेशानी से भागने की बजाय उसका सामना करना चाहिए। अगर आपको वर्क फ्रॉम होम करने में कोई बाधा या समस्या आ रही है। तो उसके बारे में तनाव या टेंशन लेने की बजाय उस समस्या को अपने सीनियर के साथ शेयर करें। क्योंकि समस्या शेयर करने से आधी टेंशन अपने आप खत्म हो जाती है। अगर आपके सीनियर से कोई हल नहीं निकलता तो आप अपने मैनेजर से बात करके उस समस्या का हल निकाल सकते हैं, जिससे आपकी टेंशन दूर हो जाएगी।

जॉब वर्क करने के लिए कंफर्टेबल रूम का चयन-

लॉकडाउन के दौरान वर्क फ्रॉम होम करना हर व्यक्ति के लिए बहुत जरुरी हो गया है। जिस कारण घर में ही रहकर 6 से 8 घंटे काम करना पड़ रहा है। इसके लिए जरूरी है, ऐसे रूम का चयन करना जहां आप कंफर्टेबल होकर बिना किसी शोरगुल, बिना किसी बच्चों के, बिना किसी लड़ाई- झगड़े के शांत होकर अपना काम खत्म कर सकते हैं। हो सके तो आप अपने रूम का चयन किसी खिड़की वाले रूम में करें, जिससे आप स्ट्रेस महसूस करने पर खिड़की से हरियाली को देखकर अपने आप को अच्छा फील करवा सकते हैं।

अपने हर काम को करने के लिए टाइम टेबल बनाएं या समय निर्धारित करें-

वर्क स्ट्रेस को कम करने का सबसे अच्छा और आसान तरीका है, अपने काम को मैनेज करना कि किस काम को कितने समय में पूरा किया जा सकता है, किस काम को कितना समय लगेगा आदि। आप यह भी देखें कि कौन सा काम आपके लिए ज्यादा जरूरी है। उसे पहले खत्म करने का प्रयास करें। जो काम ज्यादा जरूरी नहीं है, उसके लिए टेंशन ना लें, बल्कि उसे वीकेंड के लिए छोड़ दें। इस तरह आप एक टाइम टेबल बनाकर अपना समय निर्धारित कर सकते हैं और अपने आप को वर्क की टेंशन से तनाव मुक्त रख सकते हैं। अपने वर्क को करने के लिए एक टारगेट सेट करें, उस टारगेट के समय में ही अपने वर्क को खत्म करने की कोशिश करें।

काम करने वाले स्थान पर सही रोशनी का होना-

वर्क फ्रॉम होम करने के लिए अच्छी रोशनी का होना बहुत जरूरी है। क्योंकि अगर आंखें सुरक्षित हो तो काम आसानी से हो सकता है। काम के साथ आंखों की सुरक्षा भी जरूरी है। लेकिन आजकल लोगों का अधिकतर समय घर पर रहकर काम करने की वजह से लैपटॉप या कंप्यूटर पर गुजरता है। जिस वजह से आंखों पर अधिक जोर पड़ता है। अगर काम करने वाले रूम में पर्याप्त रोशनी नहीं होगी तो आंखों पर ज्यादा जोर पड़ेगा। जिससे सिर दर्द और तनाव पैदा होगा। इसलिए कोशिश करें कि आप जहां काम करने बैठते हैं, वहां रोशनी पर्याप्त आती हो या सफेद लाइट, एलईडी बल्ब लगा हो।

आधुनिक समय में तकनीकी जानकारी के साथ अपने आपको ढालें लें यानी अपने नॉलेज को बढ़ाएं-

आज के आधुनिक युग में तकनीक का इस्तेमाल आपकी जिंदगी को ही नहीं, बल्कि आपके काम को भी आसान बना रहा है। इसके साथ ही काम जल्दी समाप्त होने पर आप कई तरह के तनाव से भी दूर रहते है। अपने काम से जुड़े एप्स के बारे में जानकारी प्राप्त करें। अगर आपको किसी चीज के बारे में जानकारी नहीं है, तो शर्म करने की बजाय उसके बारे में जानकार इंसान से सीख लें। क्योंकि अगर आप किसी से जानकारी हासिल नहीं करोगे तो आप जानोगे कैसे? क्योंकि हर इंसान भगवान से सीख कर नहीं आता। तकनीक की जानकारी हासिल करके अपने तनाव को कम करें।

जितना हो सके सोशल मीडिया से दूर रहें-

अगर आप वर्क फ्रॉम होम करते हैं, जिसका संबंध किसी सोशल मीडिया से नहीं है। तो कोशिश करें सोशल मीडिया का इस्तेमाल ना करें। आप इस बात का पूरा ध्यान रखें कि काम के दौरान व्हाट्सएप, फेसबुक, इंस्टाग्राम और ट्विटर जैसे सोशल नेटवर्क का प्रयोग ना करें। क्योंकि ऐसा करने से एक तो हमारा समय गैर-जरूरी काम में व्यर्थ नहीं होगा और उस समय को किसी जरूरी काम में लगा कर अपना समय बचा सकेंगे और अपने आप को तनावमुक्त रख सकेंगे।

मेडिटेशन और योगा करें-

मेडिटेशन और योगा स्ट्रेस को कम करने का एक बढ़िया और आसान तरीका है। मेडिटेशन को आप अपने रोजमर्रा की जिंदगी में अपना कर जिंदगी को खुशहाल और तनाव मुक्त बना सकते हैं। अगर आप अधिक देर तक काम करके थक गए हैं और अपने दिमाग को शांत करना चाहते हैं, तो रोजाना सुबह-शाम आधा घंटा मेडिटेशन और योगा करें। जिससे आप कुछ ही देर में खुद को रिलैक्स फील करवा सकते हैं। आप अपने स्ट्रेस को कम करने के लिए बैठकर, वॉकिंग करके या ध्यान लगाकर आदि कई तरीके के मेडिटेशन या योगा को अपना सकते हैं।

तनाव मुक्त करने के लिए जल्दी सोए और पूरी नींद लें-

आज के इस भाग दौड़ भरी जिंदगी में कई लोग अपने आपको कंपटीशन में आगे करने के चक्कर में रात-दिन वर्क करने में लगे रहते हैं। जिस वजह से नींद ना पूरी होने पर तनाव जैसी समस्या पैदा हो जाती है। कई बार लोग अधिक थक जाने पर भी देर रात तक जाकर काम करते रहते हैं। कई बार तो लोग जल्दी फ्री होने पर भी अपना अधिक समय सोशल मीडिया पर समय गुजारते हैं, जो कि गलत है। क्योंकि मेंटल स्ट्रेस को कम करने के लिए जल्दी सोना और पूरी नींद लेना बहुत जरूरी है। अगर आपका शरीर पूरी नींद लेता है, तो शरीर थकावट महसूस नहीं करता और खुद को तरोताजा और तनाव रहित महसूस करता है।

निष्कर्ष :-

अंत में यही कहना चाहते कि इस लॉकडाउन में अपना और अपने परिवार का पालन-पोषण करने के लिए काम करना जरूरी है। फिर काम चाहे घर रह कर यानी वर्क फ्रॉम होम किया जाए। अगर आप अपना वर्क फ्रॉम होम उपरोक्त नियमों का पालन करते हुए करते हैं, तो आप खुद को कभी भी तनावपूर्ण महसूस नहीं करेंगे। बल्कि तनावमुक्त होकर अपना समय गुजारेंगे। इससे आप अपना समय बचाकर अपने परिवार वालों के साथ समय गुजार कर उन्हें भी खुश रख सकते हैं। अगर फिर भी आपकी तनाव की समस्या ज्यादा बढ़ती है तो सरकार द्वारा निर्धारित किए गए टोल फ्री नंबर 0804611007 पर कॉल करके विशेषज्ञ चिकित्सक से घर बैठकर जानकारी प्राप्त कर सकते हैं और अपने आप को तनाव से राहत दिला सकते हैं।

आलू मटर की टेस्टी कचौरी

अगर आपका कुछ चटपटा व स्वादिष्ट खाने का मन है, तो आलू मटर की कचौड़ी बना कर देखिए। इसे बनाने में ज्यादा समय नहीं लगता और घर पर उपलब्ध चीजों से यह आसानी से बनाई जा सकती है। इनका जायका भी सब को बेहद पसंद आएगा। यह जाने आलू मटर की चटपटी कचौरिया बनाने का तरीका-

सामग्री

गेहूं का आटा -400 ग्राम।
हरी मटर के दाने -आधा कप पिसे हुए।
एक आलू मध्यम आकार का।
हरा धनिया -एक चम्मच कटा हुआ।
नमक- स्वाद अनुसार।
हरी मिर्च -चार बारीक कटी हुई।
जीरा -चौथाई छोटी चम्मच।
हींग- एक चुटकी।
तेल कचोरिया तलने के लिए

आलू मटर कचौरी बनाने की विधि-

मटर की कचौरी बनाने के लिए सबसे पहले आटे में नमक और थोड़ा सा गर्म तेल डालकर अच्छी तरह मिला लें। फिर इस आटे को अच्छी तरह गूंथ लें। इसके बाद आटे को कुछ देर के लिए सेट होने के लिए रख दीजिए। इसके बाद कढ़ाई में तेल डालकर गर्म करके इसमें हींग और जीरा डालें। इसे ब्राउन होने के बाद इसमें हरी मिर्च, मसला हुआ आलू डालकर इसको थोड़ा सा भून लीजिए।

इसके बाद इसमें पिसी हुई मटर डाल दें, साथ ही इसमें नमक और हरे धनिया भी डाल दें। इसके बाद इसे अच्छी तरह चलाएं और कुछ देर भूने। इसके बाद इसको अलग बर्तन में निकाल ले और कचौरिया तलने के लिए कढ़ाई में तेल डालकर गर्म करने रख दे।

इसके बाद तैयार आटे की लोईया बनाकर इसमें आलू मटर का तैयार मिश्रण भरें। फिर उंगलियों से दबाकर कचौरियों को बंद कर दे। अब इसे हथेली से दबाकर छोटा थोड़ा चपटा कर लें और हल्के हाथ से सभी कचौरियां बेल ले। अब आप कचौरियों को गर्म तेल में डालकर इन्हें धीमी आंच पर ब्राउन होने तक तल लें। तैयार हुई कचौरियों को प्लेट में नैपकिन पेपर पर निकाल ले। आप की चटपटी स्वादिष्ट कचौरियां तैयार है। इन्हें आप सब्जी या चटनी के साथ परोस सकते हैं। चाय के साथ भी इनका जायका लाजवाब लगेगा।

रक्तदान करके किसी की जिंदगी बचाने का जरिया बनें-

अक्सर कहा जाता है कि एक माँ की उम्र उसके बच्चे को नहीं बचा सकती, परन्तु आपके द्वारा किया गया रक्तदान किसी का जीवन जरूर बचा सकता है।

रक्तदान वहीं होता है, जो इंसान अपनी स्वेच्छा से करे। रक्त एक ऐसी चीज है, जिसे बनाया नहीं जा सकता। इसकी आपूर्ति किसी साधन से नहीं हो सकती, यह सिर्फ इंसानी शरीर में ही बनता है।

रक्तदान करने की बात सुनते ही लोग अजीब सा व्यवहार करने लगते है। कई लोगों के मन में यह धारणा है कि कि खून दान करने से हमारे शरीर में कमजोरी आ जाएगी, लेकिन यह सत्य नहीं है।एक यूनिट में मात्र तीन सो पचास एम एल रक्त ही निकाल सकते हैं। खून दान करने से कोई नुकसान नहीं होता बल्कि कई प्रकार के फायदे हैं।

विश्व रक्तदान दिवस क्यों मनाया जाता है-

 हमारे देश में बहुत से लोग ऐसे हैं, जो खून की कमी के कारण अपनी जिंदगी गवा देते हैं। उन्हें बचाने और लोगों को रक्तदान करने के प्रति जागरूक करने के लिए हर साल 14 जून को “विश्व रक्तदान दिवस” मनाया जाता है। रक्तदान दिवस पहली बार 2004 में विश्व स्वास्थ्य संगठन और अंतरराष्ट्रीय संघ ने मनाया था।

विश्व रक्तदान दिवस की शुरुआत-

14 जून को विश्व भर में “ रक्त दान दिवस ” मनाया जाता है। वर्ष 1997 को WHO ने स्वैच्छिक रक्तदान की नींव रखी थी, जिसका मुख्य उदेश्य यह था कि जब कभी भी किसी जरूरत मंद को खून की आवश्यकता हो तो उसे बिना पैसे दिये खून मिल सके । साल 2004 में पहली बार रक्त दान दिवस मनाया गया।
इसे 14 जून को इसलिए मनाया जाता है, क्योकि 14 जून को ही  कार्ल लैंडसटीनर का जन्मदिन होता है और कार्ल  को      ( Blood transfusions) का संस्थापक कहा जाता है।

रक्त क्या है-

हमारे शरीर में एक लाल रंग का तरल पदार्थ पाया जाता है, उसे ही रक्त कहते हैं। हमारे शरीर में रक्त की मात्रा लगभग पांच से छह लीटर तक होती है। हमारे शरीर में रक्त का कार्य शरीर मे बने विषैले पदार्थ जैसे कार्बन डाइऑक्साइड को शरीर से बाहर निकालना होता है तथा शरीर में हारमोन व अन्य पदार्थों को लेकर जाने का काम भी रक्त ही करता है।

रक्तदान क्यों जरूरी है-

आज के समय में थैलेसीमिया जैसी बीमारी के कारण बहुत से लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इस बीमारी से छोटे-छोटे बच्चे भी जूझ रहे हैं। ऐसे बच्चों की मदद के लिए रक्त दान की बहुत आवश्यकता है‌।
रक्त दान को सबसे बड़ा दान कहा गया है। हम किसी भी जरूरत मंद के लिए खून दान करके उसकी जिंदगी बचाकर उस परिवार के जीवन में खुशियाँ भर सकते हैं। जरा सोचिए कोई व्यक्तिगत अपनी जिंदगी और मौत से लड़ रहा है और आप अचानक एक उम्मीद की किरण बनकर उसकी जिंदगी बचा लेते है, तो आपको भी कितनी खुशी होगी। तो रक्त दान से जुड़ी हुई सब भ्रांतियो को दूर करते हुए किसी की जिंदगी बचाने का जरिया बनाना चाहिए ।

रक्तदान करने के अद्भुत फायदे-

रक्तदान करने के हमारे शरीर को कईं तरह के फायदे होते हैं। एक तो हम किसी के अनमोल जीवन को बचा सकते है।

  • एक यूनिट खूनदान करने से तीन जिंदगियां बचाई जा सकती है
  • खून दान करने से हार्ट अटैक जैसी बीमारी को भी कम किया जा सकता है। क्योंकि जब हम खून दान करते हैं, तो हमारे शरीर में खून का थक्का नहीं जमता। इससे खून पतला रहता है और हार्ट अटैक की संभावना कम हो जाती है।
  • रक्त दान करने से वजन कम करने में भी मदद मिलती है। एक बार खून दान करने से लगभग पांच सौ कैलोरी बर्न करने में मदद मिलती है। साल में कम से कम तीन बार तो खून दान अवश्य करना चाहिए।
  • रक्तदान करने से नए ब्लड सेल्स बनते हैं, जिससे शरीर में एनर्जी बनती है और शरीर तंदुरुस्त रहता है।
  • रक्त दान करने से लीवर से संबंधित समस्याओं में भी राहत मिलती है। शरीर में अगर आयरन की मात्रा ज्यादा होती हैं, तो वह लीवर पर दवाब डालती हैं। परन्तु यदि हम रक्त दान करते हैं, तो आयरन की मात्रा बराबर रहती है।
  • रक्त दान करने से कैंसर जैसी बीमारी का भी खतरा कम हो जाता है। खून दान करने से हमारे शरीर में कैलोरी की मात्रा भी कम होती हैं।
  • रक्त दान करने के कारण पुराना रक्त जब शरीर से बाहर निकल जाता है, तो उसी वक्त नया खून बनना शुरू हो जाता है। शरीर में जो सेल्स गतिहीन होते हैं, वो फिर से कार्यशील हो जाते हैं। जिससे हमारे ब्लड में यदि किसी भी प्रकार की बीमारी के कोई लक्षण दिखाई देते हैं, तो ये नए सेल्स उन्हे पहले ही नष्ट कर सकते हैं।

रक्त दान कौन नहीं कर सकते हैं-

जिन लोगों को एड्स, मलेरिया, शुगर, किडनी से संबंधित रोग, हैपेटाइटिस, उच्च और निम्न रक्त चाप, टीबी, अस्थमा, पीलिया, एलर्जी डिपथीरिया आदि में से कोई भी बीमारी हो, तो उन्हें खून दान नहीं करना चाहिए। महामारी के दौरान महिलाओं को रक्त दान नहीं करना चाहिए।
साथ ही गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाएं भी खून दान ना करे।

  • 18 से कम आयु और 60 से ज्यादा आयु वाले लोगों को रक्त दान नहीं करना चाहिए।
  • खून दान करने से पहले फास्ट फूड और अधिक वसा युक्त भोजन नहीं करना चाहिए। धूम्रपान और शराब या अन्य किसी भी प्रकार का नशा नहीं करना चाहिए।

रक्तदान करने के बाद क्या खाना चाहिए

रक्तदान करने के बाद हमें हरी सब्जियां, दूध फल, आयरन, विटामिन व पौष्टिक आहार वाले भोजन का सेवन करना चाहिए।

  • पर्याप्त मात्रा में पानी पीना चाहिए।
  • रक्त दान के बाद केवल तरल पदार्थ ही ना लें, ऐसा करने से कमज़ोरी महसूस होगी। इसलिए हेलथी डाईट अवश्य लें।

निष्कर्ष

आज  लोगों में रक्त दान को लेकर काफी उत्साह देखने को मिल रहा है। युवा वर्ग बहुत जागरूक हो रहा है। जो मिथ्या भ्रांतियाँ थी, वो कम हो रही है। तो क्यों न खुद की एक पहचान बनाये रक्त दान करें और करवाए।   

बाल मजदूरी एक व्यापार है बचपन में खेलना बच्चों का अधिकार है-

बाल श्रम का अर्थ- जब मजबूरी में बाल्यावस्था से वंचित होकर किसी बच्चे को कोई काम करना पड़े उन्हें बाल श्रम कहते हैं। बच्चों को परिवार से दूर रखकर उन्हें गुलामों की तरह पेश किया जाता है। किसी भी बच्चे को पैसे व अन्य लालच देकर बाल्यकाल में मजबूरी में करवाया गया काम बाल श्रम कहलाता है।

साधारण शब्दों में बाल श्रम का अर्थ-

जो बच्चे 14 वर्ष से कम आयु के होते हो उनके बचपन, खेल, शिक्षा के अधिकार को छीनकर उन्हें काम में लगा कर कम पैसे देकर उनका शारीरिक, मानसिक और सामाजिक शोषण करना है।

बाल श्रम गैर-कानूनी है-

बाल श्रम अपराध की श्रेणी में आता है। बाल श्रम को पूर्ण रूप से गैर-कानूनी घोषित किया गया है। भारत के संविधान में 1950 के 24वें अनुच्छेद के अनुसार जो भी बच्चे 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों से मज़दूरी, ढाबे, होटलों, कारखानों व घरेलू नौकर के रूप में काम करवाना ही बाल श्रम कहलाता है। यदि कोई व्यक्ति छोटी आयु के बच्चों से काम करवाता पकड़ा गया तो उसे उचित दंड दिया जाएगा।

भारत के लगभग 35 मिलियन बच्चें बाल श्रम का शिकार-

एक सर्वे के अनुसार भारत में लगभग 35 मिलियन से ज्यादा बच्चे ऐसे हैं, जो बाल मजदूरी करने में विवश हैं। सबसे ज्यादा बाल मजदूरी बिहार, राजस्थान, उत्तर प्रदेश इत्यादि देशों में होती है।

वर्ल्ड डे अगेंस्ट चाइल्ड लेबर 2021 थीम-

Protect children from child labour, now more than ever. Covid -19 के कारण गरीबी रेखा और ज्यादा बढ़ गई है। जिसने गरीब लोगों की आजीविका पर बहुत प्रभाव डाला है। बदकिस्मती से बच्चे अक्सर सबसे पहले पीड़ित होते हैं और उन्हें अपने बड़ों के साथ मिलकर श्रम करना पड़ता है।

वर्ल्ड डे अगेंस्ट चाइल्ड लेबर का इतिहास-

अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन संयुक्त राष्ट्र संघ की शाखा है। यह संघ मजदूरों तथा श्रमिकों के हक के लिए नियम बनाती है, जिसे सख्ती से पालन किया जाता है। इसके लिए अंतरराष्ट्रीय श्रम संघ कई बार उस पुरस्कृत भी हो चुकी है। आईएलओ ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बाल श्रम को रोकने के लिए पूरा जोर दिया था, जिसके बाद 2002 में सर्वसम्मति से कानून पास किया गया। जिसके तहत 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से श्रम कराने को अपराध माना जाएगा, इसी साल पहली बार बाल श्रम निषेध दिवस 12 जून को किया गया।

बाल श्रम दिवस की शुरुआत-

इस दिन की शुरुआत 2002 में अंतरराष्ट्रीय श्रम संघ द्वारा की गई। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन संयुक्त राष्ट्र की एक शाखा है।जिसके मुताबिक 14 वर्ष से कम बच्चों से काम करवाना एक कानूनी अपराध है। इस सांग द्वारा मजदूरों तथा श्रमिकों के लिए नियम बनाए जाते हैं। उन नियमों का पालन करना सभी के लिए आवश्यक है। ILO के सदस्य 187 देश है।

इस दिवस को मनाने का महत्व-

इस दिन को मनाने का महत्व बाल श्रम की समस्या के खिलाफ सख्त कदम उठाना और इस पर अंकुश लगाना है। यह दिन मुख्य रूप से बच्चों के विकास पर केंद्रित है। यह बच्चों के लिए शिक्षा और पूर्ण जीवन के अधिकार की रक्षा करता है। इसलिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रचारित 2030 तक सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करना महत्वपूर्ण है। बाल श्रम पर रोक लगाने के लिए कई संगठन सफल प्रयास कर रहे हैं।

गरीबी बाल श्रम का मुख्य कारण-

गरीबी बाल श्रम का एक मुख्य कारण है, इसके कारण बच्चे अपना स्कूल छोड़ने के लिए मजबूर होते हैं और अपनी आजीविका के लिए अपने माता-पिता का समर्थन करने के लिए होटलों पर दुकानों पर इत्यादि जगह पर काम करते हैं। इसके अलावा कुछ संगठित अपराध रैकेट द्वारा बाल श्रम करने पर मजबूर किया जाता है। जैसे- नशे बनाने इत्यादि।

कैसे बाल श्रम को रोका जा सकता है-

  • छोटे-छोटे बच्चों से कई तरह के काम करवाए जाते हैं। शिक्षा हर बच्चे का अधिकार है। कई बच्चे देश दुनिया में ऐसे जिनका बचपन बाल श्रम ने छीन लिया है। बच्चों को शिक्षा से जो जोड़ कर बाल श्रम को रोका जा सकता है।
  • राष्ट्रीय श्रम संगठन के आंकड़ों के अनुसार दुनियाभर में लड़कियां और लड़के ऐसे कामों में शामिल है। जो उन्हें शिक्षा स्वास्थ्य अवकाश और बुनियादी स्वतंत्रता प्राप्त करने से वंचित करते हैं उनके अधिकारों का उल्लंघन करते हैं।
  • बाल श्रम को केवल एक श्रम विभाग के द्वारा ही नहीं रोका जा सकता नहीं, बल्कि पूरे समाज का दायित्व बनता है कि जनजागरण व जागरूकता के जरिए इसे रोका जाए। 12 जून को बाल श्रम समस्या के खिलाफ विश्व दिवस के रुप में चिन्हित किया गया है और बाल श्रम की समस्या पर ध्यान दिया गया है। हर साल लाखों बच्चों को काम करने के लिए मजबूर किया जाता है, बाल श्रम पर रोक लगाने के लिए संगठन आई एल ओ इत्यादि प्रयास कर रहे हैं।
  • हमें खुद जागृत होना चाहिए, बाल श्रम को खत्म करने में मदद करने के लिए कर्तव्यों का पालन करना चाहिए। स्त्री और वेश्यावृति जैसी अवैध गतिविधियों के लिए बच्चों को मजबूर किया जाता है, इस वजह से बच्चों को बाहर श्रम की समस्या के बारे में जागरूक करने और उनकी मदद करने के लिए इस दिवस को मनाया जाता है। बच्चे देश का भविष्य है बाल श्रम के बारे में बच्चों को जागृत करके हम उनका भविष्य जागृत कर सकते हैं।

निष्कर्ष-

हमें भी जिम्मेदार होना चाहिए कि कोई बच्चा बालश्रम में ना फसा हो। हमें बाल श्रम को खत्म करने में मदद के लिए अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए। यह सही ढंग से कहा जाता है कि बाल श्रम से निकलने वाले बच्चों को उसकी क्षमता और आत्म मूल्य पता चलता है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि ऐसे बच्चे देश और दुनिया के आर्थिक और सामाजिक विकास में योगदान देंगे बच्चे देश का गौरव है।

इम्यूनिटी:- इम्यूनिटी यानी हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता जो कि हमें कई प्रकार की बीमारियों से बचा सकता हैं। हमारा इम्यून सिस्टम मजबूत हैं, तो हमारा शरीर कई प्रकार की बीमारियों से लड़ सकता हैं।

इम्यूनिट सिस्टम हमारे शरीर में कैसे काम करता हैं, इसको हम एक उदाहरण से समझ सकते हैं जैसे हमारा लेपटॉप या कम्प्यूटर होता हैं, उसमें जो हम एंटीवायरस डालते हैं वो क्यों डालते हैं वो इसलिए डालते हैं, क्योंकि वो पेनड्राइव के द्वारा या किसी इंटरनेट के जरिए वायरस आते हैं, उससे वो एंटी वायरस उसकी सुरक्षा करता हैं। इसलिए वो एंटीवायरस को इंस्टॉल करते हैं। ठीक उसी तरह हमारे शरीर के अंदर भी एक इम्यून सिस्टम होता हैं, जो रोगों से लड़ने में हमारी मदद करता हैं।

इम्यूनिटी बढ़ाने के उपाय:-

  1. मेडिटेशन के साथ प्राणायाम:- मेडिटेशन के साथ प्राणायाम का अभ्यास करे। सुबह-शाम कम से कम 15-20 ऐसा करने से आपका आत्मबल बढ़ेगा, जिससे आपका मानसिक स्वास्थ स्वस्थ बना रहेगा।
  1. रोजाना सुबह नीम गिलोय की भाप ले और बीमारियों से बचे:- नीम व गिलोय की टहनी पत्तों समेत 100-100 ग्राम कूटकर 2 लीटर पानी डालकर उसकी भाप ले। 25 लंबे समय लेते-छोड़ते जाइए‌। यह भांप 2 मिनट तक ले रोजाना सुबह के समय ऐसा करेे|
  2. पिस्ता ले– अपनी प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए पिस्ता ले। क्योंकि इनमें फाइबर, खनिज ओर अनसेचुरेटेड फैट होते हैं और इनसे कई लाभ होते हैं। जैसे:- ह्रदय रोग का खतरा कम, ब्लड शुगर नियंत्रण, ब्लड प्रेशर नियंत्रण, कोलेस्ट्रॉल नियंत्रण आदि।
  3. विटामिन सी ले:- विटामिन सी से भरपूर फल जैसे कि किन्नू , मौसमी, संतरा, नींबू और आंवला आदि खाए व इम्यूनिटी बढ़ाए।
  4. घरेलू प्रोटीन स्रोतों को शामिल करे:- छाछ, दाल, पनीर, पिस्ता, काले चने, दालें आदि लेने आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी।
  5. हफ्ते में एक या दो बार यह काढ़ा पीए और स्वस्थ रहे:

काढ़ा बनाने की विधि:-

4 पत्ते नीम, 2 इलायची, 4 पत्ते तुलसी, 1-1 चुटकी हल्दी, मुलेठी, 10 ग्राम गिलोय ( पत्ते व टहनी ) , अजवाइन व सोंठ, 2 लोंग, 5 ग्राम जीरा।


इस सामग्री को 300 ग्राम पानी में डालकर 150 ग्राम होने तक उबाले। स्वादानुसार 20 ग्राम शहद या गुड़ मिला सकते हैं। फिर इसे चाय की तरह धीरे-धीरे पिए।


इस काढ़े को आप ऑनलाइन भी मंगवा सकते हैं। इम्यूनिटी बढ़ाने में यह काढ़ा रामबाण का काम करता हैं।

दोस्तों यह थे, इम्यूनिटी बढ़ाने के कुछ सरल व घरेलू नुस्खे। जिसके द्वारा हम आसानी से अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा सकते है। ऐसा करके हम भयानक से भयानक बिमारियों से बच सकते है|

स्मार्टफोन इस्तेमाल करने वालों को अब नहीं करना पड़ेगा ज्यादा काम करने पर, कम बैटरी होने की समस्या का सामना –

हाल ही में स्मार्टफोन खरीदने वालों के लिए खास ऑफर आया है। क्योंकि अब 10,000 रु. से कम कीमत में मिलने वाले शानदार स्मार्टफोन में मिलेगी 6000 mAh की दमदार बैटरी के साथ-साथ कई नए व खास फीचर्स भी दिए जा रहे हैं।

आखिर क्यों बढ़ रही है निरंतर स्मार्टफोन की मांगे –

आज प्रत्येक व्यक्ति स्मार्टफोन का इस्तेमाल इतना कर रहा है। फोन हमारे शरीर का एक हिस्सा बन गया है, यदि हमारे पास कुछ घंटों के लिए स्मार्टफोन न हो तो हम अपने आपको लाचार महसूस करते है।

कोरोना महामारी के चलते प्रत्येक व्यक्ति अपने घर में ही रहकर प्रत्येक कार्य अपने स्मार्टफोन से ही कर रहा है जैसे कि

  • बच्चों की पढ़ाई के लिए।
  • ऑफिस के काम व मीटिंग के लिए।
  • लाॅकडाउन के चलते घरों में अपना खाली समय स्मार्टफोन में बताने के लिए।
  • घर की शाॅपिंग के लिए व अन्य प्रत्येक क्षेत्र में स्मार्टफोन का इस्तेमाल इतना बढ़ गया है। अब तो प्रत्येक कार्य इसके माध्यम से ही किए जा रहे हैं। ऐसे में लंबे समय तक बैटरी का साथ देना आवश्यक है इसलिए यदि आप बाजार से अधिक बैटरी क्षमता वाले स्मार्टफोन को खरीदना चाहते हैं, तो बाजार में बहुत से स्मार्टफोन के विकल्प है। परन्तु कुछ फोन 10000 रु.से भी कम कीमत पर ज्यादा बैटरी की पावर देने वाले 6000mAh के बारे में बताते हैं।

Realme C15-
रू..8,999 रु.

यदि आप कम कीमत में दमदार बैटरी वाले स्मार्टफोन को खरीदना चाहते हैं, तो Realme C15 को खरीदे जैसे कि

  • इसमें 6000Mah की दमदार बैटरी दी गई है।
  • Media Tech Helio G35 प्रोसेसर में काम करने वाला।
  • क्वाड रियर कैमरा दिया गया है।
  • फोन में सेंसर 13MP तक का है।
  • फ्रंट कैमरा 8MP है
  • प्राइवेसी के लिए इसमें रियर माउंटेड फिंगरप्रिंट सेंसर दिया गया है।
  • 6.5 इंच की फोन में एचडी + डिस्प्ले दिया गया है।

Infinix Hot 10S-
कीमत- 9,499 रु.

भारतीय बाजार में इस स्मार्टफोन को लाॅन्च किया गया है‌, जो दमदार 6000mAh की बैटरी के साथ आया है।

  • यह Media Tek Helio G85 से लैस है।
  • 6.82 इंच की डिस्पले दी गई है।
  • 48MP का ट्रिपल रियर कैमरा।
  • फ्रंट कैमरा 8MP
  • एंड्राइड 11 ओएस पर आधारित है।

Samsung Galaxy F 12 –

  • कीमत..9,999 रु.
  • ये एंड्रॉइट 11ओएस पर काम करता है।
  • Samsung Galaxy F12 को 8nm चिपसेट पर पेश किया गया है।
  • 6.55 इंच का डिसप्ले दिया गया है।
  • 48MP का क्वाड रियर कैमरा भी है।
  • 6000mAh की दमदार बैटरी भी उपलब्ध है।

Moto G10 Power –

  • कीमत 9,999
  • इसमें 6.51 इंच की HD + डिस्प्ले दी गई है।
  • ये ऑक्टा-कोर Snapdragon 460 प्रोसेसर पर काम करता है।
  • क्वाड रियर कैमरा सेटअप।
  • 48MP प्राइमरी कैमरा।
  • 8MP वाइड एंगल लेंस व 2MP मैक्रो लेंस।

जरुर पढ़ें-

  • भारत में 20 मई को लॉन्च होने वाला 6000mAh बैटरी के साथ Infinix Hot 10S स्मार्टफोन ।
  • जोकि Redmi और Realme को देने वाला है कड़ी टक्कर।

इसके इलावा अन्य भी स्मार्टफोन की सुविधाएं दी जा रही है जैसे कि

Moto G60 और G40 Fusion भी हो चुके हैं लांच। जिसकी बैटरी 6000mAh की दमादम के साथ साथ 108 MP कैमरा भी दिया गया है।

  • Redmi Note 10
  • Realme Narzo 30A
  • Realme C25

यदि आप भी बाजार से नया स्मार्टफोन खरीदना चाहते हैं, तो इन स्मार्टफोन से कोई भी विकल्प बहुत कम दामों में खरीद सकते हैं। जिनकी बैटरी की पावर भी 6000 mAh है, जोकि लंबे समय तक चल सकती है।

हरियाणा सरकार ने स्कूलों की छुट्टियां 15 जून तक बढ़ाने का लिया अहम फैसला-

आपकी जानकारी के लिए बता दें, हरियाणा में निरंतर बढ़ रहे हैं कोरोना के केस। परन्तु फिर भी सरकार ने वैक्सीनेशन और कोरोना लाॅकडाउन में ढील देने के साथ-साथ लाॅकडाउन में ऑड-ईवश की तर्ज पर सभी दुकानें खोलने की छूट दे दी है। लेकिन जब बात बच्चों के भविष्य की आई, तो सरकार द्वारा स्कूलों की छुट्टियां 15 जून तक बढ़ा दी गई है। जबकि पहले 9वीं-12वीं तक की कक्षाएं जून में खोले जाने की योजनाएं तैयार की गई थी।

राज्य के सभी स्कूलों में गर्मी की छुट्टियां पहले से 31 मई तक घोषित कर दी गई थी।
1 जून 2021 से स्कूल खुलने वाले थे, परंतु प्रदेश के शिक्षामंत्री कंवरपाल गुर्जर ने कहा है कि कोरोना के मामले दिन-प्रतिदिन बढ़ने के कारण सरकार स्कूलों को खोलने का रिस्क नहीं उठा सकती। हाल ही में शिक्षामंत्री ने बताया कि कोरोना केसों में कुछ हद तक कमी आई हैं, परंतु फिर भी जब तक कोरोना पूरी तरह से नियंत्रित नहीं होता, तब तक स्कूलों में पढ़ाई की व्यवस्था को नए तरीके से कराने की तैयारी की जा रही हैं। शिक्षा निर्देशालय ने जिला शिक्षा अधिकारियों को पत्र लिखकर भेजा हैं। जिसमे विद्यार्थियों, स्कूलों में बैंच, कमरों की संख्या तथा स्कूलों के अनुसार डाटा भेजने के आदेश दिए हैं।

कोरोना महामारी के कारण गत वर्ष मार्च महीने से देशभर के स्कूलों को बंद कर दिया गया था।
विद्यार्थी ऑनलाइन कक्षाओं के माध्यम से अपनी पढ़ाई कर रहे हैं, परन्तु अब फिर से स्कूल खोलने की चर्चा हो रही हैं।

सरकार के निर्देशों के अनुसार दो गज की दूरी, एक बैंच पर एक ही छात्र को बैठाना तथा साथ ही मास्क ओर सेनेटाइजर का‌ उपयोग करना अनिवार्य हैं।

बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा के लिए 8 लाख टैबलेट्स बांटने का फैसला हरियाणा सरकार के द्वारा किया गया है। बहुत जल्दी ही टैबलेट्स पहुंचाए जाएंगे, ताकि बच्चों की पढ़ाई खराब ना हो। हरियाणा के शिक्षा मंत्री ने कहा है कि इस बात पर पूरा ध्यान दिया जाएगा कि इस मुश्किल समय में खास ध्यान रखा जाएगा।

आखिर क्यों बढ़ रहे हैं भारत में ब्लैक फंगस के मामले

ब्लैक फंगस के सबसे अधिक मामले भारत में कोरोना की दूसरी लहर में देखने को मिल रहे हैं। जिन्होंने बड़ी संख्या में तबाही मचा रखी है। ऑक्सीजन और हस्पताल में बेड्स की कमी से बहुत से मरीजों को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

जैसे कि आप जानते है, कोरोना महामारी की समस्या तो सारी दुनिया में फैल रही है, लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि आखिर ब्लैक फंगस की समस्या केवल भारत में ही दिनों- दिन क्यों बढ़ती जा रही है।

भारत में इसका सबसे बड़ा कारण लापरवाही और घर पर ही दवाईयां लेना बताया जा रहा है।
जानकारी के अनुसार ब्लैक फंगस से निपटने के लिए लिपोसोमल एंफोटेरेसिरिन भी इंजेक्शन का उपयोग होता है। इसके उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार के द्वारा पांच और कंपनियों को इसको बनाने का लाइसेंस दिया गया है।

पूरा विश्व अभी तक कोरोना वायरस के कहर से जूझ रहा है तो दूसरी भारत में ओर चैलेंज ब्लैक फंगस ने दी दस्तक जो एक बेहद ख़तरनाक इंफेक्शन है और पिछले कुछ दिनों से कोविड-19 के मरीजों को तेज़ी से अपना शिकार बना रहा है। जिससे लोग बेहद चिंतित हैं। इसकी शुरुआत दिल्ली से हुई उसके बाद में गुजरात, अहमदाबाद, पंजाब राजस्थान इत्यादि को इसने अपनी चपेट में ले लिया है, जो बेकाबू हो रहा है और कुछ मरीजों की मौत हो चुकी है। भारत में ब्लैक फंगस के सबसे अधिक 11 हजार से ज़्यादा मामले सामने आ चुके है। कई राज्यों में इसे महामारी घोषित किया जा चुका है। तो आइए जानते हैं भारत में फैल रहे ब्लैक फंगस के बारे में, इसके लक्षण और बचने के उपाय?

ब्लैक फंगस क्या है-

ब्लैक फंगस या म्यूकर माइकोसिस एक ऐसी घातक फंगल बीमारी है, जोकि म्यूकरमायोसिस नाम के फंगाइल से होता है। जो शरीर के जिस भी भाग में होता है, उसे खत्म कर देता है।

ब्लैक फंगस हमारे शरीर पर कैसे असर डालता है-

  • चेहरे, नाक व आंख के अलावा मस्तिष्क को अपनी चपेट में ले रहा है।
  • जिससे आंखों की रोशनी जाने का भी खतरा होता है।
  • दिमाग के साथ-साथ साइनस फेफड़ों पर भी असर डालता है।

ब्लैक फंगस किसी भी आयु के व्यक्ति में देखा जा सकता है ये बीमारी इतनी घातक है कि जहां भी हो जाए वो अंग निकालने पड़ते हैं।

क्या है ब्लैक फंगल का वैज्ञानिक नाम-

ब्लैक फंगस का वैज्ञानिक नाम म्यूकोरमाइकोसिस है, जो एक घातक व बहुत कम होने वाला फफूंद संक्रमण है। जो भारत में Covid-19 के मरीजों में तेजी से फ़ैल रहा है।

कैसे फैलता है ब्लैक फंगस और कहां पाया जाता है-

ब्लैक फंगस एक रेअर संक्रमण है जोकि हमारे वातावरण में कहीं से भी पाया जा सकता है। जो सांस के द्वारा हमारे शरीर में पहुंच जाता है। ब्लैक फंगस हमारी धरती के साथ-साथ सड़ने वाले ऑर्गेनिक पदार्थों जैसे कि बड़ी लकड़ी, कम्पोस्ट खाद व पत्तियों में पाया जाता है।

इतिहास-

अगर देखा जाए तो हमारे लिए ब्लैक फंगस बीमारी नई है, लेकिन जर्मनी के पाल्टाॅफ नाम के एक पैथोलॉजीस्ट ने 1885 में ब्लैक फंगस का पहला मामला देखा था इस को म्यूकोरमाईकोसिस नाम अमेरिकी पैथोलॉजीस्ट आरडी बेकर ने दिया था। 1955 में इस बीमारी से बचने वाला पहला व्यक्ति हैरिस था।

ब्लैक फंगस होने के लक्षण-

कोरोना वायरस के चलते इसके लक्षणों को पहचान पाना मुश्किल है। लेकिन ये देखा गया है कि जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती, उनको ये अपनी चपेट में लें रहा है जैसे कि

मस्तिष्क व साइनस संबंधी म्यूकरमायोसिस के लक्षण में शामिल होने वाले-

  • सिरदर्द
  • चेहरे के एक तरफ सूजन
  • चेहरे पर जैसे कि नाक,आंख व मुंह वाले हिस्से में काले घावों का भयंकर रूप धारण करना।

फेफड़ों से संबंधित म्यूकरमायोसिस के लक्षण-

  • बुखार होना
  • खांसी
  • छाती में दर्द होना
  • सांस लेने में मुश्किल आना

गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल से संबंधित म्यूकरमायोसिस के लक्षण-

  • उल्टी आना
  • पेट में दर्द होना

ब्लैक फंगस के शरीर में फैलने की आशंका-

  • ब्लैक फंगस के होने की संभावना उन्हें ज्यादा होती है, जो कि पहले से ही किसी न किसी बीमारी से जूझ रहे हो।
  • निरंतर उन दवाइयों का इस्तेमाल करना जोकि आपकी इम्यूनिटी को कम कर रही हो।
  • जो व्यक्ति मधुमेह के मरीज हो ।
  • जिसकी ब्लड शुगर कंट्रोल नहीं होती है, तो वो डाॅक्टर की सलाह लिए बिना स्टेराॅइड लेना न छोड़ें।
  • गंदे मास्क का इस्तेमाल करने से।
  • शरीर में धीमी उपचारात्मक क्षमता के कारण।

इन अफवाहों से बचें इन पर न दें ध्यान-

  • कुछ लोगों का मानना है कि कुछ भी कच्चा खाने से फंगस इन्फेक्शन हो रहा है जोकि गलत धारणा है।
  • कहीं ओर से लाए गए सिलिंडर द्वारा कोरोना के मरीज को ऑक्सीजन सपाॅर्ट की वजह से।
  • होम आइसोलेशन में रह रहे, अधिकतर कोरोना मरीजों में फंगस इन्फेक्शन के लक्षणों में देखा जा सकता है।

इससे बचने के उपाय-

  • मरीज की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए उसे फल, संतरा व नीबू पानी दें।
  • तली चीजें न देकर इम्यूनिटी सिस्टम मजबूत करने वाले पदार्थों का सेवन करें।
  • शरीर में पानी व नमक की मात्रा कायम रखी जाएं। मरीज पर लगातार निगरानी रखे। समय पर उपचार न मिलने की वजह से जानलेवा हो सकती है।

अपने आप को फंगस इंफेक्शन से कैसे बचाएं-

  • यदि हमारे शरीर में इम्यूनिटी सिस्टम मजबूत होगा, तो कोई भी बीमारी हमारे शरीर में प्रवेश नहीं कर सकती। इसलिए सबसे मुख्य कारण शरीर को स्वस्थ व फिट रखने के लिए इम्यूनिटी सिस्टम मजबूत होना चाहिए।
  • स्टेराॅईड का अतिरिक्त सेवन न करें।
  • मधुमेह को नियंत्रित रखने का प्रयत्न कीजिए।
  • जिस व्यक्ति को म्यूकरमायोसिस की बीमारी हो उस व्यक्ति के संपर्क से दूर रहें।
  • कैंसर, एड्स वाले मरीजों को फंगल इंफेक्शन का अधिक खतरा होता है।
  • अगर समय पर इसके लक्षणों को पहचानकर उपचार हो जाए तो व्यक्ति ठीक हो जाता है।

ब्लैक फंगस से बचने के लिए इम्यूनिटी से भरपूर पदार्थ ले, यदि आप इस बीमारी का शिकार हो गए हो जाए तो तुरंत इन लक्षणों को पहचानें और डाॅक्टरों से सही समय पर उपचार करवाएं।