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July 2021

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गुरु पूर्णिमा का त्योहार आषाढ़ माह में पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस बार गुरु पूर्णिमा 24 जुलाई 2021 शनिवार को मनाई जा रही है। इस दिन महाभारत के रचियता गुरु वेद व्यास जी का जन्म हुआ था‌ उन्हें सम्मान देने के लिए उनके जन्मदिन को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। आषाढ़ मास की पूर्णिमा को ही गुरु पूर्णिमा कहा जाता है।

गुरु शब्द का अर्थ

गुरु शब्द दो शब्दों ‘गू‘और ‘रू’ के मेल से बना है। ‘गू का अर्थ अंधकार और ‘रू’ का अर्थ प्रकाश अर्थात जो अपने शिष्य को अज्ञानता रूपी अंधकार से बाहर निकाले और ज्ञान की ज्योति जलाएं उसे गुरु कहा जाता है

गुरु वह होता है जो हमें आध्यात्मिक ज्ञान देकर हमें सामाजिक जीवन में जीना सिखाता है।

क्यों मनाया जाता है गुरु पूर्णिमा का त्योहार –

गुरु पूर्णिमा उन सभी आध्यात्मिक और अकादमिक गुरुजनों को समर्पित परंपरा है, जिन्होंने कर्म योग आधारित व्यक्तित्व विकास और बिना किसी मौद्रिक खर्च के अपनी बुद्धिमता को सांझा किया। इस उत्सव को महात्मा गांधी ने अपने अध्यात्मिक गुरु श्री मद राजचंद्र को सम्मान देने के लिए पुनर्जीवित किया। ऐसा भी माना जाता है कि व्यास पूर्णिमा वेद व्यास के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है।

क्यों कहते हैं व्यास पूर्णिमा –

गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा इसलिए कहा जाता है, क्योंकि इस दिन महाभारत के रचयिता वेदव्यास का जन्म हुआ था। वेदव्यास ने छह शास्त्र व अठारह पुराणों की रचना की थी। उन्होंने महाभारत के साथ-साथ श्रीमद् भागवत और ब्रह्म सूत्र जैसे पुराणों की रचना भी की थी। उन्होंने श्रीमद् भागवत पुराण में भगवान विष्णु के 24 अवतारों का वर्णन किया। व्यास जी ने सबसे पहले अपने शिष्य और मुनियों को वेदों और पुराणों का ज्ञान दिया था। इसी कारण इस तिथि को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है।

गुरु पूर्णिमा को मनाने का उद्देश्य –

गुरु पूर्णिमा का पर्व पूरे देश भर में बढ़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस पर्व को मनाने का उद्देश्य जीवन में गुरु के महत्व, त्याग को समर्पित है। जोकि आने वाली पीढ़ियों को गुरु और शिक्षक के महत्व को बताना है।

जीवन में गुरु का महत्व –

गुरु के बिना किसी भी मनुष्य की गति नहीं हो सकती। बिना गुरु के कोई भी मनुष्य का जीवन अधूरा है। अपने जीवन के हर लक्ष्य तक पहुंचने के लिए हमें गुरु के ज्ञान की बहुत आवश्यकता होती है। फिर चाहे वह कोई भी क्षेत्र हो पढ़ाई हो, धार्मिक हो या अन्य क्षेत्र गुरु के बिना हम अपने लक्ष्य तक नहीं पहुंच सकते। गुरु के बिना हमें अपने असली जीवन की समझ नहीं आ सकती।

कैसा होता है एक सच्चा गुरु –

सच्चा गुरु वह होता है, जो किसी से कुछ लेता नही बल्कि बदले में झोलिया खुशियों से भर देता है।गुरु एक मोमबत्ती की तरह होता है, जो खुद जलकर दूसरों की अंधेरी जिंदगी में उजाला करता है। गुरु की महिमा को हम लिख बोल कर ब्यान नहीं कर सकते।

गुरु के बिना जीवन –

सच्चे गुरु के बिना हमारा जीवन ऐसा होता है, जैसे पानी के बिना मछली। क्योंकि एक सच्चा गुरु ही है, जो हमें जीवन जीना सिखाता है। मां बाप के बाद हमें जीवन की सही दिशा दिखाता है और जीवन के मुल्य को बताकर जीवन जीना सिखाता है।

कैसे मनाई जाती है गुरु पूर्णिमा –

आषाढ़ पूर्णिमा का अपना एक अलग स्थान है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान किया जाता है और दान के लिए ये महत्वपूर्ण तिथि मानी जाती है। आषाढ़ पूर्णिमा के दिन गुरु पूजन भी किया जाता है। गुरु मंत्र प्राप्त करने के लिए यह दिन काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन आप जिसे भी गुरु मानते हैं, उसके प्रति सम्मान व्यक्त किया जाता है और गुरु की पूजा की जाती है। क्योंकि उनके ज्ञान के प्रकाश से जीवन का अंधकार दूर हो जाता है और ईश्वर की प्राप्ति होती है। गुरु का ज्ञान ही जीवन के हर मोड़ को आलोकित करने में सक्षम होता है। प्राचीन काल से लेकर आज तक गुरु शिष्य की परंपरा चली आ रही है। इस दिन केवल गुरु ही नहीं, बल्कि परिवार के भी सभी बड़े सदस्यों के प्रति आभार व्यक्त करना चाहिए और उनको गुरु तुल्य समझ कर आदर करना चाहिए।

निष्कर्ष –

गुरु का हमारे जीवन में बहुत महत्व है। गुरु के मार्गदर्शन के बिना लक्ष्य की प्राप्ति असंभव है। इसलिए अपने जीवन में गुरु के मार्गदर्शन से हम अपने लक्ष्य की प्राप्ति कर सकते है। गुरु के ज्ञान से हम सही मार्ग अपनाकर अपनी चुनौतियों को कम करके अपने जीवन का सुधार कर सकते हैं और खुशी-खुशी जीवन व्यतीत कर सकते है।

गूगल Meet App ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में की समय की पाबंदी

क्या है google Meet ऐप :-

गूगल की एक ऐप है, गूगल मीट जिसके माध्यम से हम लाइव वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कर सकते हैं।

इसके माध्यम से हम 100 लोगों को एक साथ नोटिफिकेशन भेज सकते हैं और 250 से अधिक लोग एक साथ live मीटिंग कर सकते हैं।

कोरोना महामारी के समय जहां सभी लोग अपने घरों में बंद हो गए थे। उस समय में बच्चों की पढ़ाई जारी रखने में इस ऐप का अहम योगदान रहा है।

ऑफिस मीटिंग से लेकर हर छोटी बड़ी मीटिंग में गूगल Meet ऐप के इस फीचर्स से फ्री में बच्चे घर पर अपनी पढ़ाई कर रहे हैं।

Google Meet को इस्तेमाल करने के फायदे :–

Google Meet के कारण कोरोना के समय में बहुत फायदा हुआ है।

इसके माध्यम से बच्चे फ्री में अपनी पढ़ाई जारी रखे हुए हैं । वहीं इसके माध्यम से 24 घंटे फ्री में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कर सकते थे।

लेकिन कंपनी का कहना था कि यह सुविधा केवल 30 सितंबर 2020 तक ही होगी। लेकिन इसके बाद इसे 31 मार्च 2021 तक बढ़ा दिया गया था और फिर इसे 30 जून 2021 तक बढ़ा दिया था।

लेकिन अब कंपनी ने फ्री अनलिमिटेड वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधा को बंद कर दिया है।

कंपनी ने फ्री अनलिमिटेड वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग पर समय की पाबंदी लगा दी है।

क्या है Google Meet ऐप की नई अपडेट्स :–

सितंबर 2020 से गूगल Meet ऐप में समय सीमा निर्धारित पर चर्चा जारी थी।

लेकिन अब यह समय सीमा निर्धारित हो चुकी है।
कंपनी का कहना है, गूगल मीट पर फ्री अनलिमिटेड वीडियो कॉलिंग की सुविधा अब 60 मिनिट की हो चुकी है।
60 मिनट से ज्यादा इस सुविधा को रखने के लिए पैसे देने होंगे।
55 मिनट होते ही गूगल मीट में मीटिंग के बंद होने का नोटिफिकेशन सभी के पास आ जाएगा ।

अब कोई भी Gmail User Google मीट पर 100 लोगों के साथ केवल 1 घंटे के लिए ही विडियो मीटिंग कर सकता है।
Google Meet पर समय सीमा पाबंदी लगाने का कोई औपचारिक कारण नहीं है।

अतः अब Gmail यूजर्स गूगल Meet ऐप पर केवल एक घंटे तक ही फ्री में वीडियो कॉल कर सकते है। इसे ज्यादा समय तक जारी रखने के लिए यूजर्स को सब्सक्रिप्शन प्लान लेना होगा।

आइए जानें कि आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए कैसे पोष्टिक फूड्स खाएं

आज हम देखते हैं कि बिगड़ रहे वातावरण का असर हमारी आंखों पर भी पड़ रहा है। जिससे ज्यादातर लोगों को चश्मा लग जाता है। यहां तक छोटे बच्चे भी इसमें शामिल हैं, आज दुनिया भर में निकट दृष्टि दोष एक महामारी बनता जा रहा है।

यूरोप और अमेरिका में 30-40% लोगों को चश्मे की जरूरत पड़ती है और कुछ एशियाई देशों में यह आंकड़ा 90% तक पहुंच गया है। क्योंकि हमारा लाइफस्टाइल ठीक नहीं है। ज्यादा कंम्पयूटर पर काम करने से, टीवी या मोबाइल का इस्तेमाल ज्यादा करने से आंखों में चुभन होने लगती है जिससे हमारी आंखों में असर पड़ता है और खाने में तले हुए खाद्य-पदार्थों का सेवन करने या पोष्टिक आहार ना लेने के कारण भी आंखों की रोशनी कम हो जाती है।

अगर हम अपने खान पान की ग़लत आदतों को सुधार कर अपने रोजाना आहार में विटामिन A,C,E और अन्य पोषक तत्वों से भरपूर चीजें शामिल कर लें तो आंखों की रोशनी बढ़ाई जा सकती है।

आइए जानते हैं कि आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए क्या खाएं-

गाजर-
गाजर में पोटाशियम, विटामिन C, E और विटामिन B1 भरपूर मात्रा में होते हैं। जिसे खाने से आंखों की रोशनी बढ़ती है। गाजर को हम सलाद, सब्जी के रूप में या जूस बनाकर भी पी सकते हैं। इसका एक गिलास जूस रोजाना पीने से आंखों को लाभ होता है।

आंवला-
आंवले को खाली पेट जूस के रूप में या इसका मुरब्बा खाने से बहुत लाभ होता है। क्योंकि यह आंखों के लिए बहुत अच्छा माना जाता है।

हरी पत्तेदार सब्जियां-
हरी पत्तेदार सब्जियों का स्वाद भले ही ख़ाने में अच्छा ना लगता हो, परंतु इनमें मौजूद लुटिन और जियोकसथीन कैमीकल आंखों के लिए बहुत अच्छे होते हैं। इनमें धनिया, पालक, शकरकंदी बहुत उपयोगी हैं।

फल-
फलों में विटामिन C, E, A और अन्य पौशक तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते है। खट्टे फलों में संतरा, मौसमी में विटामिन सी होता है और विटामिन सी एक एंटी ऑक्सीडेंट है। जिससे आंखों की रोशनी बढ़ती है। इसके इलावा केला, पपीता और आम जैसे पीले फलों में कैराटिन और लाइकोपिन होता है, जो आंखों की रोशनी बढ़ाता है। जिससे आंखों का चश्मा भी उतर सकता है।

जामुन-
जामुन के सेवन से बहुत सी बिमारियों को ठीक किया जा सकता है। इससे कई औषधियां भी तैयार होती हैं, इसे खाने से आंखों की रोशनी बढ़ती है।

बादाम-
बादाम हमारी सेहत के लिए वरदान है। इससे दिमाग तेज होता है और मैमोरी पावर बढ़ती है। इसमें विटामिन ई होता है, जिससे आंखों का चश्मा उतर सकता है।

नट्स-
कई लोगों की आंखों में सूखेपन की बिमारी होती है। उनकी आंखों में आंसुओ की कमी के कारण धुंधलापन या सुखापन जैसी समस्या आती है। अपनी डाइट में ओमेगा-3 फैटी एसिड की मात्रा बढ़ाने से यह समस्या खत्म हो जाती है। नट्स खासकर अखरोट में ओमेगा-3 फैटी एसिड भरपूर मात्रा में होता है। इसके इलावा मूंगफली, ब्राजील नट्स, काजू जैसे खाद्य पदार्थों का सेवन करने से भी आंखों की रोशनी तेज होती है। यह आंखों के रेटिना को सही रखते है और इन्हें खाने से मोतियाबिंद की समस्या नहीं होती।

काली मिर्च-
बहुत से लोगों का मानना है कि काली मिर्च को देसी घी के साथ सेवन करने से आंखों की रोशनी बढ़ती है। क्योंकि इसमें विटामिन ए और ई भरपूर मात्रा में होते हैं।

इलायची और सौंफ-
इलायची और सौंफ को पीस कर इनका पाउडर बनाकर अगर ठंडे दुध में मिलाकर पीया जाए तो इससे आंखों की रोशनी बढ़ती है।

इन सब के अलावा पानी को हमारी सेहत के लिए वरदान माना गया है। पानी पीने से सूखी आंखों के लक्षण कम हो जाते हैं, इसलिए ज्यादा से ज्यादा पानी पीएं।

आंखों की रोशनी कम होने का कारण कई बार जैनेटिक भी होता है। इसलिए अपने खान पान पर ध्यान दें और अपनी रोजाना दिनचर्या में ऐसे आहार शामिल करें, जिनमें पोष्टिक तत्व भरपूर मात्रा में हो। जिससे आंखों को पोषण मिल सके और आंखों की रोशनी बढ़ाई जा सके।

जनसंख्या वृद्धि पर रोक लगाए, देश को प्रगति के पथ पर लाएं -‌ विश्व जनसंख्या दिवस 2021

किसी देश, शहर, जिले व क्षेत्र में रहने वाले व्यक्तियों की कुल संख्या को जनसंख्या कहा जाता है। किसी भी देश की जनसंख्या अपने राष्ट् की अमूल्य पूंजी होती है, जो वस्तुओं व सेवाओं का उत्पादन, वितरण और उपभोग करती है। जनसंख्या आर्थिक विकास का संवर्द्धन करती है। लेकिन जनसंख्या वृद्धि किसी भी राष्ट्र के विकास मे रुकावट पैदा करती है।

जनसंख्या वृद्धि क्या है –

किसी क्षेत्र की जनसंख्या का बढ़ना जनसंख्या वृद्धि कहलाता है। जो कई प्रकार की चुनौतियां व अनेक समस्याएं पैदा करती है।जब जनसंख्या जरूरत से ज्यादा बढ़ जाती है, तो देश और दुनिया के ऊपर कई प्रकार के प्रभाव पड़ते है। जनसंख्या वृद्धि से सरकार के पास काम की कमी हो जाती है, बेरोज़गारी की समस्या बढ़ जाती है और अन्य वस्तुओं के दाम बढ़ जाते है। विश्व में जनसंख्या वृद्धि एक समान नही है। स्वास्थ राष्ट्र के निर्माण के लिए जनसंख्या वृद्धि पर रोक लगाना लगाना अति आवश्यक है। आइए हम जनसंख्या विस्फोट के कारण, प्रभाव व उपाय के बारे मे विस्तार से जानते है।

विश्व जनसंख्या दिवस कब व क्यों मनाया जाता है –

विश्व जनसंख्या दिवस को मनाने की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की संचालित परिषद द्वारा 1989 में पहली बार हुई। जब विश्व भर की आबादी का आंकड़ा 5 अरब के पास पहुंच गया, तो संयुक्त राष्ट्र की गवर्निंग काउंसिल द्वारा किए गए फैसले के अनुसार 1989 में विकास समुदाय की सिफारिश द्वारा तय किया गया। तब से हर साल 11 जुलाई के दिन को विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाता है।

विश्व जनसंख्या दिवस की 2021 की थीम –

इस वर्ष की नई थीम तैयार की गई है। इस बार की थीम का विषय परिवार नियोजन, लोगों का विकास व राष्ट्र की प्रगति के विषय पर बनाया गया है।

विश्व जनसंख्या दिवस मनाने का उद्देश्य –

विश्व जनसंख्या दिवस मनाने का उद्देश्य दुनिया भर में दिनों-दिन बढ़ रही आबादी को नियंत्रित करने के लिए लोगों को जागरूक करना है। लोगों को जागरूक करने के लिए इस दिन रैलियां निकाल कर, रोड शो किए जाने के साथ-साथ सोशल मीडिया, विभिन्न कार्यक्रमों व सभाओं को आयोजित किया जाता है। जिसका उद्देश्य लोगों में जागरूकता फैलाना है।

विश्व जनसंख्या दिवस का क्या महत्व है –

दिनों-दिन बढ़ती जा रही जनसंख्या विश्व के देशों के सामने बड़ी भयंकर समस्या का रूप ले चुकी है। विकासशील देशों के लिए जनसंख्या विस्फोट एक गंभीर चिंता का विषय बन रहा है। विश्व जनसंख्या दिवस के अवसर पर लोगों को परिवार नियोजन, लैंगिक समानता और मानवाधिकार के बारे में जानकारी दी जाती है।

विश्व भर में बढ़ रही जनसंख्या के कारण –

  1. गरीबी – लोगों की सोच है कि जितने अधिक बच्चे होंगे, उतनी ही आय में वृद्धि होगी। इसलिए वह सोचते हैं कि जितने बच्चे ज्यादा होगे उतनी ही आमदनी ज्यादा होगी और पैसा ज्यादा कमाएंगे।
  2. चिकित्सा सेवाओं में वृद्वि होना – आज हमारे देश भर में आधुनिक चिकित्सक क्षेत्र में बहुत सारी सफलताएं प्राप्त कर ली है। जिसके कारण मृत्यु दर में गिरावट आ रही है और महामारी कुपोषण के कारण मृत्यु दर में कमी आ रही है। यह सब स्वस्थ्य सुधार के कारण ही संभव हुआ है, जोकि जनसंख्या वृद्धि का एक कारण है।
  3. बाल विवाह (छोटी आयु में बच्चों का विवाह करना) – लोग अशिक्षित होने के कारण अपने बच्चों का विवाह छोटी आयु में ही कर देते हैं। जिसके कारण जनसंख्या में वृद्धि हो रही है। ये भी एक कारण है जनसंख्या वृद्धि का।

जनसंख्या वृद्धि से होने वाले नुक्सान –

  1. दिनों- दिन बढ़ रही रोजगार की समस्या – विश्व की जनसंख्या तो दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। परन्तु रोजगार के साधन सीमित ही है। इसलिए देश भर में बेरोजगारी तेजी से बढ़ना भी एक कारण है।
  2. खाद्य सामग्री में समस्या आना – जहां देश की जनसंख्या निरंतर बढ़ती जा रही है, तो दूसरी ओर खाद्य पदार्थों में कमी होती जा रही है। जिसके कारण बच्चों का शारीरिक विकास नहीं हो पाता और बच्चों में पोषण की कमी होती है। खाद्य सामग्री के न मिलने के कारण महंगाई बढ़ रही है।
  3. लोगों का अशिक्षित होना – बहुत से लोग ऐसे हैं जो कि अक्सर अशिक्षित होने के कारण छोटे परिवार के महत्व को नहीं जानते, जोकि जनसंख्या वृद्धि का बहुत बड़ा कारण है।
  4. चिकित्सक व्यवस्था में कमी आना – निरंतर बढ़ती जा रही जनसंख्या के कारण अस्पतालों में अधिक भीड़ होने के कारण रोगियों की देखभाल अच्छे ढंग से नहीं हो पा रही है।
  5. प्रदूषण – जनसंख्या में लगातार वृद्धि होने के कारण जल, वायु और मृदा प्रदूषण बढ़ता जा रहा है।
  6. कृषि भूमि का बटवारा होना – परिवार में ज्यादा बच्चे होने के कारण परिवार का बंटवारा होने पर भूमि का भी बंटवारा हो जाता है। जिससे आर्थिक स्थिति कमजोर हो जाती है।

जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए दिए गए सुझाव –

  1. कठोर कानून व्यवस्था – भारत में निरंतर बढ़ रही जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए कठोर कानून व्यवस्था होनी चाहिए।
  2. उचित शिक्षा की व्यवस्था – बढ़ती हुई जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए उचित शिक्षा की व्यवस्था अति आवश्यक है। क्योंकि शिक्षा के माध्यम से ही हम छोटा परिवार सुखी परिवार के बारे में ज्ञान प्राप्त कर सकेंगे।
  3. आर्थिक सुधार – व्यक्ति को उसकी योग्यता के अनुसार ही अवसर उपलब्ध करवाकर हम उसकी आर्थिक स्तर में सुधार लाया जा सकता है।

निष्कर्ष:

2011 में की गई जनगणना के अनुसार भारत की आबादी 121 करोड़ थी, जो 2030 तक चीन से ज्यादा होने का अनुमान है। अगर ऐसे में भारत की जनसंख्या बढ़ती गई तो भारत सरकार के लिए ये एक बहुत बड़ी चुनौती है।जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए उच्च स्तर पर प्रयास होने चाहिए‌ व परिवार नियोजन के लिए में लोगों को जागरूकता फैलानी चाहिए।

जीवन और मृत्यु देना इंसान नहीं भगवान के हाथ मे है। लेकिन भगवान ने इंसान को डॉक्टर बनाकर उसे जीवन देने का हक दिया है, इस जीवनदानी को डॉक्टर कहते है। आज विज्ञान की मदद से डॉक्टर यहां तक पहुंच गए है कि वह जीवन और मृत्यु की लड़ाई लड़ रहे व्यक्तियों के लिए जीवनदाता है। जब हम अपनी सारी उम्मीदें छोड़ देते है, तब हमारे जीवन में स्वास्थ्य लाने के लिए और हमारा साथ देने के लिए केवल डॉक्टर के पास ही जादुई शक्ति होती है।

जब हम रोते हैं, तब हमें कंधों की जरूरत होती है।
जब हम दर्द में होते हैं, तब हमें दुआओं की जरूरत होती है।लेकिन जब हम त्रासदी में होते है, तब हमें डॉक्टर की जरूरत होती है।।

कब और कैसे हुई राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस को मनाने की शुरुआत-

केंद्र सरकार द्वारा भारत में 1991 में राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत की गई थी। हमारे देश के महान चिकित्सक और पश्चिम बंगाल के दूसरे मुख्यमंत्री डॉ विधानचंद्र राय को सम्मान देने के लिए उनके जन्म दिवस पर यह दिन मनाया जाता है।

भारत में कब मनाया जा रहा है डॉक्टर्स डे-

इस वर्ष 1 जुलाई 2021को 31वां राष्ट्रीय डाॅक्टर्स डे मनाया जा रहा है। कोरोना काल में अपनी व परिवार की परवाह न करते हुए डाॅक्टर्स ने जो सेवाएं निभाई है। इसके लिए सभी डाॅक्टर एवं चिकित्सकों को सम्मान देने व उनका हौसला बढ़ाने के लिए उनके द्वारा किए गए कार्यों के लिए उनका धन्यवाद किया जाएगा।

राष्ट्रीय चिकित्सा दिवस मनाने का उद्देश्य-

भारत में प्रत्येक वर्ष 1 जुलाई को राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य डॉक्टरों द्वारा दी जा रही अमूल्य सेवाओं व योगदान को सम्मान देना। भारत सरकार द्वारा 1991 में पहले नेशनल डॉक्टर डे मनाने की घोषणा की थी। इस दिन हमें भी चिकित्सकों के प्रति आभार प्रकट करने के साथ-साथ उन्हें धन्यवाद भी करना चाहिए।
यह दिन उन डाॅक्टरों के लिए सबक का दिन है जो लाचार मरीजों की मजबूरी का फायदा उठाते हैं व बेईमानी करते है।

राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस का महत्व

प्रत्येक वर्ष 1 जुलाई को राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस मनाया जाता है। हमारी जिंदगी में एक डॉक्टर का क्या महत्व व भूमिका है ?? इस का एहसास दिलवाने व डॉक्टरों को सम्मानित करने के लिए ये दिवस मनाया जाता है। जैसे कि हम जान ही सकते हैं कि कैसे कोरोना महामारी के चलते जब सभी लोग अपने घरों में सुरक्षित थे। तो कैसे डॉक्टर अपने परिवार, बच्चों और माता-पिता को छोड़कर दूसरों की सहायता करने के लिए आगे आए।

एक डॉक्टर ही वो भूमिका निभाता है, जो रोते हुए आए अस्पताल के लोगों को हंसाते हुए घर भेजता है।

हमारे विश्वास की डोर है- डॉक्टर

डॉक्टर होना सिर्फ एक काम ही नहीं बल्कि चुनौतीपूर्ण वचनबद्धता है। डॉक्टर ही एक ऐसा व्यक्ति है, जिस पर लोग भगवान की तरह विश्वास करते है। जो हमारे लिए आशा की एक किरण है। जीवन और मौत की लड़ाई लड़ रहे अनगिणत लोगों के जीवन की डोर उनके हाथ में होती है। सभी डॉक्टर जब अपने चिकित्सकीय जीवन की शुरुआत करते हैं, तो अपनी जिम्मेदारी ईमानदारी से निभाने की कसम खाते है। उनके मन में नैतिकता और जरूरतमंद लोगों की मदद का जज्बा होता है। डॉक्टर की एक छोटी सी भूल से रोगी की जान जा सकती है।

डॉक्टर्स का न कोई दर्द, न कोई आराम, उनकी तो बस जिंदगी है…देश के नाम।

जो व्यक्ति अपने जीवन को समाज के कार्य के लिए लगा देता है और अपना सुख, दुख किसी की जिंदगी को बचाने के लिए लगा देता है। उसके लिए भी एक दिन होना चाहिए और वही एक खास दिन है डॉक्टर्स डे।

डॉक्टर को दुनिया में विभिन्न नामों से जाना जाता है। जैसे हिंदी में चिकित्सक व वैध कई नामों से जाना जाता है। प्राचीन काल से भारत में वैध परंपरा रही है। जिनमें धनवन्तरि, सुश्रुत, जीवक व चरक आदि रहे हैं।

एक अच्छे डॉक्टर की पहचान

एक अच्छा डॉक्टर सबसे पहले एक अच्छा इंसान भी होता है। जो आपकी पीड़ा को महसूस ही नहीं करता, बल्कि वास्तव में उसके लिए चिंतित होता है। वह अपने पेशेंट्स की आर्थिक व पारिवारिक परेशानियों को समझता है। एक अच्छा डॉक्टर बिना किसी स्वार्थ के लंबे लंबे पर्चे लिखने की बजाए अपने पेशेंट्स को अच्छी सलाह देता है।

राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस को कैसे मनाएं

  • 1 जुलाई को ज्यादातर लोग चिकित्सक दिवस की शुभकामनाएं देने के लिए फोन करके, मैसेज करके या फिर फेसबुक, व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम व अन्य सोशल मीडिया द्वारा उनका धन्यवाद करते हैं।
  • अपने फैमिली डाॅक्टर के घर जाकर उन्हें गिफ्ट देकर उनका धन्यवाद करते हैं।
  • स्कूलों एवं कालेजों में इस दिन कई प्रोग्राम आयोजित करके डॉक्टरों के महत्व के बारे में लोगों को बताया जाता हैं और धन्यवाद करने के लिए बच्चों द्वारा चित्रकला व ड्राइंग प्रतियोगिता भी आयोजित की जाती है।
  • हम अस्पताल या नर्सिंग होम में जाकर डॉक्टर्स को धन्यवाद करने के लिए उन्हें गिफ्ट भी दे सकते हैं।

कोरोना महामारी में डाॅक्टर्स की अहम भूमिका

इस कोरोना महामारी के दौरान जब कोई जरूरत पड़ी, तो बिना घबराएं लोगों का इलाज करने के लिए डाॅक्टर्स ने ही अपनी अहम भूमिका निभाई। कोरोना संक्रमण के समय हम देख ही रहे है कि कैसे डाॅक्टर्स अपनी जान जोखिम में डालकर मरीजों की देखभाल कर रहे है।

निष्कर्ष-

अब आप सभी जान ही गए होंगे डॉक्टर का हमारे जीवन लिए क्या योगदान है। इसी लिए तो भगवान के बाद डॉक्टर को इंसान के रूप में भगवान के समान दर्जा दिया जाता है। एक डॉक्टर ही है, जो व्यक्ति को नया जीवनदान दे सकता है। सभी डॉक्टर्स का फर्ज बनता है कि वह अपनी सामाजिक जिम्मेदारी को समझते हुए पैसा कमाने को पेशा ना बनाकर मानवीय सेवा को अपना पेशा बनाएं। तभी हमारा डॉक्टर्स डे मनाना सही साबित होगा। लेकिन वर्तमान में डॉक्टर संघर्ष करता हुआ नजर आ रहा है इसके पीछे कई कारण है।