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Megha

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दीपों का पर्व दीपावली, पाँच दिनों तक चलने वाला भारत का सबसे पवित्र और उल्लासपूर्ण त्योहार है। इस पर्व की शुरुआत जिस दिन से होती है, वही दिन है धनतेरस — जिसे धनत्रयोदशी भी कहा जाता है।


यह दिन धन, स्वास्थ्य, सौभाग्य और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन जो व्यक्ति श्रद्धा से माँ लक्ष्मी, भगवान धन्वंतरि और कुबेर देव की पूजा करता है, उसके घर में पूरे वर्ष समृद्धि और शांति का वास रहता है।

धनतेरस का अर्थ ही है — धन का आगमन
यह दिन न केवल आर्थिक उन्नति की कामना का प्रतीक है, बल्कि यह जीवन में अच्छे स्वास्थ्य और दीर्घायु का संदेश भी देता है।

धनतेरस 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त (Dhanteras 2025 Date & Shubh Muhurat)

  • तिथि: शनिवार, 18 अक्टूबर 2025
  • त्रयोदशी तिथि प्रारंभ: 17 अक्टूबर 2025, रात 10:31 बजे
  • त्रयोदशी तिथि समाप्त: 18 अक्टूबर 2025, रात 8:37 बजे
  • प्रदोष काल: शाम 5:48 बजे से रात 8:20 बजे तक
  • वृषभ काल: शाम 7:16 बजे से रात 9:11 बजे तक
  • लक्ष्मी पूजन मुहूर्त: शाम 7:16 बजे से 8:20 बजे तक (सबसे शुभ समय)

इस अवधि में पूजा करने से माँ लक्ष्मी और भगवान कुबेर की कृपा अत्यधिक फलदायी मानी जाती है।

धनतेरस का धार्मिक और पौराणिक महत्व (Dhanteras Mythological Significance)

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, धनतेरस के दिन समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वंतरि अमृत कलश और आयुर्वेद लेकर प्रकट हुए थे।
इसीलिए यह दिन स्वास्थ्य और दीर्घायु की कामना के लिए भी विशेष रूप से मनाया जाता है।

एक अन्य कथा के अनुसार, एक बार राजा हेमराज के पुत्र की मृत्यु उसके विवाह के चौथे दिन सर्पदंश से होने वाली थी।
परंतु उसकी पत्नी ने उस रात घर के बाहर दीपों की पंक्तियाँ जलाकर, बहुत सारा धन और गहने सजा दिए

ताकि यमराज का दूत उसकी चमक से अंधा होकर भीतर न जा सके।
उस रात सर्पदूत वापस चला गया, और बालक की मृत्यु टल गई। तभी से धनतेरस पर दीपदान की परंपरा आरंभ हुई।
यह कथा हमें बताती है कि धनतेरस का असली अर्थ है — जीवन में उजाला, सुरक्षा और शुभता का प्रवेश।

 धनतेरस पूजा विधि (Puja Vidhi Step by Step)

  1. स्नान और शुद्धिकरण:
    सुबह जल्दी उठकर घर और पूजा स्थल की सफाई करें। गंगाजल छिड़कें और शुद्ध वातावरण बनाएं।
  2. स्थापना:
    पूजन स्थान पर लाल या पीले कपड़े बिछाकर लक्ष्मी माता, भगवान धन्वंतरि और कुबेर देव की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
  3. सामग्री:
    दीपक, कपूर, फूल, हल्दी, चावल, दूर्वा, मिठाई, पंचामृत, घी, और सोने-चांदी के सिक्के तैयार रखें।
  4. पूजा प्रक्रिया:
    • पहले भगवान गणेश की पूजा करें।
    • इसके बाद माँ लक्ष्मी और भगवान कुबेर को जल, फूल, चावल, रोली और मिठाई अर्पित करें।
    • ह्रीं श्रीं लक्ष्म्यै नमः” और “ कुबेराय नमः” मंत्रों का जाप करें।
    • भगवान धन्वंतरि से स्वास्थ्य और दीर्घायु की कामना करें।
    • यमराज के लिए घर के बाहर दक्षिण दिशा में दीपक जलाना अत्यंत शुभ माना गया है।
  5. आरती:
    लक्ष्मी माता की आरती “ॐ जय लक्ष्मी माता” पूरे परिवार के साथ करें और प्रसाद बाँटें।

धनतेरस पर खरीदारी के उपाय (Shopping Rituals & Tips)

धनतेरस को नए सामान की खरीदारी का सबसे शुभ दिन कहा गया है।
यह माना जाता है कि इस दिन खरीदी गई वस्तु पूरे वर्ष सौभाग्य और धन में वृद्धि करती है।

 क्या खरीदें:

  • सोना या चांदी: यह लक्ष्मीजी की कृपा का प्रतीक है।
  • बर्तन (चाँदी, तांबा, पीतल): धन और भोजन की स्थिरता का संकेत देते हैं।
  • झाड़ू: नकारात्मक ऊर्जा को दूर कर लक्ष्मी का प्रवेश कराती है।
  • कौड़ी, श्रीयंत्र, या गोमती चक्र: यह धन-सिद्धि के उपाय माने जाते हैं।
  • नया कपड़ा या इलेक्ट्रॉनिक सामान: नए आरंभ और शुभ परिवर्तन का प्रतीक।

क्या खरीदें:

  • लोहे की वस्तुएँ, काले या टूटे हुए सामानों की खरीद से बचें।
  • कर्ज़ या उधार लेना भी इस दिन शुभ नहीं माना जाता।

 विशेष उपाय:

  • धनतेरस की शाम 13 दीपक घर के मुख्य द्वार पर जलाएँ।
  • पूजा के बाद सिक्कों को तिजोरी या पर्स में रखें — यह लक्ष्मी स्थायित्व का प्रतीक होता है।
  • तिजोरी में हल्दी से स्वास्तिक का चिन्ह बनाएँ और माँ लक्ष्मी से आशीर्वाद माँगें।

धनतेरस और स्वास्थ्य (Health Significance)

चूँकि इस दिन भगवान धन्वंतरि का जन्म हुआ था, इसलिए यह दिन आयुर्वेद और स्वास्थ्य को समर्पित है।
इस अवसर पर लोग आयुर्वेदिक दवाइयाँ, तांबे के बर्तन या हर्बल उत्पाद भी खरीदते हैं।
ऐसा करने से जीवन में आरोग्य और दीर्घायु प्राप्त होती है।

 आध्यात्मिक अर्थ (Spiritual Meaning)

धनतेरस हमें यह सिखाता है कि सच्चा धन केवल सोनाचांदी नहीं, बल्कि अच्छा स्वास्थ्य, परिवार का प्यार और सकारात्मक सोच है।
जब हम ईमानदारी, कृतज्ञता और दान का भाव रखते हैं, तभी माँ लक्ष्मी का स्थायी वास हमारे जीवन में होता है।

निष्कर्ष (Conclusion)

धनतेरस 2025 केवल खरीदारी या पूजा का दिन नहीं, बल्कि नई शुरुआत, सकारात्मक सोच और आत्मिक समृद्धि का प्रतीक है।
इस दिन जब हम दीप जलाते हैं, तो वह केवल घर नहीं, बल्कि हमारे मन के अंधकार को भी मिटा देता है।

माँ लक्ष्मी, भगवान धन्वंतरि और कुबेर देव की कृपा से आपका जीवन धन, स्वास्थ्य और आनंद से भरा रहे —
इसी कामना के साथ धनतेरस की हार्दिक शुभकामनाएँ! 

वाल्मीकि जयंती 2025: आदिकवि महर्षि वाल्मीकि का जीवन, रचना और प्रेरणाएँ (Valmiki Jayanti 2025: Life, Teachings, and Literary Legacy of Maharishi Valmiki)

भारतीय संस्कृति में अनेक संतों और ऋषियों ने अपने ज्ञान और तपस्या से मानवता का मार्गदर्शन किया है। उनमें से एक हैं आदिकवि महर्षि वाल्मीकि, जिन्हें संस्कृत साहित्य का जनक माना जाता है। महर्षि वाल्मीकि ने रामायण की रचना कर न केवल साहित्य को नई दिशा दी, बल्कि धर्म, नीति और आदर्श जीवन का मार्ग भी दिखाया। हर वर्ष वाल्मीकि जयंती उनके जन्म दिवस पर बड़ी श्रद्धा और उत्साह से मनाई जाती है।


महर्षि वाल्मीकि का जीवन परिचय

  • महर्षि वाल्मीकि का जन्म त्रेतायुग में हुआ था।
  • प्रारंभिक जीवन में वे रत्नाकर नामक एक शिकारी थे और जीविका के लिए डकैती भी किया करते थे।
  • एक दिन महर्षि नारद मुनि से भेंट के बाद उनका जीवन पूरी तरह बदल गया।
  • उन्होंने “राम-राम” का नामजप आरंभ किया, गहन तपस्या की और अंततः एक महान ऋषि बन गए।
  • उनके तप और ज्ञान से प्रभावित होकर देवताओं ने उन्हें महर्षि की उपाधि दी।
  • महर्षि वाल्मीकि की सबसे बड़ी रचना रामायण है, जो संस्कृत साहित्य का अमर महाकाव्य है।

रामायण की रचना (The Creation of Ramayana)

वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण की विशेषताएँ

  • इसमें लगभग 24,000 श्लोक हैं।
  • यह संस्कृत भाषा का पहला महाकाव्य है।
  • इसमें मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के आदर्श जीवन का वर्णन है।

संस्कृत साहित्य में इसका महत्व

रामायण ने संस्कृत साहित्य को नया आयाम दिया। यह केवल धार्मिक ग्रंथ ही नहीं बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक मूल्यों का प्रतीक है।


🕉️ “आदिकवि” की पहचान

महर्षि वाल्मीकि को “आदिकवि” कहा गया क्योंकि उन्होंने पहली बार मानवीय भावनाओं, आदर्शों और संघर्षों को श्लोक के रूप में व्यक्त किया।


वाल्मीकि जयंती का महत्व (Significance of Valmiki Jayanti)

  • यह दिन समाज को यह संदेश देता है कि जीवन में परिवर्तन हमेशा संभव है।
  • यह पर्व सामाजिक समानता, शिक्षा और ज्ञान के प्रसार का प्रतीक है।
  • महर्षि वाल्मीकि के विचार हमें सत्य, करुणा और मानवता के मार्ग पर चलना सिखाते हैं।

वाल्मीकि जयंती मनाने की परंपरा

  1. पूजन और आरती – इस दिन भक्तजन महर्षि वाल्मीकि की प्रतिमा और चित्र का पूजन करते हैं।
  2. रामायण पाठ – कई जगहों पर विशेष रामायण पाठ का आयोजन होता है।
  3. भजन और कीर्तन – मंदिरों और आश्रमों में भजन-कीर्तन के माध्यम से उनकी शिक्षाओं का प्रसार किया जाता है।
  4. सामाजिक सेवा – कई लोग इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करते हैं, क्योंकि वाल्मीकि जी का संदेश था – “मानवता ही सबसे बड़ा धर्म है।”
  5. प्रवचन और सांस्कृतिक कार्यक्रम – बच्चों और युवाओं को रामायण और महर्षि वाल्मीकि के जीवन से जोड़ने के लिए विशेष आयोजन किए जाते हैं।

महर्षि वाल्मीकि से मिलने वाली प्रेरणाएँ

  • जीवन में परिवर्तन संभव है: इंसान चाहे कितनी भी गलत राह पर क्यों न हो, यदि वह सही मार्ग चुन ले तो संत और महापुरुष बन सकता है।
  • सत्य और धर्म का महत्व: किसी भी परिस्थिति में सत्य और धर्म का पालन करना ही असली विजय है।
  • ज्ञान और शिक्षा की शक्ति: लेखनी समाज को बदलने का सबसे बड़ा हथियार है।
  • समानता और मानवता: सभी जीवों में समान भाव रखना और करुणा दिखाना ही सच्चा धर्म है।
  • भक्ति का बल: निरंतर साधना और भक्ति इंसान को अज्ञानता और पाप से मुक्त करती है।

वाल्मीकि जयंती कैसे मनाई जाती है (How Valmiki Jayanti is Celebrated)

भारत के विभिन्न हिस्सों में समारोह

देशभर में मंदिरों, आश्रमों और वाल्मीकि समाज द्वारा विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

वाल्मीकि मंदिरों और आश्रमों में विशेष पूजा

इस दिन विशेष पूजा, रामायण पाठ और भजन-कीर्तन का आयोजन किया जाता है।

सांस्कृतिक कार्यक्रम और शोभा यात्रा

कई जगहों पर शोभा यात्राएँ और सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ आयोजित होती हैं, जिनमें वाल्मीकि जी की शिक्षाओं का संदेश दिया जाता है।


आधुनिक युग में वाल्मीकि जयंती

आज के समय में जब समाज तनाव, असमानता और भटकाव से गुजर रहा है, महर्षि वाल्मीकि का जीवन एक उदाहरण है।

  • वे सिखाते हैं कि कोई भी इंसान अपने जीवन को बदल सकता है।
  • उनका संदेश है कि शिक्षा और ज्ञान के बिना समाज आगे नहीं बढ़ सकता।
  • रामायण के आदर्श आज भी पारिवारिक मूल्यों और सामाजिक सद्भावना को मजबूत करते हैं।
  • डिजिटल युग में सोशल मीडिया, विद्यालयों और ऑनलाइन मंचों के माध्यम से भी महर्षि वाल्मीकि के विचार और संदेश फैलाए जा रहे हैं।

महर्षि वाल्मीकि के प्रेरणादायक विचार (Inspiring Thoughts of Maharishi Valmiki)

महर्षि वाल्मीकि के विचार और श्लोक आज भी मार्गदर्शक हैं:

  • “धर्मो रक्षति रक्षितः” – धर्म की रक्षा करने वाला ही धर्म द्वारा संरक्षित होता है।
  • “सत्य ही सबसे बड़ा धर्म है।”
  • “करुणा और दया मानवता का मूल है।”

इन शिक्षाओं से यह स्पष्ट होता है कि महर्षि वाल्मीकि ने न केवल साहित्य बल्कि संपूर्ण समाज को नई दिशा दी।


निष्कर्ष (Conclusion)

महर्षि वाल्मीकि का जीवन हमें यह सिखाता है कि इंसान चाहे कितना भी भटका हुआ क्यों न हो, सत्य, भक्ति और ज्ञान से वह महानता प्राप्त कर सकता है।
वाल्मीकि जयंती 2025 हमें यह संदेश देती है कि हर व्यक्ति के भीतर परिवर्तन की शक्ति है।
अगर हम धर्म और सत्य के मार्ग पर चलें तो समाज और जीवन दोनों को बेहतर बना सकते हैं।

World Humanitarian Day 2025 : मानवता में अग्रणी योद्धाओं को समर्पित

परिचय

इंसान का अगर कोई सबसे बड़ा धर्म है तो वह है – मानवता और दूसरों की सेवा करना। इन्हीं मानवीय मूल्यों को सम्मानित करने और उन योद्धाओं को श्रद्धांजलि देने के लिए, जो संकट और आपदा में निःस्वार्थ भाव से मानवता की सेवा करते हैं, हर साल 19 August को World Humanitarian Day 2025 मनाया जाता है। यह दिन उन humanitarian workers के सम्मान में मनाया जाता है जो निस्वार्थ भाव से दूसरों की मदद कर मानवता को जीवित रखते हैं, जैसे कि डॉक्टर्स, रेस्क्यू टीमें, आदि।

World Humanitarian Day दिनांक : 19 August

  • WHD उन Humanitarian Workers को समर्पित है जो संकट, युद्ध और प्राकृतिक आपदाओं जैसी परिस्थितियों में लोगों की जान बचाने और सहायता पहुँचाने में अपना योगदान देते हैं।

  • संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 2008 में इसे आधिकारिक रूप से घोषित किया और 2009 से हर साल 19 अगस्त को इसे मनाया जाता है।


World Humanitarian Day Importance

  • संकट और आपदा में फंसे लोगों की सहायता करने वालों का सम्मान करना।

  • मानवीय मूल्यों – दया, करुणा और सहानुभूति को बढ़ावा देना।

  • हर व्यक्ति को इंसानियत के कार्यों में भाग लेने के लिए प्रेरित करना।


World Humanitarian Day History : विश्व मानवतावादी दिवस संयुक्त राष्ट्र की पहल

विश्व मानवतावादी दिवस हर साल 19 August को मनाया जाता है। इसकी शुरुआत उस दुखद घटना से जुड़ी है जब 19 अगस्त 2003 को इराक की राजधानी बगदाद स्थित संयुक्त राष्ट्र (UN) मुख्यालय पर आतंकी हमला हुआ था।
इसमें 22 मानवीय कार्यकर्ताओं की मृत्यु हो गई थी, जिनमें संयुक्त राष्ट्र महासचिव के विशेष प्रतिनिधि Sergio Vieira de Mello भी शामिल थे।

इस घटना के बाद, संयुक्त राष्ट्र महासभा (UN General Assembly) ने 2008 में 19 अगस्त को World Humanitarian Day के रूप में मनाने का निर्णय लिया और 2009 से इसकी शुरुआत हुई।

महत्व :

  1. संकट, युद्ध, महामारी और प्राकृतिक आपदाओं में लोगों की मदद करने वाले मानवतावादी कार्यकर्ताओं को समर्पित।

  2. निस्वार्थ सेवा, करुणा और सहयोग के महत्व की याद दिलाता है।

  3. वैश्विक स्तर पर विभिन्न अभियानों और जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों को मानवता और सेवा की भावना से जोड़ने का प्रयास।

  4. जिन्होंने दूसरों की मदद करते हुए अपने प्राणों का बलिदान देने वालों को समर्पित दिन।


World Humanitarian Day 2025 Theme

हर साल संयुक्त राष्ट्र (UN) इस दिवस को एक विशेष Theme के साथ मनाता है, ताकि मानवीय कार्यों और चुनौतियों पर अधिक जागरूकता फैलाई जा सके।

हर वर्ष की थीम का उद्देश्य लोगों को प्रेरित करना और संकट की घड़ी में मानवता के योद्धाओं की कहानियों को सामने लाना होता है।

2025 में विश्व मानवतावादी दिवस थीम :

“Strengthening Global Solidarity and Empowering Local Communities.”

थीम इस बात पर ज़ोर देती है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को आपदा और संकटों का सामना कर रहे लोगों के प्रति एकजुट होकर सहायता करनी चाहिए और इस सहायता में स्थानीय समुदायों को केवल लाभार्थी ही नहीं, बल्कि उनके अपने भविष्य का निर्माण करने वाले सक्रिय भागीदार भी माना जाए।


Theme महत्व और उद्देश्य

वैश्विक एकजुटता (Global Solidarity):

  • जब दुनिया किसी मानवीय संकट का सामना करती है, तो प्रतिक्रिया केवल कुछ देशों या संगठनों तक सीमित नहीं होनी चाहिए — बल्कि सभी को साथ आकर साझा ज़िम्मेदारी निभानी चाहिए।

  • ऐसे समय में अंतरराष्ट्रीय सहयोग ही प्रभावित लोगों के लिए एक मजबूत सहारा बनता है।

स्थानीय समुदायों को सशक्त बनाना (Empowering Local Communities):

राहत कार्यों का मकसद स्थानीय समुदायों की मदद कर, उनकी आवाज, क्षमता और नेतृत्व को भविष्य में आने वाली बुरी परिस्थितियों के लिए तैयार रहना सिखाना है।

वैश्विक चुनौतियों में भूमिका (Role in Global Challenges):

आज की दुनिया कई गंभीर चुनौतियों से जूझ रही है —

  1. प्राकृतिक आपदाएँ (भूकंप, बाढ़, तूफान)

  2. युद्ध और आतंकवाद

  3. भुखमरी और गरीबी

  4. जलवायु परिवर्तन

  5. महामारियाँ और स्वास्थ्य संकट।

इन परिस्थितियों में मानवतावादी कार्यकर्ता न केवल राहत सामग्री पहुँचाते हैं, बल्कि प्रभावित समुदायों को आशा, सुरक्षा और सहारा भी प्रदान करते हैं।


कमजोर और संकटग्रस्त समुदायों की मदद (Helping Vulnerable Communities)

विश्व मानवतावादी दिवस का प्रथम उद्देश्य:

  • कमजोर, विस्थापित और संकटग्रस्त लोगों की मदद करना।

  • युद्धग्रस्त क्षेत्रों में शरणार्थियों को सुरक्षित आश्रय देना।

  • भूख और बीमारी से जूझ रहे समुदायों को राहत सामग्री व स्वास्थ्य सेवाएँ पहुँचाना।

  • शिक्षा, स्वच्छ पानी और पुनर्वास की व्यवस्था करना।


मानवतावादी कार्यों की जरूरत क्यों ?

मानवतावादी कार्यों की ज़रूरत इसलिए होती है क्योंकि ये कार्य सीधे तौर पर मानव जीवन, गरिमा और अस्तित्व की रक्षा से जुड़े होते हैं।

मुख्य कारण इस प्रकार हैं –

  1. जीवन की रक्षा के लिए – आपदा या युद्ध जैसी परिस्थितियों में राहत उपलब्ध कराना।

  2. मानव गरिमा बनाए रखने के लिए – शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार से सम्मानजनक जीवन देना।

  3. कमजोर और वंचित वर्गों की सहायता हेतु – बच्चों, महिलाओं, बुज़ुर्गों और विकलांगों की देखभाल।

  4. समानता और करुणा की भावना जगाने के लिए – जाति, धर्म और भाषा से ऊपर उठकर इंसानियत को प्राथमिकता देना।

  5. दीर्घकालिक विकास और शांति के लिए – आत्मनिर्भरता और शिक्षा को बढ़ावा देना।

  6. Human Rights Protection – कमजोर और संकटग्रस्त लोगों के अधिकारों की रक्षा।


मानवतावादी दिवस को मनाने के लिए दें अपना योगदान

आप इस दिवस पर निम्न तरीकों से योगदान दे सकते हैं:

  1. जरूरतमंदों की मदद करें – भोजन, कपड़े, दवाइयाँ दान करें।

  2. Humanitarian Volunteering – NGO, ब्लड बैंक या राहत संगठन से जुड़ें।

  3. मानवाधिकारों की आवाज़ उठाएँ – सोशल मीडिया व जागरूकता अभियानों में भाग लें।

  4. रक्तदान या अंगदान संकल्प लें।

  5. शिक्षा और ज्ञान साझा करें – बच्चों को पढ़ाई में मदद करें।

  6. प्रकृति और समाज के लिए कार्य करें – पेड़ लगाएँ, पर्यावरण संरक्षण करें।

  7. छोटी-छोटी करुणा की पहल करें – बुजुर्गों की देखभाल, बीमार पड़ोसी की मदद, आदि।


निष्कर्ष

विश्व मानवतावादी दिवस हमें यह संदेश देता है कि मानवता ही सबसे बड़ा धर्म है।
जब दुनिया विभिन्न चुनौतियों से घिरी हो, तो निस्वार्थ सेवा, सहयोग और करुणा ही वह रास्ता है जो कमजोर और संकटग्रस्त समुदायों को नया जीवन और उम्मीद दे सकता है।

मानवतावादी दिवस केवल औपचारिकता का दिन नहीं है, बल्कि यह हमें रोज़मर्रा की ज़िंदगी में “इंसानियत सबसे पहले” के सिद्धांत पर जीने की प्रेरणा देता है।


International Youth Day 2025: युवाओं की ऊर्जा से बदलाव की नई शुरुआत

International Youth Day – युवाओं के लिए समर्पित एक प्रेरणादायक दिन

“युवा वह ज्योति हैं, जो भविष्य के मार्ग को रोशन करती है।”

हर वर्ष 12 अगस्त को पूरी दुनिया में International Youth Day मनाया जाता है। इसका उद्देश्य युवाओं के योगदान को सम्मान देना, उनकी चुनौतियों को पहचानना और उनकी क्षमता को उजागर करना है। यह दिन केवल एक तिथि नहीं, बल्कि एक अवसर है युवाओं को प्रोत्साहित करने, उनके अधिकारों की रक्षा करने और उन्हें परिवर्तन का नेतृत्व करने के लिए प्रेरित करने का।

चाहे शिक्षा हो, तकनीकी नवाचार, सामाजिक सुधार या पर्यावरण का संरक्षण—युवा हर क्षेत्र में नई दिशा देने की ताकत रखते हैं। संयुक्त राष्ट्र (UN) द्वारा 12 अगस्त को इस दिन के रूप में चुनना इस बात का संदेश है कि दुनिया के हर कोने में युवाओं की आवाज़ सुनी जानी चाहिए और उन्हें समान अवसर मिलने चाहिए।


International Youth Day – केवल एक दिन नहीं, एक सोच है

क्यों है यह दिन विशेष?

12 अगस्त हमें यह याद दिलाता है कि युवा सिर्फ आने वाला कल नहीं, बल्कि आज की धड़कन भी हैं। उनकी ऊर्जा, उनके सपने और उनके विचार समाज को नई दिशा देने की क्षमता रखते हैं।

समाज में युवाओं की अहमियत

युवा असंभव को संभव बनाने की ताकत रखते हैं—नई तकनीक अपनाने से लेकर सामाजिक सुधार लाने तक, हर बदलाव की जड़ में उनकी सोच और मेहनत होती है।

12 अगस्त का चयन क्यों?

संयुक्त राष्ट्र ने इस दिन को चुनकर यह स्पष्ट किया कि युवाओं के मुद्दे और उनकी आकांक्षाएं वैश्विक चर्चा का हिस्सा बनें।


इस दिन की कहानी – कब और कैसे हुई शुरुआत?

  • 1999 – संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा आधिकारिक घोषणा।

  • 2000 – पहली बार अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस मनाया गया।

  • उद्देश्य – युवाओं से जुड़े मुद्दों को उजागर करना और सकारात्मक बदलाव की पहल करना।

वर्तमान समय में यह दिन शिक्षा, रोजगार, मानसिक स्वास्थ्य, पर्यावरण सुरक्षा और लैंगिक समानता जैसे विषयों पर वैश्विक जागरूकता फैलाता है।


International Youth Day 2025 Theme – “Empowering Youth for a Sustainable Future”

थीम का वास्तविक अर्थ

इस वर्ष का संदेश साफ है—अगर कल को सुरक्षित बनाना है तो आज के युवाओं को सशक्त बनाना अनिवार्य है। शिक्षा, कौशल विकास, अवसर और सही दिशा देकर हम ऐसा भविष्य बना सकते हैं जो आने वाली पीढ़ियों के लिए भी स्थायी और सुरक्षित हो।

युवा और सतत विकास में उनकी भूमिका

  • नई तकनीकों को अपनाना

  • पर्यावरण की रक्षा करना

  • सामाजिक असमानताओं को खत्म करना

इन क्षेत्रों में युवा नेतृत्व और परिवर्तन का प्रतीक बन सकते हैं।


आज के युवाओं के सामने प्रमुख चुनौतियां

  • गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की कमी

  • रोजगार की सीमित संभावनाएं

  • डिजिटल कौशल की आवश्यकता

  • सामाजिक बदलाव में भागीदारी की कमी

जरूरत है कि युवा स्वयं को कुशल, जागरूक और जिम्मेदार बनाएं ताकि हर चुनौती को अवसर में बदला जा सके।


International Youth Day कैसे मनाया जा सकता है?

  • सोशल मीडिया अभियान चलाएं – #InternationalYouthDay, #YouthEmpowerment

  • युवा सम्मेलन या कार्यशालाओं में भाग लें

  • प्रेरणादायक कहानियां साझा करें

  • स्वयंसेवी कार्य करें – सफाई अभियान, पौधारोपण, रक्तदान आदि


निष्कर्ष – बदलाव की सांसें हैं युवा

International Youth Day सिर्फ कैलेंडर पर अंकित एक तारीख नहीं, बल्कि एक वैश्विक आंदोलन है।
जब युवा एक साथ आगे बढ़ते हैं, तो बदलाव न केवल संभव बल्कि निश्चित हो जाता है।

👉 याद रखें—
“आपका जोश किसी का भविष्य बदल सकता है, और आपका कदम पूरी दुनिया को नई दिशा दे सकता है।”

रक्षा बंधन 2025: भाईबहन के अटूट रिश्ते और प्रेम का पवित्र त्योहार (Meaning & Significance of Raksha Bandhan 2025)

रक्षा बंधन भारत के सबसे खूबसूरत और भावनात्मक त्योहारों में से एक है। यह दिन भाई और बहन के रिश्ते की मिठास, विश्वास और प्रेम को और भी मजबूत करता है। रक्षा बंधन 2025 न केवल राखी बांधने का दिन है, बल्कि यह भाई द्वारा बहन की रक्षा का संकल्प और बहन द्वारा भाई की लंबी उम्र की दुआ का प्रतीक भी है।

रक्षा बंधन का अर्थ (Meaning of Raksha Bandhan in Hindi & English)

  • “रक्षा” means protection

  • “बंधन” means bond or tie

क्यों यह त्योहार खास है (Why Raksha Bandhan is Special)

  • यह त्योहार रिश्तों में विश्वास और अपनापन बढ़ाता है।
  • परिवार में एकजुटता और प्रेम को मजबूत करता है।
  • भारतीय संस्कृति की संस्कार और परंपरा को जीवित रखता है।

रक्षा बंधन 2025 कब है तारीख और दिन (Raksha Bandhan 2025 Date & Auspicious Timing)

रक्षा बंधन 2025 सोमवार, 11 अगस्त 2025 को मनाया जाएगा।

पवित्र श्रावण मास का महत्व  

रक्षा बंधन श्रावण मास की पूर्णिमा को आता है, जिसे हिन्दू धर्म में सबसे पवित्र तिथियों में गिना जाता है।

रक्षा बंधन 2025 का शुभ मुहूर्त

  • राखी बांधने का समय: सुबह 09:28 बजे से शाम 09:05 बजे तक
  • पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 11 अगस्त 2025 को सुबह 07:15 बजे
  • पूर्णिमा तिथि समाप्त: 12 अगस्त 2025 को सुबह 05:48 बजे

भद्रा काल और उससे बचने का महत्व (Mythological Stories of Raksha Bandhan)

भद्रा काल में राखी बांधना अशुभ माना जाता है। इसलिए राखी हमेशा भद्रा काल समाप्त होने के बाद ही बांधनी चाहिए।

रक्षा बंधन का इतिहास और पौराणिक कथाएँ

महाभारत में कृष्णद्रौपदी की कथा

महाभारत के अनुसार, एक बार श्रीकृष्ण के हाथ में चोट लगने पर द्रौपदी ने अपनी साड़ी का टुकड़ा फाड़कर उनके हाथ पर बांध दिया। बदले में श्रीकृष्ण ने जीवनभर उनकी रक्षा करने का वचन दिया।

रानी कर्णावती और हुमायूं की कहानी

मेवाड़ की रानी कर्णावती ने बहादुर शाह के आक्रमण से बचने के लिए हुमायूं को राखी भेजी थी। हुमायूं ने इसे स्वीकार कर उनकी रक्षा की।

रक्षा बंधन का सांस्कृतिक और भावनात्मक महत्व

  • परिवार में प्रेम और विश्वास की डोर – भाई-बहन के रिश्ते में मजबूती
  • भारतीय समाज में परंपराओं की भूमिका – संस्कृति का संरक्षण

राखी बांधने की विधि और आवश्यक सामग्री

पूजा थाली की तैयारी

  • राखी
  • रोली और चावल
  • दीपक
  • मिठाई

मंत्र और परंपरागत रीति

राखी बांधते समय यह मंत्र बोला जाता है –
येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबलः।
तेन त्वामनि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल॥

क्षेत्रीय विविधताएं और अलगअलग राज्य की परंपराएं

राजस्थान का लुंबा राखी प्रथा

यहां बहनें अपनी भाभी के हाथ में भी राखी बांधती हैं, जिसे लुंबा राखी कहते हैं।

महाराष्ट्र का नारली पूर्णिमा

समुद्र देवता की पूजा कर नारियल अर्पित किया जाता है।

गुजरात का पवित्रोपण

इस दिन जनेऊ बदलने की परंपरा होती है।

आधुनिक समय में रक्षा बंधन

डिज़ाइनर राखी और राखी

ऑनलाइन शॉपिंग और डिज़ाइनर राखी का ट्रेंड बढ़ गया है।

ऑनलाइन गिफ्ट्स और डिजिटल बधाई संदेश

WhatsApp और सोशल मीडिया पर राखी के बधाई संदेश भेजना आम हो गया है।

रक्षा बंधन मनाने के आइडियाज 2025

इस बार रक्षा बंधन को और खास बनाने के लिए कुछ क्रिएटिव और यादगार तरीके अपनाएं:

1.  पर्सनलाइज्ड गिफ्ट्स तैयार करें

  • भाई-बहन की पुरानी तस्वीरों का फोटो एलबम
  • नाम या फोटो प्रिंटेड मग, कुशन या फ्रेम
  • हैंडमेड ग्रीटिंग कार्ड
  1. पारंपरिक थीम पार्टी
  • घर पर पारंपरिक ड्रेस कोड रखें (साड़ी, कुर्ता-पजामा)
  • घर सजाने के लिए फूलों और रंगोली का इस्तेमाल करें
  • पारंपरिक मिठाई जैसे रसगुल्ला, बर्फी, मोतीचूर लड्डू बनाएं
  1. आउटडोर सेलिब्रेशन
  • किसी मंदिर या ऐतिहासिक जगह पर राखी बांधने जाएं
  • पिकनिक स्पॉट पर परिवार के साथ दिन बिताएं
  • फोटोग्राफी से खास पलों को कैद करें
  1. स्पेशल डिनर या लंच
  • भाई/बहन की पसंद का मेन्यू बनाएं
  • घर पर कैंडल लाइट डिनर का अरेंजमेंट
  • साथ में मिठाई बनाने का मजा लें
  1. सोशल मीडिया सेलिब्रेशन
  • राखी सेलिब्रेशन की वीडियो रील बनाएं
  • एक प्यारा सा कैप्शन लिखें और भाई-बहन के साथ फोटो पोस्ट करें
  • हैशटैग जैसे #Rakhi2025 #RakshaBandhan2025 #SiblingLove इस्तेमाल करें
  1. वर्चुअल राखी समारोह(अगर भाईबहन दूर हैं)
  • वीडियो कॉल पर राखी बांधने का सेशन करें
  • ऑनलाइन गिफ्ट ऑर्डर करें और सरप्राइज दें
  • वर्चुअल फोटो कोलाज शेयर करें
  1. स्पेशल प्रॉमिस डे बनाएं
  • भाई बहन से सालभर निभाने वाले वादे लें
  • बहन भाई के साथ कुछ गोल्स शेयर करे (जैसे फिटनेस, पढ़ाई या परिवार के लिए समय)

 

निष्कर्ष

रक्षा बंधन 2025 सिर्फ एक त्योहार नहीं बल्कि यह प्रेम, सुरक्षा और साथ निभाने का संकल्प है। इस दिन भाई-बहन के रिश्ते में प्यार और विश्वास की डोर और भी मजबूत हो जाती है।

 

Dedicated to True Friend’s Significance in Life: International Friendship Day 2025

जिंदगी में सच्चे दोस्त का साथ इंसान की जिंदगी को बदल सकने में अहम भूमिका रखता है।
True Friendship इंसान की हर तरक्की में सहायक है।


क्यों इस दिन को मनाने की जरूरत महसूस हुई?

सच्ची दोस्ती की मिसाल: International Friendship Day 2025

International Friendship Day हर साल 30 जुलाई को यह दिन मनाया जाता है।
इसका उद्देश्य दोस्तों के रिश्ते को सम्मान देना, आपसी प्रेम और विश्वास को बढ़ावा देना होता है।


International Friendship Day क्यों मनाया जाता है?

  • दोस्ती की अहमियत को समझाने और उसे सेलिब्रेट करने के लिए।

  • यह दिन हमें यह याद दिलाता है कि सच्चे दोस्त जीवन की सबसे बड़ी पूंजी होते हैं।

  • United Nations ने इसे 2011 में आधिकारिक रूप से मान्यता दी थी ताकि शांति, मेल-जोल और समझ को बढ़ावा दिया जा सके।


International Friendship Day का इतिहास

1. Friendship Day का इतिहास

फ्रेंडशिप डे की शुरुआत सबसे पहले 1930 में अमेरिका में हुई थी। इसका श्रेय Joyce Hall को जाता है, जो Hallmark Cards कंपनी के संस्थापक थे।
उन्होंने एक ऐसा दिन तय करने का प्रस्ताव रखा था, जब दोस्त एक-दूसरे को कार्ड, उपहार और शुभकामनाएं देकर अपनी दोस्ती का उत्सव मना सकें।

हालांकि शुरुआती वर्षों में यह परंपरा बहुत लोकप्रिय नहीं हो सकी और धीरे-धीरे इसका महत्व कम होता गया।
लेकिन दक्षिण अमेरिकी देशों, विशेषकर पराग्वे और भारत जैसे देशों में फ्रेंडशिप डे ने एक नया सामाजिक और भावनात्मक रूप ले लिया।

2. पहली बार International Friendship Day

संयुक्त राष्ट्र द्वारा 2011 में दोस्ती को सद्भाव, शांति और आपसी समझ का माध्यम समझते हुए
“30 जुलाई को International Friendship Day” के रूप में मान्यता दी।

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 27 अप्रैल 2011 को पारित प्रस्ताव में कहा:

“लोगों, देशों, संस्कृतियों और व्यक्तियों के बीच मित्रता शांति के प्रयासों को प्रेरित कर सकती है और समुदायों के बीच पुल बना सकती है।”

3. International Friendship Day का उद्देश्य

  • विविध संस्कृतियों और पृष्ठभूमियों से आए लोगों के बीच आपसी समझ, सद्भाव और भाईचारे को बढ़ावा देना।

  • युवाओं को सामुदायिक गतिविधियों और मेलजोल के लिए प्रेरित करना।

  • वैश्विक शांति और एकजुटता को प्रोत्साहित करना।


सच्ची दोस्ती: सच्चा दोस्त ईमानदारी, विश्वास और समर्थन आदि से परिपूर्ण

True Friendship के संकेत:

  1. ईमानदारी से भरा हुआ।

  2. विश्वास के साथ चलने वाला।

  3. हर स्थिति में समर्थन करने वाला।

  4. खुलकर बात करने वाला।

  5. आपकी कमज़ोरियों के बावजूद भी आपको अपना दोस्त मानने वाला।

  6. आपकी खुशियों में शामिल होने वाला।

  7. पीठ पीछे आपकी रक्षा करने वाला।


Friendship Day Celebration in 2025: दोस्तों को मनाने का मौका और तरीका

दोस्ती मनाने का मौका क्यों?

2025 में फ्रेंडशिप डे हमें फिर से यह याद दिलाता है कि सच्चे दोस्त जिंदगी की सबसे बड़ी पूंजी होते हैं।
आज के व्यस्त जीवन में हम अक्सर अपने दोस्तों को समय नहीं दे पाते, तो यह दिन उन्हें विशेष महसूस कराने और पुराने पलों को दोहराने का मौका देता है।

2025 में ऐसे Celebrate करें Friendship Day:

  1. दोस्तों के साथ Quality Time बिताएं।

  2. Friendship Bands दें।

  3. सोशल मीडिया Celebration।

  4. सरप्राइज गिफ्ट या चिट्ठी दें।

  5. Long-Distance Friends के लिए वर्चुअल पार्टी।


दोस्ती निभाने का असली तरीका

  • दोस्ती केवल एक दिन नहीं, हर दिन निभाई जाती है।

  • एक सच्चा दोस्त मुश्किल समय में भी साथ खड़ा रहता है।

  • 2025 के इस फ्रेंडशिप डे पर सिर्फ जश्न नहीं, एक प्रतिबद्धता करें कि आप अपने दोस्तों के लिए हमेशा मौजूद रहेंगे।


Modern Digital Dosti: आज दोस्ती का नया रूप – ऑनलाइन Friendship

आज की डिजिटल दुनिया में दोस्ती का स्वरूप पहले जैसा नहीं रहा।
आज दोस्त मिलते हैं ऑनलाइन – सोशल मीडिया, गेमिंग प्लेटफॉर्म, वीडियो कॉल या चैट के जरिए।

डिजिटल दोस्ती – दोस्ती जो बाहरी दूरियों को मिटा, नए रिश्तों को जन्म देती है।


ऑनलाइन दोस्ती बनाम वास्तविक दोस्ती

डिजिटल दोस्ती की खास बातें:

  1. बॉर्डरलेस रिलेशन

  2. 24/7 कनेक्शन

  3. इमोशनल सपोर्ट

  4. तेजी से बढ़ता ट्रेंड

डिजिटल दोस्ती के फायदे:

  • नई सोच और संस्कृति को समझने का मौका।

  • कभी भी जुड़ाव और सहारा।

  • इंट्रोवर्ट लोगों के लिए बेहतर प्लेटफॉर्म।

  • रोज़मर्रा की तनाव भरी ज़िंदगी में पॉज़िटिव स्पेस।

लेकिन:

  • पहचान की पुष्टि कठिन होती है।

  • फेक प्रोफाइल और धोखे की संभावना।

  • भावनाओं की गहराई और साथ का एहसास कम।

  • टकराव होने पर लोग आसानी से गायब हो सकते हैं।

डिजिटल दोस्ती में सतर्कता जरूरी, क्यों?

  • प्राइवेसी का ध्यान रखें।

  • ओवर-शेयरिंग से बचें।

  • फेक प्रोफाइल्स से सावधान रहें।

  • विश्वास बनाने में समय लें।


वास्तविक दोस्ती की ताकत

वास्तविक दोस्ती: जो आमने-सामने मिलकर निभाई जाती है।

  • भावनात्मक जुड़ाव और शारीरिक उपस्थिति।

  • एक-दूसरे के सुख-दुख में साथ खड़े होने का भरोसा।

  • आंखों में देखकर समझने का संबंध।

  • विश्वास, स्मृतियाँ और साझा अनुभव मजबूत करते हैं दोस्ती को।

  • भरोसे और अपनापन का गहरा रिश्ता।

लेकिन:

  • समय और स्थान की सीमाएं।

  • व्यस्त जीवनशैली में मिलना कठिन हो सकता है।

  • कभी-कभी दूरी बढ़ने से रिश्ता भी फीका पड़ सकता है।


तो अब सवाल ये उठता है – कौन सी दोस्ती बेहतर है?

दोनों ही दोस्ती के रूपों की अपनी अहमियत और खूबियाँ हैं।

  • ऑनलाइन दोस्ती जीवन को आसान बनाती है, लेकिन सतर्क रहना जरूरी है।

  • वास्तविक दोस्ती दिल से जुड़ती है और जीवनभर साथ निभाने का भरोसा देती है।

“सर्वश्रेष्ठ दोस्ती वही है जो सच्चे मन से निभाई जाए – चाहे वो ऑनलाइन हो या आमने-सामने।”


Friendship Quotes and Poem

Friendship Quotes:

  1. सच्ची दोस्ती उम्र नहीं देखती, वो तो बस दिल से होती है।

  2. दोस्ती वो नहीं जो मौका देखे, दोस्ती वो है जो हर मौके पर साथ दे।

  3. दोस्ती का मतलब किसी तस्वीर में साथ होना नहीं, बल्कि दोस्ती का हर तकलीफ में साथ होना है।

  4. कुछ रिश्ते खून से नहीं, दिल से बनते हैं – और उन्हें हम दोस्त कहते हैं।

  5. दोस्ती अगर सच्ची हो, तो वक़्त और दूरियाँ मायने नहीं रखतीं।


कविता: “दोस्ती का रंग”

दोस्ती वो बारिश है, जो बिना मौसम के बरस जाए,
हर ग़म को धो दे, हर खुशी को और महकाए।

दोस्ती वो दीप है, जो अंधेरों में भी रौशनी दे,
हर मोड़ पर साथ चले, कभी न तन्हा छोड़े।

कभी हँसी में, कभी आँसू में, एक साथ बहते हैं,
सच्चे दोस्त वही हैं, जो हर हाल में रहते हैं।

न जात देखी, न धर्म पूछा, बस दिल की सुनी आवाज,
ऐसी होती है दोस्ती – बिना शर्त, बिना नाज़।

चलो आज फिर से मिल बैठें, उस पुराने यार के साथ,
याद करें वो पल, जो थे सबसे खास।


शॉर्ट स्लोगन

  • “दोस्ती – ज़िंदगी की सबसे प्यारी कहानी!”

  • “हर रिश्ते से ऊपर है, दिल से निभाई गई दोस्ती!”

  • “जहाँ दोस्त हैं, वहाँ मुस्कान अपने आप होती है!”

  • “सच्चा दोस्त – ईश्वर का सबसे खूबसूरत तोहफा!”


निष्कर्ष

फ्रेंडशिप डे केवल एक दिन नहीं, बल्कि सच्ची दोस्ती की अहमियत को समझने और उसे सम्मान देने का एक अवसर है।
यह दिन हमें यह याद दिलाता है कि जीवन में अच्छे दोस्त वह शक्ति होते हैं जो मुश्किल समय में हमारा साथ देते हैं,
हौसला बढ़ाते हैं और हमारी खुशियों को दोगुना करते हैं।

यह दिन सिखाता है कि दोस्ती एक अनमोल रिश्ता है, जिसे समय, ईमानदारी और समझदारी से निभाना चाहिए।
आइए हम इस दिन अपने दोस्तों के प्रति आभार प्रकट करें और अपने रिश्तों को और भी मजबूत बनाएं।

Women Empowerment और सावन का आस्था का पर्व : Haryali Teej 2025

हमारा देश त्योहारों का देश

हमारा देश त्योहारों का देश है। यहां समय समय पर अलग अलग संस्कृति के अनुसार विभिन्न त्यौहार मनाएं जाते हैं। ऐसा ही सावन के महीने में आने वाला एक आस्था का पर्व है “हरियाली तीज”


Haryali Teej 2025

Hariyali Teej 2025 उत्तर भारत, खासकर हरियाणा, राजस्थान, यूपी, बिहार और MP में मनाया जाने वाला एक प्रमुख हिंदू त्योहार है।
यह खासतौर पर सावन के महीने में शुक्ल पक्ष की तृतीय को महिलाओं द्वारा मनाया जाने वाला पर्व है।

इसके साथ साथ Haryali Teej 2025 भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन की याद में मनाई जाती है।
इसे प्रकृति, प्रेम और सौंदर्य के उत्सव के रूप में देखा जाता है। इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं और अविवाहित लड़कियां अच्छा वर पाने की कामना करती हैं।


त्योहार का नाम “हरियाली” क्यों?

  • सावन में जब धरती हरियाली से ढक जाती है, तब यह तीज आती है।

  • पेड़-पौधों की हरियाली और मौसम की ताजगी इसे “हरियाली तीज” नाम देती है।


हरियाली तीज का महत्व

  • यह स्त्री शक्ति और समर्पण का प्रतीक मानी जाती है।

  • सामाजिक रूप से यह महिलाओं के मेलजोल, पारिवारिक एकता और परंपराओं को सहेजने का उत्सव है।

  • यह पर्यावरण संरक्षण और वर्षा ऋतु के स्वागत का भी प्रतीक है।


Teej Festival Significance: प्रकृति और परंपरा अनूठा संगम

प्रकृति की हरियाली और सांस्कृतिक परंपराओं का सुंदर संगम है हरियाली तीज। यह महिलाओं द्वारा भगवान शिव और माता पार्वती के मिलन की स्मृति में मनाया जाने वाला उत्सव है।
हरियाली तीज वर्षा ऋतु में आती है, जब धरती हरी-भरी हो जाती है, जिससे यह प्रकृति के सौंदर्य और जीवन के उत्सव का प्रतीक बन जाता है।

महिलाएं इस दिन व्रत, झूले, लोकगीत और मेंहदी जैसी परंपराओं के माध्यम से अपनी आस्था, प्रेम और सौंदर्य का उत्सव मनाती हैं। यह पर्व नारी शक्ति, सौभाग्य और प्रकृति के प्रति श्रद्धा को समर्पित होता है।


भगवान शिव पार्वती कथा और व्रत की शुरुआत

हरियाली तीज का व्रत माता पार्वती की अटूट भक्ति और तपस्या की कथा से जुड़ा है। कथा के अनुसार, देवी पार्वती ने 131 जन्मों तक तप करके भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने की कामना की। अंततः 132वें जन्म में उनकी कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें स्वीकार किया और उनका पुनर्मिलन हुआ।


Teej Vrat Vidhi

इसी शुभ दिन को याद करते हुए हरियाली तीज पर महिलाएं व्रत रखती हैं। यह व्रत मुख्यतः सुहागन स्त्रियों द्वारा अपने पति की दीर्घायु और सुख-समृद्धि के लिए किया जाता है, वहीं कुंवारी कन्याएं अच्छे वर की प्राप्ति हेतु यह व्रत करती हैं।
व्रत में महिलाएं निर्जला उपवास, पूजा, कथा श्रवण और झूला झूलने जैसी परंपराओं का पालन करती हैं।

हरियाली तीज, प्रेम, नारी-शक्ति और भक्ति का प्रतीक बनकर भारतीय संस्कृति में विशेष स्थान रखता है।


2025 Hariyali Teej दिनांक और शुभ मुहूर्त

  • दिनांक: 27 जुलाई 2025, रविवार

  • मुख्य समय: तृतीया तिथि 26 जुलाई रात 10:41 बजे से शुरू।

  • उपयुक्त मुहूर्त: ब्रह्म मुहूर्त एवं प्रातः संध्या (विशेष रूप से 04:46–06:14)

  • विशेष योग: रवि योग (27 जुलाई शाम 16:23 से 28 जुलाई सुबह 06:14 तक) — अत्यंत शुभ फलदायी

व्रत मुख्यतः निर्जला रूप में रखा जाए और पूजा समय के अनुसार अनुष्ठान करें।


Teej Vrat Vidhi

व्रत:

  • निर्जला उपवास (ना पानी, ना भोजन)।

पूजा:

  • सुबह ब्रह्म मुहूर्त या प्रातः संध्या में करें।

  • शिव-पार्वती की विधिपूर्वक पूजा, बेलपत्र, फल, सोलह श्रृंगार सामग्री शामिल।

  • कथा श्रवण और झूला (स्विंग) का आयोजन।

  • रवि योग में किया गया व्रत और पूजा विशेष फलदायक मानी जाती है।


उपवास सामग्री और तीज व्रत का महत्व

हरियाली तीज विशेषकर सुहागिन स्त्रियों के लिए एक अत्यंत पावन पर्व है।
हरियाली तीज व्रत सिर्फ धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि स्त्री के आत्मबल, श्रद्धा और प्रेम का प्रतीक है।

मुख्य महत्व:

  1. दांपत्य जीवन में प्रेम और समर्पण बढ़ाने वाला व्रत।

  2. भगवान शिव और देवी पार्वती के पुनर्मिलन का प्रतीक।

  3. कृषि और हरियाली के स्वागत का त्योहार।

  4. नारी शक्ति, तप और श्रद्धा का उत्सव।

  5. कुमारी कन्याएं अच्छे वर की प्राप्ति के लिए यह व्रत करती हैं।


पूजन सामग्री:

  • जल से भरा कलश

  • आम के पत्ते

  • कुमकुम, हल्दी, चंदन

  • अक्षत (चावल)

  • पुष्प (फूल) और बेलपत्र

  • धूप, दीपक, कपूर

  • सुपारी, लौंग, इलायची

  • पान, नारियल

  • मिठाई (लड्डू, घेवर, मालपुआ आदि)

  • शिव-पार्वती की मूर्ति या चित्र

  • पूजा की थाली


व्रत (उपवास) की खाद्य सामग्री:

साँझ को व्रत खोलने या अगले दिन सेवन हेतु:

  • फल (केला, सेब, अनार, मौसमी आदि)।

  • सूखे मेवे (काजू, बादाम, किशमिश)।

  • साबूदाना खिचड़ी / वड़ा।

  • सिंघाड़ा/कुट्टू का आटा (पूड़ी या पकौड़ी बनाने हेतु)।

  • आलू की सब्जी (सेंधा नमक से बनी)।

  • मीठे व्यंजन (घेवर, मालपुआ, खीर इत्यादि)।


व्रत की प्रक्रिया (Vrat Vidhi):

  1. सुबह स्नान कर व्रत का संकल्प लें।

  2. शिव-पार्वती की प्रतिमा की विधिवत पूजा करें।

  3. कथा श्रवण करें (हरियाली तीज व्रत कथा)।

  4. दिनभर निर्जला या फलाहार उपवास करें।

  5. रात्रि को भजन-कीर्तन करें, झूला झुलाएं।

  6. अगले दिन पारण करें।


Teej Festival Dedicated to Women Empowerment: तीज पर्व महिलाओं के लिए सौभाग्य से परिपूर्ण

तीज पर्व भारतीय संस्कृति का एक ऐसा पावन त्योहार है, जो महिलाओं के आत्मबल, श्रद्धा और सौंदर्य का उत्सव है। यह पर्व विशेष रूप से महिला सशक्तिकरण (Women Empowerment) और दांपत्य सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। हरियाली तीज, कजरी तीज और हरतालिका तीज – ये सभी तीजें भारतीय स्त्रियों की आस्था, प्रेम और शक्ति को समर्पित हैं।


महिलाओं के लिए तीज का विशेष महत्व:

  1. सौभाग्यवती रहने का संकल्प: विवाहित महिलाएं इस दिन व्रत रखकर भगवान शिव और देवी पार्वती से अपने पति की लंबी उम्र और सुखद वैवाहिक जीवन की कामना करती हैं।

  2. कन्याओं के लिए श्रेष्ठ वर की प्राप्ति: अविवाहित कन्याएं भी तीज व्रत रखती हैं ताकि उन्हें शिव जैसे आदर्श जीवनसाथी की प्राप्ति हो।

  3. आध्यात्मिक और मानसिक शक्ति: उपवास, ध्यान और पूजा के माध्यम से महिलाएं आत्म-नियंत्रण और आध्यात्मिक जागरूकता का अभ्यास करती हैं।

  4. सामाजिक एकजुटता और बहनचारा: महिलाएं समूह में गीत गाती हैं, झूला झूलती हैं और पारंपरिक नृत्य करती हैं – यह महिलाओं के बीच सामाजिक सहयोग और आत्मीयता को बढ़ाता है।

  5. स्वरोजगार और हुनर का प्रदर्शन: कई जगहों पर तीज मेलों में महिलाएं अपने हस्तशिल्प, फैशन, मेहंदी कला और पाक कौशल का प्रदर्शन करती हैं – जो आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देता है।


तीज: नारी सशक्तिकरण का सांस्कृतिक रूप

  • यह पर्व बताता है कि महिला सिर्फ एक पत्नी या मां नहीं, वह धैर्य, तप, प्रेम और शक्ति की मूर्ति है।

  • पार्वती जी का तप और प्रतीक्षा यह दर्शाता है कि नारी में संघर्ष और सफलता दोनों को अपनाने की क्षमता होती है।

  • महिलाएं उपवास रखकर अपने संकल्प, शक्ति और आस्था को साबित करती हैं।


Teej Celebrations: विभिन्न जगहों पर तीज उत्सव का माहौल

उत्तर भारत में तीज उत्सव:

राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली जैसे राज्यों में तीज का विशेष महत्व है। महिलाएं हरे रंग के वस्त्र पहनती हैं, मेहंदी रचाती हैं, झूला झूलती हैं और भगवान शिव-पार्वती की पूजा करती हैं।

  • जयपुर (राजस्थान) में तीज का जुलूस बहुत प्रसिद्ध है, जिसमें सजे-धजे हाथी, ऊंट और लोक नर्तक शामिल होते हैं।

  • हरियाणा में यह पर्व महिलाओं की सामाजिक सहभागिता और सांस्कृतिक प्रदर्शन का माध्यम बन जाता है।

बिहार और झारखंड में तीज का भावनात्मक रूप:

बिहार और झारखंड में महिलाएं इस दिन व्रत रखती हैं और नीम, पीपल और तुलसी जैसे पवित्र वृक्षों की पूजा करती हैं। गीतों और लोक-नृत्य के साथ तीज का स्वागत होता है।

मध्य भारत में परंपरा और भक्ति का संगम:

मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में तीज के दिन पारंपरिक गीतों और लोकनृत्य के साथ सामूहिक रूप से उपवास रखती हैं और शाम को पूजा-अर्चना के बाद कथा सुनती हैं।


Teej Modern View: समाज में महिलाओं का बदलता स्वरूप और नारी शक्ति का महत्व

तीज अब केवल व्रत और पूजा तक सीमित नहीं, बल्कि आधुनिक नारी शक्ति और आत्मसम्मान का प्रतीक बन चुका है। महिलाएं आज अपने करियर, परिवार और संस्कृति में संतुलन बना रही हैं।

इस पर्व के माध्यम से वे न केवल परंपरा निभाती हैं, बल्कि अपनी आत्मचेतना, आत्मबल और सामाजिक पहचान को भी मजबूत करती हैं।

तीज आज एक नारी उत्सव है – जहां वह स्वयं को मनाती है, सजती है, और समाज में अपनी भूमिका को और भी मजबूत करती है।


निष्कर्ष: तीज — परंपरा और प्रकृति के संगम का त्योहार

तीज केवल एक धार्मिक व्रत या पारंपरिक पर्व नहीं, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, प्रकृति प्रेम और नारी शक्ति के अद्भुत संगम का प्रतीक है। यह पर्व जहां एक ओर प्रकृति की हरियाली और श्रावण मास की सुंदरता का स्वागत करता है, वहीं दूसरी ओर यह महिलाओं के संकल्प, प्रेम और श्रद्धा को भी उजागर करता है।

तीज के माध्यम से हमें अपनी परंपराओं से जुड़ने, पर्यावरण संरक्षण का संदेश ग्रहण करने और सामाजिक एकता को मजबूत करने की प्रेरणा मिलती है। यही कारण है कि तीज आज भी उतनी ही प्रासंगिक और जीवंत है जितनी पुरातन समय में थी।

Prevention from Food Poisoning in Monsoon: क्या खाएं और क्या न खाएं

जैसे-जैसे मौसम बदलता है, यह हमारे खानपान को भी प्रभावित करता है। मुख्य तौर पर हम क्या खा रहे हैं, यह बहुत मायने रखता है।
मौसम के अनुसार सही भोजन का चुनाव जरूरी है, नहीं तो इंसान बीमारियों का शिकार हो जाता है। ऐसा ही मौसम अब शुरू हो चुका है — मानसून का मौसम। इसमें सबसे जरूरी ध्यान रखना पड़ता है कि क्या खाएं और क्या न खाएं। अगर ऐसा नहीं किया तो हम Food Poisoning का शिकार हो जाते हैं।


आइए जानते हैं मानसून और Health का कैसा संबंध है?

Monsoon और Health कहां तक संबंधित?

मानसून और स्वास्थ्य का संबंध बहुत गहरा है। इस मौसम में वातावरण में अधिक नमी, गंदगी और बैक्टीरिया के पनपने की वजह से शरीर पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।

मानसून के दौरान डेंगू, मलेरिया, टाइफॉइड, Food Poisoning और जोड़ों का दर्द जैसी बीमारियां आम हो जाती हैं। बारिश के पानी के जमाव और साफ-सफाई की कमी से संक्रमण तेजी से फैलते हैं। वहीं, पाचन तंत्र भी कमजोर हो जाता है जिससे फूड पॉइजनिंग और पेट से जुड़ी समस्याएं बढ़ती हैं।

इसलिए मानसून में खानपान, स्वच्छता और व्यक्तिगत सावधानी बेहद जरूरी है ताकि मौसम का आनंद लेते हुए स्वास्थ्य भी सुरक्षित रहे।


Reason for Food Poisoning in Monsoon

मानसून में खानपान और स्वच्छता का विशेष ध्यान न रखने पर Food Poisoning आम समस्या बन जाती है।

कारण:

  1. अधिक नमी: बारिश के मौसम में वातावरण में नमी बढ़ जाती है, जिससे बैक्टीरिया, फंगस और अन्य सूक्ष्म जीव तेजी से पनपते हैं।
  2. भोजन का जल्दी खराब होना: गर्मी और नमी के कारण पका हुआ भोजन जल्दी खराब हो जाता है।
  3. खुले और गंदे भोजन का सेवन: सड़क किनारे बिकने वाला साफ-सफाई रहित खाना संक्रमण फैला सकता है।
  4. अस्वच्छ जल का उपयोग: पीने या खाना बनाने में इस्तेमाल किया गया अशुद्ध पानी संक्रमण का मुख्य कारण बन सकता है।
  5. हाथ और बर्तनों की सफाई में लापरवाही: गंदे हाथों या बर्तनों से बना खाना खाने से बैक्टीरिया शरीर में प्रवेश कर जाते हैं।
  6. फ्रिज में लंबे समय तक रखा खाना: मानसून में बासी खाना जल्दी दूषित हो सकता है।

Monsoon में कैसे बचें Food Poisoning से: क्या खाएं, क्या न खाएं

मानसून में सतर्क रहकर खाने-पीने की आदतों में थोड़ा बदलाव लाकर फूड पॉइजनिंग से बचा जा सकता है।

✅ क्या खाएं:

  1. घर का बना ताजा खाना – ताजगी से बना भोजन फूड पॉइजनिंग से बचाव करता है।
  2. उबला या फिल्टर किया हुआ पानी – केवल साफ और सुरक्षित पानी ही पीएं।
  3. पका हुआ गर्म खाना – पूरी तरह पका और गरमागरम खाना बैक्टीरिया को मारता है।
  4. सीजनल फल और सब्ज़ियां – धोकर और छीलकर खाने योग्य फल खाएं।
  5. हल्का और सुपाच्य भोजन – मानसून में पाचन कमजोर होता है, इसलिए हल्का खाना बेहतर है।

❌ क्या न खाएं:

  1. बासी या अधपका खाना
  2. खुला और स्ट्रीट फूड
  3. कटे हुए फल लंबे समय तक न रखें
  4. फ्रिज में रखा पुराना खाना
  5. बहुत अधिक मसालेदार या तला-भुना खाना

⚠️ अतिरिक्त सावधानी:

  • खाना बनाते समय और खाने से पहले हाथ जरूर धोएं।
  • बर्तनों और रसोई की साफ-सफाई रखें।
  • भोजन को ढककर रखें।

🍱 Safe Food During Monsoon: कैसे पहचानें क्या सही है?

मानसून के दौरान सुरक्षित भोजन की पहचान करना बेहद जरूरी है, क्योंकि इस मौसम में नमी और गंदगी के कारण खाद्य पदार्थ जल्दी खराब हो जाते हैं।

सुरक्षित भोजन की विशेषताएं:

  • ताजा, स्वच्छ और सही तरीके से पकाया गया हो
  • किसी प्रकार की दुर्गंध, रंग परिवर्तन या चिपचिपापन न हो
  • फल और सब्ज़ियां चमकदार, बिना दाग और ताजगी से भरपूर हों
  • पका हुआ खाना गरम परोसा जाए और ढककर रखा गया हो
  • पैक्ड फूड की एक्सपायरी डेट जरूर जांचें
  • खुले व सड़े-गले खाद्य पदार्थों से बचें

भोजन की गंध, रंग और स्वाद से भी उसकी गुणवत्ता को पहचाना जा सकता है।
मानसून में स्वच्छ पानी से बना, ताजा और अच्छी तरह पका हुआ भोजन ही स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित होता है।


Food Poisoning Symptoms

फूड पॉइजनिंग तब होती है जब दूषित भोजन या पानी के सेवन से शरीर में हानिकारक बैक्टीरिया, वायरस या परजीवी चले जाते हैं। इसके लक्षण आमतौर पर खाने के कुछ घंटों बाद दिखाई देने लगते हैं।

मुख्य लक्षण:

  1. पेट दर्द या ऐंठन
  2. उल्टी लगना
  3. दस्त या बार-बार पतला मल आना
  4. जी मिचलाना या मतली
  5. तेज बुखार या कंपकंपी
  6. थकावट और कमजोरी महसूस होना
  7. भूख न लगना
  8. डिहाइड्रेशन (पानी की कमी) – जैसे मुंह सूखना, पेशाब कम आना, सिर चकराना

यदि उल्टी-दस्त बार-बार हो, खून आए, तेज बुखार हो या पेशाब बंद हो जाए तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

फूड पॉइजनिंग के लक्षण दिखते ही सावधानी बरतें और पर्याप्त पानी व हल्का खाना लें। जरूरत पड़ने पर चिकित्सकीय सहायता अवश्य लें।


निष्कर्ष: A Healthy Diet is a Permanent Solution of Food Poisoning – कैसे?

एक स्वस्थ आहार (Healthy Diet) न केवल शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है, बल्कि भोजन से जुड़ी बीमारियों जैसे फूड पॉइजनिंग से भी बचाव करता है।

जब हम ताजे, स्वच्छ, संतुलित और पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन करते हैं, तो हमारा पाचन तंत्र मजबूत बना रहता है और हानिकारक बैक्टीरिया से लड़ने की ताकत मिलती है।

इसलिए कहा जा सकता है:

“स्वस्थ आहार न केवल फूड पॉइजनिंग से बचाता है, बल्कि इसका स्थायी समाधान भी है।”

Guru Purnima Special Role of Guru in Life : जिंदगी के हर पड़ाव में जरूरी है सच्चा गुरु

गुरु एक ऐसा फरिश्ता जो समझने के साथ-साथ जीवन में हर मोड़ पर जरूरी है।
जहां से जिंदगी की शुरुआत हुई, वहीं से गुरु की जरूरत महसूस हुई।


भारतीय संस्कृति अनुसार Guru In Life महत्व (Guru Purnima) :

भारतीय संस्कृति में गुरु को अत्यंत महान और पूजनीय बताया है। गुरु को ईश्वर से भी ऊपर माना गया है, क्योंकि गुरु ही हमें ईश्वर तक पहुँचने का मार्ग दिखाता हैं।
गुरु ब्रह्मा, गुरु विष्णु, गुरु देवो महेश्वर” श्लोक इस बात का प्रमाण है कि गुरु को त्रिदेवों के समान दर्जा दिया गया है।

प्राचीन गुरुकुल प्रणाली में शिष्य अपने गुरु के आश्रम में रहकर केवल विद्या ही नहीं, बल्कि जीवन के मूल्यों, अनुशासन और संस्कारों की शिक्षा भी ग्रहण करते थे।
राम और कृष्ण जैसे महान व्यक्तित्व भी अपने-अपने गुरुओं से दीक्षा लेकर महानता को प्राप्त हुए।


इंसान हर कार्य तो कर सकने में सक्षम है, फिर True गुरु की आवश्यकता क्यों है?

इंसान सक्षम होते हुए भी अक्सर भ्रम, अहंकार और असमझ में फंस जाता है। True Guru उसकी दिशा, विवेक और आत्मिक जागरूकता को जगाते हैं, जिससे वह अपने लक्ष्य तक सही मार्ग से पहुँच सके। इसलिए सच्चे गुरु की आवश्यकता हमेशा बनी रहती है।

आइए जानते हैं क्या महत्व है गुरु का हमारे जीवन में, कब से है और गुरु पूर्णिमा का पर्व क्यों है खास?


गुरु को समर्पित : गुरु पूर्णिमा का पर्व (Festival of Guru Purnima)

गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) भारत का एक पावन पर्व है, जो आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। यह दिन गुरु के प्रति श्रद्धा, सम्मान और कृतज्ञता प्रकट करने के लिए समर्पित है।

यह पर्व न केवल शैक्षिक गुरुओं, बल्कि आध्यात्मिक और जीवन-मार्गदर्शक गुरुओं के महत्व को रेखांकित करता है।


गुरु शब्द का शाब्दिक अर्थ:

संस्कृत व्याकरण के अनुसार, “गुरु” शब्द दो वर्णों से मिलकर बना है:

  • ‘गु’ का अर्थ होता है – अंधकार (अज्ञान)
  • ‘रु’ का अर्थ होता है – प्रकाश (ज्ञान)

‘गुरु’ का शाब्दिक अर्थ है:
“जो अज्ञान रूपी अंधकार को दूर करके ज्ञान का प्रकाश फैलाए।”

गुकारस्त्वंधकारः स्याद् रुकारस्ते जना गृहः।
अंधकारनिरोधित्वात् गुरुरित्यभिधीयते॥

भावार्थ:
‘गु’ अंधकार है,
‘रु’ उसका नाश करने वाला है,
जो अंधकार का नाश करे, वही “गुरु” कहलाता है।


Role of Guru In Every Stage of Life: जन्म से लेकर अंत और मरने के बाद भी मुक्ति का साधन गुरु

जीवन के हर पड़ाव में गुरु की जरूरत है। True Guru अपने शिष्य की जन्म से पहले ही संभाल करना शुरू कर देता है। ऐसी जीवन की कोई अवस्था नहीं जहां गुरु की आवश्यकता न हुई हो।


Role of Guru in Kids: बचपन में गुरु की भूमिका

बचपन में गुरु बच्चे के व्यक्तित्व निर्माण, संस्कार और शिक्षा की नींव रखते हैं। वे बच्चे को सही-गलत की पहचान सिखाते हैं, आत्मविश्वास बढ़ाते हैं और जीवन के प्रारंभिक मूल्य जैसे अनुशासन, सम्मान और कर्तव्यभाव विकसित करते हैं।

इस समय गुरु बच्चों के दिमाग़ और चरित्र को आकार देने वाले सबसे महत्वपूर्ण मार्गदर्शक होते हैं।

बचपन में गुरु की भूमिका बीज बोने वाले किसान जैसी होती है।
जैसे अच्छा बीज, सही भूमि और देखभाल से एक फलदार वृक्ष बनता है, वैसे ही गुरु के मार्गदर्शन से बच्चा एक संस्कारवान, नैतिक और मजबूत चरित्र वाला नागरिक बनता है।
इसलिए बचपन में एक सच्चे गुरु की उपस्थिति जीवन की सही शुरुआत के लिए बेहद जरूरी है।


किशोरावस्था में गुरु की आवश्यकता (Guidance of Guru During Teen Age):

जीवन का सबसे संवेदनशील, परिवर्तनशील और निर्णायक चरण किशोरावस्था होता है। यह उम्र न तो पूरी तरह बचपन होती है, न ही पूर्ण रूप से वयस्कता। ऐसे में एक True Guru का मार्गदर्शन किशोर को सही दिशा देने में अत्यंत महत्वपूर्ण होता है।

किशोरावस्था जीवन का मोड़ होती है – जहाँ दिशा गलत हो जाए तो मंज़िल भी बदल सकती है।

इसलिए, इस संवेदनशील समय में एक अनुभवी और सच्चे गुरु का साथ होना एक दीपक की तरह है जो अंधेरे में रास्ता दिखाता है।

किशोरावस्था में गुरु की आवश्यकता क्यों?

  1. भावनात्मक उतार-चढ़ाव को संभालने के लिए।
  2. गुरु सही निर्णय लेने में सहयोगी।
  3. गुरु आकर्षणों और भ्रम से बचाव में मददगार।
  4. आत्मविश्वास और चरित्र निर्माण में सहायक।
  5. गुरु दबाव और तनाव से मुक्ति का दाता।

वयस्क के जीवन में गुरु का महत्व (Importance of Guru in the Life of an Adult):

वयस्कता का चरण वह समय होता है जब व्यक्ति जीवन के कई मोर्चों—जैसे करियर, परिवार, समाज और आत्मिक उन्नति—पर सक्रिय होता है।

इस दौर में चुनौतियाँ अधिक होती हैं, लेकिन मार्गदर्शन कम। ऐसे में गुरु का महत्व और भी बढ़ जाता है।

1. जीवन में स्पष्टता और दिशा देने के लिए:

जब व्यक्ति कई जिम्मेदारियों के बीच उलझता है, गुरु उसे जीवन की प्राथमिकताएं और उद्देश्य स्पष्ट करने में मदद करते हैं।

2. आत्मिक और मानसिक संतुलन के लिए:

तनाव, असफलता और असंतोष वयस्क के मानसिक और आत्मिक संतुलन को प्रभावित करते हैं। गुरु
आध्यात्मिक ज्ञान और आंतरिक शांति का मार्ग दिखाकर व्यक्ति को संतुलित रखते हैं।

3. संवेदनशील निर्णयों में सहायता:

करियर, वैवाहिक जीवन, बच्चों के पालन-पोषण जैसे निर्णयों में गुरु का अनुभव और दृष्टिकोण व्यक्ति को सही राह चुनने में सहायक होता है।

4. मूल्य और नैतिकता की रक्षा:

आज की तेज़ रफ्तार और भौतिकतावादी दुनिया में गुरु व्यक्ति को मूल्यों और सत्य के मार्ग से विचलित होने से बचाते हैं।

5. आत्मबोध और आत्मविकास के लिए:

गुरु व्यक्ति को केवल बाहरी सफलता नहीं, बल्कि आत्मा की गहराइयों से जुड़ने और स्वयं को पहचानने की प्रेरणा देते हैं।

वयस्क जीवन में गुरु एक दिशा-सूचक दीपक की तरह होते हैं जो जीवन की अंधेरी राहों में रोशनी देते हैं।
गुरु न केवल ज्ञान के स्रोत हैं, बल्कि वे जीवन के हर मोड़ पर एक सच्चे मार्गदर्शक और प्रेरक शक्ति भी हैं।


आज के समय में सच्चा गुरु (True Guru in Today’s Time):

आज के युग में जब हर कोई “गुरु” कहलाना चाहता है, सच्चे गुरु की पहचान कर पाना कठिन लेकिन अत्यंत आवश्यक हो गया है।

सच्चा गुरु वह जो:

  • अपना स्वार्थ नहीं देखता।
  • जो सिखाता है पहले उसका पालन स्वयं करता है।
  • कभी अंधभक्ति नहीं चाहता।
  • अहंकार, लालच, क्रोध और मोह जैसे आंतरिक दोषों को समाप्त करने की राह दिखाता।
  • प्रेम और विश्वास से परमात्मा से जोड़ता।
  • कठिनाई के समय सच्चा गुरु कठिनाई से निकलने का रास्ता दिखाता।

Guru और भगवान में कौन आत्ममुक्ति में सहायक?

गुरु बिना भगवान की प्राप्ति कठिन है, क्योंकि गुरु ही वह सेतु हैं जो शिष्य को ईश्वर से जोड़ते हैं।

गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागूं पाय।
बलिहारी गुरु आपने, गोविंद दियो बताय॥

भगवान हमें जीवन देने वाले हैं,
परंतु जीवन को सही दिशा में कैसे जिया जाए, यह ज्ञान गुरु ही देता है।


गुरु पूर्णिमा(Guru Purnima) विशेष: भारत में गुरु पूर्णिमा का आध्यात्मिक और सामाजिक महत्व

गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) ज्ञान, श्रद्धा और समर्पण का पर्व है, जो गुरु के प्रति आभार व्यक्त करने के लिए मनाया जाता है।

यह दिन दर्शाता है कि गुरु ही जीवन में अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाले मार्गदर्शक हैं।

आध्यात्मिक महत्व:

गुरु को ब्रह्म, विष्णु और महेश के समान माना गया है।
इस दिन ध्यान, सत्संग, मंत्र जाप और गुरुओं के उपदेशों का पालन करके साधक अपनी आत्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त करते हैं।

सामाजिक महत्व:

यह पर्व गुरु और शिक्षा के प्रति सम्मान को उजागर करता है।
आज भी विद्यालयों, विश्वविद्यालयों और आध्यात्मिक संस्थानों में इस दिन विशेष कार्यक्रम होते हैं जहाँ विद्यार्थी अपने शिक्षकों और आध्यात्मिक गुरुओं का अभिनंदन करते हैं।


गुरु पूर्णिमा आयोज ( Guru Purnima Event):

गुरु पूर्णिमा पर आश्रमों, विद्यालयों और आध्यात्मिक केंद्रों में विशेष आयोजन होते हैं।
इस दिन शिष्य गुरु का पूजन, प्रवचन श्रवण, ध्यान, सत्संग और सेवा कार्य करते हैं।
कई जगहों पर भंडारे, कीर्तन और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित होते हैं।


निष्कर्ष (Conclusion):

गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) आत्मज्ञान, श्रद्धा और मार्गदर्शन का पर्व है, जो गुरु के महत्व को दर्शाता है।
यह दिन हमें सिखाता है कि जीवन में सच्चे गुरु का होना आत्मिक और नैतिक उन्नति के लिए आवश्यक है।

गुरु का दीप जलाए हम, मिटे अज्ञान अंधेरा,
ज्ञान-प्रभा से चमके जीवन, बदले भाग्य का फेरा।
श्रद्धा से शीश झुकाएं, चरणों में वरदान,
गुरु बिना न हो सकता, जीवन में उत्थान।

International Yoga Day 2025 : योग – संपूर्ण स्वास्थ्य की ओर

International Yoga Day 2025

International Yoga Day 2025– स्वस्थ रहना हर इंसान को अच्छा लगता है। लेकिन जैसा आज का खान-पान और रहन-सहन हो गया है, इससे इंसान बीमारियों की चपेट में उलझता जा रहा है। ऐसे में इंसान का चाह कर भी स्वस्थ रहना मुश्किल हो गया है। लेकिन असंभव कुछ भी नहीं होता।
इसलिए योग स्वस्थ जीवन शैली की ओर बहुत बड़ा और अच्छा कदम कहें तो गलत नहीं होगा।
आज संपूर्ण विश्व इस बात को मानता है कि अगर स्वस्थ रहना है तो योग को जीवन में अपनाओ।


International Yoga Day 2025 की शुरुआत

– अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने की घोषणा

27 सितंबर वर्ष 2014 को भारत देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में प्रस्ताव रखा कि योग को एक अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाया जाए।

– संयुक्त राष्ट्र द्वारा स्वीकृति

11 दिसंबर 2014 को UN ने भारत के प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस (International Day of Yoga) के रूप में घोषित किया।

– पहली बार International Yoga Day

21 जून वर्ष 2015 को पहली बार अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया।

– 21 जून को ही क्यों चुना गया?

क्योंकि यह वर्ष का सबसे लंबा दिन (Summer Solstice) होता है और आध्यात्मिक दृष्टि से भी यह दिन महत्वपूर्ण माना जाता है।


योग का अर्थ

  • संस्कृत शब्द “योग” का अर्थ है “जुड़ना” या “एकता”।
  • यह शरीर, मन और आत्मा को एक साथ जोड़ने की प्रक्रिया है।
  • योग न केवल एक शारीरिक अभ्यास है बल्कि यह मानसिक, भावनात्मक और आत्मिक संतुलन भी प्रदान करता है।

भारतीय संस्कृति में योग का स्थान

योग भारतीय संस्कृति की प्राचीन और मूल विरासत है। यह केवल व्यायाम नहीं, बल्कि जीवन जीने की एक सम्पूर्ण पद्धति है।

  • ऋषि-मुनियों ने हजारों साल पहले योग को आत्म-साक्षात्कार और स्वास्थ्य का साधन बनाया।
  • भगवद गीता, उपनिषद और पतंजलि योगसूत्र में योग के गहरे दर्शन मिलते हैं।
  • योग के माध्यम से व्यक्ति शारीरिक, मानसिक और आत्मिक संतुलन प्राप्त करता है।
  • यह भारत की धार्मिक, आध्यात्मिक और नैतिक परंपरा का अभिन्न हिस्सा है।
  • भारतीय संस्कृति में योग केवल स्वास्थ्य का साधन नहीं, बल्कि मोक्ष (आत्म-मुक्ति) तक पहुंचने का मार्ग है।

हमारे जीवन में योग का महत्व

योग हमारे जीवन में शारीरिक, मानसिक और आत्मिक संतुलन बनाए रखने में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसका अभ्यास न केवल हमें स्वस्थ बनाता है, बल्कि हमें सकारात्मक सोच, धैर्य और आंतरिक शांति भी प्रदान करता है।

  1. शारीरिक स्वास्थ्य: शरीर लचीला, मजबूत और सक्रिय बनता है। यह रोगों से लड़ने की शक्ति बढ़ाता है।
  2. मानसिक शांति: ध्यान और प्राणायाम से तनाव, चिंता और अवसाद दूर होते हैं।
  3. भावनात्मक संतुलन: व्यक्ति को संयमित और धैर्यशील बनाता है।
  4. जीवनशैली में सुधार: अनुशासन, संतुलित आहार और अच्छी नींद आती है।
  5. आध्यात्मिक विकास: आत्मचिंतन और आत्मज्ञान की ओर ले जाता है।

International Yoga Day 2025 थीम (Theme)

“Yoga for One Earth, One Health”
इस वर्ष (21 जून 2025) की अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की आधिकारिक थीम यही है, जो इस बात पर जोर देती है कि व्यक्तिगत स्वास्थ्य और पृथ्वी की स्थिति पारस्परिक रूप से जुड़े हुए हैं।


Benefits of Yoga: शारीरिक, आध्यात्मिकता और मानसिकता में योग है फायदेमंद

आज के समय में बढ़ती बीमारियों में जहां योग लाभकारी सिद्ध हो रहा है, वहीं योग के मानसिक और आध्यात्मिकता में भी बहुत लाभ हैं।

1. शारीरिक लाभ:

  • शरीर को लचीलापन, शक्ति और संतुलन प्रदान करता है।
  • मांसपेशियों, हड्डियों और अंगों का विकास होता है।
  • पाचन, रक्त संचार और श्वसन क्रिया बेहतर होती है।
  • रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।

2. मानसिक लाभ:

  • तनाव, चिंता और अवसाद को कम करता है।
  • मन को शांति और स्थिरता मिलती है।
  • एकाग्रता, स्मरण शक्ति और निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है।

3. आध्यात्मिक लाभ:

  • आत्म-चेतना और आत्म-साक्षात्कार को बढ़ावा देता है।
  • आंतरिक शांति और संतुलन प्राप्त होता है।
  • जीवन जीने के गहरे अर्थ को समझने में सहायता करता है।

तनाव, चिंता और डिप्रेशन कम करने में योग है रामबाण – कैसे?

योग तनाव, चिंता और डिप्रेशन को जड़ से खत्म करने का प्राकृतिक, प्रभावी और वैज्ञानिक तरीका है।

1. प्राणायाम (श्वास नियंत्रण):

धीरे-धीरे गहरी सांस लेने से मस्तिष्क को ऑक्सीजन मिलती है, जिससे तनाव और बेचैनी कम होती है।

2. ध्यान (Meditation):

मन को वर्तमान क्षण में लाकर चिंताओं से मुक्ति दिलाता है।

3. डिप्रेशन में राहत:

सेरोटोनिन और डोपामिन जैसे “हैप्पी हार्मोन” के स्तर को बढ़ाता है।

4. योगासन:

शवासन, बालासन, वज्रासन आदि मांसपेशियों के तनाव को कम करते हैं।

5. नींद में सुधार:

नींद की गुणवत्ता बेहतर होती है, जिससे तनाव से राहत मिलती है।


Yoga At Home: घर पर योग करने के सरल तरीके

स्वस्थ जीवन शैली अपनाने के लिए आइए हम घर से ही योग की शुरुआत करें।

1. एक शांत स्थान चुनें:

जहाँ ध्यान भंग न हो और योग मैट का उपयोग करें।

2. समय तय करें:

सुबह का समय सर्वोत्तम होता है।

3. आसान आसनों से शुरुआत करें:

  • ताड़ासन
  • वज्रासन
  • भुजंगासन
  • बालासन
  • शवासन

4. प्राणायाम करें:

  • अनुलोम-विलोम
  • भ्रामरी
  • कपालभाति

5. ध्यान करें:

5-10 मिनट आंखें बंद करके ध्यान करें।

6. ऑनलाइन गाइड:

YouTube या ऐप्स के जरिए योग शिक्षकों का मार्गदर्शन लें।


Yoga in India: भारत और योग का संबंध

योग भारत की एक प्राचीन और अमूल्य परंपरा है। यह केवल शरीर को नहीं, बल्कि मन और आत्मा को भी शुद्ध करता है।
महर्षि पतंजलि ने योगसूत्रों से इसे व्यवस्थित किया।
21 जून को अंतरराष्ट्रीय मान्यता मिलने के बाद यह भारत की सांस्कृतिक पहचान बना है।


International Yoga Day 2025 Event: भारत और विश्व में आयोजन

भारत और विश्व में 2025 का आयोजन अधिक भव्य होगा।
सरकारें और संस्थान मिलकर बड़े स्तर पर योग शिविरों और वर्कशॉप्स का आयोजन करेंगी।
भारत में ऐतिहासिक स्थानों पर प्रधानमंत्री और योगगुरु सार्वजनिक योग करेंगे।
डिजिटल प्लेटफॉर्म से लाखों लोग लाइव भाग लेंगे।
विदेशों में भारत के दूतावास कार्यक्रम आयोजित करेंगे।
WHO जैसे संगठन भी इसमें भाग लेंगे।


Conclusion

योग सिर्फ एक अभ्यास नहीं, बल्कि एक संपूर्ण जीवनशैली है। यह सभी रोगों की एकल दवा है वह भी बिना किसी नुकसान के।
इसलिए अपनी दिनचर्या में योग को शामिल करें और तनाव मुक्त जीवनशैली अपनाएं।

“स्वस्थ जीवन है अगर अपनाना, तो योग को अपना साथी बनाना।”