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फिर से पैरोल पर बाहर आ सकता है राम रहीम : जानिए बाबा राम रहीम की ज़िंदगी से जुड़े रहस्य

अक्सर सुर्ख़ियों में रहने वाले बाबा राम रहीम की पैरोल को लेकर चल रही चर्चा को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। सूत्रों के अनुसार पता चल रहा है कि बाबा राम रहीम जल्द ही पेरोल पर बाहर आ सकते है। गुरमीत राम रहीम जिन्हें अक्सर लोग “राम रहीम” के नाम से भी जानते है। पिछले कुछ सालों से अक्सर सुर्ख़ियों में बना रहता है और बाबा राम रहीम सिंह के सुर्ख़ियों में बने रहने के पीछे एक बड़ी कहानी है।

अगर हम बाबा राम रहीम की कहानी के बारे में बात करें, तो डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख है। बाबा एक प्रसिद्ध गुरू है, जिनके अनुयायी देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी है। सुर्ख़ियों में रहने वाले बाबा राम रहीमको देश का बच्चा-बच्चा जानता है।

फिलहाल, सुर्खियों में बाबा की पैरोल का विषय है-
एक ऐसा विषय जो राम रहीम की खबरों में सुर्ख़ियों में बना हुआ है। जिस पर बहुत से लोग विवाद करते है और अक्सर उनके यह प्रश्न होते हैं की आख़िर बाबा राम रहीम को इतनी बार पैरोल क्यों दी जाती है? बाबा आख़िर पैरोल पर आने के बाद करते क्या हैं? बाबा राम रहीम की कहानी में जो दिखता है, क्या यही सच्चाई है या उससे अधिक कुछ है?

यह पोस्ट यहां बाबा गुरमीत राम रहीम पैरोल की दिलचस्प दुनिया के बारे में लोगों के मन में जो सवाल है उनको गहराई तक जाकर स्पष्ट करने के लिए है।
आइए एक-एक करके राम रहीम समाचार पर विचार करते हुए, राम रहीम की कहानी पर गौर करें।

क्या पैरोल मिलना सचमुच एक कानूनी अधिकार है?
अक्सर पैरोल कैदी की अस्थायी रूप से रिहाई होती है, लेकिन यह पैरोल कैदी के अनुरोध पर दी जाती है जबकि पैरोल मिलना कैदी का क़ानूनी अधिकार है। पैरोल सरकार द्वारा जेल में बंद लोगों को दिया गया एक मौका है। जिसका उद्देश्य है कि क़ैदी को कुछ समय तक जेल में रहने के बाद सामान्य जीवन में वापस आने में मदद मिलेती है। बाबा राम रहीम की कहानी के मामले में, यह जानना महत्वपूर्ण है कि उन्हें पैरोल देना कोई साधारण बात नहीं है। इस बारे में हरियाणा सरकार का कहना है कि वह राम रहीम को पैरोल देकर कानून का पालन कर रहे है।

आख़िर कितने समय तक पैरोल मिल सकती है-
पैरोल की अवधि एक महीने तक बढ़ाई जा सकती है जबकि फरलो ज्यादा से ज्यादा 21 से 28 दिन के लिए दिया जा सकता है।इन नियमों के मुताबिक उन्हें साल में 70 दिन तक की पैरोल व 21 से 28 दिनकी फ़र्लो मिल सकती है। व 3 साल की जेल में रहने के बाद ये किसी भी क़ैदी का हक़ होती है! इसलिये अगर अपने देश के क़ानून के अनुसार देखा जाए तो राम रहीम पैरोल कोई राजनातिक सहायता दाव पच नहीं है बल्कि कानूनन अधिकार है।

बाबा राम रहीम को कितनी बाबा मिल चुकी है पैरोल?
बाबा राम रहीम इस से पहले चार बार पैरोल पर युपी के बागपत आश्रम में रह चुके है। आपको बता दें यह आश्रम डेरा सच्चा सौदा के दूसरे गुरु शाह सतनाम सिंह जी द्वारा बनाया गया था।
बाबा राम रहीम सबसे पहले 2022 में 17 जून को 30 दिन के लिए आए थे, इसके बाद अक्टूबर में 40 दिन के लिए, फिर साल 2023 में जनवरी में और जुलाई में युपी डेरे में पधारे थे।

क्या सच में बाबा राम रहीम की पैरोल को लेकर दी जा रही है अतिरिक्तप ढील?
इस बारे में दिल्ली हाईकोर्ट के अधिवक्ता अरुण शर्मा से जब पूछा गया कि क्यात राम रहीम को ढील देते हुए बार-बार पैरोल दी जा रही है? इस अधिवक्ता ने कहा कि ऐसा बिलकुल भी नहीं है। अगर कोई भी कैदी अपनी सजा का कुछ हिस्साई जेल में बिता चुका है और इस दौरान उसका व्यंवहार और आचरण ठीक रहा है तो उसे पैरोल दी जा सकती है। उन्होंबने बताया कि हर साल तिहाड़ जेल से सैकड़ों कैदी पैरोल पर बाहर आते हैं। उन्होंने बताया दरअसल, जब हम बड़े मामलों से जुड़े अपराधियों पर ज्या‍दा गौर करते हैं, तो हमें लगता है कि उनको अतिरिक्त सुविधा दी जा रही है। जबकि स्पंष्टय ऐसा बिलकुल नहीं होता है। यह राज्यग सरकार का विशेषाधिकार होता है। अगर सरकार को लगता है कि सजा काट रहे व्येक्ति के आचरण में सुधार है, उसके आवेदन का आधार मजबूत है और उसकी रिहाई से कोई नुकसान नहीं है तो उसे पैरोल दी जा सकती है।

बाबा राम रहीम की पैरोल के बारे में लोगों की प्रतिक्रिया-
आइए जानते है कि आख़िर राम रहीम की पैरोल के बारे में लोग वास्तव में क्या सोचते हैं। राम रहीम की पैरोल इन दिनों सुर्खियों में बनी हुई है। यह एक ऐसा विषय है जिस पर समाचारों और जनता दोनों में खूब चर्चा हो रही है। राम रहीम सिंह की पैरोल की ख़बर आते ही काफी हलचल पैदा हो जाती है। सिक्के के अगर एक पहलू की तरफ़ देखें तो कुछ लोग बाबा राम रहीम की पैरोल की ख़बर सुनते ही टीवी चैनल सक्रिय हो जाते है वि शुरू हो जाता है वाद विवाद! कुछ लोग इसको ग़लत बताते है तो बहुत बड़ी संख्या में ऐसे लोग भी हैं, जो बाबा राम रहीम के आने का बेसब्री से इंतज़ार करते है। इन लोगों का मानना है कि जब इनके गुरु जी पैरोल पर आते हैं, तो वह अपने श्रद्धालुओं को इंसानियत की शिक्षा व परहित कार्यों को करने का आह्वान करते है। हैरानी कर देने वाली बात यह है कि इन लोगों का मानना है कि बाबा राम रहीम हर नेक कार्य की शुरुआत स्वयं करते हैं उसके बाद ही लोगों को वह कार्य करने का आह्वान करते है ।

पैरोल पर आने के बाद आख़िरकार करते क्या हैं बाबा राम रहीम?
राम रहीम की पैरोल की कहानी को गहराई से जानते कि वह जेल के बाहर अपना समय कैसे बिताते हैं। हालाँकि बाबा को कई बार पैरोल मिल चुकी है। लेकिन अभी भी उनके आने की ख़बर सुर्ख़ियों में है। सूत्रों से पता चला है कि बाबा राम रहीम पैरोल पर जल्द ही आ सकते हैं। लेकिन गौर करते है कि इन अवधियों के दौरान बाबा करते क्या है।

पैरोल के दौरान बाबा राम रहीम ने शुरुआत की नशा मुक्त अभियान की और नाम दिया “डैप्थ मुहीम”-
बाबा राम रहीम पैरोल में एक महत्वपूर्ण पहल जो सामने आई है वह है “डेप्थ मुहीम”। इस अभियान की शुरुआत खुद गुरुमीत राम रहीम ने की थी। इस मुहीम का उद्देश्य देश को, विशेषकर युवा पीढ़ी को नशीली दवाओं की लत और अन्य मादक द्रव्यों के सेवन से बचाना है।
राम रहीम की पैरोल के दौरान शुरू हुआ यह अभियान युवाओं को नशे रूपी दैत्य को समाज से दूर भगाने व युवा पीढ़ी को नशे की लत से उबरने के लिए सशक्त बनाता है। लोगों का दावा है कि इस मुहीम से जुड़कर लाखों लोगों ने नशे रूपी दैत्य का त्याग किया है।

क्योंकि बाबा एक किसान है तो इस टाइम में बाबा काफ़ी समय खेती को देते हैं व खेती के आधुनिक तरीको को आज़माते है और साथ ही ये अपने सोशल मीडिया के माध्यम से दूसरो को भी बताते हैं। इस तरह से बाबा लगभग अपना समय कोई ना कोई नया सामाजिक उत्थान कार्य करने में लगाते है।

यूपी के बागपत प्रशासन से माँगी गई बाबा राम रहीम की रिपोर्ट-
डेरा प्रमुख बाबा राम रहीम एक बार फिर जेल से बाहर आ सकते हैं। सरकार एक बार फिर बाबा राम रहीम को जेल से बाहर निकालने की तैयारियां कर रही है। इसके लिए बाबा राम रहीम ने जेल के प्रशासन को पैरोल के लिए अर्ज़ी लगाई हुई है। इसके लिए बाबा राम रहीम के चाल-चलन व व्यवहार की रिपोर्ट यूपी के बागपत प्रशासन से माँगी गई है। जिसके बाद ही बाबा राम रहीम जेल से बाहर जल्द आ सकते है।

पैरोल देने का फैसला करना आसान नहीं होता है।यह रस्सी पर चलने जैसा होता है। किसी व्यक्ति के मौलिक अधिकारों और बाकी सभी की सुरक्षा के बीच संतुलन बनाए रखने की कोशिश करना बड़ा कठिन होता है। लेकिन बाबा के केस में ऐसा नहीं है और यह भी याद रखना महत्वपूर्ण है कि पैरोल से अच्छे बदलाव आ सकते हैं। जो यह दिखाते हैं कि वे बदलाव लाना चाहते हैं और समाज की मदद करना चाहते हैं, तो उन्हें वह मौका मिलना चाहिए। डेरा प्रमुख बाबा राम रहीम के मामले में, उनकी पैरोल को उनकी रिहाई के दौरान उनके द्वारा किए गए अच्छे कामों के खुली आँखों से से देखा जाना चाहिए।

निष्कर्ष
आज आपके साथ पैरोल से जुड़ी कुछ बातें साँझा की और आपने बाबा राम रहीम से जुड़ी कुछ बातें जानी।बाबा द्वारा किए जा रहे समाज भलाई के कार्यों को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता है। उनका आचरण इस बात पर पुनर्विचार करने के लिए कहता है कि हम उसकी पैरोल को कैसे देखते हैं सकारात्मक या नकारात्मक!

Baba Ram Rahim Parole news: बाबा राम रहीम एक बार फिर आएगा जेल से बाहर, 21 दिन के लिए हुई पैरोल मंजूर

लगातार सुर्खियों में छाए जाने वाले बाबा राम रहीम (Gurmeet Ram Rahim Singh) आजकल बड़ी चर्चा में हैं। मीडिया में बाबा राम रहीम की चर्चा का विषय है-पैरोल, जो उनको जल्द ही मिलने वाली है।
इससे पहले जुलाई माह में बाबा राम रहीम जेल से बाहर आए थे। डेरा सच्चा सौदा के चीफ बाबा राम रहीम (Dera Chief Baba Ram Rahim) के लिए 21 दिन की पैरोल मंजूर हो गई है। आपकी जानकारी के लिए बता दें इससे पहले राम रहीम 7 बार पैरोल पर आ चुके हैं।

इस बार बाबा राम रहीम (Ram Rahim Singh) पैरोल पर 21 दिन के लिए बाहर आ रहे हैं।

आपको बता दें कि राम रहीम 25 अगस्त 2017 से सुनारिया जेल में हैं। 3 साल के अंदर बाबा राम रहीम 184 दिन यानी 7 बार पैरोल पर जेल से बाहर आ चुके हैं। हरियाणा सरकार से राम रहीम की 21 दिन की पैरोल मंजूर कर दी है। इसलिए अबकी बार फिर बाबा राम रहीम 21 दिन की पैरोल पर बाहर आ रहे हैं।

पैरोल मिलने के बाद गुरमीत राम रहीम उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के बरनावा आश्रम डेरे में पधारेंगे। इससे पहले गुरमीत राम रहीम 20 जुलाई 2023 को 30 दिन की पैरोल पर आए थे और 15 अगस्त का जन्मदिन डेरा सच्चा सौदा की साध संगत ने बाबा राम रहीम के साथ मनाया था।

आपकी जानकारी के लिए बता दें, बाबा राम रहीम के पूरे विश्व में श्रद्धालु है, जो बाबा राम रहीम को भगवान मानते हैं और अनेकों मानवता भलाई के कार्य करके लोगों का सहारा बनते हैं। एक बार बाबा राम रहीम को अपनी मां के इलाज के लिए भी पैरोल मिली थी।
बाबा राम रहीम में कुछ तो ऐसी खूबियां हैं जिनके कारण उन्हें बार-बार पैरोल मिल रही है।

बार-बार पैरोल मिलने का कारण है बाबा का अच्छा व्यवहार जिसके कारण बाबा जी को बार-बार पैरोल मिलती है। यह सब ध्यान में रखा जाता है कि जब पैरोल मिलती है तो वहां का कैसा माहौल है? शायद सब कुछ अच्छा होने का कारण है बाबा को बार-बार पैरोल मिलना।

भारत में प्रत्येक वर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रुप में मनाया जाता है। अन्य पर्व की तरह भारत के लोग हिंदी दिवस को बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं। इस दिन को स्कूल, कॉलेज व सरकारी कार्यालयों में अलग अलग तरह से मनाया जाता है।

हिंदी दिवस का इतिहास-

सन् 1947 में जब भारत ब्रिटिश शासन से आजाद हुआ, तो उनके सामने भाषा की एक बड़ी चिंता खड़ी थी। भारत विविध संस्कृति वाला विशाल देश है, जिसमें सैंकड़ों भाषाएं और हजारों बोलियां हैं। 6 दिसंबर 1946 को स्वतंत्र भारत के संविधान को तैयार करने के लिए संविधान सभा को बुलाया गया।

शुरुआत में सच्चीदानंद सिन्हा को संविधान सभा के अंतरिम निदेशक के रूप में नियुक्त किया गया था। बाद में उनकी जगह डॉ राजेंद्र प्रसाद को नियुक्त किया गया। डॉ भीम राव अंबेडकर संविधान सभा के प्रारूप समिति के अध्यक्ष थे। विधानसभा ने 26 नवंबर 1949 को अंतिम मसौदा पेश किया। इसलिए स्वतंत्र भारत ने 26 जनवरी 1950 को पूरी तरह से अपना संविधान प्राप्त किया।

लेकिन फिर भी, संविधान के लिए आधिकारिक भाषा चुनने की चिंता अभी भी खड़ी थी। एक लंबी चर्चा और बहस के बाद, हिंदी और अंग्रेजी को स्वतंत्र भारत की आधिकारिक भाषा के रूप में चुना गया।

14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने देवनागरी लिपि और अंग्रेजी को एक लिखित भाषा के रूप में आधिकारिक भाषा के रूप में स्वीकार किया। बाद में पंडित जवाहर लाल नेहरू जी ने इस दिन को हिंदी दिवस के रुप में मनाने की घोषणा की। पहला हिंदी दिवस 14 सितंबर 1953 को मनाया गया था।

हिंदी दिवस का महत्व-

हिंदी भाषा किसी परिचय की मोहताज नही है। कई वर्षों से हमारे देश में हिंदी बोली जाती रही है। हिंदी दिवस एक माध्यम है, इस बात से अवगत कराने का कि भारत की मातृभाषा हिंदी है।
भारतीय संघ की राजभाषा हिंदी और लिपि देवनागरी है। हिंदी दिवस पर कई अवॉर्ड भी दिए जाते हैं। इस दिन दिए जाने वाले विशेष अवॉर्ड में राजभाषा गौरव पुरुस्कार और राजभाषा कीर्ति पुरुस्कार सम्मिलित हैं।

हिंदी दिवस संदेश-

दूसरी भाषाओं को सीखना गलत नहीं है। परंतु दूसरी भाषाओं को सीखते सीखते अपनी मातृभाषा को अनदेखा कर देना भी सही नही है।

विश्व की सभी भाषाओं में से हिंदी एक व्यवस्थित भाषा है। दूसरे शब्दों में हिंदी में जो हम लिखते हैं, वही हम बोलते हैं बल्कि अन्य भाषाओं में ऐसा नहीं होता, वहां बोला कुछ और जाता है और अर्थ कई बार भिन्न ही होता है।

हिंदी भाषा दिन प्रतिदिन अपना अस्तित्व खो रही है। बड़े बड़े स्कूल, कॉलेज में हिंदी की जगह अंग्रेजी भाषा को प्राथमिकता दी जाती है ।

आज हिंदी दिवस के मौके पर हमें अपने आप से वादा करना चहिए कि हम भी अपनी मातृभाषा को अपनाएंगे । आप सभी को हमारी तरफ से हिंदी दिवस की शुभकामनाएं ।

हम फादर्स डे क्यों मनाते हैं और फादर्स डे सेलिब्रेशन का इतिहास क्या है?

हर साल जून के तीसरे रविवार को हम फादर्स डे मनाते हैं। हमारे जीवन में पिता की परवरिश सबसे अहम है। जिसके कारण हमारी असली पहचान है।

पिता का अर्थ :-

पिता का समर्थन और आशीर्वाद हमें इतना मजबूत बनाता है कि हम जीवन की हर बाधा को पार कर जाते हैं। इसके लिए मैं ईश्वर का आभारी हूं।

FATHER का अर्थ :–

F — Follower
A — Advisor
T — Teacher
H — Honorable
E — Educated
R — Reminder

Father’s Day की शुरुआत और इसे मनाने का कारण :-

फादर्स डे की शुरुआत बीसवीं सदी के प्रारंभ में पिता धर्म तथा पुरुषों द्वारा परवरिश का सम्मान करने के लिए मातृ दिवस के पूरक उत्सव के रूप में हुई। यह हमारे पूर्वजों की याद और उनके सम्मान के रूप में भी मनाया जाता है।

इसके पीछे नन्ही सोनेरा डीड की कहानी है। सोनेरा डीड जब नन्ही सी थी, तब उसकी मां का देहांत हो गया था। उसकी परवरिश उसके पिता विलियम स्मार्ट ने की। पिता विलियम स्मार्ट ने सोनेरा के जीवन में मां की कमी कभी महसूस नहीं होने दी। उसे बाप के साथ मां का प्यार भी दिया। एक दिन सोनेरा ने सोचा क्यों ना एक दिन पितृ दिवस के रूप में भी मनाया जाए। इसलिए 19 जून 1910 में फादर्स डे की शुरुआत हुई और पहला फादर्स डे मनाया गया।

इसके बाद 1924 में अमेरिकी राष्ट्रपति केल्विन कोहली ने फादर्स डे पर अपनी सहमति दी। और फिर 1966 में राष्ट्रपति लिंडन जॉनसन द्वारा जून के तीसरे रविवार को फादर्स डे मनाने की आधिकारिक घोषणा की गई।

हमारे जीवन में पिता की भूमिका :-

पिता, माता की तरह, एक बच्चे की भावनात्मक भलाई के विकास में स्तंभ हैं।… वे शारीरिक और भावनात्मक दोनों तरह से सुरक्षा की भावना प्रदान करने के लिए अपने पिता की ओर देखते हैं।

बच्चे अपने पिता को गौरवान्वित करना चाहते हैं और एक पिता अपने बच्चों की आंतरिक विकास और शक्ति को बढ़ावा देता है।

पिता और उनकी बेटी का संबंध :-

युवा लड़कियां सुरक्षा और भावनात्मक समर्थन के लिए अपने पिता पर निर्भर करती हैं। एक पिता अपनी बेटी को दिखाता है कि एक आदमी के साथ कितना अच्छा रिश्ता होता है। यदि एक पिता मजबूत और बहादुर है, तो वह उसी चरित्र के पुरुषों के साथ निकटता से संबंधित होगी।

पिता के बारे में कुछ उद्धरण हैं :-

एक पिता की मुस्कान अपने बच्चे के दिनभर को रोशन करने के लिए जानी जाती है। —सुसान गेल

हर बेटी की महानता के पीछे वास्तव में एक पिता का हाथ होता है। -अनजान

एक पिता वही होता है, जो आपको गिरने पर पकड़ना चाहता है और आपको कभी गिरने नहीं देता है। इसके बजाय वह आपको उठाता है, आपको नेक कार्य के लिए उत्साहित करता है। आपको फिर से कोशिश करने देता है।

पिता और उनके पुत्रों के संबंध :-

लड़के अपने पिता के चरित्र के अनुसार खुद को मॉडल करते हैं। लड़के बहुत छोटी उम्र से ही अपने पिता से अनुमोदन चाहते हैं। मनुष्य के रूप में, हम अपने आस-पास के लोगों के व्यवहार का अनुकरण करके बड़े होते हैं। इस तरह हम दुनिया में कार्य करना सीखते हैं। यदि एक पिता देखभाल कर रहा है और लोगों के साथ सम्मान से पेश आता है, तो युवा लड़का उतना ही बड़ा होगा। जब एक पिता अनुपस्थित होता है, तो जवान लड़के संसार में किस प्रकार का व्यवहार और जीवित रहने के लिए नियमों को व निर्धारित करने के लिए किसी अन्य पुरुषों के आंकड़ों को देखते हैं।

पिता के बारे में कुछ उद्धरण हैं:

एक पिता में 100 से भी अधिक शिक्षक मौजूद होते हैं।-जॉर्ज हर्बर्ट

“हमारे भारतीय संस्कृति में एक अच्छा पिता सभी से अनसुना, अप्राप्य, किसी का ध्यान नहीं, लेकिन फिर भी सबसे मूल्यवान संपत्तियों में से एक है।”- बिली ग्राहम

इस प्रकार इस दुनिया में पिता जैसा कोई नहीं है। इस फादर्स डे पर आइए अपने पिता को उनके प्यार, समर्थन, मार्गदर्शन, देखभाल, आदि के लिए धन्यवाद दें।

भारत में तबाही मचाने के लिए फिर से आया कोरोना वायरस के डेल्टा वेरिएंट (B.1.617.2) का विकराल रूप|

एक तरफ पूरा विश्व जहां अभी कोरोना के कहर से जूझ रहा है, तो दूसरी ओर नई मुसीबत के संकेत मिल रहे है। भारत में पहली बार कोरोना का नया वेरिएंट AY.1 या डेल्टा+ सामने आया है। एक्सपर्ट का कहना है कि कोरोना का ये नया रूप बहुत ज्यादा खतरनाक हो सकता है। ये नया वेरिएंट इतना खतरनाक है कि यह संक्रमण के इलाज में प्रस्तावित मोनोक्लोनल एंटीबॉडी काॅकटेल को भी मात दे सकता है। आइए जानते हैं क्या है नया वेरिएंट और कितना ख़तरनाक साबित हो सकता है हमारे लिए?

क्या है डेल्टा वेरिएंट –

कोरोना वायरस के डेल्टा वेरिएंट (B.1.617.2) ने अब अपना रूप बदल लिया है। जिसे नया वेरिएंट B.1.617.2.1 का नाम दिया गया है। जिसको आसान भाषा में ‘AY.1’ का नया नाम दिया गया है। ये वेरिएंट भारत समेत कई देशों में धीरे-धीरे फैलता जा रहा है।

डेल्टा प्लस वेरिएंट कैसे बना –

डेल्टा प्लस वेरिएंट, एक डेल्टा वेरिएंट यानी कि बी.1.617.2 स्ट्रेन के म्यूटेशन से बना है। जिसका नाम K417N है जोकि अब पुराने वाले वेरिएंट में कुछ बदलाव होने के कारण एक नया वेरिएंट सामने आ गया है। वायरस का वह हिस्सा जिसे स्पाइक प्रोटीन कहा जाता है। जिसके द्वारा वायरस हमारे शरीर में प्रवेश करने के साथ-साथ हमें संक्रमित करता है।

नए वेरिएंट के सैंपल को सबसे पहले कहा और किस देश में पाया गया –

दुनिया भर में नए वेरिएंट के156 सैंपल सामने आए हैं। जिसका पहला सैंपल मार्च में यूरोप देश में पाया गया था। परन्तु भारत में ये वेरिएंट अप्रैल के महीने में सामने आए। GISAID अपलोड डेटा के मुताबिक, भारत में 8 सैंपल अब तक पाएं जा चुके हैं।

भारत के किन-किन राज्यों से इसके सैंपल मिले हैं –

भारत में जो सैंपल मिले हैं उनमें से तीन तमिलनाडु, एक-एक ओडिशा, आंध्र प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक और महाराष्ट्र के हैं। वायरस द्वारा स्पाइक प्रोटीन में हुए AY.1 के इस म्यूटेशन की पहचान K417N नाम से हुई है। जो ये म्यूटेशन ब्राजील में पाए गए बीटा वेरिएंट में भी मौजूद था।

IGIB के मुताबिक वेरिएंट कितना रोगजनक है –

IGIB – सीएमआईआर इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी के वैज्ञानिकों द्वारा कहना है कि नए AY.1 वेरिएंट में इम्यून से छिपने के गुण है। ये वैक्सीन, इम्यून रिस्पाॅन्स और एंटीबाॅडी थेरेपी को बाधित करने के साथ-साथ पूरे तरीके से रोगजनक बना सकता है।

IGIB के वैज्ञानिक का ट्वीट में बताना –

विनोद स्कारिया जोकि IGIB के वैज्ञानिक ने ट्वीट में कहा, कि इस नए बदलते वेरिएंट को समझना बहुत ही महत्वपूर्ण हो गया है। जोकि बड़े पैमाने पर इस नए म्यूटेशन के वायरस से फैलने के साथ-साथ इम्यून से बचने की कोशिश की है। UK सरकार द्वारा एजेंसी पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड भी K 417N म्यूटेशन पर नजर रख रहे हैं। क्योंकि वेरिएंट के अब तक लगभग 35 मामले सामने आ चुके हैं। इनमें से दो मरीजों को वैक्सीन की डोज लग चुकी है वो पाएं गए हैं। परन्तु अब तक किसी के मृत्यु की खबर नहीं पाई गई है।

IGIB के शोधकर्ताओं के मुताबिक वेरिएंट कितने समूहों में पाया जाता है –

IGIB के शोधकर्ताओं के मुताबिक, डेटा बताता है कि AY.1 ने वेरिएंट दो अलग-अलग समूहों से संक्रमित पहले से ही मौजूद होता है। जोकि एक छोटा समूह अमेरिकी राज्य कैलिफोर्निया स्पाइक म्यूटेशन A222V से और दूसरा बड़ा समूह भारत, UK नेपाल सहित आठ अन्य देशों में स्पाइक प्रोटीन म्यूटेशन T951 में पाया गया है।

IGIB के बानी जाॅली शोधकर्ता के मुताबिक कहां फैलने की संभावना ज्यादा होती है –

IGIB के बानी जाॅली शोधकर्ता ने एक ट्वीट में बताया है कि बड़े क्लस्टर को देखते हुए ऐसा प्रतीत होता है की AY1 कई बार स्वतंत्र रूप से उत्पन्न हो चुका है। जोकि देश जीनोमिक सर्विलांस की सुविधा सीमित है, वहां पर इसके ज्यादा फैलने के ख़तरे ज्यादा दिखाई देते हैं।

नया वेरिएंट कितना ख़तरनाक है –

COVID-19 के वैक्सीन एडमिनिस्ट्रेशन के नैशनल एक्सपर्ट ग्रुप के चेयरमैन वीके पाॅल ने डॉ. ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया है कि ‘जो ये नया वेरिएंट आया है ये ज्यादा चिंता करने वाला नही है। क्योंकि हम अब तक इसको ज्यादा नहीं जानते हैं। बल्कि इसका अध्ययन कर रहे हैं जिसमें भारत के कई मामले भी दर्ज है।

ये तो समय ही बताएगा कि जो ये नया वेरिएंट सामने आया है वो कितना ख़तरनाक साबित हो सकते हैं। इसलिए जो भी नियम बताए जाए, उनका पालन करते रहना चाहिए। क्योंकि जो भी बीमारी आती है वो धीरे-धीरे भयंकर रूप धारण करती है। इसलिए इससे बचें और दूसरों को भी बचाएं।

थैलेसीमिया क्या होता है

थैलेसिमिया एक आनुवंशिक रोग है, जो अक्सर बच्चों में जन्म से पाया जाता है। प्रत्येक वर्ष लाखों लोग इस बीमारी से ग्रसित होते हैं बच्चों को इस बीमारी से अधिक खतरा रहता है। इस रोग में मरीज के शरीर में खून सामान्य स्तर तक नहीं बन पाता। हमारे शरीर में रक्त में तीन प्रकार के रक्ताणु पाए जाते है- लाल रक्ताणु , सफेद रक्ताणु और प्लेटलेट्स। लाल रक्ताणु शरीर में बोन मैरो में बनते रहते है और इनकी आयु लगभग 120 दिन की होती है और इसके बाद ये मृत हो जाते है। परंतु साथ में नए भी बनते रहते है। अगर यह प्रकिर्या सही अनुपात में न हो तो इसी विकार को थैलेसिमिया कहा जाता है।

थैलेसिमिया के दो प्रकार

World Thalassemia Day 2021 - Exclusive Samachar

यह दो प्रकार का होता है

  • माइनर थैलसीमिया।
  • मेजर थैलेसिमिया।

माइनर थैलसीमिया वाले बच्चों के जीवन में रक्त समान्य रूप से नहीं बन पाता लेकिन वह सामान्य जीवन जी लेते हैं, लेकिन मेजर थैलेसिमिया वाले बच्चों को हर 21-22 दिन में रक्त चढ़ाना पड़ता हैं।

विश्व थैलेसीमिया दिवस का उद्देश्य

यह दिन हर वर्ष 8 मई को मनाया जाता है। इसे मनाने का मुख्य उद्देश्य इस बीमारी के लक्षणों और इस बीमारी से कैसे निपटा जाए, उन तरीकों के बारे में सभी को जागरूक करना और जो इस बीमारी के साथ जी रहे हैं, उन्हें प्रोत्साहित करना। तो आइए हम भी इस बीमारी के बारे में जितना हो सके, जागरूकता फैलाए और थैलेसीमिया से पीड़तों के लिए नियमित रक्तदान को अपनी जिंदगी का अभिन्न अंग बनाए और दूसरों को भी प्रेरित करें।

भारत में थैलेसीमिया के आंकड़े

Thalassemia statistics in India - Exclusive Samachar

विश्व भर में लगभग 1 लाख बच्चे जन्म से थैलेसीमिया का शिकार होते हैं। अगर भारत की बात की जाए, तो प्रत्येक वर्ष 10 हजार से अधिक बच्चे जन्म से थैलेसीमिया के रोगी पाए जाते हैं। यह एक ऐसा रोग है जिसकी पहचान बच्चों में 3 महीने बाद ही हो पाती है। ऐसा रक्त की कमी के कारण होता है और इसका इलाज ताउम्र करवाना पड़ता है। सही समय पर उपचार न मिलने पर बच्चे की मृत्यु भी हो सकती है। तो आइए जानते हैं इस बीमारी के लक्षण क्या है और इससे बचने के उपाय।

आखिर क्यों होता है यह रोग

जैसे कि हम बात कर चुके हैं कि यह एक आनुवंशिक रोग है, यह माँ-बाप से ही बच्चों को होता है ।अगर माँ या बाप में से किसी को भी यह रोग है या दोनों को है तो उनकी आने वाली पीढ़ी में भी इस रोग के होने के आसार होते हैं।

थैलसीमिया के लक्षण

  • थकान ,
  • छाती में दर्द,
  • सांस लेने में कठनाई,
  • सिर दर्द,
  • चक्र आना ,
  • बेहोशी,
  • पेट मे सूजन ,
  • सक्रमण,
  • त्वचा,नाखूनों,आंखें और जीभ का पीला होना इत्यादि।
  • लेकिन कुछ लक्षण बाल्य अवस्था तथा किशोरावस्था के बाद दिखाई देते हैं।

इस रोग से कैसे बचा जाए

  • इसके लिए सबसे जरूरी है कि शादी से पहले लड़का और लड़की टेस्ट करवा कर सुनिश्चित कर ले कि कहीं दोनों में से किसी को भी माइनर थैलसीमिया तो नहीं है।
  • अगर माता या पिता में से किसी को भी थैलेसीमिया हो तो वह डॉक्टर की सलाह और निगरानी में ही बच्चा प्लान करें।
  • रोगी विटामिन भरपूर और आइरन युक्त पदार्थ लें।
  • संतुलित आहार लें।
  • नियमित रूप से एक्सरसाइज करें।

निष्कर्ष

आइए हम सब मिलकर लोगों को इस बारे में जागरूक करें। यह ऐसा रोग है जो माता पिता के जींस में गड़बड़ी होने के कारण होता है। इसके बारे में अगर सभी को जागरुक किया जाए तो इस रोग के होने की संभावना बहुत कम होती है। हम ऐसे रोगियों के लिए अधिक से अधिक रक्त दान करें ताकि रक्त की कमी से किसी की भी मृत्यु ना हो।

विश्व विद्यार्थी दिवस प्रत्येक वर्ष 15 अक्टूबर को मनाया जाता है। यह दिवस सम्पूर्ण विश्व में मनाया जाता है। यह दिवस भारत के “मिसाइल मेन” कहें जाने वाले पूर्व राष्ट्रपति डॉ.ए.पी.जे अब्दुल कलाम के जन्मदिवस के दिन मनाया जाता है। डॉ अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को हुआ था।

विद्यार्थी दिवस क्यों मनाया जाता है?

डॉ ए.पी.जे अब्दुल कलाम सभी वर्गों और जाति के छात्रों के लिए एक प्रेरणा और मार्गदर्शन की भूमिका निभाते थे। एक छात्र के रूप मे उनका स्वयं का जीवन काफी चुनौतीपूर्ण था। उन्होंने अपने जीवन में बहुत तरह की कठिनाईयों का सामना किया। इसके अलावा उन्होंने बचपन में अपने परिवार और खुद के पालन पोषण के लिए वह घर-घर जाकर अखबार बेचने का काम करते थे। लेकिन उनकी पढ़ाई में अत्याधिक रूचि होने के कारण उन्होंने अपने जीवन में हर तरह की समस्याओं का डटकर सामना किया और वे उसमें सफल भी हुए। राष्ट्रपति जैसे भारत के सबसे बड़े संवैधानिक पद को उन्होने प्राप्त किया।

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उनके जीवन की यही कहानी उनके साथ-साथ भारत की आने वाली कई पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत है। अपने जीवन में डाॅ ए.पी.जे अब्दुल कलाम ने छात्रों के उच्च भविष्य के लिए वैज्ञानिक और आध्यात्मिक शिक्षा की तरक्की पर ध्यान दिया। इसके लिए उन्होंने बहुत सारे भाषण दिए और किताबें लिखी।

शुरुआत

सन् 2010 मे संयुक्त राष्ट्र ने प्रत्येक वर्ष 15 October के दिन भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ कलाम के जन्मदिवस को विश्व विद्यार्थी दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की। तब से यह दिवस प्रति वर्ष मनाया जाता है। वे भारत के 11वे राष्ट्रपति (2002-2007) थे। डॉ अब्दुल कलाम एक महान वैज्ञानिक होने के साथ-साथ गंभीर चिंतक और अच्छे इंसान भी थे। डॉ अब्दुल कलाम सभी विद्यार्थियों के लिए एक आदर्श थे। बाल शिक्षा में विशेष रुचि रखने वाले अब्दुल कलाम को वीणा बजाने का भी शौक था। वे तमिलनाडु के एक छोटे से गांव से थे। उन्होंने अपनी मेहनत और लगन के बल पर देश के सबसे ऊंचे संवैधानिक पद पर पहुंचे।

World Students' Day - When it is started - Exclusive Samachar

विश्व विद्यार्थी दिवस कैसे मनाया जाता है?

विश्व विद्यार्थी दिवस भारत के सभी स्कूलों और कॉलेजों में मनाया जाता है। विश्व विद्यार्थी दिवस के अवसर पर स्कूलो, कालेजों में विभिन्न गतिविधियों, घटनाओं और प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है। डॉ अब्दुल कलाम के जीवन चरित्र को याद किया जाता हैं और उनके जीवन से प्रेरणा ली जाती है। डॉ कलाम के जीवन से जुड़ी घटनाओं की प्रदर्शनी और विशाल मेले का आयोजन किया जाता है। विभिन्न स्वयं सेवी संस्थाओं द्वारा भाषण, निबंध लेखन और समूह चर्चा जैसी प्रतियोगिताओं का आयोजन भी किया जाता है।

अपने विद्यार्थियों के साथ अत्याधिक प्रेम और विश्वास के कारण अपने राष्ट्रपति के कार्यकाल के बाद वह भारत के बहुत सारे स्कूलों और कॉलेजों में अपने भाषणों द्वारा छात्रों को प्रेरित करने के कार्य करते रहे और उन्होंने अपने जीवन की आखिरी सांस तक भारतीय प्रबंधन संकाय में पृथ्वी को एक जीवित ग्रह बनाएं रखने के विषय पर भाषण देते हुए दी।

How is World Student Day celebrated? Exclusive Samachar

विद्यार्थी शब्द का अर्थ

विद्यार्थी संस्कृत भाषा का शब्द है। यह दो शब्दों से मिलकर बना है विद्या+अर्थी। इसका अर्थ है- विद्या चाहने वाला। विद्यार्थी विद्या प्राप्त करने के लिए विद्यालय जाता हैं और विद्या से प्रेम करता है। यदि छात्र ने विद्यार्थी जीवन में परिश्रम, अनुशासन, संयम और नियम का अच्छी प्रकार से पालन किया है, तो उसका भावी जीवन सुखद होगा।

अनुशासन

अनुशासन का भी विद्यार्थी जीवन मे उतना ही महत्व है, जितना कि विनम्रता का है।

विद्यार्थी एक नन्ही कोंपल के समान होता है। उसे जो भी रूप दिया जाए वह उसे ग्रहण करता है। उसका मन शीघ्र प्रभावित होता है। अतः बाल्यावस्था से ही विद्यार्थी को अनुशासन की शिक्षा दी जानी चाहिए। हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि बालक-बालिकाएं अपना-अपना काम नियमित रूप से करें। इस दिशा मे माता-पिता का दायित्व और भी अधिक महत्वपूर्ण है। बच्चे की शिक्षा का प्रथम विद्यालय उसका घर ही है। यदि माता-पिता स्वयं अनुशासित है, तो बालक भी अनुशासन की भावना ग्रहण करेगा।

World Students' Day 2020 - Exclusive Samachar

प्राचीनकाल में विद्यार्थी जीवन

प्राचीन भारत मे विद्यार्थी गुरुकुलो में शिक्षा ग्रहण करने जाते थे। 25 वर्ष तक विद्यार्थी ब्रह्मचार्य का पालन करते थे और यह काल शिक्षा ग्रहण करने में व्यतीत करते थे। उन दिनों गुरुकुलों का वातावरण बहुत ही पावन और अनुशासित होता था। प्रत्येक विद्यार्थी अपने गुरुजनों का सम्मान करता था। शिक्षा के साथ-साथ उसे गुरुकुल के सारे काम भी करने पड़ते थे। छोटे-बड़े या अमीर सभी एक ही गुरु के चरणों में विद्या ग्रहण करते थे। श्रीकृष्ण और सुदामा ने इकट्ठे संदीपन ऋषि के आश्रम में अनुशासनबद्ध होकर शिक्षा ग्रहण की।

वर्तमान स्थिति

आज हमारे देश के विद्यार्थियों में अनुशासन का अभाव है। वे ना तो माता-पिता का कहना मानते हैं और न ही गुरुजनों का। प्रतिदिन स्कूलों और कॉलेजों में हड़तालें होती रहती है। इस प्रकार के समाचार देखने को मिलते हैं कि विद्यार्थियों ने बस जला डाली।विद्यार्थियों की अनुशासनहीनता के अनेक दुष्परिणाम हमारे सामने आ रहे हैं। ये विद्यार्थी परीक्षा में नकल करते हैं, शिक्षकों को धमकाते है और विश्वविद्यालय के वातावरण को दूषित करते रहते हैं। अनेक विद्यार्थी हिंसात्मक कार्यवाही में भाग लेने लगे है। यही कारण है कि आज विद्यार्थियों में अनुशासन की कमी आ चुकी है।

अनुशासन हीनता

आज की शिक्षण संस्थाओं का ठीक प्रबंध ना होना भी विद्यार्थियों को अनुशासनहीन बनाता है। वे विद्यालय के अधिकारियों और शिक्षकों की आज्ञा का उल्लघंन करते हैं। ऐसा भी देखने में आया है कि स्कूलों में छात्र-छात्राओं की भीड़ लगी रहती है। भवन छोटे होते हैं और शिक्षकों की संख्या कम।
कालेजों में तो एक-एक कक्षा में 100-100 विद्यार्थी होते हैं। ऐसी अवस्था में शिक्षक क्या तो शिक्षक पढ़ाएगा और क्या विद्यार्थी पढ़ेंगे। कालेजों में छात्रों के दैनिक कार्यों की ओर कोई ध्यान नहीं दिया जाता। रचनात्मक कार्यों के अभाव में छात्र का ध्यान व्यर्थ की बातों की ओर जाता है। यदि प्रतिदिन विद्यार्थी के अध्ययन अध्यापन की ओर ध्यान दिया जाए, तो विद्यार्थी अपना काम अनुशासनपूर्वक करेंगे।

Theme 2020

विद्यार्थी काल मानव के भावी जीवन की आधारशिला है। यदि यह आधारशिला मजबूत है, तो उसका जीवन निरंतर विकास करेगा, नहीं तो आने वाले कल की बाधाओं के सामने वह टूट जाएगा। यदि छात्र ने विद्यार्थी जीवन में परिश्रम, अनुशासन, संयम और नियम का अच्छी तरह से पालन किया है तो उसका भावी जीवन सुखद होगा।

वर्तमान शिक्षण पद्धति में परिवर्तन करके महापुरुषों की जीवनियो से भी छात्र छात्राओं को अवगत कराया जाना चाहिए। यथासंभव व्यावसायिक शिक्षा की ओर ध्यान दिया जाना चाहिए ताकि स्कूल से निकलते ही विद्यार्थी अपने व्यवसाय का शीघ्र चयन करें।

अक्टूबर को IEC, IASO और ITU के सदस्यों द्वारा “World Standards Day” मनाया जाता हैं।

क्यों मनाया जाता है वर्ल्ड स्टैंडर्ड्स डे

यह दिन विषयत: दुनिया भर के एक्सपर्ट्स का सम्मान करने के लिए मनाया जाता है, यह दिन दुनिया भर के हजारों वैज्ञानिकों की मिली जुली कोशिसों को श्रद्धांजलि देने का एक तरीका हैं।
इस दिन अंतरास्ट्रीय मानकों द्वारा प्रकाशित की गई तकनीकी शहमितियाँ बनाने वाले विशेषगयों के पारस्परिक और सहयोग पूर्ण प्रयासों को सम्मान देने के लिए “Standards Day” मनाया जाता हैं।
इस दिन एक्सपर्ट्स अंतरास्ट्रीय मानकों के रूप में प्रकाशित की जाने वाली स्वैछिक तकनीकी समझौतों को विकसित करती हैं।

World Standards Day - October 14 - Exclusive Samachar

Standards Day की सुरुआत

IEC (अंतरास्ट्रीय विद्युत तकनीकी आयोग), IASO (अंतरराष्ट्रीय मानकीकरण संगठन) और ITU(अंतरास्ट्रीय दूरसंचार संघ) के सहमती आधारित मानकों को विकसित बनाने के लिए सन्न 2001 में वर्ल्ड स्टैंडर्ड्स कॉरपोरेशन की स्थापना की गई।

Standards Day का इतिहास

अंतरास्ट्रीय मानक दिवस की स्थापना उपभोक्ताओं और अधोगिक छेत्रो के बीच अंतरास्ट्रीय अर्थव्यवस्था के मानकीकरण के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए किया गया।
सबसे पहले स्टैंडर्ड्स डे सन्न 1970 में मनाया गया था।

यह दिवस मनाने की तिथि का चयन इससे पहले सन्न 1946 में ही कर लिया गया था।

यह विभिन्न देशों के 25 प्रतिनिधियों ने मिलकर लन्दन में मानकीकरण में सहयोग देने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय संगठन बनाने की सहमति जाहिर की थी।

history of World Standards Day - Exclusive Samachar

Standard Day मनाने का उद्देश्य

इस दिन को मनाने का सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य है,
वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं के लिए मानकीकरण की आवश्यकता के प्रति जागरूक करना।

भारतीय मानक ब्यूरो

“भारतीय मानक ब्यूरो” की स्थापना सन्न 1947 में की गई थी। इसका नाम पहले “भरतीय मानक संस्थान” था।

भारतीय मानक ब्यूरो एक भारत मे राष्ट्रीय मानक निर्धारित करने वाली संस्था हैं।

यह ब्यूरो किसी भी प्रक्रिया या वस्तु के सबंधो में भारतीय मानकों का सृजन करता हैं।

World Standards Day Celebrate कैसे करें

1970 से 14 अक्टूबर के दिन विश्व मानक दिवस अलग अलग तरह से मनाया जा रहा हैं।
इसमें TV और रेडियो पर भी काफी कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाते हैं।

How to celebrate World Standards Day - Exclusive Samachar

कुछ देशों में यह कार्यक्रम एक सप्ताह “वर्ल्ड स्टैंडर्ड्स वीक” के रूप में भी मनाया जाता हैं।
विश्व मानक दिवस के अवसर पर काफी जगह पर पोस्टर प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया जाता हैं, इसके पश्चात सबसे अच्छे पोस्टर का चुनाव किया जाता है और विजेता घोषित किया जाता हैं।

विश्व मानक दिवस से होने वाला बड़ा बदलाव

IEC (अंतरास्ट्रीय विद्युत तकनीकी आयोग), IASO (अंतरराष्ट्रीय मानकीकरण संगठन) और ITU(अंतरास्ट्रीय दूरसंचार संघ) का मानना है कि मानक दिवस से आपके रहन-सहन और बातचीत में काफी बदलाव आएगा।

आप अपने क़रीबियों से अच्छे से बातचीत साझा कर पायेंगे।

अगर आप इस वार्षिक उत्सव के बारे में अच्छे से जान जाते है तो यह आपको शहर को अत्यधिक कुशल औऱ प्रभावशाली बनाने में क़ाफी हद तक मदद कर सकते है।

प्रतिवर्ष अक्टूबर के दूसरे गुरुवार का दिन विश्वभर में दृष्टि दिवस (World Sight Day) के रूप में मनाया जाता हैं।दृष्टि हानि और अंधापन जैसी आंखों में होने वाली गम्भीर समस्याओं के बारे में जागरूकता फ़ैलाने के लिए दृष्टि दिवस मनाया जाता हैं।इस साल विश्व दृष्टि दिवस 8 अक्टूबर यानी की आज मनाया जा रहा हैं।

आंखें भगवान की वह नियमित देन है जिससे हम संसार को देख पाते है। यह शरीर का वह अभिन्न अंग है, जिस के द्वारा हम रोजमर्रा के काम करने के काबिल तो है ही, इसके साथ ही कुदरत के रंगों को भी देख पाते हैं।

आधुनिक यंत्र कंप्यूटर, स्मार्ट फोन, टीवी जैसे यन्त्रों के लगातार इस्तेमाल से अक्सर लोग आंखों की कमजोरी व बीमारियों से परेशान रहते हैं।इसके साथ ही हमारी ख़राब लाइफस्टाइल की वजह से काफी स्वास्थ्य सबंधी समस्याएं हो रही है, जिसमें आंखों की समस्या भी जुड़ी हुई हैं।

आइए जानते है हमें अपनी आंखों की देखभाल के लिए क्या-क्या करना चाहिए

आंखों में होने वाली समस्या के लक्षण

1. आंखों का लाल हो जाना, जलन होना।
2. आंखों में खुजली, सूजन और दर्द का होना।
3.आंखों के आगे छोटे-छोटे धब्बों का नजर आना।
4. आंखों के आगे धुँधलापन आना, साफ़ न दिखना।

World Sight Day 2020 - Exclusive Samachar

आंखों में होने वाली समस्याओं के  कारण

1. ज्यादा प्रदूषण की वजह से आंखों में धूल मिट्टी का चले जाना।
2. कंप्यूटर, मोबाइल का ज्यादा समय तक उपयोग करना।
3. जरूरत से ज्यादा कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करने से भी आंखों में जलन महसूस हो सकती हैं।

अगर आपको भी इस तरह से कोई आंखों की परेशानी सता रही है, तो आप ये घरेलू उपचार कर के अपनी आंखों को तरोताजा रख सकते है !!

बारिश का पानी -बरसात का पानी आंखों के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है। बरसात के समय में गर्दन ऊपर उठाकर आसानी से आंखों में आने वाली बूंदों को आंखों में डलने दें, इससे आंखे एकदम साफ हो जाती है। ध्यान रहे कि बारिश होने के कम से कम आधा घन्टे बाद ही आप ऐसा करें, क्योंकि शुरुआती बारिश में धूल कण मिले हुए होते हैं।

व्यायाम 

नेत्र व्यायाम से नेत्र उत्तकों (Eye Muscles) का लचीलापन बना रहता है। नेत्रों में रक्त परिसंचरण (Blood Flow) अच्छा होता है जिसका सीधा असर हमारी आंखों पर पड़ता हैं।

आंखों के लिए व्यायाम

– एक पेंसिल ले, उसे एक हाथ की दूरी पर पकड़े। अब उसकी नोक पर ध्यान केंद्रित करें और पेंसिल को धीरे- धीरे अपनी नाक के पास लाएं और फिर दूर ले जाएं। ध्यान रहे, पूरा समय पेंसिल की नोक से नजर न हटाये।ऐसा दिन में 10 बार करने से बहुत लाभ होगा।

– आंखों को 5-5 second क्लॉकवाइज (clockwise) और एंटी क्लॉकवाइज (Anti-Clockwise) दिशा में घुमाएं। ऐसा दिन में 5-6 बार करना चाहिए।

8th October 2020 - World Sight Day - Exclusive Samachar

– 20 से 30 बार तेजी से पलको को झपकाने से भी बहुत फ़ायदा मिलता हैं।

– आंखों पर जोर डाले बिना दूर की किसी वस्तु पर ध्यान लगाना चाहिए। सबसे बढ़िया विधि है – चाँद पर ध्यान केंद्रित करना । संध्या या सुबह के समय जल्दी उठकर दूर की हरियाली पर नज़र केंद्रीत कर सकते है। ऐसा 5 मिनट रोज करने से आपको बहुत फ़ायदा मिलेगा। 

इस प्रकार अच्छे परिणामों के लिए यह नेत्र व्यायाम नियमित तौर पर करते रहना चाहिए।

आहार 

  • हरी मिर्च – आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए खाने में ताजी हरी मिर्च का लगातार सेवन करें।
  • त्रिफला – त्रिफला रात को भिगों दे, अगले दिन सुबह 2 से 3 बार अच्छी तरह से छानकर शहद में मिलाकर आंखों में डालने से बहुत फ़ायदा मिलता हैं।
  • आंवला – आंवला में विटामिन सी भरपूर होता है और विटामिन C धमनियों के स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा होता है, जिस कारण नेत्रों में रक्त-परिसंचरण सही तरीके से होता है। इसके साथ-साथ विटामिन C रेटिना की कोशिकाओं के लिए भी अच्छा होता हैं।
  • ड्राई फ्रूट एंड नट्स – आंखों की देखभाल के विटामिन E से भरपूर चीज़ों का सेवन करना जरूरी है, क्योकि आंखों में विटामिन E की कमी से कमजोरी आ जाती हैं।बादाम , काजू, अखरोट, सूरजमुखी के बीज, मूँगफली आदि में विटामिन E भरपूर मात्रा में पाया जाता है, आप इनका सेवन नियमित रूप से करें।
  • फ्रूट्स – आंखों को तरोताजा , हेल्थी रखने के लिए विटामिन C का सेवन करना जरूरी है, जो खट्टे फलों में भरपूर मात्रा में पाया जाता है।इसके लिए आप सन्तरा,अमरूद,निम्बू,आंवला का नियमित रूप से सेवन करें।

इसके साथ आप अपनी अच्छी दृष्टि के लिए गाजर, पालक, चकुंदर, मीठे आलू, ब्लूबेरी, ब्रोकोली, गोभी, हरी सब्जियों का भरपूर सेवन करें।

आंख में कुछ गिरने पर

अगर आंख में कुछ गिर जाए तो उसे सख़्त कपड़े से साफ नहीं करना चाहिए, बल्कि अंजुली में साफ पानी भरें औऱ फिर अपनी आंख को उसमें डूबोकर क्लॉकवाइज़ और एन्टी क्लॉकलवाइज़ इधर-उधर घुमाए, कुछ ही पलों में आंख में गिरा कण निकल जाएगा।

आधुनिक यन्त्रों का सीमित प्रयोग

आंखों को सुरक्षित रखने के लिए कंप्यूटर, आईपैड, स्मार्ट फोन से दूरी के साथ ही life style में बदलाव जरूरी हैं।

जिस कमरे में कंप्यूटर हो, उसमें उचित प्रकाश का होना जरूरी है। ज्यादा तेज रोशनी भी नही होनी चाहिए व प्रकाश व्यक्ति के पीछे से होना चाहिए सामने से नहीं।

जब भी कंप्यूटर पर लगातार काम करना हो तो हर 20 मिनट के गैप में 20 sec. के लिए स्क्रीन से नजरें हटा लेनी चाहिए और 20 फिट दूर किसी निश्चित बिंदु पर ध्यान केंद्रित करें।

हर रोज़ रात को सोने से पहले अपनी आँखों को साफ ठण्डे पानी से धोएं।

लेंस-बेहतर लेंस का प्रयोग करें या चोंध रहित चश्मा पहनें एवं चोंध रहित स्क्रीन का प्रयोग करना चाहिए। जब कभी भी स्क्रीन के सामने घण्टे भर बैठना पड़े तो Dry Eyes से बचने के लिए पलकों को धीरे धीरे झपकाते रहना चाहिए।

हरी घास –  सुबह – शाम नंगे पैर हरी घास पर चलना व हरियाली को निहारना भी आंखों की रोशनी को बढ़ाता हैं व आंखों को ताज़गी प्रदान करता है।

नेत्रदान कर लोगों की ज़िंदगी को करें रोशन

बार-बार नेत्रदान के प्रति जागरूकता फैलाने के बाद भी नेत्रदान करने वालों के वर्तमान आंकड़े पर बात करें तो दानदाता एक फ़ीसदी से भी कम है।आज हमारे देश मे 25 लाख से भी ज्यादा लोग दृष्टिहीन हैं।प्रतिवर्ष देश में मृत्यु का आंकड़ा करीब 80 से 90 लाख लोगों तक का होता है। लेकिन नेत्रदान 20-25 हजार के पास ही होता है।

दृष्टिहीन लोंगो की सहायता के लिए जगह-जगह पर नेत्रदान के लिए Eye Bank खुले हुए हैं।रक्तदान की तरह नेत्रदान के लिए जागरूकता बढ़ा कर दृष्टिहीन लोगों की संख्या में कमी ला सकते हैं।

मृत्यु के पश्चात एक व्यक्ति 4 लोगों को रोशनी प्रदान कर सकता है। पहले 2 आंखों से 2 ही कार्निया प्राप्त होती थी, लेकिन अभी नई तकनीक “डिमैक” आने के बाद 1 आंख से 2 कार्निया प्राप्त की जा सकती है।व्यक्ति के मरने के बाद पूरी आंख नही बल्कि 1 रोशनी वाली काली पुतली को ही निकाल जाता हैं।ध्यान रहे मौत के 6 घण्टे तक ही कार्निया प्रयोग में लायी जा सकती है।अभी हमारे देश मे 25 लाख से ज्यादा लोगो को कार्निया की जरूरत है, अगर उन्हें कार्निया मिल जाए तो उनकी जिंदगी भी रोशन, रंगीन हो जाएगी, वह भी अपनी जिंदगी के रंग देख पाएंगे।

World Heart Day प्रत्येक वर्ष 29 सितंबर को मनाया जाता है।

हृदय हमारे शरीर के सबसे अहम अंगों में से एक हैं। अगर हमारा हृदय सही है, तो चेहरे पर अलग ही मुस्कान देखने को मिलती है। लेकिन समय के  साथ बदलती जीवन शैली का सबसे अधिक प्रभाव हमारे हृदय फर पड़ रहा है। यही कारण है कि आज के समय में हृदय की देखभाल पर अहम जोर दिया जा रहा है। 

इतिहास

सारे संसार यानी विश्व भर में  लोगो को हृदय रोगो के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से संयुक्त राष्ट्र ने साल 2004 में 29 सितंबर के दिन को प्रत्येक वर्ष  World Heart Day  के रुप में मनाने का निर्णय लिया गया था। आपको बता दें अब तक विश्व हृदय दिवस सितंबर के आखिरी रविवार को मनाया जाता था। लेकिन वर्ष 2014 से इसके लिए 29 सितंबर की तारीख निर्धारित की गई थी।  WHO की भागीदारी से स्वयंसेवक संगठन  World Heart Federation प्रत्येक वर्ष  World Heart Day मनाता है। 

उद्देश्य 

इस दिन को मनाने का उद्देश्य लोगों को अपनी सेहत के प्रति जागरूक होने के साथ-साथ उन्हें धूम्रपान छोड़ने, व्यास करने व अपनी दिनचर्या में बदलाव लाने के लिए प्रोत्साहित करना है। 
विशेषज्ञों का मानना है कि आज के समय में छोटी उम्र से लेकर बुजुर्ग तक हृदय रोग से पीड़ित पाए जाने है। हृदय रोग आज विश्व भर में एक गंभीर बिमारी का रुप ले चुका है। भारत में हर 5वां व्यक्ति हृदय रोगी है। World Heart Federation  के अनुसार दिल संबंधी बीमारियों से  प्रत्येक वर्ष लगभग 18 मिलियन लोगों की मौत हो जाती हैं। यह वैश्विक मृत्यु दर का 31 फीसदी हिस्सा हैं। ऐसे में प्रत्येक वर्ष विश्व हृदय दिवस के द्वारा पूरे  world  में लोगों में जागरूकता फैलायी जाती है। 

World Heart Day 2020 - Exclusive Samachar

World Heart Day 2020 Theme

इस बार World Heart Day 2020 की थीम है यूज हार्ट टू बीट कार्डीयोवस्कुलर डिवीज़न हैं। हृदय का काम शरीर के सभी अंगों को अॉक्सीजन  की मात्रा पूरी करने के लिए पूरे शरीर में रक्त पंप करना है और जब ऐसा करने में विफल रहता है तो इसे Heart Failure के रूप में माना जाता है। 

सेहतमंद दिल के लिए अपनी दिनचर्या में करे यह बदलाव

 1. कुकिंग ऑयल 

अपने दिल को स्वस्थ रखने के लिए अपना खानपान सही करना होगा, तनाव से बचना होगा, योगा को अपने जीवन में शामिल करना होगा। इसके साथ ही अगर आप चाहे तो आप अपने कुकिंग ऑयल में भी बदलाव कर सकते हैं। अगर आप इन ऑयल को अपने खाने में शामिल करते हैं, तो यह आपके दिल के लिए सेहतमंद है।

  • तिल का तेल
  • एवोकाडो तेल
  • अलसी का तेल
  • जैतून का तेल 

2.खानपान 

इस वर्ष वर्ल्ड हार्ट डे पर प्रतिज्ञा ले कि आप अपने खानपान को लेकर सतर्क रहेंगे। खाने में पोषक तत्व वाली चीजें जैसे की ताजे फल, हरी सब्जियां और बादाम आदि का अपनी दिनचर्या में सेवन करेंगे व अनहेल्दी जंक फूड से परहेज करेंगे। अगर आप अपने खानपान में छोटे-छोटे बदलाव करेंगे तो आप स्वस्थ रहेंगे।

3. Cholesterol Level को लेकर सावधान रहें 

अपने LDL यानी Bad Cholesterol के स्तर को लेकर अधिक सावधान रहे। जिसकी मदद से आप अपने दिल की अच्छी सेहत के लिए समय रहते बदलाव कर सकें। इसके लिए अधिक saturated fat वाले आहार का सेवन कम करें। इसकी बजाय बदाम और फलों का सेवन करें।

Be careful about Cholesterol Level - Exclusive Samachar

4. योगा/Exercise को अपनी दिनचर्या में शामिल करें 

विशेषज्ञों की सलाह लेकर अपनी दिनचर्या में कुछ  Exercises  को शामिल करे और एक्टिव रहन सहन आपनाए। आप चाहे तो हल्की  exercise, jogging  या योगा कर सकते हैं। यकिन मानिए यह आपके दिल को स्वस्थ रखने के लिए एक बेहतर विकल्प है।

5. वजन पर नियंत्रण 

पेट पर बढ़ा फैट आमतौर पर बढ़े हुए ब्लड शुगर लेवल, उच्च रक्तचाप आदि से होता है। जो हृदय रोगों को बढ़ाने के कारण है। ऐसे में आप अपने परिवार व अपने वजन को लेकर सावधान रहें। माना जाता है कि दिल को स्वस्थ रखने के लिए वजन पर नियंत्रण होना बहुत जरूरी है। एक शोध से पता चला है कि प्रतिदिन 42 ग्राम बदाम खाने से LDL कोलेस्ट्रोल में बहुत सुधार आता है। पेट की चर्बी भी कम होती है।

Control weight - Exclusive Samachar

6. तनाव मुक्त रहें 

आपको बता दें हाल ही में एक सर्वे के अनुसार 86% के वैश्विक औसत की तुलना में करीब 89% भारतीय तनाव का सामना कर रहे हैं, जो हृदय रोगो का मुख्य कारण है। इसको दूर करने के लिए आप मेडिटेशन करें, अपने परिवार व दोस्तों के साथ समय व्यतीत करे। 

7. धूम्रपान का सेवन ना करें

 धूम्रपान करने से दिल की बीमारियां होने का खतरा अधिक बढ़ जाता है। क्योंकि इसके धुएं में मौजूद रसायन  Heart Blood Vessels Wall को नुकसान पहुंचाती है। जिस से  Heart Attack का खतरा बना रहता है। उच्च रक्तचाप के बाद धूम्रपान दिल की बीमारी का सबसे बड़ा कारण है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर आप धूम्रपान का सेवन ना करें तो 5 साल के भीतर आपको दिल की बीमारी होने का खतरा 39% कम हो सकता है।