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(History of celebrating New Year and how to celebrate New Year )नए साल मनाने का इतिहास और नए साल को किस तरीके से मनाए –

आप सभी को जानकर बहुत ख़ुशी होगी कि आख़िर वह लम्हा आ गया, जिसका हम सभी को बेसब्री से इंतज़ार था। जी हाँ, नया साल आ गया है। आप सभी को नव वर्ष (New Year 2024)2024 की हार्दिक शुभकामनाएं। नया साल(New Year) हम सभी के लिए नई-नई खुशियां लेकर आए। सभी को बहुत शौक़ होता है कि हम ऐसा इस नए साल में क्या करें, जिससे हमारा नया साल स्पेशल बन जाए। हर कोई नए साल के लिए अपनी अपनी तरफ से प्लानिंग करता है कि हम नए साल को इस तरह से मनाए, यह करे, इसे इस तरह से मनाएं। आइए जानते हैं नए साल से जुड़ी कुछ बातें।

नए साल(New Year) को हम 1 जनवरी को ही क्यों मनाते हैं-

नया साल(New Year) एक जनवरी को मनाया जाता है, क्योंकि यह ग्रीगोरियन कैलेंडर के अनुसार साल का पहला दिन होता है। इसके पीछे ऐतिहासिक और सांस्कृतिक कारण हैं। ग्रीगोरियन कैलेंडर को पृथ्वीवासियों के सामंजस्यपूर्ण समय को संगत बनाने के लिए 16वीं सदी में पूरी दुनिया में लागू किया गया था, जिसके अनुसार साल 365 दिनों का होता है और हर चौथे साल  में एक दिन अधिक होता है। नया साल(New Year) नई उम्मीदों की शुरुआत का प्रतीक होता है और लोग इसे परिवार और दोस्तों के साथ खुशी और आत्मविश्वास के साथ मनाते हैं।

आईए जानते हैं कि हम नए साल(New Year) को बहुत कैसे बना सकते हैं –

नए साल को हर कोई अपने-अपने तरीके से प्लान करता है।
हर कोई इस अवसर को बहुत खास बनाना चाहता है।
आइए हम जानें कि नए साल को खास कैसे बनाए।

नए साल(New Year) के दिन करें यह कार्य –

  • परिवार के साथ घूमने कहीं बाहर जाए –
नए साल के शुभ अवसर पर आप परिवार के साथ कहीं घूमने बाहर जा सकते हैं। सर्दी के मौसम में बाहर घूमने का अलग ही आनंद होता है। दूसरा आप परिवार को समय से दे। इस साल आप शिमला, मनाली, कुल्लू या राजस्थान आदि में कहीं घूमने का प्लान बना सकते है, ताकि ये साल परिवार वालों के लिए बहुत खास बन जाए।
घर में पूजा-पाठ करें –
नया साल सभी की जिंदगी में खुशियां ही खुशियां लेकर आए इसकी कामना करते हुए हम नए साल(New Year)के दिन घर में पूजा का आयोजन भी कर सकते हैं, ताकि भगवान की याद के साथ नए साल का स्वागत हो।
  • नए लक्ष्य को हासिल करने का संकल्प लें –
नए साल(New Year) में आपके हर कार्य में तरक्की हो, इसके लिए पुराने साल में जो कमियां थी। उनको सुधार कर अपने लक्ष्य पर फ़ोकस करते हुए, अपने लक्ष्य को हासिल करने का संकल्प लें। ये नया साल आपकी तरक्की लेकर आए, इसके लिए कड़ी मेहनत के साथ आगे बढ़ने का प्रण लें।
  • नए साल के अवसर पर करें मानवता भलाई के कार्य –
आप नए साल को और भी ज्यादा स्पेशल मनाने के लिए इस दिन मानवता के कार्य कर सकते हैं। जैसे कि सर्दी में कांप रहे लोगों को सर्दी के कपड़े पहनाएं, भूखों को खाना खिलाएं, पेड़ लगाएं, रक्तदान करें आदि। इस तरह मानवता के कार्यों के साथ आपका नया साल बहुत खास बनाया जा सकता है।
  • पुराने साल की नफरत को छोड़, सभी के साथ प्यार से रहने का संकल्प लें-
पुराने साल में अगर आपकी किसी के साथ दुश्मनी या झगड़ा था, तो उसे इस नव वर्ष में खत्म कर प्यार से एक नई शुरुआत करें। नफरत को भुला सभी के लिए प्यार को दिल में लेकर आएं, इस तरह से नए साल(New Year) का उत्सव मनाएं।
  • अपनी बुरी आदतों से करें तोबा और अच्छी आदतों को अपनाएं –
आपके अंदर अगर कोई बुरी आदत है, तो उसे इस नव वर्ष में छोड़ने का और अच्छी आदतों को अपनाने का प्रण करें। अच्छी आदतों से इंसान हर जगह इज्जत हासिल करता है। इसलिए इस नए साल में आप खुद को अच्छाई के राह पर अग्रसर करें।
निष्कर्ष-
तो इस तरह से आप अलग अलग और विभिन्न तरीके से इस नए साल को खास मना सकते हैं।
नया साल आप सभी के लिए खुशियों भरा हो, हम इसकी कामना करते हैं और आप सभी को नव वर्ष की बहुत-बहुत बधाई देते हैं।

क्रिसमस का त्योहार क्यों, कब और कैसे मनाया जाता है? जानिए इसको मनाने का इतिहास और इसका ईसाई धर्म के लोगों के लिए महत्व(Why, when and how is the Christmas festival celebrated? Know the history of its celebration and its importance for people of Christian religion.)-

 
त्योहारों का महत्व समाज में एकता, सामाजिक समरसता और आत्मीयता को बढ़ावा देता है। ये आपसी संबंधों को मजबूत करने, थकान और तनाव को कम करने और साँझा खुशियों को अनुभव करने का एक अवसर प्रदान करते हैं।
 
 त्योहारों की कड़ी में से क्रिसमस त्यौहार(Christmas festival) आ गया है। यह एक विशेष मौका है, जब हम परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर आनंद और समृद्धि की भावना का आनंद ले सकते हैं।
 
ऐसे ही क्रिसमस ईसाइयों का महत्वपूर्ण पर्व है, जो ईसा मसीह के जन्म की स्मृति में मनाया जाता है। यह एक धार्मिक और सामाजिक उत्सव के रूप में मनाया जाता है। लोग इसे परिवार और दोस्तों के साथ बिताने का अवसर मानते हैं।
 
क्रिसमस का त्योहार कब, क्यों और कैसे मनाया जाता है-
 
क्रिसमस एक विशेष त्योहार है, जो हर वर्ष 25 दिसंबर को मनाया जाता है। यह खासकर ईसाई धर्म के अनुयायियों के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस दिन ईसा मसीह का जन्म हुआ था। इसे ‘ईसा क्रिस्त का जन्म’ के रूप में भी जाना जाता है। हालांकि यह शुरूआत में एक धार्मिक त्योहार था, लेकिन आजकल इसे धार्मिकता के अलावा भी सामाजिक और सांस्कृतिक रूप में मनाया जाता है।
 
क्रिसमस ईसाई धर्म के अनुयायियों के लिए यीशु ख्रिस्त के जन्म की स्मृति है। इस दिन को पहले रोमन साम्राज्य में सूर्य पूजा के रूप में मनाया जाता था। ईसाई धर्म में, इसे 25 दिसम्बर को मनाने का आदान-प्रदान हुआ था ताकि यह ईसाई ईसा के जन्मदिन के रूप में मनाया जा सके। मिडल एज में, क्रिसमस को लोगों के बीच मिलने का अवसर बनाने के लिए सामाजिक उत्सव के रूप में मनाने का प्रचलन बढ़ा।
 
इस दिन लोग ईसा मसीह के जन्म की सालगिरह को याद करते हैं और आपसी प्रेम और समर्पण का महत्वपूर्ण सन्देश सांझा करते हैं। क्रिसमस का आयोजन खास रूप से परिवारों और दोस्तों के साथ मिलकर होता है। लोग अपने घरों को सजाकर, क्रिसमस के ट्री को सजाकर, गानों और नृत्यों के साथ आत्मीयों के साथ खुशियाँ मनाते हैं। इस दिन बच्चे खुदा का प्यार और दया का संदेश भी सीखते हैं। क्रिसमस भंडारण और भिक्षाटन का समय भी होता है, जो समाज में सहयोग और दान की भावना को मजबूत करता है।
 
क्रिसमस के त्योहार को मानने का इतिहास और महत्व –
 
क्रिसमस(Christmas ) का आदिकालिक इतिहास चौथी सदी में आरंभ हुआ था। इसका संबंध ईसाई धर्म के ईसा मसीह के जन्म से है, जिसे 25 दिसंबर को मनाया जाता है। पौराणिक कथाएं बताती हैं कि इस दिन को उत्सवमय बनाने के लिए सूर्य की पूजा आरंभ हुई थी। यह धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सव विभिन्न देशों में विविधता से मनाया जाता है और धार्मिक तथा सामाजिक आदर्शों के साथ जुड़ा हुआ है।
 
क्रिसमस, ईसाई धर्म के अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह ईसा मसीह के जन्म की स्मृति है जो प्रेम, सदभाव और दान की भावना को बढ़ावा देता है। क्रिसमस का मतलब ‘मसीह का दिन’ है, जो मानवता के लिए आत्मा की ऊर्जा और समर्पण का प्रतीक है। इसे उत्सव और खुशी के साथ मनाने के साथ ही, लोग एक दूसरे के साथ मिलकर और साँझा करके इस अद्भुत त्योहार का आनंद लेते हैं।
 
क्रिसमस की तैयारियाँ –
 
क्रिसमस त्यौहार (Christmas festival) को मनाने की विभिन्न तैयारियाँ की जाती हैं, लेकिन सबसे प्रमुख है ईसाई धर्म के अनुयायियों के लिए यीशु क्रिस्त की जन्मगाथा। इस दिन को उनके जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है और लोग इसे धार्मिक और सामाजिक रूप से मनाते हैं। इस दिन को लोग विभिन्न सांस्कृतिक अभिवृद्धियों के साथ, परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर, भोजन बाँटकर, गाने गाकर और उपहारों को देकर अद्वितीय रूप में मानते हैं। विशेष रूप से क्रिसमस का पौराणिक महत्व है, जो प्रेम और सहयोग की भावना को बढ़ावा देता है। इसे एक विशेष प्रकार से सजाकर, पूजा और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ मनाना एक आदर्श तरीका है।
 
क्रिसमस को मनाने के तरीके –
 
क्रिसमस मनाने के विभिन्न तरीके हैं। हर त्यौहार की सांस्कृतिक और परिवारों के आधार पर मनाने में विभिन्नता होती है।
इस त्यौहार को निम्न तरीकों से मनाया जाता है –
 
  • क्रिसमस पूजा: गृह में या परिवार के साथ मिलकर ईसाई धार्मिक रूप से पूजा करते हैं।
  • घर को सजाकर और रंग-बिरंगे लाइट्स लगाकर अच्छा माहौल तैयार किया जाता है।
  • गिफ्ट्स और उपहार देकर लोग अपने परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताते हैं।
  • खाना और मिठाई: क्रिसमस पर खाने के लिए और बांटने के लिए स्पेशल मिठाई बनाई जाती है।
  • घर में क्रिसमस कैरोल्स गाकर और उन्हें सुनकर मनोरंजन किया जाता है।
  • लोग गरीबों की सहायता करते हैं और दान करते हैं, जिससे अधिक खुशियाँ बढ़ती हैं।
  • दोस्तों और परिवारजनों के साथ मिलकर पार्टी करते हैं और साथियों के साथ हंसी-मजाक कर समय बिताते हैं।इस प्रकार हर त्यौहार हमें प्रेम और सद्भावना की शिक्षा देते हैं।
 
निष्कर्ष
 
इस त्यौहार(Christmas festival) के दिन सारा माहौल प्रेम, दया और साझेदारी का होता है। जो लोगों को एक-दूसरे के साथ और भी अधिक जोड़ता है। क्रिसमस एक आनंददायक और सामाजिक त्यौहार है, जो लोगों को मिलने, बातचीत करने और एक-दूसरे के साथ अच्छे समय बिताने का एक अच्छा मौका प्रदान करता है।

Celebrating Farmers’ Day: Honoring the Backbone of Our Nation’s Prosperity

भारत एक कृषि प्रधान देश है। यहां की बहुत सी आबादी अपनी आजीविका के लिए खेती पर निर्भर करती है। देश की आजादी से लेकर आज तक किसान महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। क्योंकि हम जानते हैं कि लगभग हमारी आधी से अधिक आबादी कृषि पर ही निर्भर करती है। आज 23 दिसंबर का दिन देश भर में किसान दिवस(Farmer’s Day) के रूप बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।

अन्नदाता जो मेहनत करके नई-नई फसलें उगाकर हमारा पेट भरता है। हमारे लिए वह एक मिसाल से कम नहीं है। गर्मी- सर्दी की परवाह किए बगैर खेतों में काम करके दूसरों का पेट भरने वाला अन्नदाता ही होता है, जो किसान के रूप में हमारे सामने आता है।

किसान दिवस(Farmers’ Day)

क्यों मनाया जाता है व इतिहास?

हमारे पांचवें प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह जिनका जन्म 23 दिसंबर 1902 को हुआ था, जोकि किसानों के मसीहा थे। इसलिए 2001 से लेकर आज तक प्रत्येक वर्ष चौधरी चरण सिंह को सम्मानित करने के लिए 23 दिसंबर को उनके जन्मदिन के उपलक्ष्य में इस दिन को किसान दिवस (Farmer’s Day)के रूप में मनाया जाता है। क्योंकि चौधरी चरण सिंह ने कृषि क्षेत्र के उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

महत्व-

देश की आबादी का अधिकतम हिस्सा गांवों की भूमि पर बसने के कारण देश की अधिकांश आबादी कृषि द्वारा संचित आय पर निर्भर करती है। प्रत्येक फ़सल के पीछे किसान की मेहनत और लगन होती है। किसानों को अधिकतम जानकर व सशक्त बनाने के लिए चर्चा, विचार और विमर्श भी की जाती है।

राष्ट्रीय किसान दिवस(Farmer’s Day) का उद्देश्य-

राष्ट्रीय किसान दिवस(Farmer’s Day) मनाने का उद्देश्य किसानों को सशक्त बनाने के लिए और कई तरह के सेमिनारों का आयोजन करके चौधरी चरण सिंह जी याद में इस दिन को मनाया जाना है‌।

किसान दिवस कैसे मनाया जाता है-

इस दिन किसानों के लिए कई तरह के सेमिनारों का आयोजन किया जाता है, जिसमें उनको खेती करने के नए तरीके बताए जाते हैं और अन्य बीमा योजनाओं के बारे में जानकारी दी जाती है। इस दिन सरकार किसानों के उज्जवल भविष्य के लिए नई नीतियों की घोषणा करती है।

पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के विचार थे कि सच्चा भारत, किसानों और कृषि के रूप में गांवों में बसता है। जब किसान की दशा सुधरेगी तभी हमारा देश सुधरेगा। धैर्य रखें! आने वाले समय में दूध से ही घास बन सकती है। तब तक देश प्रगति नहीं कर सकेगा, जब तक किसानों की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होगी।

निष्कर्ष-

आजादी के बाद से किसानों की स्थिति हेतु कई तरह के सुधार करने के प्रयास किये गए हैं। जैसे की सब्सिडी पर खाद व अन्य सुविधाएं उपलब्ध करवाना। परन्तु किसानों की दशा दयादीन ही है, क्योंकि कुछ बड़े किसान ही इसका फायदा उठा सकते हैं।क्योंकि 85% किसानों के पास केवल दो हेक्टेयर से कम भूमि होने के कारण बहुत से लोग इसका फायदा नहीं उठा सकते हैं।इसलिए कृषकों के विकास हेतु जो भी कदम उठाए गए वह 85% किसानों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए दिए जाएं जिसका लाभ हर वर्ग का व्यक्ति उठा सकें। आख़िर में सभी को किसान दिवस(Farmer’s Day) की हार्दिक शुभकामनाएँ।

Winter Destinations- सर्दियों में घूमने की कर रहे हैं प्लानिंग, तो यह जगह है सबसे अच्छी

घूमना-फिरना हर इन्सान को अच्छा लगता है। सर्दी का मौसम शुरू हो चुका है। उत्तर भारत में अब मौसम बहुत रफ्तार से बदल रहा है।

सर्दी का मौसम हर इंसान को बहुत पसंद आता है। क्योंकि इस मौसम में घूमने-फिरने और खाने-पीने का एक अपना अलग ही मजा होता है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें, भारत में बहुत सी ऐसी जगह हैं, जहां सर्दियों में घूमने का अलग ही मजा है। कईं जगहों पर इस मौसम में बर्फबारी शुरू हो जाती है।

सर्दियों में छुट्टियों में अगर आप कहीं घूमने का प्लान बना रहे हैं, तो एक बार इन जगहों पर जरूर जाएं। ये जगह सुकून और शांति से भरपूर हैं, जहां आप एक बार जाकर हर बार जाना पसंद करेंगे।

भारत में घूमने की सबसे अच्छी जगह-

  1. केरल
  2. गोवा
  3. राजस्थान
  4. हिमाचल के सबसे लोकप्रिय स्थल
    शिमला, मनाली और धर्मशाला।

 

1.केरल-

केरल दक्षिण भारत में बसा वो राज्य है जो बीच और बाँधों के लिए मशहूर है। इसे “ईश्वर का अपना घर” के नाम से भी जाना जाता है। यहां विभिन्न प्रकार की चाय और कॉफी की चुस्कियाँ लेते-लेते आपका मन नहीं भरेगा।
बारिश के बाद केरल की हरियाली का अपना ही अलग रंग होता है। यहां खड़े मसालों की सौंधी खुशबू आपको रसोई के नटखट और चटपटे स्वाद का स्मरण करवाएगा। केरल के दर्शनीय स्थल आपके इन सभी एहसासों को जीवंत कर देंगा।

केरल में प्रकृति से प्यार करने वालों के लिए सुंदर पहाड़ी स्टेशन, महासागर प्रेमियों के लिए सुनहरे सुंदर तट, पशु प्रेमियों के लिए विदेशी वन्यजीवन, शरीर और दिमाग को शांत करने के लिए आयुर्वेदिक मालिश और योग सब का अपना-अपना अलग महत्व है।

केरल में घूमने के लिए यादगार स्थल –

नाव की सवारी करने वालों के लिए अलापुला, थेककाड़ी और वेम्बानाद बहुत ही शानदार स्थल है।
वन्यजीव प्रेमियों के लिए साइलेंट वैली नेशनल पार्क, पेरियार टाइगर रिजर्व और कुमारकाम पक्षी अभ्यारण्य बहुत अच्छी जगह है। पक्षी प्रेमियों के लिए कन्नूर और कोझिकोड जिलों में स्थित वायनाड स्थल। धार्मिक स्थल में श्री पद्मनाभास्वामी मंदिर ज़ो की भगवान विष्णु की कलाकारी का प्रसिद्ध मंदिर है।

2. गोवा –

शीतकालीन मौसम में घूमने के लिए गोवा बहुत ही सुंदर और प्राकृतिक नज़ारों से भरा रमणीक स्थल है।
वैसे तो यहां किसी भी मौसम में जा सकते हैं। लेकिन सर्दी के मौसम में गोवा में घूमने का अलग ही नजारा है।
नए साल का जश्न मनाने के लिए गोवा सबसे बढ़िया स्थान है।
गोवा को भारत की पार्टी राजधानी भी कहा जाता है। यहां के रोमांचित सुनहरे समुद्र तट रोमांचक जल खेल, पारिवारिक व्यंजन, पुर्तगाली संस्कृति और जीवंत त्यौहार इस स्थान गोवा को भारत का सबसे बढ़िया सर्दियों में घूमने का अवकाश स्थल बनाते हैं।

यहां के समुद्री तट, आकर्षक चर्च, मंदिर, पुराने किले, लहराते पेड़, कार्निवल मांडवी नदी के तट पर क्रुज की सवारी आदि पर्यटकों के लिए सबसे आकर्षण का केंद्र है।
आपको बता दें कि दिसंबर में घूमने की सबसे अच्छी जगह गोवा है। अतः अगर आप भी अब की बार कहीं घूमने का प्लान बना रहे हैं, तो इस बार गोवा जरूर जाएं।

3. राजस्थान –

राजस्थान भारत के पश्चिम में स्थित है। राजस्थान ना केवल अपनी संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यहां के प्राचीन महल, किले, परंपरा, वेश भूषा, राजशाही इतिहास सब पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र हैं।

हालांकि राजस्थान में ज्यादा ठंड नहीं होती, लेकिन सर्दी के मौसम में यहां घूमने का नजारा बेहद खूबसूरत होता है।
यहां के प्राचीन किले, “गढ़” के नाम से बहुत प्रसिद्ध है।
राजस्थान के महाराजाओं की संस्कृति और परंपरा को उनके चमकदार किलों व राजसी कलाकारियों में साफ-साफ देखा जा सकता है।

राजस्थान में घूमने के प्रसिद्ध स्थल व स्थान-
जोधपुर, रणथंबोर, जैसलमेर, उदयपुर, बीकानेर और माउंट आबू आदि राजस्थान में घूमने के बहुत ही सुंदर स्थान हैं।

पुष्कर और अजमेर तीर्थ अद्भुत तीर्थ स्थान है।
इन स्थानों पर आकर आप खुद को भगवान के शरण में आया महसूस कर सकते हैं। यहाँ आप अपने को बहुत ही शान्त महसूस करेंगे।
बीकानेर और बूंदी राजस्थान की विरासत और राजशाही से भरे शहर हैं।
शाही महल और गजनेर पैलेस बीकानेर का प्रसिद्ध यात्रा स्थल है।
जोधपुर वास्तुकार प्रेमियों के लिए आकर्षण का केंद्र है।
जैसलमेर मिठाई सीहोर और ऊंट की सवारी के लिए प्रसिद्ध स्थल है।

इस प्रकार राजस्थान की विभिन्न जगहों की कला और लोक नृत्य काफी मनोहर है। यह इंसान के दिलो दिमाग में एक जादू सा कर देते हैं। सर्दियों के मौसम में राजस्थान में घूमने का एक अपना ही आनंद है।

4. हिमाचल के सबसे लोकप्रिय स्थल शिमला, मनाली और धर्मशाला –
सर्दियों में अगर आप हिमाचल में घूमने का प्लान बना रहे हैं, तो आप शिमला, मनाली या धर्मशाला जरूर जाएं।
सर्दियों में सैलानियों के लिए हिमाचल की राजधानी “शिमला” बर्फबारी का आनंद लेने के लिए बहुत ही परफेक्ट और सुंदर स्थान है।

शिमला घुमावदार पहाड़ियों और बर्फ से ढके जंगलों से घिरा हुआ बहुत ही सुंदर पर्यटक स्थल है। शिमला साइक्लिंग करने के लिए बहुत अच्छा स्थान है।

मनाली- मनाली हिमाचल में बर्फबारी से घिरा बहुत रमणीक स्थल है। यहां आकर हर कोई अपने आपको स्वर्ग से घिरा पाता है। यहां के पेड़ और देवदार के पेड़ प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर हैं जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं।
मनाली को रंग-बिरंगे फूलों की घाटी कहा जाता है। बर्फ के कारण सर्दियों में यहां हरियाली दूर-दूर तक नजर नहीं आती।

एडवेंचर के शौकीन के लिए मनाली-ट्रैकिंग, स्कीइंग, पैरा ग्लाइडिंग आदि के लिए बहुत अच्छा स्थल है।
मनाली स्कीइंग अभियान, नदी बीस, पर्वतारोहण, अन्य साहसिक खेल और हिमालय के शानदार दृश्य के लिए बहुत प्रसिद्ध है।

धर्मशाला- अगर आप इस बार सर्दियों में किसी शांत स्थल पर घूमने का सोच रहे हैं तो धर्मशाला घूमने के लिए पहाड़ों से घिरा बहुत ही रमणीक और शांत स्थल है।
धर्मशाला को दलाई लामा के “गृहनगर” के नाम से भी जाना जाता है।
बर्फ से ढके हुए पहाड़ों, शांतिपूर्ण मठ, शांत झीलों और चुनौती पूर्ण ट्रैकिंग ट्रेल्स से घिरा धर्मशाला ऐसा स्थल है, जहां अभी तक व्यवसायीकरण अनछुआ है।
यह बहुत ही शांत स्थल है।

अगर आप भी इस बार सर्दियों में कहीं घूमने का सोच रहे हैं तो आप इन रमणीक स्थलों पर जरूर जाएं और प्रकृति का भरपूर आनंद लें।

फिर से पैरोल पर बाहर आ सकता है राम रहीम : जानिए बाबा राम रहीम की ज़िंदगी से जुड़े रहस्य

अक्सर सुर्ख़ियों में रहने वाले बाबा राम रहीम की पैरोल को लेकर चल रही चर्चा को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। सूत्रों के अनुसार पता चल रहा है कि बाबा राम रहीम जल्द ही पेरोल पर बाहर आ सकते है। गुरमीत राम रहीम जिन्हें अक्सर लोग “राम रहीम” के नाम से भी जानते है। पिछले कुछ सालों से अक्सर सुर्ख़ियों में बना रहता है और बाबा राम रहीम सिंह के सुर्ख़ियों में बने रहने के पीछे एक बड़ी कहानी है।

अगर हम बाबा राम रहीम की कहानी के बारे में बात करें, तो डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख है। बाबा एक प्रसिद्ध गुरू है, जिनके अनुयायी देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी है। सुर्ख़ियों में रहने वाले बाबा राम रहीमको देश का बच्चा-बच्चा जानता है।

फिलहाल, सुर्खियों में बाबा की पैरोल का विषय है-
एक ऐसा विषय जो राम रहीम की खबरों में सुर्ख़ियों में बना हुआ है। जिस पर बहुत से लोग विवाद करते है और अक्सर उनके यह प्रश्न होते हैं की आख़िर बाबा राम रहीम को इतनी बार पैरोल क्यों दी जाती है? बाबा आख़िर पैरोल पर आने के बाद करते क्या हैं? बाबा राम रहीम की कहानी में जो दिखता है, क्या यही सच्चाई है या उससे अधिक कुछ है?

यह पोस्ट यहां बाबा गुरमीत राम रहीम पैरोल की दिलचस्प दुनिया के बारे में लोगों के मन में जो सवाल है उनको गहराई तक जाकर स्पष्ट करने के लिए है।
आइए एक-एक करके राम रहीम समाचार पर विचार करते हुए, राम रहीम की कहानी पर गौर करें।

क्या पैरोल मिलना सचमुच एक कानूनी अधिकार है?
अक्सर पैरोल कैदी की अस्थायी रूप से रिहाई होती है, लेकिन यह पैरोल कैदी के अनुरोध पर दी जाती है जबकि पैरोल मिलना कैदी का क़ानूनी अधिकार है। पैरोल सरकार द्वारा जेल में बंद लोगों को दिया गया एक मौका है। जिसका उद्देश्य है कि क़ैदी को कुछ समय तक जेल में रहने के बाद सामान्य जीवन में वापस आने में मदद मिलेती है। बाबा राम रहीम की कहानी के मामले में, यह जानना महत्वपूर्ण है कि उन्हें पैरोल देना कोई साधारण बात नहीं है। इस बारे में हरियाणा सरकार का कहना है कि वह राम रहीम को पैरोल देकर कानून का पालन कर रहे है।

आख़िर कितने समय तक पैरोल मिल सकती है-
पैरोल की अवधि एक महीने तक बढ़ाई जा सकती है जबकि फरलो ज्यादा से ज्यादा 21 से 28 दिन के लिए दिया जा सकता है।इन नियमों के मुताबिक उन्हें साल में 70 दिन तक की पैरोल व 21 से 28 दिनकी फ़र्लो मिल सकती है। व 3 साल की जेल में रहने के बाद ये किसी भी क़ैदी का हक़ होती है! इसलिये अगर अपने देश के क़ानून के अनुसार देखा जाए तो राम रहीम पैरोल कोई राजनातिक सहायता दाव पच नहीं है बल्कि कानूनन अधिकार है।

बाबा राम रहीम को कितनी बाबा मिल चुकी है पैरोल?
बाबा राम रहीम इस से पहले चार बार पैरोल पर युपी के बागपत आश्रम में रह चुके है। आपको बता दें यह आश्रम डेरा सच्चा सौदा के दूसरे गुरु शाह सतनाम सिंह जी द्वारा बनाया गया था।
बाबा राम रहीम सबसे पहले 2022 में 17 जून को 30 दिन के लिए आए थे, इसके बाद अक्टूबर में 40 दिन के लिए, फिर साल 2023 में जनवरी में और जुलाई में युपी डेरे में पधारे थे।

क्या सच में बाबा राम रहीम की पैरोल को लेकर दी जा रही है अतिरिक्तप ढील?
इस बारे में दिल्ली हाईकोर्ट के अधिवक्ता अरुण शर्मा से जब पूछा गया कि क्यात राम रहीम को ढील देते हुए बार-बार पैरोल दी जा रही है? इस अधिवक्ता ने कहा कि ऐसा बिलकुल भी नहीं है। अगर कोई भी कैदी अपनी सजा का कुछ हिस्साई जेल में बिता चुका है और इस दौरान उसका व्यंवहार और आचरण ठीक रहा है तो उसे पैरोल दी जा सकती है। उन्होंबने बताया कि हर साल तिहाड़ जेल से सैकड़ों कैदी पैरोल पर बाहर आते हैं। उन्होंने बताया दरअसल, जब हम बड़े मामलों से जुड़े अपराधियों पर ज्या‍दा गौर करते हैं, तो हमें लगता है कि उनको अतिरिक्त सुविधा दी जा रही है। जबकि स्पंष्टय ऐसा बिलकुल नहीं होता है। यह राज्यग सरकार का विशेषाधिकार होता है। अगर सरकार को लगता है कि सजा काट रहे व्येक्ति के आचरण में सुधार है, उसके आवेदन का आधार मजबूत है और उसकी रिहाई से कोई नुकसान नहीं है तो उसे पैरोल दी जा सकती है।

बाबा राम रहीम की पैरोल के बारे में लोगों की प्रतिक्रिया-
आइए जानते है कि आख़िर राम रहीम की पैरोल के बारे में लोग वास्तव में क्या सोचते हैं। राम रहीम की पैरोल इन दिनों सुर्खियों में बनी हुई है। यह एक ऐसा विषय है जिस पर समाचारों और जनता दोनों में खूब चर्चा हो रही है। राम रहीम सिंह की पैरोल की ख़बर आते ही काफी हलचल पैदा हो जाती है। सिक्के के अगर एक पहलू की तरफ़ देखें तो कुछ लोग बाबा राम रहीम की पैरोल की ख़बर सुनते ही टीवी चैनल सक्रिय हो जाते है वि शुरू हो जाता है वाद विवाद! कुछ लोग इसको ग़लत बताते है तो बहुत बड़ी संख्या में ऐसे लोग भी हैं, जो बाबा राम रहीम के आने का बेसब्री से इंतज़ार करते है। इन लोगों का मानना है कि जब इनके गुरु जी पैरोल पर आते हैं, तो वह अपने श्रद्धालुओं को इंसानियत की शिक्षा व परहित कार्यों को करने का आह्वान करते है। हैरानी कर देने वाली बात यह है कि इन लोगों का मानना है कि बाबा राम रहीम हर नेक कार्य की शुरुआत स्वयं करते हैं उसके बाद ही लोगों को वह कार्य करने का आह्वान करते है ।

पैरोल पर आने के बाद आख़िरकार करते क्या हैं बाबा राम रहीम?
राम रहीम की पैरोल की कहानी को गहराई से जानते कि वह जेल के बाहर अपना समय कैसे बिताते हैं। हालाँकि बाबा को कई बार पैरोल मिल चुकी है। लेकिन अभी भी उनके आने की ख़बर सुर्ख़ियों में है। सूत्रों से पता चला है कि बाबा राम रहीम पैरोल पर जल्द ही आ सकते हैं। लेकिन गौर करते है कि इन अवधियों के दौरान बाबा करते क्या है।

पैरोल के दौरान बाबा राम रहीम ने शुरुआत की नशा मुक्त अभियान की और नाम दिया “डैप्थ मुहीम”-
बाबा राम रहीम पैरोल में एक महत्वपूर्ण पहल जो सामने आई है वह है “डेप्थ मुहीम”। इस अभियान की शुरुआत खुद गुरुमीत राम रहीम ने की थी। इस मुहीम का उद्देश्य देश को, विशेषकर युवा पीढ़ी को नशीली दवाओं की लत और अन्य मादक द्रव्यों के सेवन से बचाना है।
राम रहीम की पैरोल के दौरान शुरू हुआ यह अभियान युवाओं को नशे रूपी दैत्य को समाज से दूर भगाने व युवा पीढ़ी को नशे की लत से उबरने के लिए सशक्त बनाता है। लोगों का दावा है कि इस मुहीम से जुड़कर लाखों लोगों ने नशे रूपी दैत्य का त्याग किया है।

क्योंकि बाबा एक किसान है तो इस टाइम में बाबा काफ़ी समय खेती को देते हैं व खेती के आधुनिक तरीको को आज़माते है और साथ ही ये अपने सोशल मीडिया के माध्यम से दूसरो को भी बताते हैं। इस तरह से बाबा लगभग अपना समय कोई ना कोई नया सामाजिक उत्थान कार्य करने में लगाते है।

यूपी के बागपत प्रशासन से माँगी गई बाबा राम रहीम की रिपोर्ट-
डेरा प्रमुख बाबा राम रहीम एक बार फिर जेल से बाहर आ सकते हैं। सरकार एक बार फिर बाबा राम रहीम को जेल से बाहर निकालने की तैयारियां कर रही है। इसके लिए बाबा राम रहीम ने जेल के प्रशासन को पैरोल के लिए अर्ज़ी लगाई हुई है। इसके लिए बाबा राम रहीम के चाल-चलन व व्यवहार की रिपोर्ट यूपी के बागपत प्रशासन से माँगी गई है। जिसके बाद ही बाबा राम रहीम जेल से बाहर जल्द आ सकते है।

पैरोल देने का फैसला करना आसान नहीं होता है।यह रस्सी पर चलने जैसा होता है। किसी व्यक्ति के मौलिक अधिकारों और बाकी सभी की सुरक्षा के बीच संतुलन बनाए रखने की कोशिश करना बड़ा कठिन होता है। लेकिन बाबा के केस में ऐसा नहीं है और यह भी याद रखना महत्वपूर्ण है कि पैरोल से अच्छे बदलाव आ सकते हैं। जो यह दिखाते हैं कि वे बदलाव लाना चाहते हैं और समाज की मदद करना चाहते हैं, तो उन्हें वह मौका मिलना चाहिए। डेरा प्रमुख बाबा राम रहीम के मामले में, उनकी पैरोल को उनकी रिहाई के दौरान उनके द्वारा किए गए अच्छे कामों के खुली आँखों से से देखा जाना चाहिए।

निष्कर्ष
आज आपके साथ पैरोल से जुड़ी कुछ बातें साँझा की और आपने बाबा राम रहीम से जुड़ी कुछ बातें जानी।बाबा द्वारा किए जा रहे समाज भलाई के कार्यों को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता है। उनका आचरण इस बात पर पुनर्विचार करने के लिए कहता है कि हम उसकी पैरोल को कैसे देखते हैं सकारात्मक या नकारात्मक!

Baba Ram Rahim Parole news: बाबा राम रहीम एक बार फिर आएगा जेल से बाहर, 21 दिन के लिए हुई पैरोल मंजूर

लगातार सुर्खियों में छाए जाने वाले बाबा राम रहीम (Gurmeet Ram Rahim Singh) आजकल बड़ी चर्चा में हैं। मीडिया में बाबा राम रहीम की चर्चा का विषय है-पैरोल, जो उनको जल्द ही मिलने वाली है।
इससे पहले जुलाई माह में बाबा राम रहीम जेल से बाहर आए थे। डेरा सच्चा सौदा के चीफ बाबा राम रहीम (Dera Chief Baba Ram Rahim) के लिए 21 दिन की पैरोल मंजूर हो गई है। आपकी जानकारी के लिए बता दें इससे पहले राम रहीम 7 बार पैरोल पर आ चुके हैं।

इस बार बाबा राम रहीम (Ram Rahim Singh) पैरोल पर 21 दिन के लिए बाहर आ रहे हैं।

आपको बता दें कि राम रहीम 25 अगस्त 2017 से सुनारिया जेल में हैं। 3 साल के अंदर बाबा राम रहीम 184 दिन यानी 7 बार पैरोल पर जेल से बाहर आ चुके हैं। हरियाणा सरकार से राम रहीम की 21 दिन की पैरोल मंजूर कर दी है। इसलिए अबकी बार फिर बाबा राम रहीम 21 दिन की पैरोल पर बाहर आ रहे हैं।

पैरोल मिलने के बाद गुरमीत राम रहीम उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के बरनावा आश्रम डेरे में पधारेंगे। इससे पहले गुरमीत राम रहीम 20 जुलाई 2023 को 30 दिन की पैरोल पर आए थे और 15 अगस्त का जन्मदिन डेरा सच्चा सौदा की साध संगत ने बाबा राम रहीम के साथ मनाया था।

आपकी जानकारी के लिए बता दें, बाबा राम रहीम के पूरे विश्व में श्रद्धालु है, जो बाबा राम रहीम को भगवान मानते हैं और अनेकों मानवता भलाई के कार्य करके लोगों का सहारा बनते हैं। एक बार बाबा राम रहीम को अपनी मां के इलाज के लिए भी पैरोल मिली थी।
बाबा राम रहीम में कुछ तो ऐसी खूबियां हैं जिनके कारण उन्हें बार-बार पैरोल मिल रही है।

बार-बार पैरोल मिलने का कारण है बाबा का अच्छा व्यवहार जिसके कारण बाबा जी को बार-बार पैरोल मिलती है। यह सब ध्यान में रखा जाता है कि जब पैरोल मिलती है तो वहां का कैसा माहौल है? शायद सब कुछ अच्छा होने का कारण है बाबा को बार-बार पैरोल मिलना।

भारत की धरती गुरुओं, पीरों व त्यौहारों की धरती है। जहां समय-समय पर कई त्यौहार मनाए जाते हैं। उन त्यौहार में से एक त्यौहार है दिवाली।

सब के लिए खुशियां लेकर आता है यह त्यौहार:-

दिवाली हिंदुओं व सिक्खों का प्रसिद्ध त्यौहार है। दिवाली हर किसी के लिए खुशियां लेकर आती है, चाहे कोई बच्चा हो, बड़ा हो व चाहे कोई बुजुर्ग हो। प्रत्येक वर्ग के लिए दिवाली का त्यौहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। स्कूलों व काॅलेजों में भी इस त्यौहार को मनाया जाता है।

दिवाली का यह पवित्र पर्व कार्तिक माह की अमावस्या को मनाया जाता है। 2021 में 4 नवंबर को दिवाली का यह पर्व मनाया जा रहा है।

दिवाली के विभिन्न नाम व किन शब्दों से मिलकर बनी है?

दिवाली को, दीपोत्सव, दीपावली व दीपों का त्यौहार के नामों से भी जाना जाता है। दीपावली दो शब्दों से मिलकर बनी है दीप+ आवली.. दीप का मतलब दीपक व आवली का मतलब पंक्ति भाव कि “दीपों की पंक्ति”।

दिवाली मनाने का इतिहासिक कारण:-

इस दिन सिक्खों के छठे गुरु हरगोविंद सिंह जी 52 राजाओं को ग्वालियर के किले से रिहा करवाकर लाएं थे। इसलिए ये पर्व मनाया जाता है और गुरु जी को बंदी छोड़ दाता कहा जाता है।

इस दिन ही श्री रामचन्द्र जी लंका के राजा को मारकर 14 वर्षों का वनवास पूरा करके अयोध्या वापिस आएं थे। उनके आने की खुशी में लोगों ने घी के दीपक जलाएं थे। तब से इस खुशी में दिवाली का पर्व मनाया जाता है।

दिवाली की शुभकामनाएं देना:-

इस दिन लोग अपने दोस्तों व रिश्तेदारों को whatsapp, कार्ड व अन्य साधनों के द्वारा एक दूसरे को बधाई देते हैं और अपना मनोरंजन करते हैं।

दिवाली से कई दिन साफ-सफाई करना:-

लोग दिवाली से कई दिन पहले अपने घरों की साफ-सफाई करना शुरु कर देते हैं और रंग- रोगन करते हैं। दिवाली वाले दिन घरों के साथ- साथ बाजारों की रौनक भी देखने योग्य होती है।

बाजारों की सजावट:-

दिवाली वाले दिन बाजारों की सजावट देखने योग्य होती है। लोग बाजारों को दुल्हन की तरह सजाते हैं, दिवाली से कई दिन पहले ही दुकानों की सजावट होनी शुरु हो जाती है। इस दिन बाजारों में लोगों की बड़ी भीड़ होती है। लोग नए कपड़े, मिठाइयां, पटाखे खरीदते हैं।

पटाखे चलाना व मिठाइयां बांटना:-

इस दिन लोग शाम के समय एक-दूसरे को मिठाइयां बांटते हैं और पटाखे चलाकर इस त्यौहार को मनाया जाता है बच्चों की खुशी देखने योग्य होती है।

त्यौहार को गलत ढंग से मनाना:-

पुरातन समय से जो त्यौहार चले आ रहे हैं, वह हमें कुछ न कुछ संदेश अवश्य देते हैं जैसे कि दिवाली का त्यौहार बुराई पर अच्छाई का प्रतीक है इस दिन हमें अपनी बुरी आदतों को छोड़कर अच्छाई को अपनाना चाहिए। परन्तु लोग इस दिन शराब पीते हैं और जुंआ खेलते हैं जोकि एक बुराई है। इसलिए हमें दिवाली को बुराइयां छोड़कर मनाना चाहिए और शराब नहीं पीनी चाहिए और जुंआ नहीं खेलना चाहिए।

त्यौहार को सही ढंग से मनाना:-

यदि आप भी दीवाली की खुशियों को प्राप्त करना चाहते हैं, तो इस दीवाली को जरूरतमंद लोगों की जरूरतों को पूरा करके मनाए और बेसहारों का सहारा बने और दूसरों को भी ऐसे नेक कार्य करने के लिए प्रेरित करें।

लक्ष्मी पूजा करना :-

इस दिन जो लोग लक्ष्मी माता का पूजन करते हैं, उन पर देवी माता की विशेष कृपा होती है। रात के समय लोग अपने घरों के दरवाज़े खुले रखते हैं, बताया जाता है कि इस दिन लक्ष्मी माता घर में प्रवेश करते हैं।

निष्कर्ष:-

आइए हम सब भी अपने पर्यावरण को शुद्ध होने से बचाने के लिए व जरूरतमंद लोगों की जरूरतों को पूरा करने के लिए इस दिवाली को पटाखे की जगह जरूरतमंद लोगों की जरूरतों को पूरा करके यह दिवाली उन लोगों के साथ मनाए व दूसरों को भी ऐसे नेक कार्य करने के लिए प्रेरित करें।

बुराई पर अच्छाई का प्रतीक है- दशहरा

भारत गुरुओं-पीरों व त्यौहारों की धरती है। जहां समय-समय पर कई मेले व त्यौहार मनाए जाते हैं। उनमें से एक पर्व है दशहरा जो कि बुराई पर अच्छाई का प्रतीक है।

नवरात्रों के साथ-साथ दशहरे का भी लोग बेसब्री से इंतजार करते हैं। दुर्गा पूजन और रावन-वध के साथ-साथ विजयदशमी की चकाचौंध हर जगह होती है। दशहरा जहां एक ओर बच्चों के लिए मेले के रूप में आता है, तो बड़ों के लिए रामलीला व स्त्रियों के लिए पावन नवरात्र के रूप में मनाया जाता है। यह त्यौहार असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक है। भाव यह है कि चाहे असत्य कितना भी बड़ा हो, उसके लिए समय लग सकता है परन्तु विजय हमेशा सत्य की होती है।

दशहरे का नाम विजयदशमी क्यों पड़ा?

भगवान श्री राम जी ने इस दिन लंका के राजा का वध किया था। जोकि असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक है। इसलिए यह विजयदशमी के नाम से जाना जाता है। नौ नवरात्रे होने के साथ-साथ दसवें नवरात्रे को दशहरे का पर्व मनाया जाता है।

दशहरे से कई दिन पहले रामलीला का आयोजन-

दशहरे से 10 दिन पहले जगह-जगह व कोने कोने में रामलीला होनी शुरू हो जाती है। जिसमें माता सीता, श्रीराम चंद्र जी के जीवन के बारे में बताया जाता है। दशहरे वाले दिन रावण, कुंभकरण और मेघनाथ के पुतले बनाकर जलाएं जाते है। यह दिन रामलीला का अंतिम दिन होता है। जिस दिन श्रीराम जी के स्वरूप बने राम जी ने लंका के राजा रावण को मारकर विजय प्राप्त की थी।

दशहरे के 20 दिन बाद दीवाली का पर्व मनाया जाता है। लोग भगवान श्री राम चन्द्र जी के आने की खुशी में घी के दीपक जलाकर खुशी प्रकट करते है।

दशहरे पर तरह-तरह की दुकानें लगी होती है। बच्चे खुशी से दशहरे पर जाने के लिए उत्सुक होते है। पहले भगवान राम और रावण के बीच लड़ाई होती है और फिर राम चन्द्र जी रावण का वध करते है। ये नाटक खत्म होने पर भगवान राम जी शाम के समय रावण, कुंभकरण और मेघनाथ के पुतले को जलाते है। फिर सभी लोग अपने अपने घरों को वापिस लौटते समय घर के लिए मिठाइयां खरीदते हैं।

लोगों द्वारा त्यौहार को गलत ढंग से मनाना-

इस दिन कई लोग जुंआ खेलते और शाराब पीते है। जोकि एक बहुत ही बुरी बीमारी है। क्योंकि प्रत्येक त्यौहार को उसके महत्व को समझते हुए उसे मनाना चाहिए और अपनी बुराइयों को छोड़ना चाहिए।

निष्कर्ष-

अहंकार को हमेशा मार पड़ती है क्योंकि लंका के राजा ने अंहकार किया और उसकी कुलों का सर्वनाश हो गया इसलिए कभी अंहकार नहीं करना चाहिए।

वर्ष 1947 की 15 अगस्त के दिन का हमारे इतिहास में बड़ा महत्व है। सदियों से हमारा भारत देश अंग्रेजों की दास्तां में था और उनके अत्याचारों से हर कोई वाकिफ था। खुली हवा में सांस लेने को बेचैन भारत में आजादी का पहला बिगुल 1857 में बजा। परंतु कुछ कारणों से हम गुलामी के बंधनों से मुक्त नहीं हो पाए।

आपकी जानकारी के लिए बता दे, आजादी का यह संघर्ष वास्तव में तब अधिक हुआ था, जब माननीय बाल गंगाधर तिलक जी ने कहा था कि स्वतंत्रता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है और हम इस अधिकार को लेकर रहेंगे। इसी बात से प्रभावित होकर ना जाने कितने वीरों ने अपनी आंखें बंद कर ली। ताकि आज यहां पर जन्म लेने वाला हर बच्चा आजाद भारत में आजाद आकाश के नीचे अपनी आंखें खोल सके। बहुत से वीरो ने अपने सिर पर कफन बांध कर देश की आजादी के लिए अपनी कुर्बानी दी और मंजिल एक दिन 15 अगस्त 1947 के रूप में सामने आई और भारत देश आजाद हुआ। तभी से 15 अगस्त के दिन को स्वतंत्रता दिवस के रुप में मनाया जाता है।

कैसे मनाया जाता है स्वतंत्रता दिवस-

इस बार 15 अगस्त 2021 रविवार को लाल किले की प्राचीर से नरेंद्र मोदी देश को संबोधित करेंगे। हर साल 15 अगस्त के दिन लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री के द्वारा देश को संबोधित किया जाता है। इस साल 15 अगस्त के दिन को अलग तरीके से मनाया जा रहा है।

वीरों के त्याग की याद दिलाता हैं-

स्वतंत्रता दिवस का दिन हमें वीरों के त्याग की याद दिलाता है। देश के वीरों की कुर्बानी व बहुत संघर्ष के बाद मिली यह आजादी भारत देश के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। महात्मा गांधी, गोपाल कृष्ण गोखले, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, भगत सिंह, सरदार वल्लभभाई पटेल, डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद, चंद्रशेखर आजाद, सुखदेव, लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक आदि महान वीरो के बलिदान के कारण ही हम आज आजाद भारत देश में चेन की सांस ले पा रहे हैं।

स्वतंत्रता दिवस का महत्व –

भारत देश में स्थित दिल्ली का लाल किला स्वतंत्रता दिवस का प्रतीक है। यहां सबसे पहले 15 अगस्त 1947 को भारत के सबसे पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू जी ने झंडा फहराया था। यह परंपरा आज तक चली आ रही है। इस दिन देश के प्रधानमंत्री लाल किले के प्राचीर पर तिरंगा फहराते हैं इसके साथ ही देश को संबोधित करते हैं।

उद्देश्य-

स्वतंत्रता दिवस मनाने का उद्देश्य यह है कि देश के नागरिक होने नाते स्वतंत्रता का ना तो अपने आप पर दुरुपयोग करें और ना ही दूसरों को करने दे। आपस में सभी एकता व भाईचारे से रहे। लड़ाई व झगड़े से बचे। हम सभी को इस दिन अच्छे नेक कार्य करने चाहिए और देश को आगे बढ़ाना चाहिए। रिश्वत, जमाखोरी व कालाबाजारी को देश से समाप्त करें।

क्या हम सही मायनों में आज आजाद है-

कहने में तो हम सभी स्वतंत्र देश में रहते हैं, हम दिखाते भी कुछ ऐसा ही हैं कि हम खुले विचारों वाले, आजाद सोच व खुले दिल वाले इंसान हैं। लेकिन जब हम हकीकत पर गौर करते हैं, तो नजारा देखने में कुछ और ही दिखाई पड़ता है। यह बात सुनने में बहुत कड़वी जरूर लग रही होगी। परंतु यह सत्य है। जहां आज हम 75वाँ स्वतंत्रता दिवस मनाने की तैयारी कर रहे हैं। वहीं इसमें बहुत कुछ परतंत्र भी है। इतने वर्षों की आजादी के बाद भी हम आज वास्तव में आजाद नहीं है। कहने–सुनने में तो हम आजाद दिख सकते हैं। लेकिन असल में ऐसा नहीं है।

आज आप भारत के किसी भी कोने में चले जाएं। कहीं ना कहीं इस बात की सत्यता को जरूर परखेंगे कि जो जैसा दिखता हैं, वास्तव में वह वैसा नहीं होता। फिर चाहे वह नेता, राजनेता, हमारे रिश्तेदार, सगे-संबंधी या घर परिवार कोई भी क्यों ना हो।

इस बात में बिल्कुल संदेह नहीं कि हमारे देश के वीरो और स्वतंत्रता सेनानियों के कारण हम खुली हवा में सांस ले पा रहे हैं। लेकिन केवल घूमने-फिरने और खुली हवा में सांस लेने से ही हमें संतुष्ट नहीं होना चाहिए।

यह हमारा फर्ज बनता है कि जो सपना हमारे देश के महान वीर जवानों, स्वतंत्रता सेनानियों ने देखा उस सपने को हम सभी मिलकर पूरा करें और अपने भारत देश को सही मायनों में आजाद कराएं।

कुछ कारण जिससे हमारी स्वतंत्रता अधूरी है-

आइए जानते हैं उन कारणों के बारे में जिसके कारण हमारी स्वतंत्रता का मतलब अधूरा है। अगर इन कारणों व कमियों को सुधारा जाए तो हम सच में आजादी के हकदार बनेंगे।

  1. नशों से आजादी – भारत देश में सभी धर्मों के लोग रहते हैं। हर कोई अपने-अपने धर्म को मानता है। लेकिन अफसोस इस बात का है कि धर्मों की बातों को लोग नहीं मानते। हर धर्म में नशो का सेवन करने को लेकर मनाही है। नशे बर्बादी का घर हैं व नशों के कारण घरो के घर बर्बाद हो जाते हैं। गरीबी का एक मुख्य कारण नशा भी है। अगर देश को समृद्ध और शक्तिशाली बनाना है, तो सरकार को सभी नशों पर रोक लगानी चाहिए। इसको रोकने के लिए सख्त कानून लागू होने चाहिए। तभी देश की तरक्की हो सकती है।
  1. मानसिक गुलामी से आजादी – हमारा देश भले ही 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ। लेकिन भारत में बहुत से लोग अभी भी मानसिक रूप से गुलाम है। हमारी भारतीय संस्कृति व परंपरा को छोड़कर अधिकतर लोग आज पश्चिमी सभ्यता को अपना रहे है। यह मानसिक गुलामी का शिकार नहीं होना तो और क्या है। जब तक हम विदेशी कल्चर को अपनाते रहेंगे। तब तक हम अपने देश व अपने आप को आजाद नहीं समझ सकते हैं।
  1. रिश्वतखोरी से आजादी – आज भारत में कुछ पैसों के लिए लोग अपना जमीर तक बेच देते हैं। भ्रष्टाचार को लेकर भारत की स्थिति बहुत खराब व दयनीय है। यहां बहुत से लोग रिश्वत देकर कुछ भी काम करवा सकते हैं। जब तक देश में रिश्वतखोरी भ्रष्टाचार खत्म नहीं होगा। तब तक भारत तरक्की नहीं कर सकता। इसको रोकने के लिए लोगों को जागरूक करने व कडे़ से कड़े कानून लागू करने की जरूरत है।
  1. पाखंडवाद से आजादी – आज के समय में लोग धर्म को कम मानते हैं। लेकिन दिखावा ज्यादा करते हैं। धार्मिक स्थान बनाना गलत नहीं है। परंतु जिस देश में शिक्षा से अधिक धार्मिक स्थानों को बनाने में जोर दिया जाता हो, वहां विकास डावाडोल स्थिति में ही रहता है। धर्म को मानना गलत नहीं है। लेकिन धर्म की बात भी माननी जरूरी है। पाखंडवाद को छोड़कर शिक्षा प्रणाली पर ध्यान देना जरूरी है।

अगर हम सभी देशवासी मिलकर इन कमियों व कारणों पर विचार करें और इनमें सुधार लाए। तो एक दिन सच में हम देशवासी बहुमूल्य आजादी के हकदार बनेंगे और वीरों के बलिदान को व्यर्थ नहीं जाने देंगे।

निष्कर्ष-

15 अगस्त को देश आजादी का जश्न मनाता है यह दिन होता है उन वीरों को याद करने का जिन्होंने देश को आजादी दिलाने का अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया हमें कभी नहीं भूल सकते कि आजादी पाने को लाखों लोगों ने अपनी जान गवाई थी। आखिर में आप सभी को 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस की बहुत-बहुत शुभकानाएं। अपने लोकतंत्र के इस सर्वश्रेष्ठ त्यौहार को उपरोक्त बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए भविष्य में एक वास्तविक स्वतंत्रता दिवस को मनाने के हकदार बने। जय हिन्द, जय भारत!

लॉकडाउन के दौरान वर्क फ्रॉम होम के तनाव से खुद को बचाने के लिए लाए अपने रोजाना जिंदगी में कुछ बदलाव –

वैसे तो लोगों में काम को लेकर पहले भी तनाव और स्ट्रेस रहता था। लेकिन कोरोना काल में लॉकडाउन की वजह से यह तनाव बढ़ गया है। क्योंकि लॉकडाउन की वजह से लोगों को अपना काम वर्क फ्रॉम होम करना पड़ रहा है। जिस वजह से वह घर रहकर भी अपना समय परिवार या फैमिली मेंबर को नहीं दे पाते और ना ही घर रह कर सही तरीके से ऑफिस वर्क कर पाते हैं। इन्हीं कारणों की वजह से लोगों में तनाव की समस्या बढ़ती जा रही है। कई बार तो फैमिली इश्यूज तो सामान्य होते हैं, लेकिन वर्क फील्ड में बढ़ रहे कंपटीशन का माहौल दिमाग पर तनाव हावी करने के लिए काफी है। आपको आज कुछ ऐसे टिप्स बताना चाहते है, जिन्हें अपनाकर आप अपना तनाव बिल्कुल तो नहीं पर 70% तक कम कर सकते हैं। आइए जानते हैं उन टिप्स और तरीकों के बारे में।

टेंशन को खत्म करने के लिए अपनी समस्या को शेयर करें-

आज के इस भाग दौड़ भरी जिंदगी में समस्या का आना या होना आम बात है। लेकिन उस समस्या या परेशानी से भागने की बजाय उसका सामना करना चाहिए। अगर आपको वर्क फ्रॉम होम करने में कोई बाधा या समस्या आ रही है। तो उसके बारे में तनाव या टेंशन लेने की बजाय उस समस्या को अपने सीनियर के साथ शेयर करें। क्योंकि समस्या शेयर करने से आधी टेंशन अपने आप खत्म हो जाती है। अगर आपके सीनियर से कोई हल नहीं निकलता तो आप अपने मैनेजर से बात करके उस समस्या का हल निकाल सकते हैं, जिससे आपकी टेंशन दूर हो जाएगी।

जॉब वर्क करने के लिए कंफर्टेबल रूम का चयन-

लॉकडाउन के दौरान वर्क फ्रॉम होम करना हर व्यक्ति के लिए बहुत जरुरी हो गया है। जिस कारण घर में ही रहकर 6 से 8 घंटे काम करना पड़ रहा है। इसके लिए जरूरी है, ऐसे रूम का चयन करना जहां आप कंफर्टेबल होकर बिना किसी शोरगुल, बिना किसी बच्चों के, बिना किसी लड़ाई- झगड़े के शांत होकर अपना काम खत्म कर सकते हैं। हो सके तो आप अपने रूम का चयन किसी खिड़की वाले रूम में करें, जिससे आप स्ट्रेस महसूस करने पर खिड़की से हरियाली को देखकर अपने आप को अच्छा फील करवा सकते हैं।

अपने हर काम को करने के लिए टाइम टेबल बनाएं या समय निर्धारित करें-

वर्क स्ट्रेस को कम करने का सबसे अच्छा और आसान तरीका है, अपने काम को मैनेज करना कि किस काम को कितने समय में पूरा किया जा सकता है, किस काम को कितना समय लगेगा आदि। आप यह भी देखें कि कौन सा काम आपके लिए ज्यादा जरूरी है। उसे पहले खत्म करने का प्रयास करें। जो काम ज्यादा जरूरी नहीं है, उसके लिए टेंशन ना लें, बल्कि उसे वीकेंड के लिए छोड़ दें। इस तरह आप एक टाइम टेबल बनाकर अपना समय निर्धारित कर सकते हैं और अपने आप को वर्क की टेंशन से तनाव मुक्त रख सकते हैं। अपने वर्क को करने के लिए एक टारगेट सेट करें, उस टारगेट के समय में ही अपने वर्क को खत्म करने की कोशिश करें।

काम करने वाले स्थान पर सही रोशनी का होना-

वर्क फ्रॉम होम करने के लिए अच्छी रोशनी का होना बहुत जरूरी है। क्योंकि अगर आंखें सुरक्षित हो तो काम आसानी से हो सकता है। काम के साथ आंखों की सुरक्षा भी जरूरी है। लेकिन आजकल लोगों का अधिकतर समय घर पर रहकर काम करने की वजह से लैपटॉप या कंप्यूटर पर गुजरता है। जिस वजह से आंखों पर अधिक जोर पड़ता है। अगर काम करने वाले रूम में पर्याप्त रोशनी नहीं होगी तो आंखों पर ज्यादा जोर पड़ेगा। जिससे सिर दर्द और तनाव पैदा होगा। इसलिए कोशिश करें कि आप जहां काम करने बैठते हैं, वहां रोशनी पर्याप्त आती हो या सफेद लाइट, एलईडी बल्ब लगा हो।

आधुनिक समय में तकनीकी जानकारी के साथ अपने आपको ढालें लें यानी अपने नॉलेज को बढ़ाएं-

आज के आधुनिक युग में तकनीक का इस्तेमाल आपकी जिंदगी को ही नहीं, बल्कि आपके काम को भी आसान बना रहा है। इसके साथ ही काम जल्दी समाप्त होने पर आप कई तरह के तनाव से भी दूर रहते है। अपने काम से जुड़े एप्स के बारे में जानकारी प्राप्त करें। अगर आपको किसी चीज के बारे में जानकारी नहीं है, तो शर्म करने की बजाय उसके बारे में जानकार इंसान से सीख लें। क्योंकि अगर आप किसी से जानकारी हासिल नहीं करोगे तो आप जानोगे कैसे? क्योंकि हर इंसान भगवान से सीख कर नहीं आता। तकनीक की जानकारी हासिल करके अपने तनाव को कम करें।

जितना हो सके सोशल मीडिया से दूर रहें-

अगर आप वर्क फ्रॉम होम करते हैं, जिसका संबंध किसी सोशल मीडिया से नहीं है। तो कोशिश करें सोशल मीडिया का इस्तेमाल ना करें। आप इस बात का पूरा ध्यान रखें कि काम के दौरान व्हाट्सएप, फेसबुक, इंस्टाग्राम और ट्विटर जैसे सोशल नेटवर्क का प्रयोग ना करें। क्योंकि ऐसा करने से एक तो हमारा समय गैर-जरूरी काम में व्यर्थ नहीं होगा और उस समय को किसी जरूरी काम में लगा कर अपना समय बचा सकेंगे और अपने आप को तनावमुक्त रख सकेंगे।

मेडिटेशन और योगा करें-

मेडिटेशन और योगा स्ट्रेस को कम करने का एक बढ़िया और आसान तरीका है। मेडिटेशन को आप अपने रोजमर्रा की जिंदगी में अपना कर जिंदगी को खुशहाल और तनाव मुक्त बना सकते हैं। अगर आप अधिक देर तक काम करके थक गए हैं और अपने दिमाग को शांत करना चाहते हैं, तो रोजाना सुबह-शाम आधा घंटा मेडिटेशन और योगा करें। जिससे आप कुछ ही देर में खुद को रिलैक्स फील करवा सकते हैं। आप अपने स्ट्रेस को कम करने के लिए बैठकर, वॉकिंग करके या ध्यान लगाकर आदि कई तरीके के मेडिटेशन या योगा को अपना सकते हैं।

तनाव मुक्त करने के लिए जल्दी सोए और पूरी नींद लें-

आज के इस भाग दौड़ भरी जिंदगी में कई लोग अपने आपको कंपटीशन में आगे करने के चक्कर में रात-दिन वर्क करने में लगे रहते हैं। जिस वजह से नींद ना पूरी होने पर तनाव जैसी समस्या पैदा हो जाती है। कई बार लोग अधिक थक जाने पर भी देर रात तक जाकर काम करते रहते हैं। कई बार तो लोग जल्दी फ्री होने पर भी अपना अधिक समय सोशल मीडिया पर समय गुजारते हैं, जो कि गलत है। क्योंकि मेंटल स्ट्रेस को कम करने के लिए जल्दी सोना और पूरी नींद लेना बहुत जरूरी है। अगर आपका शरीर पूरी नींद लेता है, तो शरीर थकावट महसूस नहीं करता और खुद को तरोताजा और तनाव रहित महसूस करता है।

निष्कर्ष :-

अंत में यही कहना चाहते कि इस लॉकडाउन में अपना और अपने परिवार का पालन-पोषण करने के लिए काम करना जरूरी है। फिर काम चाहे घर रह कर यानी वर्क फ्रॉम होम किया जाए। अगर आप अपना वर्क फ्रॉम होम उपरोक्त नियमों का पालन करते हुए करते हैं, तो आप खुद को कभी भी तनावपूर्ण महसूस नहीं करेंगे। बल्कि तनावमुक्त होकर अपना समय गुजारेंगे। इससे आप अपना समय बचाकर अपने परिवार वालों के साथ समय गुजार कर उन्हें भी खुश रख सकते हैं। अगर फिर भी आपकी तनाव की समस्या ज्यादा बढ़ती है तो सरकार द्वारा निर्धारित किए गए टोल फ्री नंबर 0804611007 पर कॉल करके विशेषज्ञ चिकित्सक से घर बैठकर जानकारी प्राप्त कर सकते हैं और अपने आप को तनाव से राहत दिला सकते हैं।