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Winter Destinations- सर्दियों में घूमने की कर रहे हैं प्लानिंग, तो यह जगह है सबसे अच्छी

घूमना-फिरना हर इन्सान को अच्छा लगता है। सर्दी का मौसम शुरू हो चुका है। उत्तर भारत में अब मौसम बहुत रफ्तार से बदल रहा है।

सर्दी का मौसम हर इंसान को बहुत पसंद आता है। क्योंकि इस मौसम में घूमने-फिरने और खाने-पीने का एक अपना अलग ही मजा होता है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें, भारत में बहुत सी ऐसी जगह हैं, जहां सर्दियों में घूमने का अलग ही मजा है। कईं जगहों पर इस मौसम में बर्फबारी शुरू हो जाती है।

सर्दियों में छुट्टियों में अगर आप कहीं घूमने का प्लान बना रहे हैं, तो एक बार इन जगहों पर जरूर जाएं। ये जगह सुकून और शांति से भरपूर हैं, जहां आप एक बार जाकर हर बार जाना पसंद करेंगे।

भारत में घूमने की सबसे अच्छी जगह-

  1. केरल
  2. गोवा
  3. राजस्थान
  4. हिमाचल के सबसे लोकप्रिय स्थल
    शिमला, मनाली और धर्मशाला।

 

1.केरल-

केरल दक्षिण भारत में बसा वो राज्य है जो बीच और बाँधों के लिए मशहूर है। इसे “ईश्वर का अपना घर” के नाम से भी जाना जाता है। यहां विभिन्न प्रकार की चाय और कॉफी की चुस्कियाँ लेते-लेते आपका मन नहीं भरेगा।
बारिश के बाद केरल की हरियाली का अपना ही अलग रंग होता है। यहां खड़े मसालों की सौंधी खुशबू आपको रसोई के नटखट और चटपटे स्वाद का स्मरण करवाएगा। केरल के दर्शनीय स्थल आपके इन सभी एहसासों को जीवंत कर देंगा।

केरल में प्रकृति से प्यार करने वालों के लिए सुंदर पहाड़ी स्टेशन, महासागर प्रेमियों के लिए सुनहरे सुंदर तट, पशु प्रेमियों के लिए विदेशी वन्यजीवन, शरीर और दिमाग को शांत करने के लिए आयुर्वेदिक मालिश और योग सब का अपना-अपना अलग महत्व है।

केरल में घूमने के लिए यादगार स्थल –

नाव की सवारी करने वालों के लिए अलापुला, थेककाड़ी और वेम्बानाद बहुत ही शानदार स्थल है।
वन्यजीव प्रेमियों के लिए साइलेंट वैली नेशनल पार्क, पेरियार टाइगर रिजर्व और कुमारकाम पक्षी अभ्यारण्य बहुत अच्छी जगह है। पक्षी प्रेमियों के लिए कन्नूर और कोझिकोड जिलों में स्थित वायनाड स्थल। धार्मिक स्थल में श्री पद्मनाभास्वामी मंदिर ज़ो की भगवान विष्णु की कलाकारी का प्रसिद्ध मंदिर है।

2. गोवा –

शीतकालीन मौसम में घूमने के लिए गोवा बहुत ही सुंदर और प्राकृतिक नज़ारों से भरा रमणीक स्थल है।
वैसे तो यहां किसी भी मौसम में जा सकते हैं। लेकिन सर्दी के मौसम में गोवा में घूमने का अलग ही नजारा है।
नए साल का जश्न मनाने के लिए गोवा सबसे बढ़िया स्थान है।
गोवा को भारत की पार्टी राजधानी भी कहा जाता है। यहां के रोमांचित सुनहरे समुद्र तट रोमांचक जल खेल, पारिवारिक व्यंजन, पुर्तगाली संस्कृति और जीवंत त्यौहार इस स्थान गोवा को भारत का सबसे बढ़िया सर्दियों में घूमने का अवकाश स्थल बनाते हैं।

यहां के समुद्री तट, आकर्षक चर्च, मंदिर, पुराने किले, लहराते पेड़, कार्निवल मांडवी नदी के तट पर क्रुज की सवारी आदि पर्यटकों के लिए सबसे आकर्षण का केंद्र है।
आपको बता दें कि दिसंबर में घूमने की सबसे अच्छी जगह गोवा है। अतः अगर आप भी अब की बार कहीं घूमने का प्लान बना रहे हैं, तो इस बार गोवा जरूर जाएं।

3. राजस्थान –

राजस्थान भारत के पश्चिम में स्थित है। राजस्थान ना केवल अपनी संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यहां के प्राचीन महल, किले, परंपरा, वेश भूषा, राजशाही इतिहास सब पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र हैं।

हालांकि राजस्थान में ज्यादा ठंड नहीं होती, लेकिन सर्दी के मौसम में यहां घूमने का नजारा बेहद खूबसूरत होता है।
यहां के प्राचीन किले, “गढ़” के नाम से बहुत प्रसिद्ध है।
राजस्थान के महाराजाओं की संस्कृति और परंपरा को उनके चमकदार किलों व राजसी कलाकारियों में साफ-साफ देखा जा सकता है।

राजस्थान में घूमने के प्रसिद्ध स्थल व स्थान-
जोधपुर, रणथंबोर, जैसलमेर, उदयपुर, बीकानेर और माउंट आबू आदि राजस्थान में घूमने के बहुत ही सुंदर स्थान हैं।

पुष्कर और अजमेर तीर्थ अद्भुत तीर्थ स्थान है।
इन स्थानों पर आकर आप खुद को भगवान के शरण में आया महसूस कर सकते हैं। यहाँ आप अपने को बहुत ही शान्त महसूस करेंगे।
बीकानेर और बूंदी राजस्थान की विरासत और राजशाही से भरे शहर हैं।
शाही महल और गजनेर पैलेस बीकानेर का प्रसिद्ध यात्रा स्थल है।
जोधपुर वास्तुकार प्रेमियों के लिए आकर्षण का केंद्र है।
जैसलमेर मिठाई सीहोर और ऊंट की सवारी के लिए प्रसिद्ध स्थल है।

इस प्रकार राजस्थान की विभिन्न जगहों की कला और लोक नृत्य काफी मनोहर है। यह इंसान के दिलो दिमाग में एक जादू सा कर देते हैं। सर्दियों के मौसम में राजस्थान में घूमने का एक अपना ही आनंद है।

4. हिमाचल के सबसे लोकप्रिय स्थल शिमला, मनाली और धर्मशाला –
सर्दियों में अगर आप हिमाचल में घूमने का प्लान बना रहे हैं, तो आप शिमला, मनाली या धर्मशाला जरूर जाएं।
सर्दियों में सैलानियों के लिए हिमाचल की राजधानी “शिमला” बर्फबारी का आनंद लेने के लिए बहुत ही परफेक्ट और सुंदर स्थान है।

शिमला घुमावदार पहाड़ियों और बर्फ से ढके जंगलों से घिरा हुआ बहुत ही सुंदर पर्यटक स्थल है। शिमला साइक्लिंग करने के लिए बहुत अच्छा स्थान है।

मनाली- मनाली हिमाचल में बर्फबारी से घिरा बहुत रमणीक स्थल है। यहां आकर हर कोई अपने आपको स्वर्ग से घिरा पाता है। यहां के पेड़ और देवदार के पेड़ प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर हैं जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं।
मनाली को रंग-बिरंगे फूलों की घाटी कहा जाता है। बर्फ के कारण सर्दियों में यहां हरियाली दूर-दूर तक नजर नहीं आती।

एडवेंचर के शौकीन के लिए मनाली-ट्रैकिंग, स्कीइंग, पैरा ग्लाइडिंग आदि के लिए बहुत अच्छा स्थल है।
मनाली स्कीइंग अभियान, नदी बीस, पर्वतारोहण, अन्य साहसिक खेल और हिमालय के शानदार दृश्य के लिए बहुत प्रसिद्ध है।

धर्मशाला- अगर आप इस बार सर्दियों में किसी शांत स्थल पर घूमने का सोच रहे हैं तो धर्मशाला घूमने के लिए पहाड़ों से घिरा बहुत ही रमणीक और शांत स्थल है।
धर्मशाला को दलाई लामा के “गृहनगर” के नाम से भी जाना जाता है।
बर्फ से ढके हुए पहाड़ों, शांतिपूर्ण मठ, शांत झीलों और चुनौती पूर्ण ट्रैकिंग ट्रेल्स से घिरा धर्मशाला ऐसा स्थल है, जहां अभी तक व्यवसायीकरण अनछुआ है।
यह बहुत ही शांत स्थल है।

अगर आप भी इस बार सर्दियों में कहीं घूमने का सोच रहे हैं तो आप इन रमणीक स्थलों पर जरूर जाएं और प्रकृति का भरपूर आनंद लें।

फिर से पैरोल पर बाहर आ सकता है राम रहीम : जानिए बाबा राम रहीम की ज़िंदगी से जुड़े रहस्य

अक्सर सुर्ख़ियों में रहने वाले बाबा राम रहीम की पैरोल को लेकर चल रही चर्चा को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। सूत्रों के अनुसार पता चल रहा है कि बाबा राम रहीम जल्द ही पेरोल पर बाहर आ सकते है। गुरमीत राम रहीम जिन्हें अक्सर लोग “राम रहीम” के नाम से भी जानते है। पिछले कुछ सालों से अक्सर सुर्ख़ियों में बना रहता है और बाबा राम रहीम सिंह के सुर्ख़ियों में बने रहने के पीछे एक बड़ी कहानी है।

अगर हम बाबा राम रहीम की कहानी के बारे में बात करें, तो डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख है। बाबा एक प्रसिद्ध गुरू है, जिनके अनुयायी देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी है। सुर्ख़ियों में रहने वाले बाबा राम रहीमको देश का बच्चा-बच्चा जानता है।

फिलहाल, सुर्खियों में बाबा की पैरोल का विषय है-
एक ऐसा विषय जो राम रहीम की खबरों में सुर्ख़ियों में बना हुआ है। जिस पर बहुत से लोग विवाद करते है और अक्सर उनके यह प्रश्न होते हैं की आख़िर बाबा राम रहीम को इतनी बार पैरोल क्यों दी जाती है? बाबा आख़िर पैरोल पर आने के बाद करते क्या हैं? बाबा राम रहीम की कहानी में जो दिखता है, क्या यही सच्चाई है या उससे अधिक कुछ है?

यह पोस्ट यहां बाबा गुरमीत राम रहीम पैरोल की दिलचस्प दुनिया के बारे में लोगों के मन में जो सवाल है उनको गहराई तक जाकर स्पष्ट करने के लिए है।
आइए एक-एक करके राम रहीम समाचार पर विचार करते हुए, राम रहीम की कहानी पर गौर करें।

क्या पैरोल मिलना सचमुच एक कानूनी अधिकार है?
अक्सर पैरोल कैदी की अस्थायी रूप से रिहाई होती है, लेकिन यह पैरोल कैदी के अनुरोध पर दी जाती है जबकि पैरोल मिलना कैदी का क़ानूनी अधिकार है। पैरोल सरकार द्वारा जेल में बंद लोगों को दिया गया एक मौका है। जिसका उद्देश्य है कि क़ैदी को कुछ समय तक जेल में रहने के बाद सामान्य जीवन में वापस आने में मदद मिलेती है। बाबा राम रहीम की कहानी के मामले में, यह जानना महत्वपूर्ण है कि उन्हें पैरोल देना कोई साधारण बात नहीं है। इस बारे में हरियाणा सरकार का कहना है कि वह राम रहीम को पैरोल देकर कानून का पालन कर रहे है।

आख़िर कितने समय तक पैरोल मिल सकती है-
पैरोल की अवधि एक महीने तक बढ़ाई जा सकती है जबकि फरलो ज्यादा से ज्यादा 21 से 28 दिन के लिए दिया जा सकता है।इन नियमों के मुताबिक उन्हें साल में 70 दिन तक की पैरोल व 21 से 28 दिनकी फ़र्लो मिल सकती है। व 3 साल की जेल में रहने के बाद ये किसी भी क़ैदी का हक़ होती है! इसलिये अगर अपने देश के क़ानून के अनुसार देखा जाए तो राम रहीम पैरोल कोई राजनातिक सहायता दाव पच नहीं है बल्कि कानूनन अधिकार है।

बाबा राम रहीम को कितनी बाबा मिल चुकी है पैरोल?
बाबा राम रहीम इस से पहले चार बार पैरोल पर युपी के बागपत आश्रम में रह चुके है। आपको बता दें यह आश्रम डेरा सच्चा सौदा के दूसरे गुरु शाह सतनाम सिंह जी द्वारा बनाया गया था।
बाबा राम रहीम सबसे पहले 2022 में 17 जून को 30 दिन के लिए आए थे, इसके बाद अक्टूबर में 40 दिन के लिए, फिर साल 2023 में जनवरी में और जुलाई में युपी डेरे में पधारे थे।

क्या सच में बाबा राम रहीम की पैरोल को लेकर दी जा रही है अतिरिक्तप ढील?
इस बारे में दिल्ली हाईकोर्ट के अधिवक्ता अरुण शर्मा से जब पूछा गया कि क्यात राम रहीम को ढील देते हुए बार-बार पैरोल दी जा रही है? इस अधिवक्ता ने कहा कि ऐसा बिलकुल भी नहीं है। अगर कोई भी कैदी अपनी सजा का कुछ हिस्साई जेल में बिता चुका है और इस दौरान उसका व्यंवहार और आचरण ठीक रहा है तो उसे पैरोल दी जा सकती है। उन्होंबने बताया कि हर साल तिहाड़ जेल से सैकड़ों कैदी पैरोल पर बाहर आते हैं। उन्होंने बताया दरअसल, जब हम बड़े मामलों से जुड़े अपराधियों पर ज्या‍दा गौर करते हैं, तो हमें लगता है कि उनको अतिरिक्त सुविधा दी जा रही है। जबकि स्पंष्टय ऐसा बिलकुल नहीं होता है। यह राज्यग सरकार का विशेषाधिकार होता है। अगर सरकार को लगता है कि सजा काट रहे व्येक्ति के आचरण में सुधार है, उसके आवेदन का आधार मजबूत है और उसकी रिहाई से कोई नुकसान नहीं है तो उसे पैरोल दी जा सकती है।

बाबा राम रहीम की पैरोल के बारे में लोगों की प्रतिक्रिया-
आइए जानते है कि आख़िर राम रहीम की पैरोल के बारे में लोग वास्तव में क्या सोचते हैं। राम रहीम की पैरोल इन दिनों सुर्खियों में बनी हुई है। यह एक ऐसा विषय है जिस पर समाचारों और जनता दोनों में खूब चर्चा हो रही है। राम रहीम सिंह की पैरोल की ख़बर आते ही काफी हलचल पैदा हो जाती है। सिक्के के अगर एक पहलू की तरफ़ देखें तो कुछ लोग बाबा राम रहीम की पैरोल की ख़बर सुनते ही टीवी चैनल सक्रिय हो जाते है वि शुरू हो जाता है वाद विवाद! कुछ लोग इसको ग़लत बताते है तो बहुत बड़ी संख्या में ऐसे लोग भी हैं, जो बाबा राम रहीम के आने का बेसब्री से इंतज़ार करते है। इन लोगों का मानना है कि जब इनके गुरु जी पैरोल पर आते हैं, तो वह अपने श्रद्धालुओं को इंसानियत की शिक्षा व परहित कार्यों को करने का आह्वान करते है। हैरानी कर देने वाली बात यह है कि इन लोगों का मानना है कि बाबा राम रहीम हर नेक कार्य की शुरुआत स्वयं करते हैं उसके बाद ही लोगों को वह कार्य करने का आह्वान करते है ।

पैरोल पर आने के बाद आख़िरकार करते क्या हैं बाबा राम रहीम?
राम रहीम की पैरोल की कहानी को गहराई से जानते कि वह जेल के बाहर अपना समय कैसे बिताते हैं। हालाँकि बाबा को कई बार पैरोल मिल चुकी है। लेकिन अभी भी उनके आने की ख़बर सुर्ख़ियों में है। सूत्रों से पता चला है कि बाबा राम रहीम पैरोल पर जल्द ही आ सकते हैं। लेकिन गौर करते है कि इन अवधियों के दौरान बाबा करते क्या है।

पैरोल के दौरान बाबा राम रहीम ने शुरुआत की नशा मुक्त अभियान की और नाम दिया “डैप्थ मुहीम”-
बाबा राम रहीम पैरोल में एक महत्वपूर्ण पहल जो सामने आई है वह है “डेप्थ मुहीम”। इस अभियान की शुरुआत खुद गुरुमीत राम रहीम ने की थी। इस मुहीम का उद्देश्य देश को, विशेषकर युवा पीढ़ी को नशीली दवाओं की लत और अन्य मादक द्रव्यों के सेवन से बचाना है।
राम रहीम की पैरोल के दौरान शुरू हुआ यह अभियान युवाओं को नशे रूपी दैत्य को समाज से दूर भगाने व युवा पीढ़ी को नशे की लत से उबरने के लिए सशक्त बनाता है। लोगों का दावा है कि इस मुहीम से जुड़कर लाखों लोगों ने नशे रूपी दैत्य का त्याग किया है।

क्योंकि बाबा एक किसान है तो इस टाइम में बाबा काफ़ी समय खेती को देते हैं व खेती के आधुनिक तरीको को आज़माते है और साथ ही ये अपने सोशल मीडिया के माध्यम से दूसरो को भी बताते हैं। इस तरह से बाबा लगभग अपना समय कोई ना कोई नया सामाजिक उत्थान कार्य करने में लगाते है।

यूपी के बागपत प्रशासन से माँगी गई बाबा राम रहीम की रिपोर्ट-
डेरा प्रमुख बाबा राम रहीम एक बार फिर जेल से बाहर आ सकते हैं। सरकार एक बार फिर बाबा राम रहीम को जेल से बाहर निकालने की तैयारियां कर रही है। इसके लिए बाबा राम रहीम ने जेल के प्रशासन को पैरोल के लिए अर्ज़ी लगाई हुई है। इसके लिए बाबा राम रहीम के चाल-चलन व व्यवहार की रिपोर्ट यूपी के बागपत प्रशासन से माँगी गई है। जिसके बाद ही बाबा राम रहीम जेल से बाहर जल्द आ सकते है।

पैरोल देने का फैसला करना आसान नहीं होता है।यह रस्सी पर चलने जैसा होता है। किसी व्यक्ति के मौलिक अधिकारों और बाकी सभी की सुरक्षा के बीच संतुलन बनाए रखने की कोशिश करना बड़ा कठिन होता है। लेकिन बाबा के केस में ऐसा नहीं है और यह भी याद रखना महत्वपूर्ण है कि पैरोल से अच्छे बदलाव आ सकते हैं। जो यह दिखाते हैं कि वे बदलाव लाना चाहते हैं और समाज की मदद करना चाहते हैं, तो उन्हें वह मौका मिलना चाहिए। डेरा प्रमुख बाबा राम रहीम के मामले में, उनकी पैरोल को उनकी रिहाई के दौरान उनके द्वारा किए गए अच्छे कामों के खुली आँखों से से देखा जाना चाहिए।

निष्कर्ष
आज आपके साथ पैरोल से जुड़ी कुछ बातें साँझा की और आपने बाबा राम रहीम से जुड़ी कुछ बातें जानी।बाबा द्वारा किए जा रहे समाज भलाई के कार्यों को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता है। उनका आचरण इस बात पर पुनर्विचार करने के लिए कहता है कि हम उसकी पैरोल को कैसे देखते हैं सकारात्मक या नकारात्मक!

Baba Ram Rahim Parole news: बाबा राम रहीम एक बार फिर आएगा जेल से बाहर, 21 दिन के लिए हुई पैरोल मंजूर

लगातार सुर्खियों में छाए जाने वाले बाबा राम रहीम (Gurmeet Ram Rahim Singh) आजकल बड़ी चर्चा में हैं। मीडिया में बाबा राम रहीम की चर्चा का विषय है-पैरोल, जो उनको जल्द ही मिलने वाली है।
इससे पहले जुलाई माह में बाबा राम रहीम जेल से बाहर आए थे। डेरा सच्चा सौदा के चीफ बाबा राम रहीम (Dera Chief Baba Ram Rahim) के लिए 21 दिन की पैरोल मंजूर हो गई है। आपकी जानकारी के लिए बता दें इससे पहले राम रहीम 7 बार पैरोल पर आ चुके हैं।

इस बार बाबा राम रहीम (Ram Rahim Singh) पैरोल पर 21 दिन के लिए बाहर आ रहे हैं।

आपको बता दें कि राम रहीम 25 अगस्त 2017 से सुनारिया जेल में हैं। 3 साल के अंदर बाबा राम रहीम 184 दिन यानी 7 बार पैरोल पर जेल से बाहर आ चुके हैं। हरियाणा सरकार से राम रहीम की 21 दिन की पैरोल मंजूर कर दी है। इसलिए अबकी बार फिर बाबा राम रहीम 21 दिन की पैरोल पर बाहर आ रहे हैं।

पैरोल मिलने के बाद गुरमीत राम रहीम उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के बरनावा आश्रम डेरे में पधारेंगे। इससे पहले गुरमीत राम रहीम 20 जुलाई 2023 को 30 दिन की पैरोल पर आए थे और 15 अगस्त का जन्मदिन डेरा सच्चा सौदा की साध संगत ने बाबा राम रहीम के साथ मनाया था।

आपकी जानकारी के लिए बता दें, बाबा राम रहीम के पूरे विश्व में श्रद्धालु है, जो बाबा राम रहीम को भगवान मानते हैं और अनेकों मानवता भलाई के कार्य करके लोगों का सहारा बनते हैं। एक बार बाबा राम रहीम को अपनी मां के इलाज के लिए भी पैरोल मिली थी।
बाबा राम रहीम में कुछ तो ऐसी खूबियां हैं जिनके कारण उन्हें बार-बार पैरोल मिल रही है।

बार-बार पैरोल मिलने का कारण है बाबा का अच्छा व्यवहार जिसके कारण बाबा जी को बार-बार पैरोल मिलती है। यह सब ध्यान में रखा जाता है कि जब पैरोल मिलती है तो वहां का कैसा माहौल है? शायद सब कुछ अच्छा होने का कारण है बाबा को बार-बार पैरोल मिलना।

भारत की धरती गुरुओं, पीरों व त्यौहारों की धरती है। जहां समय-समय पर कई त्यौहार मनाए जाते हैं। उन त्यौहार में से एक त्यौहार है दिवाली।

सब के लिए खुशियां लेकर आता है यह त्यौहार:-

दिवाली हिंदुओं व सिक्खों का प्रसिद्ध त्यौहार है। दिवाली हर किसी के लिए खुशियां लेकर आती है, चाहे कोई बच्चा हो, बड़ा हो व चाहे कोई बुजुर्ग हो। प्रत्येक वर्ग के लिए दिवाली का त्यौहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। स्कूलों व काॅलेजों में भी इस त्यौहार को मनाया जाता है।

दिवाली का यह पवित्र पर्व कार्तिक माह की अमावस्या को मनाया जाता है। 2021 में 4 नवंबर को दिवाली का यह पर्व मनाया जा रहा है।

दिवाली के विभिन्न नाम व किन शब्दों से मिलकर बनी है?

दिवाली को, दीपोत्सव, दीपावली व दीपों का त्यौहार के नामों से भी जाना जाता है। दीपावली दो शब्दों से मिलकर बनी है दीप+ आवली.. दीप का मतलब दीपक व आवली का मतलब पंक्ति भाव कि “दीपों की पंक्ति”।

दिवाली मनाने का इतिहासिक कारण:-

इस दिन सिक्खों के छठे गुरु हरगोविंद सिंह जी 52 राजाओं को ग्वालियर के किले से रिहा करवाकर लाएं थे। इसलिए ये पर्व मनाया जाता है और गुरु जी को बंदी छोड़ दाता कहा जाता है।

इस दिन ही श्री रामचन्द्र जी लंका के राजा को मारकर 14 वर्षों का वनवास पूरा करके अयोध्या वापिस आएं थे। उनके आने की खुशी में लोगों ने घी के दीपक जलाएं थे। तब से इस खुशी में दिवाली का पर्व मनाया जाता है।

दिवाली की शुभकामनाएं देना:-

इस दिन लोग अपने दोस्तों व रिश्तेदारों को whatsapp, कार्ड व अन्य साधनों के द्वारा एक दूसरे को बधाई देते हैं और अपना मनोरंजन करते हैं।

दिवाली से कई दिन साफ-सफाई करना:-

लोग दिवाली से कई दिन पहले अपने घरों की साफ-सफाई करना शुरु कर देते हैं और रंग- रोगन करते हैं। दिवाली वाले दिन घरों के साथ- साथ बाजारों की रौनक भी देखने योग्य होती है।

बाजारों की सजावट:-

दिवाली वाले दिन बाजारों की सजावट देखने योग्य होती है। लोग बाजारों को दुल्हन की तरह सजाते हैं, दिवाली से कई दिन पहले ही दुकानों की सजावट होनी शुरु हो जाती है। इस दिन बाजारों में लोगों की बड़ी भीड़ होती है। लोग नए कपड़े, मिठाइयां, पटाखे खरीदते हैं।

पटाखे चलाना व मिठाइयां बांटना:-

इस दिन लोग शाम के समय एक-दूसरे को मिठाइयां बांटते हैं और पटाखे चलाकर इस त्यौहार को मनाया जाता है बच्चों की खुशी देखने योग्य होती है।

त्यौहार को गलत ढंग से मनाना:-

पुरातन समय से जो त्यौहार चले आ रहे हैं, वह हमें कुछ न कुछ संदेश अवश्य देते हैं जैसे कि दिवाली का त्यौहार बुराई पर अच्छाई का प्रतीक है इस दिन हमें अपनी बुरी आदतों को छोड़कर अच्छाई को अपनाना चाहिए। परन्तु लोग इस दिन शराब पीते हैं और जुंआ खेलते हैं जोकि एक बुराई है। इसलिए हमें दिवाली को बुराइयां छोड़कर मनाना चाहिए और शराब नहीं पीनी चाहिए और जुंआ नहीं खेलना चाहिए।

त्यौहार को सही ढंग से मनाना:-

यदि आप भी दीवाली की खुशियों को प्राप्त करना चाहते हैं, तो इस दीवाली को जरूरतमंद लोगों की जरूरतों को पूरा करके मनाए और बेसहारों का सहारा बने और दूसरों को भी ऐसे नेक कार्य करने के लिए प्रेरित करें।

लक्ष्मी पूजा करना :-

इस दिन जो लोग लक्ष्मी माता का पूजन करते हैं, उन पर देवी माता की विशेष कृपा होती है। रात के समय लोग अपने घरों के दरवाज़े खुले रखते हैं, बताया जाता है कि इस दिन लक्ष्मी माता घर में प्रवेश करते हैं।

निष्कर्ष:-

आइए हम सब भी अपने पर्यावरण को शुद्ध होने से बचाने के लिए व जरूरतमंद लोगों की जरूरतों को पूरा करने के लिए इस दिवाली को पटाखे की जगह जरूरतमंद लोगों की जरूरतों को पूरा करके यह दिवाली उन लोगों के साथ मनाए व दूसरों को भी ऐसे नेक कार्य करने के लिए प्रेरित करें।

बुराई पर अच्छाई का प्रतीक है- दशहरा

भारत गुरुओं-पीरों व त्यौहारों की धरती है। जहां समय-समय पर कई मेले व त्यौहार मनाए जाते हैं। उनमें से एक पर्व है दशहरा जो कि बुराई पर अच्छाई का प्रतीक है।

नवरात्रों के साथ-साथ दशहरे का भी लोग बेसब्री से इंतजार करते हैं। दुर्गा पूजन और रावन-वध के साथ-साथ विजयदशमी की चकाचौंध हर जगह होती है। दशहरा जहां एक ओर बच्चों के लिए मेले के रूप में आता है, तो बड़ों के लिए रामलीला व स्त्रियों के लिए पावन नवरात्र के रूप में मनाया जाता है। यह त्यौहार असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक है। भाव यह है कि चाहे असत्य कितना भी बड़ा हो, उसके लिए समय लग सकता है परन्तु विजय हमेशा सत्य की होती है।

दशहरे का नाम विजयदशमी क्यों पड़ा?

भगवान श्री राम जी ने इस दिन लंका के राजा का वध किया था। जोकि असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक है। इसलिए यह विजयदशमी के नाम से जाना जाता है। नौ नवरात्रे होने के साथ-साथ दसवें नवरात्रे को दशहरे का पर्व मनाया जाता है।

दशहरे से कई दिन पहले रामलीला का आयोजन-

दशहरे से 10 दिन पहले जगह-जगह व कोने कोने में रामलीला होनी शुरू हो जाती है। जिसमें माता सीता, श्रीराम चंद्र जी के जीवन के बारे में बताया जाता है। दशहरे वाले दिन रावण, कुंभकरण और मेघनाथ के पुतले बनाकर जलाएं जाते है। यह दिन रामलीला का अंतिम दिन होता है। जिस दिन श्रीराम जी के स्वरूप बने राम जी ने लंका के राजा रावण को मारकर विजय प्राप्त की थी।

दशहरे के 20 दिन बाद दीवाली का पर्व मनाया जाता है। लोग भगवान श्री राम चन्द्र जी के आने की खुशी में घी के दीपक जलाकर खुशी प्रकट करते है।

दशहरे पर तरह-तरह की दुकानें लगी होती है। बच्चे खुशी से दशहरे पर जाने के लिए उत्सुक होते है। पहले भगवान राम और रावण के बीच लड़ाई होती है और फिर राम चन्द्र जी रावण का वध करते है। ये नाटक खत्म होने पर भगवान राम जी शाम के समय रावण, कुंभकरण और मेघनाथ के पुतले को जलाते है। फिर सभी लोग अपने अपने घरों को वापिस लौटते समय घर के लिए मिठाइयां खरीदते हैं।

लोगों द्वारा त्यौहार को गलत ढंग से मनाना-

इस दिन कई लोग जुंआ खेलते और शाराब पीते है। जोकि एक बहुत ही बुरी बीमारी है। क्योंकि प्रत्येक त्यौहार को उसके महत्व को समझते हुए उसे मनाना चाहिए और अपनी बुराइयों को छोड़ना चाहिए।

निष्कर्ष-

अहंकार को हमेशा मार पड़ती है क्योंकि लंका के राजा ने अंहकार किया और उसकी कुलों का सर्वनाश हो गया इसलिए कभी अंहकार नहीं करना चाहिए।

वर्ष 1947 की 15 अगस्त के दिन का हमारे इतिहास में बड़ा महत्व है। सदियों से हमारा भारत देश अंग्रेजों की दास्तां में था और उनके अत्याचारों से हर कोई वाकिफ था। खुली हवा में सांस लेने को बेचैन भारत में आजादी का पहला बिगुल 1857 में बजा। परंतु कुछ कारणों से हम गुलामी के बंधनों से मुक्त नहीं हो पाए।

आपकी जानकारी के लिए बता दे, आजादी का यह संघर्ष वास्तव में तब अधिक हुआ था, जब माननीय बाल गंगाधर तिलक जी ने कहा था कि स्वतंत्रता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है और हम इस अधिकार को लेकर रहेंगे। इसी बात से प्रभावित होकर ना जाने कितने वीरों ने अपनी आंखें बंद कर ली। ताकि आज यहां पर जन्म लेने वाला हर बच्चा आजाद भारत में आजाद आकाश के नीचे अपनी आंखें खोल सके। बहुत से वीरो ने अपने सिर पर कफन बांध कर देश की आजादी के लिए अपनी कुर्बानी दी और मंजिल एक दिन 15 अगस्त 1947 के रूप में सामने आई और भारत देश आजाद हुआ। तभी से 15 अगस्त के दिन को स्वतंत्रता दिवस के रुप में मनाया जाता है।

कैसे मनाया जाता है स्वतंत्रता दिवस-

इस बार 15 अगस्त 2021 रविवार को लाल किले की प्राचीर से नरेंद्र मोदी देश को संबोधित करेंगे। हर साल 15 अगस्त के दिन लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री के द्वारा देश को संबोधित किया जाता है। इस साल 15 अगस्त के दिन को अलग तरीके से मनाया जा रहा है।

वीरों के त्याग की याद दिलाता हैं-

स्वतंत्रता दिवस का दिन हमें वीरों के त्याग की याद दिलाता है। देश के वीरों की कुर्बानी व बहुत संघर्ष के बाद मिली यह आजादी भारत देश के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। महात्मा गांधी, गोपाल कृष्ण गोखले, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, भगत सिंह, सरदार वल्लभभाई पटेल, डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद, चंद्रशेखर आजाद, सुखदेव, लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक आदि महान वीरो के बलिदान के कारण ही हम आज आजाद भारत देश में चेन की सांस ले पा रहे हैं।

स्वतंत्रता दिवस का महत्व –

भारत देश में स्थित दिल्ली का लाल किला स्वतंत्रता दिवस का प्रतीक है। यहां सबसे पहले 15 अगस्त 1947 को भारत के सबसे पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू जी ने झंडा फहराया था। यह परंपरा आज तक चली आ रही है। इस दिन देश के प्रधानमंत्री लाल किले के प्राचीर पर तिरंगा फहराते हैं इसके साथ ही देश को संबोधित करते हैं।

उद्देश्य-

स्वतंत्रता दिवस मनाने का उद्देश्य यह है कि देश के नागरिक होने नाते स्वतंत्रता का ना तो अपने आप पर दुरुपयोग करें और ना ही दूसरों को करने दे। आपस में सभी एकता व भाईचारे से रहे। लड़ाई व झगड़े से बचे। हम सभी को इस दिन अच्छे नेक कार्य करने चाहिए और देश को आगे बढ़ाना चाहिए। रिश्वत, जमाखोरी व कालाबाजारी को देश से समाप्त करें।

क्या हम सही मायनों में आज आजाद है-

कहने में तो हम सभी स्वतंत्र देश में रहते हैं, हम दिखाते भी कुछ ऐसा ही हैं कि हम खुले विचारों वाले, आजाद सोच व खुले दिल वाले इंसान हैं। लेकिन जब हम हकीकत पर गौर करते हैं, तो नजारा देखने में कुछ और ही दिखाई पड़ता है। यह बात सुनने में बहुत कड़वी जरूर लग रही होगी। परंतु यह सत्य है। जहां आज हम 75वाँ स्वतंत्रता दिवस मनाने की तैयारी कर रहे हैं। वहीं इसमें बहुत कुछ परतंत्र भी है। इतने वर्षों की आजादी के बाद भी हम आज वास्तव में आजाद नहीं है। कहने–सुनने में तो हम आजाद दिख सकते हैं। लेकिन असल में ऐसा नहीं है।

आज आप भारत के किसी भी कोने में चले जाएं। कहीं ना कहीं इस बात की सत्यता को जरूर परखेंगे कि जो जैसा दिखता हैं, वास्तव में वह वैसा नहीं होता। फिर चाहे वह नेता, राजनेता, हमारे रिश्तेदार, सगे-संबंधी या घर परिवार कोई भी क्यों ना हो।

इस बात में बिल्कुल संदेह नहीं कि हमारे देश के वीरो और स्वतंत्रता सेनानियों के कारण हम खुली हवा में सांस ले पा रहे हैं। लेकिन केवल घूमने-फिरने और खुली हवा में सांस लेने से ही हमें संतुष्ट नहीं होना चाहिए।

यह हमारा फर्ज बनता है कि जो सपना हमारे देश के महान वीर जवानों, स्वतंत्रता सेनानियों ने देखा उस सपने को हम सभी मिलकर पूरा करें और अपने भारत देश को सही मायनों में आजाद कराएं।

कुछ कारण जिससे हमारी स्वतंत्रता अधूरी है-

आइए जानते हैं उन कारणों के बारे में जिसके कारण हमारी स्वतंत्रता का मतलब अधूरा है। अगर इन कारणों व कमियों को सुधारा जाए तो हम सच में आजादी के हकदार बनेंगे।

  1. नशों से आजादी – भारत देश में सभी धर्मों के लोग रहते हैं। हर कोई अपने-अपने धर्म को मानता है। लेकिन अफसोस इस बात का है कि धर्मों की बातों को लोग नहीं मानते। हर धर्म में नशो का सेवन करने को लेकर मनाही है। नशे बर्बादी का घर हैं व नशों के कारण घरो के घर बर्बाद हो जाते हैं। गरीबी का एक मुख्य कारण नशा भी है। अगर देश को समृद्ध और शक्तिशाली बनाना है, तो सरकार को सभी नशों पर रोक लगानी चाहिए। इसको रोकने के लिए सख्त कानून लागू होने चाहिए। तभी देश की तरक्की हो सकती है।
  1. मानसिक गुलामी से आजादी – हमारा देश भले ही 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ। लेकिन भारत में बहुत से लोग अभी भी मानसिक रूप से गुलाम है। हमारी भारतीय संस्कृति व परंपरा को छोड़कर अधिकतर लोग आज पश्चिमी सभ्यता को अपना रहे है। यह मानसिक गुलामी का शिकार नहीं होना तो और क्या है। जब तक हम विदेशी कल्चर को अपनाते रहेंगे। तब तक हम अपने देश व अपने आप को आजाद नहीं समझ सकते हैं।
  1. रिश्वतखोरी से आजादी – आज भारत में कुछ पैसों के लिए लोग अपना जमीर तक बेच देते हैं। भ्रष्टाचार को लेकर भारत की स्थिति बहुत खराब व दयनीय है। यहां बहुत से लोग रिश्वत देकर कुछ भी काम करवा सकते हैं। जब तक देश में रिश्वतखोरी भ्रष्टाचार खत्म नहीं होगा। तब तक भारत तरक्की नहीं कर सकता। इसको रोकने के लिए लोगों को जागरूक करने व कडे़ से कड़े कानून लागू करने की जरूरत है।
  1. पाखंडवाद से आजादी – आज के समय में लोग धर्म को कम मानते हैं। लेकिन दिखावा ज्यादा करते हैं। धार्मिक स्थान बनाना गलत नहीं है। परंतु जिस देश में शिक्षा से अधिक धार्मिक स्थानों को बनाने में जोर दिया जाता हो, वहां विकास डावाडोल स्थिति में ही रहता है। धर्म को मानना गलत नहीं है। लेकिन धर्म की बात भी माननी जरूरी है। पाखंडवाद को छोड़कर शिक्षा प्रणाली पर ध्यान देना जरूरी है।

अगर हम सभी देशवासी मिलकर इन कमियों व कारणों पर विचार करें और इनमें सुधार लाए। तो एक दिन सच में हम देशवासी बहुमूल्य आजादी के हकदार बनेंगे और वीरों के बलिदान को व्यर्थ नहीं जाने देंगे।

निष्कर्ष-

15 अगस्त को देश आजादी का जश्न मनाता है यह दिन होता है उन वीरों को याद करने का जिन्होंने देश को आजादी दिलाने का अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया हमें कभी नहीं भूल सकते कि आजादी पाने को लाखों लोगों ने अपनी जान गवाई थी। आखिर में आप सभी को 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस की बहुत-बहुत शुभकानाएं। अपने लोकतंत्र के इस सर्वश्रेष्ठ त्यौहार को उपरोक्त बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए भविष्य में एक वास्तविक स्वतंत्रता दिवस को मनाने के हकदार बने। जय हिन्द, जय भारत!

लॉकडाउन के दौरान वर्क फ्रॉम होम के तनाव से खुद को बचाने के लिए लाए अपने रोजाना जिंदगी में कुछ बदलाव –

वैसे तो लोगों में काम को लेकर पहले भी तनाव और स्ट्रेस रहता था। लेकिन कोरोना काल में लॉकडाउन की वजह से यह तनाव बढ़ गया है। क्योंकि लॉकडाउन की वजह से लोगों को अपना काम वर्क फ्रॉम होम करना पड़ रहा है। जिस वजह से वह घर रहकर भी अपना समय परिवार या फैमिली मेंबर को नहीं दे पाते और ना ही घर रह कर सही तरीके से ऑफिस वर्क कर पाते हैं। इन्हीं कारणों की वजह से लोगों में तनाव की समस्या बढ़ती जा रही है। कई बार तो फैमिली इश्यूज तो सामान्य होते हैं, लेकिन वर्क फील्ड में बढ़ रहे कंपटीशन का माहौल दिमाग पर तनाव हावी करने के लिए काफी है। आपको आज कुछ ऐसे टिप्स बताना चाहते है, जिन्हें अपनाकर आप अपना तनाव बिल्कुल तो नहीं पर 70% तक कम कर सकते हैं। आइए जानते हैं उन टिप्स और तरीकों के बारे में।

टेंशन को खत्म करने के लिए अपनी समस्या को शेयर करें-

आज के इस भाग दौड़ भरी जिंदगी में समस्या का आना या होना आम बात है। लेकिन उस समस्या या परेशानी से भागने की बजाय उसका सामना करना चाहिए। अगर आपको वर्क फ्रॉम होम करने में कोई बाधा या समस्या आ रही है। तो उसके बारे में तनाव या टेंशन लेने की बजाय उस समस्या को अपने सीनियर के साथ शेयर करें। क्योंकि समस्या शेयर करने से आधी टेंशन अपने आप खत्म हो जाती है। अगर आपके सीनियर से कोई हल नहीं निकलता तो आप अपने मैनेजर से बात करके उस समस्या का हल निकाल सकते हैं, जिससे आपकी टेंशन दूर हो जाएगी।

जॉब वर्क करने के लिए कंफर्टेबल रूम का चयन-

लॉकडाउन के दौरान वर्क फ्रॉम होम करना हर व्यक्ति के लिए बहुत जरुरी हो गया है। जिस कारण घर में ही रहकर 6 से 8 घंटे काम करना पड़ रहा है। इसके लिए जरूरी है, ऐसे रूम का चयन करना जहां आप कंफर्टेबल होकर बिना किसी शोरगुल, बिना किसी बच्चों के, बिना किसी लड़ाई- झगड़े के शांत होकर अपना काम खत्म कर सकते हैं। हो सके तो आप अपने रूम का चयन किसी खिड़की वाले रूम में करें, जिससे आप स्ट्रेस महसूस करने पर खिड़की से हरियाली को देखकर अपने आप को अच्छा फील करवा सकते हैं।

अपने हर काम को करने के लिए टाइम टेबल बनाएं या समय निर्धारित करें-

वर्क स्ट्रेस को कम करने का सबसे अच्छा और आसान तरीका है, अपने काम को मैनेज करना कि किस काम को कितने समय में पूरा किया जा सकता है, किस काम को कितना समय लगेगा आदि। आप यह भी देखें कि कौन सा काम आपके लिए ज्यादा जरूरी है। उसे पहले खत्म करने का प्रयास करें। जो काम ज्यादा जरूरी नहीं है, उसके लिए टेंशन ना लें, बल्कि उसे वीकेंड के लिए छोड़ दें। इस तरह आप एक टाइम टेबल बनाकर अपना समय निर्धारित कर सकते हैं और अपने आप को वर्क की टेंशन से तनाव मुक्त रख सकते हैं। अपने वर्क को करने के लिए एक टारगेट सेट करें, उस टारगेट के समय में ही अपने वर्क को खत्म करने की कोशिश करें।

काम करने वाले स्थान पर सही रोशनी का होना-

वर्क फ्रॉम होम करने के लिए अच्छी रोशनी का होना बहुत जरूरी है। क्योंकि अगर आंखें सुरक्षित हो तो काम आसानी से हो सकता है। काम के साथ आंखों की सुरक्षा भी जरूरी है। लेकिन आजकल लोगों का अधिकतर समय घर पर रहकर काम करने की वजह से लैपटॉप या कंप्यूटर पर गुजरता है। जिस वजह से आंखों पर अधिक जोर पड़ता है। अगर काम करने वाले रूम में पर्याप्त रोशनी नहीं होगी तो आंखों पर ज्यादा जोर पड़ेगा। जिससे सिर दर्द और तनाव पैदा होगा। इसलिए कोशिश करें कि आप जहां काम करने बैठते हैं, वहां रोशनी पर्याप्त आती हो या सफेद लाइट, एलईडी बल्ब लगा हो।

आधुनिक समय में तकनीकी जानकारी के साथ अपने आपको ढालें लें यानी अपने नॉलेज को बढ़ाएं-

आज के आधुनिक युग में तकनीक का इस्तेमाल आपकी जिंदगी को ही नहीं, बल्कि आपके काम को भी आसान बना रहा है। इसके साथ ही काम जल्दी समाप्त होने पर आप कई तरह के तनाव से भी दूर रहते है। अपने काम से जुड़े एप्स के बारे में जानकारी प्राप्त करें। अगर आपको किसी चीज के बारे में जानकारी नहीं है, तो शर्म करने की बजाय उसके बारे में जानकार इंसान से सीख लें। क्योंकि अगर आप किसी से जानकारी हासिल नहीं करोगे तो आप जानोगे कैसे? क्योंकि हर इंसान भगवान से सीख कर नहीं आता। तकनीक की जानकारी हासिल करके अपने तनाव को कम करें।

जितना हो सके सोशल मीडिया से दूर रहें-

अगर आप वर्क फ्रॉम होम करते हैं, जिसका संबंध किसी सोशल मीडिया से नहीं है। तो कोशिश करें सोशल मीडिया का इस्तेमाल ना करें। आप इस बात का पूरा ध्यान रखें कि काम के दौरान व्हाट्सएप, फेसबुक, इंस्टाग्राम और ट्विटर जैसे सोशल नेटवर्क का प्रयोग ना करें। क्योंकि ऐसा करने से एक तो हमारा समय गैर-जरूरी काम में व्यर्थ नहीं होगा और उस समय को किसी जरूरी काम में लगा कर अपना समय बचा सकेंगे और अपने आप को तनावमुक्त रख सकेंगे।

मेडिटेशन और योगा करें-

मेडिटेशन और योगा स्ट्रेस को कम करने का एक बढ़िया और आसान तरीका है। मेडिटेशन को आप अपने रोजमर्रा की जिंदगी में अपना कर जिंदगी को खुशहाल और तनाव मुक्त बना सकते हैं। अगर आप अधिक देर तक काम करके थक गए हैं और अपने दिमाग को शांत करना चाहते हैं, तो रोजाना सुबह-शाम आधा घंटा मेडिटेशन और योगा करें। जिससे आप कुछ ही देर में खुद को रिलैक्स फील करवा सकते हैं। आप अपने स्ट्रेस को कम करने के लिए बैठकर, वॉकिंग करके या ध्यान लगाकर आदि कई तरीके के मेडिटेशन या योगा को अपना सकते हैं।

तनाव मुक्त करने के लिए जल्दी सोए और पूरी नींद लें-

आज के इस भाग दौड़ भरी जिंदगी में कई लोग अपने आपको कंपटीशन में आगे करने के चक्कर में रात-दिन वर्क करने में लगे रहते हैं। जिस वजह से नींद ना पूरी होने पर तनाव जैसी समस्या पैदा हो जाती है। कई बार लोग अधिक थक जाने पर भी देर रात तक जाकर काम करते रहते हैं। कई बार तो लोग जल्दी फ्री होने पर भी अपना अधिक समय सोशल मीडिया पर समय गुजारते हैं, जो कि गलत है। क्योंकि मेंटल स्ट्रेस को कम करने के लिए जल्दी सोना और पूरी नींद लेना बहुत जरूरी है। अगर आपका शरीर पूरी नींद लेता है, तो शरीर थकावट महसूस नहीं करता और खुद को तरोताजा और तनाव रहित महसूस करता है।

निष्कर्ष :-

अंत में यही कहना चाहते कि इस लॉकडाउन में अपना और अपने परिवार का पालन-पोषण करने के लिए काम करना जरूरी है। फिर काम चाहे घर रह कर यानी वर्क फ्रॉम होम किया जाए। अगर आप अपना वर्क फ्रॉम होम उपरोक्त नियमों का पालन करते हुए करते हैं, तो आप खुद को कभी भी तनावपूर्ण महसूस नहीं करेंगे। बल्कि तनावमुक्त होकर अपना समय गुजारेंगे। इससे आप अपना समय बचाकर अपने परिवार वालों के साथ समय गुजार कर उन्हें भी खुश रख सकते हैं। अगर फिर भी आपकी तनाव की समस्या ज्यादा बढ़ती है तो सरकार द्वारा निर्धारित किए गए टोल फ्री नंबर 0804611007 पर कॉल करके विशेषज्ञ चिकित्सक से घर बैठकर जानकारी प्राप्त कर सकते हैं और अपने आप को तनाव से राहत दिला सकते हैं।

प्राकृतिक आपदा

प्राकृतिक आपदा एक ऐसी घटना है, जो किसी क्षेत्र पर घातक असर छोड़ देती है वह प्राकृतिक आपदा कहलाती है। प्राकृतिक आपदा दिवस 13 October को पूरे विश्व मे जोश और उत्साह के साथ मनाया जाता है। प्राकृतिक आपदाएं लगभग दुनिया के सभी देशों मे होती है। 
मानव जाति के अस्तित्व में आने के बाद यह आम बात हो गई है प्राकृतिक आपदाओं मे भूकंप, बाढ़, सूखा, चक्रवात, आकाशीय बिजली, भूस्खलन आदि।

उद्देश्य

प्राकृतिक आपदा दिवस मनाने का उद्देश्य समाज के लोगों को आपदा से होने वाले ख़तरों और उसके बचाव के लिए जागरूक करना है। प्राकृतिक आपदा न्यूनीकरण के लिए अंतरराष्ट्रीय दिवस हमारे पर्यावरण में होने वाले परिवर्तनों के परिणामों के बारे मे जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 13 October को मनाया जाता है। जो आपदाओं का कारण बनते हैं लाखों करोड़ों लोगों को इससे निपटने के लिए आगे आने और उनके प्रयासों के बारे मे बात करने के लिए Motivate किया जाता है, ताकि वे इस जोखिम को समझ सके जिसके कारण लोगों को जान-माल का नुक़सान हुआ है।
प्राकृतिक आपदाए

International Day for Natural Disaster Reduction - Exclusive Samachar

भूकंप

जब पृथ्वी के नीचे अचानक परिवर्तन होता है, तो उससे पृथ्वी की पपड़ी हिल जाती है। जिसके कारण भूकंप आता है। 
भूकंप के दौरान जब कंपन अधिक तेज होता है, तो पृथ्वी कांपने लगती हैं और पृथ्वी के कुछ हिस्सों मे दरारें आ जाती है। कमजोर इमारतों और घरों को भारी नुक़सान होता है। 

भूकंप के प्रभाव

भूकंप में मनुष्य तथा जीव-जंतु घायल हो सकते हैं। यहां तक कि कई  बार मर भी जाते हैं 

भूकंप से सुरक्षा व बचाव

बिजली के स्विचो को बंद कर दें।खुले मैदान मे चले जाएं। अगर खुले मैदान मे नहीं जा सकते, तो घर मे पलंग या मेज के नीचे छिप जाए। 

बाढ़

अधिक समय तक भारी वर्षा होने पर बाढ़ आ जाती है। अर्थात जब अधिक समय तक भारी या तेज वर्षा होती है, तो नदियों मे आवश्यकता से अधिक पानी हो जाता है। तो वह बाहर आ जाता है जिससे आसपास का क्षेत्र  पानी से डूब जाता है। पानी सड़कों घरों दुकानों खेतों आदि मे प्रवेश कर जाता है तथा संपति को नुकसान पहुंचाता है। बाढ़ जीवन तथा संपति दोनों को ही नष्ट कर देती हैं और लोग बेरोजगार हो जाते हैं तथा वह शहरों की ओर प्रस्थान करने लगते हैं। 

Floods - Natural Disaster - Exclusive Samachar

बाढ़ के प्रभाव

संपति और फसलों का नुक़सान।जान की हानि। 

बाढ़ से बचाव

नदियों या तटों की जल निकासी का प्रबंध। 

सूखा

सूखा तब पाया जाता हैं जब बहुत कम वर्षा हो या बिल्कुल भी वर्षा न हो। सूखे के दौरान नदियां, तालाब, कुएं व अन्य जल संसाधन सूख जाते हैं। खेती के लिए बिल्कुल भी पानी नहीं मिलता। यहां तक कि पीने का पानी भी बहुत मुश्किल मिलता है। सूखे के दौरान अनाज और पानी दोनों की ही कमी हो जाती है। 

Drought - Natural Disaster - Exclusive Samachar

सूखा से बचाव

अधिक से अधिक वृक्षारोपण करे। कृषि के लिए उचित तकनीक का उपयोग करें।बांध बनाकर वर्षा जल एकत्रित करे।

चक्रवात

चक्रवात एक ऐसी चक्रीय हवाएं होती है जो कि बहुत तेज गति से चलती है। बहुत तेज हवाएं रास्ते मे आने वाली सभी चीजों को तहस-नहस कर देती है। जैसे पेड़ों, घरों, बिजली के खंभों आदि को तहस-नहस कर देती है। चक्रवात विशेषतर समुद्र के किनारे वाले भाग मे आते हैं।

प्रभाव

चक्रवात का वायुमंडल पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है।

चक्रवात से बचाव

मौसम विभाग द्वारा चक्रवात संबंधी सूचनाओ को लगातार  प्रसारित करते रहना। भवनों का निर्माण ऐसा हो कि वो तेज हवाओं को सह सकें।तटीय क्षेत्रों मे ज्यादा वृक्ष लगाएं।

how to prevent cyclones - International Day For Natural Disaster Reduction - Exclusive Samachar

भूस्खलन

जब ऊंचे पहाड़ों से घाटी मे बड़ी मात्रा मे मिट्टी तथा चट्टानें गिरती हैं, तो वह भूस्खलन कहलाता है। भूस्खलन के दौरान लोग घायल हो जाते हैं तथा कभी कभी वे मर भी जाते हैं। 

भूस्खलन का प्रभाव

आवासीय क्षेत्रों में भूस्खलन से जान-माल की हानि।वनस्पति एवं प्राणियों को हानि पहुंचाता है। 
भूस्खलन से बचाव
ज्यादा से ज्यादा पेड़ पौधे लगाएं ताकि पानी द्वारा होने वाले भू-क्षरण को रोका जा सके।

Offline Awareness

प्राकृतिक आपदा दिवस समाज के लोगों को जागरूक करने और इससे होने वाले ख़तरों के बारे मे जानकारी देने के लिए मनाया जाता है। प्राकृतिक आपदाओं के बारे मे जानकारी देने के लिए इस दिन स्कूलो और कालेजों मे‌ अलग-अलग तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। राज्य के साथ-साथ राष्ट्रीय स्तर पर भी ज्ञान दिया जाता हैं ताकि समाज के लोगों को सभी प्रकार की घटनाओं के लिए तैयार किया जा सके।    यह दिन बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि दुनिया मे सभी लोगों को आत्मनिर्भर बनाने की ओर बल देता है। इससे पहले कोई भी इस आपदा का शिकार बने यह उस आपदा को भी दूर करने पर बल देता है।

Online Awareness

सरकारी और गैर सरकारी संगठनों के कर्मचारियों द्वारा इस दिन Online कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाते हैं ताकि समाज के लोगों को जागरूक किया जा सके। Online कार्यक्रमों मे मीडिया मुख्य भूमिका निभाता है। 

प्राकृतिक आपदा न्यूनीकरण और अंतरराष्ट्रीय दिवस के महत्व को फैलाने के लिए Facebook , Twitter, Telegram व अन्य Social Sites का उपयोग किया जाता है। 

भारत

भारत एक बहुत बड़ा देश है। देश की जानकारी का उपयोग आपदा प्रबंधन के बारे मे जागरूकता फैलाने के लिए किया गया है। इस देश का योगदान बाकी दुनिया के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि भारत मे आपदा की घटनाएं बाकी देशों की तुलना से अधिक होती हैं। परंतु आपदाओं से निपटने की गति बहुत धीमी है। अंतरराष्ट्रीय प्राकृतिक आपदा न्यूनीकरण दिवस पर सभी लोगों को पर्यावरण के ख़तरों से अवगत कराना। प्राकृतिक आपदाओं मे कमी लाना और आपदा प्रबंधन के तरीकों को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से स्कूलों, कालेजों मे उत्सव मनाया जाता है। जो जलवायु परिस्थितियों मे सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं।

संयुक्त राज्य अमेरिका

संयुक्त राज्य अमेरिका मे स्कूलों और कॉलेजों के छात्रों द्वारा बड़े उत्साह के साथ प्राकृतिक आपदा दिवस मनाया जाता है। इस दिन सड़कों पर रैलिया आयोजित की जाती है।          इस दिन सरकार आपदा के ख़तरों को कम करने के तरीकों की खोज के लिए विवेकपूर्ण नागरिकों को मान्यता और छात्रवृत्ति प्रदान करती है। संयुक्त राज्य अमेरिका एक विकसित देश हैं और यहां बहुत ज्यादा प्राकृतिक आपदाएं देखने को नहीं मिलती।

चीन

दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाला देश चीन है। चीन मे अन्य देशों की तुलना मे प्राकृतिक आपदाएं बहुत कम होती है। परंतु चीन के लोग इस दिन प्राकृतिक आपदाओं के उत्सवों मे भाग लेते हैं। इस दिन स्कूलों और कालेजों मे कार्यक्रम के माध्यम से लोगों को जागरूक किया जाता हैं ताकि आपदाओं के दौरान मूल्यांकन, निकासी और राहत के महत्व के बारे मे दूसरों को समझाया जा सके। प्राकृतिक आपदा न्यूनीकरण दिवस का उद्देश्य आपदाओं के ख़तरों को रोकने, आपदाओं के परिणामों को कम करना।

थीम 2020

आपदा जोखिम को समझना, जोखिम को दूर करने मे निवेश आपदाओं का प्रबंधन और तरीके संशोधित करने पर बल देता है।    आपदा नुक़सान को कम करने, जीवन को बचाने आदि पर बल दिया जाता है।

स्वच्छता सर्वेक्षण के पांचवे संस्करण “स्वच्छ सर्वेक्षण 2020” के परिणामों की घोषणा हाल ही में हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने गुरुवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए किया।

इसमें इंदौर जो मध्यप्रदेश प्रदेश का एक शहर हैं, इसे सबसे स्वच्छ शहर का खिताब हासिल हुआ।आपको याद भी होगा लगातार पिछले तीन साल से सबसे स्वच्छ शहर का ख़िताब इंदौर को ही मिल रहा हैं।इसके अलावा करनाल जिले ने 17 वां स्थान प्राप्त किया है इसके साथ ही हरियाणा ने राज्यस्तरीय प्रतियोगिता में दूसरा स्थान प्राप्त कर जिले का मान बढ़ाया।

swachh survekshan 2020 - Indore - Exclusive Samachar

यह उस संरक्षण के परिणाम है जिसमे 1 लाख से 10 लाख की आबादी वाले शहरों को ही शामिल किया गया हैं।

स्वच्छ सर्वेक्षण में रेटिंग के आधार पर झारखंड 2325.42 अंक के साथ पहले स्थान पर रहा, वही  हरियाणा के  1678.84 अंक रहे।करनाल जिले को 4655.07 अंक मिले, इस श्रेणी में प्रथम आने वाले शहर अम्बिका पुर को भी 4655.07 अंक मिले।

आइये हरियाणा के अन्य जिलों के बारे में जानते है

  • जिला रोहतक 4180.55 अंको के साथ 35 वें नंबर पर रहा।
  • जिला पंचकूला 3683.01 अंक के साथ 56 वें नम्बर पर रहा।
  • जिला गुरुग्राम 3733.97 अंक के साथ 63 वें नम्बर पर रहा।

इस तरह स्वच्छ सर्वेक्षण में 100 जिलों में हरियाणा के 4 जिले ही शामिल हो सकें। इसके अलावा सोनीपत 103 व हिसार 105 वें नम्बर पर हैं।

इस संरक्षण का मुख्य मकसद स्वच्छ शहरों का निर्माण, नागरिक सेवा वितरण में सुधार और सफाई के प्रति नागरिकों की सोच व्यवहार बदलने से है।यह शहरों और महानगरों के बीच स्वस्थ स्पर्धा की भावना को बढ़ावा देने में सहायक भी साबित हुआ हैं।

इसके लिए लोगो की जनभागीदारी को प्रोत्साहित किया जाता है ,अगर हम सब मिल कर ऐसा करें तभी शहरों और महानगरों को और भी बेहतर बनाया जा सकता है।

VVIP TREE || VVIP BODHI TREE || VVIP TREE IN INDIA 

मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल एवं विदिशा के बीचों-बीच सलामतपुर की पहाड़ी पर लगा हैं – बोधि वृक्ष! जिसकी सुरक्षा के लिए दिन रात होमगार्डो की तैनाती की गई है।

आप यह सुनकर चोंक गए होंगे मगर यह सच है। दरअसल यह VVIP Tree जिसकी यहां बात की जा रही है, करीब आठ साल पहले 21 सितम्बर 2012 को श्रीलंका के तत्कालीन राष्ट्रपति महिंद्रा राजपक्षे एवं भूटान के तत्कालीन प्रधानमंत्री जिग्मी योजर थिंगले द्वारा एक पौधे के रूप में रोपित किया गया था। यह वही बोधि वृक्ष की टहनी है, जिसके नीचे बैठकर गौतम बुद्ध को ज्ञान प्राप्ति हुई थी।

बौद्ध धर्म में खास महत्व रखता है- बोधि वृक्ष

यह वृक्ष गौतम बुद्ध की धरोहर है। इसलिए बौद्ध धर्म के लिए इसका खास महत्व है। इसी के चलते जिस पहाड़ी पर यह वृक्ष रोपित है, उस पूरी पहाड़ी को बौद्ध विश्वविद्यालय के लिए आवंटित किया गया है, एवं पूरा क्षेत्र ही बोद्धिस्ट सर्कल के तौर पर विकसित किया जा रहा है। बौद्ध अनुयायियों के लिए यह वृक्ष श्रद्धा एवं आस्था का केंद्र है।

सुरक्षा एवं रख-रखाव के पूरे प्रबन्ध

आप को बता दें, 15 फीट ऊंची जालियों से घिरे इस वृक्ष की सुरक्षा में कोई कमी नही छोड़ी गई है। 4 होमगार्ड सुरक्षा की दृष्टि से यहां पर दिन-रात पहरा देते हैं। इस वृक्ष के रख-रखाव पर हर साल लगभग 15 लाख रुपये का खर्च होता है । 

वृक्ष तक पहुंचने के लिए पक्का रास्ता भी बनाया गया है। जोकि भोपाल-विदिशा हाइवे से लेकर पहाड़ी तक का है। सिंचाई के लिए भी स्पेशल इंतज़ाम किए गए हैं। सांची नगरपालिका ने पानी के टैंकर सिंचाई व्यवस्था के लिए लगाए हैं। किसी भी प्रकार की बीमारी से बचाने के लिए कृषि विभाग के अधिकारी हर हफ्ते इस वृक्ष की सेहत जांचते है। यह सब कार्य जिला कलेक्टर की निगरानी में सम्पन्न किये जाते है। 

यूनिवर्सिटी पहाड़ी पर लगाया गया यह वृक्ष, लेकिन यूनिवर्सिटी निर्माण अभी भी बाकी हैं। 
 राज्य के पेड़ के रख-रखाव में लगते प्रतिवर्ष 15 लाख, थोड़े से कर्ज की वजह से खुदकुशी कर चुके है राज्य में 51 किसान। 

महिंद्रा राजपक्षे इस पहाड़ी पर यूनिवर्सिटी की आधारशिला रखने आये थे। तब उन्होंने इस बोधि वृक्ष को रोपित किया। जिसके बाद से इस वृक्ष पर लाखों रुपये लगाए जा रहे है। सुरक्षा, सिंचाई से लेकर कीटों एवं बीमारी से बचाव तक की पूरी व्यवस्था की गई है। मगर यूनिवर्सिटी के निर्माण की शुरुआत भी अभी बाकी है। 

जिस यूनिवर्सिटी के नाम पर इस वृक्ष को रोपित किया गया, 5 साल बाद इसकी चारदिवारी भी टूट गयी है। यूनिवर्सिटी को लगभग 20 लाख किराए पर एक निजी भवन में चलाया जा रहा है।
वहीं दूसरी ओर इसी राज्य के करीब 51 किसान थोड़े से कर्ज की वजह से खुदखुशी कर चुके हैं।