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2021

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बाल मजदूरी एक व्यापार है बचपन में खेलना बच्चों का अधिकार है-

बाल श्रम का अर्थ- जब मजबूरी में बाल्यावस्था से वंचित होकर किसी बच्चे को कोई काम करना पड़े उन्हें बाल श्रम कहते हैं। बच्चों को परिवार से दूर रखकर उन्हें गुलामों की तरह पेश किया जाता है। किसी भी बच्चे को पैसे व अन्य लालच देकर बाल्यकाल में मजबूरी में करवाया गया काम बाल श्रम कहलाता है।

साधारण शब्दों में बाल श्रम का अर्थ-

जो बच्चे 14 वर्ष से कम आयु के होते हो उनके बचपन, खेल, शिक्षा के अधिकार को छीनकर उन्हें काम में लगा कर कम पैसे देकर उनका शारीरिक, मानसिक और सामाजिक शोषण करना है।

बाल श्रम गैर-कानूनी है-

बाल श्रम अपराध की श्रेणी में आता है। बाल श्रम को पूर्ण रूप से गैर-कानूनी घोषित किया गया है। भारत के संविधान में 1950 के 24वें अनुच्छेद के अनुसार जो भी बच्चे 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों से मज़दूरी, ढाबे, होटलों, कारखानों व घरेलू नौकर के रूप में काम करवाना ही बाल श्रम कहलाता है। यदि कोई व्यक्ति छोटी आयु के बच्चों से काम करवाता पकड़ा गया तो उसे उचित दंड दिया जाएगा।

भारत के लगभग 35 मिलियन बच्चें बाल श्रम का शिकार-

एक सर्वे के अनुसार भारत में लगभग 35 मिलियन से ज्यादा बच्चे ऐसे हैं, जो बाल मजदूरी करने में विवश हैं। सबसे ज्यादा बाल मजदूरी बिहार, राजस्थान, उत्तर प्रदेश इत्यादि देशों में होती है।

वर्ल्ड डे अगेंस्ट चाइल्ड लेबर 2021 थीम-

Protect children from child labour, now more than ever. Covid -19 के कारण गरीबी रेखा और ज्यादा बढ़ गई है। जिसने गरीब लोगों की आजीविका पर बहुत प्रभाव डाला है। बदकिस्मती से बच्चे अक्सर सबसे पहले पीड़ित होते हैं और उन्हें अपने बड़ों के साथ मिलकर श्रम करना पड़ता है।

वर्ल्ड डे अगेंस्ट चाइल्ड लेबर का इतिहास-

अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन संयुक्त राष्ट्र संघ की शाखा है। यह संघ मजदूरों तथा श्रमिकों के हक के लिए नियम बनाती है, जिसे सख्ती से पालन किया जाता है। इसके लिए अंतरराष्ट्रीय श्रम संघ कई बार उस पुरस्कृत भी हो चुकी है। आईएलओ ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बाल श्रम को रोकने के लिए पूरा जोर दिया था, जिसके बाद 2002 में सर्वसम्मति से कानून पास किया गया। जिसके तहत 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से श्रम कराने को अपराध माना जाएगा, इसी साल पहली बार बाल श्रम निषेध दिवस 12 जून को किया गया।

बाल श्रम दिवस की शुरुआत-

इस दिन की शुरुआत 2002 में अंतरराष्ट्रीय श्रम संघ द्वारा की गई। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन संयुक्त राष्ट्र की एक शाखा है।जिसके मुताबिक 14 वर्ष से कम बच्चों से काम करवाना एक कानूनी अपराध है। इस सांग द्वारा मजदूरों तथा श्रमिकों के लिए नियम बनाए जाते हैं। उन नियमों का पालन करना सभी के लिए आवश्यक है। ILO के सदस्य 187 देश है।

इस दिवस को मनाने का महत्व-

इस दिन को मनाने का महत्व बाल श्रम की समस्या के खिलाफ सख्त कदम उठाना और इस पर अंकुश लगाना है। यह दिन मुख्य रूप से बच्चों के विकास पर केंद्रित है। यह बच्चों के लिए शिक्षा और पूर्ण जीवन के अधिकार की रक्षा करता है। इसलिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रचारित 2030 तक सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करना महत्वपूर्ण है। बाल श्रम पर रोक लगाने के लिए कई संगठन सफल प्रयास कर रहे हैं।

गरीबी बाल श्रम का मुख्य कारण-

गरीबी बाल श्रम का एक मुख्य कारण है, इसके कारण बच्चे अपना स्कूल छोड़ने के लिए मजबूर होते हैं और अपनी आजीविका के लिए अपने माता-पिता का समर्थन करने के लिए होटलों पर दुकानों पर इत्यादि जगह पर काम करते हैं। इसके अलावा कुछ संगठित अपराध रैकेट द्वारा बाल श्रम करने पर मजबूर किया जाता है। जैसे- नशे बनाने इत्यादि।

कैसे बाल श्रम को रोका जा सकता है-

  • छोटे-छोटे बच्चों से कई तरह के काम करवाए जाते हैं। शिक्षा हर बच्चे का अधिकार है। कई बच्चे देश दुनिया में ऐसे जिनका बचपन बाल श्रम ने छीन लिया है। बच्चों को शिक्षा से जो जोड़ कर बाल श्रम को रोका जा सकता है।
  • राष्ट्रीय श्रम संगठन के आंकड़ों के अनुसार दुनियाभर में लड़कियां और लड़के ऐसे कामों में शामिल है। जो उन्हें शिक्षा स्वास्थ्य अवकाश और बुनियादी स्वतंत्रता प्राप्त करने से वंचित करते हैं उनके अधिकारों का उल्लंघन करते हैं।
  • बाल श्रम को केवल एक श्रम विभाग के द्वारा ही नहीं रोका जा सकता नहीं, बल्कि पूरे समाज का दायित्व बनता है कि जनजागरण व जागरूकता के जरिए इसे रोका जाए। 12 जून को बाल श्रम समस्या के खिलाफ विश्व दिवस के रुप में चिन्हित किया गया है और बाल श्रम की समस्या पर ध्यान दिया गया है। हर साल लाखों बच्चों को काम करने के लिए मजबूर किया जाता है, बाल श्रम पर रोक लगाने के लिए संगठन आई एल ओ इत्यादि प्रयास कर रहे हैं।
  • हमें खुद जागृत होना चाहिए, बाल श्रम को खत्म करने में मदद करने के लिए कर्तव्यों का पालन करना चाहिए। स्त्री और वेश्यावृति जैसी अवैध गतिविधियों के लिए बच्चों को मजबूर किया जाता है, इस वजह से बच्चों को बाहर श्रम की समस्या के बारे में जागरूक करने और उनकी मदद करने के लिए इस दिवस को मनाया जाता है। बच्चे देश का भविष्य है बाल श्रम के बारे में बच्चों को जागृत करके हम उनका भविष्य जागृत कर सकते हैं।

निष्कर्ष-

हमें भी जिम्मेदार होना चाहिए कि कोई बच्चा बालश्रम में ना फसा हो। हमें बाल श्रम को खत्म करने में मदद के लिए अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए। यह सही ढंग से कहा जाता है कि बाल श्रम से निकलने वाले बच्चों को उसकी क्षमता और आत्म मूल्य पता चलता है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि ऐसे बच्चे देश और दुनिया के आर्थिक और सामाजिक विकास में योगदान देंगे बच्चे देश का गौरव है।

इम्यूनिटी:- इम्यूनिटी यानी हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता जो कि हमें कई प्रकार की बीमारियों से बचा सकता हैं। हमारा इम्यून सिस्टम मजबूत हैं, तो हमारा शरीर कई प्रकार की बीमारियों से लड़ सकता हैं।

इम्यूनिट सिस्टम हमारे शरीर में कैसे काम करता हैं, इसको हम एक उदाहरण से समझ सकते हैं जैसे हमारा लेपटॉप या कम्प्यूटर होता हैं, उसमें जो हम एंटीवायरस डालते हैं वो क्यों डालते हैं वो इसलिए डालते हैं, क्योंकि वो पेनड्राइव के द्वारा या किसी इंटरनेट के जरिए वायरस आते हैं, उससे वो एंटी वायरस उसकी सुरक्षा करता हैं। इसलिए वो एंटीवायरस को इंस्टॉल करते हैं। ठीक उसी तरह हमारे शरीर के अंदर भी एक इम्यून सिस्टम होता हैं, जो रोगों से लड़ने में हमारी मदद करता हैं।

इम्यूनिटी बढ़ाने के उपाय:-

  1. मेडिटेशन के साथ प्राणायाम:- मेडिटेशन के साथ प्राणायाम का अभ्यास करे। सुबह-शाम कम से कम 15-20 ऐसा करने से आपका आत्मबल बढ़ेगा, जिससे आपका मानसिक स्वास्थ स्वस्थ बना रहेगा।
  1. रोजाना सुबह नीम गिलोय की भाप ले और बीमारियों से बचे:- नीम व गिलोय की टहनी पत्तों समेत 100-100 ग्राम कूटकर 2 लीटर पानी डालकर उसकी भाप ले। 25 लंबे समय लेते-छोड़ते जाइए‌। यह भांप 2 मिनट तक ले रोजाना सुबह के समय ऐसा करेे|
  2. पिस्ता ले– अपनी प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए पिस्ता ले। क्योंकि इनमें फाइबर, खनिज ओर अनसेचुरेटेड फैट होते हैं और इनसे कई लाभ होते हैं। जैसे:- ह्रदय रोग का खतरा कम, ब्लड शुगर नियंत्रण, ब्लड प्रेशर नियंत्रण, कोलेस्ट्रॉल नियंत्रण आदि।
  3. विटामिन सी ले:- विटामिन सी से भरपूर फल जैसे कि किन्नू , मौसमी, संतरा, नींबू और आंवला आदि खाए व इम्यूनिटी बढ़ाए।
  4. घरेलू प्रोटीन स्रोतों को शामिल करे:- छाछ, दाल, पनीर, पिस्ता, काले चने, दालें आदि लेने आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी।
  5. हफ्ते में एक या दो बार यह काढ़ा पीए और स्वस्थ रहे:

काढ़ा बनाने की विधि:-

4 पत्ते नीम, 2 इलायची, 4 पत्ते तुलसी, 1-1 चुटकी हल्दी, मुलेठी, 10 ग्राम गिलोय ( पत्ते व टहनी ) , अजवाइन व सोंठ, 2 लोंग, 5 ग्राम जीरा।


इस सामग्री को 300 ग्राम पानी में डालकर 150 ग्राम होने तक उबाले। स्वादानुसार 20 ग्राम शहद या गुड़ मिला सकते हैं। फिर इसे चाय की तरह धीरे-धीरे पिए।


इस काढ़े को आप ऑनलाइन भी मंगवा सकते हैं। इम्यूनिटी बढ़ाने में यह काढ़ा रामबाण का काम करता हैं।

दोस्तों यह थे, इम्यूनिटी बढ़ाने के कुछ सरल व घरेलू नुस्खे। जिसके द्वारा हम आसानी से अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा सकते है। ऐसा करके हम भयानक से भयानक बिमारियों से बच सकते है|

स्मार्टफोन इस्तेमाल करने वालों को अब नहीं करना पड़ेगा ज्यादा काम करने पर, कम बैटरी होने की समस्या का सामना –

हाल ही में स्मार्टफोन खरीदने वालों के लिए खास ऑफर आया है। क्योंकि अब 10,000 रु. से कम कीमत में मिलने वाले शानदार स्मार्टफोन में मिलेगी 6000 mAh की दमदार बैटरी के साथ-साथ कई नए व खास फीचर्स भी दिए जा रहे हैं।

आखिर क्यों बढ़ रही है निरंतर स्मार्टफोन की मांगे –

आज प्रत्येक व्यक्ति स्मार्टफोन का इस्तेमाल इतना कर रहा है। फोन हमारे शरीर का एक हिस्सा बन गया है, यदि हमारे पास कुछ घंटों के लिए स्मार्टफोन न हो तो हम अपने आपको लाचार महसूस करते है।

कोरोना महामारी के चलते प्रत्येक व्यक्ति अपने घर में ही रहकर प्रत्येक कार्य अपने स्मार्टफोन से ही कर रहा है जैसे कि

  • बच्चों की पढ़ाई के लिए।
  • ऑफिस के काम व मीटिंग के लिए।
  • लाॅकडाउन के चलते घरों में अपना खाली समय स्मार्टफोन में बताने के लिए।
  • घर की शाॅपिंग के लिए व अन्य प्रत्येक क्षेत्र में स्मार्टफोन का इस्तेमाल इतना बढ़ गया है। अब तो प्रत्येक कार्य इसके माध्यम से ही किए जा रहे हैं। ऐसे में लंबे समय तक बैटरी का साथ देना आवश्यक है इसलिए यदि आप बाजार से अधिक बैटरी क्षमता वाले स्मार्टफोन को खरीदना चाहते हैं, तो बाजार में बहुत से स्मार्टफोन के विकल्प है। परन्तु कुछ फोन 10000 रु.से भी कम कीमत पर ज्यादा बैटरी की पावर देने वाले 6000mAh के बारे में बताते हैं।

Realme C15-
रू..8,999 रु.

यदि आप कम कीमत में दमदार बैटरी वाले स्मार्टफोन को खरीदना चाहते हैं, तो Realme C15 को खरीदे जैसे कि

  • इसमें 6000Mah की दमदार बैटरी दी गई है।
  • Media Tech Helio G35 प्रोसेसर में काम करने वाला।
  • क्वाड रियर कैमरा दिया गया है।
  • फोन में सेंसर 13MP तक का है।
  • फ्रंट कैमरा 8MP है
  • प्राइवेसी के लिए इसमें रियर माउंटेड फिंगरप्रिंट सेंसर दिया गया है।
  • 6.5 इंच की फोन में एचडी + डिस्प्ले दिया गया है।

Infinix Hot 10S-
कीमत- 9,499 रु.

भारतीय बाजार में इस स्मार्टफोन को लाॅन्च किया गया है‌, जो दमदार 6000mAh की बैटरी के साथ आया है।

  • यह Media Tek Helio G85 से लैस है।
  • 6.82 इंच की डिस्पले दी गई है।
  • 48MP का ट्रिपल रियर कैमरा।
  • फ्रंट कैमरा 8MP
  • एंड्राइड 11 ओएस पर आधारित है।

Samsung Galaxy F 12 –

  • कीमत..9,999 रु.
  • ये एंड्रॉइट 11ओएस पर काम करता है।
  • Samsung Galaxy F12 को 8nm चिपसेट पर पेश किया गया है।
  • 6.55 इंच का डिसप्ले दिया गया है।
  • 48MP का क्वाड रियर कैमरा भी है।
  • 6000mAh की दमदार बैटरी भी उपलब्ध है।

Moto G10 Power –

  • कीमत 9,999
  • इसमें 6.51 इंच की HD + डिस्प्ले दी गई है।
  • ये ऑक्टा-कोर Snapdragon 460 प्रोसेसर पर काम करता है।
  • क्वाड रियर कैमरा सेटअप।
  • 48MP प्राइमरी कैमरा।
  • 8MP वाइड एंगल लेंस व 2MP मैक्रो लेंस।

जरुर पढ़ें-

  • भारत में 20 मई को लॉन्च होने वाला 6000mAh बैटरी के साथ Infinix Hot 10S स्मार्टफोन ।
  • जोकि Redmi और Realme को देने वाला है कड़ी टक्कर।

इसके इलावा अन्य भी स्मार्टफोन की सुविधाएं दी जा रही है जैसे कि

Moto G60 और G40 Fusion भी हो चुके हैं लांच। जिसकी बैटरी 6000mAh की दमादम के साथ साथ 108 MP कैमरा भी दिया गया है।

  • Redmi Note 10
  • Realme Narzo 30A
  • Realme C25

यदि आप भी बाजार से नया स्मार्टफोन खरीदना चाहते हैं, तो इन स्मार्टफोन से कोई भी विकल्प बहुत कम दामों में खरीद सकते हैं। जिनकी बैटरी की पावर भी 6000 mAh है, जोकि लंबे समय तक चल सकती है।

हरियाणा सरकार ने स्कूलों की छुट्टियां 15 जून तक बढ़ाने का लिया अहम फैसला-

आपकी जानकारी के लिए बता दें, हरियाणा में निरंतर बढ़ रहे हैं कोरोना के केस। परन्तु फिर भी सरकार ने वैक्सीनेशन और कोरोना लाॅकडाउन में ढील देने के साथ-साथ लाॅकडाउन में ऑड-ईवश की तर्ज पर सभी दुकानें खोलने की छूट दे दी है। लेकिन जब बात बच्चों के भविष्य की आई, तो सरकार द्वारा स्कूलों की छुट्टियां 15 जून तक बढ़ा दी गई है। जबकि पहले 9वीं-12वीं तक की कक्षाएं जून में खोले जाने की योजनाएं तैयार की गई थी।

राज्य के सभी स्कूलों में गर्मी की छुट्टियां पहले से 31 मई तक घोषित कर दी गई थी।
1 जून 2021 से स्कूल खुलने वाले थे, परंतु प्रदेश के शिक्षामंत्री कंवरपाल गुर्जर ने कहा है कि कोरोना के मामले दिन-प्रतिदिन बढ़ने के कारण सरकार स्कूलों को खोलने का रिस्क नहीं उठा सकती। हाल ही में शिक्षामंत्री ने बताया कि कोरोना केसों में कुछ हद तक कमी आई हैं, परंतु फिर भी जब तक कोरोना पूरी तरह से नियंत्रित नहीं होता, तब तक स्कूलों में पढ़ाई की व्यवस्था को नए तरीके से कराने की तैयारी की जा रही हैं। शिक्षा निर्देशालय ने जिला शिक्षा अधिकारियों को पत्र लिखकर भेजा हैं। जिसमे विद्यार्थियों, स्कूलों में बैंच, कमरों की संख्या तथा स्कूलों के अनुसार डाटा भेजने के आदेश दिए हैं।

कोरोना महामारी के कारण गत वर्ष मार्च महीने से देशभर के स्कूलों को बंद कर दिया गया था।
विद्यार्थी ऑनलाइन कक्षाओं के माध्यम से अपनी पढ़ाई कर रहे हैं, परन्तु अब फिर से स्कूल खोलने की चर्चा हो रही हैं।

सरकार के निर्देशों के अनुसार दो गज की दूरी, एक बैंच पर एक ही छात्र को बैठाना तथा साथ ही मास्क ओर सेनेटाइजर का‌ उपयोग करना अनिवार्य हैं।

बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा के लिए 8 लाख टैबलेट्स बांटने का फैसला हरियाणा सरकार के द्वारा किया गया है। बहुत जल्दी ही टैबलेट्स पहुंचाए जाएंगे, ताकि बच्चों की पढ़ाई खराब ना हो। हरियाणा के शिक्षा मंत्री ने कहा है कि इस बात पर पूरा ध्यान दिया जाएगा कि इस मुश्किल समय में खास ध्यान रखा जाएगा।

आखिर क्यों बढ़ रहे हैं भारत में ब्लैक फंगस के मामले

ब्लैक फंगस के सबसे अधिक मामले भारत में कोरोना की दूसरी लहर में देखने को मिल रहे हैं। जिन्होंने बड़ी संख्या में तबाही मचा रखी है। ऑक्सीजन और हस्पताल में बेड्स की कमी से बहुत से मरीजों को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

जैसे कि आप जानते है, कोरोना महामारी की समस्या तो सारी दुनिया में फैल रही है, लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि आखिर ब्लैक फंगस की समस्या केवल भारत में ही दिनों- दिन क्यों बढ़ती जा रही है।

भारत में इसका सबसे बड़ा कारण लापरवाही और घर पर ही दवाईयां लेना बताया जा रहा है।
जानकारी के अनुसार ब्लैक फंगस से निपटने के लिए लिपोसोमल एंफोटेरेसिरिन भी इंजेक्शन का उपयोग होता है। इसके उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार के द्वारा पांच और कंपनियों को इसको बनाने का लाइसेंस दिया गया है।

पूरा विश्व अभी तक कोरोना वायरस के कहर से जूझ रहा है तो दूसरी भारत में ओर चैलेंज ब्लैक फंगस ने दी दस्तक जो एक बेहद ख़तरनाक इंफेक्शन है और पिछले कुछ दिनों से कोविड-19 के मरीजों को तेज़ी से अपना शिकार बना रहा है। जिससे लोग बेहद चिंतित हैं। इसकी शुरुआत दिल्ली से हुई उसके बाद में गुजरात, अहमदाबाद, पंजाब राजस्थान इत्यादि को इसने अपनी चपेट में ले लिया है, जो बेकाबू हो रहा है और कुछ मरीजों की मौत हो चुकी है। भारत में ब्लैक फंगस के सबसे अधिक 11 हजार से ज़्यादा मामले सामने आ चुके है। कई राज्यों में इसे महामारी घोषित किया जा चुका है। तो आइए जानते हैं भारत में फैल रहे ब्लैक फंगस के बारे में, इसके लक्षण और बचने के उपाय?

ब्लैक फंगस क्या है-

ब्लैक फंगस या म्यूकर माइकोसिस एक ऐसी घातक फंगल बीमारी है, जोकि म्यूकरमायोसिस नाम के फंगाइल से होता है। जो शरीर के जिस भी भाग में होता है, उसे खत्म कर देता है।

ब्लैक फंगस हमारे शरीर पर कैसे असर डालता है-

  • चेहरे, नाक व आंख के अलावा मस्तिष्क को अपनी चपेट में ले रहा है।
  • जिससे आंखों की रोशनी जाने का भी खतरा होता है।
  • दिमाग के साथ-साथ साइनस फेफड़ों पर भी असर डालता है।

ब्लैक फंगस किसी भी आयु के व्यक्ति में देखा जा सकता है ये बीमारी इतनी घातक है कि जहां भी हो जाए वो अंग निकालने पड़ते हैं।

क्या है ब्लैक फंगल का वैज्ञानिक नाम-

ब्लैक फंगस का वैज्ञानिक नाम म्यूकोरमाइकोसिस है, जो एक घातक व बहुत कम होने वाला फफूंद संक्रमण है। जो भारत में Covid-19 के मरीजों में तेजी से फ़ैल रहा है।

कैसे फैलता है ब्लैक फंगस और कहां पाया जाता है-

ब्लैक फंगस एक रेअर संक्रमण है जोकि हमारे वातावरण में कहीं से भी पाया जा सकता है। जो सांस के द्वारा हमारे शरीर में पहुंच जाता है। ब्लैक फंगस हमारी धरती के साथ-साथ सड़ने वाले ऑर्गेनिक पदार्थों जैसे कि बड़ी लकड़ी, कम्पोस्ट खाद व पत्तियों में पाया जाता है।

इतिहास-

अगर देखा जाए तो हमारे लिए ब्लैक फंगस बीमारी नई है, लेकिन जर्मनी के पाल्टाॅफ नाम के एक पैथोलॉजीस्ट ने 1885 में ब्लैक फंगस का पहला मामला देखा था इस को म्यूकोरमाईकोसिस नाम अमेरिकी पैथोलॉजीस्ट आरडी बेकर ने दिया था। 1955 में इस बीमारी से बचने वाला पहला व्यक्ति हैरिस था।

ब्लैक फंगस होने के लक्षण-

कोरोना वायरस के चलते इसके लक्षणों को पहचान पाना मुश्किल है। लेकिन ये देखा गया है कि जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती, उनको ये अपनी चपेट में लें रहा है जैसे कि

मस्तिष्क व साइनस संबंधी म्यूकरमायोसिस के लक्षण में शामिल होने वाले-

  • सिरदर्द
  • चेहरे के एक तरफ सूजन
  • चेहरे पर जैसे कि नाक,आंख व मुंह वाले हिस्से में काले घावों का भयंकर रूप धारण करना।

फेफड़ों से संबंधित म्यूकरमायोसिस के लक्षण-

  • बुखार होना
  • खांसी
  • छाती में दर्द होना
  • सांस लेने में मुश्किल आना

गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल से संबंधित म्यूकरमायोसिस के लक्षण-

  • उल्टी आना
  • पेट में दर्द होना

ब्लैक फंगस के शरीर में फैलने की आशंका-

  • ब्लैक फंगस के होने की संभावना उन्हें ज्यादा होती है, जो कि पहले से ही किसी न किसी बीमारी से जूझ रहे हो।
  • निरंतर उन दवाइयों का इस्तेमाल करना जोकि आपकी इम्यूनिटी को कम कर रही हो।
  • जो व्यक्ति मधुमेह के मरीज हो ।
  • जिसकी ब्लड शुगर कंट्रोल नहीं होती है, तो वो डाॅक्टर की सलाह लिए बिना स्टेराॅइड लेना न छोड़ें।
  • गंदे मास्क का इस्तेमाल करने से।
  • शरीर में धीमी उपचारात्मक क्षमता के कारण।

इन अफवाहों से बचें इन पर न दें ध्यान-

  • कुछ लोगों का मानना है कि कुछ भी कच्चा खाने से फंगस इन्फेक्शन हो रहा है जोकि गलत धारणा है।
  • कहीं ओर से लाए गए सिलिंडर द्वारा कोरोना के मरीज को ऑक्सीजन सपाॅर्ट की वजह से।
  • होम आइसोलेशन में रह रहे, अधिकतर कोरोना मरीजों में फंगस इन्फेक्शन के लक्षणों में देखा जा सकता है।

इससे बचने के उपाय-

  • मरीज की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए उसे फल, संतरा व नीबू पानी दें।
  • तली चीजें न देकर इम्यूनिटी सिस्टम मजबूत करने वाले पदार्थों का सेवन करें।
  • शरीर में पानी व नमक की मात्रा कायम रखी जाएं। मरीज पर लगातार निगरानी रखे। समय पर उपचार न मिलने की वजह से जानलेवा हो सकती है।

अपने आप को फंगस इंफेक्शन से कैसे बचाएं-

  • यदि हमारे शरीर में इम्यूनिटी सिस्टम मजबूत होगा, तो कोई भी बीमारी हमारे शरीर में प्रवेश नहीं कर सकती। इसलिए सबसे मुख्य कारण शरीर को स्वस्थ व फिट रखने के लिए इम्यूनिटी सिस्टम मजबूत होना चाहिए।
  • स्टेराॅईड का अतिरिक्त सेवन न करें।
  • मधुमेह को नियंत्रित रखने का प्रयत्न कीजिए।
  • जिस व्यक्ति को म्यूकरमायोसिस की बीमारी हो उस व्यक्ति के संपर्क से दूर रहें।
  • कैंसर, एड्स वाले मरीजों को फंगल इंफेक्शन का अधिक खतरा होता है।
  • अगर समय पर इसके लक्षणों को पहचानकर उपचार हो जाए तो व्यक्ति ठीक हो जाता है।

ब्लैक फंगस से बचने के लिए इम्यूनिटी से भरपूर पदार्थ ले, यदि आप इस बीमारी का शिकार हो गए हो जाए तो तुरंत इन लक्षणों को पहचानें और डाॅक्टरों से सही समय पर उपचार करवाएं।

मांँ – शब्द एक ऐसा शब्द है, जिसे बोलने से हृदय खुशी और प्यार से भर जाता हैं। भरे भी क्यों न क्योंकि मांँ इसके काबिल हैं। मांँ ममता की मुर्त हैं जो बिना किसी स्वार्थ, बिना किसी शर्त के बच्चों को प्यार करती हैं। हमारे समाज में माँ को भगवान के समान दर्जा दिया गया है। इसलिए तो दुनिया में भगवान के बाद दूसरा नाम मांँ का लिया जाता हैं।

त्याग और प्रेम की मूरत है – मांँ

कहाँ से शुरू करूँ और कहाँ पर ख़त्म करूँ…. ममता, प्रेम और त्याग की मुर्ति है – मांँ… दया का समुद्र है – मांँ…..
मां अपने बच्चे की आहट दूर से ही पहचान लेती हैं। क्योंकि दुनिया से 9 महीने ज्यादा जानती हैं हमें मांँ!!
वो मांँ ही है, जो हमें सभी परेशानियों से बचाती है और अपने आंचल में छुपा लेती हैं। जो अपने बच्चें के पीछे भागती कभी थकती नहीं।

Happy Mother's Day 2021 - Exclusive Samachar

इस दिन का इतिहास

मदर्स डे की शुरूआत 9 मई 1914 को अमेरिका से शुरू हुई। जिसका श्रैय अमेरिका के ही ऐना एम. जारविस को जाता है। कुछ लोगों का मानना है कि अमेरिकन एक्टिविस्ट एना जार्विस अपनी माँ से बहुत प्यार व ममता मिलने के कारण उसने शादी नहीं की। माँ के गुजर जाने के बाद उन्हें प्यार जताने के लिए मदर्स-डे को मनाना शुरू किया। जिसके बाद 9 मई 1914 को अमेरिका प्रेसिडेंट विल्सन द्वारा इसे एक कानून के तौर पर पास किया गया। जिसमें लिखा था कि मई के दूसरे रविवार को मदर्स-डे मनाया जाएगा चाहे तारीख कौन सी भी हो तब से इसे पूरे विश्व में मनाया जाता है।

▪️कुछ लोगों का मानना है कि मातृ पूजा की रिवाज़ पुराने ग्रीस से उत्पन्न हुई जोकि स्य्बेले गरीकू देवताओं की माँ थी। जिनके सम्मान में मातृ दिवस मनाया जाता है। एशिया माइनर के आस-पास और रोम में भी वसंत विषुव के आस-पास यह त्यौहार इदेस आॅफ़ (15 मार्च) से 18 तक मनाया जाता है।

▪️मातृ दिवस को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में कई देशों द्वारा 8 मार्च को भी मनाया जाता है।

▪️ब्रिटेन और यूरोप देशों में मदरिंग संडे मनाने की परम्परा है। मतलब वह रविवार को माताओं का सम्मान उपहार देकर करते हैं और घर के सभी काम माँ को छोड़कर घर के बाकी सदस्य करते है।

मदर्स डे मनाने का उद्देश्य

मदर्स डे मनाने का मूल उद्देश्य माताओं को सम्मान देना और प्रेम को प्रदर्शित करना भी होता है। क्योंकि माँ के आंचल के बिना ये दुनियां अधूरी है। 1941 में वकील वुडरो विल्सन और अमेरिकी राजनेता ने माँओं को सम्मानित करने और उनके मातृत्व के प्रभाव को बढ़ाने के लिए मई के दूसरे रविवार को मदर्स-डे मनाने की घोषणा करने के लिए हस्ताक्षर किए बच्चों को माँ के प्यार के महत्व को बताने के लिए मातृ दिवस मनाया जाता है।

Mother's Day

मदर्स डे मनाने का मुख्य कारण

मदर्स डे मनाने की मुख्य वजह 27 मई 1812 की क्रांति है। जिसमें बाॅलीविन महिलाओं की नृसंश हत्या स्पेन की सेना द्वारा की गई जोकि अपनी आजादी के लिए लड़ी। 27 मई को बाॅलीविन की उन महिलाओं को सम्मान देने के लिए मदर्स डे मनाया जाता है।

बच्चे के लिए माँ का महत्व

माँ के बिना दुनियां की हर चीज़ अधूरी है। कहते हैं न जिसके पास जो चीज़ नहीं होती, उस चीज़ की कीमत उन्हें पता होती हैं और दुनिया में जिनके पास मांँ नहीं है, मांँ की कमी वहीं समझ सकते हैं।
एक माँ ही हैं जिसके पास बच्चा अधिक समय रहता है। माँ बच्चे में अच्छे संस्कार व नैतिक मूल्य भरती है। माँ बच्चे की अच्छी दोस्त होती है, बच्चे की प्रत्येक जरूरत का ध्यान माँ ही तो रखती है। जो आप खुद गिल्ली जगह पर सोती है और बच्चे को सुखी जगह डालती हैं। अपने बच्चे लिए सारी दुनियां से लड़ जाती है माँ। जो भूमिका माँ की बच्चें के जीवन में होती है वो कोई भी नहीं लें सकता। ये गीत सत्य ही है।

“लख होवन चाचियां ताईयां
माँवा माँवा हुदिआ ने”

कैसे मनाए

कोरोना महामारी के चलते Covid-19 के नियमों का पालन करते हुए मदर्स डे को मनाएं। घर के बने पकवान ही खाएं और अपनी माँ के साथ समय बिताकर जीवन को खुशियों से भरें।

आज माँ को क्या उपहार दें

माँ की ममता और बलिदान को हम शब्दों में ब्यान नहीं कर सकते। मदर्स-डे वर्ष में एक दिन नहीं रोज़ सेलिब्रिट हो ताकि हम मां को वो सम्मान दें सके जिसकी वो हकदार हैं। वैसे तो आप अपनी जिंदगी में उलझे रहते हैं, लेकिन साल में एक इस दिन को खास बना सकतें है-

  • आप इस स्पेशल दिन को मांँ को कुछ स्पेशल महसूस करवाएं।
  • घर पर ही मांँ के लिए कुछ स्पेशल बनाएं।
  • माँ को आपने हाथ से बनाकर कार्ड व गिफ्ट दें।
  • मां के साथ वक्त बिताए।
  • आपकी थोड़ी-सी कोशिश माँ को बहुत खुशी दे सकती है।

माँ का ऋण कैसे चुकाए

हम 100 जन्म लेकर भी माँ का ऋण नहीं चुका सकते। अगर आप अपनी माँ का ऋण चुकाना चाहते हैं तो सबसे पहले एक अच्छा इंसान बनके दिखाएं। कभी भी कोई भी ऐसा कार्य न करें, जिससे माँ के हृदय को ठेस पहुंचे। माँ ने जो आपके लिए सपना देखा है उसे पूरा करें। जब आप छोटे थे तो माँ ने आपका ध्यान रखा। अब आप मां -बाप का सहारा बनें। आपकी वजह से मां -बाप की आंखों में कभी आंसू न आएं। नेक कार्य करें। कोई माँ नहीं चाहती की उसका बेटा चोर, डाकू, शराबी व देशद्रोही बनें। आप अच्छे इंसान बन कर माँ का कर्ज़ चुका सकते है। जिस से माँ गर्व से कहे ये मेरा बेटा/बेटी हैं।

निष्कर्ष

मदर्स- डे दुनिया भर में धूमधाम से मनाया जाता है। लाखों लोग इस दिन अपनी माँ को उनके बलिदान के लिए धन्यवाद करते हैं। इस बार कोरोना महामारी के चलते घर पर रह के ही इस दिन को सेलिब्रेट करें। घर से बाहर ना जाएं। घर पर बना हुआ खाना ही प्यार से माँ को खिलाएं और खाएं। सभी माताओं को अपनी मांँ के समान सम्मान दें। माँ के लिए लाॅकडाउन में कुछ योजना बनाना चाहते हैं तो माँ के साथ समय बिताएं।

थैलेसीमिया क्या होता है

थैलेसिमिया एक आनुवंशिक रोग है, जो अक्सर बच्चों में जन्म से पाया जाता है। प्रत्येक वर्ष लाखों लोग इस बीमारी से ग्रसित होते हैं बच्चों को इस बीमारी से अधिक खतरा रहता है। इस रोग में मरीज के शरीर में खून सामान्य स्तर तक नहीं बन पाता। हमारे शरीर में रक्त में तीन प्रकार के रक्ताणु पाए जाते है- लाल रक्ताणु , सफेद रक्ताणु और प्लेटलेट्स। लाल रक्ताणु शरीर में बोन मैरो में बनते रहते है और इनकी आयु लगभग 120 दिन की होती है और इसके बाद ये मृत हो जाते है। परंतु साथ में नए भी बनते रहते है। अगर यह प्रकिर्या सही अनुपात में न हो तो इसी विकार को थैलेसिमिया कहा जाता है।

थैलेसिमिया के दो प्रकार

World Thalassemia Day 2021 - Exclusive Samachar

यह दो प्रकार का होता है

  • माइनर थैलसीमिया।
  • मेजर थैलेसिमिया।

माइनर थैलसीमिया वाले बच्चों के जीवन में रक्त समान्य रूप से नहीं बन पाता लेकिन वह सामान्य जीवन जी लेते हैं, लेकिन मेजर थैलेसिमिया वाले बच्चों को हर 21-22 दिन में रक्त चढ़ाना पड़ता हैं।

विश्व थैलेसीमिया दिवस का उद्देश्य

यह दिन हर वर्ष 8 मई को मनाया जाता है। इसे मनाने का मुख्य उद्देश्य इस बीमारी के लक्षणों और इस बीमारी से कैसे निपटा जाए, उन तरीकों के बारे में सभी को जागरूक करना और जो इस बीमारी के साथ जी रहे हैं, उन्हें प्रोत्साहित करना। तो आइए हम भी इस बीमारी के बारे में जितना हो सके, जागरूकता फैलाए और थैलेसीमिया से पीड़तों के लिए नियमित रक्तदान को अपनी जिंदगी का अभिन्न अंग बनाए और दूसरों को भी प्रेरित करें।

भारत में थैलेसीमिया के आंकड़े

Thalassemia statistics in India - Exclusive Samachar

विश्व भर में लगभग 1 लाख बच्चे जन्म से थैलेसीमिया का शिकार होते हैं। अगर भारत की बात की जाए, तो प्रत्येक वर्ष 10 हजार से अधिक बच्चे जन्म से थैलेसीमिया के रोगी पाए जाते हैं। यह एक ऐसा रोग है जिसकी पहचान बच्चों में 3 महीने बाद ही हो पाती है। ऐसा रक्त की कमी के कारण होता है और इसका इलाज ताउम्र करवाना पड़ता है। सही समय पर उपचार न मिलने पर बच्चे की मृत्यु भी हो सकती है। तो आइए जानते हैं इस बीमारी के लक्षण क्या है और इससे बचने के उपाय।

आखिर क्यों होता है यह रोग

जैसे कि हम बात कर चुके हैं कि यह एक आनुवंशिक रोग है, यह माँ-बाप से ही बच्चों को होता है ।अगर माँ या बाप में से किसी को भी यह रोग है या दोनों को है तो उनकी आने वाली पीढ़ी में भी इस रोग के होने के आसार होते हैं।

थैलसीमिया के लक्षण

  • थकान ,
  • छाती में दर्द,
  • सांस लेने में कठनाई,
  • सिर दर्द,
  • चक्र आना ,
  • बेहोशी,
  • पेट मे सूजन ,
  • सक्रमण,
  • त्वचा,नाखूनों,आंखें और जीभ का पीला होना इत्यादि।
  • लेकिन कुछ लक्षण बाल्य अवस्था तथा किशोरावस्था के बाद दिखाई देते हैं।

इस रोग से कैसे बचा जाए

  • इसके लिए सबसे जरूरी है कि शादी से पहले लड़का और लड़की टेस्ट करवा कर सुनिश्चित कर ले कि कहीं दोनों में से किसी को भी माइनर थैलसीमिया तो नहीं है।
  • अगर माता या पिता में से किसी को भी थैलेसीमिया हो तो वह डॉक्टर की सलाह और निगरानी में ही बच्चा प्लान करें।
  • रोगी विटामिन भरपूर और आइरन युक्त पदार्थ लें।
  • संतुलित आहार लें।
  • नियमित रूप से एक्सरसाइज करें।

निष्कर्ष

आइए हम सब मिलकर लोगों को इस बारे में जागरूक करें। यह ऐसा रोग है जो माता पिता के जींस में गड़बड़ी होने के कारण होता है। इसके बारे में अगर सभी को जागरुक किया जाए तो इस रोग के होने की संभावना बहुत कम होती है। हम ऐसे रोगियों के लिए अधिक से अधिक रक्त दान करें ताकि रक्त की कमी से किसी की भी मृत्यु ना हो।

विश्व स्वास्थ्य दिवस 2021

वर्ष के 360 दिनों में बहुत से दिन व त्यौहार ऐसे आते हैं जिसे लोग एक साथ मिलकर मनाते हैं और जिन्हें मनाने का कोई न कोई उद्देश्य अवश्य होता है उसी ही तरह उनमें से एक दिवस है स्वास्थ्य दिवस जोकि लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से मनाया जाता है।

हमारा स्वास्थ्य ही हमारी वास्तविक दौलत है। यदि हमारा स्वास्थ्य ठीक होगा, तो हम सब कुछ प्राप्त कर सकते हैं। आज लोग अपनी आलसी और निष्क्रिय आदतों के कारण अच्छा स्वास्थ्य बनाने में असफल हो रहें हैं। अस्वस्थ व्यक्ति जिंदगी में हमेशा चिंतित रहता है और अपना पूरा समय बीमारियों से पीड़ित होकर शिकायतें करने में गुजार देता है। स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन और आत्मा निवास करते हैं। अच्छा स्वास्थ्य जीवन का अमूल्य तोहफा है, जो भगवान के दिए हुए वरदान की तरह है और हमें सभी रोगों से मुक्ति प्रदान करता है। 

विश्व स्वास्थ्य दिवस कब मनाया जाता है?

7 अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य दिवस के रूप में मनाया जाता है। जिसकी शुरुआत 1948 को (WHO) विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा की गई थी और पूरे विश्व में इसकी शुरुआत 7 अप्रैल 1950 को हुई। इस दिन कई जगह मैडिकल कैंप्स लगाकर इस दिवस को मनाया जाता है। 

विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाने का उद्देश्य

विश्व स्वास्थ्य दिवस को मनाने का उद्देश्य लोगों को स्वास्थ्य के महत्व के बारे में समझाना है और जागरूक करके अस्वस्थ व्यक्ति को स्वस्थ बनाना है क्योंकि किसी ने सच ही कहा है “जैसा खाए अन्न वैसा होए मन” आज विश्व के प्रत्येक व्यक्ति का खान पान ही कुछ ऐसा है जिसकी वजह से वह अलग-अलग बीमारियों से जूझ रहा है। जैसे कि कुछ लोग कैंसर, पोलियो, एड्स व पेट की अन्य बीमारियां से परेशान हैं।

आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में लोग अपने कार्यों मे व्यस्त होने व अधिक आय कमाने के चक्कर में अपने स्वास्थ्य का ध्यान नहीं रखते। जिसके कारण उन्हें कई बीमारियो का सामना करना पड़ रहा है।

इस बार की थीम है

WHO द्वारा कोविड-19 के चलते नर्सों और मिडवाइव्स को योगदान देने का समर्थन किया है। जो कोरोना की जंग से लड़ रहे है और लोगों को स्वस्थ रखने की कोशिश कर रहे हैं। इसलिए WHO ने उसे #SupportNursesAndMidwives थीम का नाम दिया है।

कैसे मनाया जाता है विश्व स्वास्थ्य दिवस

सभी लोगों को अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने के लिए स्वास्थ्य संबंधित कई तरह के कार्यक्रम करके इस दिवस को मनाया जाता है। सरकारी, गैर सरकारी संस्थाओं में स्वास्थ्य संबंधी कार्यक्रमों के साथ-साथ हैल्थ कैंप्स के साथ फ्री मैडिकल चेकअप्स करवाएं जाते हैं। नाटकों का आयोजन करके कला प्रदर्शनी भी लगाई जाती है। स्कूलों- काॅलेजों में बच्चों में निबंध और वाद-विवाद प्रतियोगिता आयोजित करवाकर स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करवाया जाता है। जैसे कि –

  • लोगों को बताया जाता है कि कैसे हम अपने आस पास सफाई रख कर बीमारियो से बच सकते हैं।
  • स्वस्थ व खुशहाल जीवन जीने के लिए पौष्टिक आहार लें।
  • व्यायाम और योग को अपनी दिनचर्या में शामिल करें और अपनी सोच को सकारात्मक बनाएं।
  • अच्छे स्वास्थ्य के लिए अच्छी नींद लें और समय पर सोएं।
  • साधारण चाय की जगह ग्रीन टी का इस्तेमाल करें।
  • धरती मां को हरा-भरा बनाएं रखने के लिए और स्वास्थ्य जीवन जीने के लिए वृक्ष लगाएं इत्यादि।

आइए जानते हैं स्वास्थ्य जीवन जीने के लिए क्या न करें?

  • फास्ट फूड का इस्तेमाल बहुत कम करें।
  • ज्यादा कोल्ड ड्रिंक न पीएं।
  • शराब, तंबाकू व अन्य नशीले पदार्थों का सेवन न करें इत्यादि।

एक स्वस्थ व्यक्ति संसार का सबसे सुखी व्यक्ति माना गया है। इसलिए स्वयं को शारीरिक, मानसिक, समाजिक, बौद्धिक और भावनात्मक रूप से स्वस्थ रखने के लिए अपनी दिनचर्या में व्यायाम, सकारात्मक सोच और अच्छी आदतों को शामिल करें।

स्वास्थ्य संबंधी आज अनेक बीमारियां तेजी से फैल रही है, जो दिव्यांगता का कारण भी बन रही है। जिससे परिवारों में परेशानियां बढ़ रही है। अपनी सेहत का ध्यान रखना हमारा कर्तव्य है, इसलिए आइए आज हम सभी ‘विश्व स्वास्थ्य दिवस’ पर प्रण करे कि स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने वाली वस्तुओं से दूर रहेंगे और अपने खानपान का पूरा ध्यान रखेंगे।

नक्सलियों द्वारा हमला, 22 जवान शहीद और 32 हुए घायल

देश भर में 12 नक्सलियों के मारे जाने के साथ-साथ देश की रक्षा करने वाले 22 जवानों के शहीद होने व 32 घायल व एक जवान के लापता होने की खबर को सुनकर माहौल हुआ नम।

आपकी जानकारी के लिए बता दे, छत्तीसगढ़ के बीजापुर में हुए नक्सली हमले में शहीद होने वाले 22 शहीदों के लिए हर आंख नम है। शहीद होने वाले जवानों में 6 कोबरा बटालियन, 8 डीआरजी, 6 एसटीएफ और 2 जवान बस्तर बटालियन से हैं और 32 घायल जवानों का अस्पताल में इलाज चल रहा है। इसके साथ ही नक्सलियों का भी बहुत नुकसान हुआ हैं।

सूत्रों का कहना है कि बीजापुर-सुकमा जिले की सीमा पर शनिवार दोपहर 12 बजे जोनागुड़ा गांव के करीब सुरक्षाबलों की नक्सलियों से मुठभेड़ हो गई। जिस मुठभेड़ में नक्सलियों के PLGA समूह के लोग शामिल होने की संभावना है। जो मुठभेड़ लगभग 3-4 घंटों से अधिक शनिवार को चली जिसमें पहले 5 जवानों की शहादत की जानकारी मिली। जो रविवार को 22 हो गई और 30 जवान घायल हुए हैं।

नक्सलियों की मजूदगी की सूचना मिलते ही सुकमा व बीजापुर जिले के 2000 जवानों को ऑपरेशन पर भेजा गया। तेर्रेम इलाके से 360 जवानों की टुकड़ी नक्सलियों द्वारा लगाए एंबुश में फस गई। जोनागुड़ पहाड़ियों के पास सुरक्षाबलों की ज्वाइंट टीम और नक्सलियों के बीच करीब 4 से 5 घंटे तक गोलाबारी चली। इस हमले का मास्टरमाइंड  हिड़मा है। गोलीबारी में जवानों को बहुत नुकसान झेलना पड़ा।जवाबी कार्रवाई में जवानों ने 12 नक्सली ढेर कर दिए। नक्सली जवानों के हथियार और जूते भी अपने साथ लूट कर ले गए। 

बीजापुर हमले में शहीद हुए जवानों के पार्थिव शरीर अब उनके गांव पंहुचाए जा रहे हैं।

शहीद जवानों को दी श्रद्धांजलि –

जगदलपुर में शहीद जवान बबलू रब्बा जो कि कोबरा 210 बटालियन में पदस्थ था, उनको अंतिम सलामी दी गई। उनके पार्थिव शरीर को रायपुर लाया गया और यहां से उनके पार्थिव शरीर को गुहावटी भेजा जाएगा।

बीजापुर के पास आवापल्ली गांव में जब समैय्या मडवी नाम के शहीद जवान का पार्थिव शरीर उनके गांव पहुंचा तो पहुंचा सभी की आंखें नम हो गईं।शहीद होने वाले एसटीएफ और सीआरपीएफ के 14 जवानों के पार्थिव शरीर को जगदलपुर लाया गया। जहां पोस्टमार्टम के बाद  80वीं बटालियन कैंप में गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाएगा।शहीदों के परिवारों को योगी सरकार ने 50 लाख देने का ऐलान किया है।

बीजापुर एनकाउंटर में 22 जवानों के शहीद होने पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने संवेदना जताई है और उन्होंने कहा है सुरक्षा कर्मचारियों के बलिदान को कभी नहीं भूलाया जाएगा।

भुला नहीं सकेंगे हमइन शुरवीरों की इस महान शहादत को, जो देश की रक्षा करने के लिए अपना घर परिवार छोड़कर देश की सीमा पर अपना जीवन बलिदान कर देते हैं। ऐसे शूरवीरों को हमारा शत् शत् नमन।

क्या आम दिखने वाला Neeva search engine ऐप बेहतर बनकर दे पाएगा गूगल को टक्कर-
गूगल एक ऐसा सर्चिंग ऐप है, जिसको कोई भी ऐप अब तक चुनौती दे पाने में सक्षम नहीं हुआ है। परन्तु अब नीवा सर्च इंजन ऐप को लांच किया गया है, जोकि इसको चुनौती देने में सक्षम हो सकता है। 

क्या है नीवा सर्च इंजन –

नीवा सर्च इंजन गूगल की तरह ही user द्वारा सर्च की गई सामग्री खोजकर सभी प्रकार की जानकारी उपलब्ध करवाता है। जोकि हमें पता नहीं चल रही होती हम इस पर सर्च करके उसके बारे में आसानी से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। गूगल के साथ-साथ दूसरे सर्च इंजन कुछ सर्च करने पर अपने यूज़र्स को बहुत सारे विज्ञापन दिखाते है, तो नीवा सर्च इंजन बिना किसी विज्ञापन के अपने यूज़र्स को जानकारी उपलब्ध करवाता है।

नीवा सर्च इंजन को किसने बनाया – नीवा सर्च इंजन को Sridhar Ramswamy और Vivek Raghunathan द्वारा 2018 में मिलकर बनाया था, जो पहले गूगल के पूर्व-कर्मचारी रहे चुके हैं। जिसका उद्देश्य यूज़र्स को एक ऐसा सर्च इंजन मुहैया करवाना है, जिसमें आपको मतलब की ही जानकारियां मिलेंगी जिस से आपका समय बर्बाद नहीं होगा।

क्या गूगल की तरह नीवा सर्च इंजन का इस्तेमाल करना मुफ्त होगा –

जी नहीं, गूगल की तरह नीवा सर्च इंजन मुफ्त नही होगा। क्योंकि नीवा सर्च इंजन में कोई ads नहीं होगी और ये आपकी कोई निजी जानकारी इकत्र नहीं करेगा।गूगल जहां ads दिखाकर कमाई करता है, तो वहीं नीवा अपनी subscription fees द्वारा कमाई करता है।

नीवा सर्च इंजन और गूगल सर्च इंजन में अंतर –

  • गूगल सर्च इंजन अपने यूज़र्स से किसी प्रकार का कोई पैसा नहीं लेता, तो दूसरी ओर नीवा सर्च इंजन का इस्तेमाल करने पर तय राशि का भुगतान यूज़र्स को करना पड़ेगा।
  • गूगल सर्च इंजन कई तरह के यूजर्स को ads दिखाता है, तो इसके साथ ही नीवा सर्च इंजन में किसी प्रकार की कोई ads नहीं दिखाएगा।
  • गूगल सर्च इंजन यूज़र्स की privacy में दख्ल देने के साथ साथ बहुत सारा डाटा भी इकट्ठा करता है। परन्तु नीवा सर्च इंजन में सारा डाटा सुरक्षित रहता है।
  • गूगल सर्च इंजन केवल web- search ही करता है, तो नीवा सर्च इंजन में आप अपनी personal files को भी सर्च कर सकते हैं। इसके साथ-साथ ये अपने यूज़र्स को Apple Map, Bing search Result जैसी जानकारी क्षेत्रों का उपयोग करता है। तो दूसरी ओर गूगल खुद ही सभी जानकारी को एकत्रित और प्रकाशित करता है।

श्रीधर रामास्वामी को Google की दखल अंदाजी पसंद नहीं आई, इसलिए उन्होंने यूज़र्स की निजी जानकारी को सुरक्षित रखने के लिए नीवा सर्च इंजन ऐप को शुरू किया ताकि यूज़र्स की निजी प्राइवेसी बिल्कुल सुरिक्षत रहे और उन्हें किसी भी समस्या का सामना न करना पड़े।

आपको बता दें कि दूसरों की निजी जानकारी की इतनी सुरक्षा करने वाला नीवा ही एक एकलौता सर्च इंजन ऐप है, जो दूसरों के डाटे को सुरक्षित रखता है।

सच में नीवा सर्च इंजन ऐप गूगल की तरह आपका कोई भी डाटा इकट्ठा नहीं करेगा –

जी हां, परन्तु ये पूरा सच नहीं है। नीवा सर्च इंजन आपकी कुछ ऐसी जानकारी रखेगा जैसे कि आपको कौन सी न्यूज़ व खेलों में दिलचस्पी रखते है इत्यादि।

नीवा से आपको पूरी तरह सुरक्षित रखने के साथ-साथ आपको किसी भी विज्ञापनदाता को बेचा नहीं जाएगा और न ही कोई ग़लत इस्तेमाल किया जाएगा।

बहुत से प्रोफेशनल लोग ऐसे हैं, जिनके पास समय और डाटा की कीमत बहुत ज्यादा है। उनके लिए नीवा सर्च इंजन बहुत अच्छा विकल्प हो सकता है।

नीवा सर्च इंजन में बहुत से प्लान है, परन्तु समय के साथ-साथ आने वाले दिनों में हमें नीवा सर्च इंजन में बहुत सारे बदलाव देखने को मिलेंगे। 

परन्तु रामास्वामी का कहना है कि नीवा के यू़ज़र्स का experience इसको इतना बेहतर बना देगा कि जो लोग Google का इस्तेमाल करते हैं, वह इसे भूल जाएंगे और नीवा सर्च इंजन को अपनाएंगे।

यदि हम भी अपने डाटा को सुरक्षित रखना चाहते हैं, तो हमें भी नीवा सर्च इंजन का इस्तेमाल करना होगा क्योंकि अपनी सुरक्षा अपनो हाथों में ही है नीवा सर्च इंजन का इस्तेमाल करने से हम ads से बच सकते हैं।

नीवा को बहुत कम लोग जानते हैं क्या आने वाले समय में गूगल को मात देकर ये ऐप लोगों के बीच लोकप्रिय हो जाएगा। ये तो समय ही बताएगा कि कई वर्षों से चल रहे गूगल सर्च इंजन का कोई मुकाबला कर सकता है या नहीं।