
मुख्य अंतर
एड्स का परिणाम
एच आई वी का इम्यून सिस्टम पर प्रभाव

एच आई वी का एड्स में बदलना


दोस्तों ,आज कल नजर का चश्मा तो बस बुढ़ापे का प्रतीक माना जाने लगा है। क्योंकि युवाओं में इसका प्रयोग अब चलन के बाहर हो गया है।जिसे देखिए वह चश्मा हटवा कर कॉन्टेक्ट लेंस लगवाने की सलाह देता नजर आता है। दें भी क्यों न , इसे लगा कर नजर की समस्या का समाधान भी हो जाता है और फैशन से समझौता भी नही करना पड़ता।
परन्तु देखा-देखी कॉन्टेक्ट लेंस प्रयोग करने की बजाय पहले इसके बारे में पूरी जानकारी प्राप्त कर लेनी चाहिए।
कॉन्टेक्ट लेंस के प्रयोग के साथ-साथ इसके साइड इफेक्ट्स भी पता होने चाहिए।
अधिकतर लोग इस बात से अनजान हैं की आंखों में लगाये जाने वाले लेंस ही आंखों के लिए खतरा साबित हो सकते हैं।

आइए जानें, कैसे?
जी हाँ ! लेंस का प्रयोग कभी-कभी केराटाइटिस नामक रोग को भी आमन्त्रण दे सकता है।

आइये जानें ,क्या है केराटाइटिस?
कई बार लम्बे समय तक आँखों में कॉन्टेक्ट लेंस लगाये रखने से कॉर्निया में सूजन आ जाती है । जो आँखों में जलन व खुजली का कारण बनती है तथा धीरे – धीरे केराटाइटिस का रूप ले सकती है।
इस बीमारी की सामान्य अवस्था अधिक खतरनाक नही होती ,परन्तु यदि समय रहते इसका इलाज न किया जाये तो ये इंसान को अंधा भी बना सकती है। सिलिकॉन हाइड्रोजैल लेंस के साथ सोने से केराटाइटिस जैसे संक्रमण की आशंका कम होती है।
केराटाइटिस का कारण :
कॉन्टेक्ट लेंस लगाने से आँखों के प्राकृतिक माइक्रोबियल वातावरण में बदलाव आने लगता है जिस कारण इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है।लेंस के कारण , त्वचा पर पाये जाने वाले जीवाणुओं की संख्या आँखों की सुरक्षा करने वाले सूक्ष्मजीवों के मुकाबले अधिक हो जाती है तथा संक्रमण सम्भावना बढ़ जाती है।

केराटाइटिस से बचाव :
* कॉन्टेक्ट लेंस पहन कर गर्म पानी के टब, तालाब व समुन्द्र में नहाने से बचना चाहिए।
* सोते समय लेंस निकाल कर सोना चाहिए।
*लेंस को छूने से पहले हाथों को अच्छी तरह धो लेना चाहिए तथा लेंस बॉक्स को साफ-सुथरा रखना चाहिए।
* नेत्र विशेषज्ञ की सलाह से एक निश्चित समय बाद लेंस बदलते रहना चाहिए।
* आँखों में जलन,खुजली ,लालपन या सूजन आदि की शिकायत होने पर तुरंत नेत्र विशेषज्ञ का परामर्श लेना चाहिए।
*लगातार लम्बे समय तक कॉन्टेक्ट लेंस पहनने से बचना चाहिए।
तो मित्रों ! पूरी जानकारी और सावधानी से कॉन्टेक्ट लेंस का प्रयोग करें व स्वस्थ रहें।

चेहरे और गर्दन पर प्राइमर लगाएं। कुछ लोग मेकअप किट में प्राइमर नहीं रखते लेकिन इसका मेकअप में बेहद अहम रोल होता है। यह आपके चेहरे के छिद्रों को बंद करता है साथ ही इससे मेकअप ज्यादा देर तक टिका रहता है।


डायबिटीज जिसे मधुमेह भी कहा जाता है एक गंभीर बीमारी है जिसे धीमी मौत (साइलेंट किलर ) भी कहा जाता है। संसार भर में मधुमेह रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है विशेष रूप से भारत में। आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से ब्लड शुगर को कन्ट्रोल करने के कुछ महत्वपूर्ण तरीके बताने जा रहे है…
शरीर मे शुगर लेवल बढ़ने पर मिलते है ये संकेत
शरीर मे शुगर लेवल का बढ़ना या कम होना सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है। शुगर लेवल के अनकंटरोल होने पर शरीर के कई आॅगनस ड़ैमेज भी हो सकते है। इसलिए शरीर मे शुगर लेवल का सही होना बहुत जरूरी होता है।
▶ड़ायबिटीज के मरीजो को फाइबर रिच से भरपूर चीजे जरूर खानी चाहिए।
अगर आप हेल्दी रहना चाहते है तो आप आपनी ड़ेली ड़ाइट मे फाइबर खाना शुरू कर दे। फाइबर ब्लड शुगर को नियंत्रित करने मे मदद करता है ।
इन चीजो को खाने से कंट्रोल मे रहेगी ब्लड शुगर:-
✅ मेथी :- मेथी के बीज और पत्तियां दोनो ही ड़ायबिटीज से लड़ने मे मददगार है,भरपूर मात्रा मे फाइबर होने से पाचन क्रिया धीमी होती है।ये शरीर मे खराब कोलेस्ट्रॉल को घटाते है ।
✅ दाले :- दालें प्रोटीन के साथ-2 फाइबर का भी अच्छा स्त्रोत होती है। दालों मे पाई जाने वाली कार्बोहाइड्रेट का कुल 40% फाइबर होता है जो ब्लड शुगर को कम करने मे मददगार होता है ।
✅ अमरूद:- अमरूद मे भी खूब फाइबर होता है, इससे कब्ज से लड़ने मे मदद मिलती है । ड़ायबिटीज के मरीजो को अक्सर कब्ज की शिकायत रहती है। यह एक बढ़िया स्नैक्स साबित हो सकता है ।
▶ इसके अलावा पपीता, चेरीज, तरबूज, हरी पत्तेदार सब्जियां, टमाटर, कदू के बीज भी ड़ायबिटीज के मरीजो को खाने चाहिए ; इसके अलावा रोजाना एक्सरसाइज भी करनी चाहिए।
ड़ायबिटीज के लक्षण
1.) अत्यधिक भूख:- आपको इसलिए भूख महसूस होती है क्योंकि आपका शरीर उस ऊर्जा का प्रयोग नही कर पाता जितनी वह कर सकता है। इसके बजाए ज्यादातर कैलोरी यूरिन के द्वारा निकाल जाती है ।
2.) वजन घटना:- ऐसा शरीर मे पानी की कमी की वजह से होता है । शरीर का पानी भी कम हो जाता है ।शरीर के पानी और अन्य तत्व यूरिन के माध्यम से बाहर निकल जाते है ।
3.) थकान:- आपको थकावट और भूख दोनो महसूस होगी। आपका शरीर उस कैलोरी को नही पचा पाता जिसे शरीर ग्रहण करता है । वही आपके शरीर को पर्याप्त ऊर्जा भी मिल जाती है ।
4.) चिड़चिड़ापन या व्यवहार परिवर्तन:- ड़ायबिटीज होने का यह भी संकेत है, जब व्यवहार परिवर्तन होने लगे और चिड़चिड़ापन होने लगे तो यह ठीक नही है ।
5.) सांसो से फलों की गंध का आना:- ड़ायबिटीज के लक्षणों मे यह भी है कि, इस अवस्था मे सांसो मे फलों के जैसी गंध भी आती है यानी आपकी सांसो मे एक तरह का स्मेल आता है।
कड़वे तेल के नाम से पारंपरिक रूप से उपयोग किया जाने वाला सरसों का तेल अपनी तासीर और गुणों के कारण कई तरह की समस्याओं में औषधि के रूप में भी उपयोग किया जाता है। अगर आप अब तक इसके स्वास्थ्यवर्धक गुणों से अनजान हैं, तो आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से सरसों के तेल के फायदे (sarso ke tel ke fayde) बताने जा रहे हैं कि आपकी जिंदगी में कितना महत्वपूर्ण है। इसका सेवन करने से आपकी जिंदगी में किस तरह के बदलाव आएंगे। हम सभी घरों में सब्जी बनाने में सरसों के तेल का इस्तेमाल करते हैं। कुछ जगह पर इसको कडवा तेल के नाम से जाना जाता है।
यदि आप भारत में रहते हैं, तो इसकी बहुत संभावना है कि आप हर महीने अपनी किराने की सूची में सरसों का तेल जरूर लाते होंगे । यह एक आवश्यक चीज़ है, और कुछ खाने के पदार्थ जैसे कि लेडीफिंगर का स्वाद सबसे ज्यादा अच्छा लगता है जब इसमें पकाया जाता है। यह तेल सरसों के पौधे के बीजों से निकाल कर बनाया जाता है और अन्य तेलों से बहुत अलग होता है। इसमें हल्का पीला रंग, एक मजबूत सुगंध, तेज स्वाद और तीखा स्वाद है। इसका अपने आप मे स्वाद इतना अच्छा तो नहीं है लेकिन इसे अपने व्यंजनों में जोड़ने से कई स्वास्थ्य लाभ मिलते है उनमें से कुछ यहाँ एक सूची में हैं।
सरसों का तेल सेहत और सुंदरता दोनों के लिए ही बहुत फायदेमंद है | इसमें कई ऐसे तत्व पाए जाते हैं जो दर्दनाशक का काम करते हैं। ये एक औषधि की तरह काम करता है। आमतौर पर लोग इसे सिर्फ तेल समझकर ही इस्तेमाल करते हैं पर आप को इसके फायदे जान कर बहुत हैरानी होगी |
जोडों का दर्द हो चाहे कानों का दर्द हो या फिर कहीं चोट लगी हो सरसों का तेल इन सब की एक आयुर्वेदिक दवाई है। सरसों के तेल की मालिश करने से जोडों का दर्द ठीक हो जाता है। सरसों के तेल को गुनगुना करके कान में डालने से कान का दर्द ठीक हो जाता है।
सरसों के तेल में वेसन और हल्दी मिलाकर चेहरे पर लगाने से चेहरे पर निखार तो आता ही है साथ में त्वचा की नमी भी बनी रहती है। पुरुष सरसों के तेल को चेहरे पर लगाकर शेव करें तो चेहरा और भी निखार आ जाता है।
अगर आपको भूख नहीं लगती तो ये तेल आपके लिए बहुत फायदेमंद है ये हमारे पेट में ऐपिटाइजर का काम करता है जो भूख बढाता है।
सरसों के तेल में मौजूद विटामिन शरीर के मेटाबॉलिज्म को बढाते है जिससे बजन कम हो जाता है।
अस्थमा से पीड़ित लोगों के लिए सरसों का तेल बहुत फायदेमंद है। इस में मैग्नीशियम पाया जाता है जो अस्थमा के मरीजों के लिए फायदेमंद है। सर्दी हो जाने पर भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।
दातों पर सरसों के तेल में नमक मिलाकर लगाने से दांत सफेद और मजबूत बनते हैं।
Mustard Oil Benefits for Hair in Hindi: बालों की मजबूती के लिए फायदेमंद – सरसों के तेल को बालों में लगाकर रोजाना मालिश की जाऐ तो बाल मजबूत बन जाते हैं। सरसों के तेल और बादाम दोनों को मिलाकर अच्छी तरह से उबाल लें और फिर ठंडा कर लें और फिर उस से बालों की जड़ों में मालिश करें जिससे बाल तो मजबूत बनते ही है साथ में दिमाग भी तेज होता है। रात को सोने से पहले सिर में सरसों का तेल लगाने से तनाव दूर हो जाता है।
सोने से पहले सरसों का तेल नाभि पर लगाऐ इससे होंठ फटने की समस्या दूर हो जाती है और होंठ खूबसूरत दिखने लगते हैं। नाभि पर सरसों का तेल लगाने से पेट दर्द और डाइजेस्ट की समस्या दूर हो जाती है।
अगर लम्बे समय से लगी चोट ठीक नहीं हो रही तो सरसों के तेल लगाने से वो सूख कर जल्दी ठीक हो जाती है।
स्वस्थ शरीर और मजबूती बनाने के लिए रोजाना सुबह नहाने से पहले सरसों के तेल की मालिश की जाऐ। इससे शरीर निरोग बन जाता है। फलस्वरूप आप लंबे समय तक सुखद और जवान रह पाएंगे।
रात को सोने से पहले अगर रोजाना पैरों के तलवों पर मालिश करके सोयेंगे तो बहुत फायदेमंद है। इससे आखों की रोशनी तेज होती है। इससे नींद अच्छी आती है।
सरसों के तेल में मोनोअनसैचुरेटेड (Monounsaturated) और पॉलीअनसेचुरेटेड फैटी एसिड(Polyunsaturated Fatty Acids), ओमेगा -3 (Omega-3) और ओमेगा -6 फैटी एसिड(Omega-6 Fatty Acid) होते हैं जो इस्केमिक हृदय रोग (Ischemic Heart Disease) के जोखिम को 50 प्रतिशत तक कम कर सकता हैं। यह खराब कोलेस्ट्रॉल को भी कम करता है और अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाता है।
खोज से साबित हुआ है कि सरसों के तेल में कैंसर से लड़ने वाले गुण होते हैं। यह आपके पेट को कैंसर के खतरे से लड़ने में मदद करता है।
ज्यादातर लोग खांसी और जुखाम को खतरनाक मानते हैं क्योंकि इससे छुटकारा पाना बहुत मुश्किल है। शुक्र है कि सरसों का तेल खांसी और जुखाम का कारण बनने वाली भीड़ से छुटकारा दिलाता है। खांसी और जुखाम से छुटकारा पाने के लिए गर्म पानी मे गाजर के बीज और थोड़ा सा सरसों का तेल मिलाकर भाप लें।
त्वचा पर सीधे सरसों के तेल की मालिश करने से सुन्न मांसपेशियों में सनसनी होने में मदद मिलेगी। यह तनाव ग्रस्त मांसपेशियों को आराम करने में भी मदद करेगा।
जब रक्त परिसंचरण (Blood Circulation) बढ़ जाती है, तो यह आपके शरीर को ताज़ा कर सकता है और जरूरी अंगों के काम करने की गति को बढ़ा सकता है। यही कारण है कि न केवल नवजात बच्चों को बल्कि वयस्कों (Adults) को भी सरसों के तेल की मालिश का विकल्प चुनना चाहिए। यह न केवल ताकत बढ़ाएगा बल्कि आपके शरीर को गर्माहट भी प्रदान करेगा।
जो लोग जोड़ों या गठिया के दर्द के कारण पीड़ित हैं उन्हें सरसों के तेल को जहा-जहा दर्द है उन क्षेत्रों पर रगड़ने से कुछ राहत मिल जाती है। यह आपके रक्त परिसंचरण को बढ़ाएगा। यह ओमेगा -3 फैटी एसिड के साथ भी भरा हुआ है जो इस दर्द का विरोधी है।
आप यह भी भरोसा कर सकते हैं कि सरसों के तेल में एंटी-बैक्टीरियल प्रभाव होता है। इसमें जीवाणु रोधी एजेंट होते हैं जो बैक्टीरिया को हराने के लिए काम करते हैं। इसमें ग्लूकोसिनोलेट भी है जो खराब बैक्टीरिया और रोगाणुओं के विकास को रोकने में भी मदद करता है।
इस तेल में ऐंटिफंगल गुण भी होते हैं, जिसका अर्थ है कि यह फफूंद के कारण होने वाले स्पर्श रोग और लाल चकत्ते का इलाज कर सकता है। एक अध्ययन में, एलिल आइसोथियोसाइनेट नामक यौगिक के लिए फफूंद से लड़ने में अन्य तेलों के मुकाबले सरसों का तेल सबसे प्रभावी साबित हुआ।
आप संज्ञानात्मक कार्यों, स्मृति और यहां तक कि अवसाद के इलाज में मदद करके अपने मस्तिष्क के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए इस तेल में फैटी एसिड पर भरोसा कर सकते हैं। बच्चों को परीक्षा के मौसम में यह तेल दिया जा सकता है ताकि उन्हें बेहतर याद रखने में मदद मिल सके।