धनतेरस का शाब्दिक अर्थ है धन और तेरा (13)। इसका मतलब है धन के लिए मनाया जाने वाला त्योहार है धनतेरस जो कार्तिक महीने के 13वें दिन होता है।
धनतेरस उत्सव
धनतेरस के त्योहार को महान उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस त्यौहार पर, लोग धन की देवी लक्ष्मी जी और मृत्यु के देवता यम की पूजा करते हैं, भगवान यम से अच्छे स्वास्थ्य और देवी लक्ष्मी से समृद्धि के रूप में आशीर्वाद प्राप्त करते है। लोग अपने घरों और कार्यालयों को सजाते है।
सभी अपने घर आँगन के प्रवेश द्वार को सजाने के लिए लोग रंगीन रंगोलियां बनाकर सजावट करते है । चावल के आटे और सिंदूर से लक्ष्मी जी के छोटे पैरों के निशान बनाये जाते हैं जो कि देवी लक्ष्मी के लंबे समय से प्रतीक्षित आगमन का संकेत होता है। धनतेरस पर सोने या चांदी जैसी कीमती धातुओं से बने नए बर्तन या सिक्के खरीदना बहुत लोकप्रिय है क्योंकि यह शुभ माना जाता है और यह हमारे परिवार के लिये सुख सम्रद्धि और अच्छा भाग्य लाता है।
धन तेरस की पूजा
धनतेरस के दिन शाम को ‘लक्ष्मी जी की पूजा’ के रूप में प्रदर्शित किया जाता है। देवी लक्ष्मी जी के लिए लोग भक्ति गीत गाते हैं। सभी दुखों को दूर करने के लिए छोटे-छोटे दीपक जलाते है। धनतेरस की रात, लोग पूरी रातभर के लिए दीपक को जलाते हैं। पारंपरिक मिठाई पकायी जाती हैं और देवी माँ को प्रसाद समर्पित किया जाता हैं।
धनतेरस पर कहानी
एक कथा के अनुसार प्राचीन समय में हेम नाम के एक राजा रहता था. विवाह के कई सालो बाद उसकी एक संतान हुई. जब ज्योतिषियों ने बालक देखी तो पता चला की राजकुमार के विवाह के ठीक चार दिन बाद उसकी मृत्यु हो जाएगी. यह बात जानकार राजा और रानी बहुत दुखी हो गए. धीरे धीरे समय बितता गया और राजकुमार ने गन्धर्व विवाह कर लिया.
विवाह के चार दिन बाद यमदूत राजकुमार के प्राण लेने लेकर चले गए लेकिन राजकुमार की पत्नी के शोक विलाप को देखकर उन्होंने यमराज से पूछा की कोई ऐसा उपाय नहीं है जिससे इंसानों की अकाल मृत्यु न हो सके. यमराज ने इसका उपाय बताते हुए कहा की कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी की रात को जो मनुष्य दक्षिण दिशा की और दीप जलाएगा वो अकाल मृत्यु से बच सकता है. तभी से धनतेरस (Dhanteras) के दिन दीया जलने की परम्परा की शुरुआत हुई.
धनतेरस 2018 में क्या ख़रीदे?
1.शंख खरीदना:- पुरानी कथाओ के अनुसार इस दिन दक्षणीवर्ती शंख खरीदना अच्छा माना जाता है |