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133 Welfare works

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हमारे बड़े बुजुर्ग हमेशा कहते थे कि खुशियां हमेशा बांटने से बढती हैं और वो खुशियां जब किसी के चेहरे की मुस्कान बनती हैं तो दिल को एक सुकून मिलता है।
जी हां कुछ ऐसा ही नज़ारा बीती 23 नवम्बर को देखने को मिला एक सामाजिक संस्था द्वारा आयोजित किये गए एक समागम में। यह समागम उस संस्था के संस्थापक के जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में आयोजित किया गया था।
यह जन्मोत्सव किसी आम जन्मोत्सव की तरह नहीं था तथा न ही यह आम तरीके से मनाया गया।
तो आइए जानते हैं कि कौनसी संस्था है यह और ऐसा क्या किया उन्हों इस जन्मोत्सव के अवसर पर।
सर्व-धर्म संगम:
जी जिस संस्था की हम बात कर रहे हैं वह कोई छोटी नहीं बल्कि बहुत बड़ी सामाजिक संस्था है जो पिछले कई वर्षों से समाज के हित में कार्य करती आ रही है। इस संस्था का नाम है, डेरा सच्चा सौदा। डेरा सच्चा सौदा एक ऐसी सामाजिक संस्था है जहाँ जातिवाद और पक्षपात की कोई जगह नहीं है। देर सच्चा सौदा में सभी धर्मों को एक समान माना जाता है तथा सभी धर्मों का सम्मान किया जाता है।
यहां कोई भी धर्म का इंसान आ सकता है।
सामाजिक कार्यों की शृंखला:
डेरा सच्चा सौदा द्वारा किए जाने वाले सामाजिक कार्यों की सूची बहुत लंबी है। करीबन 133 सामाजिक कार्य इस संस्था द्वारा शुरू किए जा चुके हैं। इसी सूची के अंतर्गत गत 23 नवम्बर को देर सच्चा सौदा द्वारा आश्रम में खूनदान शिविर तथा मुफ़्त चिकित्सा शिविर का आयोजन किया गया जिसमें लाखों श्रद्धालुओं ने भाग लेकर रक्तदान किया। डेरा श्रद्धालुओं द्वारा जरूरतमंद लोगों में राशन भी वितरित किया गया तथा विकलांग लोगों को फ्री ट्राइसाइकिल भी दी गयी।
इतना ही नहीं डेरा श्रद्धालुओं द्वारा पूरे भारत के अन्य स्थानों पर भी इस अवसर पर जरूरतमंद परिवारों को राशन तथा गरीब व अनाथ बच्चों को पुस्तकें, कपड़े तथा खिलौने वितरित किए गए।
मदद के पीछे मकसद:
जब डेरा श्रद्धालुओं से उनके इन कार्यों की वजह पूछी गयी तो उन्होंने बताया कि ये सामाजिक कार्य वे लोग अपने आध्यात्मिक गुरु सन्त गुरमीत राम रहीम सिंह जी इंसा की बताई गई शिक्षा के अनुसार करते हैं। इन कार्यों को करने के पीछे उनका मकसद केवल समाज मे अच्छाई तथा सच्चाई को बढ़ावा देना है। वे लोग ये सब इसलिए करते हैं ताकि समाज मे इंसानियत हमेशा जिंदा रहे। उनका मकसद सिर्फ अपने देश और धरती माँ की रक्षा करना है और इसके लिए वे हमेशा कोशिश करते रहेंगे।
निष्कर्ष:
बात सिर्फ डेरा श्रद्धालुओं की नहीं है, बल्कि उनके द्वारा समझी गयी समाज के प्रति जिमेवारी की है।
इंसान चाहे कोई भी उसे सदैव अपने समाज तथा अपने देश के हित में ही कार्य करने चाहिए, जिससे हमारी आने वाली पीढियों का भविष्य सुरक्षित रहे।
अपने साथ साथ, समाज मे रहने वाले और लोगों कर हित में सोचना भी न केवल हमारा फ़र्ज़ है बल्कि हमारा धर्म भी है।