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World Day against Child labour

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मेरे प्यारे दोस्तो, एक तरफ तो मैं भारत का नागरिक होने पर बहुत गर्व महसूस करता हूँ, हालांकि, वहीं दूसरी तरफ यह तथ्य मुझे शर्मिंदा करता है, कि हमारा देश पूरे विश्व में बाल मजदूरों की बड़ी संख्या का घर है। वो भी केवल कुछ लालची और चालाक भारतीय नागरिकों के कारण, जो छोटे से बच्चों को जोखिम वाली मजदूरी के कार्यों में बहुत कम वेतन पर अधिक लाभ प्राप्त करने के लिए लगाते हैं। वो कभी भी अपने देश के विकास के बारे में नहीं सोचते; वो बहुत स्वार्थी होते हैं और केवल अपना लाभ चाहते हैं। सबसे अधिक बाल श्रमिक ग्रामीण क्षेत्रों में, कृषि में, और शहरी इलाकों में – खनन, जरी, कढ़ाई आदि उद्योगों में पाये जाते हैं।

बाल मजदूरी के कारण

बाल मजदूरी के कुछ प्रमुख कारण गरीबी, सभी के लिए आधारभूत सुविधाओं की कमी, सामाजिक सुरक्षा की कमी आदि है। समाज में अमीर और गरीब लोगों के बीच बहुत बड़ा अन्तर, आधारभूत सुविधाओं की सीमितता और बहुत बड़े स्तर पर असमानता है। इस प्रकार के सामाजिक मुद्दे समाज में, विशेषरुप से गरीबों के बच्चों पर अन्य आयु वर्ग की तुलना में प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं।

बेकार व लाचार स्थिति और कम ज्ञान के कारण, गरीब बच्चे कम वेतन पर कठिन कार्य करने को तैयार हो जाते हैं, वहीं वो शहरी क्षेत्रों में घरेलू नौकर की तरह प्रयोग किये जाते हैं। बाल श्रम की यह हालत लगभग गुलामी की स्थिति जैसी ही दिखती है।
अधिकतर गरीब माता-पिता बच्चों को जन्म केवल रुपये कमाकर उनकी वित्तीय स्थिति को मजबूत करने के लिए देते हैं। वो अपने बच्चों को घरेलू कामों में अपने सहयोगी के रुप में शामिल करते हैं। हम आमतौर पर बच्चों को चाय के स्टालों, ढाबों, होटलों और अन्य जोखिम वाले कार्य को करते हुए देखते हैं।

यह देखा गया है कि बाल मजदूरी में शामिल बच्चे सामान्य रुप से अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, अन्य पिछड़े वर्ग और मुस्लिम वर्ग से जुड़े होते हैं। इसका अर्थ है कि जातिवाद भारत में बाल श्रम का बड़ा कारण है। इस तरह के एक उन्नत युग में इसके अस्तित्व के कारण अप्रभावी कानून, बुरी प्रशानिक व्यवस्था, इसे पूरी तरह से खत्म करने की राजनीतिक इच्छा की कमी और नियोक्ताओं को भारी लाभ हैं।

बाल मजदूरी बंधक मजदूरी

बाल मजदूरी का एक और दूसरा रुप बंधक बाल मजदूरी भी है जो सामान्यतः अनौपचारिक क्षेत्रों में पायी जाती है। इसमें, गरीब बच्चे एक नियोक्ता के अधीन ऋण, वंशानुगत ऋण या परिवार द्वारा सामाजिक कर्तत्व के कारण बंधक बन जाते हैं। हम बंधुआ मजदूरी को गुलामी का एक रुप कह सकते हैं। बंधुआ बाल मजदूर शारीरिक और यौन शोषण और किसी भी प्रकार की लापरपवाही के कारण मौत की ओर उन्मुख हैं। वो मानसिक और मनोवैज्ञानिक रूप से बीमार हो जाते हैं और उनके पास जीवित रहने के लिए अन्य कोई विकल्प नहीं होता है।

देश के युवा होने के नाते, हमें राष्ट्र के लिए अपने दायित्वों को समझना चाहिये और इस सामाजिक मुद्दे का उन्मूलन करने के लिए कुछ सकारात्मक कदम उठाने चाहिये।

डेरा सच्चा सौदा संस्था ने बाल मजदूरी को रोकने के लिए क लिए कईं कदम उठाए हैं। इनमें से कुछ प्रमुख हैं-

– गरीब बच्चों के लिए शाह सतनाम जी शैक्षिक संस्थानों में मुफ़्त पढ़ाई
– गरीब बच्चों को स्टेशनरी, यूनिफार्म, पेन इत्यादि देना।
– अनुयायियों द्वारा गरीब बच्चों को विद्या दान देना, उन्हें कैरियर कॉउंसलिंग देना व ट्यूशन देना।
– संत डॉ गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की प्रेरणा द्वारा 6.5 करोड़ से अधिक लोगों ने बाल श्रम न करवाने का व इसे रोकने का प्रण लिया है।

आइये, बाल श्रम के खिलाफ इस विश्व दिवस पर हम सभी यह सुनिश्चित करें कि हर बच्चे को अपना बचपन जीने को मिले। हम सब इस दिशा में कदम बढ़ाएं और अपने देश से बाल श्रम को हमेशा के लिए ख़त्म कर दें।

धन्यवाद।

यदि सुरक्षित होगा बचपन, बन जायेगा भविष्य उज्ज्वल

जय हिन्द, जय भारत।