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विश्व जनसंख्या दिवस- हर वर्ष 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस के रूप में मनाया जाता है।

इसकी शुरुआत कब हुई

इस दिन की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) की संचालित परिषद द्वारा पहली बार 1989 में हुई।  जब विश्व की आबादी का आंकड़ा 5 अरब के पास पहुंच गया। संयुक्त राष्ट्र की गवर्निंग काउंसिल के फैसले के अनुसार साल 1989 में विकास कार्यक्रम में विश्व स्तर पर समुदाय की सिफारिश के द्वारा यह तय किया गया कि हर वर्ष 11 जुलाई को ‘विश्व जनसंख्या दिवस’ के रुप में मनाया जाएगा ।

इस दिवस को मनाने का उद्देश्य 

इस दिवस का जरूरी और सबसे अहम उद्देश्य दुनिया भर में बढ़ रही आबादी को नियंत्रित करने के लिए लोगों को जागरूक करना है।इस दिन को मनाने के पीछे का उद्देश्य विश्व में हर 2 सेकेंड में बढ़ रही आबादी के मुद्दे पर लोगों को जागरुक करना है। इस दिन नेशनल इंटरनेशनल लेवल पर कई कार्यक्रम किए जाते हैं। जिसमें सोशल मीडिया, विभिन्न कार्यक्रमों व सभाओं का आयोजन किया जाता है। रैलियां निकाली जाती है, रोड शो होते हैं।इसका उद्देश्य लोगों को जागरुक करना है।

इस बार विश्व जनसंख्या दिवस 2020 की थीम 

इस साल की थीम विशेष रूप से कोविड-19 महामारी के समय में विश्व भर में लड़कियों और महिलाओं के स्वास्थ्य अधिकारों की सुरक्षा पर आधारित है। हाल ही में यूएनएफपीए के एक शोध में पाया गया, अगर लॉकडाउन छह माह तक रहता है, और स्वास्थ्य सेवाओं में कमी होती है। तो कम और मध्यम आय वाले देशों में 47 मिलियन महिलाओं को आधुनिक गर्भ निरोधक दवाएं नहीं मिल पाएगी।

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विश्व की जनसंख्या 

वर्ष 1950 में जहां विश्व की आबादी 250 करोड़ थी। आज वह वर्तमान समय में यानी 2020 में 777 करोड़ को पार कर चुकी है। जो हर सेकंड बढ़ती ही जा रही है। इस बढ़ती आबादी में सबसे पहला स्थान चीन का है। जबकि भारत विश्व में दूसरे नंबर पर है। भारत में विश्व के कुल 17.9% लोग रहते हैं। विश्व में भारत के पड़ोसी देश चाइना के अलावा अधिक आबादी में पाकिस्तान पांचवे स्थान पर व बांग्लादेश आठवें स्थान पर है।

भारत की वर्तमान जनसंख्या 137 करोड़ से भी अधिक है। जो लगातार बढ़ रही है।

विश्व में बढ़ती जनसंख्या के कारण 

1. शिक्षा की कमी 

अक्सर शिक्षा के अभाव के कारण लोग छोटे परिवार के महत्व को नहीं जानते। इस कारण अज्ञानतावश निरंतर संतानोत्पत्ति होती रहती है।

2. कम आयु में विवाह 

ग्रामीण तथा अशिक्षित परिवारों में आज भी बाल विवाह की प्रथा प्रचलित है। कानूनी प्रतिबंधों के बावजूद भी कम आयु में ही अनेक विवाह संपन्न हो जाते हैं। जिनके कारण कम आयु में ही दंपती संतान उत्पन्न करने लगती है।

3. सामाजिक रीति-रिवाज

 हमारे समाज में लोगो के घरो में  पुत्र का जन्म आवश्यक माना जाता है। लोगों का मानना है कि वंश का नाम पुत्र से ही चलता है। अंतः पुत्र प्राप्ति की कामना को लेकर लोग अनचाहे ही संतानें पैदा करते रहते हैं। जो जनसंख्या वृद्धि का कारण बनती है।

4. मृत्यु दर में कमी

 आधुनिक चिकित्सा, सुविधा के फल स्वरुप मृत्यु दर में कमी आई है। महामारी कुपोषण के कारण होने वाली मृत्यु दर बहुत कम हो गई है। यह सब स्वास्थ्य सुधार के कारण संभव हो पाया है। जिस से जनसंख्या वृद्धि बढ़ रही है।

5. गरीबी 

हमारे देश की जनता का रहन-सहन निम्न स्तर का है। वह इस बात से में विश्वास रखते हैं, कि जितने अधिक बच्चे होंगे में काम करके अधिक पैसा कमाएंगे।

जनसंख्या वृद्धि से होने वाले नुकसान 

1. खाद्य सामग्री की समस्या

 देश की जनसंख्या में लगातार वृद्धि होने के कारण खाद्य पदार्थों की कमी होती जा रही है और इसका अभाव होने के होने से बच्चों का शारीरिक विकास नहीं हो पाता, पोषण की कमी होती है, और खाद्य सामग्री के अभाव के कारण महंगाई बढ़ रही है।

2. शिक्षा की समस्या 

जनसंख्या वृद्धि के कारण बहुत से बच्चे विद्यालय में प्रवेश नहीं कर पाते। वे शिक्षा से वंचित रह जाते हैं। इससे बच्चों का शारीरिक व मानसिक विकास नहीं हो पाता।

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3. रोजगार की समस्या 

बढ़ती जनसंख्या के कारण रोजगार के साधन नहीं बढ़ पाते इसके कारण देश भर में बेरोजगारी तेजी से बढ़ती है। 

4. आवास की कमी

 जनसंख्या वृद्धि के कारणअधिकांश लोग गंदे व प्रकाश हीन घरों और झोपड़ियों में रहते हैं।उन्हें खाना नहीं मिलने के कारण कुपोषण का शिकार भी होना पड़ता है। बहुत से लोग सड़क के किनारों पर ही रहते हैं।

5. चिकित्सा व्यवस्था की समस्या

लगातार बढ़ती जनसंख्या के कारण अस्पतालों में अधिक भीड़ रहती है। रोगियों की देखभाल सही तरीके से नहीं हो पाती।

6. प्रदूषण 

जनसंख्या वृद्धि के कारण जल,वायु और मृदा प्रदूषण भी बढ़ रहा है।

7. संक्रामक रोग 

जनसंख्या वृद्धि के कारण संक्रामक रोग बढ़ रहे हैं। जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलते हैं।

8. कृषि भूमि का  बटवारा 

परिवार में वृद्धि होने से कृषि पर अधिक भार पड़ता है और परिवार का बंटवारा होने से भूमि को छोटे-छोटे टुकड़ों में बांट दिया जाता है। जिससे परिवार की आर्थिक स्थिति खराब होती है।

जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करने के सुझाव

1. कानून व्यवस्था 

भारत में जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए संविधान में कठोर कानूनी व्यवस्था होनी चाहिए। सरकार ने विवाह योग्य लड़की की आयु 18 वर्ष की आयु और लड़क की आयु 21 वर्ष निर्धारित की है। लेकिन इस कानून का भी कठोरता से पालन नहीं हो पा रहा है।

2. उचित शिक्षा व्यवस्था 

 जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए उचित शिक्षा व्यवस्था अति जरूरी है। शिक्षा के माध्यम से ही परिवार को सीमित रखने की प्रेरणा दी जा सकती है।

3. सीमित परिवार 

भारत वर्ष में लगभग  10 करोड परिवार ऐसे हैं जिनकी वैवाहिक आयु निर्धारित आयु से कम है। इन्हें शिक्षित करके परिवार को सीमित रखने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।

4. परिवार कल्याण संबंधी कार्यक्रमों में रुचि

परिवार को सीमित रखने के लिए सरकार द्वारा ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन किया जाना चाहिए। जिनसे लोगों को प्रोत्साहन मिल सके और वे परिवार कल्याण कार्यक्रमों में रुचि ले।

5. आर्थिक सुधार

 उचित रोजगार के अवसर उपलब्ध कराकर व्यक्ति के आर्थिक स्तर में सुधार लाया जा सकता है।