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guru purnima ka mahatva

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गुरु के प्रति आदर-सम्मान और अपनी कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए यह विशेष पर्व गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। भारत में, गुरु पूर्णिमा हमेशा गुरु-शिष्य परम्परा या शिक्षकों और उनके छात्रों के बीच के अनोखे संबंधों के लिए बहुत खास दिन रहा है। आइए जानते हैं कि 2020 में Guru Purnima Kab Hai और इस दिन के बारे में सब कुछ।

इस वर्ष गुरु पूर्णिमा कब है?

यह पर्व हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास की जून-जुलाई के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस साल यह पर्व 5 जुलाई 2020 को मनाया जा रहा है। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार हर साल गुरु पूर्णिमा जुलाई में ही आती है। इस बार यह 16 जुलाई को है।

गुरु पूर्णिमा का हमारे हिंदू धर्म में विशेष महत्व है हिंदुओं में गुरु का स्थान सर्वश्रेष्ठ है। हमारे यहां गुरुओं को भगवान से भी ऊपर का दर्जा दिया गया है। गू का अर्थ है अंधकार और उनका अर्थ है प्रकाश।

अर्थात – वह गुरु ही है जो अज्ञानता रूपी अंधकार में प्रकाश रूपी दीपक जला दें। जो हमें सही मार्ग दिखाएं। यही कारण है कि देशभर में गुरु पूर्णिमा का उत्सव बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है।

माना जाता है कि इस दिन तमाम ग्रंथों की रचना करने वाले महर्षि कृष्ण द्वैपायन व्यास यानी महर्षि वेदव्यास जी का जन्म हुआ था। वे संस्कृत के महान विद्वान थे।

महाभारत जैसा महाकाव्य भी इन्हीं की देन है।

सभी 18 पुराणों के रचयिता महर्षि वेदव्यास जी को माना जाता है। वेदों को विभाजित करने का श्रेय इन्हीं को दिया गया है। इसीलिए तो इनका नाम वेदव्यास पड़ा था। इनको आदिगुरु भी कहा जाता है।

इसी कारण गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु की पूजा की जाती है। इस बार गुरु पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण (Lunar Eclipse) भी है।

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गुरुओं का हमारे जीवन में महत्व

Guru Purnima Ka Mahatva: इस संसार में गुरु के बिना शिष्य के जीवन का कोई अर्थ नहीं है। आदि काल से ही,अर्थात रामायण से लेकर महाभारत तक गुरुओ का स्थान ऊंचा व महत्वपूर्ण रहा है। गुरु की महत्वता को देखते हुए संत कबीर दास जी ने अपने एक दोहे में लिखा है।

गुरु गोविंद दोऊ खड़े काके लागू पाए।
बलिहारी गुरु अपने गोविंद दिए मिलाए।।

अर्थात – गुरु का स्थान भगवान से भी कहीं जाता ऊपर होता है। गुरु पूर्णिमा का यह पर्व महर्षि वेदव्यास जी के जन्म दिवस के रुप में मनाया जाता है। महर्षि वेदव्यास जी जो कि पराशर जी के पुत्र थे। इन्होने चारों वेदों को अलग-अलग खंडों में विभाजित करके उनके नाम ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अर्थ वेद रखे थे। वेदों का इस तरह खंडों में करने के कारण से ही ये वेदव्यास जी के नाम से प्रसिद्ध हुए।

गुरु पूर्णिमा की पूजा विधि

जैसा कि ऊपर भी जिक्र हुआ है, कि हमारे हिंदू धर्म में गुरुओं का दर्जा भगवान से भी बढ़कर है। गुरुओं के द्वारा ही ईश्वर की प्राप्ति की जा सकती है। तो आइए जानते हैं ऐसे में हमे अपने गुरु की पूजा किस तरह करनी चाहिए।

  • सबसे पहले गुरु पूर्णिमा के दिन जल्दी उठकर स्नान करने के बाद साफ-सुथरे वस्त्र ग्रहण करें।
  • फिर अपने गुरु की प्रतिमा या चित्र को सामने रखकर पूजा अर्चना करें।
  • इस दिन हम किसी भी ऐसे इंसान की पूजा कर सकते हैं जिसे हम अपना गुरु मानते हैं। फिर चाहे
    वह हमारे गुरु हो शिक्षक, माता-पिता, भाई-बहन या दोस्त ही क्यों ना हो।
  • इस दिन हम किसी गरीब व जरूरतमंद इंसान की मदद कर सकते हैं।
  • जैसा कि आप सभी को पता है। बाहर कोरोना चल रहा है तो ऐसे में प्रयास करें कि अपने घर में रहकर ही अपने गुरु की पूजा अर्चना करें, ध्यान व सिमरन करें।

अपने गुरु के सामने जब भी जाए तो उन्हें झुककर प्रणाम करें क्योंकि

“जो झुक गया सो पा गया।

जो तन गया सो गवा गया।।”

गुरु ऐसा हो जो लोगों के नशे छुड़वाए, बुराइयां छुड़वा कर इंसानियत का पाठ पढ़ाए, किसी जरूरतमंद व गरीब की मदद करने की प्रेरणा दे। इस कलयुग में ऐसे गुरु होना गुरु का होना बहुत जरूरी है।