गुरु पूर्णिमा का त्योहार आषाढ़ माह में पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस बार गुरु पूर्णिमा 24 जुलाई 2021 शनिवार को मनाई जा रही है। इस दिन महाभारत के रचियता गुरु वेद व्यास जी का जन्म हुआ था उन्हें सम्मान देने के लिए उनके जन्मदिन को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। आषाढ़ मास की पूर्णिमा को ही गुरु पूर्णिमा कहा जाता है।
गुरु शब्द का अर्थ –
गुरु शब्द दो शब्दों ‘गू‘और ‘रू’ के मेल से बना है। ‘गू का अर्थ अंधकार और ‘रू’ का अर्थ प्रकाश अर्थात जो अपने शिष्य को अज्ञानता रूपी अंधकार से बाहर निकाले और ज्ञान की ज्योति जलाएं उसे गुरु कहा जाता है।
गुरु वह होता है जो हमें आध्यात्मिक ज्ञान देकर हमें सामाजिक जीवन में जीना सिखाता है।
क्यों मनाया जाता है गुरु पूर्णिमा का त्योहार –
गुरु पूर्णिमा उन सभी आध्यात्मिक और अकादमिक गुरुजनों को समर्पित परंपरा है, जिन्होंने कर्म योग आधारित व्यक्तित्व विकास और बिना किसी मौद्रिक खर्च के अपनी बुद्धिमता को सांझा किया। इस उत्सव को महात्मा गांधी ने अपने अध्यात्मिक गुरु श्री मद राजचंद्र को सम्मान देने के लिए पुनर्जीवित किया। ऐसा भी माना जाता है कि व्यास पूर्णिमा वेद व्यास के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है।
क्यों कहते हैं व्यास पूर्णिमा –
गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा इसलिए कहा जाता है, क्योंकि इस दिन महाभारत के रचयिता वेदव्यास का जन्म हुआ था। वेदव्यास ने छह शास्त्र व अठारह पुराणों की रचना की थी। उन्होंने महाभारत के साथ-साथ श्रीमद् भागवत और ब्रह्म सूत्र जैसे पुराणों की रचना भी की थी। उन्होंने श्रीमद् भागवत पुराण में भगवान विष्णु के 24 अवतारों का वर्णन किया। व्यास जी ने सबसे पहले अपने शिष्य और मुनियों को वेदों और पुराणों का ज्ञान दिया था। इसी कारण इस तिथि को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है।
गुरु पूर्णिमा को मनाने का उद्देश्य –
गुरु पूर्णिमा का पर्व पूरे देश भर में बढ़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस पर्व को मनाने का उद्देश्य जीवन में गुरु के महत्व, त्याग को समर्पित है। जोकि आने वाली पीढ़ियों को गुरु और शिक्षक के महत्व को बताना है।
जीवन में गुरु का महत्व –
गुरु के बिना किसी भी मनुष्य की गति नहीं हो सकती। बिना गुरु के कोई भी मनुष्य का जीवन अधूरा है। अपने जीवन के हर लक्ष्य तक पहुंचने के लिए हमें गुरु के ज्ञान की बहुत आवश्यकता होती है। फिर चाहे वह कोई भी क्षेत्र हो पढ़ाई हो, धार्मिक हो या अन्य क्षेत्र गुरु के बिना हम अपने लक्ष्य तक नहीं पहुंच सकते। गुरु के बिना हमें अपने असली जीवन की समझ नहीं आ सकती।
कैसा होता है एक सच्चा गुरु –
सच्चा गुरु वह होता है, जो किसी से कुछ लेता नही बल्कि बदले में झोलिया खुशियों से भर देता है।गुरु एक मोमबत्ती की तरह होता है, जो खुद जलकर दूसरों की अंधेरी जिंदगी में उजाला करता है। गुरु की महिमा को हम लिख बोल कर ब्यान नहीं कर सकते।
गुरु के बिना जीवन –
सच्चे गुरु के बिना हमारा जीवन ऐसा होता है, जैसे पानी के बिना मछली। क्योंकि एक सच्चा गुरु ही है, जो हमें जीवन जीना सिखाता है। मां बाप के बाद हमें जीवन की सही दिशा दिखाता है और जीवन के मुल्य को बताकर जीवन जीना सिखाता है।
कैसे मनाई जाती है गुरु पूर्णिमा –
आषाढ़ पूर्णिमा का अपना एक अलग स्थान है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान किया जाता है और दान के लिए ये महत्वपूर्ण तिथि मानी जाती है। आषाढ़ पूर्णिमा के दिन गुरु पूजन भी किया जाता है। गुरु मंत्र प्राप्त करने के लिए यह दिन काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन आप जिसे भी गुरु मानते हैं, उसके प्रति सम्मान व्यक्त किया जाता है और गुरु की पूजा की जाती है। क्योंकि उनके ज्ञान के प्रकाश से जीवन का अंधकार दूर हो जाता है और ईश्वर की प्राप्ति होती है। गुरु का ज्ञान ही जीवन के हर मोड़ को आलोकित करने में सक्षम होता है। प्राचीन काल से लेकर आज तक गुरु शिष्य की परंपरा चली आ रही है। इस दिन केवल गुरु ही नहीं, बल्कि परिवार के भी सभी बड़े सदस्यों के प्रति आभार व्यक्त करना चाहिए और उनको गुरु तुल्य समझ कर आदर करना चाहिए।
निष्कर्ष –
गुरु का हमारे जीवन में बहुत महत्व है। गुरु के मार्गदर्शन के बिना लक्ष्य की प्राप्ति असंभव है। इसलिए अपने जीवन में गुरु के मार्गदर्शन से हम अपने लक्ष्य की प्राप्ति कर सकते है। गुरु के ज्ञान से हम सही मार्ग अपनाकर अपनी चुनौतियों को कम करके अपने जीवन का सुधार कर सकते हैं और खुशी-खुशी जीवन व्यतीत कर सकते है।