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Cricket World Cup 2023: Did India lose the World Cup because of the Law of averages?

Cricket World Cup 2023: वर्ल्ड कप के फाइनल मुकाबले में भारतीय टीम(Indian team) जैसे ही ऑस्ट्रेलिया टीम से हारी, वहाँ पर उपस्थित तमाम क्रिकेट एक्सपर्ट्स और सांख्यिकीविद् (Statistician) इसके लिए Law of Average को जिम्मेदार ठहराने लगे। जब टीम इंडिया लीग मैच के आखिरी पड़ाव पर थी, तब भी कुछ एक्सपर्ट्स का कहना था कि बेहतर होता कि नॉक आउट में पहुँचने से पहले भारतीय टीम एक या दो लीग में हार जाती।

विश्व कप में टीम इंडिया के हारने का क्या है असली कारण? क्या लॉ ऑफ एवरेज है इसका असल कारण? जानिए टीम इंडिया के हारने की क्या है असली कहानी?

ICC विश्व कप का आयोजन कब, कहां किसके बीच-

ICC विश्व कप का मैच 5 अक्टूबर को शुरू हुआ था और गत 19 नवंबर को इसका फाइनल मैच हुआ। यह मैच भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच हुआ। जिसमें ऑस्ट्रेलिया टीम ने मैच में जीत हासिल की।

इस बार विश्व कप में 10 टीमों ने भाग लिया। अबकी बार क्रिकेट इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ की पूरे क्रिकेट विश्व कप का आयोजन भारत में हुआ। यह मैच अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में हुआ।

विश्व कप में भारत की सेमी फाइनल में जीत –

भारत ने सेमी फाइनल में अपनी जगह बनाने के लिए 10 मैच लगातार जीते। सेमी फाइनल में भारत ने न्यूजीलैंड को हराकर अपनी जगह निश्चित की। अब सभी भारतवासियों की उम्मीद भारत को फाइनल विश्व कप में जीतता हुआ देखने की थी। लेकिन ऑस्ट्रेलिया ने फाइनल मुकाबले में शानदार जीत हासिल की।

भारत के फाइनल मुक़ाबले में हारने के कईं कारण सामने रख रहे हैं। कुछ का मानना है कि भारत लॉ ऑफ एवरेज के कारण ये मैच हार गया है। लेकिन असली कारण आखिर क्या है जिससे भारत इस बार विश्व कप में जीत हासिल नहीं कर पाया?

क्या है लॉ ऑफ एवरेज का नियम –

कुछ क्रिकेट एक्सपर्ट्स के मुताबिक़ फाइनल विश्व कप में भारत की हार का कारण लॉ ऑफ एवरेज यानी “ओसत का नियम ” बताया जा रहा है।

आखिर ये नियम क्या है ?

क्रिकेट एक्सपर्ट्स के अनुसार कोई भी टीम लगातार जीत हासिल नहीं कर सकती। भारत लगातार 10 मैच जीत चुका था। तो इस लॉ ऑफ एवरेज नियम के अनुसार संखियिकीविदों का मानना था कि देर सवेर भारत को हराना ही था। क्या भारत की हार का ये असली कारण है ? अगर ऐसा है तो ऑस्ट्रेलिया टीम भी लगातार 11 मैच जीतकर फाइनल में शामिल हुई है।

यह केवल एक अवधारणा है। इसका भारत की हार से कोई लेना देना नहीं है। भारत की विश्व कप में हार का असल कारण कुछ और ही है।

फिर से पैरोल पर बाहर आ सकता है राम रहीम : जानिए बाबा राम रहीम की ज़िंदगी से जुड़े रहस्य

अक्सर सुर्ख़ियों में रहने वाले बाबा राम रहीम की पैरोल को लेकर चल रही चर्चा को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। सूत्रों के अनुसार पता चल रहा है कि बाबा राम रहीम जल्द ही पेरोल पर बाहर आ सकते है। गुरमीत राम रहीम जिन्हें अक्सर लोग “राम रहीम” के नाम से भी जानते है। पिछले कुछ सालों से अक्सर सुर्ख़ियों में बना रहता है और बाबा राम रहीम सिंह के सुर्ख़ियों में बने रहने के पीछे एक बड़ी कहानी है।

अगर हम बाबा राम रहीम की कहानी के बारे में बात करें, तो डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख है। बाबा एक प्रसिद्ध गुरू है, जिनके अनुयायी देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी है। सुर्ख़ियों में रहने वाले बाबा राम रहीमको देश का बच्चा-बच्चा जानता है।

फिलहाल, सुर्खियों में बाबा की पैरोल का विषय है-
एक ऐसा विषय जो राम रहीम की खबरों में सुर्ख़ियों में बना हुआ है। जिस पर बहुत से लोग विवाद करते है और अक्सर उनके यह प्रश्न होते हैं की आख़िर बाबा राम रहीम को इतनी बार पैरोल क्यों दी जाती है? बाबा आख़िर पैरोल पर आने के बाद करते क्या हैं? बाबा राम रहीम की कहानी में जो दिखता है, क्या यही सच्चाई है या उससे अधिक कुछ है?

यह पोस्ट यहां बाबा गुरमीत राम रहीम पैरोल की दिलचस्प दुनिया के बारे में लोगों के मन में जो सवाल है उनको गहराई तक जाकर स्पष्ट करने के लिए है।
आइए एक-एक करके राम रहीम समाचार पर विचार करते हुए, राम रहीम की कहानी पर गौर करें।

क्या पैरोल मिलना सचमुच एक कानूनी अधिकार है?
अक्सर पैरोल कैदी की अस्थायी रूप से रिहाई होती है, लेकिन यह पैरोल कैदी के अनुरोध पर दी जाती है जबकि पैरोल मिलना कैदी का क़ानूनी अधिकार है। पैरोल सरकार द्वारा जेल में बंद लोगों को दिया गया एक मौका है। जिसका उद्देश्य है कि क़ैदी को कुछ समय तक जेल में रहने के बाद सामान्य जीवन में वापस आने में मदद मिलेती है। बाबा राम रहीम की कहानी के मामले में, यह जानना महत्वपूर्ण है कि उन्हें पैरोल देना कोई साधारण बात नहीं है। इस बारे में हरियाणा सरकार का कहना है कि वह राम रहीम को पैरोल देकर कानून का पालन कर रहे है।

आख़िर कितने समय तक पैरोल मिल सकती है-
पैरोल की अवधि एक महीने तक बढ़ाई जा सकती है जबकि फरलो ज्यादा से ज्यादा 21 से 28 दिन के लिए दिया जा सकता है।इन नियमों के मुताबिक उन्हें साल में 70 दिन तक की पैरोल व 21 से 28 दिनकी फ़र्लो मिल सकती है। व 3 साल की जेल में रहने के बाद ये किसी भी क़ैदी का हक़ होती है! इसलिये अगर अपने देश के क़ानून के अनुसार देखा जाए तो राम रहीम पैरोल कोई राजनातिक सहायता दाव पच नहीं है बल्कि कानूनन अधिकार है।

बाबा राम रहीम को कितनी बाबा मिल चुकी है पैरोल?
बाबा राम रहीम इस से पहले चार बार पैरोल पर युपी के बागपत आश्रम में रह चुके है। आपको बता दें यह आश्रम डेरा सच्चा सौदा के दूसरे गुरु शाह सतनाम सिंह जी द्वारा बनाया गया था।
बाबा राम रहीम सबसे पहले 2022 में 17 जून को 30 दिन के लिए आए थे, इसके बाद अक्टूबर में 40 दिन के लिए, फिर साल 2023 में जनवरी में और जुलाई में युपी डेरे में पधारे थे।

क्या सच में बाबा राम रहीम की पैरोल को लेकर दी जा रही है अतिरिक्तप ढील?
इस बारे में दिल्ली हाईकोर्ट के अधिवक्ता अरुण शर्मा से जब पूछा गया कि क्यात राम रहीम को ढील देते हुए बार-बार पैरोल दी जा रही है? इस अधिवक्ता ने कहा कि ऐसा बिलकुल भी नहीं है। अगर कोई भी कैदी अपनी सजा का कुछ हिस्साई जेल में बिता चुका है और इस दौरान उसका व्यंवहार और आचरण ठीक रहा है तो उसे पैरोल दी जा सकती है। उन्होंबने बताया कि हर साल तिहाड़ जेल से सैकड़ों कैदी पैरोल पर बाहर आते हैं। उन्होंने बताया दरअसल, जब हम बड़े मामलों से जुड़े अपराधियों पर ज्या‍दा गौर करते हैं, तो हमें लगता है कि उनको अतिरिक्त सुविधा दी जा रही है। जबकि स्पंष्टय ऐसा बिलकुल नहीं होता है। यह राज्यग सरकार का विशेषाधिकार होता है। अगर सरकार को लगता है कि सजा काट रहे व्येक्ति के आचरण में सुधार है, उसके आवेदन का आधार मजबूत है और उसकी रिहाई से कोई नुकसान नहीं है तो उसे पैरोल दी जा सकती है।

बाबा राम रहीम की पैरोल के बारे में लोगों की प्रतिक्रिया-
आइए जानते है कि आख़िर राम रहीम की पैरोल के बारे में लोग वास्तव में क्या सोचते हैं। राम रहीम की पैरोल इन दिनों सुर्खियों में बनी हुई है। यह एक ऐसा विषय है जिस पर समाचारों और जनता दोनों में खूब चर्चा हो रही है। राम रहीम सिंह की पैरोल की ख़बर आते ही काफी हलचल पैदा हो जाती है। सिक्के के अगर एक पहलू की तरफ़ देखें तो कुछ लोग बाबा राम रहीम की पैरोल की ख़बर सुनते ही टीवी चैनल सक्रिय हो जाते है वि शुरू हो जाता है वाद विवाद! कुछ लोग इसको ग़लत बताते है तो बहुत बड़ी संख्या में ऐसे लोग भी हैं, जो बाबा राम रहीम के आने का बेसब्री से इंतज़ार करते है। इन लोगों का मानना है कि जब इनके गुरु जी पैरोल पर आते हैं, तो वह अपने श्रद्धालुओं को इंसानियत की शिक्षा व परहित कार्यों को करने का आह्वान करते है। हैरानी कर देने वाली बात यह है कि इन लोगों का मानना है कि बाबा राम रहीम हर नेक कार्य की शुरुआत स्वयं करते हैं उसके बाद ही लोगों को वह कार्य करने का आह्वान करते है ।

पैरोल पर आने के बाद आख़िरकार करते क्या हैं बाबा राम रहीम?
राम रहीम की पैरोल की कहानी को गहराई से जानते कि वह जेल के बाहर अपना समय कैसे बिताते हैं। हालाँकि बाबा को कई बार पैरोल मिल चुकी है। लेकिन अभी भी उनके आने की ख़बर सुर्ख़ियों में है। सूत्रों से पता चला है कि बाबा राम रहीम पैरोल पर जल्द ही आ सकते हैं। लेकिन गौर करते है कि इन अवधियों के दौरान बाबा करते क्या है।

पैरोल के दौरान बाबा राम रहीम ने शुरुआत की नशा मुक्त अभियान की और नाम दिया “डैप्थ मुहीम”-
बाबा राम रहीम पैरोल में एक महत्वपूर्ण पहल जो सामने आई है वह है “डेप्थ मुहीम”। इस अभियान की शुरुआत खुद गुरुमीत राम रहीम ने की थी। इस मुहीम का उद्देश्य देश को, विशेषकर युवा पीढ़ी को नशीली दवाओं की लत और अन्य मादक द्रव्यों के सेवन से बचाना है।
राम रहीम की पैरोल के दौरान शुरू हुआ यह अभियान युवाओं को नशे रूपी दैत्य को समाज से दूर भगाने व युवा पीढ़ी को नशे की लत से उबरने के लिए सशक्त बनाता है। लोगों का दावा है कि इस मुहीम से जुड़कर लाखों लोगों ने नशे रूपी दैत्य का त्याग किया है।

क्योंकि बाबा एक किसान है तो इस टाइम में बाबा काफ़ी समय खेती को देते हैं व खेती के आधुनिक तरीको को आज़माते है और साथ ही ये अपने सोशल मीडिया के माध्यम से दूसरो को भी बताते हैं। इस तरह से बाबा लगभग अपना समय कोई ना कोई नया सामाजिक उत्थान कार्य करने में लगाते है।

यूपी के बागपत प्रशासन से माँगी गई बाबा राम रहीम की रिपोर्ट-
डेरा प्रमुख बाबा राम रहीम एक बार फिर जेल से बाहर आ सकते हैं। सरकार एक बार फिर बाबा राम रहीम को जेल से बाहर निकालने की तैयारियां कर रही है। इसके लिए बाबा राम रहीम ने जेल के प्रशासन को पैरोल के लिए अर्ज़ी लगाई हुई है। इसके लिए बाबा राम रहीम के चाल-चलन व व्यवहार की रिपोर्ट यूपी के बागपत प्रशासन से माँगी गई है। जिसके बाद ही बाबा राम रहीम जेल से बाहर जल्द आ सकते है।

पैरोल देने का फैसला करना आसान नहीं होता है।यह रस्सी पर चलने जैसा होता है। किसी व्यक्ति के मौलिक अधिकारों और बाकी सभी की सुरक्षा के बीच संतुलन बनाए रखने की कोशिश करना बड़ा कठिन होता है। लेकिन बाबा के केस में ऐसा नहीं है और यह भी याद रखना महत्वपूर्ण है कि पैरोल से अच्छे बदलाव आ सकते हैं। जो यह दिखाते हैं कि वे बदलाव लाना चाहते हैं और समाज की मदद करना चाहते हैं, तो उन्हें वह मौका मिलना चाहिए। डेरा प्रमुख बाबा राम रहीम के मामले में, उनकी पैरोल को उनकी रिहाई के दौरान उनके द्वारा किए गए अच्छे कामों के खुली आँखों से से देखा जाना चाहिए।

निष्कर्ष
आज आपके साथ पैरोल से जुड़ी कुछ बातें साँझा की और आपने बाबा राम रहीम से जुड़ी कुछ बातें जानी।बाबा द्वारा किए जा रहे समाज भलाई के कार्यों को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता है। उनका आचरण इस बात पर पुनर्विचार करने के लिए कहता है कि हम उसकी पैरोल को कैसे देखते हैं सकारात्मक या नकारात्मक!

Baba Ram Rahim Parole news: बाबा राम रहीम एक बार फिर आएगा जेल से बाहर, 21 दिन के लिए हुई पैरोल मंजूर

लगातार सुर्खियों में छाए जाने वाले बाबा राम रहीम (Gurmeet Ram Rahim Singh) आजकल बड़ी चर्चा में हैं। मीडिया में बाबा राम रहीम की चर्चा का विषय है-पैरोल, जो उनको जल्द ही मिलने वाली है।
इससे पहले जुलाई माह में बाबा राम रहीम जेल से बाहर आए थे। डेरा सच्चा सौदा के चीफ बाबा राम रहीम (Dera Chief Baba Ram Rahim) के लिए 21 दिन की पैरोल मंजूर हो गई है। आपकी जानकारी के लिए बता दें इससे पहले राम रहीम 7 बार पैरोल पर आ चुके हैं।

इस बार बाबा राम रहीम (Ram Rahim Singh) पैरोल पर 21 दिन के लिए बाहर आ रहे हैं।

आपको बता दें कि राम रहीम 25 अगस्त 2017 से सुनारिया जेल में हैं। 3 साल के अंदर बाबा राम रहीम 184 दिन यानी 7 बार पैरोल पर जेल से बाहर आ चुके हैं। हरियाणा सरकार से राम रहीम की 21 दिन की पैरोल मंजूर कर दी है। इसलिए अबकी बार फिर बाबा राम रहीम 21 दिन की पैरोल पर बाहर आ रहे हैं।

पैरोल मिलने के बाद गुरमीत राम रहीम उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के बरनावा आश्रम डेरे में पधारेंगे। इससे पहले गुरमीत राम रहीम 20 जुलाई 2023 को 30 दिन की पैरोल पर आए थे और 15 अगस्त का जन्मदिन डेरा सच्चा सौदा की साध संगत ने बाबा राम रहीम के साथ मनाया था।

आपकी जानकारी के लिए बता दें, बाबा राम रहीम के पूरे विश्व में श्रद्धालु है, जो बाबा राम रहीम को भगवान मानते हैं और अनेकों मानवता भलाई के कार्य करके लोगों का सहारा बनते हैं। एक बार बाबा राम रहीम को अपनी मां के इलाज के लिए भी पैरोल मिली थी।
बाबा राम रहीम में कुछ तो ऐसी खूबियां हैं जिनके कारण उन्हें बार-बार पैरोल मिल रही है।

बार-बार पैरोल मिलने का कारण है बाबा का अच्छा व्यवहार जिसके कारण बाबा जी को बार-बार पैरोल मिलती है। यह सब ध्यान में रखा जाता है कि जब पैरोल मिलती है तो वहां का कैसा माहौल है? शायद सब कुछ अच्छा होने का कारण है बाबा को बार-बार पैरोल मिलना।

Digital Strike By Central Government against Fraud YouTube channels

भारत सरकार द्वारा की गई डिजिटल स्ट्राइक का मकसद-

आजकल सोशल मीडिया का जमाना है। हर कोई सोशल मीडिया से जुड़ा हुआ है और कोई भी न्यूज इंसान तक कुछ ही समय में पहुंच जाती है।

लोगों ने सोशल मीडिया को एक जरिया बना लिया है, अपनी बात दूसरों तक पहुंचाने का। अगर कोई फेमस चैनल किसी गलत न्यूज को भी अपलोड कर देता है, तब लोग उस पर बिना सोचे समझे विश्वास भी कर लेते हैं।

ऐसे में लोगों के अंदर, देश और समाज के प्रति नेगेटेविटी फैलाना आम बात बन जाती है।

सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने किया 18 फर्जी यूट्यूब चैनल को ब्लॉक-

सूचना और प्रसारण मंत्रायल ने यूट्यूब पर 18 भारतीय और 4 पाकिस्तानी चैनलों को ब्लॉक कर दिया है। ये चैनल्स भारतीय विरोधी कंटेंट और फेक न्यूज फैला रहे थे।

सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने एक रिपोर्ट में कहा है कि ये चैनल्स दर्शकों को गुमराह करने के लिए समाचार न्यूज चैनलों का इस्तेमाल कर रहे हैं। इन चैनल्स की व्यूअरशिप 260 करोड़ से अधिक थी।

इसलिए IT के नियम 2021 के तहत 18 भारतीय यूट्यूब चैनल और 4 पाकिस्तानी चैनलों को ब्लॉक कर दिया है। इसके साथ साथ 4 ट्विटर अकाउंट, 1 फेसबुक और 1 न्यूज साइट को भी ब्लॉक किया गया है।

फर्जी यूट्यूब चैनलों को ब्लॉक करने का कारण

सूचना और प्रसारण मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार ये चैनल्स भारतीय सशस्त्र बलों, जम्मू और कश्मीर जैसे विषयों को लेकर गलत अफवाहें फैला रहे थे।इसके साथ-साथ यूक्रेन की मौजूदा स्थिति को लेकर लोगों को गलत न्यूज दिखाई जा रही थी। इन चैनल्स का मकसद लोगों को भारत के विदेशी संबधों को खतरे में डालना है। इसी लिए ये चैनल्स भारत विरोधी कंटेंट पोस्ट कर रहे थे।

पहले भी सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा ऐसे 78 फर्जी यूट्यूब चैनल्स को ब्लॉक किया है, ताकि देश में गलत न्यूज से लोगों को गुमराह न किया जा सके।

इंजीनियर को हमारे समाज में रीढ़ की हड्डी के रूप में देखा जाता है। इंजीनियर के हाथों में जादू होता है, जो अपनी रचनाओं से दुनिया को मोहित व आकर्षित करते हैं। एक इंजीनियर ही होता है जो अपनी कला से भविष्य के काम को आसान बनाने के साथ-साथ परिपक्वता और क्षमता के उच्च स्तर तक पहुंंचाने के लिए उचित उपकरण बनाता है।

एक उन्नत तकनीकी दुनिया में रहने के लिए और अपने विचारों को वास्तविक में बदलने के लिए इंजीनियर्स की आवश्यकता होती है। आज की दुनिया में इंजीनियर्स बहुत ही अहम भूमिका निभा रहे हैं।

आइए हम सब भी जानते हैं कि इंजीनियरिंग दिवस क्यों मनाया जाता है और इसका क्या महत्व है??

जैसे कि डाक्टरों को सम्मान देने के लिए डाक्टर्स डे व अन्य डे मनाए जाते हैं। उसी तरह इंजीनियर्स को सम्मान देने के लिए इंजीनियर्स डे मनाया जाता है।

इंजीनियर्स डे क्यों मनाया जाता है??

 

सभी इंजीनियर्स को सम्मान देने के लिए इंजीनियर डे मनाया जाता है। भारत के एक महान इंजीनियर सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया को याद करने के लिए 15 सितंबर को इंजीनियर डे के रूप में मनाया जाता है।

इंजीनियर दिवस कब मनाया जाता है-

इंजीनियर दिवस प्रत्येक वर्ष की तरह इस वर्ष 15 सितंबर को सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया के जन्म दिवस पर उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए मनाया जाता है। इन्हें एक अच्छे इंजिनियर की भूमिका निभाने के लिए 1955 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। इंजीनियर दिवस समस्त इंजिनियरों को सम्मान देने हेतु मनाया जाता है। अलग-अलग जगह में इंजिनियर्स डे अलग अलग तारीख को मनाया जाता हैं। इंजीनियर्स डे मनाने का उद्देश्य आज के युवा को ऐसे ( इंजिनियरिंग) कार्य की ओर प्रेरित करना है।

कैसे मनाया जाता है इंजिनियर डे??

इंजीनियर डे को लोग एक दूसरे को बधाई देकर मनाते हैं। लोग सोशल मीडिया, फ़ोन के माध्यम से एक दूसरे को बधाई देते हैं। मैसज भेजे जाते हैं और मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया जी को याद करके स्कूलों व काॅलेज में कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिसके द्वारा उन्हें याद किया जाता है।

वर्ष 2021 में मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया का 160 वां जन्म दिवस इंजिनियर्स डे के रूप में मनाया जा रहा है। इस दिन कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। कोरोना महामारी के चलते स्कूल व काॅलेज बंद होने के कारण कोई भी प्रोग्राम आयोजित नहीं किए गए। शायद 2021 में इस वर्ष 160 वां जन्म दिवस समारोह मनाया जाए।

आइए जानते हैं महान इंजीनियर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैयआ के जीवन परिचय के बारे में:-

जीवन परिचय-

मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया का जन्म 15 सितंबर 1860 में मैसूर रियासत, जोकि आज कर्नाटक राज्य में है, वहां पर हुआ था। इनके पिता का नाम श्रीनिवास शास्त्री जोकि संस्कृत के विद्वान और आयुर्वेदिक चिकित्सक थे। इनकी माता वेंकचाम्मा एक धार्मिक विचारों की महिला थी। जब विश्वेश्वरैया 15 वर्ष के थे, तो इनकी पिता जी का देहांत हो गया था। प्राइमरी स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद बैंगलोर चले गए। 1881 में विश्वेश्वरैया मद्रास यूनिवर्सिटी के सरकार से बी.ए की परीक्षा पास की इसके बाद मसूर सरकार से इन्हें सहायता मिली और उन्होंने साइंस कॉलेज पूना में इंजीनियरिंग के लिए दाखिला लिया। वर्ष 1883 में LCE और FCE एग्जाम में उन्होंने पहला स्थान प्राप्त किया।

जब इंजीनियरिंग पास की तो विश्वेश्वरैया को मुंबई सरकार की तरफ से नौकरी का ऑफर आया, फिर उन्हें नासिक में असिस्टेंट इंजीनियर के रूप में काम किया। एक इंजीनियर की भूमिका निभाते हुए उन्होंने बहुत से अद्भुत काम किए। उन्होंने सिन्धु नदी से लेकर सुक्कुर गांव तक पानी की सप्लाई शुरू करवाई इसके साथ ही साथ उन्हेंने “ब्लाक सिस्टम” एक नई सिंचाई प्रणाली को शुरू किया। उन्होंने बाँध में इस्पात के दरवाजे लगवाए ताकि पानी के प्रवाह को रोका जा सके। अब तक ऐसे बहुत से कार्य इनके द्वारा करवाए गए।

हैदराबाद सिटी को बनाने का पूरा श्रेय विश्वेश्वरैया जी को जाता है, उन्होंने एक बाढ़ सुरक्षा प्रणाली तैयार की जिसके बाद समस्त भारत में उनका नाम मशहूर हो गया। इसके अलावा उन्होंने अन्य क्षेत्र में भी सफलताएं प्राप्त की।

सर विश्वेश्वरैया का व्यक्तित्व-

विश्वेश्वरैया एक साधारण, आदर्शवादी व अनुशासन में रहने वाले व्यक्ति थे। शुद्ध शाकाहारी और नशों की लत से दूर व समय के पाबंद थे।

फिट, तंदरुस्त व भाषण देने से पहले उसे लिखते और बाद में अभ्यास भी करते थे। 92 वर्ष की आयु में भी वह बिना किसी लाठी के सहारे चलते। उनके द्वारा शुरू की गई परियोजनाओं के कारण भारत आज उन पर गर्व महसूस करता है। यदि विश्वेश्वरैया आज इतना संघर्ष न करता तो भारत में शायद इतना विकास न हो पाता। भारत में ब्रिटिश राज्य में भी विश्वेश्वरैया ने अपने काम में कोई बांधा नहीं आने दी, बल्कि उनका मुकाबला करके उन्हें दूर किय

विश्वेश्वरैया को प्राप्त अवार्ड-

  • 1955 में विश्वेश्वरैया को “भारत रत्न” से सम्मानित किया गया था।
  • लंदन इंस्टीट्यूशन सिविल इंजीनियर्स, इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ साइंस की तरफ से भी इनको सम्मानित किया गया।

इसके अलावा अलग-अलग आठ इंस्टिट्यूट के द्वारा डोक्टरेट की अपाधि दी गई थी।

एक अच्छा इंजिनियर वहीं बन पाता है, जो बचपन के खिलौने को तोड़कर खुश होता है और जो किताबी ज्ञान को वास्तविक रूप दे। जो व्यक्ति जीवन में कुछ बनने का सपना लेकर आगे चलता है वो ही जीवन में सफलता प्राप्त करता है।

जैसे कि हम जानते हैं कि एक इंजीनियर की हमारी जिंदगी व हमारे समाज को क्या देन है। एक इंजीनियर ने हमारी जिंदगी को बदलकर ही रख दिया जैसे कि आज से 15 वर्ष पहले टैलीफोन आए जिसके द्वारा हम एक-दूसरे से कही भी बैठे बातचीत कर सकते थे। इसके बाद स्मार्टफोन आए जिसके माध्यम से कोरोना काल में बच्चे अपनी पढ़ाई इस से कर रहे हैं। हम अपने आस पास की प्रत्येक इंजीनियर्स को समाज में रीढ़ की हड्डी के रूप में देखा जाता है।

 

एयरटेल, वोडाफोन – आइडिया और जिओ कंपनियों द्वारा जारी किए गए ₹130 से भी कम अनलिमिटेड कॉलिंग और 4G इंटरनेट प्लांस

मोबाइल फोंस कंपनी द्वारा अनलिमिटेड कॉलिंग और 4G इंटरनेट डाटा प्लांस जारी किए जाते हैं। जिनकी एक समय सीमा होती है। कईं प्लेंस में हमें रोजाना इंटरनेट डाटा मिलता है और उसे उसी दिन में ही खत्म करना होता है।

इस वजह से यूजर्स को कई बार परेशानी का सामना करना पड़ता है। जैसे कि अगर उस दिन का डाटा खत्म हो जाए, तो उसे दोबारा से 4G इंटरनेट डाटा डलवाना पड़ता है या फिर अगर यूजर्स ने उस दिन अपने 4G इंटरनेट डाटा का इस्तेमाल नहीं किया तो उस दिन का डाटा कंपनी को ही वापस हो जाता है।

इस समस्या को हल करने के लिए कंपनियों ने सस्ते और अनलिमिटेड कॉलिंग 4G इंटरनेट डाटा प्लांस भी उपलब्ध करवाए हुए हैं।

बढ़ती मंहगाई के कारण सभी कंपनियों ने जहां अपने अनलिमिटिड कॉलिंग और 4G इंटरनेट डाटा प्लान को महंगा कर दिया है, वहीं कंपनियों ने अनलिमिटीड कॉलिंग के 130 रुपए से कम के प्लान भी उपलब्ध करवाए हैं।

इन अनलिमिटेड कॉलिंग प्लांस में कॉलिंग सुविधा 24 घंटे फ्री होती है और इंटरनेट डाटा निश्चित समय के लिए उपलब्ध होता है।

जानिए विभिन्न कंपनियों के अनलिमिटेड कॉलिंग और 4G डाटा प्लांस के बारे में डिटेल्स में।

एयरटेल का सबसे सस्ता अनलिमिटेड कॉलिंग और 4G इंटरनेट डाटा प्लान :–

एयरटेल कंपनी द्वारा अनलिमिटेड कॉलिंग और 4G इंटरनेट के लिए बहुत सारे प्लांस उपलब्ध कराए गए हैं।

लेकिन 129 का प्रीपेड प्लान एक ऐसा है, जिसमें यूजर्स को अनलिमिटेड फ्री कॉलिंग और 4G इंटरनेट डाटा 24 दिनों के लिए दिया जाता है।

इसमें यूजर्स को 1GB डाटा 24 दिनों के लिए दिया जाता है और यह डाटा यूजर्स को रोजाना उपलब्ध नहीं करवाया जाता।

इसके साथ ही यूजर्स को 300 फ्री SMS और इसके साथ एयरटेल कंपनी अपने यूजर्स को इस प्लान के साथ wynk music और Airtel extreme एप्स के फ्री सब्सक्रिप्शन भी देती है।

अनलिमिटेड फ्री कॉलिंग और 4G इंटरनेट के साथ एक ऐसा यही प्लान है, जो एयरटेल कंपनी द्वारा सबसे सस्ता और अच्छा है।

जिओ कंपनी का सबसे सस्ता अनलिमिटेड फ्री कॉलिंग और 4G इंटरनेट प्लान :–

जहां एयरटेल कंपनी ने अपने यूजर्स के लिए फ्री अनलिमिटेड कॉलिंग और 4G इंटरनेट प्लांस उपलब्ध कराए हैं। वहीं जिओ कंपनी द्वारा भी फ्री अनलिमिटेड कॉलिंग और 4G इंटरनेट प्लान उपलब्ध कराया है।

जिओ कंपनी के फ्री अनलिमिटेड कॉलिंग और 4G इंटरनेट प्लान में सबसे कम कीमत ₹127 है। जिसकी वैधता 15 दिन की है। किसके साथ यूजर्स को 12GB 4G इंटरनेट डाटा मिलता है।

वोडाफोन आइडिया कंपनी का सबसे सस्ता और अच्छा अनलिमिटेड फ्री कॉलिंग 4G इंटरनेट प्लान:

अपने यूजर्स को खुश करने में वोडाफोन आइडिया कंपनी भी पीछे नहीं रही।

Vodafone-idea कंपनी द्वारा भी ₹130 से कम फ्री अनलिमिटेड कॉलिंग और 4G इंटरनेट डाटा प्लान जारी किया गया है। जिसकी कीमत मात्र ₹129 है। जिसमें यूजर्स को 24 दिन के लिए अनलिमिटेड फ्री कॉलिंग और 2GB 4G इंटरनेट डाटा उपलब्ध कराया जाता है।

इसके साथ vodafone-idea यूजर्स को 300 फ्री SMS सुविधा भी दी जाती है।

वोडाफोन आइडिया कंपनी द्वारा यूजर्स को किसी ऐप का फ्री सब्सक्रिप्शन उपलब्ध नहीं कराया जाता।

अतः अब यूजेस को महंगे प्लान खरीदने की कोई बाध्यता नहीं है। अब यूजर्स ₹130 से भी सस्ते प्लान से अब अनलिमिटेड कॉलिंग और 4G इंटरनेट डाटा जैसी सुविधाएं प्राप्त कर सकते हैं।

जिन बच्चों के लिए ऑनलाइन क्लासेस एक चुनौती बन गई थी, उनके लिए अब जियो लाया नया फीचर Study Mode

यूजर्स को सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए Jio आए दिन नए-नए प्लान व ऑफर्स पेश करती रहती है। बच्चों की पढ़ाई को लेकर इस बार कंपनी बहुत ही कमाल का फीचर लेकर आई है, जिसे जानकर आप को बहुत ही खुशी होगी।

अक्सर देखा गया है कि बच्चे ऑनलाइन क्लासेस के दौरान पढ़ाई करते समय बोर हो जाते है और उनकी रूची पढ़ाई में कम हो रही है। इस बात को ध्यान में रखते हुए अब Jio ने अपने यूजर्स के लिए वेब ब्राउजिंग ऐप Jio Page (Study Mode) एक नया फीचर ऐड किया है। जिससे अब स्टूडेंट्स पूरी रूची से पढ़ाई कर सकेंगे।
इसके नाम से ही पता चलता है कि ये फीचर पढ़ाई के लिए ही बनाया गया है। Jio की कंपनी का मानना है कि Study Mode यूजर्स के बहुत काम आएगा, जिन बच्चों के लिए घर में बैठकर ऑनलाइन क्लासेस एक चुनौती बनती जा रही है। इसके लिए उन्हें Study Mode Jio पेज के साथ जोड़ा गया है परन्तु अब देखना ये है कि ये फीचर बच्चों के लिए कितना फायदेमंद हो सकता है??

कैसे install करे App –

Study Mode फीचर को install करने के लिए यूजर्स को सबसे पहले jio pages पर वेब ब्राउज़र को डाउनलोड करना होगा।

  • डाउनलोड के पूरा होने के बाद ऐप को ओपन करे।
  • इसको ओपन करने के बाद आपको Mode चुनने का विकल्प मिलेगा।
  • इसके बाद आप स्विच मोड़ विकल्प पर जाकर Study Mode app को install कर सकेंगे।
  • आपकी जानकारी के लिए बता दे की Jio set-Top Box के साथ Jio पेज प्री-इंस्टॉल्ड है। जबकि दूसरे Android यूजर्स सीधा Google Play Store में जाकर डाउनलोड कर सकते हैं।

Study Mode से होने वाले फायदे –

Jio द्वारा अपने नए फीचर Study Mode द्वारा यूजर्स को क्लास के हिसाब से कंटेंट उपलब्ध करवाने के साथ-साथ यूजर्स को अपने विषय के हिसाब से वीडियो के चैनल का सुझाव मिलेगा और साथ ही साथ अपने पसंदीदा कैटेगरी से जोड़ने का विकल्प भी मिलेगा। इसके साथ शिक्षा के क्षेत्र में वेबसाइट्स में जो लिंक दिए जाते हैं। जिसके द्वारा यूजर्स उस लिंक पर क्लिक करके सीधा उस वेबसाइट पर पहुंच जाएगा। इससे सबसे बड़ा फायदा यह होगा गुगल पर खोज करते समय जो समय खराब होता है, उस समय की बचत होगी।

Jio pages एक सुरक्षित प्लेटफार्म है और इसमें 8 भारतीय भाषाओं का सपोर्ट दिया गया है। कोई भी लिंक सेव करने की सुविधा इस वेब ब्राउज़र में मिलेगी। यूजर्स आसानी से उस वेबसाइट को अपने डिवाइस पर जल्दी से ओपन कर सकेंगे।

अब देखना ये है कि jio द्वारा तैयार किया गया ये फीचर बच्चों के लिए कितना फायदेमंद हो सकता है।

गूगल Meet App ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में की समय की पाबंदी

क्या है google Meet ऐप :-

गूगल की एक ऐप है, गूगल मीट जिसके माध्यम से हम लाइव वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कर सकते हैं।

इसके माध्यम से हम 100 लोगों को एक साथ नोटिफिकेशन भेज सकते हैं और 250 से अधिक लोग एक साथ live मीटिंग कर सकते हैं।

कोरोना महामारी के समय जहां सभी लोग अपने घरों में बंद हो गए थे। उस समय में बच्चों की पढ़ाई जारी रखने में इस ऐप का अहम योगदान रहा है।

ऑफिस मीटिंग से लेकर हर छोटी बड़ी मीटिंग में गूगल Meet ऐप के इस फीचर्स से फ्री में बच्चे घर पर अपनी पढ़ाई कर रहे हैं।

Google Meet को इस्तेमाल करने के फायदे :–

Google Meet के कारण कोरोना के समय में बहुत फायदा हुआ है।

इसके माध्यम से बच्चे फ्री में अपनी पढ़ाई जारी रखे हुए हैं । वहीं इसके माध्यम से 24 घंटे फ्री में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कर सकते थे।

लेकिन कंपनी का कहना था कि यह सुविधा केवल 30 सितंबर 2020 तक ही होगी। लेकिन इसके बाद इसे 31 मार्च 2021 तक बढ़ा दिया गया था और फिर इसे 30 जून 2021 तक बढ़ा दिया था।

लेकिन अब कंपनी ने फ्री अनलिमिटेड वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधा को बंद कर दिया है।

कंपनी ने फ्री अनलिमिटेड वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग पर समय की पाबंदी लगा दी है।

क्या है Google Meet ऐप की नई अपडेट्स :–

सितंबर 2020 से गूगल Meet ऐप में समय सीमा निर्धारित पर चर्चा जारी थी।

लेकिन अब यह समय सीमा निर्धारित हो चुकी है।
कंपनी का कहना है, गूगल मीट पर फ्री अनलिमिटेड वीडियो कॉलिंग की सुविधा अब 60 मिनिट की हो चुकी है।
60 मिनट से ज्यादा इस सुविधा को रखने के लिए पैसे देने होंगे।
55 मिनट होते ही गूगल मीट में मीटिंग के बंद होने का नोटिफिकेशन सभी के पास आ जाएगा ।

अब कोई भी Gmail User Google मीट पर 100 लोगों के साथ केवल 1 घंटे के लिए ही विडियो मीटिंग कर सकता है।
Google Meet पर समय सीमा पाबंदी लगाने का कोई औपचारिक कारण नहीं है।

अतः अब Gmail यूजर्स गूगल Meet ऐप पर केवल एक घंटे तक ही फ्री में वीडियो कॉल कर सकते है। इसे ज्यादा समय तक जारी रखने के लिए यूजर्स को सब्सक्रिप्शन प्लान लेना होगा।

जनसंख्या वृद्धि पर रोक लगाए, देश को प्रगति के पथ पर लाएं -‌ विश्व जनसंख्या दिवस 2021

किसी देश, शहर, जिले व क्षेत्र में रहने वाले व्यक्तियों की कुल संख्या को जनसंख्या कहा जाता है। किसी भी देश की जनसंख्या अपने राष्ट् की अमूल्य पूंजी होती है, जो वस्तुओं व सेवाओं का उत्पादन, वितरण और उपभोग करती है। जनसंख्या आर्थिक विकास का संवर्द्धन करती है। लेकिन जनसंख्या वृद्धि किसी भी राष्ट्र के विकास मे रुकावट पैदा करती है।

जनसंख्या वृद्धि क्या है –

किसी क्षेत्र की जनसंख्या का बढ़ना जनसंख्या वृद्धि कहलाता है। जो कई प्रकार की चुनौतियां व अनेक समस्याएं पैदा करती है।जब जनसंख्या जरूरत से ज्यादा बढ़ जाती है, तो देश और दुनिया के ऊपर कई प्रकार के प्रभाव पड़ते है। जनसंख्या वृद्धि से सरकार के पास काम की कमी हो जाती है, बेरोज़गारी की समस्या बढ़ जाती है और अन्य वस्तुओं के दाम बढ़ जाते है। विश्व में जनसंख्या वृद्धि एक समान नही है। स्वास्थ राष्ट्र के निर्माण के लिए जनसंख्या वृद्धि पर रोक लगाना लगाना अति आवश्यक है। आइए हम जनसंख्या विस्फोट के कारण, प्रभाव व उपाय के बारे मे विस्तार से जानते है।

विश्व जनसंख्या दिवस कब व क्यों मनाया जाता है –

विश्व जनसंख्या दिवस को मनाने की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की संचालित परिषद द्वारा 1989 में पहली बार हुई। जब विश्व भर की आबादी का आंकड़ा 5 अरब के पास पहुंच गया, तो संयुक्त राष्ट्र की गवर्निंग काउंसिल द्वारा किए गए फैसले के अनुसार 1989 में विकास समुदाय की सिफारिश द्वारा तय किया गया। तब से हर साल 11 जुलाई के दिन को विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाता है।

विश्व जनसंख्या दिवस की 2021 की थीम –

इस वर्ष की नई थीम तैयार की गई है। इस बार की थीम का विषय परिवार नियोजन, लोगों का विकास व राष्ट्र की प्रगति के विषय पर बनाया गया है।

विश्व जनसंख्या दिवस मनाने का उद्देश्य –

विश्व जनसंख्या दिवस मनाने का उद्देश्य दुनिया भर में दिनों-दिन बढ़ रही आबादी को नियंत्रित करने के लिए लोगों को जागरूक करना है। लोगों को जागरूक करने के लिए इस दिन रैलियां निकाल कर, रोड शो किए जाने के साथ-साथ सोशल मीडिया, विभिन्न कार्यक्रमों व सभाओं को आयोजित किया जाता है। जिसका उद्देश्य लोगों में जागरूकता फैलाना है।

विश्व जनसंख्या दिवस का क्या महत्व है –

दिनों-दिन बढ़ती जा रही जनसंख्या विश्व के देशों के सामने बड़ी भयंकर समस्या का रूप ले चुकी है। विकासशील देशों के लिए जनसंख्या विस्फोट एक गंभीर चिंता का विषय बन रहा है। विश्व जनसंख्या दिवस के अवसर पर लोगों को परिवार नियोजन, लैंगिक समानता और मानवाधिकार के बारे में जानकारी दी जाती है।

विश्व भर में बढ़ रही जनसंख्या के कारण –

  1. गरीबी – लोगों की सोच है कि जितने अधिक बच्चे होंगे, उतनी ही आय में वृद्धि होगी। इसलिए वह सोचते हैं कि जितने बच्चे ज्यादा होगे उतनी ही आमदनी ज्यादा होगी और पैसा ज्यादा कमाएंगे।
  2. चिकित्सा सेवाओं में वृद्वि होना – आज हमारे देश भर में आधुनिक चिकित्सक क्षेत्र में बहुत सारी सफलताएं प्राप्त कर ली है। जिसके कारण मृत्यु दर में गिरावट आ रही है और महामारी कुपोषण के कारण मृत्यु दर में कमी आ रही है। यह सब स्वस्थ्य सुधार के कारण ही संभव हुआ है, जोकि जनसंख्या वृद्धि का एक कारण है।
  3. बाल विवाह (छोटी आयु में बच्चों का विवाह करना) – लोग अशिक्षित होने के कारण अपने बच्चों का विवाह छोटी आयु में ही कर देते हैं। जिसके कारण जनसंख्या में वृद्धि हो रही है। ये भी एक कारण है जनसंख्या वृद्धि का।

जनसंख्या वृद्धि से होने वाले नुक्सान –

  1. दिनों- दिन बढ़ रही रोजगार की समस्या – विश्व की जनसंख्या तो दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। परन्तु रोजगार के साधन सीमित ही है। इसलिए देश भर में बेरोजगारी तेजी से बढ़ना भी एक कारण है।
  2. खाद्य सामग्री में समस्या आना – जहां देश की जनसंख्या निरंतर बढ़ती जा रही है, तो दूसरी ओर खाद्य पदार्थों में कमी होती जा रही है। जिसके कारण बच्चों का शारीरिक विकास नहीं हो पाता और बच्चों में पोषण की कमी होती है। खाद्य सामग्री के न मिलने के कारण महंगाई बढ़ रही है।
  3. लोगों का अशिक्षित होना – बहुत से लोग ऐसे हैं जो कि अक्सर अशिक्षित होने के कारण छोटे परिवार के महत्व को नहीं जानते, जोकि जनसंख्या वृद्धि का बहुत बड़ा कारण है।
  4. चिकित्सक व्यवस्था में कमी आना – निरंतर बढ़ती जा रही जनसंख्या के कारण अस्पतालों में अधिक भीड़ होने के कारण रोगियों की देखभाल अच्छे ढंग से नहीं हो पा रही है।
  5. प्रदूषण – जनसंख्या में लगातार वृद्धि होने के कारण जल, वायु और मृदा प्रदूषण बढ़ता जा रहा है।
  6. कृषि भूमि का बटवारा होना – परिवार में ज्यादा बच्चे होने के कारण परिवार का बंटवारा होने पर भूमि का भी बंटवारा हो जाता है। जिससे आर्थिक स्थिति कमजोर हो जाती है।

जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए दिए गए सुझाव –

  1. कठोर कानून व्यवस्था – भारत में निरंतर बढ़ रही जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए कठोर कानून व्यवस्था होनी चाहिए।
  2. उचित शिक्षा की व्यवस्था – बढ़ती हुई जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए उचित शिक्षा की व्यवस्था अति आवश्यक है। क्योंकि शिक्षा के माध्यम से ही हम छोटा परिवार सुखी परिवार के बारे में ज्ञान प्राप्त कर सकेंगे।
  3. आर्थिक सुधार – व्यक्ति को उसकी योग्यता के अनुसार ही अवसर उपलब्ध करवाकर हम उसकी आर्थिक स्तर में सुधार लाया जा सकता है।

निष्कर्ष:

2011 में की गई जनगणना के अनुसार भारत की आबादी 121 करोड़ थी, जो 2030 तक चीन से ज्यादा होने का अनुमान है। अगर ऐसे में भारत की जनसंख्या बढ़ती गई तो भारत सरकार के लिए ये एक बहुत बड़ी चुनौती है।जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए उच्च स्तर पर प्रयास होने चाहिए‌ व परिवार नियोजन के लिए में लोगों को जागरूकता फैलानी चाहिए।

आज के समय में कोरोना महामारी के अलावा अगर कोई चीज दुनिया में सबसे ज्यादा फैल रही है, तो वह है नशे की बुरी लत। यह एक बीमारी की तरह है, जो लोगों को धीरे-धीरे खोखला करके मौत की नींद सुला रहा है।ड्रग्स का सेवन मनुष्य के लिए बहुत हानिकारक है। यह मनुष्य के शरीर को बिल्कुल खत्म कर देता है। उसमें जीने की, सोचने की, खाने पीने की कोई क्षमता नहीं रहती।

इंटरनेशनल डे अगेंस्ट ड्रग एब्यूज कब मनाया जाता है-

यह प्रतिवर्ष 26 जून को ड्रग दुरुपयोग और अवैध तस्करी के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाया जाता है।

लोग नशों का सेवन क्यों करते हैं-

आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में ज्यादा पैसे कमाने के चक्कर में लोग चिंताओं में घिर जाते हैं। जिसके कारण वह नशा लेने के लिए मजबूर हो जाते हैं। उनके लिए नशा ही एकमात्र ऐसा उपाय होता है, जिससे वह अपनी चिंताएं दूर कर सकते हैं।

नशो का सेवन करने से होने वाली बीमारियां-

नशे बर्बादी का घर है, जिसने कई लोगों के घरों को नर्क बना दिया है। नशा व्यक्ति को कैंसर व अन्य बीमारियों को बुलावा देने के साथ-साथ उन्हें अंदर ही अंदर से खोखला कर देता है। जिससे व्यक्ति अपनी स्वर्ग बनी जिंदगी को नर्क बना लेता है।

अंतरराष्ट्रीय नशा निषेध दिवस की शुरुआत-

संयुक्त राष्ट्र के सहयोग से अंतरराष्ट्रीय नशा निषेध दिवस की स्थापना 1987 वर्ष में हुई थी। तब से दुनियाभर में 26 जून को अंतरराष्ट्रीय नशा निषेध दिवस के रूप में मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र ने 1987 में एक प्रस्ताव पेश किया, जिसने पूरे विश्व को नशा मुक्त करने की बात की। इसे सभी देशों की सर्वसम्मति से पास कर दिया गया। इसके बाद 26 जून को हर वर्ष 1987 को पहली बार अंतरराष्ट्रीय नशा निषेध दिवस के रूप में मनाया गया और फिर हर साल 26 जून को मनाया जाने लगा।

क्यों मनाया जाता है-

नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध व्यापार के विरोध के लिए अंतरराष्ट्रीय दिवस पर जोर दिया जाता है‌ और इस दिन को मनाया जाता है। विश्व में नशीली दवाओं की समस्याओं की समझ में सुधार करना और स्वास्थ्य शासन और सुरक्षा पर इसके प्रभाव का मुकाबला करने के लिए अधिक से अधिक अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना है।

अंतर्राष्ट्रीय नशा निरोधक दिवस का उद्देश्य-

इस दिवस का मुख्य उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नशीली दवाओं से छुटकारा पाना है तथा समाज में सशक्तिकरण लाना है। इस दिन विभिन्न संगठन अवैध नशे की चुनौतियों को शांतिपूर्ण संबोधित करने पर जोर देते हैं।समाज की भलाई के लिए यह अभियान शुरू किया था। ये दिन लोगों को नशों से मुक्ति दिलवाने व जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से मनाया जाता है।

अंतर्राष्ट्रीय नशा निरोधक दिवस का महत्व-

26 जून को नशे के खिलाफ विशेष दिन को माना जाता है। क्योंकि पूरे विश्व में नशे को रोकने का प्रचार किया जाता है, इस दिन नशे की चपेट में आने वाले लोगों को जागरूक किया जाता है। नशीली दवाओं के सेवन और अवैध तस्करी के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाया जाता है।

2021अंतरराष्ट्रीय नशा निषेध दिवस की थीम-

प्रत्येक वर्ष क्राइम कार्यालय इस दिन के लिए एक थीम का चयन करते है। 2021अंतरराष्ट्रीय नशा निषेध दिवस की थीम ‘न्याय के लिए स्वास्थ्य, स्वास्थ्य के लिए न्याय’ इस बार की थीम लोगों से अपनी हेल्थ के साथ न्याय करने की अपील करती है।

शिक्षण संस्थानों में स्टूडेंट्स ड्रग्स का शिकार हो रहे-

कुछ माता-पिता अपने बच्चों को पढ़ाई करने के लिए होस्टल में भेज देते हैं और गलत संगति होने के कारण वह भी नशे करने के आदि हो जाते हैं।

राष्ट्रीय ड्रग्स और क्राइम कार्यालय-

संयुक्त राष्ट्र ड्रग्स और क्राइम कार्यालय एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है। यह संगठन मादक पदार्थों के दुरुपयोग और उसके उत्पादन के खिलाफ लड़ रहा है। जिसे एक अंतरराष्ट्रीय अपराध माना जाता है। इस संगठन को साल 1997 में संयुक्त राष्ट्र ड्रग्स कंट्रोल कार्यक्रम के साथ अंतरराष्ट्रीय अपराध निवारण केंद्र में विलय करते स्थापित किया गया था।
नशीली दवाओं की तस्करी अपराध दर में वृद्धि और अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद के खिलाफ वर्ष में सदस्यों की सहायता करने में मदद के लिए संयुक्त राष्ट्र अक्सर क्राइम कार्यालय अनिवार्य है।

ड्रग्स के दुरुपयोग-

ड्रग्स का सेवन बहुत बुरी आदत है। यह लत पर पड़ जाए तो उसे पीछा छुड़वाना बहुत मुश्किल है। यह हमारे शरीर के लिए बहुत हानिकारक है, बल्कि विभिन्न आयु के लोगों को भी प्रभावित करती है। यह व्यक्तियों और समाज को कई क्षेत्रों में नष्ट कर देती है, ऐसे ड्रग्स की लत के कारण भूख, भार, कब्ज, चिंता का बढ़ना और चिड़चिड़ापन, नींद ना आना,और कामकाज की हानि का गंभीर नुकसान होता है।

ड्रग्स की अवैध तस्करी-

नशीले पदार्थों की तस्करी एक अंतरराष्ट्रीय अवैध व्यापार है। इसमें मूलभूत कानूनों के मुताबिक निश्चित पदार्थ उत्पादन, खेती, प्रसार बिक्री शामिल है। अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का अवैध व्यापार क्रीम 1% होने का अनुमान है। उत्तरी व्यापार मार्ग और बाल्कन क्षेत्र मुख्य ड्रग ट्रैफिकिंग क्षेत्र है। जो पूर्वी और पश्चिमी महाद्वीपों में अन्य अंतरराष्ट्रीय बाजारों के बड़े बाजार में अफगानिस्तान को लिंक करते हैं और वहां से ड्रग्स की अवैध तस्करी की जाती है।

निष्कर्ष-

समाज में दिनों-दिन बढ़ रही नशे की आग में सभी वर्ग के लोग झुलस रहे हैं। युवाओं में नशे की लत कम होने का नाम ही नहीं ले रही है। जहां लोग पहले दूध और छाछ (लस्सी) पिया करते थे, वहीं लोग शराब व नशा करके अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं। आइए हम सब भी देश के उज्जवल भविष्य के लिए कभी भी नशा न करने का प्रण करे और स्वच्छ विश्व का निर्माण करें।