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आइए जानें कि आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए कैसे पोष्टिक फूड्स खाएं

आज हम देखते हैं कि बिगड़ रहे वातावरण का असर हमारी आंखों पर भी पड़ रहा है। जिससे ज्यादातर लोगों को चश्मा लग जाता है। यहां तक छोटे बच्चे भी इसमें शामिल हैं, आज दुनिया भर में निकट दृष्टि दोष एक महामारी बनता जा रहा है।

यूरोप और अमेरिका में 30-40% लोगों को चश्मे की जरूरत पड़ती है और कुछ एशियाई देशों में यह आंकड़ा 90% तक पहुंच गया है। क्योंकि हमारा लाइफस्टाइल ठीक नहीं है। ज्यादा कंम्पयूटर पर काम करने से, टीवी या मोबाइल का इस्तेमाल ज्यादा करने से आंखों में चुभन होने लगती है जिससे हमारी आंखों में असर पड़ता है और खाने में तले हुए खाद्य-पदार्थों का सेवन करने या पोष्टिक आहार ना लेने के कारण भी आंखों की रोशनी कम हो जाती है।

अगर हम अपने खान पान की ग़लत आदतों को सुधार कर अपने रोजाना आहार में विटामिन A,C,E और अन्य पोषक तत्वों से भरपूर चीजें शामिल कर लें तो आंखों की रोशनी बढ़ाई जा सकती है।

आइए जानते हैं कि आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए क्या खाएं-

गाजर-
गाजर में पोटाशियम, विटामिन C, E और विटामिन B1 भरपूर मात्रा में होते हैं। जिसे खाने से आंखों की रोशनी बढ़ती है। गाजर को हम सलाद, सब्जी के रूप में या जूस बनाकर भी पी सकते हैं। इसका एक गिलास जूस रोजाना पीने से आंखों को लाभ होता है।

आंवला-
आंवले को खाली पेट जूस के रूप में या इसका मुरब्बा खाने से बहुत लाभ होता है। क्योंकि यह आंखों के लिए बहुत अच्छा माना जाता है।

हरी पत्तेदार सब्जियां-
हरी पत्तेदार सब्जियों का स्वाद भले ही ख़ाने में अच्छा ना लगता हो, परंतु इनमें मौजूद लुटिन और जियोकसथीन कैमीकल आंखों के लिए बहुत अच्छे होते हैं। इनमें धनिया, पालक, शकरकंदी बहुत उपयोगी हैं।

फल-
फलों में विटामिन C, E, A और अन्य पौशक तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते है। खट्टे फलों में संतरा, मौसमी में विटामिन सी होता है और विटामिन सी एक एंटी ऑक्सीडेंट है। जिससे आंखों की रोशनी बढ़ती है। इसके इलावा केला, पपीता और आम जैसे पीले फलों में कैराटिन और लाइकोपिन होता है, जो आंखों की रोशनी बढ़ाता है। जिससे आंखों का चश्मा भी उतर सकता है।

जामुन-
जामुन के सेवन से बहुत सी बिमारियों को ठीक किया जा सकता है। इससे कई औषधियां भी तैयार होती हैं, इसे खाने से आंखों की रोशनी बढ़ती है।

बादाम-
बादाम हमारी सेहत के लिए वरदान है। इससे दिमाग तेज होता है और मैमोरी पावर बढ़ती है। इसमें विटामिन ई होता है, जिससे आंखों का चश्मा उतर सकता है।

नट्स-
कई लोगों की आंखों में सूखेपन की बिमारी होती है। उनकी आंखों में आंसुओ की कमी के कारण धुंधलापन या सुखापन जैसी समस्या आती है। अपनी डाइट में ओमेगा-3 फैटी एसिड की मात्रा बढ़ाने से यह समस्या खत्म हो जाती है। नट्स खासकर अखरोट में ओमेगा-3 फैटी एसिड भरपूर मात्रा में होता है। इसके इलावा मूंगफली, ब्राजील नट्स, काजू जैसे खाद्य पदार्थों का सेवन करने से भी आंखों की रोशनी तेज होती है। यह आंखों के रेटिना को सही रखते है और इन्हें खाने से मोतियाबिंद की समस्या नहीं होती।

काली मिर्च-
बहुत से लोगों का मानना है कि काली मिर्च को देसी घी के साथ सेवन करने से आंखों की रोशनी बढ़ती है। क्योंकि इसमें विटामिन ए और ई भरपूर मात्रा में होते हैं।

इलायची और सौंफ-
इलायची और सौंफ को पीस कर इनका पाउडर बनाकर अगर ठंडे दुध में मिलाकर पीया जाए तो इससे आंखों की रोशनी बढ़ती है।

इन सब के अलावा पानी को हमारी सेहत के लिए वरदान माना गया है। पानी पीने से सूखी आंखों के लक्षण कम हो जाते हैं, इसलिए ज्यादा से ज्यादा पानी पीएं।

आंखों की रोशनी कम होने का कारण कई बार जैनेटिक भी होता है। इसलिए अपने खान पान पर ध्यान दें और अपनी रोजाना दिनचर्या में ऐसे आहार शामिल करें, जिनमें पोष्टिक तत्व भरपूर मात्रा में हो। जिससे आंखों को पोषण मिल सके और आंखों की रोशनी बढ़ाई जा सके।

जीवन और मृत्यु देना इंसान नहीं भगवान के हाथ मे है। लेकिन भगवान ने इंसान को डॉक्टर बनाकर उसे जीवन देने का हक दिया है, इस जीवनदानी को डॉक्टर कहते है। आज विज्ञान की मदद से डॉक्टर यहां तक पहुंच गए है कि वह जीवन और मृत्यु की लड़ाई लड़ रहे व्यक्तियों के लिए जीवनदाता है। जब हम अपनी सारी उम्मीदें छोड़ देते है, तब हमारे जीवन में स्वास्थ्य लाने के लिए और हमारा साथ देने के लिए केवल डॉक्टर के पास ही जादुई शक्ति होती है।

जब हम रोते हैं, तब हमें कंधों की जरूरत होती है।
जब हम दर्द में होते हैं, तब हमें दुआओं की जरूरत होती है।लेकिन जब हम त्रासदी में होते है, तब हमें डॉक्टर की जरूरत होती है।।

कब और कैसे हुई राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस को मनाने की शुरुआत-

केंद्र सरकार द्वारा भारत में 1991 में राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत की गई थी। हमारे देश के महान चिकित्सक और पश्चिम बंगाल के दूसरे मुख्यमंत्री डॉ विधानचंद्र राय को सम्मान देने के लिए उनके जन्म दिवस पर यह दिन मनाया जाता है।

भारत में कब मनाया जा रहा है डॉक्टर्स डे-

इस वर्ष 1 जुलाई 2021को 31वां राष्ट्रीय डाॅक्टर्स डे मनाया जा रहा है। कोरोना काल में अपनी व परिवार की परवाह न करते हुए डाॅक्टर्स ने जो सेवाएं निभाई है। इसके लिए सभी डाॅक्टर एवं चिकित्सकों को सम्मान देने व उनका हौसला बढ़ाने के लिए उनके द्वारा किए गए कार्यों के लिए उनका धन्यवाद किया जाएगा।

राष्ट्रीय चिकित्सा दिवस मनाने का उद्देश्य-

भारत में प्रत्येक वर्ष 1 जुलाई को राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य डॉक्टरों द्वारा दी जा रही अमूल्य सेवाओं व योगदान को सम्मान देना। भारत सरकार द्वारा 1991 में पहले नेशनल डॉक्टर डे मनाने की घोषणा की थी। इस दिन हमें भी चिकित्सकों के प्रति आभार प्रकट करने के साथ-साथ उन्हें धन्यवाद भी करना चाहिए।
यह दिन उन डाॅक्टरों के लिए सबक का दिन है जो लाचार मरीजों की मजबूरी का फायदा उठाते हैं व बेईमानी करते है।

राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस का महत्व

प्रत्येक वर्ष 1 जुलाई को राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस मनाया जाता है। हमारी जिंदगी में एक डॉक्टर का क्या महत्व व भूमिका है ?? इस का एहसास दिलवाने व डॉक्टरों को सम्मानित करने के लिए ये दिवस मनाया जाता है। जैसे कि हम जान ही सकते हैं कि कैसे कोरोना महामारी के चलते जब सभी लोग अपने घरों में सुरक्षित थे। तो कैसे डॉक्टर अपने परिवार, बच्चों और माता-पिता को छोड़कर दूसरों की सहायता करने के लिए आगे आए।

एक डॉक्टर ही वो भूमिका निभाता है, जो रोते हुए आए अस्पताल के लोगों को हंसाते हुए घर भेजता है।

हमारे विश्वास की डोर है- डॉक्टर

डॉक्टर होना सिर्फ एक काम ही नहीं बल्कि चुनौतीपूर्ण वचनबद्धता है। डॉक्टर ही एक ऐसा व्यक्ति है, जिस पर लोग भगवान की तरह विश्वास करते है। जो हमारे लिए आशा की एक किरण है। जीवन और मौत की लड़ाई लड़ रहे अनगिणत लोगों के जीवन की डोर उनके हाथ में होती है। सभी डॉक्टर जब अपने चिकित्सकीय जीवन की शुरुआत करते हैं, तो अपनी जिम्मेदारी ईमानदारी से निभाने की कसम खाते है। उनके मन में नैतिकता और जरूरतमंद लोगों की मदद का जज्बा होता है। डॉक्टर की एक छोटी सी भूल से रोगी की जान जा सकती है।

डॉक्टर्स का न कोई दर्द, न कोई आराम, उनकी तो बस जिंदगी है…देश के नाम।

जो व्यक्ति अपने जीवन को समाज के कार्य के लिए लगा देता है और अपना सुख, दुख किसी की जिंदगी को बचाने के लिए लगा देता है। उसके लिए भी एक दिन होना चाहिए और वही एक खास दिन है डॉक्टर्स डे।

डॉक्टर को दुनिया में विभिन्न नामों से जाना जाता है। जैसे हिंदी में चिकित्सक व वैध कई नामों से जाना जाता है। प्राचीन काल से भारत में वैध परंपरा रही है। जिनमें धनवन्तरि, सुश्रुत, जीवक व चरक आदि रहे हैं।

एक अच्छे डॉक्टर की पहचान

एक अच्छा डॉक्टर सबसे पहले एक अच्छा इंसान भी होता है। जो आपकी पीड़ा को महसूस ही नहीं करता, बल्कि वास्तव में उसके लिए चिंतित होता है। वह अपने पेशेंट्स की आर्थिक व पारिवारिक परेशानियों को समझता है। एक अच्छा डॉक्टर बिना किसी स्वार्थ के लंबे लंबे पर्चे लिखने की बजाए अपने पेशेंट्स को अच्छी सलाह देता है।

राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस को कैसे मनाएं

  • 1 जुलाई को ज्यादातर लोग चिकित्सक दिवस की शुभकामनाएं देने के लिए फोन करके, मैसेज करके या फिर फेसबुक, व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम व अन्य सोशल मीडिया द्वारा उनका धन्यवाद करते हैं।
  • अपने फैमिली डाॅक्टर के घर जाकर उन्हें गिफ्ट देकर उनका धन्यवाद करते हैं।
  • स्कूलों एवं कालेजों में इस दिन कई प्रोग्राम आयोजित करके डॉक्टरों के महत्व के बारे में लोगों को बताया जाता हैं और धन्यवाद करने के लिए बच्चों द्वारा चित्रकला व ड्राइंग प्रतियोगिता भी आयोजित की जाती है।
  • हम अस्पताल या नर्सिंग होम में जाकर डॉक्टर्स को धन्यवाद करने के लिए उन्हें गिफ्ट भी दे सकते हैं।

कोरोना महामारी में डाॅक्टर्स की अहम भूमिका

इस कोरोना महामारी के दौरान जब कोई जरूरत पड़ी, तो बिना घबराएं लोगों का इलाज करने के लिए डाॅक्टर्स ने ही अपनी अहम भूमिका निभाई। कोरोना संक्रमण के समय हम देख ही रहे है कि कैसे डाॅक्टर्स अपनी जान जोखिम में डालकर मरीजों की देखभाल कर रहे है।

निष्कर्ष-

अब आप सभी जान ही गए होंगे डॉक्टर का हमारे जीवन लिए क्या योगदान है। इसी लिए तो भगवान के बाद डॉक्टर को इंसान के रूप में भगवान के समान दर्जा दिया जाता है। एक डॉक्टर ही है, जो व्यक्ति को नया जीवनदान दे सकता है। सभी डॉक्टर्स का फर्ज बनता है कि वह अपनी सामाजिक जिम्मेदारी को समझते हुए पैसा कमाने को पेशा ना बनाकर मानवीय सेवा को अपना पेशा बनाएं। तभी हमारा डॉक्टर्स डे मनाना सही साबित होगा। लेकिन वर्तमान में डॉक्टर संघर्ष करता हुआ नजर आ रहा है इसके पीछे कई कारण है।

हमारे शरीर के स्वास्थ्य और संतुलित कार्य प्रणाली के लिए बहुत से विटामिन आवश्यक हैं। विटामिन बी 12 भी शरीर के लिए अत्यंत आवश्यक है। विटामिन b12 को कोबालमीन भी कहा जाता है। यह इकलौता ऐसा विटामिन है। जिसमें कोबाल्ट धातु पाया जाता है। मेटाबॉलिज्म से लेकर डीएनए सिंथेसिस और रेड ब्लड सेल्स के गठन में विटामिन बी 12 की जरूरत पड़ती है। नर्वस सिस्टम की हेल्थ के लिए भी बी12 अत्यंत आवश्यक है।

विटामिन बी12 की कमी से दिखने वाले लक्षण-

बी 12 की कमी के कारण शरीर में कई तरह के लक्षण और विकार दिखने लगते हैं। बढ़ती उम्र या पोषण तत्व या पेट की सर्जरी की वजह से विटामिन b12 की कमी हो सकती है। इस कमी को पूरा करने के लिए विटामिन b12 सप्लीमेंट्स दिए जाते हैं। परंतु सबसे पहले विटामिन b12 की कमी के लक्षणों को पहचानना आवश्यक है।

एक्सपर्ट्स के अनुसार इसकी चार प्रकार के प्रमुख लक्षण होते हैं। इसमें स्किन हाइपरपिगमेंटेशन, विटिलिगो, एंगुलर चेलाइटिस और बालों में बदलाव शामिल है।

हाइपरपिगमेंटेशन-

यह एक ऐसा रोग है जिसमें त्वचा पर दाग धब्बे, पेट या शरीर की दूसरी त्वचा से रंग गहरा हो जाता है। यह डार्क पेज चेहरे के अलावा शरीर के किसी भी हिस्से पर दिखाई दे सकते हैं।

अमेरिकन ओस्टियोपेथिक कॉलेज ऑफ डर्मेटोलॉजी के अनुसार हाइपरपिगमेंटेशन तब होता है, जब त्वचा ज्यादा मात्रा में मेलेनिन नामक पिगमेंट का उत्पादन करने लगती है। यह पिगमेंट त्वचा के रंग से काला रंग प्राप्त होता है। बढ़ती उम्र के लोगों में यह ज्यादा धूप में रहने वालों में ज्यादा होता है। वैज्ञानिकों के अनुसार ऐसा इसलिए होता है क्योंकि सूर्य की यूवी किरणों से अपनी रक्षा करने के लिए त्वचा मेलेनिन का ज्यादा मात्रा में उत्पादन करने लगती है। इसी कारण से त्वचा पर पैच आ जाते हैं।

विटिलिगो-

यह एक आम तौर पर देखी जाने वाली बीमारी है। इसे सफेद दाग भी कहा जाता है। यह हाइपरपिगमेंटेशन के विपरीत है क्योंकि इसमें मेलेनिन की कमी हो जाती है। जिसके कारण सफेद पैच हो जाते हैं। शरीर पर सफेद दाग या पैच की स्थिति को विटिलिगो कहते हैं। यह उन अंगों पर होती है जो सूर्य के सीधे संपर्क में आते हैं। चेहरा, गर्दन और हाथ के हिस्से में यह आम तौर पर होती है।

एंगुलर चेलाइटिस-

यह एक ऐसा रोग है। जिसमें मुंह के कोनो पर लालिमा और सूजन आ जाती है। एक्सपर्ट्स के अनुसार लालिमा और सूजन के अलावा दरारों में दर्द होना ट्रस्टिंग पोजिंग और खून निकलने की समस्या भी होती है।

बालों का झड़ना-

विटामिन b12 की कमी से बालों की समस्या भी उत्पन्न होती है। बालों में विकास के लिए शरीर में पर्याप्त मात्रा में विटामिन b12 का होना आवश्यक है और विटामिन b12 की कमी से ही बाल झड़ने लगते हैं।
सिर्फ इतना ही नहीं विटामिन b12 की कमी के अन्य लक्षण है।
त्वचा का रंग हल्का पीला होना, जीव का रंग पीला या लाल होना, मुंह में छाले, त्वचा में सुई चुभना, चलने के तरीके में बदलाव,धुंधली दृष्टि, चिड़चिड़ापन, डिप्रेशन, सोचने व महसूस करने के तरीकों में बदलाव आना, मानसिक क्षमताओं में गिरावट जैसे स्मृति, समझ और निर्णय लेने में असमर्थ होना।

विटामिन b12 को हम कैसे पूरा कर सकते हैं-

विटामिन b12 दूध, दही, पनीर वह चीज के सेवन से पर्याप्त मात्रा में प्राप्त होता है। अगर आप भी इन समस्याओं से बचना और सुरक्षित रहना चाहते हैं, तो इन सब का सेवन अवश्य करें। इनमें से किसी भी प्रकार की समस्या होने पर जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करें।

इम्यूनिटी:- इम्यूनिटी यानी हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता जो कि हमें कई प्रकार की बीमारियों से बचा सकता हैं। हमारा इम्यून सिस्टम मजबूत हैं, तो हमारा शरीर कई प्रकार की बीमारियों से लड़ सकता हैं।

इम्यूनिट सिस्टम हमारे शरीर में कैसे काम करता हैं, इसको हम एक उदाहरण से समझ सकते हैं जैसे हमारा लेपटॉप या कम्प्यूटर होता हैं, उसमें जो हम एंटीवायरस डालते हैं वो क्यों डालते हैं वो इसलिए डालते हैं, क्योंकि वो पेनड्राइव के द्वारा या किसी इंटरनेट के जरिए वायरस आते हैं, उससे वो एंटी वायरस उसकी सुरक्षा करता हैं। इसलिए वो एंटीवायरस को इंस्टॉल करते हैं। ठीक उसी तरह हमारे शरीर के अंदर भी एक इम्यून सिस्टम होता हैं, जो रोगों से लड़ने में हमारी मदद करता हैं।

इम्यूनिटी बढ़ाने के उपाय:-

  1. मेडिटेशन के साथ प्राणायाम:- मेडिटेशन के साथ प्राणायाम का अभ्यास करे। सुबह-शाम कम से कम 15-20 ऐसा करने से आपका आत्मबल बढ़ेगा, जिससे आपका मानसिक स्वास्थ स्वस्थ बना रहेगा।
  1. रोजाना सुबह नीम गिलोय की भाप ले और बीमारियों से बचे:- नीम व गिलोय की टहनी पत्तों समेत 100-100 ग्राम कूटकर 2 लीटर पानी डालकर उसकी भाप ले। 25 लंबे समय लेते-छोड़ते जाइए‌। यह भांप 2 मिनट तक ले रोजाना सुबह के समय ऐसा करेे|
  2. पिस्ता ले– अपनी प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए पिस्ता ले। क्योंकि इनमें फाइबर, खनिज ओर अनसेचुरेटेड फैट होते हैं और इनसे कई लाभ होते हैं। जैसे:- ह्रदय रोग का खतरा कम, ब्लड शुगर नियंत्रण, ब्लड प्रेशर नियंत्रण, कोलेस्ट्रॉल नियंत्रण आदि।
  3. विटामिन सी ले:- विटामिन सी से भरपूर फल जैसे कि किन्नू , मौसमी, संतरा, नींबू और आंवला आदि खाए व इम्यूनिटी बढ़ाए।
  4. घरेलू प्रोटीन स्रोतों को शामिल करे:- छाछ, दाल, पनीर, पिस्ता, काले चने, दालें आदि लेने आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी।
  5. हफ्ते में एक या दो बार यह काढ़ा पीए और स्वस्थ रहे:

काढ़ा बनाने की विधि:-

4 पत्ते नीम, 2 इलायची, 4 पत्ते तुलसी, 1-1 चुटकी हल्दी, मुलेठी, 10 ग्राम गिलोय ( पत्ते व टहनी ) , अजवाइन व सोंठ, 2 लोंग, 5 ग्राम जीरा।


इस सामग्री को 300 ग्राम पानी में डालकर 150 ग्राम होने तक उबाले। स्वादानुसार 20 ग्राम शहद या गुड़ मिला सकते हैं। फिर इसे चाय की तरह धीरे-धीरे पिए।


इस काढ़े को आप ऑनलाइन भी मंगवा सकते हैं। इम्यूनिटी बढ़ाने में यह काढ़ा रामबाण का काम करता हैं।

दोस्तों यह थे, इम्यूनिटी बढ़ाने के कुछ सरल व घरेलू नुस्खे। जिसके द्वारा हम आसानी से अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा सकते है। ऐसा करके हम भयानक से भयानक बिमारियों से बच सकते है|

आखिर क्यों बढ़ रहे हैं भारत में ब्लैक फंगस के मामले

ब्लैक फंगस के सबसे अधिक मामले भारत में कोरोना की दूसरी लहर में देखने को मिल रहे हैं। जिन्होंने बड़ी संख्या में तबाही मचा रखी है। ऑक्सीजन और हस्पताल में बेड्स की कमी से बहुत से मरीजों को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

जैसे कि आप जानते है, कोरोना महामारी की समस्या तो सारी दुनिया में फैल रही है, लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि आखिर ब्लैक फंगस की समस्या केवल भारत में ही दिनों- दिन क्यों बढ़ती जा रही है।

भारत में इसका सबसे बड़ा कारण लापरवाही और घर पर ही दवाईयां लेना बताया जा रहा है।
जानकारी के अनुसार ब्लैक फंगस से निपटने के लिए लिपोसोमल एंफोटेरेसिरिन भी इंजेक्शन का उपयोग होता है। इसके उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार के द्वारा पांच और कंपनियों को इसको बनाने का लाइसेंस दिया गया है।

पूरा विश्व अभी तक कोरोना वायरस के कहर से जूझ रहा है तो दूसरी भारत में ओर चैलेंज ब्लैक फंगस ने दी दस्तक जो एक बेहद ख़तरनाक इंफेक्शन है और पिछले कुछ दिनों से कोविड-19 के मरीजों को तेज़ी से अपना शिकार बना रहा है। जिससे लोग बेहद चिंतित हैं। इसकी शुरुआत दिल्ली से हुई उसके बाद में गुजरात, अहमदाबाद, पंजाब राजस्थान इत्यादि को इसने अपनी चपेट में ले लिया है, जो बेकाबू हो रहा है और कुछ मरीजों की मौत हो चुकी है। भारत में ब्लैक फंगस के सबसे अधिक 11 हजार से ज़्यादा मामले सामने आ चुके है। कई राज्यों में इसे महामारी घोषित किया जा चुका है। तो आइए जानते हैं भारत में फैल रहे ब्लैक फंगस के बारे में, इसके लक्षण और बचने के उपाय?

ब्लैक फंगस क्या है-

ब्लैक फंगस या म्यूकर माइकोसिस एक ऐसी घातक फंगल बीमारी है, जोकि म्यूकरमायोसिस नाम के फंगाइल से होता है। जो शरीर के जिस भी भाग में होता है, उसे खत्म कर देता है।

ब्लैक फंगस हमारे शरीर पर कैसे असर डालता है-

  • चेहरे, नाक व आंख के अलावा मस्तिष्क को अपनी चपेट में ले रहा है।
  • जिससे आंखों की रोशनी जाने का भी खतरा होता है।
  • दिमाग के साथ-साथ साइनस फेफड़ों पर भी असर डालता है।

ब्लैक फंगस किसी भी आयु के व्यक्ति में देखा जा सकता है ये बीमारी इतनी घातक है कि जहां भी हो जाए वो अंग निकालने पड़ते हैं।

क्या है ब्लैक फंगल का वैज्ञानिक नाम-

ब्लैक फंगस का वैज्ञानिक नाम म्यूकोरमाइकोसिस है, जो एक घातक व बहुत कम होने वाला फफूंद संक्रमण है। जो भारत में Covid-19 के मरीजों में तेजी से फ़ैल रहा है।

कैसे फैलता है ब्लैक फंगस और कहां पाया जाता है-

ब्लैक फंगस एक रेअर संक्रमण है जोकि हमारे वातावरण में कहीं से भी पाया जा सकता है। जो सांस के द्वारा हमारे शरीर में पहुंच जाता है। ब्लैक फंगस हमारी धरती के साथ-साथ सड़ने वाले ऑर्गेनिक पदार्थों जैसे कि बड़ी लकड़ी, कम्पोस्ट खाद व पत्तियों में पाया जाता है।

इतिहास-

अगर देखा जाए तो हमारे लिए ब्लैक फंगस बीमारी नई है, लेकिन जर्मनी के पाल्टाॅफ नाम के एक पैथोलॉजीस्ट ने 1885 में ब्लैक फंगस का पहला मामला देखा था इस को म्यूकोरमाईकोसिस नाम अमेरिकी पैथोलॉजीस्ट आरडी बेकर ने दिया था। 1955 में इस बीमारी से बचने वाला पहला व्यक्ति हैरिस था।

ब्लैक फंगस होने के लक्षण-

कोरोना वायरस के चलते इसके लक्षणों को पहचान पाना मुश्किल है। लेकिन ये देखा गया है कि जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती, उनको ये अपनी चपेट में लें रहा है जैसे कि

मस्तिष्क व साइनस संबंधी म्यूकरमायोसिस के लक्षण में शामिल होने वाले-

  • सिरदर्द
  • चेहरे के एक तरफ सूजन
  • चेहरे पर जैसे कि नाक,आंख व मुंह वाले हिस्से में काले घावों का भयंकर रूप धारण करना।

फेफड़ों से संबंधित म्यूकरमायोसिस के लक्षण-

  • बुखार होना
  • खांसी
  • छाती में दर्द होना
  • सांस लेने में मुश्किल आना

गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल से संबंधित म्यूकरमायोसिस के लक्षण-

  • उल्टी आना
  • पेट में दर्द होना

ब्लैक फंगस के शरीर में फैलने की आशंका-

  • ब्लैक फंगस के होने की संभावना उन्हें ज्यादा होती है, जो कि पहले से ही किसी न किसी बीमारी से जूझ रहे हो।
  • निरंतर उन दवाइयों का इस्तेमाल करना जोकि आपकी इम्यूनिटी को कम कर रही हो।
  • जो व्यक्ति मधुमेह के मरीज हो ।
  • जिसकी ब्लड शुगर कंट्रोल नहीं होती है, तो वो डाॅक्टर की सलाह लिए बिना स्टेराॅइड लेना न छोड़ें।
  • गंदे मास्क का इस्तेमाल करने से।
  • शरीर में धीमी उपचारात्मक क्षमता के कारण।

इन अफवाहों से बचें इन पर न दें ध्यान-

  • कुछ लोगों का मानना है कि कुछ भी कच्चा खाने से फंगस इन्फेक्शन हो रहा है जोकि गलत धारणा है।
  • कहीं ओर से लाए गए सिलिंडर द्वारा कोरोना के मरीज को ऑक्सीजन सपाॅर्ट की वजह से।
  • होम आइसोलेशन में रह रहे, अधिकतर कोरोना मरीजों में फंगस इन्फेक्शन के लक्षणों में देखा जा सकता है।

इससे बचने के उपाय-

  • मरीज की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए उसे फल, संतरा व नीबू पानी दें।
  • तली चीजें न देकर इम्यूनिटी सिस्टम मजबूत करने वाले पदार्थों का सेवन करें।
  • शरीर में पानी व नमक की मात्रा कायम रखी जाएं। मरीज पर लगातार निगरानी रखे। समय पर उपचार न मिलने की वजह से जानलेवा हो सकती है।

अपने आप को फंगस इंफेक्शन से कैसे बचाएं-

  • यदि हमारे शरीर में इम्यूनिटी सिस्टम मजबूत होगा, तो कोई भी बीमारी हमारे शरीर में प्रवेश नहीं कर सकती। इसलिए सबसे मुख्य कारण शरीर को स्वस्थ व फिट रखने के लिए इम्यूनिटी सिस्टम मजबूत होना चाहिए।
  • स्टेराॅईड का अतिरिक्त सेवन न करें।
  • मधुमेह को नियंत्रित रखने का प्रयत्न कीजिए।
  • जिस व्यक्ति को म्यूकरमायोसिस की बीमारी हो उस व्यक्ति के संपर्क से दूर रहें।
  • कैंसर, एड्स वाले मरीजों को फंगल इंफेक्शन का अधिक खतरा होता है।
  • अगर समय पर इसके लक्षणों को पहचानकर उपचार हो जाए तो व्यक्ति ठीक हो जाता है।

ब्लैक फंगस से बचने के लिए इम्यूनिटी से भरपूर पदार्थ ले, यदि आप इस बीमारी का शिकार हो गए हो जाए तो तुरंत इन लक्षणों को पहचानें और डाॅक्टरों से सही समय पर उपचार करवाएं।

थैलेसीमिया क्या होता है

थैलेसिमिया एक आनुवंशिक रोग है, जो अक्सर बच्चों में जन्म से पाया जाता है। प्रत्येक वर्ष लाखों लोग इस बीमारी से ग्रसित होते हैं बच्चों को इस बीमारी से अधिक खतरा रहता है। इस रोग में मरीज के शरीर में खून सामान्य स्तर तक नहीं बन पाता। हमारे शरीर में रक्त में तीन प्रकार के रक्ताणु पाए जाते है- लाल रक्ताणु , सफेद रक्ताणु और प्लेटलेट्स। लाल रक्ताणु शरीर में बोन मैरो में बनते रहते है और इनकी आयु लगभग 120 दिन की होती है और इसके बाद ये मृत हो जाते है। परंतु साथ में नए भी बनते रहते है। अगर यह प्रकिर्या सही अनुपात में न हो तो इसी विकार को थैलेसिमिया कहा जाता है।

थैलेसिमिया के दो प्रकार

World Thalassemia Day 2021 - Exclusive Samachar

यह दो प्रकार का होता है

  • माइनर थैलसीमिया।
  • मेजर थैलेसिमिया।

माइनर थैलसीमिया वाले बच्चों के जीवन में रक्त समान्य रूप से नहीं बन पाता लेकिन वह सामान्य जीवन जी लेते हैं, लेकिन मेजर थैलेसिमिया वाले बच्चों को हर 21-22 दिन में रक्त चढ़ाना पड़ता हैं।

विश्व थैलेसीमिया दिवस का उद्देश्य

यह दिन हर वर्ष 8 मई को मनाया जाता है। इसे मनाने का मुख्य उद्देश्य इस बीमारी के लक्षणों और इस बीमारी से कैसे निपटा जाए, उन तरीकों के बारे में सभी को जागरूक करना और जो इस बीमारी के साथ जी रहे हैं, उन्हें प्रोत्साहित करना। तो आइए हम भी इस बीमारी के बारे में जितना हो सके, जागरूकता फैलाए और थैलेसीमिया से पीड़तों के लिए नियमित रक्तदान को अपनी जिंदगी का अभिन्न अंग बनाए और दूसरों को भी प्रेरित करें।

भारत में थैलेसीमिया के आंकड़े

Thalassemia statistics in India - Exclusive Samachar

विश्व भर में लगभग 1 लाख बच्चे जन्म से थैलेसीमिया का शिकार होते हैं। अगर भारत की बात की जाए, तो प्रत्येक वर्ष 10 हजार से अधिक बच्चे जन्म से थैलेसीमिया के रोगी पाए जाते हैं। यह एक ऐसा रोग है जिसकी पहचान बच्चों में 3 महीने बाद ही हो पाती है। ऐसा रक्त की कमी के कारण होता है और इसका इलाज ताउम्र करवाना पड़ता है। सही समय पर उपचार न मिलने पर बच्चे की मृत्यु भी हो सकती है। तो आइए जानते हैं इस बीमारी के लक्षण क्या है और इससे बचने के उपाय।

आखिर क्यों होता है यह रोग

जैसे कि हम बात कर चुके हैं कि यह एक आनुवंशिक रोग है, यह माँ-बाप से ही बच्चों को होता है ।अगर माँ या बाप में से किसी को भी यह रोग है या दोनों को है तो उनकी आने वाली पीढ़ी में भी इस रोग के होने के आसार होते हैं।

थैलसीमिया के लक्षण

  • थकान ,
  • छाती में दर्द,
  • सांस लेने में कठनाई,
  • सिर दर्द,
  • चक्र आना ,
  • बेहोशी,
  • पेट मे सूजन ,
  • सक्रमण,
  • त्वचा,नाखूनों,आंखें और जीभ का पीला होना इत्यादि।
  • लेकिन कुछ लक्षण बाल्य अवस्था तथा किशोरावस्था के बाद दिखाई देते हैं।

इस रोग से कैसे बचा जाए

  • इसके लिए सबसे जरूरी है कि शादी से पहले लड़का और लड़की टेस्ट करवा कर सुनिश्चित कर ले कि कहीं दोनों में से किसी को भी माइनर थैलसीमिया तो नहीं है।
  • अगर माता या पिता में से किसी को भी थैलेसीमिया हो तो वह डॉक्टर की सलाह और निगरानी में ही बच्चा प्लान करें।
  • रोगी विटामिन भरपूर और आइरन युक्त पदार्थ लें।
  • संतुलित आहार लें।
  • नियमित रूप से एक्सरसाइज करें।

निष्कर्ष

आइए हम सब मिलकर लोगों को इस बारे में जागरूक करें। यह ऐसा रोग है जो माता पिता के जींस में गड़बड़ी होने के कारण होता है। इसके बारे में अगर सभी को जागरुक किया जाए तो इस रोग के होने की संभावना बहुत कम होती है। हम ऐसे रोगियों के लिए अधिक से अधिक रक्त दान करें ताकि रक्त की कमी से किसी की भी मृत्यु ना हो।

विश्व स्वास्थ्य दिवस 2021

वर्ष के 360 दिनों में बहुत से दिन व त्यौहार ऐसे आते हैं जिसे लोग एक साथ मिलकर मनाते हैं और जिन्हें मनाने का कोई न कोई उद्देश्य अवश्य होता है उसी ही तरह उनमें से एक दिवस है स्वास्थ्य दिवस जोकि लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से मनाया जाता है।

हमारा स्वास्थ्य ही हमारी वास्तविक दौलत है। यदि हमारा स्वास्थ्य ठीक होगा, तो हम सब कुछ प्राप्त कर सकते हैं। आज लोग अपनी आलसी और निष्क्रिय आदतों के कारण अच्छा स्वास्थ्य बनाने में असफल हो रहें हैं। अस्वस्थ व्यक्ति जिंदगी में हमेशा चिंतित रहता है और अपना पूरा समय बीमारियों से पीड़ित होकर शिकायतें करने में गुजार देता है। स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन और आत्मा निवास करते हैं। अच्छा स्वास्थ्य जीवन का अमूल्य तोहफा है, जो भगवान के दिए हुए वरदान की तरह है और हमें सभी रोगों से मुक्ति प्रदान करता है। 

विश्व स्वास्थ्य दिवस कब मनाया जाता है?

7 अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य दिवस के रूप में मनाया जाता है। जिसकी शुरुआत 1948 को (WHO) विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा की गई थी और पूरे विश्व में इसकी शुरुआत 7 अप्रैल 1950 को हुई। इस दिन कई जगह मैडिकल कैंप्स लगाकर इस दिवस को मनाया जाता है। 

विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाने का उद्देश्य

विश्व स्वास्थ्य दिवस को मनाने का उद्देश्य लोगों को स्वास्थ्य के महत्व के बारे में समझाना है और जागरूक करके अस्वस्थ व्यक्ति को स्वस्थ बनाना है क्योंकि किसी ने सच ही कहा है “जैसा खाए अन्न वैसा होए मन” आज विश्व के प्रत्येक व्यक्ति का खान पान ही कुछ ऐसा है जिसकी वजह से वह अलग-अलग बीमारियों से जूझ रहा है। जैसे कि कुछ लोग कैंसर, पोलियो, एड्स व पेट की अन्य बीमारियां से परेशान हैं।

आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में लोग अपने कार्यों मे व्यस्त होने व अधिक आय कमाने के चक्कर में अपने स्वास्थ्य का ध्यान नहीं रखते। जिसके कारण उन्हें कई बीमारियो का सामना करना पड़ रहा है।

इस बार की थीम है

WHO द्वारा कोविड-19 के चलते नर्सों और मिडवाइव्स को योगदान देने का समर्थन किया है। जो कोरोना की जंग से लड़ रहे है और लोगों को स्वस्थ रखने की कोशिश कर रहे हैं। इसलिए WHO ने उसे #SupportNursesAndMidwives थीम का नाम दिया है।

कैसे मनाया जाता है विश्व स्वास्थ्य दिवस

सभी लोगों को अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने के लिए स्वास्थ्य संबंधित कई तरह के कार्यक्रम करके इस दिवस को मनाया जाता है। सरकारी, गैर सरकारी संस्थाओं में स्वास्थ्य संबंधी कार्यक्रमों के साथ-साथ हैल्थ कैंप्स के साथ फ्री मैडिकल चेकअप्स करवाएं जाते हैं। नाटकों का आयोजन करके कला प्रदर्शनी भी लगाई जाती है। स्कूलों- काॅलेजों में बच्चों में निबंध और वाद-विवाद प्रतियोगिता आयोजित करवाकर स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करवाया जाता है। जैसे कि –

  • लोगों को बताया जाता है कि कैसे हम अपने आस पास सफाई रख कर बीमारियो से बच सकते हैं।
  • स्वस्थ व खुशहाल जीवन जीने के लिए पौष्टिक आहार लें।
  • व्यायाम और योग को अपनी दिनचर्या में शामिल करें और अपनी सोच को सकारात्मक बनाएं।
  • अच्छे स्वास्थ्य के लिए अच्छी नींद लें और समय पर सोएं।
  • साधारण चाय की जगह ग्रीन टी का इस्तेमाल करें।
  • धरती मां को हरा-भरा बनाएं रखने के लिए और स्वास्थ्य जीवन जीने के लिए वृक्ष लगाएं इत्यादि।

आइए जानते हैं स्वास्थ्य जीवन जीने के लिए क्या न करें?

  • फास्ट फूड का इस्तेमाल बहुत कम करें।
  • ज्यादा कोल्ड ड्रिंक न पीएं।
  • शराब, तंबाकू व अन्य नशीले पदार्थों का सेवन न करें इत्यादि।

एक स्वस्थ व्यक्ति संसार का सबसे सुखी व्यक्ति माना गया है। इसलिए स्वयं को शारीरिक, मानसिक, समाजिक, बौद्धिक और भावनात्मक रूप से स्वस्थ रखने के लिए अपनी दिनचर्या में व्यायाम, सकारात्मक सोच और अच्छी आदतों को शामिल करें।

स्वास्थ्य संबंधी आज अनेक बीमारियां तेजी से फैल रही है, जो दिव्यांगता का कारण भी बन रही है। जिससे परिवारों में परेशानियां बढ़ रही है। अपनी सेहत का ध्यान रखना हमारा कर्तव्य है, इसलिए आइए आज हम सभी ‘विश्व स्वास्थ्य दिवस’ पर प्रण करे कि स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने वाली वस्तुओं से दूर रहेंगे और अपने खानपान का पूरा ध्यान रखेंगे।

सर्दियों में कैसे रखें अपनी त्वचा को कोमल 

हमारी खूबसूरती का सबसे अनमोल तोहफा हमारी सेहतमंद त्वचा है। ठंड से बचने के लिए सर्दी के मौसम में हम गर्म कपड़े पहनकर खुद को तो बचा लेते हैं, लेकिन सर्द हवाओं से हमारी त्वचा सुखी व बेजान हो जाती है।ऐसे में हम कई तरह के Products का इस्तेमाल करते हैं। जो हमारी त्वचा के लिए काफी नुकसानदायक साबित होते है।

रूखी त्वचा

सर्दियों में हर व्यक्ति की त्वचा रूखी व बेजान हो जाती है। जिसके कारण हमारी खूबसूरती गायब होने लगती है। उसको ही रूखी त्वचा कहा जाता है।

सर्दी के मौसम में Rough Skin होने के कारण

1. नहाने के लिए बहुत ज्यादा गर्म पानी का इस्तेमाल करना।
2. ज्यादा समय तक सूर्य के संपर्क में रहना।
3. लम्बे समय से बीमार व्यक्ति द्वारा एलोपैथिक दवाओं का सेवन करने से।
4. अधिक समय तक स्वीमिंग पूल में तैरने से व्यक्ति की त्वचा की नमी खो जाती है। क्योंकि इस पानी में क्लोरीन युक्त होता है।
5. रूखी त्वचा का एक कारण बढ़ती हुई उम्र भी हो सकती है।
6. हाइपोथाॅयराडिज्म नामक बीमारी से पीड़ित व्यक्ति की त्वचा  रूखी रहती है।

सर्दी में रूखी त्वचा से बचने के उपाय :- 

आज हर व्यक्ति सर्दी में रूखी त्वचा से परेशान हैं। इन रूखी व बेजान त्वचा की परेशानी से बचने के लिए हमें घरेलू नुस्खों के साथ- साथ अपनी जीवनशैली और आहार में बदलाव लाना होगा।सूखी व बेजान त्वचा से छुटकारा पाने और खूबसूरत त्वचा पाने के लिए आजमाएं ये बहुत ही आसान घरेलू नुस्खे।

पुरातन महिलाओं के साधारण घरेलू नुस्खें अपनाएं और पाएं खूबसूरत व कोमल त्वचा

ठंड से बचने के लिए बाजारों में मिलने वाले अधिकतर काॅस्मैटिक्स में खतरनाक उत्पादन होते हैं। जिसके नियमित इस्तेमाल से हम को त्वचा संबंधी कई परेशानियां आ सकती हैं। पुरातन समय में महिलाएं अपना रूप निखारने के लिए कुदरती तरीकों पर आधारित रहा करती थी। लेकिन आज के दौर में हम घरेलू नुस्खों को भूल चुके हैं। लेकिन वास्तव में इनका प्रभाव बहुत अधिक व लम्बें समय तक रहता है। सब से सुखद पहलू यह है कि इन चीजों का कोई साइड इफ़ेक्ट जा नुकसान नहीं होता।

शहद एक घरेलू फेस पैक

शहद पूरी तरह से प्राकृतिक है।त्वचा की कई तरह की बीमारियों से राहत पाने के लिए शहद बहुत ही कारगर उपाय है। जैसे जलन से राहत पाने के लिए और सूखी त्वचा को नम रखने के लिए। झाइयां दूर करने के लिए शहद और नींबू का पेस्ट बना कर लगाएं।

मुल्तानी मिट्टी, शहद व पानी मिलाकर एक पेस्ट तैयार कर लें और पैक की तरह चेहरे पर लगाएं। 15-20‌ मिनट बाद गुनगुने पानी से धो दें। सप्ताह में दो बार आप इसका इस्तेमाल कर सकते हैं। इसे सीधा भी त्वचा पर लगाया जा सकता है।

नर्म व मुलायम त्वचा पाने का राज़ नारियल का तेल

नारियल के तेल में सेचुरेटेड फैटी एसिड्स होते हैं। जो त्वचा को नर्म व मुलायम बनाते हैं। इसलिए रोज सोते समय नारियल का तेल अपनी त्वचा पर लगाएं। नहाने से पहले या नहाने के बाद भी आप तेल लगा सकते हैं।

रुखी त्वचा में रौनक लाने मे सहायक दूध मलाई

थोड़ी सी दूध मलाई में एक चम्मच तिल मिलाकर चेहरे और गर्दन पर लगाने से आपका चेहरा चांद की तरह चमकने लगेगा।

खूबसूरती बढाएं, एलोवेरा लगाएं

जिन लोगों की हाथों और पैरों की त्वचा सूखती है व पिम्पल्स की समस्या है ऐसे में राहत पाने के लिए दिन में तीन बार एलोवेरा Gel लगाएं जिससे  बहुत जल्दी ठीक हो जाते हैं।

चेहरे को अच्छी तरह धोएं, फिर टाॅवल से चेहरा हल्के से सुखाने के बाद Gel की मोटी परत लगाएं, कुछ ही दिनों में फर्क आप खुद महसूस करेंगे।

त्वचा को निखारे दूध और बादाम

दूध का इस्तेमाल हमारी त्वचा को हाइड्रेट तो करता ही है, इसके साथ ही दाग और धब्बों को भी दूर करता है। दूध हमारी त्वचा के लिए ब्लीचिंग का काम करता है। बादाम त्वचा में नमी बनाएं रखने के लिए एक प्रकृति एमोलिएंट होता है।

प्रयोग की विधि

दोनों के मिश्रण को एक कटोरी में मिलाकर रूई के साथ लेकर लगाएं। 15-20 मिनट के बाद गुनगुने पानी से धो लें।

अच्छा आहार लें और दिखे खूबसूरत और जवां

घरेलू नुस्खों के साथ-साथ हमारे आहार का हमारे रूप पर गहरा प्रभाव पड़ता है। एक स्वस्थ डाइट न केवल हमारी सेहत, बल्कि हमारा रूप- सौन्दर्य निखारने में भी अहम भूमिका अदा करती है। फाइबर-युक्त फल, हरी सब्जियां और एण्टी आॅकि्सडैंट्स हमारी त्वचा के लिए बहुत जरूरी है। याद रखिए, यदि हमारा आहार सही न हो तो किसी भी प्रकार का काॅस्मैटिक हमारी त्वचा को निखार नहीं सकते।

अच्छी नींद लें और पाएं स्वस्थ त्वचा :- 

नुस्खों व आहार के बीच नींद को कभी नहीं भूलना चाहिए। क्योंकि अच्छी नींद सेहत का आधार होती है। हमारे स्वास्थ्य के साथ-साथ हमारी त्वचा के लिए रोजाना 5 से 8 घंटे की नींद जरूरी होती है। जिससे मांसपेशियों को आराम मिलता है।

व्यायाम :- 

जो फायदा हमें व्यायाम से मिलता है, उसकी तुलना कोई क्रीम या जैल से नहीं की जा सकती है। इसका एक बड़ा कारण यह है कि व्यायाम के दौरान शरीर से जो पसीना निकलता है, उस से त्वचा के रोमछिद्र खुल जाते हैं।

Conclusion:

हम फालतू का फिजूल खर्च न करके इन घरेलू नुस्खों को अपनाकर खूबसूरत और रूखी त्वचा से छुटकारा पा सकते हैं। इसलिए थोड़ी मेहनत करें और घरेलू नुस्खों को अपने जीवन में अपनाएं और दिखे लम्बे समय तक जवां।

मानसिक तनाव आज के समय में हर किसी के जीवन मे स्थाई रूप से अपने पैर पसार चुका है। तनाव व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य को बुरी तरह से प्रभावित कर रहा है। 
आपकी जिंदगी से शुरू होने वाला मानसिक तनाव पूरी दुनिया के लिए एक बड़ी समस्या बनकर उभर रहा है। जो अपने साथ कई तरह की अन्य समस्याओं को जन्म देने मे सक्षम है। 

उद्देश्य 

तनावग्रस्त जीवनशैली मे बिगड़ने वाली मानसिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए इसके प्रति लोगों में जागरूकता पैदा करने और इससे बचने के उपायों पर विचार करने के उद्देश्य से हर साल 10 अक्टूबर को पूरे विश्व मे मानसिक स्वास्थ्य दिवस या World Mental Health Day के रूप मे मनाया जाता है।

कोरोना काल में लोगों की मानसिक स्तिथि 

24 March से लगे Lockdown  के कारण बच्चे, बूढ़े, जवान आदि सभी लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर बहुत गहरा असर पड़ है। Lockdown के चलते लोग अपनी सोचने समझने की शक्ति खो बैठे है। उन्हें यह भी नही पता कि उन्हें क्या करना चाहिए और क्या करने जा रहे हैं। 

Lockdown के चलते स्कूल, कालेज, हर प्रकार के कामकाज बंद थे और घर मे बिना किसी काम के खाली बैठना सरल शब्दों में कहें कि खाली दिमाग शैतान का घर। तो यही कारण है कि Lockdown से लोगों के स्वास्थ्य पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा है।

मानसिक विकार की संख्या

आज Approx 1 Million से अधिक लोग मानसिक विकार के साथ जी रहे है और प्रत्येक 40 second मे एक व्यक्ति आत्महत्या करके स्वयं की जान का दुश्मन बनता जा रहा है।

मानसिक तनाव के लक्षण 

मानसिक तनाव से जूझने वाले व्यक्ति मे कुछ विशेष लक्षण दिखाई देते हैं। 

जैसे उदास रहना, थकान, डर लगना, भूलने की समस्या, नींद ना आना, कमजोरी, आत्मविश्वास मे कमी आदि।

यह बात हर किसी को हर दिन याद रखनी चाहिए कि तनाव किसी समस्या का हल नही होता बल्कि कई अन्य समस्याओं का जन्मदाता होता है।             

उदाहरण

तनाव आपको अत्याधिक सिरदर्द, माइग्रेन, उच्च या निम्न रक्तचाप, हृदय से जुड़ी समस्याओं से ग्रस्त करता है। दुनिया मे सबसे ज्यादा हार्ट अटैक का प्रमुख कारण मानसिक तनाव होता है। यह आपका स्वभाव चिड़चिड़ा कर आपकी खुशी और मुस्कान को भी चुरा लेता है। इससे बचने के लिए तनाव पैदा करने वाले अनावश्यक कारणों को जीवन से दूर करना जरूरी ही नही अनिवार्य हो गया है।                          

चूंकि पूरा विश्व मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूक हो रहा हैं और तनाव से दूर रहने के प्रयास कर रहा है। तो हमें भी कोशिश करनी चाहिए कि किसी भी समस्या मे अत्याधिक तनाव नही लेंगे क्योंकि यह कई तरह की शारीरिक समस्याओं को भी जन्म दे सकता है। 

चिंता चिता के समान

आखिरकार तनाव लेने से समस्याएं सुलझाने के बजाए और अधिक जटिल हो जाती है। तो बेहतर यही है कि उन्हें शांति से समझते हुए हल किया जाए।          

समस्या मे मुस्कुराना भूलना नही चाहिए। इसलिए हंसते रहिए मुस्कराते रहिए और चिंता को दूर भगाते रहिए।

मानसिक तनाव से बचाव

मानसिक तनाव से बचने के लिए हमें रोजाना सुबह-शाम योगा , प्राणायाम, अभ्यास करना चाहिए और हमें अपने आप को कामकाज मे व्यस्त रखना चाहिए इससे हम तनाव से मुक्ति पा सकते हैं।

मानसिक शांति

आज के समय में मानसिक शांति का हमारे जीवन में बहुत बड़ा महत्व है। मानसिक शांति को प्राप्त करने के लिए योग, प्राणायाम,ध्यान और कई तरह के अलग-अलग तरीकों को अपनी दिनचर्या में शामिल अति आवश्यक है।

योगा स्वास्थ्य मे सुधार करना और मोक्ष प्राप्त करना है। तो योग तनाव, चिंताओं और परेशानियों का बहुत ही सरल इलाज है। 

योगा का उद्देश्य

योग व्यक्ति को शक्तिशाली, नीरोग और बुद्धिमान बनाता है। योगा का उद्देश्य आत्मा का परमात्मा से मिलाप करवाना है। यह शरीर, मन तथा आत्मा की आवश्यकताएं पूरी करने का एक अच्छा साधन है।

योग भारतवासीयो के लिए ऋषि मुनियो की दी हुई विरासत है। भारत मे योग 3 हजार वर्ष पूर्व पहले शुरू हुआ। आधुनिक समय मे योग का आदि  गुरु महषि पतंजलि को माना गया है। महर्षि पतंजलि द्वारा योग पर प्रथम पुस्तक “योग-सूत्र” लिखी गई।

प्राणायाम

प्राणायाम दो शब्दों से  मिलकर बना है प्राण +आयाम जिसका अर्थ है- नियंत्रण व नियमन। इस प्रकार जिसके द्वारा सांस के नियमन व नियंत्रण का अभ्यास किया जाता है, उसे प्राणायाम कहते है। सरल शब्दों में कहें तो सांस को अंदर ले जाने व बाहर निकालने पर उचित नियंत्रण रखना ही प्राणायाम है। 

प्राणायाम करने के फायदे  

प्राणायाम से शरीर का रक्तचाप व तापमान सामान्य रहता है। इससे मानसिक तनाव व चिंता दूर होती है।प्राणायाम से हमारी सांस लेने की प्रक्रिया मे सुधार होता है।प्राणायाम करने से आध्यात्मिक व मानसिक विकास मे मदद मिलती है।  

प्राणायाम के साथ ईश्वर की भक्ति 

प्राणायाम के साथ-साथ राम का नाम लिया जाए तो सोने पर सुहागा हैं। इससे इच्छाशक्ति बढ़ेगी और व्यक्ति को हर समस्या का समाधान अपनी अंतर आत्मा से मिल जाएगा और व्यक्ति को तनाव से मुक्ति मिल जाएगी।

थीम 2020

इस बार विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस 2020 की थीम सभी के लिए मानसिक स्वास्थ्य अधिक से अधिक निवेश, ज्यादा से ज्यादा पहुँच है।

प्रतिवर्ष अक्टूबर के दूसरे गुरुवार का दिन विश्वभर में दृष्टि दिवस (World Sight Day) के रूप में मनाया जाता हैं।दृष्टि हानि और अंधापन जैसी आंखों में होने वाली गम्भीर समस्याओं के बारे में जागरूकता फ़ैलाने के लिए दृष्टि दिवस मनाया जाता हैं।इस साल विश्व दृष्टि दिवस 8 अक्टूबर यानी की आज मनाया जा रहा हैं।

आंखें भगवान की वह नियमित देन है जिससे हम संसार को देख पाते है। यह शरीर का वह अभिन्न अंग है, जिस के द्वारा हम रोजमर्रा के काम करने के काबिल तो है ही, इसके साथ ही कुदरत के रंगों को भी देख पाते हैं।

आधुनिक यंत्र कंप्यूटर, स्मार्ट फोन, टीवी जैसे यन्त्रों के लगातार इस्तेमाल से अक्सर लोग आंखों की कमजोरी व बीमारियों से परेशान रहते हैं।इसके साथ ही हमारी ख़राब लाइफस्टाइल की वजह से काफी स्वास्थ्य सबंधी समस्याएं हो रही है, जिसमें आंखों की समस्या भी जुड़ी हुई हैं।

आइए जानते है हमें अपनी आंखों की देखभाल के लिए क्या-क्या करना चाहिए

आंखों में होने वाली समस्या के लक्षण

1. आंखों का लाल हो जाना, जलन होना।
2. आंखों में खुजली, सूजन और दर्द का होना।
3.आंखों के आगे छोटे-छोटे धब्बों का नजर आना।
4. आंखों के आगे धुँधलापन आना, साफ़ न दिखना।

World Sight Day 2020 - Exclusive Samachar

आंखों में होने वाली समस्याओं के  कारण

1. ज्यादा प्रदूषण की वजह से आंखों में धूल मिट्टी का चले जाना।
2. कंप्यूटर, मोबाइल का ज्यादा समय तक उपयोग करना।
3. जरूरत से ज्यादा कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करने से भी आंखों में जलन महसूस हो सकती हैं।

अगर आपको भी इस तरह से कोई आंखों की परेशानी सता रही है, तो आप ये घरेलू उपचार कर के अपनी आंखों को तरोताजा रख सकते है !!

बारिश का पानी -बरसात का पानी आंखों के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है। बरसात के समय में गर्दन ऊपर उठाकर आसानी से आंखों में आने वाली बूंदों को आंखों में डलने दें, इससे आंखे एकदम साफ हो जाती है। ध्यान रहे कि बारिश होने के कम से कम आधा घन्टे बाद ही आप ऐसा करें, क्योंकि शुरुआती बारिश में धूल कण मिले हुए होते हैं।

व्यायाम 

नेत्र व्यायाम से नेत्र उत्तकों (Eye Muscles) का लचीलापन बना रहता है। नेत्रों में रक्त परिसंचरण (Blood Flow) अच्छा होता है जिसका सीधा असर हमारी आंखों पर पड़ता हैं।

आंखों के लिए व्यायाम

– एक पेंसिल ले, उसे एक हाथ की दूरी पर पकड़े। अब उसकी नोक पर ध्यान केंद्रित करें और पेंसिल को धीरे- धीरे अपनी नाक के पास लाएं और फिर दूर ले जाएं। ध्यान रहे, पूरा समय पेंसिल की नोक से नजर न हटाये।ऐसा दिन में 10 बार करने से बहुत लाभ होगा।

– आंखों को 5-5 second क्लॉकवाइज (clockwise) और एंटी क्लॉकवाइज (Anti-Clockwise) दिशा में घुमाएं। ऐसा दिन में 5-6 बार करना चाहिए।

8th October 2020 - World Sight Day - Exclusive Samachar

– 20 से 30 बार तेजी से पलको को झपकाने से भी बहुत फ़ायदा मिलता हैं।

– आंखों पर जोर डाले बिना दूर की किसी वस्तु पर ध्यान लगाना चाहिए। सबसे बढ़िया विधि है – चाँद पर ध्यान केंद्रित करना । संध्या या सुबह के समय जल्दी उठकर दूर की हरियाली पर नज़र केंद्रीत कर सकते है। ऐसा 5 मिनट रोज करने से आपको बहुत फ़ायदा मिलेगा। 

इस प्रकार अच्छे परिणामों के लिए यह नेत्र व्यायाम नियमित तौर पर करते रहना चाहिए।

आहार 

  • हरी मिर्च – आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए खाने में ताजी हरी मिर्च का लगातार सेवन करें।
  • त्रिफला – त्रिफला रात को भिगों दे, अगले दिन सुबह 2 से 3 बार अच्छी तरह से छानकर शहद में मिलाकर आंखों में डालने से बहुत फ़ायदा मिलता हैं।
  • आंवला – आंवला में विटामिन सी भरपूर होता है और विटामिन C धमनियों के स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा होता है, जिस कारण नेत्रों में रक्त-परिसंचरण सही तरीके से होता है। इसके साथ-साथ विटामिन C रेटिना की कोशिकाओं के लिए भी अच्छा होता हैं।
  • ड्राई फ्रूट एंड नट्स – आंखों की देखभाल के विटामिन E से भरपूर चीज़ों का सेवन करना जरूरी है, क्योकि आंखों में विटामिन E की कमी से कमजोरी आ जाती हैं।बादाम , काजू, अखरोट, सूरजमुखी के बीज, मूँगफली आदि में विटामिन E भरपूर मात्रा में पाया जाता है, आप इनका सेवन नियमित रूप से करें।
  • फ्रूट्स – आंखों को तरोताजा , हेल्थी रखने के लिए विटामिन C का सेवन करना जरूरी है, जो खट्टे फलों में भरपूर मात्रा में पाया जाता है।इसके लिए आप सन्तरा,अमरूद,निम्बू,आंवला का नियमित रूप से सेवन करें।

इसके साथ आप अपनी अच्छी दृष्टि के लिए गाजर, पालक, चकुंदर, मीठे आलू, ब्लूबेरी, ब्रोकोली, गोभी, हरी सब्जियों का भरपूर सेवन करें।

आंख में कुछ गिरने पर

अगर आंख में कुछ गिर जाए तो उसे सख़्त कपड़े से साफ नहीं करना चाहिए, बल्कि अंजुली में साफ पानी भरें औऱ फिर अपनी आंख को उसमें डूबोकर क्लॉकवाइज़ और एन्टी क्लॉकलवाइज़ इधर-उधर घुमाए, कुछ ही पलों में आंख में गिरा कण निकल जाएगा।

आधुनिक यन्त्रों का सीमित प्रयोग

आंखों को सुरक्षित रखने के लिए कंप्यूटर, आईपैड, स्मार्ट फोन से दूरी के साथ ही life style में बदलाव जरूरी हैं।

जिस कमरे में कंप्यूटर हो, उसमें उचित प्रकाश का होना जरूरी है। ज्यादा तेज रोशनी भी नही होनी चाहिए व प्रकाश व्यक्ति के पीछे से होना चाहिए सामने से नहीं।

जब भी कंप्यूटर पर लगातार काम करना हो तो हर 20 मिनट के गैप में 20 sec. के लिए स्क्रीन से नजरें हटा लेनी चाहिए और 20 फिट दूर किसी निश्चित बिंदु पर ध्यान केंद्रित करें।

हर रोज़ रात को सोने से पहले अपनी आँखों को साफ ठण्डे पानी से धोएं।

लेंस-बेहतर लेंस का प्रयोग करें या चोंध रहित चश्मा पहनें एवं चोंध रहित स्क्रीन का प्रयोग करना चाहिए। जब कभी भी स्क्रीन के सामने घण्टे भर बैठना पड़े तो Dry Eyes से बचने के लिए पलकों को धीरे धीरे झपकाते रहना चाहिए।

हरी घास –  सुबह – शाम नंगे पैर हरी घास पर चलना व हरियाली को निहारना भी आंखों की रोशनी को बढ़ाता हैं व आंखों को ताज़गी प्रदान करता है।

नेत्रदान कर लोगों की ज़िंदगी को करें रोशन

बार-बार नेत्रदान के प्रति जागरूकता फैलाने के बाद भी नेत्रदान करने वालों के वर्तमान आंकड़े पर बात करें तो दानदाता एक फ़ीसदी से भी कम है।आज हमारे देश मे 25 लाख से भी ज्यादा लोग दृष्टिहीन हैं।प्रतिवर्ष देश में मृत्यु का आंकड़ा करीब 80 से 90 लाख लोगों तक का होता है। लेकिन नेत्रदान 20-25 हजार के पास ही होता है।

दृष्टिहीन लोंगो की सहायता के लिए जगह-जगह पर नेत्रदान के लिए Eye Bank खुले हुए हैं।रक्तदान की तरह नेत्रदान के लिए जागरूकता बढ़ा कर दृष्टिहीन लोगों की संख्या में कमी ला सकते हैं।

मृत्यु के पश्चात एक व्यक्ति 4 लोगों को रोशनी प्रदान कर सकता है। पहले 2 आंखों से 2 ही कार्निया प्राप्त होती थी, लेकिन अभी नई तकनीक “डिमैक” आने के बाद 1 आंख से 2 कार्निया प्राप्त की जा सकती है।व्यक्ति के मरने के बाद पूरी आंख नही बल्कि 1 रोशनी वाली काली पुतली को ही निकाल जाता हैं।ध्यान रहे मौत के 6 घण्टे तक ही कार्निया प्रयोग में लायी जा सकती है।अभी हमारे देश मे 25 लाख से ज्यादा लोगो को कार्निया की जरूरत है, अगर उन्हें कार्निया मिल जाए तो उनकी जिंदगी भी रोशन, रंगीन हो जाएगी, वह भी अपनी जिंदगी के रंग देख पाएंगे।