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Our young leaders are our inspiration who have sacrificed for our nation. In this International Youth Day special, we delve into the significance of this day and the remarkable contributions of young leaders who have made a difference.

(हमारे युवा नेता हमारी प्रेरणा हैं जिन्होंने हमारे राष्ट्र के लिए बलिदान दिया है — अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस विशेष):
किसी भी राष्ट्र को समृद्ध बनाने के लिए युवा पीढ़ी का अहम योगदान रहा है। क्योंकि युवा राष्ट्र की रीढ़ की हड्डी हैं। युवाओं को सामाजिक और आर्थिक तौर पर मजबूत बनाने के लिए जरूरी है कि युवाओं को मुद्दों के प्रति जागरूकता बढ़ाई जाए। इसी कड़ी के तहत अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस यानी International Youth Day मनाया जाता है, ताकि युवाओं से जुड़े मुद्दों पर ध्यान केंद्रित कर उन्हें सशक्त बनाया जा सके।

When and How Did International Youth Day Start?

(अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस की शुरुआत कब और कैसे):
अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस को मनाने की शुरुआत सन् 1999 में हुई। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इसे 12 अगस्त को मनाने की मान्यता दी। यह दिन युवाओं की स्थिति और उनके योगदान को मान्यता देने और युवाओं के सामने आने वाली समस्याओं पर ध्यान केंद्रित करने के उद्देश्य से मनाया जाने लगा।

इस दिन की शुरुआत के पीछे का कारण, युवा समुदाय के मुद्दों पर वैश्विक स्तर पर जागरूकता बढ़ाना और युवाओं को समाज में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए प्रोत्साहित करना है। अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस के माध्यम से, संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठन, युवा मुद्दों को प्रमुखता से उठाते हैं और उनके विकास और सशक्तिकरण के लिए कदम उठाते हैं।

Theme of International Youth Day 2024

(अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस 2024 का विषय):
इस दिन को एक विशेष विषय के तहत मनाया जाता है। इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस का विषय है: क्लिक से प्रगति तक: सतत विकास के लिए युवा डिजिटल रास्ते।

इस विषय का उद्देश्य युवाओं के बीच लिंग समानता की महत्वपूर्णता को उजागर करना और यह सुनिश्चित करना है कि सभी युवा, चाहे वे किसी भी लिंग के हों, समान अवसर और अधिकार प्राप्त करें। यह दिन लिंग समानता के लिए उठाए गए कदमों की समीक्षा करने और भविष्य में इसके लिए आवश्यक प्रयासों को प्रोत्साहित करने का अवसर प्रदान करता है।

The Main Objective of International Youth Day

(अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस का मुख्य उद्देश्य):
इस दिन को मनाने का उद्देश्य युवाओं की स्थिति और उनके योगदान को मान्यता देना है। यह दिन युवाओं के सामने आने वाली समस्याओं जैसे शिक्षा, रोजगार, और स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित करता है। साथ ही, यह युवा लोगों को सामाजिक, आर्थिक, और राजनीतिक प्रक्रियाओं में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए प्रोत्साहित करता है। यह दिन दुनिया भर में युवाओं के मुद्दों के प्रति जागरूकता बढ़ाने और उन्हें सशक्त बनाने का एक महत्वपूर्ण अवसर है।

How to Celebrate International Youth Day

(कैसे मनाते हैं अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस):
अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस हर साल 12 अगस्त को मनाया जाता है। इसे मनाने के तरीके विभिन्न हो सकते हैं, लेकिन सामान्यत: इसमें निम्नलिखित गतिविधियाँ शामिल होती हैं:

  1. संपर्क कार्यक्रम: शैक्षिक संस्थानों, गैर-सरकारी संगठनों और समुदायों द्वारा विशेष कार्यक्रम, कार्यशालाएं, और चर्चाएं आयोजित की जाती हैं, जो युवा मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करती हैं।
  2. सार्वजनिक जागरूकता अभियान: सोशल मीडिया, मीडिया आउटरीच, और सार्वजनिक स्थलों पर जागरूकता बढ़ाने के लिए अभियान चलाए जाते हैं।
  3. सांस्कृतिक और सामाजिक कार्यक्रम: युवा प्रतिभाओं का प्रदर्शन करने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम, संगीत समारोह, और कला प्रदर्शनियाँ आयोजित की जाती हैं।
  4. समारोह और सम्मेलन: विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय और स्थानीय संगठनों द्वारा सम्मेलन और चर्चा सत्र आयोजित किए जाते हैं, जिनमें युवा मुद्दों और समाधान पर विचार विमर्श होता है।
  5. स्वयंसेवी कार्य: समुदाय सेवा और स्वयंसेवी गतिविधियाँ आयोजित की जाती हैं, जो युवाओं को सामाजिक योगदान देने के अवसर प्रदान करती हैं।

इन गतिविधियों के माध्यम से, अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस युवाओं की समस्याओं, उनकी सफलता, और उनके समाज में योगदान पर ध्यान केंद्रित करता है और उनके सशक्तिकरण के लिए प्रयास करता है।

Stories of Younger Leaders on International Youth Day

(अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस पर युवा नेताओं की कहानियाँ):

  1. Neeraj Chopra – India’s 1st Olympic Gold Medalist in Track & Field:
    नीरज चोपड़ा किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। आज वे हर खबर की सुर्खियों में हैं और भाला फेंक में पहला स्वर्ण पदक जीतने के बाद राष्ट्रीय युवा आइकन बन गए हैं। 24 दिसंबर 1997 को पानीपत जिले के खंडरा गांव में जन्मे चोपड़ा ने भाला भी नहीं देखा था, भारतीय एथलेटिक्स में अग्रणी बनने का सपना तो दूर की बात थी। अब, नीरज चोपड़ा मुख्य कारण हैं कि कई भारतीय युवा भाला फेंक की ओर आकर्षित हुए हैं। नीरज चोपड़ा ने टोक्यो ओलंपिक में पुरुषों की भाला फेंक स्पर्धा में स्वर्ण जीतकर इतिहास रच दिया। यह ओलंपिक में भारत का पहला स्वर्ण और ट्रैक एंड फील्ड स्पर्धा में पहला स्वर्ण है। इस पदक के साथ, भारत ने एक स्वर्ण, दो रजत, और चार कांस्य सहित कुल 7 पदक जीते।
  2. Abhijita Gupta – World’s Youngest Author:
    मिलिए भारतीय प्रतिभावान अभिजीता गुप्ता से जो गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश की रहने वाली हैं। वह मात्र 7 वर्ष की आयु में विश्व की सबसे कम उम्र की लेखिका बन गईं और उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, यूनाइटेड किंगडम, और इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स द्वारा मान्यता दी गई। उन्होंने ‘हैप्पीनेस ऑल अराउंड’ नामक एक पुस्तक प्रकाशित की, जो लघु कथाओं और कविताओं का संकलन है और इसका लक्षित पाठक वर्ग बच्चे हैं। अभिजीता ने एएनआई से कहा, “आस-पास का वातावरण और यहां तक कि छोटी-छोटी चीजें भी मुझे प्रेरित करती हैं। मैं सकारात्मक चीजों के बारे में लिखती हूं- जो मैं सुनती हूं, देखती हूं या महसूस करती हूं।”
  3. Tathagat Avatar Tulsi – India’s Youngest Ph.D. Holder:
    आप में से ज़्यादातर लोग 12 साल की उम्र में स्कूल में पढ़ने के बाद 22 साल की उम्र में कॉलेज में पढ़ रहे होंगे या किसी कंपनी में काम कर रहे होंगे। लेकिन, तथागत अवतार तुलसी जैसे भारतीय प्रतिभावान व्यक्ति के लिए उम्र कोई मायने नहीं रखती। उन्होंने 12 साल की उम्र में स्नातक की पढ़ाई पूरी की और 2009 में 22 साल की उम्र में पीएचडी की और भारत में सबसे कम उम्र के पीएचडी धारक बन गए। उनकी पीएचडी थीसिस “क्वांटम सर्च एल्गोरिदम के सामान्यीकरण” पर थी। उन्होंने क्वांटम सर्च एल्गोरिदम के आविष्कारक लव ग्रोवर के साथ एक अप्रकाशित शोध पांडुलिपि (“फिक्स्ड-पॉइंट क्वांटम सर्च के लिए एक नया एल्गोरिदम”) का सह-लेखन किया, जो उनके नाम से ही जाना जाता है। उन्हें 2003 में टाइम पत्रिका द्वारा सात सबसे प्रतिभाशाली एशियाई युवाओं में से एक माना गया था, और साइंस मैगज़ीन द्वारा उन्हें “सुपरटीन” के रूप में उल्लेख किया गया था।

जनसंख्या वृद्धि पर रोक लगाकर, देश को प्रगति की राह पर लेकर जाएं -‌ विश्व जनसंख्या दिवस 2024 (Control Population Growth and Lead the Nation Towards Progress – World Population Day 2024)

World Population Day 2024:

किसी भी देश, शहर, जिले व क्षेत्र में रहने वाले लोगों की कुल संख्या को जनसंख्या कहा जाता है। किसी भी देश की जनसंख्या अपने राष्ट्र की अमूल्य पूंजी होती है, जो वस्तुओं व सेवाओं का उत्पादन, वितरण और उपभोग करती है। जनसंख्या आर्थिक विकास का संवर्द्धन करती है, लेकिन जनसंख्या वृद्धि किसी भी राष्ट्र के विकास में रुकावट पैदा करती है।

जनसंख्या वृद्धि क्या है (What is population growth):

किसी क्षेत्र, देश व शहर की जनसंख्या का बढ़ना जनसंख्या वृद्धि कहलाता है, जो अन्य प्रकार की चुनौतियां व बहुत सी समस्याओं को पैदा करती है। जब जनसंख्या हद से ज्यादा बढ़ने लग जाती है, तो देश व दुनिया के ऊपर कई प्रकार के प्रभाव पड़ते हैं। जनसंख्या वृद्धि से बहुत सी समस्याएं जन्म लेती हैं, जैसे कि जनसंख्या बढ़ने से सरकार के पास काम की कमी हो जाती है, बेरोज़गारी की समस्या बढ़ जाती है, और अन्य वस्तुओं के दाम बढ़ जाते हैं। विश्व में जनसंख्या वृद्धि एक समान नहीं है। स्वस्थ राष्ट्र के निर्माण के लिए जनसंख्या वृद्धि पर रोक लगाना अति आवश्यक है। आइए हम जनसंख्या विस्फोट के कारण, प्रभाव व उपाय के बारे में विस्तार से जानते हैं।

विश्व जनसंख्या दिवस कब व क्यों मनाया जाता है (When and why is World Population Day celebrated?):

विश्व जनसंख्या दिवस को मनाने की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की संचालित परिषद द्वारा 1989 में पहली बार हुई। जब विश्व भर की आबादी का आंकड़ा 5 अरब के पास पहुंच गया, तो संयुक्त राष्ट्र की गवर्निंग काउंसिल द्वारा किए गए फैसले के अनुसार 1989 में विकास समुदाय की सिफारिश द्वारा तय किया गया। तब से हर साल 11 जुलाई के दिन को विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाता है।

विश्व जनसंख्या दिवस की 2024 की थीम (Theme of World Population Day 2024):

इस वर्ष की नई थीम तैयार की गई है। इस बार की थीम का विषय स्वास्थ्य विकास व पर्यावरण पर तेजी से बढ़ती जनसंख्या वृद्धि के प्रभाव के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देना है। साल 2024 में यह लक्ष्य रखा गया है कि यदि विश्व की जनसंख्या तीव्र गति से बढ़ती रही तो इसके दुष्प्रभाव स्वास्थ्य विकास, पर्यावरण सभी क्षेत्रों पर होगा। इसलिए बढ़ती जनसंख्या पर नियंत्रण करने के लिए लोगों को जागरूक करना होगा।

विश्व जनसंख्या दिवस मनाने का उद्देश्य (Purpose of celebrating World Population Day):

विश्व जनसंख्या दिवस मनाने का उद्देश्य दुनिया भर में दिनों-दिन बढ़ रही आबादी को नियंत्रित करने के लिए लोगों को जागरूक करना है। लोगों को जागरूक करने के लिए इस दिन रैलियां निकाल कर, रोड शो किए जाने के साथ-साथ सोशल मीडिया, विभिन्न कार्यक्रमों व सभाओं को आयोजित किया जाता है। जिसका उद्देश्य लोगों में जागरूकता फैलाना है और जनसंख्या को नियंत्रित करना है।

विश्व जनसंख्या दिवस का क्या महत्व है(What is the significance of World Population Day):

दिनों-दिन बढ़ती जा रही जनसंख्या विश्व के देशों के सामने बड़ी भयंकर समस्या का रूप ले चुकी है। विकासशील देशों के लिए जनसंख्या विस्फोट एक गंभीर चिंता का विषय बन रहा है। विश्व जनसंख्या दिवस के अवसर पर लोगों को परिवार नियोजन, लैंगिक समानता और मानवाधिकार के बारे में जानकारी दी जाती है।

विश्व भर में बढ़ रही जनसंख्या के कारण:

  1. गरीबी: लोगों की सोच है कि जितने अधिक बच्चे होंगे, उतनी ही आय में वृद्धि होगी। इसलिए वे सोचते हैं कि जितने बच्चे ज्यादा होंगे, उतनी ही आमदनी ज्यादा होगी और पैसा ज्यादा कमाएंगे।
  2. चिकित्सा सेवाओं में वृद्धि होना: आज हमारे देश भर में आधुनिक चिकित्सा क्षेत्र में बहुत सारी सफलताएं प्राप्त की गई हैं। जिसके कारण मृत्यु दर में गिरावट आ रही है और महामारी कुपोषण के कारण मृत्यु दर में कमी आ रही है। यह सब स्वास्थ्य सुधार के कारण ही संभव हुआ है, जोकि जनसंख्या वृद्धि का एक कारण है।
  3. बाल विवाह (छोटी आयु में बच्चों का विवाह करना): लोग अशिक्षित होने के कारण अपने बच्चों का विवाह छोटी आयु में ही कर देते हैं, जिसके कारण जनसंख्या में वृद्धि हो रही है। यह भी जनसंख्या वृद्धि का एक कारण है।

जनसंख्या वृद्धि से होने वाले नुक्सान:

  1. रोजगार की समस्या: विश्व की जनसंख्या तो दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है, परन्तु रोजगार के साधन सीमित ही हैं। इसलिए देश भर में बेरोजगारी तेजी से बढ़ना भी एक कारण है।
  2. खाद्य सामग्री में समस्या आना: जहां देश की जनसंख्या निरंतर बढ़ती जा रही है, वहीं खाद्य पदार्थों में कमी होती जा रही है। जिसके कारण बच्चों का शारीरिक विकास नहीं हो पाता और बच्चों में पोषण की कमी होती है। खाद्य सामग्री के न मिलने के कारण महंगाई बढ़ रही है।
  3. लोगों का अशिक्षित होना: बहुत से लोग ऐसे हैं जो कि अक्सर अशिक्षित होने के कारण छोटे परिवार के महत्व को नहीं जानते, जोकि जनसंख्या वृद्धि का बहुत बड़ा कारण है।
  4. चिकित्सा व्यवस्था में कमी आना: निरंतर बढ़ती जा रही जनसंख्या के कारण अस्पतालों में अधिक भीड़ होने के कारण रोगियों की देखभाल अच्छे ढंग से नहीं हो पा रही है।
  5. प्रदूषण: जनसंख्या में लगातार वृद्धि होने के कारण जल, वायु और मृदा प्रदूषण बढ़ता जा रहा है।
  6. कृषि भूमि का बंटवारा होना: परिवार में ज्यादा बच्चे होने के कारण परिवार का बंटवारा होने पर भूमि का भी बंटवारा हो जाता है, जिससे आर्थिक स्थिति कमजोर हो जाती है।

जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए दिए गए सुझाव:

  1. कठोर कानून व्यवस्था: भारत में निरंतर बढ़ रही जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए कठोर कानून व्यवस्था होनी चाहिए।
  2. उचित शिक्षा की व्यवस्था: बढ़ती हुई जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए उचित शिक्षा की व्यवस्था अति आवश्यक है। क्योंकि शिक्षा के माध्यम से ही हम छोटा परिवार सुखी परिवार के बारे में ज्ञान प्राप्त कर सकेंगे।
  3. आर्थिक सुधार: व्यक्ति को उसकी योग्यता के अनुसार ही अवसर उपलब्ध करवाकर हम उसकी आर्थिक स्तर में सुधार ला सकते हैं।

निष्कर्ष: साल 2011 में हुई जनगणना के अनुसार भारत देश की आबादी लगभग 121 करोड़ थी, जो 2030 तक चीन से ज्यादा होने का अनुमान लगाया जा रहा है। ऐसे में अगर भारत की जनसंख्या ऐसे ही निरंतर बढ़ती गई, तो यह भारत सरकार के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती बन जाएगी। जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए बड़े स्तर पर प्रयास होने चाहिए और परिवार नियोजन के लिए लोगों में जागरूकता फैलानी चाहिए।

When and Why is the International Day Against Drug Abuse and Illicit Trafficking Celebrated?

(नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय दिवस कब और क्यों मनाया जाता है )

नशा इंसान की जिंदगी दीमक की तरह पूरी तरह खराब कर देता है। यह केवल नशा करने वाले इंसान तक असर नहीं करता बल्कि नशे के कारण, परिवार समाज, देश यहां तक की इसका असर पूरे विश्व स्तर पर दिखता है।

नशे की चपेट में आज देश के बच्चे, बुजुर्ग, युवा आदि सब आए हुए हैं। नशे के कारण आज की युवा पीढ़ी अपने भविष्य को खराब करने में लगी हुई है। यहां तक कि महिलाएं भी नशे के उत्पीड़न का शिकार हो रही हैं। मादक पदार्थों के सेवन ने आज पूरा विश्व को खोखला बना दिया है। नशा केवल एक स्तर तक सीमित नहीं रहा। नशीली दवाओं के रूप में आज युवा पीढ़ी नशे की आदि बनी हुई हैं।

विश्व में बढ़ती नशीली दवाओं के दुरुपयोग को रोकने और अवैध तस्करी के खिलाफ लोगों को जागरूक करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर “नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी के विरोध में” अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाया जाता है।

आइए जानते हैं इसकी शुरुआत कब हुई और सरकार का इसमें क्या योगदान है। जो इंसान नशे का आदी हो जाता है उसे इसकी लत छोड़ना बहुत मुश्किल हो जाता है। नशा पूरे परिवार की खुशियां छीन लेता है।

History and Themes

(इतिहास और विषय)

नशे के खिलाफ और नशीली दवाओं के अवैध दुरुपयोग को रोकने के लिए लोगों में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 7 दिसंबर 1987 को नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय नशा निषेध दिवस मनाने की शुरुआत की। तब से हर वर्ष 26 जून को यह दिन लोगों में नशे के खिलाफ जागरूकता फैलाने के लिए मनाया जाने लगा। हर साल यह दिन एक विषय के तहत मनाया जाता है।

2024 की थीम

इस वर्ष नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय दिवस (International Day Against Drug Abuse and Illicit Trafficking) 2024 का विषय है – “नशीली दवाओं और अवैध तस्करी को रोकने के साक्ष्य पर जोर दिया जाए और उसकी रोकथाम में कदम उठाया जाए।” नशे को रोकने के लिए जरूरी है कि बढ़ते नशे के कारणों पर गौर करें और उसकी रोकथाम में कदम उठाएं और उसके लिए लोगों में जागरूकता फैलाएं।

Objectives and Significance

(उद्देश्य और महत्त्व)

इस दिन को मनाने का उद्देश्य लोगों को नशे के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक कर देश व विश्व से नशे को जड़ से उखाड़ फेंकना है। नशे रूपी दैत्य को जड़ से खत्म कर समाज में अच्छाई को बढ़ाना ही इस दिन को मनाने का उद्देश्य है।

नशा देश से खत्म हो और हर घर खुशहाल जीवन व्यतीत करे इसी महत्व के तहत यह दिन विश्व स्तर पर एक विषय के साथ मनाया जाता है।

Reasons for Increasing Drug Addiction in Society and Country

(समाज और देश में नशा बढ़ने के कारण)

बढ़ते नशे का मुख्य कारण गरीबी और अनपढ़ता है। गरीबी के कारण जुड़ी तनाव भरी जिंदगी। ज्यादातर इंसान इसका हल खोजने की बजाय नशे में लिप्त होकर अपनी जिंदगी और खराब करना शुरू कर देते हैं।

Government’s Contribution in Creating a Drug-Free Society

(नशा मुक्त समाज बनाने में सरकार का योगदान)

नशीली दवाओं के सेवन से इंसान को हो रहे शारीरिक, मानसिक और पारिवारिक नुकसान के बारे में जागरूक करने के लिए सरकार भी कदम उठा रही है। नशा इंसान को कुछ समय के लिए तनाव मुक्त कर, हमेशा के लिए इसकी बुरी लत का आदी बना देता है। जिसके कारण बाद में बहुत से घर परिवार बिखर जाते हैं। नशे के अवैध व्यापार को रोकने के लिए सरकार ने कानून बनाए हैं।

भारत सरकार की पहल

नशे को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए भारत सरकार द्वारा नशा मुक्त भारत अभियान, नशीली दवाओं की मांग में गिरावट हो इसके लिए राष्ट्रीय कार्ययोजना और नशीली दवाओं के दुरुपयोग को रोकने के लिए राष्ट्रीय कोष आदि।

यही नहीं नशे के खिलाफ वैश्विक स्तर पर भी अनेकों अभियान कार्यरत हैं। जैसे कि:

  • सिंगल कन्वेंशन ऑन नारकोटिक्स ड्रग्स, 1961
  • कन्वेंशन ऑन साइकोट्रोपिक सब्सटेंस, 1971

इतना ही नहीं संयुक्त राष्ट्र प्रत्येक वर्ष वर्ल्ड ड्रग रिपोर्ट का प्रकाशन भी करता है। ताकि इसके आंकड़ों को ध्यान में रखते हुए नशे के खिलाफ लोगों में जागरूकता अभियान चलाते रहें।

आइए हम भी नशा मुक्त भारत बनाने में अपना योगदान दें और इस विश्व को नशा मुक्त बनाएं। (International Day Against Drug Abuse and Illicit Trafficking)

योग शब्द संस्कृत के युज शब्द से बना है जिसका अर्थ है दो या दो से अधिक चीजों का आपस में जुड़ना। यह एक ऐसी क्रिया है जो शरीर में शारीरिक व मानसिक संतुलन को बनाने में सहायता करती हैं।

क्या है योग? (What is Yoga?)

योग एक प्राचीन शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक क्रिया है, जिससे हम अपने शरीर में लचीलापन, शक्ति और अपने श्वास पर नियंत्रण करके अपने शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य में सुधार कर सकते हैं।

“सुबह हो या शाम,
यदि व्यक्ति करें योग, तो निकट ना आएगा आपके कोई भी रोग।”

कैसे हुई अंतरराष्ट्रीय Yoga Day की शुरुआत?

प्रत्येक वर्ष 21 जून को International Yoga Day मनाया जाता है क्योंकि उत्तरी गोलार्ध में यह दिन सबसे लंबा होता है और योग से व्यक्ति की दीर्घायु होती है। 11 दिसंबर 2014 को 21 जून के दिन अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस भी मनाने के प्रस्ताव को मंजूरी मिली थी, जिसमें संयुक्त राष्ट्र के 177 सदस्य थे। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 21 जून 2015 में पूरे विश्व में मनाया गया था। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सितंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में उनके संबोधन के दौरान अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने की घोषणा हुई थी। इसके बाद हमारे प्रधानमंत्री मोदी जी ने यूनाइटेड नेशनल जनरल असेंबली को एड्रेस किया और योगा के लाभ के बारे में बताया। तब से 2015 से यूनाइटेड नेशंस हर साल 21 जून को इंटरनेशनल योगा दिवस मनाता है। देखा जाए तो लगभग यूनाइटेड नेशन के सभी देशों ने योगा को अपना लिया है।

Yoga Day and Yoga मनाने का उद्देश्य

योग करने से मनुष्य जीवन में चिंता, तनाव और परेशानियों को खत्म करने की समर्था बढ़ जाती है, जिससे व्यक्ति स्वस्थ व चिंताओं से मुक्त जीवन जी सकता है। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य लोगों को योग से होने वाले लाभों के बारे में जागरूक करना है और योग को अपनी दिनचर्या में शामिल करने के लिए प्रेरित करना है।

इस साल की थीम

वर्ष 2024 की थीम है “स्वयं और समाज के लिए योग”। इस वर्ष भारत समेत दुनियाभर में दसवें योग दिवस का आयोजन किया जा रहा है ताकि लोगों को योग के महत्व के बारे जागरूक किया जा सके।

योग कितने समय करना चाहिए?

विशेषज्ञ का मानना है कि रोजाना 30 मिनट योग करना चाहिए, जिससे शरीर स्वस्थ रहता है। बाद में इसके समय को आप अपनी क्षमता व सहुलियत के हिसाब से बढ़ा सकते हैं।

योग के साथ ध्यान

योग और ध्यान को विश्राम का एक अच्छा स्रोत माना जाता है, जो रक्तचाप को कम करता है। यदि योग के साथ ध्यान को किया जाए तो और बेहतर नतीजे मिलते है। आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में चिंताओं से छुटकारा पाने और सोच को सकारात्मक बनाने के लिए योग के साथ ध्यान को अपनी दिनचर्या में शामिल करें।

योग करने का सही समय और कब करें योग?

योग सुबह 4-7 बजे के बीच करना चाहिए, नहीं तो आप सूर्यास्त के समय भी योग कर सकते हैं। योग खाना खाने से पहले करना चाहिए या तो खाने के 3-4 घंटे बाद करना चाहिए और योग करते समय कपड़े भी ढीले पहनने चाहिए।

योग करने के लाभ

योग करने से शरीर में कई रोगों का खात्मा हो जाता है और व्यक्ति अपने आप को तंदुरुस्त महसूस करता है। माना जाता है कि उच्च रक्तचाप, हृदय रोग व मानसिक रूप से बीमार लोगों के लिए योग बहुत लाभदायक काम करता है।

  • योगा मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक बीमारी का इलाज करने के लिए सही और स्टीक है।
  • हमारे अंदर के तनाव को दूर करता है और आत्मविश्वास को बढ़ाता है।
  • योग हमारे शरीर की बीमारियों को दूर करता है।
  • योग एक ऐसा रास्ता है जिससे आप अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं।
  • परिवार के साथ योग करने से आप सुरक्षित रहेंगे और यह यादगार भी होगा।
  • योग शारीरिक और मानसिक तनाव को दूर करता है।
  • योग ही एक ऐसा रास्ता है जिससे आपका मन स्वतंत्र होता है।
  • योगा आपके आंतरिक बाहरी और भावनात्मक दर्द को दूर करने के लिए सबसे अच्छा तरीका है।

किन लोगों को योग नहीं करना चाहिए?

गर्भवती महिलाओ को, जिस व्यक्ति को कोई भी रोग है जैसे कि सांस की समस्या व अन्य कोई भी समस्या होने पर आप डॉक्टर की सलाह लेकर योग कर सकते हैं। यदि आप पहली बार योग कर रहे हैं तो किसी की निगरानी में रहकर योग करें।

निष्कर्ष

शरीर को स्वस्थ रखने के लिए सभी को योग को अपनी दिनचर्या में शामिल करना चाहिए। योग करने से दवाओं से छुटकारा मिलता है और शरीर सेहतमंद रहता है।

World Blood Donor Day 2024: Why is World Blood Donor Day Celebrated and What is its History and Importance?

क्यों मनाया जाता है विश्व रक्तदाता दिवस और क्या है इसका इतिहास और महत्व?

हमारी जिंदगी अनमोल है, हम किसी भी तरीके से अपने जीवन को नहीं खरीद सकते। लेकिन अगर कोई इंसान रक्त के अभाव में जिंदगी और मौत से लड़ रहा हो, तो हम रक्तदान कर उस इंसान की जिंदगी बचा सकते हैं। आज के समय में बहुत से लोग रक्त के अभाव में जिंदगी गवां कर चले जाते हैं। रक्तदान करना कोई शर्म की बात नहीं है और ना ही इससे इंसान को कोई शारीरिक नुकसान होता है। बल्कि रक्तदान करने से इंसान का नया रक्त बनता है और रक्तदान करने से कई छोटी-मोटी बीमारियां दूर हो जाती हैं।

इसीलिए हर साल 14 जून को विश्व रक्तदाता दिवस मनाया जाता है, ताकि लोगों को इसके महत्व और इसके उद्देश्य के बारे में जानकारी हो सके। आइए जानते हैं विश्व रक्तदाता दिवस 14 जून को ही क्यों मनाया जाता है और इसका क्या महत्व है।

History of World Blood Donor Day

(विश्व रक्तदाता दिवस का इतिहास)

विश्व रक्तदाता दिवस की शुरुआत सन् 2005 में 58वीं विश्व स्वास्थ्य सभा में हुई। विश्व रक्तदाता दिवस हर साल 14 जून को मनाया जाता है। यह दिन कार्ल लैंडस्टीनर की जयंती के रूप में मनाया जाता है। उन्होंने A B O ब्लड ग्रुप की खोज कर स्वास्थ्य विज्ञान में अपना महान योगदान दिया, जिसके कारण उन्हें नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। तब से हर साल 14 जून को विश्व रक्तदाता दिवस मनाया जाता है।

Theme of World Blood Donor Day 2024

(विश्व रक्तदाता दिवस 2024 का विषय)

लोगों में रक्त की महत्वता को बताने के लिए विश्व रक्तदाता दिवस मनाया जाता है। हर साल यह दिन एक विषय पर आधारित होता है। इस साल विश्व रक्तदाता दिवस का विषय है – “रक्तदान के 20 वर्ष पूरे होने पर रक्तदाताओं का धन्यवाद!”

इस साल यह 20वां रक्तदाता दिवस मनाया जा रहा है। लोगों को रक्तदान के प्रति जागरूक करने के लिए और इस दान का महत्व समझाने के लिए विश्व रक्तदाता दिवस मनाया जाता है।

Purpose and Importance of Celebrating World Blood Donor Day

(विश्व रक्तदाता दिवस मनाने का उद्देश्य और महत्व)

इंसान होने के नाते हमारा फर्ज है कि हम मानव हित में अपना योगदान दें। विश्व रक्तदाता दिवस मनाए जाने का मुख्य उद्देश्य लोगों को रक्तदान कर जिंदगी बचाने के लिए प्रेरित करना है। केवल रक्त के अभाव में ही बहुत सी जानें नहीं जातीं, बल्कि बहुत सी बीमारियों के कारण जब शरीर में रक्त की कमी हो जाती है, तब भी इंसान जीवन से हाथ धो बैठता है। इसलिए लोगों को जागरूक कर रक्तदान का महत्व बताना ही रक्तदाता दिवस का उद्देश्य है।

रक्तदान करने से शरीर में कोई कमजोरी या बीमारी पैदा नहीं होती, बल्कि रक्तदान से नया रक्त 24 से 48 घंटे में बन जाता है। रक्तदान करना महत्वपूर्ण है क्योंकि जीवन किसी भी कीमत पर खरीदा या बनाया नहीं जा सकता। अगर हमारे द्वारा किए गए रक्तदान से किसी की जिंदगी बच जाए, इससे बढ़कर कोई महान कार्य नहीं।

इसलिए रक्तदान करना महत्वपूर्ण है और बहुत से लोग इस महान कार्य में अपना योगदान दे रहे हैं और नियमित रूप से रक्तदान करते हैं। बहुत सी कल्याणकारी संस्थाएं भी हैं जो रक्तदान शिविर लगा कर लोगों को रक्तदान के लिए प्रेरित करती हैं, ताकि जरूरतमंद या बीमारी से पीड़ित रक्त की जरूरत वाले मरीजों का इलाज हो सके।

Why Should We Donate Blood?

(हमें रक्तदान क्यों करना चाहिए?)

हर इंसान कोई भी कार्य करने से पहले उसके फायदे के बारे में सोचता है। ऐसे ही बहुत से लोग सोचते हैं कि हम रक्तदान क्यों करें, हमें इससे क्या फायदा होगा। रक्तदान करने से किसी की जान तो बचेगी ही, साथ में रक्तदान करने वाले इंसान को भी इसका फायदा होता है।

आइए जानते हैं रक्तदान करने के फायदे:

  • दिल की बीमारी के खतरे में कमी: रक्तदान करने से रक्तदाता को दिल की बीमारी होने की संभावना 33% कम हो जाती है और दिल का दौरा पड़ने की संभावना 88% कम हो जाती है।
  • रक्तचाप में कमी: रक्तदान करने से रक्तचाप में कमी आ जाती है।
  • नया रक्त निर्माण: रक्तदान करने से नया रक्त बनता है, जिससे रक्त से संबंधित छोटी-मोटी बीमारी खत्म हो जाती है।
  • नकारात्मक सोच में कमी: रक्तदान करने से इंसान की नकारात्मक सोच कम हो जाती है।
  • तनाव में कमी: रक्तदान करने से इंसान का तनाव कम हो जाता है।

अतः रक्तदान करने से हमें बहुत से शारीरिक और मानसिक फायदे होते हैं। इसलिए नियमित रक्तदान जरूर करें। आइए हम इस कार्य में हिस्सा लेकर किसी की जिंदगी बचाने में अपना योगदान दें। हमारे द्वारा किया हुआ एक यूनिट रक्त 3 से 4 लोगों की जिंदगी बचाने में काम आता है। तो आइए किसी की जिंदगी बचाएं और रक्तदान कर मानवता का फर्ज निभाएं।

World Bicycle Day 2024: रोजाना कुछ समय की साइकिलिंग से मिलेंगे अनेकों फायदे, आज ही शुरू करें साइकिलिंग

आज के समय में हर इंसान चाहता है कि वह स्वस्थ रहे और स्वस्थ वातावरण में निवास करें। एक समय था जब लोग हर तरह का सफर पैदल या फिर साइकिल पर सवार होकर तय किया करते थे, जिससे वातावरण स्वच्छ रहता था और इंसान स्वस्थ रहता था। लोगों को स्वास्थ्य संबंधी जानकारी देने के लिए और साइकिल की अहमियत समझाने के लिए विश्व बाइसाइकिल दिवस हर साल 3 जून को मनाया जाता है।

विश्व बाइसाइकिल दिवस का इतिहास (History Of World Bicycle Day)

साइकिल वह साधन है जिसे हर इंसान गिरते-पड़ते चलाना सीख ही जाता है। एक समय था जब साइकिल का ही दौर था, लेकिन यह दौर 1960 से 1990 तक ही कायम रहा। यह वो समय था जब साइकिल परिवार का मुख्य साधन होती थी। समय के बदलते दौर के साथ साइकिल की जगह मोटरसाइकिल और कार ने ले ली है। जब से इंसान साइकिल से दूर हुआ, तभी से उसे स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ा। इसलिए लोगों को साइकिल की महत्वता बताने के लिए और इससे होने वाले स्वास्थ्य संबंधी फायदे बताने के लिए हर साल बाइसाइकिल दिवस मनाया जाने लगा।

आईए जानते हैं विश्व बाइसिकल दिवस मनाने का महत्व, यह कब मनाया जाता है और इससे होने वाले स्वास्थ्य संबंधी फायदे।

World Bicycle Day कब और क्यों मनाया जाता है

पूरे विश्व स्तर पर विश्व बाइसिकल दिवस हर साल 3 जून को मनाया जाता है। यह दिन बाइसाइकिल के महत्व को जागरूक करने, पर्यावरण संरक्षण को प्रोत्साहित करने और स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए समर्पित है। बाइसाइकिल का उपयोग फिजिकल एक्टिविटी के रूप में, पर्यावरण के लिए साथी के रूप में और यात्रा के लिए किया जाता है। इस दिन कई देशों में बाइसिकल यात्राओं, जागरूकता कार्यक्रमों और बाइसिकल से होने वाले फायदों से संबंधित आयोजनों का आयोजन होता है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य लोगों को बाइसाइकिल से होने वाले स्वास्थ्य संबंधी फायदे के महत्व को समझाना और बाइसाइकिल के उपयोग को बढ़ाना है।

विश्व बाइसाइकिल दिवस की शुरुआत कब और क्यों हुई

जब लगा की स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बढ़ती जा रही हैं, तब लोगों में बाइसाइकिल से होने वाले फायदे बताने के उद्देश्य से विश्व बाइसाइकिल दिवस मनाया जाने लगा। इस दिन को मनाने की शुरुआत सन् 2018 में हुई। संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा अप्रैल 2018 में विश्व बाइसिकल दिवस मनाने का फैसला लिया गया। तब से हर साल 3 जून को विश्व स्तर पर विश्व बाइसाइकिल दिवस (World Bicycle Day) मनाया जाता है।

ऐसे मनाया जाएगा वर्ल्ड साइकिल डे (World Bicycle Day Celebration)

देश, धर्म व लिंग के भेदभाव से कोसों दूर पूरी दुनिया में विश्व साइकिल दिवस मनाया जाता है और इस दिन लोग साइकिल चलाने का मजा लेते हैं। आज के समय में साइकिल केवल यातायात का साधन नहीं रह गया है, बल्कि यह मानव जीवन में एक जरूरी एक्सरसाइज इक्विपमेंट का प्रतीक बन चुका है। इस दिन दुनिया भर में कई प्रकार की गतिविधियों का आयोजन किया जाता है। इसमें साइकिल ट्रिप्स का आयोजन करना प्रमुख माना जाता है।

साइकिल चलाने के फायदे (Benefits Of Cycling)

साइकिल चलाने से हमारे वातावरण व इंसान दोनों को ही फायदा होता है। एक तरफ जहां साइकिल चलाने से प्रदूषण में कमी आती है, वहीं दूसरी तरफ इंसान की फिजिकल और मेंटल हेल्थ (Physical and Mental Health) भी बेहतर होती है। रोज़ाना आधा घंटा साइकिल चलाने से बॉडी की फिटनेस बढ़ती है और एक्स्ट्रा फैट से छुटकारा मिल जाता है। साइकिल सबसे सस्ता और पुरातन यात्रा का वह साधन है जिसके हमें बहुत से फायदे हैं।

  • बाइसाइकिल से पेट्रोल की बचत होती है, जो पर्यावरण संरक्षण में बहुत लाभकारी है।
  • साइकिल चलाने से पाचन संबंधी समस्याओं से निजात मिलती है। इंसान का पाचन तंत्र सही रहता है।
  • इसके अलावा साइकिल चलाने से घुटनों के दर्द आदि जैसी समस्याओं का इंसान को सामना नहीं करना पड़ता।
  • साइकिल एक ऐसा साधन है जिससे इंसान के पूरे शरीर की एक्सरसाइज हो जाती है।

Conclusion

आज की व्यस्त भरी जीवन शैली में बाइसाइकिल से नाता जोड़ कर रखें। जब भी आपको समय मिले, आप एक्सरसाइज के रूप में बाइसाइकिल जरूर इस्तेमाल करें ताकि आपको भी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना ना करना पड़े।

Global Day Of Parents 2024: बच्चों के जीवन में जो स्थान उनके माता-पिता होता है, उसे कोई दूसरा व्यक्ति चाहते हुए भी नहीं ले सकता।

अभिभावकों यानी माता-पिता के प्रेम, त्याग, समर्पण व करुणा को समर्पित है वैश्विक माता-पिता दिवस यानी Global Day Of Parents। प्रत्येक वर्ष 1 जून के दिन ग्लोबल डे ऑफ पैरेंट्स के रूप में मनाया जाता है।

Importance

ग्लोबल डे ऑफ पैरेंट्स के महत्वपूर्ण होने के कई कारण हैं। सबसे पहला और सबसे महत्वपूर्ण, यह दिन माता-पिता के महत्व और अपने बच्चों के विकास को प्रभावित करने में माता-पिता की भूमिका के बारे में जागरूकता फैलाने का अवसर प्रदान करता है। इसके अतिरिक्त, यह दिन अपने बच्चों के पालन-पोषण में माता-पिता की भागीदारी और उनके विकास के लिए एक सुरक्षित और पोषण करने वाले माहौल के रखरखाव को बढ़ावा देता है। तीसरा, ग्लोबल डे ऑफ पेरेंट्स माता-पिता की महत्वपूर्ण सामाजिक भूमिका का सम्मान और स्मरण करने और उनकी उपलब्धियों को स्वीकार करने का अवसर प्रदान करता है।

History

आर्थिक और सामाजिक परिषद तथा सामाजिक विकास आयोग ने 1983 में महासचिव को परिवार से संबंधित मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रेरित किया, जिसके बाद वैश्विक माता-पिता दिवस की शुरुआत हुई। 1994 में अंतर्राष्ट्रीय परिवार वर्ष की स्थापना की गई और 1980 के दशक में संयुक्त राष्ट्र द्वारा पारिवारिक मुद्दों पर जोर दिए जाने के परिणामस्वरूप प्रत्येक वर्ष 15 मई के दिन को अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस के रूप में मनाया जाता है।

इसके साथ ही संयुक्त राष्ट्र ने 1 जून, 2012 को वैश्विक अभिभावक दिवस के रूप में घोषित किया। इसका पहला स्मरणोत्सव 2013 में हुआ, जो माता-पिता की भूमिका की वैश्विक मान्यता में एक महत्वपूर्ण मोड़ था।

Objective of Global Day of Parents

  • इस दिन को मनाने का उद्देश्य बच्चों के जीवन में माता-पिता के महत्वपूर्ण योगदान को स्वीकारना है।
  • बच्चों के जीवन में माता-पिता की भूमिका के बारे में जागरूकता फैलाना है।
  • माता-पिता के सुख को बढ़ावा देना है।

Theme of Global Day of Parents 2024

संयुक्त राष्ट्र द्वारा हर साल ग्लोबल डे ऑफ पेरेंट्स के लिए एक विशेष थीम चुनी जाती है। इस बार की थीम है- ‘The Promise of Playful Parenting’ जोकि बच्चों व माता-पिता के बीच स्वस्थ रिश्ते को मज़बूत करने पर आधारित है।

How to celebrate Global Day Of Parents

  • इस Global Day Of Parents पर सभी बच्चे अपने माता-पिता के लिए समय अवश्य निकालें व उनके साथ बैठकर स्वस्थ बातचीत करें।
  • बच्चे माता-पिता के प्रति अपने कर्तव्य का निर्वाह करें।
  • माता-पिता के साथ काम में हाथ बटाएँ।
  • बच्चे अपने माता-पिता को आज के दिन उपहार दिलाए।

इस तरह ग्लोबल डे ऑफ पैरेंट्स पर माता-पिता के साथ रिश्तों को करें बेहतर

बच्चों के जीवन में माता-पिता एक अहम हिस्सा होते हैं, लेकिन जैसे-जैसे बच्चे बड़े होने लगते हैं। अपनी जिंदगी में लीन हो जाते हैं। ऐसे में आमतौर पर बच्चों और माता-पिता (Parents) के बीच दूरियां आने लगती हैं। एक समय वो भी आता है जब बच्चे समझ नहीं पाते कि कब पैरेंट्स के साथ रिश्ते में दिक्कतें आईं और कैसे इन दिक्कतों को दूर किया जाए। इस ग्लोबल डे ऑफ पैरेंट्स पर जानिए किस तरह बच्चे अपने माता-पिता के साथ रिलेशनशिप को सुधार सकते हैं।

माता-पिता की सुने

पैरेंट्स के पास अपने भी ढेरों किस्से और बातें होती हैं जो वे अपने बच्चों से कहना चाहते हैं, उन्हें बताना चाहते हैं। लेकिन बहुत से बच्चे आज के समय में अपनी व्यस्त जीवनशैली के चलते माता-पिता की बात को सुनना तो दूर उनसे कुछ पल बैठकर बात करना भी पसंद नहीं करते। ऐसे में बच्चों को कोशिश करनी चाहिए कि वे थोड़ा समय अपने माता-पिता के लिए भी निकालें और उनसे बैठकर स्वस्थ बातचीत करें और उनकी बात सुनें।

अपने अहम को पीछे रखें

बढ़ती उम्र के बच्चों को दुनिया की बात चाहे कैसी लगे लेकिन अपने पैरेंट्स की कही बातें बुरी लगना शुरू हो जाती हैं। कई बार बच्चे अपने माता-पिता पर चिल्ला भी देते हैं और यह भी कह देते हैं कि आपने हमारे लिए किया ही क्या है। इसीलिए अपने अहम या अंहकार को पीछे रखें व पैरेंट्स ने आपके लिए जीवन में जो कुछ किया है, उसे भुलाएं ना।

पैरेंट्स के नज़रिए को समझें

अगर आप अपने माता-पिता की बात से सहमत नहीं होते हैं, तो भी उनके नज़रिए को समझना बहुत जरूरी होता है। पैरेंट्स की सलाह सुनना, उनके विचारों को सुनना और उनके अनुभव से सीखना बहुत जरूरी है। क्योंकि आज के समय में माता-पिता की बात को नकार देना या उनके नज़रिए को ना समझना रिश्तों में दरार पैदा करता है।

अपनी इच्छाओं को कम रखें

कई बार बच्चे माता-पिता को आम इंसान की तरह नहीं सिर्फ अपने पैरेंट्स की तरह देखते हैं और उनसे बहुत सी चीजों की इच्छा रखते हैं। बच्चों को यह लगता है कि माता-पिता को हमेशा बच्चों को ही देते रहना चाहिए, चाहे वह समय हो, पैसे हों या फिर अपने हिस्से की खुशियां हो। बच्चों को समझना चाहिए कि माता-पिता की अपनी भी एक ज़िंदगी है।

माता-पिता के प्रति प्यार जताना है जरूरी

सभी बच्चे अपने माता-पिता से और माता-पिता बच्चों से प्यार करते हैं। लेकिन जैसे ही बच्चे बड़े होते है, अपने माता-पिता से प्यार जताने में झिझकने लगते हैं। माता-पिता को अपना कुछ समय देकर, उनकी फिक्र करके उन्हें अपना प्यार जताया जा सकता है।

Conclusion

बच्चे के लिए उसके माता-पिता उसके जीवन के सबसे महत्वपूर्ण स्तंभ होते हैं। जो अपने बच्चे का पालन-पोषण अच्छे से अच्छे तरीक़े से करते है, बच्चों की देखभाल करते है, कोई मुसीबत आने से पहले ही सुरक्षा कवच बनकर अपने बच्चे की रक्षा करते है। ग्लोबल डे ऑफ पेरेंटस हमें अपने माता-पिता के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने और उनके बलिदानों को याद करने का अवसर प्रदान करता है

गर्मियों में आंखों की देखभाल कैसे करें (How to Care for Your Eyes During Summer)

आंखें, जिनसे हम सारा जहान देखते हैं, भगवान के द्वारा दिया हुआ सबसे अनमोल तोहफा हैं। हमारी आंखें बहुत ही नाजुक हैं, इसलिए उनकी देखभाल करना बहुत जरूरी है।

गर्मियों में आंखों की देखभाल के लिए विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है। बढ़ती गर्मी में बाहर निकलने, पसीने आदि के कारण आंखों में लालिमा आदि की समस्या बढ़ जाती है। समय रहते अगर ध्यान ना दिया जाए, तो यह आंखों के लिए बहुत ही नुकसानदायक हो सकती है।

गर्मियों में आंखों में लालिमा या संक्रमण से बचने के तरीके

गर्मियों में आंखों में लालिमा या संक्रमण से बचने के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना जरूरी है:

1. आंखों में लालिमा क्यों होती है?

डॉक्टरों के अनुसार, आंख में लालिमा बढ़ने का कारण बढ़ता तापमान भी हो सकता है। इसके कारण आंखों में संक्रमण हो सकता है और आंखें लाल हो जाती हैं। इसका परिणाम यह होता है कि आंखों के अंदर का सफेद हिस्सा लाल पड़ने लगता है। यह सब आंखों की नसों में सूजन के कारण होता है।

2. गर्मी में आंखों की लालिमा बढ़ने के कारण

– आंखों पर सीधे सूर्य की रोशनी पड़ना

सूर्य की सीधी रोशनी भी आंखों में लालिमा के बढ़ने का कारण हो सकती है। इसलिए जब भी धूप में बाहर निकलें, सनग्लास आदि लगा कर निकलें।

– अधिक पसीना आने के कारण

अधिक पसीना भी आंखों की लालिमा का कारण हो सकता है।

– धूल-मिट्टी के कारण

धूल-मिट्टी के कण आंख में जाने पर आंख को मसलना नहीं चाहिए। धूल-मिट्टी के कण आंख में जाने पर आंख में लालिमा बढ़ सकती है।

– एलर्जी रिएक्शन

– बैक्टीरियल और वायरल इंफेक्शन

– कंजक्टिवाइटिस

गर्मी में आंखों को लालिमा और संक्रमण से बचाने के घरेलू तरीके

1. बर्फ की सिकाई

बर्फ की सिकाई आंख में लालिमा और जलन को कम करने में मदद करती है।

2. आंखों को ठंडे पानी से धोएं

कई बार पसीना आंखों में जाकर लालिमा का कारण बन जाता है। इससे बचने के लिए आंखों को दिन में तीन से चार बार ठंडे पानी से धोएं।

3. अधिक मात्रा में पानी का सेवन करें

गर्मी के मौसम में जरूरी है कि आप खुद को हाइड्रेट रखें। इसके लिए ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं, क्योंकि पानी शारीरिक संक्रमण को दूर करने में मदद करता है।

4. आंखों में गुलाबजल डालें

गुलाबजल आंखों की लालिमा में राहत का काम करता है। अगर आपकी आंखों में कोई धूल का कण चला जाए, तब भी आप गुलाबजल का उपयोग कर सकते हैं।

5. अच्छा खानपान रखें

गर्मी के मौसम में खान-पान का विशेष ध्यान रखना चाहिए। यह हमारी आंखों के लिए भी जरूरी है। ज्यादा तली हुई चीजें ना खाएं। ज्यादा से ज्यादा फल, हरी सब्जियां और जूस पिएं ताकि आपकी आंखें स्वस्थ रहें।

इन तरीकों को अपनाकर आप गर्मी के मौसम में आंखों में होने वाली लालिमा को रोक सकते हैं या अगर आपकी आंखों में यह परेशानी है तो आप ऊपर लिखी बातों का ध्यान रख सकते हैं और अपनी आंखों को हमेशा स्वस्थ रख सकते हैं।

Amazing benefits of eating cucumber: Know the right time to eat cucumber, more than 100 diseases will be cured from the body.

ककड़ी खाने के अद्भुत फ़ायदे : जानिए ककड़ी खाने का सही समय, शरीर से दूर होगी 100 से अधिक बीमारियाँ

How To Eat cucumber(ककड़ी कैसे खाए):
ककड़ी खीरे की तरह दिखने वाला एक फूड है। इसे खाने से बहुत सी बीमारियों के ख़त्म किया जा सकता है। यह हमारे शरीर को सेहतमंद बनाती है। लेकिन अधिकतर लोग इसको खाने का सही तरीका व सही समय नहीं जानते हैं।

ककड़ी और खीरा में अंतर-
खीरा एक हेल्दी फूड है लेकिन ककड़ी को इससे कम फायदेमंद समझने की गलती कभी ना करें। हिंदी की तरह अंग्रेजी में खीरा और ककड़ी दोनों के लिए अलग-अलग शब्द नहीं हैं। दोनों को अंग्रेज़ी भाषा में cucumber कहा जाता है। हालांकि ककड़ी में खीरे के मुकाबले पानी की मात्रा कम होती है, लेकिन विटामिन और मिनरल बहुत सारे होते हैं। आइए आज जानते है ककड़ी खाने का सही समय और सही तरीका क्या हैं।

ककड़ी को खाने का सही तरीका-
खीरे की तरह ककड़ी को सलाद बनाकर खाना चाहिए। इसकी स्मूदी भी खाने में बहुत अच्छी होती है। एक्सपर्ट्स की माने तो ककड़ी खाने का सही टाइम भोजन से पहले का होना चाहिए। बिना समय में लगने वाली भूख को कंट्रोल करने के लिए हम इसे खा सकते हैं।

ककड़ी का सेवन करने से शरीर से भागेंगी 100 से ज्यादा बीमारी
ककड़ी में कैलोरी की कमी और पानी की मात्रा ज्यादा होती है। एक शोध के मुताबिक ऐसे फूड खाने से मोटापा कम होता है। इसे बीमारियों का राजा कहा जाता है जो कि 100 से ज्यादा रोगों को जन्म दे सकता है।

जानिए गर्मी में ककड़ी खाने के अद्भुत फायदे-

गर्मी का मौसम शुरू हो चुका है। हर कोई चाहता है कि वह खुद को इस मौसम में गर्मी की मार से बचा कर रखे। यह मौसम ऐसा है इसमें खान-पान का विशेष ध्यान रखना पड़ता है। गर्मी से बचने के लिए जरुरी है, ज्यादा से ज्यादा पानी और विटामिन से भरपूर चीजों का सेवन करें। गर्मी के मौसम में बहुत से फल और सब्जियां ऐसी हैं जो इस मौसम के लिए व हमारी सेहत के लिए बहुत अच्छी मानी जाती हैं और हमें डिहाइड्रेशन से बचाती हैं। इन्हीं में से एक है, ककड़ी।जो पानी से भरपूर होने के साथ साथ विटामिंस, पोटेशियम और फाइबर का बहुत अच्छा स्रोत है।

कब्ज की समस्या में असरदार –
ककड़ी के नियमित सेवन से कब्ज गैस और अपच जैसे पेट की समस्या से राहत मिलती है। इसमें मौजूद पानी व फाइबर पेट के लिए बहुत ही फ़ायदेमंद साबित होते हैं।

हड्डियों को मजबूत बनाती है –
ककड़ी में विटामिन के पाया जाता है। जो हड्डियों को मजबूत बनाए रखने में मददगार है।

स्किन और बालों के लिए लाभकारी –
ककड़ी गर्मी में बहुत फायदेमंद है। यह केवल हमारी पाचन क्रिया को ही नहीं बल्कि हमारी त्वचा और बालों की ग्रोथ के लिए भी फायदेमंद है। ककड़ी का जूस त्वचा पर दाग धब्बे दूर कर इसे चमकदार बनाने में सहायक है।

किडनी के लिए फायदेमंद –
ककड़ी के पानी भरपूर मात्रा में पाया जाता है जो पोटेशियम के साथ मिलकर यूरिक अम्ल और विषाक्त पदार्थों को शरीर से बाहर निकाल कर किडनी को स्वस्थ रखता है।
इस प्रकार ककड़ी किडनी को स्वस्थ रखने में मददगार है।

ब्लड प्रेशर नियंत्रण में असरदार —
ककड़ी में पाया जाने वाला पोटेशियम ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने सहायक है।

वजन घटाने में मददगार –
हर इंसान चाहता है कि उसका वजन कंट्रोल में रहे। इसमें ककड़ी बहुत लाभकारी है। ककड़ी में बहुत कम मात्रा में कैलोरी होती है और इसमें पाया जाने वाला फाइबर काफी समय तक भूख नहीं लगने देता। इस प्रकार ककड़ी खाने से हम बार बार खाने की समस्या से बचे रहते हैं।

इसके अलावा हम इसे स्नेक्स की तरह भी खा सकते हैं।
इस प्रकार ककड़ी इस गर्मी के मौसम का में पानी और विटामिन का सबसे अच्छा स्त्रोत है। जो हमें बहुत सी बीमारियों से बचाने में सहायक है।

When and why we celebrate World Earth Day 2024

पृथ्वी जिस पर हम रहते ही नहीं बल्कि हमारे जीवन का आधार कहें, तो गलत नहीं होगा।
रहने के लिए आवास, पीने के लिए पानी, जीने के लिए अनुकूल वातावरण, खाने के लिए अन्न आदि सब कुछ हमें इस धरा से ही प्राप्त होता है। फिर हमारा भी फर्ज बनता है की हम अपनी पृथ्वी को साफ और स्वच्छ बनाए रखने में अपना योगदान दें।

World Earth Day मनाने का कारण –

आज हमारा पर्यावरण बहुत प्रदूषित हो रहा है। जो कि एक चिंता का विषय है। इसलिए पृथ्वी पर शांति बनाए रखने और पर्यावरण को स्वच्छ बनाए रखने के लिए हर साल 22 अप्रैल को विश्व पृथ्वी दिवस मनाया जाता है। ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को पर्यावरण संरक्षण के लिए जागरूक किया जा सके और पृथ्वी के वातावरण को शुद्ध रखा जा सके।

World Earth Day history –
हर साल 22 अप्रैल को विश्व पृथ्वी दिवस मनाया जाता है।
ऐसा क्या कारण है, कि विश्व पृथ्वी दिवस 22 अप्रैल को ही क्यों मनाया जाता है?
कहा जाता है कि सन् 1960 में, पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ रही थी। विश्वविद्यालयों में छात्र प्रदूषण और प्राकृतिक संसाधनों के बहुत दोहन के खिलाफ आंदोलन कर रहे थे। पहली बार “22 अप्रैल 1970” को, 20 मिलियन से अधिक लोगों ने 150 देशों में अमेरिका में पहला पृथ्वी दिवस मनाया।

विश्व पृथ्वी दिवस मनाने का विचार सबसे पहले सन् 1969 में यूनेस्को सम्मेलन में जॉन मैककोनेल द्वारा सोचा गया था।
इस दिन को मनाने की अवधारणा थी
“पृथ्वी का सम्मान करना” और “पृथ्वी पर शांति बनाए रखना”।

1990 में हेन्स द्वारा वैश्विक पृथ्वी दिवस का आयोजन किया गया था। इस कार्यक्रम में 140 देशों के 20 करोड़ से अधिक लोगों ने भाग लिया था। वर्तमान समय में, पृथ्वी दिवस नेटवर्क (ईडीएन) 190 देशों में 20,000 साझेदारों और संगठनों में फैला हुआ है।
22 अप्रैल की तारीख विश्व पृथ्वी दिवस के लिए आंशिक तौर पर इसलिए चुनी गई, क्योंकि यह कॉलेजों की स्प्रिंग ब्रेक और अंतिम परीक्षाओं के बीच पड़ती थी। इसका उद्देश्य अधिक से अधिक विद्यार्थियों को पर्यावरण संरक्षण की ओर आकर्षित करना था ।

World Earth Day 2024 थीम –
विश्व पृथ्वी दिवस 2024 की थीम है –

इस साल विश्व पृथ्वी दिवस मनाए जाने की थीम है “Planet vs. Plastics ” अर्थात ” ग्रह बनाम प्लास्टिक”। इस थीम का उद्देश्य है पृथ्वी पर बढ़ रहे प्लास्टिक प्रदूषण को कम करना। प्लास्टिक का one Time इस्तेमाल करें या इसे रिसाइकिल में इस्तेमाल करें। प्लास्टिक का केवल पृथ्वी को ही नुकसान नहीं है बल्कि कचरे में फैंकी गई प्लास्टिक पशुओं आदि जानवरों के लिए मौत का कारण बनती है। इसलिए जरूरी है हम मिलकर इस पृथ्वी दिवस पर प्लास्टिक प्रदूषण को जड़ से खत्म करने का प्रण करें और अपनी धरा को साफ और स्वच्छ बनाए।

पृथ्वी को साफ , स्वच्छ और प्रदूषण रहित बनाएं रखने के लिए अपना योगदान निम्न तरह से करें —

⁃ ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाएं।

⁃ प्लास्टिक की जगह कपड़े और कागज के बैग इस्तेमाल करें।

⁃ जगह जगह पर कूड़ा कचरा ना फलाएं।

⁃ प्लास्टिक का इस्तेमाल वन टाइम या रिसाइकिल से करें, आदि।

जब पृथ्वी हमारे जीवन की सभी जरूरतों को पूरा करने में लगी हुई है, तो हमारा भी फर्ज है कि हम इसकी संभाल करें।