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Students Movement Against Drugs: कॉलेजों में छात्रों का नशा विरोधी आंदोलन

प्रस्तावना

आज के बदलते दौर में जहां हमारे देश की युवा पीढ़ी तरक्की में चार चांद लगा रही है, वहीं दूसरी ओर आज के समय में कॉलेज में Addiction की समस्या बढ़ती जा रही है। कॉलेज में नशा इतना बढ़ गया है कि युवा पीढ़ी इसमें फंसती जा रही है और जीवन को बर्बाद करने में लगी हुई है।

ऐसा नहीं है कि Drug awareness नहीं है। Campus safety के लिए कॉलेज Anti-Drug Campaigns चलाए जाते हैं। फिर भी कहीं न कहीं से कॉलेज में नशा विद्यमान नजर आता है।

क्या भविष्य में students movement में कोई सुधार होगा?

Anti Drug campaigns कहां तक हैं प्रभावी?

National level पर addiction prevention में सरकार क्या उठाएगी अगले कदम?

ये सभी सवालों की आज हम चर्चा करने वाले हैं।


Drug in College: कॉलेजों में बढ़ती Addiction की समस्या

भारत में कॉलेजों में ड्रग एडिक्शन (नशा) की समस्या एक गंभीर सामाजिक और स्वास्थ्य संकट बनती जा रही है। यह न केवल छात्रों के व्यक्तिगत जीवन को प्रभावित करती है, बल्कि देश के भविष्य यानी युवाओं की मानसिक, शैक्षणिक और सामाजिक स्थिति पर भी गहरा असर डालती है।


कॉलेजों में ड्रग एडिक्शन की समस्या के मुख्य कारण:

  1. जिज्ञासा और दबाव – नए अनुभव की तलाश या दोस्तों के दबाव में आकर छात्र नशे की शुरुआत करते हैं।

  2. मानसिक तनाव – पढ़ाई का दबाव, करियर को लेकर चिंता, रिश्तों की समस्याएं।

  3. असुरक्षित माहौल – कुछ कॉलेज या हॉस्टल ऐसे माहौल में बदल चुके हैं जहां ड्रग्स आसानी से उपलब्ध हैं।

  4. इंटरनेट और फिल्मों का असर – मीडिया में नशे को ‘कूल’ या ग्लैमरस दिखाना।

  5. कमजोर पारिवारिक संवाद – माता-पिता और बच्चों के बीच खुलकर बात न होना।


कॉलेजों में Addiction के प्रकार:

  • गांजा (Marijuana / Weed)

  • सिगरेट और तंबाकू (Nicotine)

  • शराब (Alcohol)

  • कोकिन (Cocaine)

  • हेरोइन (Heroin)

  • LSD (Acid)

  • MDMA / एक्स्टसी (Ecstasy)

  • दवाइयों का दुरुपयोग (Prescription Drugs Misuse)


ड्रग एडिक्शन के Students पर Negative प्रभाव:

1. शारीरिक प्रभाव:

  • नींद की गड़बड़ी

  • भूख की कमी

  • थकावट

  • दिल और लिवर की समस्याएं

2. मानसिक प्रभाव:

  • डिप्रेशन

  • एंग्जायटी

  • भ्रम (Delusion), गुस्सा और आत्महत्या की प्रवृत्ति

3. शैक्षणिक प्रभाव:

  • पढ़ाई में गिरावट

  • कक्षा से अनुपस्थिति और परीक्षा में असफलता

4. सामाजिक प्रभाव:

  • परिवार से दूरी

  • अपराध में संलिप्तता

  • समाज में बदनामी


Students Movement Campaign: छात्रों द्वारा कॉलेजों में Anti-Drug Campaigns

ऐसा नहीं है कि इस नशे की चपेट में सभी छात्र आ जाते हैं। कुछ जो इससे बचे रहते हैं वो इसके कुप्रभाव से Students Awareness Programs चलाते हैं, जैसे कि:

  1. Delhi University Students का Drug Free Campus Campaign

  2. Punjab Colleges की Anti Drug Awareness Drive

  3. Mumbai Students Organisation द्वारा शुरू Anti Drug Initiative

मुख्य उद्देश्य:

  • कॉलेज परिसरों में नशे के प्रचलन को रोकना

  • छात्रों को नशे के दुष्परिणामों के प्रति जागरूक करना

  • स्वस्थ और उत्पादक छात्र जीवन को बढ़ावा देना

  • मनोवैज्ञानिक सहायता और परामर्श सुविधा प्रदान करना

प्रभाव:

  • छात्रों में नशा विरोधी सोच बढ़ी

  • नशे की शिकायतों में कमी आई

  • कई कॉलेजों में काउंसलिंग यूनिट्स और हेल्प डेस्क स्थापित हुए

  • पुलिस और विश्वविद्यालय प्रशासन के बीच सहयोग बेहतर हुआ


प्रशासन और सरकार की भूमिका:

  • पंजाब सरकार ने “Buddy Program” और “Mission Fateh” जैसे अभियानों के जरिए कॉलेजों में छात्रों को Drug-Awareness से जोड़ा

  • Anti-Drug Mobile Apps, हेल्पलाइन नंबर और कॉलेज निरीक्षण जैसी कार्रवाइयाँ


Drug Awareness Programs की Success Stories:

  1. Punjab का Buddy Program (2016):
    हजारों विद्यार्थियों में नशा विरोधी जागरूकता फैली और ड्रग्स से दूरी बनी

  2. Delhi University – Drug-Free Campus Campaign (2023):
    DU के कई कॉलेजों में ड्रग्स के मामलों में 30% तक कमी आई

  3. Vyakti Vikas Kendra अभियान (Art of Living Foundation):
    हजारों युवा ड्रग्स छोड़कर सामान्य जीवन में लौटे

  4. Nasha Mukt Bharat Abhiyan (2020):
    लाखों लोगों को नशे से बाहर निकालने में मदद मिली; स्कूलों और कॉलेजों में 50,000+ जागरूकता कार्यक्रम

  5. Manipur Police का Community Policing Model:
    नॉर्थ ईस्ट राज्यों में युवाओं की नशे से दूरी और पुनर्वास में वृद्धि


Anti Drug Campaign Strategy: Drug Prevention रणनीति

1. जागरूकता (Awareness):

  • स्कूल, कॉलेज, गांवों और शहरी इलाकों में पोस्टर, रैलियाँ, नुक्कड़ नाटक और सेमिनार

  • नशे के दुष्प्रभावों पर डॉक्युमेंट्री और सोशल मीडिया कैंपेन

2. शिक्षा (Education):

  • स्कूली पाठ्यक्रम में नशा मुक्ति शिक्षा को शामिल करना

  • युवा क्लब और NSS के माध्यम से सकारात्मक जीवनशैली को बढ़ावा देना

3. काउंसलिंग और पुनर्वास (Counselling & Rehabilitation):

  • नशा करने वालों के लिए हेल्पलाइन, मनोवैज्ञानिक सहयोग और पुनर्वास केंद्र

  • परिवारों को साथ लेकर सहायता

4. कानून और प्रवर्तन (Law & Enforcement):

  • ड्रग तस्करी और बिक्री पर कड़ा नियंत्रण

  • NDPS Act के तहत सख्त कार्रवाई

5. सामुदायिक भागीदारी (Community Participation):

  • पंचायत, NGO, धार्मिक संगठन और युवा स्वयंसेवकों की भागीदारी

  • ‘Buddy System’, ‘Peer Support’ जैसे मॉडल

6. वैकल्पिक गतिविधियाँ (Engagement Activities):

  • खेल, कला, संगीत, स्किल डेवलपमेंट से युवाओं को जोड़ना

  • खाली समय का रचनात्मक उपयोग


भविष्य में Youth Leadership की Anti Drug Awareness में कार्रवाई:

  1. सोशल मीडिया अभियान – युवा लीडर्स डिजिटल प्लेटफॉर्म पर नशा विरोधी संदेश फैलाएंगे

  2. कॉलेज-स्कूल क्लब – “Anti-Drug Youth Clubs” बनाकर जागरूकता कार्यक्रम

  3. पियर सपोर्ट सिस्टम – Buddy System के माध्यम से युवाओं को प्रेरित करना

  4. नीति सुझाव – सरकार के साथ मिलकर नशा नीति सुधार में भागीदारी

  5. पुनर्वास सहायता – नशा छोड़ चुके लोगों को समाज से जोड़ने में सहयोग

  6. स्टार्टअप और इनोवेशन – हेल्पलाइन ऐप, काउंसलिंग प्लेटफॉर्म आदि का निर्माण

  7. युवा एंबेसडर – युवा रोल मॉडल नशा विरोधी अभियानों के चेहरे बनेंगे


निष्कर्ष:

कॉलेज स्तर पर ड्रग्स की समस्या एक खतरनाक संकेत है जो हमारी युवा पीढ़ी को भीतर से खोखला कर रही है। इस पर समय रहते ठोस कदम उठाना और एक जागरूक, संवेदनशील और सुरक्षित माहौल बनाना अनिवार्य है।

“भविष्य में युवा नेतृत्व नशा मुक्त समाज की नींव बनेगा – जागरूकता से लेकर समाधान तक।”