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June 2019

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International Yoga Day in Hindi: जैसे की हम सब जानते हैं, प्रतिवर्ष 21 जून को विश्व स्थर पर अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस (Antarrashtriya Yoga Diwas) मनाया जाता है। पूरे विश्व भर में इस दिन को मनाने की शुरुवात करने में भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का बहुत अहम् योगदान रहा है क्योंकि उन्होंने सर्वप्रथम इस दिन को मनाने की शुरुवात 21 जून 2015 से की थी। भारत में योग दिवस का आयोजन आयुष मंत्रालय द्वारा किया जाता है।

कब शुरू हुआ विश्व योगा दिवस – Vishwa Yoga Diwas in Hindi

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी में United Nation में जा कर योग के लाभ और इसके महत्व को विश्व भर के लोगों को समझाया। मोदी जी द्वारा की गयी इस पहल से ही आज पूरे विश्व भर में इस दिन को बहुत ही उत्साह के साथ और योग कर के मनाया जाता है। नरेन्द्र मोदी जी ने इसके विषय में अपना सुझाव 27 सितम्बर 2014 को यूनाइटेड नेशन के समक्ष रखा था जिसे 11 दिसम्बर 2014 को स्वीकृति मिली व 21 जून को विश्व योगा दिवस घोषित किया गया। International Yoga Day in Hindi Essay.
उसी के बाद से इस दिन को पुरे विश्व भर में 21 जून को मनाया जाने लगा है। इस दिन को Yoga Day भी कहते हैं। इस दिन पूरे विश्व भर में बड़े से छोटे क्षेत्रों में, बड़े से बड़े और छोटे से छोटे लोग मिल जुल कर बड़े मैदानों में योग करते हैं। यहाँ तक की सभी मंत्रिगण और स्वयं पी एम नरेन्द्र मोदी जी भी इसमें भाग लेते हैं।

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कैसे मनाया जाता है International Yoga Day in Hindi

इस दिन योग करने के साथ-साथ लोग विश्व भर में अन्य कार्यक्रम जैसे ध्यान, मीटिंग, योग के लिए लोगों को बढ़ावा देना, योग पर वाद विवाद प्रतियोगिताएं और लेखन के साथ-साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किये जाते हैं। योग हमारी संस्कृति की अनमोल दें है, इसकी शुरुवात 5000 वर्ष से भी पूर्व शुरू हो चुकी थी, जिससे यह पता चलता है कि योग का महत्व मानव जीवन के लिए कितना महत्वपूर्ण है।

योगा पुरस्कार

योग हमारे जीवन में बहुत महत्व रखता है क्योंकि इससे कई प्रकार कि बिमारियों से छुटकारा मिलता है और शरीर निरोग व तंदरुस्त बना रहता है। इस दिन को प्रधानमंत्री योग पुरस्कार कि भी घोषणा कि जाती है।

योग के फायदे Yoga Ke Fayde in Hindi

  • योग में जो शक्ति है वह दुनिया के और किसी भी व्यायाम में नहीं है।
  • योग की सबसे बड़ी खासियत यही है की योग के लिए आपको किसी भी प्रकार के यंत्र की आवश्यकता नहीं है। साथ ही योग एक ऐसी शारीरिक क्रिया है जिससे बिना किसी औषधि के सभी रोगों से मुक्ति पाई जा सकती है।
  • योग के लिए आप प्रतिदिन सुबह बस 20-30 मिनट दें और दिन भर की थकावट से दूर रहे।
  • बच्चों के लिए भी योग एक बेहतर व्यायाम है जिससे बच्चे स्वस्थ रहते हैं और साथ ही इससे उनका दिमाग शांत और मजबूत बनता है।
  • नियमित योग से शरीर का वज़न कम होता है।
  • इससे मन की चिंता दूर होती है जिससे मानसिक तनाव और हाइपरटेंशन जैसी बीमारियाँ शरीर से दूर रहती हैं।
  • योग करने से मन में सकारात्मक विचार उत्पन्न होते हैं और साथ ही काम में मन लगता है।
सही नज़रिए से देखा जाए तो सफलता का असली रास्ता है योग।

Types of Yoga in Bhagavad Gita

भगवद गीता में योग के जो तीन प्रमुख प्रकार बताए गए हैं वे हैं |

कर्मयोग

Karma Yoga in Bhagavad Gita: इसमें व्यक्ति अपने स्थिति के उचित और कर्तव्यों के अनुसार कर्मों का श्रद्धापूर्वक निर्वाह करता है।

भक्ति योग

Bhakti Yoga in Bhagavad Gita: इसमें भगवत कीर्तन प्रमुख है। इसे भावनात्मक आचरण वाले लोगों को सुझाया जाता है।

ज्ञान योग

Gyan Yoga in Bhagavad Gita: इसमें ज्ञान प्राप्त करना अर्थात ज्ञानार्जन करना शामिल है।

भारत द्वारा स्थापित वल्र्ड रिकॉर्ड

इस अवसर पर दिल्ली में एक साथ 35985 लोगों ने योग का प्रदर्शन किया, जिसमें 84 देशों के प्रतिनिधि मौजूद थे और भारत ने दो विश्व रिकॉर्ड बनाकर ‘गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स’ में अपना नाम दर्ज करा लिया। पहला रिकॉर्ड एक जगह पर सबसे अधिक लोगों के योग करने का बना, तो दूसरा एक साथ सबसे अधिक देशों के लोगों के योग करने का।

Baba Ram Rahim के द्वारा बताए गए योगाभ्यास के टिप्स

Yoga practice tips by Baba Ram Rahim Exclusive Samachar
बाबा राम रहीम एक अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए कई मूल्यवान सुझाव प्रदान करते हैं और दैनिक व्यायाम, ताजे फल और सब्जियों सहित स्वस्थ आहार की सलाह देते हैं। बाबा राम रहीम ध्यान के साथ प्राणायाम सिखाते हैं जो मन और शरीर से तनाव को दूर करने में अत्यधिक प्रभावी है। यह मस्तिष्क में ऑक्सीजन के प्रवाह को भी सक्षम बनाता है, जिससे मस्तिष्क की शक्ति बढ़ती है। इनके डर बताई गयी विधि से अनेक लोगों की अस्थमा की बीमारी व अन्य श्वास की बीमारियाँ ठीक हुई हैं। इन्होंने बहुत से आसन बताए हैं जिनकी विडियोग्राफी यू ट्यूब पर उपलब्ध है। इन आसनों को हज़ारों लोगों ने अपनाया है और उनकी ला ईलाज बीमारियां ठीक हुई हैं। यही नहीं, यहां योगासनों के साथ साथ आयुर्वेद ईलाज करके 90% नसें बलाक वाले व्यक्ति भी ठीक हुऐ हैं।
29 अप्रैल 2016 को, संत डॉ गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां को योगा में, उनके मार्गदर्शन व अपार योगदान के लिए दुनिया के 4 सबसे बड़े योग फेडरेशन द्वारा ‘अवार्ड ऑफ़ ऑनर’ देकर सम्मानित किया गया।
न सिर्फ भारत, बल्कि विश्व के कोने-कोने में इस दिन को उत्सव के साथ मनाया जाने लगा है और योग को लोग अपनाने लगे हैं। इसकी शुरुवात भारत से हुई है परन्तु आज पूरा विश्व इसे अपना मानने लगा है। भारत के इस महान विरासत योग पर हम भारतीयों को गर्व होना चाहिए।

आज 14 जून को, विश्व भर में वर्ल्ड ब्लड डोनर डे, यानी विश्व रक्त्दाता दिवस मनाया जा रहा। यह दिवस हर साल रक्त दान के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए, इससे जुड़ी भ्रांतियों को दूर करने के लिए, तथा लोगों को स्वैच्छिक रक्त दान करने के लिए प्रोत्साहन देने के लिए मनाया जाता है।

 

इस वर्ष का विषय- “सभी के लिए सुरक्षित रक्त”

हर साल विश्व स्वास्थ्य संगठन यानि वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईज़ेशन द्वारा इस दिन किसी 1 विषय पर ख़ास महत्त्व दिया जाता है, इस वर्ष का विषय है – “रक्तदान और सुरक्षित रक्त आधान तक सभी की पहुँच” और इसके लिए जो नारा विकसित किया गया है, वह है – “सभी के लिए सुरक्षित रक्त”। यह थीम पूरी दुनिया में अधिक लोगों को रक्त दाता बनने के लिए और नियमित रूप से रक्त दान करने के लिए प्रोत्साहित करती है। ऐसी क्रियाएं राष्ट्रीय रक्त की आपूर्ति की मजबूत नींव बनाने के लिए महत्वपूर्ण हैं और सभी रोगियों की रक्त की जरूरतों को पूरा करने के लिए मदद करती हैं।

हर कुछ सेकंड, किसी न किसी को, कहीं न कहीं रक्त की जरूरत होती है। रक्त और रक्त उत्पादों का आधान हर साल लाखों लोगों को बचाने में मदद करता है। रक्तदान करके आप भी अपने जीवन काल में कईं जानें बचा सकते हैं।

कौन कर सकता है रक्त दान

अच्छे स्वास्थ्य में होने पर अधिकांश लोग रक्त दे सकते हैं। रक्त दाता बनने के लिए कुछ बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा करना होगा, जो इस प्रकार हैं:

-आपकी आयु 18 से 65 वर्ष के बीच होनी चाहिए।
– आपका वजन कम से कम 50 किलो होना चाहिए।
– जिस समय आप रक्त दान करते हैं उस समय आप अच्छे स्वास्थ्य में होने चाहिएं।
– अगर आपको सर्दी, फ्लू, गले में खराश, सर्दी-खराश, पेट में कीड़े या कोई अन्य संक्रमण है तो आप रक्तदान नहीं कर सकते।
– अगर आपने एक छोटी सी प्रक्रिया के लिए दंत चिकित्सक का दौरा किया है तो आपको दान करने से 24 घंटे पहले इंतजार करना होगा; प्रमुख दन्त चिकित्सा कार्य करवाने के बाद एक महीने तक प्रतीक्षा करें।
– यदि आप रक्त दान के लिए न्यूनतम हीमोग्लोबिन स्तर को पूरा नहीं करते हैं, तो आपको रक्त दान नहीं करना चाहिए। आपका हीमोग्लोबिन कम से कम 12.5 होना चाहिए।
– गर्भावस्था के दौरान, बच्चे के जन्म के 9 महीने बाद और यदि आप अपने बच्चे को स्तनपान कराते हैं, तो आपको रक्तदान नहीं करना चाहिए।

रक्तदान करने से आपको भावनात्मक और शारीरिक स्वास्थ्य को लाभ होता है। रकतदान से निम्नलिखित लाभ होते हैं:

– मानसिक तनाव कम होता है
– नकारात्मक भावनाओं से छुटकारा मिलता है
– अपनेपन की भावना आती है अलगाव कम होता है
– नियमित रूप से रक्तदान करने से हृदय की बीमारी से बचाव करने वाले औसत कोलेस्ट्रॉल और कम घनत्व वाले लिपोप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल में कमी आती है।
– नियमित रूप से रक्तदान करने से आपका रक्तचाप भी कम हो सकता है, जो दिल के दौरे के जोखिम को तथा ब्रेन स्ट्रोक के जोखिम को कम करता है।

डेरा सच्चा सौदा- कायम कर रहा है रकतदान के क्षेत्र में नए आयाम

जहां एक ओर दुनिया में स्वार्थ है, वहीँ दूसरी ओर डेरा सच्चा सौदा के अनुयायी नियमित रक्त दान करते हैं, तथा लाखों जानें बचाते हैं।
पूजनीय संत डॉ गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां नियमित रकतदान करने की प्रेरणा देते हैं, रक्त बनाया नहीं जा सकता, केवल मनुष्य ही मनुष्य को रक्तदान कर सकता है। गुरूजी फरमाते हैं कि रक्त के अभाव में कोई भी मृत्यु नहीं होनी चाहिए, व स्वैच्छिक रकतदान करने से हम अपने राष्ट्र की रक्त की सभी ज़रूरतों को पूरा कर सकते हैं।

डेरा सच्चा सौदा के अनुयायियों द्वारा अब तक 5.25 लाख यूनिट से अधिक रक्तदान किया जा चुका है। डेरा सच्चा सौदा द्वारा मासिक रक्तदान शिविर के अलावा समय समय पर दुनिया भर में रक्तदान किया जाता है, जिसे दुर्घटनाग्रस्त लोगों को, पुलिस, आर्मी, पत्रकारों, थैलेसीमिया के मरीजों को व ज़रूरतमंद गरीबों की मदद के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

डेरा सच्चा सौदा के नाम 78 गिनीज़ विश्व रिकॉर्डों में से 4 रिकॉर्ड रक्तदान के क्षेत्र में हैं, जो कि 07 दिसंबर 2003, 10 अक्तूबर2004, 08 अगस्त 2010 व 12 अप्रैल 2014 में बनाये गए थे।

पुलवामा में शहीद हुए सैनिकों को श्रधांजलि देने के लिए भी डेरा सच्चा सौदा के अनुयायियों द्वारा 13653 यूनिट रक्तदान किया गया था। शादी हो या सालगिरह, कोई भी अवसर हो, मानवता के ये पुजारी, मानवता का भला करने से नहीं रुकते।

गर्व है हमें, कि हमारे देश में ऐसे नेक लोग हैं जो दूसरों की ज़िंदगी बचाने के लिए रक्तदान करते हैं। इन्हीं लोगों से प्रेरणा लेते हुए, इस विश्व रक्तदाता दिवस पर, आइये हम सब भी नियमित रक्तदान करने का प्रण करें, व किसी की ज़िन्दगी बचाने के पुण्य कार्य में भागीदार बनें।

मेरे प्यारे दोस्तो, एक तरफ तो मैं भारत का नागरिक होने पर बहुत गर्व महसूस करता हूँ, हालांकि, वहीं दूसरी तरफ यह तथ्य मुझे शर्मिंदा करता है, कि हमारा देश पूरे विश्व में बाल मजदूरों की बड़ी संख्या का घर है। वो भी केवल कुछ लालची और चालाक भारतीय नागरिकों के कारण, जो छोटे से बच्चों को जोखिम वाली मजदूरी के कार्यों में बहुत कम वेतन पर अधिक लाभ प्राप्त करने के लिए लगाते हैं। वो कभी भी अपने देश के विकास के बारे में नहीं सोचते; वो बहुत स्वार्थी होते हैं और केवल अपना लाभ चाहते हैं। सबसे अधिक बाल श्रमिक ग्रामीण क्षेत्रों में, कृषि में, और शहरी इलाकों में – खनन, जरी, कढ़ाई आदि उद्योगों में पाये जाते हैं।

बाल मजदूरी के कारण

बाल मजदूरी के कुछ प्रमुख कारण गरीबी, सभी के लिए आधारभूत सुविधाओं की कमी, सामाजिक सुरक्षा की कमी आदि है। समाज में अमीर और गरीब लोगों के बीच बहुत बड़ा अन्तर, आधारभूत सुविधाओं की सीमितता और बहुत बड़े स्तर पर असमानता है। इस प्रकार के सामाजिक मुद्दे समाज में, विशेषरुप से गरीबों के बच्चों पर अन्य आयु वर्ग की तुलना में प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं।

बेकार व लाचार स्थिति और कम ज्ञान के कारण, गरीब बच्चे कम वेतन पर कठिन कार्य करने को तैयार हो जाते हैं, वहीं वो शहरी क्षेत्रों में घरेलू नौकर की तरह प्रयोग किये जाते हैं। बाल श्रम की यह हालत लगभग गुलामी की स्थिति जैसी ही दिखती है।
अधिकतर गरीब माता-पिता बच्चों को जन्म केवल रुपये कमाकर उनकी वित्तीय स्थिति को मजबूत करने के लिए देते हैं। वो अपने बच्चों को घरेलू कामों में अपने सहयोगी के रुप में शामिल करते हैं। हम आमतौर पर बच्चों को चाय के स्टालों, ढाबों, होटलों और अन्य जोखिम वाले कार्य को करते हुए देखते हैं।

यह देखा गया है कि बाल मजदूरी में शामिल बच्चे सामान्य रुप से अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, अन्य पिछड़े वर्ग और मुस्लिम वर्ग से जुड़े होते हैं। इसका अर्थ है कि जातिवाद भारत में बाल श्रम का बड़ा कारण है। इस तरह के एक उन्नत युग में इसके अस्तित्व के कारण अप्रभावी कानून, बुरी प्रशानिक व्यवस्था, इसे पूरी तरह से खत्म करने की राजनीतिक इच्छा की कमी और नियोक्ताओं को भारी लाभ हैं।

बाल मजदूरी बंधक मजदूरी

बाल मजदूरी का एक और दूसरा रुप बंधक बाल मजदूरी भी है जो सामान्यतः अनौपचारिक क्षेत्रों में पायी जाती है। इसमें, गरीब बच्चे एक नियोक्ता के अधीन ऋण, वंशानुगत ऋण या परिवार द्वारा सामाजिक कर्तत्व के कारण बंधक बन जाते हैं। हम बंधुआ मजदूरी को गुलामी का एक रुप कह सकते हैं। बंधुआ बाल मजदूर शारीरिक और यौन शोषण और किसी भी प्रकार की लापरपवाही के कारण मौत की ओर उन्मुख हैं। वो मानसिक और मनोवैज्ञानिक रूप से बीमार हो जाते हैं और उनके पास जीवित रहने के लिए अन्य कोई विकल्प नहीं होता है।

देश के युवा होने के नाते, हमें राष्ट्र के लिए अपने दायित्वों को समझना चाहिये और इस सामाजिक मुद्दे का उन्मूलन करने के लिए कुछ सकारात्मक कदम उठाने चाहिये।

डेरा सच्चा सौदा संस्था ने बाल मजदूरी को रोकने के लिए क लिए कईं कदम उठाए हैं। इनमें से कुछ प्रमुख हैं-

– गरीब बच्चों के लिए शाह सतनाम जी शैक्षिक संस्थानों में मुफ़्त पढ़ाई
– गरीब बच्चों को स्टेशनरी, यूनिफार्म, पेन इत्यादि देना।
– अनुयायियों द्वारा गरीब बच्चों को विद्या दान देना, उन्हें कैरियर कॉउंसलिंग देना व ट्यूशन देना।
– संत डॉ गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की प्रेरणा द्वारा 6.5 करोड़ से अधिक लोगों ने बाल श्रम न करवाने का व इसे रोकने का प्रण लिया है।

आइये, बाल श्रम के खिलाफ इस विश्व दिवस पर हम सभी यह सुनिश्चित करें कि हर बच्चे को अपना बचपन जीने को मिले। हम सब इस दिशा में कदम बढ़ाएं और अपने देश से बाल श्रम को हमेशा के लिए ख़त्म कर दें।

धन्यवाद।

यदि सुरक्षित होगा बचपन, बन जायेगा भविष्य उज्ज्वल

जय हिन्द, जय भारत।