दीपों का पर्व दीपावली, पाँच दिनों तक चलने वाला भारत का सबसे पवित्र और उल्लासपूर्ण त्योहार है। इस पर्व की शुरुआत जिस दिन से होती है, वही दिन है धनतेरस — जिसे धनत्रयोदशी भी कहा जाता है।


यह दिन धन, स्वास्थ्य, सौभाग्य और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन जो व्यक्ति श्रद्धा से माँ लक्ष्मी, भगवान धन्वंतरि और कुबेर देव की पूजा करता है, उसके घर में पूरे वर्ष समृद्धि और शांति का वास रहता है।

धनतेरस का अर्थ ही है — धन का आगमन
यह दिन न केवल आर्थिक उन्नति की कामना का प्रतीक है, बल्कि यह जीवन में अच्छे स्वास्थ्य और दीर्घायु का संदेश भी देता है।

धनतेरस 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त (Dhanteras 2025 Date & Shubh Muhurat)

  • तिथि: शनिवार, 18 अक्टूबर 2025
  • त्रयोदशी तिथि प्रारंभ: 17 अक्टूबर 2025, रात 10:31 बजे
  • त्रयोदशी तिथि समाप्त: 18 अक्टूबर 2025, रात 8:37 बजे
  • प्रदोष काल: शाम 5:48 बजे से रात 8:20 बजे तक
  • वृषभ काल: शाम 7:16 बजे से रात 9:11 बजे तक
  • लक्ष्मी पूजन मुहूर्त: शाम 7:16 बजे से 8:20 बजे तक (सबसे शुभ समय)

इस अवधि में पूजा करने से माँ लक्ष्मी और भगवान कुबेर की कृपा अत्यधिक फलदायी मानी जाती है।

धनतेरस का धार्मिक और पौराणिक महत्व (Dhanteras Mythological Significance)

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, धनतेरस के दिन समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वंतरि अमृत कलश और आयुर्वेद लेकर प्रकट हुए थे।
इसीलिए यह दिन स्वास्थ्य और दीर्घायु की कामना के लिए भी विशेष रूप से मनाया जाता है।

एक अन्य कथा के अनुसार, एक बार राजा हेमराज के पुत्र की मृत्यु उसके विवाह के चौथे दिन सर्पदंश से होने वाली थी।
परंतु उसकी पत्नी ने उस रात घर के बाहर दीपों की पंक्तियाँ जलाकर, बहुत सारा धन और गहने सजा दिए

ताकि यमराज का दूत उसकी चमक से अंधा होकर भीतर न जा सके।
उस रात सर्पदूत वापस चला गया, और बालक की मृत्यु टल गई। तभी से धनतेरस पर दीपदान की परंपरा आरंभ हुई।
यह कथा हमें बताती है कि धनतेरस का असली अर्थ है — जीवन में उजाला, सुरक्षा और शुभता का प्रवेश।

 धनतेरस पूजा विधि (Puja Vidhi Step by Step)

  1. स्नान और शुद्धिकरण:
    सुबह जल्दी उठकर घर और पूजा स्थल की सफाई करें। गंगाजल छिड़कें और शुद्ध वातावरण बनाएं।
  2. स्थापना:
    पूजन स्थान पर लाल या पीले कपड़े बिछाकर लक्ष्मी माता, भगवान धन्वंतरि और कुबेर देव की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
  3. सामग्री:
    दीपक, कपूर, फूल, हल्दी, चावल, दूर्वा, मिठाई, पंचामृत, घी, और सोने-चांदी के सिक्के तैयार रखें।
  4. पूजा प्रक्रिया:
    • पहले भगवान गणेश की पूजा करें।
    • इसके बाद माँ लक्ष्मी और भगवान कुबेर को जल, फूल, चावल, रोली और मिठाई अर्पित करें।
    • ह्रीं श्रीं लक्ष्म्यै नमः” और “ कुबेराय नमः” मंत्रों का जाप करें।
    • भगवान धन्वंतरि से स्वास्थ्य और दीर्घायु की कामना करें।
    • यमराज के लिए घर के बाहर दक्षिण दिशा में दीपक जलाना अत्यंत शुभ माना गया है।
  5. आरती:
    लक्ष्मी माता की आरती “ॐ जय लक्ष्मी माता” पूरे परिवार के साथ करें और प्रसाद बाँटें।

धनतेरस पर खरीदारी के उपाय (Shopping Rituals & Tips)

धनतेरस को नए सामान की खरीदारी का सबसे शुभ दिन कहा गया है।
यह माना जाता है कि इस दिन खरीदी गई वस्तु पूरे वर्ष सौभाग्य और धन में वृद्धि करती है।

 क्या खरीदें:

  • सोना या चांदी: यह लक्ष्मीजी की कृपा का प्रतीक है।
  • बर्तन (चाँदी, तांबा, पीतल): धन और भोजन की स्थिरता का संकेत देते हैं।
  • झाड़ू: नकारात्मक ऊर्जा को दूर कर लक्ष्मी का प्रवेश कराती है।
  • कौड़ी, श्रीयंत्र, या गोमती चक्र: यह धन-सिद्धि के उपाय माने जाते हैं।
  • नया कपड़ा या इलेक्ट्रॉनिक सामान: नए आरंभ और शुभ परिवर्तन का प्रतीक।

क्या खरीदें:

  • लोहे की वस्तुएँ, काले या टूटे हुए सामानों की खरीद से बचें।
  • कर्ज़ या उधार लेना भी इस दिन शुभ नहीं माना जाता।

 विशेष उपाय:

  • धनतेरस की शाम 13 दीपक घर के मुख्य द्वार पर जलाएँ।
  • पूजा के बाद सिक्कों को तिजोरी या पर्स में रखें — यह लक्ष्मी स्थायित्व का प्रतीक होता है।
  • तिजोरी में हल्दी से स्वास्तिक का चिन्ह बनाएँ और माँ लक्ष्मी से आशीर्वाद माँगें।

धनतेरस और स्वास्थ्य (Health Significance)

चूँकि इस दिन भगवान धन्वंतरि का जन्म हुआ था, इसलिए यह दिन आयुर्वेद और स्वास्थ्य को समर्पित है।
इस अवसर पर लोग आयुर्वेदिक दवाइयाँ, तांबे के बर्तन या हर्बल उत्पाद भी खरीदते हैं।
ऐसा करने से जीवन में आरोग्य और दीर्घायु प्राप्त होती है।

 आध्यात्मिक अर्थ (Spiritual Meaning)

धनतेरस हमें यह सिखाता है कि सच्चा धन केवल सोनाचांदी नहीं, बल्कि अच्छा स्वास्थ्य, परिवार का प्यार और सकारात्मक सोच है।
जब हम ईमानदारी, कृतज्ञता और दान का भाव रखते हैं, तभी माँ लक्ष्मी का स्थायी वास हमारे जीवन में होता है।

निष्कर्ष (Conclusion)

धनतेरस 2025 केवल खरीदारी या पूजा का दिन नहीं, बल्कि नई शुरुआत, सकारात्मक सोच और आत्मिक समृद्धि का प्रतीक है।
इस दिन जब हम दीप जलाते हैं, तो वह केवल घर नहीं, बल्कि हमारे मन के अंधकार को भी मिटा देता है।

माँ लक्ष्मी, भगवान धन्वंतरि और कुबेर देव की कृपा से आपका जीवन धन, स्वास्थ्य और आनंद से भरा रहे —
इसी कामना के साथ धनतेरस की हार्दिक शुभकामनाएँ! 

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