Women Empowerment और सावन का आस्था का पर्व : Haryali Teej 2025

हमारा देश त्योहारों का देश

हमारा देश त्योहारों का देश है। यहां समय समय पर अलग अलग संस्कृति के अनुसार विभिन्न त्यौहार मनाएं जाते हैं। ऐसा ही सावन के महीने में आने वाला एक आस्था का पर्व है “हरियाली तीज”


Haryali Teej 2025

Hariyali Teej 2025 उत्तर भारत, खासकर हरियाणा, राजस्थान, यूपी, बिहार और MP में मनाया जाने वाला एक प्रमुख हिंदू त्योहार है।
यह खासतौर पर सावन के महीने में शुक्ल पक्ष की तृतीय को महिलाओं द्वारा मनाया जाने वाला पर्व है।

इसके साथ साथ Haryali Teej 2025 भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन की याद में मनाई जाती है।
इसे प्रकृति, प्रेम और सौंदर्य के उत्सव के रूप में देखा जाता है। इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं और अविवाहित लड़कियां अच्छा वर पाने की कामना करती हैं।


त्योहार का नाम “हरियाली” क्यों?

  • सावन में जब धरती हरियाली से ढक जाती है, तब यह तीज आती है।

  • पेड़-पौधों की हरियाली और मौसम की ताजगी इसे “हरियाली तीज” नाम देती है।


हरियाली तीज का महत्व

  • यह स्त्री शक्ति और समर्पण का प्रतीक मानी जाती है।

  • सामाजिक रूप से यह महिलाओं के मेलजोल, पारिवारिक एकता और परंपराओं को सहेजने का उत्सव है।

  • यह पर्यावरण संरक्षण और वर्षा ऋतु के स्वागत का भी प्रतीक है।


Teej Festival Significance: प्रकृति और परंपरा अनूठा संगम

प्रकृति की हरियाली और सांस्कृतिक परंपराओं का सुंदर संगम है हरियाली तीज। यह महिलाओं द्वारा भगवान शिव और माता पार्वती के मिलन की स्मृति में मनाया जाने वाला उत्सव है।
हरियाली तीज वर्षा ऋतु में आती है, जब धरती हरी-भरी हो जाती है, जिससे यह प्रकृति के सौंदर्य और जीवन के उत्सव का प्रतीक बन जाता है।

महिलाएं इस दिन व्रत, झूले, लोकगीत और मेंहदी जैसी परंपराओं के माध्यम से अपनी आस्था, प्रेम और सौंदर्य का उत्सव मनाती हैं। यह पर्व नारी शक्ति, सौभाग्य और प्रकृति के प्रति श्रद्धा को समर्पित होता है।


भगवान शिव पार्वती कथा और व्रत की शुरुआत

हरियाली तीज का व्रत माता पार्वती की अटूट भक्ति और तपस्या की कथा से जुड़ा है। कथा के अनुसार, देवी पार्वती ने 131 जन्मों तक तप करके भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने की कामना की। अंततः 132वें जन्म में उनकी कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें स्वीकार किया और उनका पुनर्मिलन हुआ।


Teej Vrat Vidhi

इसी शुभ दिन को याद करते हुए हरियाली तीज पर महिलाएं व्रत रखती हैं। यह व्रत मुख्यतः सुहागन स्त्रियों द्वारा अपने पति की दीर्घायु और सुख-समृद्धि के लिए किया जाता है, वहीं कुंवारी कन्याएं अच्छे वर की प्राप्ति हेतु यह व्रत करती हैं।
व्रत में महिलाएं निर्जला उपवास, पूजा, कथा श्रवण और झूला झूलने जैसी परंपराओं का पालन करती हैं।

हरियाली तीज, प्रेम, नारी-शक्ति और भक्ति का प्रतीक बनकर भारतीय संस्कृति में विशेष स्थान रखता है।


2025 Hariyali Teej दिनांक और शुभ मुहूर्त

  • दिनांक: 27 जुलाई 2025, रविवार

  • मुख्य समय: तृतीया तिथि 26 जुलाई रात 10:41 बजे से शुरू।

  • उपयुक्त मुहूर्त: ब्रह्म मुहूर्त एवं प्रातः संध्या (विशेष रूप से 04:46–06:14)

  • विशेष योग: रवि योग (27 जुलाई शाम 16:23 से 28 जुलाई सुबह 06:14 तक) — अत्यंत शुभ फलदायी

व्रत मुख्यतः निर्जला रूप में रखा जाए और पूजा समय के अनुसार अनुष्ठान करें।


Teej Vrat Vidhi

व्रत:

  • निर्जला उपवास (ना पानी, ना भोजन)।

पूजा:

  • सुबह ब्रह्म मुहूर्त या प्रातः संध्या में करें।

  • शिव-पार्वती की विधिपूर्वक पूजा, बेलपत्र, फल, सोलह श्रृंगार सामग्री शामिल।

  • कथा श्रवण और झूला (स्विंग) का आयोजन।

  • रवि योग में किया गया व्रत और पूजा विशेष फलदायक मानी जाती है।


उपवास सामग्री और तीज व्रत का महत्व

हरियाली तीज विशेषकर सुहागिन स्त्रियों के लिए एक अत्यंत पावन पर्व है।
हरियाली तीज व्रत सिर्फ धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि स्त्री के आत्मबल, श्रद्धा और प्रेम का प्रतीक है।

मुख्य महत्व:

  1. दांपत्य जीवन में प्रेम और समर्पण बढ़ाने वाला व्रत।

  2. भगवान शिव और देवी पार्वती के पुनर्मिलन का प्रतीक।

  3. कृषि और हरियाली के स्वागत का त्योहार।

  4. नारी शक्ति, तप और श्रद्धा का उत्सव।

  5. कुमारी कन्याएं अच्छे वर की प्राप्ति के लिए यह व्रत करती हैं।


पूजन सामग्री:

  • जल से भरा कलश

  • आम के पत्ते

  • कुमकुम, हल्दी, चंदन

  • अक्षत (चावल)

  • पुष्प (फूल) और बेलपत्र

  • धूप, दीपक, कपूर

  • सुपारी, लौंग, इलायची

  • पान, नारियल

  • मिठाई (लड्डू, घेवर, मालपुआ आदि)

  • शिव-पार्वती की मूर्ति या चित्र

  • पूजा की थाली


व्रत (उपवास) की खाद्य सामग्री:

साँझ को व्रत खोलने या अगले दिन सेवन हेतु:

  • फल (केला, सेब, अनार, मौसमी आदि)।

  • सूखे मेवे (काजू, बादाम, किशमिश)।

  • साबूदाना खिचड़ी / वड़ा।

  • सिंघाड़ा/कुट्टू का आटा (पूड़ी या पकौड़ी बनाने हेतु)।

  • आलू की सब्जी (सेंधा नमक से बनी)।

  • मीठे व्यंजन (घेवर, मालपुआ, खीर इत्यादि)।


व्रत की प्रक्रिया (Vrat Vidhi):

  1. सुबह स्नान कर व्रत का संकल्प लें।

  2. शिव-पार्वती की प्रतिमा की विधिवत पूजा करें।

  3. कथा श्रवण करें (हरियाली तीज व्रत कथा)।

  4. दिनभर निर्जला या फलाहार उपवास करें।

  5. रात्रि को भजन-कीर्तन करें, झूला झुलाएं।

  6. अगले दिन पारण करें।


Teej Festival Dedicated to Women Empowerment: तीज पर्व महिलाओं के लिए सौभाग्य से परिपूर्ण

तीज पर्व भारतीय संस्कृति का एक ऐसा पावन त्योहार है, जो महिलाओं के आत्मबल, श्रद्धा और सौंदर्य का उत्सव है। यह पर्व विशेष रूप से महिला सशक्तिकरण (Women Empowerment) और दांपत्य सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। हरियाली तीज, कजरी तीज और हरतालिका तीज – ये सभी तीजें भारतीय स्त्रियों की आस्था, प्रेम और शक्ति को समर्पित हैं।


महिलाओं के लिए तीज का विशेष महत्व:

  1. सौभाग्यवती रहने का संकल्प: विवाहित महिलाएं इस दिन व्रत रखकर भगवान शिव और देवी पार्वती से अपने पति की लंबी उम्र और सुखद वैवाहिक जीवन की कामना करती हैं।

  2. कन्याओं के लिए श्रेष्ठ वर की प्राप्ति: अविवाहित कन्याएं भी तीज व्रत रखती हैं ताकि उन्हें शिव जैसे आदर्श जीवनसाथी की प्राप्ति हो।

  3. आध्यात्मिक और मानसिक शक्ति: उपवास, ध्यान और पूजा के माध्यम से महिलाएं आत्म-नियंत्रण और आध्यात्मिक जागरूकता का अभ्यास करती हैं।

  4. सामाजिक एकजुटता और बहनचारा: महिलाएं समूह में गीत गाती हैं, झूला झूलती हैं और पारंपरिक नृत्य करती हैं – यह महिलाओं के बीच सामाजिक सहयोग और आत्मीयता को बढ़ाता है।

  5. स्वरोजगार और हुनर का प्रदर्शन: कई जगहों पर तीज मेलों में महिलाएं अपने हस्तशिल्प, फैशन, मेहंदी कला और पाक कौशल का प्रदर्शन करती हैं – जो आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देता है।


तीज: नारी सशक्तिकरण का सांस्कृतिक रूप

  • यह पर्व बताता है कि महिला सिर्फ एक पत्नी या मां नहीं, वह धैर्य, तप, प्रेम और शक्ति की मूर्ति है।

  • पार्वती जी का तप और प्रतीक्षा यह दर्शाता है कि नारी में संघर्ष और सफलता दोनों को अपनाने की क्षमता होती है।

  • महिलाएं उपवास रखकर अपने संकल्प, शक्ति और आस्था को साबित करती हैं।


Teej Celebrations: विभिन्न जगहों पर तीज उत्सव का माहौल

उत्तर भारत में तीज उत्सव:

राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली जैसे राज्यों में तीज का विशेष महत्व है। महिलाएं हरे रंग के वस्त्र पहनती हैं, मेहंदी रचाती हैं, झूला झूलती हैं और भगवान शिव-पार्वती की पूजा करती हैं।

  • जयपुर (राजस्थान) में तीज का जुलूस बहुत प्रसिद्ध है, जिसमें सजे-धजे हाथी, ऊंट और लोक नर्तक शामिल होते हैं।

  • हरियाणा में यह पर्व महिलाओं की सामाजिक सहभागिता और सांस्कृतिक प्रदर्शन का माध्यम बन जाता है।

बिहार और झारखंड में तीज का भावनात्मक रूप:

बिहार और झारखंड में महिलाएं इस दिन व्रत रखती हैं और नीम, पीपल और तुलसी जैसे पवित्र वृक्षों की पूजा करती हैं। गीतों और लोक-नृत्य के साथ तीज का स्वागत होता है।

मध्य भारत में परंपरा और भक्ति का संगम:

मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में तीज के दिन पारंपरिक गीतों और लोकनृत्य के साथ सामूहिक रूप से उपवास रखती हैं और शाम को पूजा-अर्चना के बाद कथा सुनती हैं।


Teej Modern View: समाज में महिलाओं का बदलता स्वरूप और नारी शक्ति का महत्व

तीज अब केवल व्रत और पूजा तक सीमित नहीं, बल्कि आधुनिक नारी शक्ति और आत्मसम्मान का प्रतीक बन चुका है। महिलाएं आज अपने करियर, परिवार और संस्कृति में संतुलन बना रही हैं।

इस पर्व के माध्यम से वे न केवल परंपरा निभाती हैं, बल्कि अपनी आत्मचेतना, आत्मबल और सामाजिक पहचान को भी मजबूत करती हैं।

तीज आज एक नारी उत्सव है – जहां वह स्वयं को मनाती है, सजती है, और समाज में अपनी भूमिका को और भी मजबूत करती है।


निष्कर्ष: तीज — परंपरा और प्रकृति के संगम का त्योहार

तीज केवल एक धार्मिक व्रत या पारंपरिक पर्व नहीं, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, प्रकृति प्रेम और नारी शक्ति के अद्भुत संगम का प्रतीक है। यह पर्व जहां एक ओर प्रकृति की हरियाली और श्रावण मास की सुंदरता का स्वागत करता है, वहीं दूसरी ओर यह महिलाओं के संकल्प, प्रेम और श्रद्धा को भी उजागर करता है।

तीज के माध्यम से हमें अपनी परंपराओं से जुड़ने, पर्यावरण संरक्षण का संदेश ग्रहण करने और सामाजिक एकता को मजबूत करने की प्रेरणा मिलती है। यही कारण है कि तीज आज भी उतनी ही प्रासंगिक और जीवंत है जितनी पुरातन समय में थी।

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