लाखों लोगों के लिए लाइफ लाइन बनने वाले देश के असली हीरो – ई.श्रीधरण

एक निश्चित योजना के तहत काम करने वाले केरल वासी सिविल इंजीनियर ईश्रीधरण ने अपनी कार्यशैली व कुशलता से भारत में सार्वजनिक परिवहन का चेहरा ही बदल दिया। दिल्ली मेट्रो को बुलंदियों तक पहुंचाने वाले श्रीधरन 1995 से 2012 तक दिल्ली मेट्रो रेल निगम के निर्देशक रहे। ई.श्रीधरन के लिए दिल्ली एनसीआर की लाइफ लाइन दिल्ली मेट्रो का निर्माण कार्य किसी सपने से कम नहीं था। लेकिन उन्होंने अपनी कुशलता और श्रेष्ठता से इसे पूरा कर दिखाया।

इनके विकास के कार्य को देखते हुए अमेरिका की विश्व प्रसिद्ध पत्रकार टाइम मैग्नीज ने इन्हें एशिया का हीरो का टाइटल दिया।

जन्म व आरंभिक जीवन-

श्रीधरन का जन्म केरल के पलक्कड़ जिले में 12 जून 1932 को करूकापुथूर गांव में पिता नीलकंदन मूसा व माता अम्मालुअम्मा के घर हुआ। आरंभिक शिक्षा सरकारी स्कूल में पूरी करने के बाद श्रीधरन ने इंजीनियर की डिग्री के लिए आंध्रप्रदेश के काकीनाडा में गए। पढ़ाई पूरी करने के बाद शुरुआत के कुछ दिनों के लिए शिक्षक के पद पर काम किया।

श्रीधरन का व्यक्तिगत जीवन-

ई.श्रीधरन का विवाह राधा श्रीधरन के साथ हुआ था। श्रीधरन के चार बच्चे है 3 बेटे और एक बेटी है।

ई. श्रीधरन द्वारा लिखी गई जीविनयां-

दो जीविनयां

प्रथम जीवनी – कर्मयोगी द स्टोरी ऑफ़ इंडिया ई. श्रीधरंस लाइफ कथा जोकि एम.एस. एसोशिएशन द्वारा लिखित है।

दूसरी जीवनी – जीविथाविजयाथिन्ते पादपुस्तकम जोकि पी. वीं. अल्बी द्वारा लिखित है।

मेट्रो मैन – मेट्रो मैन के नाम से प्रसिद्ध हुए श्रीधरन ने कोलकाता मेट्रो से लेकर दिल्ली मेट्रो तक में अहम योगदान दिया। दिल्ली जैसे व्यस्त शहर में श्रीधरन ने मेट्रो का काम बहुत कम समय में पूरा कर दिखाया और देश के कई अन्य शहरों में मेट्रो सेवा शुरू करने की तैयारी की। भारत की पहली कोलकाता मेट्रो सेवा की योजना उन्हीं की ही देन है।

कई प्रोजेक्टों में अहम योगदान –

दिल्ली मेट्रो ना केवल उत्तर प्रदेश के बल्कि हरियाणा के भी दो प्रमुख शहरों गाजियाबाद और नोएडा की शान है। दिल्ली मेट्रो के जरिए दिल्ली एनसीआर के 30 लाख लोग रोजाना सफर करते हैं। लेकिन अब कोरोना के चलते यात्रियों की संख्या कम है। 60 वर्ष तक तकनीकी विद्वान के रूप में अपनी सेवाएं देने वाले 89 वर्षीय श्रीधरण का कोंकण रेल और दिल्ली मेट्रो समेत देश के कई बड़े प्रोजेक्ट में अहम योगदान रहा है।

90 दिन का कार्य 46 दिन में –

दिसंबर 1964 में समुद्री तूफ़ान ने रामेश्वरम और तमिलनाडु को आपस में जोड़ने वाले पम्बन ब्रिज को तबाह कर दिया, तो उस दौरान एक ट्रेन रेलवे ट्रैक पर थी। जिसकी वजह से हादसे में सैंकडों यात्रियों की जान चली गई। पम्बन ब्रिज 164 में से 125 गार्डर पानी में पूरी तरह से डूब गया, तो रेलवे ने उनके निर्माण के लिए 6 महीने का लक्ष्य तय किया लेकिन उस क्षेत्र के इंचार्ज ने काम की अवधि 3 महीने कर दी और जिम्मेदारी श्रीधरन को सौंपी। समय के पाबंद श्रीधरन ने मात्र 45 दिनों के में ही काम पूरा कर दिखाया।

ई. श्रीधरन की मेट्रो परियोजनाएं –

  • दिल्ली मेट्रो- 1997 दिल्ली मेट्रो मैनेजिंग डायरेक्टर बनाया गया। इनके नाम और उपलब्धियों के बहुत चर्चे होने के कारण इन्हें मेट्रो मैन की अनौपचारिक उपाधि से नवाजा गया।
  • कोंकण रेलवे- 1990 में इनको काॅन्ट्रैक्ट कोंकण रेलवे का चीफ मैनेजिंग डायरेक्टर बनाया गया।
  • कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड
  • कोच्ची मेट्रो

ई. श्रीधरन को दिए गए पुरस्कार और सम्मान –

मेट्रो क्रांतिकारी परिवहन में इनके योगदान को देखते हुए 1963 को रेलवे मंत्री का पुरस्कार, 2021 में भारत सरकार द्वारा पद्मश्री, 2002 को ‘द टाइम्स ऑफ़ इंडिया’ द्वारा मैन ऑफ़ द इयर और श्री ओम प्रकाश भसीन अवार्ड फॉर प्रोफेशनल एक्सीलेंस इन इंजीनियरिंग, 2008 में पद्म विभूषण, फ्रांस सरकार द्वारा 2005 में सर्वोच्च नागरिक अवार्ड से सम्मानित किया गया।

दुनिया में ऐसे बहुत कम लोग होते हैं, जो सितारे बन कर उभरते है। जिनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। जिनकी वजह से देश उन्नति के सिखर पर पहुंचता है। भारत को अब आधुनिकता के पहिए पर चलाने के लिए सबकी उम्मीदें श्रीधरन पर टिकी है।

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