एक मुलाकात जो छोड़ गई गंभीर सवाल….

गर्मी की छुट्टियां बिताने निवेदिता काफी अरसे के बाद अपनी 12 वर्षीय बेटी देवांशी के साथ अपने पीहर पालमपुर आ रही थी। मरांदा रेलवे स्टेशन पर पांव पडते ही एक अलग सी रौनक उसके चेहरे पर आ गई। दिवांशी को साथ लेकर उसनें कदम टैक्सी स्टैण्ड की तरफ बडाऐ, तभी एक बेहद अपनी सी आवाज ने उसे पुकारा। रेलवे स्टेशन पर गाडिय़ों और आते-जाते लोगों के शोर के बीच उस अपनी सी आवाज को सुनकर निवेदिता के कदम वहीं रुके और अपनी बचपन की सबसे प्रिय सहेली सागरिका को सामने पाकर उसकी आखें सहसा चमक उठी। उसके मस्तिष्क पटल पर वो ‘घुग्गर स्कूल की पढाई’, वो ‘गोबिंद की मिठाई’, वो ‘शर्मा की कुल्फी’, वो कालेज की टिक्की’, वो ‘न्यूगल कैफे की हवा’ सब यादें एक साथ तस्वीर बन गऐ।

निवेदिता ने सागरिका को आलंगिन मे लिया और अपनी बेटी को उसका परिचय देते हुऐ कहने लगी, ये है मेरे बचपन की ‘बेस्टी’ और दोनों सहेलियां खिल-खिलाकर हंस पडी। सागरिका ने भी दिवांशी को प्यार दिया। सागरिका की शादी पालमपुर मे ही हुई थी और उसका ससुराल निवेदिता के घर के पास ही था, इसलिए दोनों ने एक ही टैक्सी लेने का मन बनाया ताकिं कुछ वक्त साथ मे बिताया जा सके।

चूंकि दोनो सहेलियां एक अरसे बाद मिल रही थी तो दोनों ने एक दूसरे के परिवार के बारे मे जानने के लिए उत्सुकता दिखाई। सागरिका के परिवार मे उसके पति और तीन बच्चे हैं। निवेदिता ने बताया वह अपने सास-ससुर, पति और बेटी के साथ नई दिल्ली मे रहती है, यह जानकर हैरानी भरे भाव से सागरिका ने पूछा, अच्छा तो फैमिली कब पूरी कर रही हो? निवेदिता उसकी हैरानी की वजह समझ चुकी थी, पर फिर भी मुस्कराहट के साथ जवाब देते हुऐ कहने लगी, परिवार तो पूरा ही है और हम सब खुशी से अपनी जिदंगी व्यतीत कर रहें है। “अरे तुम समझी नहीं, मेरा मतलब तुम्हारा वंश….? निवेदिता का जवाब फिर से एक सहज मुस्कराहट के साथ था “हमारी बेटी बढाऐगी हमारा वंश”। और इस बात का व्यावहारिक तौर पर क्या अधार है? सागरिका एक के बाद एक प्रश्नो के साथ तैयार थी।

अब बारी निवेदिता की थी वो सागरिका के सारे सवालों को सतुंष्ट करे। निवेदिता ने बताया कि उसके पति अनुराग हरियाणा के एक संत बाबा राम रहीम के अनुयायी है और वो उन्हीं के साथ एक बार… । उसकी बात को काटती हुई सागरिका बोली वोही बाबा राम रहीम जिनके बारे मे गत 1-2 सालों से मीडिया काफी कुछ दिखा रहा है, क्या तुम्हारे पति अब भी उनके अनुयायी हैं? निवेदिता ने कहा हां अब भी, और सिर्फ वो ही नही, मैं भी उनको अपना गुरु मानती हूँ।

सागरिका ने कहा आज तुम मुझे क्यों बार बार हैरान किए जा रही हो, जिस निवेदिता को मैं बचपन से जानती हूँ वो तो एकदम नास्तिक, तर्कशील सोच, वैज्ञानिक द्रष्टिकोण रखने वाली निवेदिता थी। तुम कब से बाबाओं और संतो की बात करने लगी। जब से अनुराग जी के साथ बाबा जी के आश्रम मे जाने का मौका मिला, निवेदिता का जवाब था। अपनी बात को पूरा करते हुए निवेदिता बोली बाबा राम रहीम सिर्फ एक आध्यात्मिक गुरु नहीं हैं, बल्कि एक समाज सुधारक भी हैं। धर्म के सच्चे अर्थों को वैज्ञानिक द्रष्टिकोण से इतनी सरलता से आमजन तक पहुंचाने वाले और ‘नर सेवा नरायण सेवा’ को यथार्थ रुप देने वाले एक सच्चे और सहासपूर्ण संत हैं। उनकी परहित की सोच ने उसे बहुत प्रभावित किया।

बाबा राम रहीम द्वारा चलाऐ मानवता भलाई कार्यों के एक लंबी सूची है जिसमें से एक है ‘कुल का क्राउन‘, जिसके तहत जिन माता पिता के इकलौती संतान बेटी है, वो शादी कर के लडके को अपने माता पिता के घर लाऐगी और ऐसी शादी से हुई संतान का नाम उसके माता पिता के नाम से होगा, तांकि उनका वंश आगे बढाया जा सके। और बाबा जी की प्ररेणा से ऐसे बहुत से लडके आगे आऐ हैं जो लडकी के मां-बाप को अपने मां-बाप के समान समझ कर उनका हर तरह से सहारा बन कर साथ रहेंगे। समाज मे भी इस नई सोच को सहारा गया हैं और इस मुहिम के तहत अब तक कई शादियां भी सम्पन्न हुई हैं।

मेरी दिवांशी भी हमारे कुल का दीपक नहीं ‘ताज’ बनेगी। निवेदिता की बातों से सागरिका के मन मे एक बेहद सकरात्मक समाज की तस्वीर बन रही थी। जिन बाबा राम रहीम के बारे वो मीडिया से ने जाने क्या कुछ अनाप शनाप सुन चुकी थी, आज उनकी सच्चाई जान कर वो उनसें काफी प्रभावित थी, वह बाबा जी और उनके मानवता भलाई के कार्यों के बारे मे और जानना चाहती थी, लेकिन निवेदिता का घर आ चुका था और जिदंगी के रुझानो के चलते अगली मुलाकात अनिश्चित थी।

सागरिका निवेदिता को तो अलविदा कह चुकी थी लेकिन अपने मन मै पैदा हुऐ सवालों की उत्सुकता को अलविदा न कह पाई, बाबा राम रहीम जैसे सच्चे संत जो समाज को सही राह दिखाते है, परहित के कार्य करते हैं आखिर उन्हें क्यों विरोध और यातनाएं सहनी पडती हैं? अगर सागरिका के सवालों का जवाब आपके पास हो तो हमे बताऐगा जरूर कमेंट बॉक्स मे।

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