क्यों 22 अप्रैल पृथ्वी दिवस के रूप में मनाया जाता है?

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि, पूरे ब्रह्मांड में पृथ्वी जीवन वाला एकमात्र ज्ञात ग्रह है। इसलिए, हमें पृथ्वी से जो कुछ भी प्राप्त होता है, उसका सम्मान करना चाहिए और उन्हें बनाए रखना चाहिए। हमें धरती माँ की रक्षा करनी चाहिए, ताकि हमारे भविष्य की पीढ़ियाँ सुरक्षित वातावरण में रह सकें। हम पृथ्वी की रक्षा पेड़ों, प्राकृतिक वनस्पति, पानी, प्राकृतिक संसाधन आदि की रक्षा करके कर सकते हैं। हमें पर्यावरण प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग को नियंत्रित करने वाले संभव प्रयासों का कड़ाई से पालन करना चाहिए, ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी पृथ्वी जीवन दायिनी साबित हो।

पृथ्वी दिवस क्या है?

पर्यावरण प्रोजेक्ट के अन्तर्गत पृथ्वी को बचाने के लिए 1970 से हर साल 22 अप्रैल को मनाया जाने वाला दिन पृथ्वी दिवस कहलाता है। इस प्रोजेक्ट को शुरु करने का उद्देश्य लोगों को स्वस्थ वातावरण में रहने के लिए प्रोत्साहित करना है।

विस्कॉन्सिन से अमरीका के एक सीनेटर, गेलॉर्ड नेल्सन ने इस दिन की स्थापना की थी ताकि लोगों को आज के दिन औद्योगिकीकरण की बढ़ती हुई दर और पृथ्वी पर रहने वाले लोगों की लापरवाह रवैये के बारे में जागरूक किया जा सके। लोगों के बीच प्राकृतिक संतुलन के विचार को प्रोत्साहित करने के साथ ही ग्रह की संपत्ति का सम्मान करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए उनके द्वारा यह कदम उठाया गया। सदियों से क्रूर लोगों ने प्राकृतिक संसाधनों का निर्दयतापूर्वक उपयोग किया, जिससे अनेक दिक्कतें आयीं हैं और जानवरों व पौधों की कईं प्रजातियां लुप्त हो चुकी हैं। स्वस्थ और जीवित रहने के लिए पर्यावरणीय मुद्दों का ध्यान रखना जरूरी है।

इसका सबसे बड़ा उदाहरण ओज़ोन परत की कमी है, जो हमें सूरज की अल्ट्रा वायलेट किरणों से बचाती है। एक और बड़ी समस्या औद्योगिक विषैले पदार्थों को नदियों में बहा देना है, जो अनेक नदियों की मौत का कारण बनता है, जो की एक बार फिर ग्लोबल वार्मिंग की ओर जाता है। दैनिक आधार पर औद्योगीकरण में वृद्धि, तथा जनसँख्या में वृद्धि से वनों की कटाई हो रही है जो अंततः पृथ्वी के तापमान में वृद्धि हो रही है। छोटे पेड़ों  के वृक्षारोपण, वनों की कटाई को रोकना, वाहनों को सीमित करना, वायु प्रदूषण को कम करना, बिजली के अनावश्यक उपयोग को कम करना इत्यादि के माध्यम से पर्यावरण व ऊर्जा संरक्षण को बढ़ावा दिया जा सकता है। ज़रुरत हैं इन कदमों पर चलने की। इस तरह के छोटे कदम एक बड़ा कदम बन जाते हैं अगर दुनिया भर में लोगों द्वारा देखभाल की जाती है।

ऐसे में पृथ्वी की देखभाल के लिए कुछ कदम बाबा राम रहीम की दिशा निर्देश में डेरा सच्चा सौदा ने उठाए हैं जो इस प्रकार है:-
१ वातवरण रक्षा:- किसानों को पराली जलाने की बजाय गौशालाओं में चारे हेतू भेजने की प्रेरणा देना।

२ जल संरक्षण :- जल संरक्षण के लिए प्रेरित किया और इसके लिए बाबा राम रहीम ने कई तरह के तरीक़े भी बताऐ हैं, जैसे बरसात के पानी का इस्तेमाल, काम पानी से खेती करना, ड्रिप सिस्टम से पानी लगाना।

३ बिजली बचाना:- बिजली का सही तरीके से प्रयोग करना जैसे सोलर ऊर्जा लगाने से हम बिजली की बचत कर सकते हैं। डेरा सच्चा सौदा में भी सोलर एनर्जी द्वारा बनी बिजली का उपयोग किया जाता है।

४ स्वच्छता अभियान : सफाई अभियान द्वारा लोगों को प्रदूषण और बिमारियों से बचाना। इस दौरान डेरा सच्चा सौदा अब तक 32 शहरों में महा सफाई अभियान कर चुका है, जिससे देश को ही नहीं बल्कि विदेशों में भी जागरूकता पैदा हुई है।प्रधान मंत्री मोदी द्वारा भी इस मुहिम को सराहा व अपनाया गया है।

५ नेचर कैंपेन :पर्यावरण संरक्षण हेतु पौधे लगाना। डेरा सच्चा सौदा ने पौधारोपण के लिए सिर्फ जागरूक ही नहीं किया बल्कि खुद भी करोड़ों पौधे लगाकर एक नया रिकॉर्ड बनाया है और आज तक इनके गिनिज बुक में ३ रिकॉर्ड दर्ज हैं।

६ मिट्टी और जल प्रदूषण से बचने के लिए लोगों को प्लास्टिक की थैलियों के उपयोग को कम करने के लिए प्रेरित किया और आश्रम में भी यही मुहिम चलाई।

७ रीसाइक्लिंग और पुराने सामग्रियों के पुन: उपयोग के बारे में सीखना। बाबा राम रहीम ने एक फिल्म जट्टू इंजनियर के जरिए भी गोबर का रिसाइकिल करके बायो गैस प्लांट लगाना सिखाया। डेरा सच्चा सौदा में बायो गैस प्लांट लगा हुआ है तथा आस पास के गाँवों में ऐसा प्लांट लगाने के लिए डेरा सच्चा सौदा द्वारा पूर्ण मदद की जाती है।

निष्कर्ष:-

पृथ्वी हमारी माता है, जो हमें हमारे जीवन के लिए आवश्यक सभी वस्तुएं देती है। इसलिए, हम इसकी प्राकृतिक गुणवत्ता और हरे-भरे वातावरण को बनाए रखने के लिए भी जिम्मेदार है। हमें छोटे लाभों के लिए इसके प्राकृतिक संसाधनों को बर्बाद और प्रदूषित नहीं करना चाहिए, व इसे इसके प्राकृतिक रूप में रखने के लिए हर संभव प्रयत्न करना चाहिए।

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