23 सितम्बर से जुड़ा बाबा राम रहीम का सच

दोस्तों पिछले कुछ दिनों से मेरे मन में एक सवाल चल रहा था। शायद आप में से भी बहुत लोगों के दिमाग में ये सवाल उठा हो। तो आज में आप सब को उसी के बारे में बताना चाहती हूं।
हम सब सोशल मीडिया से जुड़े हैं और आप में से भी बहुत लोग आजकल ट्रेडिंग में चल रहे सभी मुद्दों पर गौर करते होंगे। मैंने पिछले कुछ दिनों से देखा है कि डेरा सच्चा सौदा जो कि एक सामाजिक संस्था के रूप में जानी जाती है उनके हैशटैग जो कि हमेशा उनके द्वारा किए जा रहे सामाजिक कार्यों और उनके गुरुजी की शिक्षाओं से जुड़े होते हैं, सोशल मीडिया पर हर जगह ट्रेंड करते हैं। हालांकि पिछले एक साल के चलते समाज में उनके लिए एक नकारात्मक सोच पैदा हुई है लेकिन उसके बावजूद डेरा के लोगों ने अपने सामाजिक कार्यों को चालू रखा है। मुझे ये देखकर हैरानी भी हुई और उत्सुकता भी कि आखिर ऐसा क्या है जो इन लोगों का हौंसला कम नहीं पड़ने दे रहा है। और अगर बात इस महीने की करें तो डेरा के लोगों के लिए ये उनके मौजूदा गुरु का गुरुगद्दी दिवस का महीना है, और ये अब मुझे इसलिए पता है क्योंकि हाल ही में मेरे ऑफिस की एक कलीग ने मुझे इस बारे में बताया जो कि डेरा से ही ताल्लूक रखते हैं।
मेरे मन में उठ रहे सवालों के जवाब जानने के लिए मैंने उनसे मिलने का प्लान बनाया। उनसे मिलने पर मैंने उनसे पूछा कि इतना सब होने के बाद भी आप को अपने गुरु पर इतना विश्वास क्यों है? और आखिर क्या है ये गुरुगद्दी दिवस,  जिस के लिए आप लोग इतने खुश नजर आते हैं और आए दिन सोशल मीडिया पर इस बारे में पोस्ट डालते हैं?
मेरे पूछने पर उन्होंने बताया कि ये गुरुगद्दी दिवस का त्योहार वो सब इसलिए मनाते है क्योंकि इस दिन उनके दूसरे गुरु “सतनाम सिंह जी महाराज ने उनके मौजूदा गुरु बाबा गुरमीत राम रहीम सिंह जी को डेरे का उत्तराधिकारी बनाया था।” गुरमीत राम रहीम जी ने मात्र 23 साल की उम्र में ही अपना घर और परिवार का त्याग कर के डेरे में आकर अपने गुरु की तरह ही लोगों को राम के नाम से जोड़ने का कार्य शुरू किया। उनके अनुसार डेरा के लोग उनके गुरु की शिक्षा के अंतर्गत 133 सामाजिक कार्य करते हैं जिनमें वेश्यावृत्ति में फंसी हुई लड़कियों को छुड़ाकर उनकी शादी करवाना, जगह जगह सफाई अभियान चलाना, पौधरोपण, कन्या भ्रूण हत्या रोकने जैसे कार्य सम्मिलित हैं। उन्होंने बताया कि डेरा में 23 सितम्बर का दिन बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है और इस दिन डेरा श्रद्धालु गरीबों के लिए दान करते हैं और आंखे दान, गुर्दा दान , शरीर दान जैसे कार्यों के लिये लिखित फार्म भी भरते हैं। उन्होंने कहा कि समाज में उनके गुरु और उन्हें बहुत कुछ कहा गया लेकिन फिर भी उन्होंने अपने गुरु का साथ और उनकी अच्छी शिक्षाओं को नहीं छोड़ा है।
जब मैं उनसे मिलकर वापिस लौटी तो मन में काफी हद तक कुछ जवाब मिल चुके थे। मैं कुल मिलाकर इस निष्कर्ष पर पहुंची कि यदि किसी की वजह से समाज का भला हो, लोग अच्छाई को महत्व दें और  सच्चाई के लिए आगे बढ़े तो समाज को एक नई दिशा ही मिलेगी। और वैसे भी ये बात बहुत प्रचलित है कि कई बार जैसा दिखता है वैसा होता नहीं है और जो होता है उसे हम देख नहीं पाते। तो क्या पता कि जो नकारात्मक धारणा हमनें डेरा और डेरा श्रद्धालुओं के लिए बना रखी है वो असल में बेबुनियाद हो या फिर हम शायद कोई ऐसा सच हो जिसे हम अपनी मानसिकता की वजह से देख नहीं पा रहे। अंत में मैं केवल इतना कहना चाहूंगी कि बात चाहे देश की हो या एक व्यक्ति की एक अच्छा नागरिक होने के नाते हमें हर चीज़ को परखना चाहिए तभी हम सही निर्णय ले सकते हैं। तो इसी नाते मैं इस बारे में और भी जानकारी जुटाना चाहूंगी ताकि सच आप सब के सामने रख सकूँ।

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