Category

News and Events

Category
जैसे कि हम सब रोजाना सोशल मीडिया, अखबारों की सुर्खियों में देख रहे हैं कि डेरा सच्चा सौदा के अनुयायी मानवता भलाई के कार्यों में पूरी लगन से आगे बढ़ रहे हैं। मगर आश्चर्यचकित करने वाली बात यह है कि डेरा सच्चा सौदा के मौजूदा गद्दीनशीन बाबा राम रहीम के जेल में होने के बावजूद डेरा सच्चा सौदा में लगने वाले शिविर ज्यों के त्यों लग रहे हैं, चाहे वह आँखों का शिविर हो, रक्तदान शिविर हो या अन्य मासिक मैडिकल कैंप। कल मुझे पता चला कि इसी कड़ी में एक और शिविर जो डेरा सच्चा सौदा द्वारा लगाया जा रहा है, वह है विकलांग मरीजों के लिए ‘याद-ए-मुर्शिद निःशुल्क पोलियो एवं विकलांगता निवारण शिविर’। आईऐ जानते हैं  कि क्या है ये याद-ए-मुर्शिद शिविर।

याद-ए-मुर्शिद पोलियो एवं विकलांगता निवारण कैंप क्या है?

याद-ए-मुर्शिद पोलियो एवं विकलांगता निवारण शिविर एक ऐसा कैंप है जिसमें अपाहिज मरीजों का बिल्कुल मुफ्त इलाज किया जाता है। यह कैंप बेपरवाह मस्ताना जी महाराज की पावन याद में लगाया जाता है जिन्होंने डेरा सच्चा सौदा की नींव रखी थी।

यह कैंप सबसे पहले 18 अप्रैल 2008 में लगाया गया था। कल मैं डेरा सच्चा सौदा का इतिहास पढ़ रही थी जिसमें मुझे पता चला कि 18 अप्रैल 1960 को डेरा सच्चा सौदा की पहली पातशाही बेपरवाह मस्ताना जी महाराज ज्योति ज्योत समा गऐ थे। 2008 में डेरा सच्चा सौदा के मौजूदा गद्दीनशीन बाबा राम रहीम की दिशा निर्देश में ही इस कैंप का आयोजन किया गया था। उनकी याद में अब तक 10 कैंप लग चुके हैं। एक दिन पहले ही मरीजों की पर्चियां कटनी शुरू हो जाती हैं। यह कैंप 18-21अप्रैल तक चलता है। अब 18 अप्रैल 2019 में 11वां कैंप लगाया जाएगा।

यह शिविर शाह सतनाम जी स्पेशलिटी हॉस्पिटल में लगता है तथा अनेक स्टेटों, शहरों व गाँवों से यहाँ मरीज़ आते हैं। मैंने पिछले लग चुके 10 परमार्थी कैंपों का डाटा पढ़ा, जिससे पता चला कि इस दौरान भारत के जाने माने हड्डियों के विशेषज्ञ डाक्टर, जैसे कि पंजाब, हरियाणा, दिल्ली आदि से ओरथोपैडिक के सपैशलिस्ट डॉक्टर यहां अपनी सेवाएं देते हैं।

इस कैंप के दौरान मरीजों की जांच, उनका इलाज व उनके ऑपरेशन भी मुफ्त में किये जाते हैं, यही नहीं उनको दवा व ज़रुरत की वस्तुएं, जैसे कि कैलिपर इत्यादि भी मुफ्त में दी जाती हैं। यहां डेरा सच्चा सौदा के सेवादारों द्वारा मरीजों की संभाल भी अच्छे ढंग से की जाती है। मरीजों को व्हील चेयर तक भी मुफ्त प्रदान की जाती हैं।

पिछले 10 सालों में इस कैंप का फायदा हज़ारों मरीजों ने उठाया है।

इस साल भी 18 अप्रैल 2019 को यह शिविर लगने जा रहा है, तो आप भी इस निःशुल्क शिविर का फायदा उठाएं। अपने आस पास के विकलांग मरीज़ों को शाह सतनाम जी स्पेशलिटी हास्पिटल में ले कर जाइये, और इस कैंप का फायदा उठाईऐ।

दिनांक : 18 अप्रैल 2019, दिन : वीरवार
जगह : शाह सतनाम जी स्पेशलिटी हॉस्पिटल, सिरसा

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें: 01666 -260222 और 9728860222

 

27 फरवरी को भारत में हुई पाकिस्तानी हवाई घुसपैठ को खदेड़ते हुए वायुसेना विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान पाकिस्तानी सीमा में चले गये थे। जिसकी वजह से विंग कमांडर अभिनंदन वर्धन को लेकर देशभर में तनाव की स्थिति पैदा हो गई थी| हालांकि पहले भारत ने अभिनंदन के पाक के शिकंजे में होने की सूचना को गलत बताया था लेकिन बाद में इस सूचना की पुष्टि हो गई और भारत ने यह स्वीकार किया था कि उनका एक पायलट लापता है। खबर यह आई थी कि भारत का एक M-17 दुर्घटनाग्रस्त हो गया है और उसमें सवार दोनों पायलट मारे गए हैं लेकिन पाकिस्तान ने यह दावा किया था कि M-17 का एक पायलट उनके शिकंजे में है पाक द्वारा वायरल वीडियो व तस्वीरों में अभिनंदन की आंखों पर पट्टी बांधकर घायल होते दिखाया गया था और उससे पूछताछ भी की जा रही थी और एक वीडियो में पायलट अभिनंदन को चाय पीते दिखाया गया था जिसमें  अभिनंदन ने कहा था कि पाकिस्तानी सेना मेरी अच्छी तरह से देखभाल कर रही है!

 

बॉलीवुड हस्तियों सहित पूरा देश ट्विटर पर #BringAbhinandanBack ट्रेंड करते हुए अभिनंदन की सही सलामत वापसी की मांग कर रहा था और पूरे देश भर में अभिनंदन की सही सलामत वापसी के लिए दुआ की जा रही थी|

 

भारत ने अभिनंदन को सही सलामत वापस करने की मांग की थी| भारत और पाकिस्तान के बीच पुलवामा आंतकी हमले के बाद से तनाव बढ़ता जा रहा है।

 

पाकिस्तान के पीएम इमरान खान ने गुरुवार को संसद में कहा था कि वो विंग कमांडर को भारत को सौंप देंगे। साथ ही इमरान खान ने कहा कि वो शांति बनाए रखने के लिए ये कदम उठा रहे हैं इसे पाकिस्तान की कमज़ोरी ना समझा जाए।

 

विंग कमांडर को अटारी वाघा बॉर्डर से अपने वतन वापिस लाया जाना था| इसे देखते हुए वाघा बॉर्डर पर रोजाना होने वाली बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी आज आम लोगों को शामिल होने की इजाजत नहीं दी गई थी।

 

अटारी बॉर्डर पर वायुसेना के अधिकारियों ने अभिनंदन का स्वागत किया| इस मौके पर अटारी बॉर्डर पर भारी तादाद में लोग पहुंचे हुए थे जिन्होंने अभिनंदन का जोश के साथ स्वागत किया।

 

चारों तरफ जश्न का माहौल है कोई ढोल बजा रहा है तो कोई मिठाई बांट रहा है तो कोई देशभक्ति के गीतों पर नाचते हुए दिखाई दिया।

 

डेरा सच्चा सौदा

डेरा सच्चा सौदा एक रूहानी कालेज है। यहां पर इन्सानियत का सच्चा पाठ पढ़ाया जाता है। डेरा सच्चा सौदा 1948 में शुरू हुआ था। शहंशाह मस्ताना जी नाम के एक धार्मिक गुरू ने एक झोपड़ी से आध्यात्मिक कार्यक्रमों और सत्संगों का आयोजन करके इसकी शुरुआत की थी। समय के साथ साथ डेरा सच्चा सौदा के अनुयायियों की संख्या बढ़ती गई। शाह मस्ताना जी महाराज के बाद डेरा के प्रमुख शाह सतनाम जी महाराज बने। 1990 में उन्होंने अपने अनुयायी संत गुरमीत सिंह को गुरगद्दी सौंपी। हरियाणा के सिरसा जिला में डेरा सच्चा सौदा का आश्रम 70 सालों से चल रहा है और इसका साम्राज्य अमेरिका, कनाडा और इंग्लैंड से लेकर ऑस्ट्रेलिया और यूएई तक फैला है। इस संगठन के अनुयायियों में सिख धर्म के लोग, हिंदू धर्म के अनुयायी, इसाई, मुसलमान और पिछड़े और दलित वर्गों के सभी लोग शामिल हैं। डेरा सच्चा सौदा सर्वधर्म संगम के लिए जाना जाता है।

आज हम बात करते हैं डेरा सच्चा सौदा की दूसरी पातशाही शाह सतनाम सिंह जी महाराज के बारे में, जिनको 28 फरवरी 1960 को मस्ताना जी के द्वारा गुरु गद्दी सौंपी गई थी। इस दिन को इनके अनुयायी महारहमोकर्म दिवस के रूप में मनाते हैं। आइए जानें आज उनकी जीवनी के बारे में।

शाह सतनाम सिंह जी की जीवनी

शाह सतनाम सिंह जी का जन्म 25 जनवरी 1919 में उनके ननिहाल में हुआ। इनका बचपन में नाम सरदार हरबंस सिंह था। इनकी माता जी का नाम आस कौर जी और पिता जी का नाम सरदार वरियाम सिंह जी था। वे जलालआणा साहिब गांव के रहने वाले थे। इन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा अपने गांव जलालआणा साहिब में ही प्राप्त की। इसके आगे मैट्रिक तक की पढ़ाई कालांवाली मण्डी में की। आगे की पढ़ाई जारी रखने के लिऐ उन्होंने बठिंडा में दाखिला ले लिया, मगर अपनी माता जी का दिल न लगने की वजह से वो पढ़ाई बीच में छोड़ कर आ गए। फिर इनकी शादी कर दी गई। 14 मार्च 1954 में इन्होंने मस्ताना जी महाराज से नाम शब्द की प्राप्ति की।

गुरुगद्दी की प्राप्ति और गुरु के लिए कुरबानी

मस्ताना जी महाराज ने चोला बदलने से पहले गुरुगद्दी के लिए एक सच्चे व्यक्ति की खोज करनी शुरू कर दी। खोज पूरी होने के बाद आखिरकार सरदार हरबंस सिंह जी को डेरा सच्चा सौदा के दूसरे गुरुगद्दी नशीन के लिए चुना गया। खोज के दौरान इनकी परीक्षा ली गई। यह हर परीक्षा में सफल होते गए। गुरु के प्यार में इन्होंने अपने ही हाथों से अपना ही घर तोड़ कर घर का सारा सामान बाँट दिया और अपना सर्वस्व गुरु के चरणों में समर्पित कर दिया।

28 फरवरी 1960 को इनको मस्ताना जी के द्वारा गुरुगद्दी पर विराजमान कर दिया गया और उसी समय इनका नाम सरदार हरबंस सिंह से शाह सतनाम सिंह जी कर दिया गया। इस दिन को इनके अनुयायी महारहमोकरम दिवस के रूप में मनाते हैं।

जीवोद्धार् यात्रा

अपनी जीवोद्धार् यात्रा के दौरान उन्होंने 4142 सत्संग किए और 1,110,630 जीवों को नाम शब्द देकर भवसागर से पार किया।

सत्संगों के दौरान उन्होंने लोगों को झूठे रीति रिवाजों, कुरीतियों और पाखंडों से निकाल कर सच्ची इन्सानियत का पाठ पढ़ाया।

इन्होंने मूर्ति पूजा का खंडन, कन्या भ्रूण हत्या को रोकना, दहेज प्रथा को रोकना, नशे आदि जैसी कुरितियों से लोगों को दूर किया। इन्होंने सभी से प्रेम करना, सच्चा दान, इन्सानियत, प्रभु भक्ति आदि की शिक्षाऐं प्रदान की।

अंत में वो 23 सितंबर 1990 को मौजूदा गद्दीनशीन संत डॉ गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां को गुरुगद्दी पर बिठा कर 13 दिसंबर 1991 को ज्योति ज्योत समा गए।

जैसा कि हम पिछले कुछ आर्टिकल में पढ़ चुके हैं कि कैसे इनके अनुयायियों ने जनवरी का महीना अपने गुरु शाह सतनाम सिंह जी के जन्ममाह को मानवता भलाई के कार्य करके मनाया। क्या इनके अनुयायी इस महारहमोकरम माह को भी ऐसे ही मना रहे हैं? जानने के लिए इंतजार करिए हमारे अगले आर्टिकल का।

जम्मू-कश्मीर स्थित पुलावामा में गुरुवार को CRPF के जवानों पर हुए आतंकी हमले से सारा देश शोक में डूबा हुआ हैं। सूत्रों के अनुसार इस आतंकवादी हमले में करीब 38 जवान शहीद हुए हैं और 44 जवान घायल हो चुके हैं।

 

ये हमला 2016 में उरी में हुए हमले के बाद अब तक का सबसे भीषण आतंकवादी हमला है, जिसमें हमारे देश के 40 जवान शहीद हुए हैं।

 

जानकारी के अनुसार हमला जम्मू-कश्मीर राजमार्ग पर स्थित अवंतिपोरा इलाके में करीब अपराह्न 3 बजे हुआ जब केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के 2500 कर्मी 78 वाहनों के काफिले में जा रहे थे। इनमें से अधिकतर जवान अपनी छुटियाँ बिताकर ड्यूटी पर लौट रहे थे।

 

ये आंतकवादी हमला एक साजिश के तहत घात लगाकर हुआ जिसमें जैश-ए-मोहम्मद आतंकी संगठन के एक सुसाइड बॉमर ने विस्फोतकों से भरे एक ट्रक से CRPF जवानों से भरी बस को टक्कर मार दी, जिसमें 40 जवान शहीद हो गए।
हमले को मद्देनजर रखते हुए शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा मामलों पर केबिनेट समिति की बैठक भी हुई। इस बैठक में रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण, गृह मंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, तीनों सेनाध्यक्ष और CRPF के डीजी भी शामिल थे।

 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि आगे की करवाई के लिए समय, स्थिति तथा कारवाई का स्वरूप निर्धारित करने की सेना को पूर्ण रूप से इजाज़त दे दी गई है। बैठक के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि पाकिस्तान से मोस्ट फ़ेवर्ड नेशन का दर्जा भी वापिस ले लिया जाएगा।

 

सरकार ने स्पष्ट रूप से कहा है कि आतंकवादियों के खिलाफ कड़ा एक्शन लिया जाएगा।
देश में हर जगह पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन के इस जघन्य कृत्य की कड़ी निंदा की जा रही है। हर जगह शोक का माहौल है।

 

गृह मंत्री राजनाथ सिंह सैनिकों को श्रद्धांजलि देने श्रीनगर पहुंचे। गृह मंत्री ने बड़गाम में एक जवान के पार्थिव शरीर को कंधा भी दिया।

 

हमले के बाद से ही सभी देशवासियों में खासा रोष है तथा सभी इस हमले के जवाब में सरकार व सेना से कड़े एक्शन व बदले की उम्मीद कर रहे हैं।

कभी कभी अचानक ही हमें कुछ अचरज भरा देखने या सुनने को मिलता है। ऐसा ही कुछ मेरे साथ भी हुआ जब मैं आज कहीं जा रही थी और रास्ते में कुछ लोगों को आपस में बातें करते सुना। वो बात कर रहे थे डेरा सच्चा सौदा की दूसरी पातशाही शाह सतनाम सिंह जी के जन्मदिन की, जिनका जन्म 25 जनवरी 1919 को हुआ था। आज 25 जनवरी 2019 में उनका 100वां जन्मदिन आने वाला है। मगर डेरा सच्चा सौदा के तीसरे गद्दीनशीन बाबा राम रहीम आज-कल जेल में दो केसों की सजा काट रहे हैं, फिर भी इनके अनुयायी यह जन्मदिन मनाने जा रहे हैं। मैंने उनसे यह भी सुना कि इनके अनुयायियों का जन्मदिन मनाने का तरीका भी अलग है। आइऐ हम चर्चा करते हैं इनके अनूठे तरीकों की।

जन्मदिन कितने दिन मनाया जाता है

आप सोच रहे होंगे, कैसा प्रश्न है ये कि जन्मदिन कितने दिन मनाया जाता है? जन्मदिन तो एक ही दिन मनाया जाता है, जी हां जन्मदिन तो एक ही दिन मनाया जाता है, मगर इनके अनुयायी एक दिन नहीं, दो दिन नहीं, बल्कि पूरा जन्म महीना मनाते हैं। ऐसा क्या है इस महापुरुष में जो इस दुनिया में भी नहीं है, फिर भी इनके अनुयायी इनके जन्मदिन की ख़ुशी पूरा महीना मनाते हैं? वे दयालु स्वभाव के थे, रूहानियत के सच्चे सराबोर थे, उन्होंने लाखों लोगों को बुराइयों से बचाकर नेक इन्सान बनाया, उन्होंने अपनी जीवोद्धार् यात्रा के दौरान 4142 सत्संग किऐ और 1,110,630 लोगों को नाम शब्द देकर उनको रुहानियत का सीधा रास्ता बताया।

कैसे मनाते हैं जन्मदिन

जैसे कि हम सब को पता है कि जन्मदिन केक काटकर, अपने दोस्तों और परिवार के साथ पार्टी करके मनाया जाता है। मगर यहां हमने देखा कि इनके अनुयायियों का जन्मदिन मनाने का तरीका भी अनूठा है। वे नाच कर , गुरु चर्चा करके और मानवता भलाई के कार्य कर के खुशी मनाते हैं।जैसा कि हम सब जानते हैं कि सर्दी के मौसम में कुछ लोग गर्म कपड़े और सिर पर छत न होने के कारण अपनी जान तक गँवा बैठते हैं। इनकी जान बचाने के लिए इस बार डेरा सच्चा सौदा के अनुयायियों ने गरीबों को रजाई, कंबल, गर्म कपड़े आदि बांट रहे हैं। यही नहीं, जो लोग गरीबी के कारण भूखे पेट फुटपाथ और सटेशन पर सोते हैं, उनको भी यह लोग खाने पीने का सामान, गर्म कपड़े और राशन भी बाँट रहे हैं। गरीब बच्चों की पढ़ाई जारी रखने के लिए ये लोग उनको मुफ्त में किताबें, पैन,पैनसिल, रबड़, शार्पनर, कापियाँ आदि भी प्रदान कर रहे हैं। अचरज भरी बात यह है कि मानवता भलाई के कार्यों में इन अनुयायियों की स्टेट तौर पर प्रतियोगिता भी चल रही है।

अंत में मैं यही कहना चाहूंगी कि किसी भी महापुरुष का जन्मदिन मनाना हो तो इसी तरीके से मनाएं। और अपने जनम दिवस पर भी किसी दीन दुःखी की मदद ज़रूर करें।
अब देखना यह है कि इस बार 25 जनवरी को इनके अनुयायी कैसे मनाऐंगे यह 100वां जन्मदिन। जानने के लिए इंतजार करें हमारे अगले आर्टिकल का।

हमारे बड़े बुजुर्ग हमेशा कहते थे कि खुशियां हमेशा बांटने से बढती हैं और वो खुशियां जब किसी के चेहरे की मुस्कान बनती हैं तो दिल को एक सुकून मिलता है।
जी हां कुछ ऐसा ही नज़ारा बीती 23 नवम्बर को देखने को मिला एक सामाजिक संस्था द्वारा आयोजित किये गए एक समागम में। यह समागम उस संस्था के संस्थापक के जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में आयोजित किया गया था।
यह जन्मोत्सव किसी आम जन्मोत्सव की तरह नहीं था तथा न ही यह आम तरीके से मनाया गया।
तो आइए जानते हैं कि कौनसी संस्था है यह और ऐसा क्या किया उन्हों इस जन्मोत्सव के अवसर पर।
सर्व-धर्म संगम:
जी जिस संस्था की हम बात कर रहे हैं वह कोई छोटी नहीं बल्कि बहुत बड़ी सामाजिक संस्था है जो पिछले कई वर्षों से समाज के हित में कार्य करती आ रही है। इस संस्था का नाम है, डेरा सच्चा सौदा। डेरा सच्चा सौदा एक ऐसी सामाजिक संस्था है जहाँ जातिवाद और पक्षपात की कोई जगह नहीं है। देर सच्चा सौदा में सभी धर्मों को एक समान माना जाता है तथा सभी धर्मों का सम्मान किया जाता है।
यहां कोई भी धर्म का इंसान आ सकता है।
सामाजिक कार्यों की शृंखला:
डेरा सच्चा सौदा द्वारा किए जाने वाले सामाजिक कार्यों की सूची बहुत लंबी है। करीबन 133 सामाजिक कार्य इस संस्था द्वारा शुरू किए जा चुके हैं। इसी सूची के अंतर्गत गत 23 नवम्बर को देर सच्चा सौदा द्वारा आश्रम में खूनदान शिविर तथा मुफ़्त चिकित्सा शिविर का आयोजन किया गया जिसमें लाखों श्रद्धालुओं ने भाग लेकर रक्तदान किया। डेरा श्रद्धालुओं द्वारा जरूरतमंद लोगों में राशन भी वितरित किया गया तथा विकलांग लोगों को फ्री ट्राइसाइकिल भी दी गयी।
इतना ही नहीं डेरा श्रद्धालुओं द्वारा पूरे भारत के अन्य स्थानों पर भी इस अवसर पर जरूरतमंद परिवारों को राशन तथा गरीब व अनाथ बच्चों को पुस्तकें, कपड़े तथा खिलौने वितरित किए गए।
मदद के पीछे मकसद:
जब डेरा श्रद्धालुओं से उनके इन कार्यों की वजह पूछी गयी तो उन्होंने बताया कि ये सामाजिक कार्य वे लोग अपने आध्यात्मिक गुरु सन्त गुरमीत राम रहीम सिंह जी इंसा की बताई गई शिक्षा के अनुसार करते हैं। इन कार्यों को करने के पीछे उनका मकसद केवल समाज मे अच्छाई तथा सच्चाई को बढ़ावा देना है। वे लोग ये सब इसलिए करते हैं ताकि समाज मे इंसानियत हमेशा जिंदा रहे। उनका मकसद सिर्फ अपने देश और धरती माँ की रक्षा करना है और इसके लिए वे हमेशा कोशिश करते रहेंगे।
निष्कर्ष:
बात सिर्फ डेरा श्रद्धालुओं की नहीं है, बल्कि उनके द्वारा समझी गयी समाज के प्रति जिमेवारी की है।
इंसान चाहे कोई भी उसे सदैव अपने समाज तथा अपने देश के हित में ही कार्य करने चाहिए, जिससे हमारी आने वाली पीढियों का भविष्य सुरक्षित रहे।
अपने साथ साथ, समाज मे रहने वाले और लोगों कर हित में सोचना भी न केवल हमारा फ़र्ज़ है बल्कि हमारा धर्म भी है।

 

आज जहां एक तरफ डेरा सच्चा सौदा के अनुयायी बाबा राम रहीम के पिताजी- नम्बरदार बापू मग्घर सिंह जी की पुण्य तिथि के अवसर पर रक्तदान शिविर का आयोजन कर रहे थे, वहीं दूसरी तरफ सीबीआई कोर्ट में बाबा राम रहीम की ज़मानत की कार्यवाही चल रही थी। ३ अगस्त को बाबा राम रहीम पर कथित रूप से साधुओं को नपुंसक बनाने के आरोप लगाए गए थे, व सीबीआई ने बाबा राम रहीम, डॉ एम् पी सिंह व् डॉ पंकज गर्ग पे केस तय किया था। २३ अगस्त को जज सुनील राठी द्वारा बेल याचिका ख़ारिज करने के बाद बाबा राम रहीम ने जज जगदीप सिंह की अदालत में याचिका दायर की थी।

इस केस में सीबीआई की स्थानीय विशेष अदालत ने बाबा राम रहीम को ज़मानत दे दी है।बचाव पक्ष के वकील तनवीर अहमद मीर व ध्रुव गुप्ता की दलीलों से सहमत होते हुए सीबीआई कोर्ट के न्यायाधीश जगदीप सिंह ने बाबा राम रहीम की ज़मानत का फैसला सुनाया। डॉ एम् पी सिंह को भी इस मामले में बेल दे दी गई है। डेरा के प्रबंधकों का कहना है की उन्हें माननीय न्यायालय पे पूरा भरोसा है।

उल्लेखनीय है की डेरा सच्चा सौदा के समर्थकों में जहाँ उनके गुरूजी पे उनका ढृढ़ विश्वास बना हुआ है, वहीँ उन्हें यकीन भी है की जल्द ही सच उजागर होगा और उनके गुरूजी जल्द ही वापिस आएंगे। ऐसे में अपने गुरूजी की प्रेरणा पे चलते हुए आज भी उन्होंने रक्तदान शिविर लगाया है, व किसी भी अवसर पे वे मानवता भलाई के कार्य करने से नहीं चूकते, फिर चाहे वह स्वच्छ भारत दिवस हो, पौधरोपण , या मरणोपरांत शरीरदान। गौरतलब है की बाबा राम रहीम के 6.5 करोड़ से भी अधिक अनुयायी हैं।

आधार – आम आदमी की पहचान । आधार कार्ड भारत सरकार दुवारा भारत के
नागरिकों को जारी किये जाने वाला पहचान पत्र  मात्र है , यह नागरिकता का पहचान पत्र नही है। इसमे 12 अंको की ए क विशिष्ट संख्या छ्पी होती है जिसे भारतीय विशेष्ट संख्या छ्पी होती है जिसे भारतीय विशेस्ट पहचान प्राधिकरण जारी करता है।
  • पिछ्ले कुछ दिनों से मीडिया, न्यूज़ चेनल्स मे आधार कार्ड की संवेधानिक वेध्ता पर बहुत चर्चा चल रही थी। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फ़ैसला सुनाते हुए इसकी सांविधानिक वैधता मे कुछ बद्लाव करते हुए बरकरार रखा है।
  • देश की सर्वोच्च अदालत ने बुधवार को आधार पर फेसला सुनाते हुआ साफ किया है कि आधार कहाँ जरूरी है कहाँ नही । प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के नेतृत्व में पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने 38 दिन चली लंबी बहस के बाद फ़ैसला सुरक्षित रख लिया था। इसके सन्दर्भ मे कुल 31 याचिकाएं दायर की गई थी।
  •  केन्द्र सरकार ने आधार योजना का बचाव करते हुए कहा था की बिना आधार कार्ड सरकारी योजनाओं का लाभ प्राप्त नही किया जा सकता । जो की योजनाओं मे फर्ज़िवाडा और सरकारी धन के दुरुपयोग को रोकने के लिय आधार कार्ड की अनिवार्यता जरूरी है। केंन्द्र ने ये भी तर्क दिया की आधार समाज के कमजोर वर्गो के अधिकारों की रक्षा करता है।

 

आधार कहाँ जरूरी है

  • पेन कार्ड बनाने के लिये, आयकर  रिटर्न्स के लिए, सरकारी कल्याणकारी योजनाओं और सब्सिडी का लाभ पाने के लिये आधार जरूरी है।

 

 आधार कहाँ जरूरी नही है
  • मोबाईल सिम के लिये, बैंकों मे अकाउंट खुलवाने के लिये, इनके अलावा सी बी एस ई ,नीट , युजिसी नेट के लिय भी आधार जरुरी नही है।

 

  • 14 साल से कम के बच्चों के पास आधार नही होने पर उसे केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा दी जाने वाली जरुरी सेवाओं से वंचित नही किया जा सकता है।
फैसले के दोरान कोर्ट ने कहा आधार एकदम सुरक्षित है। इसके डुप्लीकेट होने का कोई खतरा नही है।

 

नमस्कार दोस्तों, मैं आपके सामने एक बार फिर अपने विचार लेकर हाज़िर हूं। यदि आपने मेरे पिछले ब्लॉग को पढ़ा है तो आपको याद होगा कि उसमें मैंने बात की थी 23 sept से जुड़ा बाबा राम रहीम का  सच  ।

बाबा राम रहीम और डेरा सच्चा सौदा से जुड़े बहुत सारे सवालों के जवाब

दोस्तों बाबा राम रहीम और डेरा सच्चा सौदा से जुड़े बहुत सारे सवालों में से कुछ जवाब मुझे मेरी कलीग से मिल तो चुके थे लेकिन फिर भी एक सामाजिक प्राणी होने के नाते मुझे प्रत्यक्ष प्रमाण की आवश्यकता थी और मैं केवल तभी इन सब बातों पर विश्वास कर सकती थी यदि ये सब मैंने खुद देखा हो। तो जैसा कि मैंने आप सब से कहा था कि मैं इस बारे में और जानकारी जुटाना चाहती थी ताकि हकीकत जान सकूं और आप सब के सामने रख पाऊं। बस इसी सिलसिले में कल रात ही मेरे दिमाग में एक विचार आया कि 23 सितम्बर को(आज) डेरा के गुरु गुरमीत राम रहीम जी का गद्दी दिवस है (मेरी कलीग के अनुसार) तो मुझे वहाँ जा कर सच का पता करना चाहिए कि जो कुछ भी मेरी कलीग ने मुझे बताया है वह वाकई में सच है या केवल एक मिथक है।

मैंने अपने मम्मी-पापा को डेरा जाने के विषय में बताया तो उन्होंने पहले मुझे मना कर दिया लेकिन जब मैंने उन्हें मेरे वहां जाने के उद्देश्य तथा मेरी कलीग से हुई बातचीत के बारे में बताया तो बहुत सोचने पर वो मान गए।

तो मैंने डेरा जाने का तय किया और उन कलीग से डेरे का पता तथा रास्ता जानकर मैं घर से निकल पड़ी। मैंने अपनी कलीग को अपनी योजना के बारे में नहीं बताया क्योंकि मैं सच्चाई का पता अपने तरीके से लगाना चाहती थी। रास्ते भर बहुत से सवाल मेरे दिमाग में दोबारा उठने लगे कि जो मैंने डेरा के बारे में लोगों से सुना है, जो पढ़ा है वह सच है या जो मेरी उन कलीग ने बताया वह सच है।

ख़ैर करीब 6 घण्टे के सफर के बाद मैं डेरा सच्चा सौदा के सामने थी और वहाँ का नज़ारा देख कर एक पल के लिए मैं दंग रह गई। लाखों की तादाद में लोग डेरा की ओर आ रहे थे और हज़ारों की तादाद में वाहन भी मौजूद थे। लोगों का इतना बड़ा हुजूम मैंने आज तक केवल सुना था लेकिन अपनी आंखों से पहली बार देख रही थी। वहाँ अंदर जाने के लिए श्रद्धालु लंबी लंबी कतारों में खड़े थे, मैं भी एक कतार में लग कर अंदर जाने की प्रतीक्षा करने लगी।

डेरा के अंदर का सच 

अंदर पहुंच कर मैंने देखा कि लोगों का जितना बड़ा हुजूम बाहर नज़र आ रहा था उस से दुगुनी तादाद में लोग डेरा के अंदर मौजूद थे। एक पल के लिए मुझे लगा कि मैं इंसानों के समुद्र में आ गई हूं। मैंने आगे बढ़ कर एक महिला से पूछा कि ये सब लोग यहाँ किसलिए इकट्ठा हुए हैं? यहाँ ऐसा क्या होने वाला है? मेरे पूछने पर उन्होंने बताया कि आज उनके मौजूदा गुरु संत डॉ गुरमीत राम रहीम सिंह जी इंसा (गुरुजी का पूरा नाम जो मुझे भी उसी वक़्त पता लगा) का गुरु गद्दी दिवस है और इसी उपलक्ष्य में वहां एक नामचर्चा (उनके अनुसार) मतलब सत्संग का आयोजन किया गया है, जिसमें सभी श्रद्धालु गुरु गद्दी दिवस मनायेंगे। उन्हें धन्यवाद देकर में आगे बढ़ी। मैंने देखा कि वहां एक बहुत बड़ा शैड़ था जिसके नीचे सभी श्रद्धालु एकत्रित हुए थे। वहां एक ओर सभी महिलाएं बैठी थीं और दूसरी ओर पुरूष। मैं भी महिलाओं वाली ओर आगे बढ़ गई।

डेरा सच्चा सौदा में खूनदान शिविर 

मैंने सुना कि माइक पर बार बार अनाउंसमेंट हो रही थी कि जो भी व्यक्ति रक्तदान करना चाहते हैं वो सचखंड हाल के अंदर पहुंच जाएं। मुझे लगा कि मुझे भी वहां जाकर देखना चाहिए। मैंने देखा कि सामने एक हालनुमा बिल्डिंग थी और रक्तदान करने वाले लोग उसी ओर बढ़ रहे थे। मैं भी उत्सुकतावश उस ओर बढ़ गई। अंदर मैंने देखा कि हज़ारों लोग रक्तदान के लिए कतारों में खड़े थे और बहुत से लोग रक्तदान कर रहे थे और बहुत से लोग कर चुके थे। पर एक अलग बात ये हुई कि वहाँ मौजूद सभी लोगों के चेहरे पर एक खुशी थी। मैंने ऐसा पहली बार देखा था कि कुछ देने पर किसी के चेहरे पर ऐसी खुशी हो। वहाँ दूसरी ओर अन्य मेडिकल चेकअप के लिए भी कैम्प लगे हुए थे। मैं वहां से बाहर आ कर श्रद्धालुओं के बीच बैठ गई।

बाबा राम रहीम की अनुपस्थिति में कैसे किया जाता है डेरा  सच्चा सौदा में सत्संग 

सत्संग की कारवाई शुरू हो चुकी थी और मैं ये देखकर हैरान थी कि वहाँ न किसी प्रकार का शोर था न कोई तमाशा। शान्ति से सभी श्रद्धालु भजन गा रहे थे तथा उसके बाद गुरुजी के वचनों की वीडियो स्क्रीन पर चलाई गई। मैंने गुरुजी के वचनों को ध्यान से सुना और मुझे हैरानी हुई कि सभी गुरुजी के सभी कथन समाज के भले और मानवता को बचाने के लिए थे। गुरुजी के वचनों में भगवान के नाम की एहमियत को बताया गया था तथा ऐसा कुछ भी नहीं था जो भड़काऊ या लोगों के बुरे के लिए हो। करीब 4 घण्टे बाद सत्संग की कारवाई समाप्त हुई। सत्संग के अंत में सभी श्रद्धालुओं ने मिलकर शांति से नाम शब्द (गुरुजी द्वार दिया गया गुरुमन्त्र) का जाप किया। इसके अतिरिक्त वहाँ कुछ शादियां भी सम्पन्न हुईं जो कि बिल्कुल सादे तरीके से दूल्हा दुल्हन ने वरमाला डाल कर की।

कैसे मनाया गया 23 sept का खास दिन 

सत्संग के दौरान बहुत से गरीब परिवारों को डेरा की तरफ से राशन भी   गया तथा दिव्यांग लोगों को ट्राइसाइकिल भी वितरित की गई। इसके बाद कुछ गरीब लोगों को नए बनाए गए मकानों की चाबी भी दी गई। मेरे लिए ये सब देखना एक बहुत ही नया और अलग तरह का अनुभव था। मैंने अपने पास बैठी एक महिला श्रद्धालु से पूछा कि क्या ये सब करने के लिए यहां कोई दान वगैरह लिया जाता है? या यहां कोई दान पेटी तो होगी (जैसा कि सभी तीर्थ स्थानों पर होता है)? लेकिन उन्होंने मुझे बताया कि यहाँ पर किसी प्रकार का दान या चढ़ावा नहीं लिया जाता और ये सब जो भी डेरा की तरफ से मानवता भलाई के काम किये जाते हैं ये गुरुजी के परिवार की तरफ से अपनी की गई कमाई में से किए जाते हैं। इसके अलावा डेरा श्रद्धालु इन सामाजिक कार्यों को करने के लिए प्रतिदिन एक रुपया निकल कर उस से एकत्रित होने वाली राशि को इस्तेमाल करते हैं।

एक रुपया! एक रुपया बहुत ही छोटी रकम है एक दिन में यदि हम अपनी तरफ से किसी के भले के लिए सोचें तो। लेकिन ये एक दुखद बात है कि हम अपनी जरूरतों से आगे कभी बढ़ ही नहीं पाते, कभी सोच ही नहीं पाते। डेरा के इस कदम ने मुझे ये सोचने पर मजबूर कर दिया कि क्या हम सच में इतने गरीब है कि हम किसी की मदद के लिए प्रतिदिन एक रुपये की राशि निकालने का भी न सोच पाएं।

अंत में प्रसाद ग्रहण कर मैं वहां से बाहर आ गई। डेरा परिसर में एक अलग बात जो मैंने महसूस की वो ये थी कि वहां मौजूद हर एक व्यक्ति में अपनापन था। वहां के लोग देशद्रोही नहीं बल्कि समाज में इंसानियत को जिंदा रखने वाले थे। डेरा में कोई हथियार नहीं बल्कि सहायता के लिए तत्पर लाखों हाथ थे। जो कुछ भी मैंने डेरा के बारे में पिछले एक साल में लोगों से सुना, अखबारों में पढ़ा, न्यूज़ चैनलों पर देखा वो सब बातें यहां आकर केवल एक भ्रम  साबित हुईं। केवल एक धारणा, एक नकारात्मक धारणा जो पिछले एक साल में  हमारे समाज ने बिना कुछ सोचे समझे डेरा के लिए बना ली। डेरा के हालात पिछले दिनों में जो भी रहे लेकिन एक बात है जो डेरा के लोगों ने कभी नहीं छोड़ी वो है सच्चाई और इंसानियत।

उपरोक्त लिखी सारी घटना स्वयं मेरी आंखों देखी है और मैंने जो कुछ भी आपके साथ साझा किया है यह मेरा खुद का अनुभव है जो मुझे डेरा में आकर महसूस हुआ। अब मेरे सभी सवाल शांत थे। और इसके अतिरिक्त मैं एक सभ्य समाज की नागरिक होने के नाते डेरा से एक प्रेरणा लेकर आई थी, कि हर हाल में सच के साथ और अच्छाई के लिए खड़े रहना।

यदि अब भी आप लोगों को मेरी बातों पर किसी प्रकार का संशय हो तो मैं आप सबसे अनुरोध करती हूं कि आप भी स्वंय डेरा में जाएं और इस हकीकत तथा इस अनुभव के साक्षी बनें।

और एक बात, मैं उपरोक्त घटना के साक्ष्यों के तौर पर डेरा की कुछ तस्वीरें साझा करना चाहती हूं जो मैंने घर आने पर अपनी कलीग से मांगी।