असम में बाढ़ से चारों ओर तबाही मची हुई है। असम राज्य के 33 जिलों में से 27 जिले इस प्राकृतिक आपदा की चपेट में आ गए हैं जिसकी वजह से लाखों लोगों का गुज़र बसर भी मुश्किल हो गया है । भरपूर मानसून के कारण बहुत बड़े स्तर पर नुकसान हुआ है।
राहत कार्य जारी । NDRF (एनडीआरएफ) की टीम तैनात
कोरोना महामारी के बीच राहत कार्य चलाना और भी कठिन साबित हो रहा है ।असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल मानते है कि कोरोना वायरस ओर बाढ़ से असम की स्थिति बद से बदतर हो गयी है । उन्होंने बताया कि इस प्राकृतिक आपदा से निपटने के लिए सरकार भरपूर कोशिशों में लगी है । इसी के साथ ही एनडीआरएफ (NDRF) की टीम भी बाढ़ से निपटने के लिए तैनात की गई है।
पड़ोसी देशों से होकर भारत में बहने वाली नदियों मे स्थिति हुई ओर भी विकराल
भारत में बहने वाली कई नदियां नेपाल, चीन से होती हुई भूटान से होकर यहां पहुँचती हैं। नेपाल से होकर भारत मे बहने वाली नदियां बिहार में तबाही मचाती हैं। चीन एवं तिब्बत से आती ब्रह्मपुत्र नदी असम में आकर भारी नुकसान का कारण बनती है।
भरपूर मानसून के कारण होने वाली तबाही से निपटने के लिए किए जा रहे प्रयासों में एक बड़ी समस्या यह भी है कि बाढ़ को तबाही का रूप देने वाली ये नदियां एक से अधिक देशों से जुड़ी है जिसके चलते बाढ़ से निपटना सरकार के लिए भी बेहद पेचीदा कार्य है ।
इस बार भी अरबों रुपये का आर्थिक नुकसान हुआ ओर लाखो लोगो का जीवन अस्त व्यस्त हो गया है । गांवों के गांव ही पानी मे डूब चुके हैं। लोगों में खाने पीने तक की समस्या बनी हुई है । खाने को घरों में कुछ बचा नहीं है। लोग सड़क किनारे तिरपाल लगाकर रहने को भी मजबूर हैं । जो लोग घरों में है, वे नावों का सहारा ले रहें हैं । क्योंकि अधिकतर सड़कें भी जलमग्न है इसलिए उन्हें पानी मे डूबे घरों के अंदर नाव में रहना पड़ रहा है ।
ब्रह्मपुत्र नदी के सैलाब में असम का गांव बरबेटा हुआ जलमग्न
बाढ़ ने असम के बरबेटा में सबकुछ बर्बाद कर दिया । नदी ने जिले के सुदूर गांव को जोड़ने वाली सड़कों ओर तटबंध को निगल लिया ।
लगातार हो रही बारिश से बीमारियों के फैलने की आशंका
घरों के अंदर सब कुछ जलमग्न होने से हालात बिगड़ने के आसार है। खाने पीने के लिए ज्यादा कुछ बचा नहीं है । लगातार हो रही बारिश से मुसीबत ओर भी बढ़ सकती है । सबसे बड़ी दिक्कत पानी मे पनपने वाली बीमारियों से बचने की है ।
राज्य को बड़े स्तर पर मदद की दरकार। प्राकृतिक आपदाओं में एकजुटता से चलने की जरूरत
इस तरह की स्थिति में राजनीतिक हितों को एक तरफ रखकर मानवता के हित में एकजुट होकर चलने की जरूरत है। मानवता की भलाई के लिए बाढ़ जैसी समस्या के समाधान में राज्य को बड़े स्तर पर मदद की जानी चाहिए क्योंकि मुसीबत के समय में कन्नी कतराना मानवता के खिलाफ ओर संवेदनहीनता है।