मैं कुछ दिनों से जब भी अख़बार पढ़ती हूँ और फेसबुक खोलती हूँ तो बस, डेरा सच्चा सौदा के अनुयायियों की तस्वीरें और खबरें ही पढ़ने को मिल रही हैं। उनकी तस्वीरों से यह लग रहा है जैसे डेरा सच्चा सौदा के अनुयायी एक बहुत बड़े अरसे के बाद फिर से ज़ोर शोर से वापिस लौटे हैं, जैसा कि हम आज से दो साल पहले देखा करते थे। बाबा राम रहीम के जेल जाने के बाद ऐसी तस्वीरें पहली बार देखने को मिल रही हैं। सुनने में आया है कि इतनी भारी संख्या में इकट्ठे होकर नामचर्चा और मानवता भलाई के कार्य करके यह लोग डेरा सच्चा सौदा का ‘स्थापना दिवस’ और ‘जाम-ए-इन्सां गुरु का’ दिवस मना रहे हैं।
वैसे एक बात मैं आप सब से पूछना चाहूंगी कि जो 2 सालों में मीडिया ने डेरा सच्चा सौदा के बारे में दिखाया क्या वो सच था?
क्योंकि आज इनके अनुयायियों का विश्वास देखकर तो नहीं लगता कि जो भी मीडिया ने दिखाया है वो सच होगा। तो क्या ये आज भी करोड़ों की तादाद में बाबा को मानते हैं? ऐसे अनेक सवाल हर किसी न किसी के मन में ज़रूर आते होंगे, तो चलिए देखते हैं कि क्या डेरा सच्चा सौदा कि गतिविधियों में कोई कमी आयी? क्या टूट गए डेरा प्रेमी?
नामचर्चाओं का आयोजन
सुनने में आया है कि डेरा सच्चा सौदा के अनुयायी अप्रैल का महीना फाऊंडेशन मंथ (स्थापना माह) के रूप में मनाते हैं। 29 अप्रैल 1948 को डेरा सच्चा सौदा की नींव रखी गई थी। वैसे तो हर साल इस दिन डेरा सच्चा सौदा आश्रम में भंडारा मनाया जाता था। पर बाबा राम रहीम के जेल जाने के बाद यहां कोई भंडारा नहीं मनाया गया। पर इस बार, इसी माह, डेरा सच्चा सौदा के अनुयायियों ने देश के हर कोने में जिला स्तर पर नामचर्चा करके यह महीना मनाया है। यही नहीं, इस महीने में हर ज़िले, ब्लॉक व लोकल जगहों पर अनुयायियों द्वारा गरीब बच्चों की शिक्षा हेतु कॉपियां, किताबें, ड्रेस, पेन, पेंसिल व स्टेशनरी का अन्य सामान भी बांटा गया। गरीब परिवारों को राशन, गरीब घर की बेटियों कि शादी में सहायता करना व रक्तदान जैसे कार्य भी इस स्थापना माह में बढ़ चढ़ कर किए गए हैं।
नामचर्चाओं में जन सैलाब की
अख़बारों और फेसबुक की तस्वीरों को देख कर लगता है जैसे नामचर्चाओं में जनता की बाढ़ आ गई हो। समुन्दर कि लहरों कि तरह दूर दराज़ से लोग उमड़े और एक अरसे के बाद इन ब्लॉकों की सड़कों पर कई कई किलोमीटर तक लगे जाम देखने को मिले। रेलगाड़ियों, बसों में वही भीड़ देखने को मिली जो आज से 2 साल पहले हुआ करती थी और लोग बातें किया करते थे कि लगता है आज फिर डेरा सिरसा में सत्संग है। मगर आज की नामचर्चाओं के इकट्ठ ने सभी को हैरत में डाल दिया लोग यह देखकर दातों तले अंगुली दबा रहे हैं।
डेरा के अनुयायियों का विश्वास
जैसा कि अखबारों की सुर्खियों में हम रोज़ाना पढ़ते हैं कि डेरा सिरसा की संगत अब टूट चुकी है मगर यह सब तो झूठ साबित हो गया। इन नामचर्चाओं में डेरा के अनुयायियों की संख्या देखकर तो नहीं लगता कि बाबा राम रहीम पर से उनका विश्वास ज़रा भी हिला है। जैसा विडिओ में हमनें देखा है कि लोग ढोल बजाते हुए नाच नाच के नामचर्चाओं में खुशी-खुशी आ रहे हैं इससे तो लगता है कि डेरा के अनुयायी आज भी टस से मस नहीं हुए, उनका विश्वास ज्यों का त्यों बना हुआ है।
राजनीतिक दलों का वोट मांगने के लिए आना
हम सभी को पता है कि डेरा सच्चा सौदा एक ऐसी संस्था है जिसके अनुयायी देश व विदेश में करोड़ों की संख्या में हैं। यहां के अनुयायी हर कार्य एकता में रह कर करते हैं, चाहे वो मानवता भलाई के कार्य हो या देश की सरकार चुननी हो। जैसा कि हम सभी को पता है कि अब भी 2019 में लोकतंत्र चुनाव चल रहे हैं। तो अब भी तसवीरों में देखने को मिला कि अलग अलग राजनीतिक पार्टियां डेरा के अनुयायियों से वोट मांगने के लिए लगातार आ रही हैं। हर कोई बहुमत हासिल करने के लिए डेरा के अनुयायियों का साथ चाहता है। एक बार फिर सवाल उठता है यहां पर, कि अगर डेरा सच्चा सौदा पर लगे इलज़ाम सही थे, तो आखिर क्यों इन पार्टियों को डेरे के साथ कि ज़रुरत है? कहीं न कहीं हर आम इंसान और हर राजनीतिक पार्टी यह जानती है कि डेरे के खिलाफ बहुत गहरी साज़िश रची गयी थी।
अंत में मैं यही कह सकती हूँ कि इन सब गतिविधियों से यही पता चलता है कि डेरा सच्चा सौदा के अनुयायियों की एकता और विश्वास अब भी बरकरार है, इनको कोई नहीं हिला सकता चाहे मीडिया हो या अख़बार की झूठी खबरें। इनके जोश और जज़्बे की दाद देती हूँ और सलाम करती हूँ इनके द्वारा किये जा रहे मानवता भलाई के कार्यों को, जो आज भी सैकड़ों ज़रूरतमंदो कि मदद कर रहे हैं।