नमस्कार दोस्तों, मैं आपके सामने एक बार फिर अपने विचार लेकर हाज़िर हूं। यदि आपने मेरे पिछले ब्लॉग को पढ़ा है तो आपको याद होगा कि उसमें मैंने बात की थी 23 sept से जुड़ा बाबा राम रहीम का  सच  ।

बाबा राम रहीम और डेरा सच्चा सौदा से जुड़े बहुत सारे सवालों के जवाब

दोस्तों बाबा राम रहीम और डेरा सच्चा सौदा से जुड़े बहुत सारे सवालों में से कुछ जवाब मुझे मेरी कलीग से मिल तो चुके थे लेकिन फिर भी एक सामाजिक प्राणी होने के नाते मुझे प्रत्यक्ष प्रमाण की आवश्यकता थी और मैं केवल तभी इन सब बातों पर विश्वास कर सकती थी यदि ये सब मैंने खुद देखा हो। तो जैसा कि मैंने आप सब से कहा था कि मैं इस बारे में और जानकारी जुटाना चाहती थी ताकि हकीकत जान सकूं और आप सब के सामने रख पाऊं। बस इसी सिलसिले में कल रात ही मेरे दिमाग में एक विचार आया कि 23 सितम्बर को(आज) डेरा के गुरु गुरमीत राम रहीम जी का गद्दी दिवस है (मेरी कलीग के अनुसार) तो मुझे वहाँ जा कर सच का पता करना चाहिए कि जो कुछ भी मेरी कलीग ने मुझे बताया है वह वाकई में सच है या केवल एक मिथक है।

मैंने अपने मम्मी-पापा को डेरा जाने के विषय में बताया तो उन्होंने पहले मुझे मना कर दिया लेकिन जब मैंने उन्हें मेरे वहां जाने के उद्देश्य तथा मेरी कलीग से हुई बातचीत के बारे में बताया तो बहुत सोचने पर वो मान गए।

तो मैंने डेरा जाने का तय किया और उन कलीग से डेरे का पता तथा रास्ता जानकर मैं घर से निकल पड़ी। मैंने अपनी कलीग को अपनी योजना के बारे में नहीं बताया क्योंकि मैं सच्चाई का पता अपने तरीके से लगाना चाहती थी। रास्ते भर बहुत से सवाल मेरे दिमाग में दोबारा उठने लगे कि जो मैंने डेरा के बारे में लोगों से सुना है, जो पढ़ा है वह सच है या जो मेरी उन कलीग ने बताया वह सच है।

ख़ैर करीब 6 घण्टे के सफर के बाद मैं डेरा सच्चा सौदा के सामने थी और वहाँ का नज़ारा देख कर एक पल के लिए मैं दंग रह गई। लाखों की तादाद में लोग डेरा की ओर आ रहे थे और हज़ारों की तादाद में वाहन भी मौजूद थे। लोगों का इतना बड़ा हुजूम मैंने आज तक केवल सुना था लेकिन अपनी आंखों से पहली बार देख रही थी। वहाँ अंदर जाने के लिए श्रद्धालु लंबी लंबी कतारों में खड़े थे, मैं भी एक कतार में लग कर अंदर जाने की प्रतीक्षा करने लगी।

डेरा के अंदर का सच 

अंदर पहुंच कर मैंने देखा कि लोगों का जितना बड़ा हुजूम बाहर नज़र आ रहा था उस से दुगुनी तादाद में लोग डेरा के अंदर मौजूद थे। एक पल के लिए मुझे लगा कि मैं इंसानों के समुद्र में आ गई हूं। मैंने आगे बढ़ कर एक महिला से पूछा कि ये सब लोग यहाँ किसलिए इकट्ठा हुए हैं? यहाँ ऐसा क्या होने वाला है? मेरे पूछने पर उन्होंने बताया कि आज उनके मौजूदा गुरु संत डॉ गुरमीत राम रहीम सिंह जी इंसा (गुरुजी का पूरा नाम जो मुझे भी उसी वक़्त पता लगा) का गुरु गद्दी दिवस है और इसी उपलक्ष्य में वहां एक नामचर्चा (उनके अनुसार) मतलब सत्संग का आयोजन किया गया है, जिसमें सभी श्रद्धालु गुरु गद्दी दिवस मनायेंगे। उन्हें धन्यवाद देकर में आगे बढ़ी। मैंने देखा कि वहां एक बहुत बड़ा शैड़ था जिसके नीचे सभी श्रद्धालु एकत्रित हुए थे। वहां एक ओर सभी महिलाएं बैठी थीं और दूसरी ओर पुरूष। मैं भी महिलाओं वाली ओर आगे बढ़ गई।

डेरा सच्चा सौदा में खूनदान शिविर 

मैंने सुना कि माइक पर बार बार अनाउंसमेंट हो रही थी कि जो भी व्यक्ति रक्तदान करना चाहते हैं वो सचखंड हाल के अंदर पहुंच जाएं। मुझे लगा कि मुझे भी वहां जाकर देखना चाहिए। मैंने देखा कि सामने एक हालनुमा बिल्डिंग थी और रक्तदान करने वाले लोग उसी ओर बढ़ रहे थे। मैं भी उत्सुकतावश उस ओर बढ़ गई। अंदर मैंने देखा कि हज़ारों लोग रक्तदान के लिए कतारों में खड़े थे और बहुत से लोग रक्तदान कर रहे थे और बहुत से लोग कर चुके थे। पर एक अलग बात ये हुई कि वहाँ मौजूद सभी लोगों के चेहरे पर एक खुशी थी। मैंने ऐसा पहली बार देखा था कि कुछ देने पर किसी के चेहरे पर ऐसी खुशी हो। वहाँ दूसरी ओर अन्य मेडिकल चेकअप के लिए भी कैम्प लगे हुए थे। मैं वहां से बाहर आ कर श्रद्धालुओं के बीच बैठ गई।

बाबा राम रहीम की अनुपस्थिति में कैसे किया जाता है डेरा  सच्चा सौदा में सत्संग 

सत्संग की कारवाई शुरू हो चुकी थी और मैं ये देखकर हैरान थी कि वहाँ न किसी प्रकार का शोर था न कोई तमाशा। शान्ति से सभी श्रद्धालु भजन गा रहे थे तथा उसके बाद गुरुजी के वचनों की वीडियो स्क्रीन पर चलाई गई। मैंने गुरुजी के वचनों को ध्यान से सुना और मुझे हैरानी हुई कि सभी गुरुजी के सभी कथन समाज के भले और मानवता को बचाने के लिए थे। गुरुजी के वचनों में भगवान के नाम की एहमियत को बताया गया था तथा ऐसा कुछ भी नहीं था जो भड़काऊ या लोगों के बुरे के लिए हो। करीब 4 घण्टे बाद सत्संग की कारवाई समाप्त हुई। सत्संग के अंत में सभी श्रद्धालुओं ने मिलकर शांति से नाम शब्द (गुरुजी द्वार दिया गया गुरुमन्त्र) का जाप किया। इसके अतिरिक्त वहाँ कुछ शादियां भी सम्पन्न हुईं जो कि बिल्कुल सादे तरीके से दूल्हा दुल्हन ने वरमाला डाल कर की।

कैसे मनाया गया 23 sept का खास दिन 

सत्संग के दौरान बहुत से गरीब परिवारों को डेरा की तरफ से राशन भी   गया तथा दिव्यांग लोगों को ट्राइसाइकिल भी वितरित की गई। इसके बाद कुछ गरीब लोगों को नए बनाए गए मकानों की चाबी भी दी गई। मेरे लिए ये सब देखना एक बहुत ही नया और अलग तरह का अनुभव था। मैंने अपने पास बैठी एक महिला श्रद्धालु से पूछा कि क्या ये सब करने के लिए यहां कोई दान वगैरह लिया जाता है? या यहां कोई दान पेटी तो होगी (जैसा कि सभी तीर्थ स्थानों पर होता है)? लेकिन उन्होंने मुझे बताया कि यहाँ पर किसी प्रकार का दान या चढ़ावा नहीं लिया जाता और ये सब जो भी डेरा की तरफ से मानवता भलाई के काम किये जाते हैं ये गुरुजी के परिवार की तरफ से अपनी की गई कमाई में से किए जाते हैं। इसके अलावा डेरा श्रद्धालु इन सामाजिक कार्यों को करने के लिए प्रतिदिन एक रुपया निकल कर उस से एकत्रित होने वाली राशि को इस्तेमाल करते हैं।

एक रुपया! एक रुपया बहुत ही छोटी रकम है एक दिन में यदि हम अपनी तरफ से किसी के भले के लिए सोचें तो। लेकिन ये एक दुखद बात है कि हम अपनी जरूरतों से आगे कभी बढ़ ही नहीं पाते, कभी सोच ही नहीं पाते। डेरा के इस कदम ने मुझे ये सोचने पर मजबूर कर दिया कि क्या हम सच में इतने गरीब है कि हम किसी की मदद के लिए प्रतिदिन एक रुपये की राशि निकालने का भी न सोच पाएं।

अंत में प्रसाद ग्रहण कर मैं वहां से बाहर आ गई। डेरा परिसर में एक अलग बात जो मैंने महसूस की वो ये थी कि वहां मौजूद हर एक व्यक्ति में अपनापन था। वहां के लोग देशद्रोही नहीं बल्कि समाज में इंसानियत को जिंदा रखने वाले थे। डेरा में कोई हथियार नहीं बल्कि सहायता के लिए तत्पर लाखों हाथ थे। जो कुछ भी मैंने डेरा के बारे में पिछले एक साल में लोगों से सुना, अखबारों में पढ़ा, न्यूज़ चैनलों पर देखा वो सब बातें यहां आकर केवल एक भ्रम  साबित हुईं। केवल एक धारणा, एक नकारात्मक धारणा जो पिछले एक साल में  हमारे समाज ने बिना कुछ सोचे समझे डेरा के लिए बना ली। डेरा के हालात पिछले दिनों में जो भी रहे लेकिन एक बात है जो डेरा के लोगों ने कभी नहीं छोड़ी वो है सच्चाई और इंसानियत।

उपरोक्त लिखी सारी घटना स्वयं मेरी आंखों देखी है और मैंने जो कुछ भी आपके साथ साझा किया है यह मेरा खुद का अनुभव है जो मुझे डेरा में आकर महसूस हुआ। अब मेरे सभी सवाल शांत थे। और इसके अतिरिक्त मैं एक सभ्य समाज की नागरिक होने के नाते डेरा से एक प्रेरणा लेकर आई थी, कि हर हाल में सच के साथ और अच्छाई के लिए खड़े रहना।

यदि अब भी आप लोगों को मेरी बातों पर किसी प्रकार का संशय हो तो मैं आप सबसे अनुरोध करती हूं कि आप भी स्वंय डेरा में जाएं और इस हकीकत तथा इस अनुभव के साक्षी बनें।

और एक बात, मैं उपरोक्त घटना के साक्ष्यों के तौर पर डेरा की कुछ तस्वीरें साझा करना चाहती हूं जो मैंने घर आने पर अपनी कलीग से मांगी।

3 Comments

  1. Darshan Narang Reply

    Superb, Dera Sacha Sauda is the best social organisation in world

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