मोदी सरकार की केंद्रीय कैबिनेट ने नई शिक्षा नीति (New Education Policy) को बुधवार को मंजूरी दे दी । 34 साल बाद शिक्षा प्रणाली में आने वाला ये बदलाव 1986 की शिक्षा नीति की जगह ले लेगा ।
विभिन्न शिक्षाविदों व जन-प्रतिनिधियों के परामर्श एवं रिपोर्ट्स का मसौदा है नई शिक्षा नीति।
3 सालों से भी अधिक लंबे समय का परिणाम बनकर नई शिक्षा नीति आज हमारे सामने है जोकि विभिन्न शिक्षाविदों , छात्रों ,राज्य सरकारों व जन-प्रतिनिधियों के परामर्श एवं रिपोर्ट्स पर आधारित है ।
नई शिक्षा नीति किन रिपोर्ट्स पर है आधारित ?
2016 में T.R.सुब्रमण्यम ने नई शिक्षा नीति पर अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी एवं 31 मई 2018 को इसरो के पूर्व अध्यक्ष कस्तूरीरंगन ने अपनी रिपोर्ट पेश की जिसके बाद से दोनों रिपोर्ट्स पर लगातार हो रही बड़े स्तर पर विचार-विमर्श ने आखिरकार एक रूप ले लिया और नई शिक्षा नीति सबके सामने आई।
नई शिक्षा नीति से आशान्वित लक्ष्य
शिक्षा मंत्री के सचिव अमित खरे से बातचीत करने पर बताया कि 2035 तक 50 फीसदी सकल नामांकन अनुपात (Gross Enrollment Ratio ) का लक्ष्य रखा गया है जिसमे व्यावसायिक शिक्षा को 26.3% से 50% तक ले जाने का लक्ष्य है । 2030 तक प्री प्राइमरी से उच्चतर माध्यमिक तक 100 फीसदी प्रवेश दर का लक्ष्य भी नई शिक्षा नीति में लेकर चल रहे हैं जबकि उच्च शिक्षा में प्रवेश लक्ष्य 50 प्रतिशत लिया गया है । 100 फीसदी नामांकन के लक्ष्य को लेकर पढ़ाई छोड़ चुके करीब 2 करोड़ बच्चों को फिर स्कूल से जोड़ा जाना है।
इसी के साथ ही बीच में कोर्स छोड़ने वालों के लिए मल्टीपल एंट्री एवं एग्जिट का प्रावधान होगा बहुस्तरीय प्रवेश ओर निकास के कई विकल्प होंगे । उनके क्रेडिट को अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट्स के द्वारा स्थानांतरित किया जाना है । अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट (ABC) की स्थापना की जानी है जो छात्रों द्वारा अर्जित किये गए क्रेडिट को डिजिटल रूप में संग्रहित करेगा ।
क्या है Multiple Entry/Exit Rule?
इससे मतलब है यदि किसी छात्र की मजबूरीवश पढ़ाई बीच मे छूट जाती है तो पिछली की गई सारी पढ़ाई बेकार नही जाएगी । एक साल की हुई पढ़ाई पर सर्टिफिकेट , दो साल की पढ़ाई पर डिप्लोमा का सर्टिफिकेट एवं 3 से 4 साल पूरे होने पर डिग्री दी जाएगी। यह छात्रों के लिए अच्छी खबर है ।
MERU (Model Multidisciplinery Education And Research University ) बहु विषयक शिक्षा और अनुसंधान विश्वविद्यालय का होगा गठन ।
IIT व IIM के जैसे मॉडल मल्टीडिसिप्लिनरी एजुकेशन एन्ड रिसर्च यूनिवर्सिटी का गठन किया जाएगा जोकि समग्र ओर बहु विषयक शिक्षा का लक्ष्य लेकर काम करेगी ।
UGC , NCTE , AICTE होने जा रहे है खत्म , सभी का काम करेगी सिर्फ एक नई रेगुलेटरी बॉडी ।
उच्च शिक्षा सचिव अमित खरे ने बताया सरकार UGC , NCTE , AICTE जैसी सभी रेगुलेटरी बॉडी को खत्म कर सिर्फ एक रेगुलेटरी बॉडी बनाएगी , जिसके अंतर्गत लीगल और मेडिकल के छात्र नही आएंगे । इसी के साथ ही अप्रूवल व आर्थिक मंजूरी के लिए अलग-अलग वर्टिकल होंगे , यह नियामक Online Self Discloser Based Transparent System पर आधारित होगा । इस प्रणाली के माध्यम से यूनिवर्सिटीज के लिए अब ग्रांट के लिए अप्लाई करना , प्रोपोजल रखना ओर बाकी की सारी प्रक्रिया बहुत तेजी से होगी ।
कॉलेजों को मिलेगी स्वायत्तता (Graded Autonomy ) , यूनिवर्सिटीज से मान्यता लेने का झंझट निपटा ।
15 साल में कॉलेजों की यूनिवर्सिटीज से सम्बन्धता खत्म कर दी जाएगी । सेंट्रल एवं नॉन सेंट्रल यूनिवर्सिटीज के लिए एक ही स्टैंडर्ड होंगे । सरकारी एवं निजी दोनों प्रकार के संस्थानो के लिए यह बात लागू होगी । धीरे धीरे कॉलेजों को स्वायत्तता दी जायेगी , जिसके लिए उनकी ग्रेडिंग की जाएगी।
शिक्षा बजट पर खर्च होगा GDP का 6 प्रतिशत
मोदी के नेतृत्व में कैबिनेट ने शिक्षा के बजट पर कुल जीडीपी का 6 प्रतिशत खर्च करने को स्वीकृति दे दी है जोकि अब तक केवल 4 प्रतिशत ही हुआ करता था । लेकिन फिर भी भारत क्यूबा , फ़िनलैंड एवं स्वीडन जैसे कई उन देशों से पीछे ही है जोकि जीडीपी का तकरीबन 13 प्रतिशत शिक्षा पर खर्च करते है ।
NSF (National Science Foundation) की तर्ज पर बनने जा रहा है NRF (National Research Foundation )
अमेरिका के NSF की तर्ज पर भारत मे NRF की स्थापना की जानी है जिसमे Science ही नहीं Social Science भी शामिल की जाएगी । यह संस्थान शिक्षा के साथ साथ रिसर्च में भी बढ़ोतरी लाएगा एवं बड़े प्रोजेक्ट्स की फाइनेंसिंग करेगा ।
विद्यालयों का प्रचलित 10+2 फॉर्मेट खत्म , अब से होगा 5+3+3+4 फॉर्मेट
नए फॉर्मेट के 5 से मतलब प्री-प्राइमरी के तीन साल एवं कक्षा 1 ओर कक्षा 2 है जोकि बच्चे की फाउंडेशन स्टेज है । इस पांच सालों की पढ़ाई के लिए एक अलग पाठ्यक्रम तैयार किया जाएगा। 3 से 8 साल की आयु इस चरण के लिए निर्धारित की गई है ।अगला चरण कक्षा 3 से कक्षा 5 तक तीन साल का है जिसमें छात्र की आयु 8 से 11 वर्ष निर्धारित की गई ।इसके बाद कक्षा 6 से लेकर कक्षा 8 तक का चरण आएगा जिसमे छात्र की आयु अमूमन 11 से 14 वर्ष मानकर चल रहे है । कक्षा छठी से ही छात्रों को प्रोफेशनल ओर स्किल की शिक्षा दी जाएगी जिसमे स्थानीय स्तर पर इंटर्नशिप भी शामिल है ।चौथा एवं अंतिम चरण(कक्षा9वीं से 12वीं) 4 साल का होगा जिसमे 9वीं से ही छात्र को साइंस व गणित के साथ साथ फैशन डिजाइनिंग पढ़ने की भी आजादी होगी । इस चरण में 14 से 18 आयुवर्ग के छात्र होंगे ।
10वीं तथा 12वीं का बोर्ड एग्जाम बनाया जाएगा ज्ञान परीक्षण पर आधारित।
रटने की प्रवृत्ति से दूर करने को नई शिक्षा नीति में बोर्ड परीक्षाओं को कम महत्व दिया जाएगा । इसी दिशा में कई सुझाव प्रस्तावित है जिसमे साल में दो बार परीक्षाएं करवाना , ऑब्जेक्टिव व सबजेक्टिव श्रेणियों में विभाजन शामिल है । विभिन्न बोर्ड भविष्य में बोर्ड पेपर का प्रेक्टिकल मॉडल तैयार करेंगे जैसे वार्षिक, सेमेस्टर और मॉड्यूलर परीक्षाएं बोर्ड परीक्षाएं आदि।
M.phil. खत्म एवं कॉलेजों को Common Exam का ऑफर।
अब से छात्र ग्रेजुएशन , पोस्ट-ग्रेजुएशन के बाद सीधा PhD करेंगे । M.phil कोर्स को खत्म करना नई शिक्षा नीति का बड़ा बदलाव है । राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी कॉमन एग्जाम की परीक्षा करवाएगी लेकिन कालेजो पर कामन एग्जाम दबाव नही ,मात्र एक ऑफ़र है ।
5वीं तक मातृभाषा में पढ़ाई एवं समग्र रिपोर्ट कार्ड अच्छा कदम ।
समग्र रिपोर्ट कार्ड न केवल अंको बल्कि छात्र के कौशल एवं अन्य बिंदुओं पर भी गौर करेगा । 5वीं कक्षा तक मातृभाषा के माध्यम से शिक्षा भी अच्छा कदम है ।
इनके अलावा भी नई शिक्षा नीति में कई छोटे किंतु विशेष बदलाव किये गए है जोकि इस प्रकार है –
1. 2030 तक हर जिले में कम से कम एक बहुविषयक संस्थान बनाया जाएगा । सभी उच्च शिक्षा संस्थानों को बहुविषयक संस्थान बनाना होगा जिसमें कम से कम 3000 छात्र होंगे।
2.संस्थाओं के पास ओपन डिस्टेंस लर्निंग ओर ऑनलाइन कार्यक्रम चलाने का भी विकल्प रहेगा ।
3.मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर पुनः शिक्षा मंत्रालय रखा गया है।
4. विद्यार्थियों के लिए संस्कृत समेत कई विदेशी भाषाओं को त्रि-भाषा फार्मूला के तहत पढ़ने का अवसर होगा।
5. विदेशी यूनिवर्सिटीज को शिक्षा क्षेत्र में निवेश के तहत भारत मे कैम्पस खोलने की भी अनुमति दी गयी है। SC, ST, OBC, SEDGS विद्यार्थियों के लिए स्कालरशिप पोर्टल में विस्तार किया गया है।
6. ऑनलाइन एजुकेशन पर जोर देते हुए विभिन्न ऐप के माध्यम से फोन, कम्प्यूटर से शिक्षा प्राप्त करने पर भी फोकस किया गया है।
7.प्रत्येक जिले में कला, खेल व करियर संबंधी गतिविधियों के प्रसार हेतु बल भवन भी खोले जाने है।
8. स्कूल एवं कालेजो की फीस पर नियंत्रण के लिए भी एक प्रणाली विकसित की जाएगी ।
9.छात्रों को काउंसलर्स एवं विभिन्नता सामाजिक संस्थाओं से जोड़ा जाना है ।इसी के साथ ही स्वास्थ्य कार्ड भी बनाया जाएगा व समय समय पर बच्चों के स्वास्थ्य की जांच की जाएगी ।
10. भारतीय साइन लैंगुएज (ISL) को पूरे देश मे मानकीकृत करके सामग्री तैयार की जाएगी जिसका प्रयोग दिव्यांग छात्रों द्वारा किया जाएगा । इसके अलावा विकलांग छात्रों के लिए भी बहुत से प्रावधान किए गए है।
11. Extra Co-Curricular Activities को अब इस नाम से न बुलाकर मुख्य शिक्षा में ही शामिल कर दिया गया है एवं छात्रों को कोडिंग सिखाई जाएगी।
12.नई शिक्षा नीति के अंतर्गत शिक्षा का अधिकार (Right To Education ) के दायरे में अब से 3 वर्ष से लेकर 18 वर्ष तक के बच्चे आएंगे ।
13. NTA (National Testing Agency) द्वारा यूनिवर्सिटीज प्रवेश परीक्षा साल में दो बार आयोजित करवाई जाएगी ।
कब से लागू होगी नई शिक्षा नीति (NPE)?
MHRD मंत्री रमेश पोखरियाल ने 29 जुलाई 2020 को नई शिक्षा नीति (New Education Policy ) का ड्राफ्ट सबके बीच पेश किया है । इसे लागू करने सम्बंधित अभी कोई विशेष तिथि निर्धारित नही की गई है।