समस्त संसार में भारतीय संस्कृति सर्वश्रेष्ठ है। भारत त्योहारों का देश है। यहां हर त्यौहार का बड़ा महत्व हैं, व यहां हर त्यौहार को बड़े प्यार व हर्षोल्लास से मनाया जाता है। इन्हीं त्योहारों में से एक जन्माष्टमी का त्योहार है। यह हिंदुओं का प्रमुख त्योहार है।

श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन को लोग भगवान श्री कृष्ण के जन्मदिन के रुप में मनाते हैं। इस त्यौहार को रक्षाबंधन के बाद भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। लोग इस त्यौहार को पूरी आस्था और श्रद्धा के साथ मनाते हैं।

श्री कृष्ण जन्माष्टमी के इस पर्व को न केवल भारत में अपितु विदेशों में रहने वाले भारतीय भी पूरे उत्साह से मनाते हैं।

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क्यों मनाते हैं जन्माष्टमी 

श्री कृष्ण  देवकी और वासुदेव की आठवीं संतान थे। मथुरा में एक राजा हुआ करता था। जिसका नाम कंस था। जो बहुत ही अत्याचारी था। कंस के अत्याचार दिन प्रतिदिन बढ़ते ही जा रहे थे।
 फिर एक दिन अचानक आकाशवाणी हुई कि उसकी बहन की आठवीं संतान उसका वध करेगी। यह सब सुनकर कंस ने अपनी बहन देवकी और उसके पति वासुदेव को काल कोठरी में बंद कर दिया।

कंस ने  एक-एक करके देवकी के 7 बच्चों का वध कर दिया। जब श्री कृष्ण को माता देवकी ने जन्म दिया। तब भगवान विष्णु ने वासुदेव को आदेश दिया कि श्री कृष्ण को गोकुल धाम माता यशोदा व नंद बाबा के घर पहुंचा आए। जहां वह कंस मामा से सुरक्षित रह सकेगा।

श्री कृष्ण का पालन पोषण यशोदा माता व नंद बाबा की देखरेख में हुआ और तभी से उनके जन्म की खुशी में हर वर्ष जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता है।

अगर हम शास्त्रों की मानें तो भगवान श्री कृष्ण रोहिणी नक्षत्र में अष्टमी के दिन पैदा हुए थे। कहा जाता है कि इस दिन चंद्रमा वृष राशि वृष राशि और सिंह राशि में प्रवेश किया हुआ था। ऐसे में इस कॉल पर श्री कृष्ण के जन्म की खुशी को मनाया जाता है। इस दिन श्री कृष्ण भक्त भगवान के लिए भजन गाते हैं। कृष्ण को माखन मिश्री का भोग लगाया जाता हैं और बाद में इसी प्रसाद को भक्तों में बांटा जाता है।

कब है जन्माष्टमी

श्री कृष्ण जन्माष्टमी को लेकर हर बार की तरह इस बार भी सवाल खड़े हो रहे हैं कि जन्माष्टमी कब है। लोग गूगल (Google) पर सर्च कर रहे हैं कि आखिर जन्माष्टमी कब है? आपको बता दें, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का यह पावन त्यौहार हर बार की तरह इस बार भी 2 दिन पड़ रहा है। गृहस्थ लोगों के लिए 11 अगस्त का दिन व साधु- संतों के लिए 12 अगस्त का दिन शुभ माना जा रहा है। हालांकि कई बार की तरह इस बार अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र एक साथ नहीं पढ़ रहे हैं।

जन्माष्टमी को लेकर तैयारियां

हर साल श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन मंदिरों को खास तौर पर सजाया व संवारा जाता है। लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण के चलते मंदिरों में पहले की तरह शायद रौनक देखने नहीं मिल पाएगे। वही लोग इस बार घर पर कृष्ण जन्माष्टमी को अलग अंदाज से मनाने की तैयारियो में जुटे हैं। 
जन्माष्टमी पर पूरे दिन व्रत रखने का प्रावधान है।  जन्माष्टमी पर लोग 12:00 बजे तक व्रत रखते हैं। मंदिरों में विशेष रुप से झांकियों को सजाया जाता है। कृष्ण जी को झूला झुलाया जाता है। रासलीला का भी आयोजन किया जाता है।

दही-हांडी प्रतियोगिता

श्री कृष्ण जन्माष्टमी के पर्व को हर जगह अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है। कहीं-कहीं तो दही हांडी व मटकी फोड़ प्रतियोगिता का आयोजन भी किया जाता है। दही हांडी प्रतियोगिता में बच्चे बाल गोविंदा बन कर भाग लेते हैं। छाछ ,दही व मक्खन से भरी मटकी को रस्सी की सहायता से ऊंचाई में लटका दिया जाता है। बाल गोविंदा pyramid बनाकर मटकी फोड़ने का प्रयास करते हैं।  आखिर में मटकी फोड़ प्रतियोगिता के विजेता को इनाम देकर सम्मानित किया जाता है।

श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन व्रत रखने का प्रावधान है। ज्यादातर सभी लोग इस दिन व्रत रखते हैं। लेकिन अपनी सामर्थ्य के अनुसार व्रत रखना चाहिए। भगवान कभी किसी को भूखा रहने के लिए नहीं कहते। इसलिए अपनी श्रद्धा के अनुसार व्रत रखना चाहिए। सारा दिन व्रत में कुछ ना खाने से आपके स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। इसलिए भगवान श्री कृष्ण जी के संदेशों को अपने जीवन में अपनाना जरूरी है। यही सही मायनों में त्यौहार मनाने का उद्देश्य है।

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