दोस्तों, हमारे समाज के मुख्य चार धर्मों में से एक धर्म सिख धर्म है जिसकी शुरुआत श्री गुरु नानक देव जी ने की| सिखों के पहले गुरु कहे जाने वाले गुरु नानक देव जी का जन्म हर साल कार्तिक माह की पूर्णिमा को प्रकाश पर्व के रूप में मनाया जाता है| यह प्रकाश पर्व न सिर्फ सिख धर्म के लोगों के लिए मायने रखता है अपितु हिन्दू धर्म के लोगों में इसकी खास एहमियत है| प्रकाश पर्व को गुरु पर्व के नाम से भी जाना जाता है और इस साल यह प्रकाश पर्व 23 नवम्बर को मनाया जा रहा है|
गुरु नानक देव जी का व्यक्तित्व:
गुरु नानक देव जी सिखों के सबसे पहले गुरु होने के साथ साथ एक अत्यंत ज्ञानी महापुरुष और मार्गदर्शक भी थे| उन्होंने न केवल लोगों में एकता का सन्देश दिया अपितु इंसानियत का भी संचार किया| गुरु नानक देव जी एक शांत व्यक्तित्व के स्वामी थे| गुरु नानक देव जी अपने प्रवचनों द्वारा सभी को सद्भावना तथा एकता का सन्देश देते थे| प्रकाश पर्व के इस पवन उत्सव पर आज भी उनके दिए गये उपदेशों को याद किया जाता है|
गुरु नानक जी द्वारा दिए गये मुख्य उपदेश:
गुरु नानक देव जी ने ‘इक ओंकार’ का नारा दिया जिसका अर्थ है कि ईश्वर एक है और हर जगह मौजूद है| हम सभी के परम पिता एक ही हैं, इसलिए हमे सब क साथ प्रेम से रहना चाहिए|
गुरु नानक देव जी ने हमेशा लोगों को हक़ हलाल की कमाई कर के खाने का उपदेश दिया| उन्होंने कहा था की इन्सान को सदा मेहनत कर के ही अपना गुजरा करना चाहिए न की कभी किसी का हक मार लार खाना चाहिए| उन्होंने सम्पूर्ण मानवजाति को न्यायपूर्वक उचित तरीके से धन कमाने का सन्देश दिया तथा कभी भी किसी लोभ में न पड़ने के लिए समझाया| गुरु जी ने हमेशा जरुरतमंदो की यथासम्भव सहायता करने का भी सन्देश दिया|
गुरु जी जातिवाद के सख्त खिलाफ थे, उन्होंने सभी से एकता, भाइचारे तथा प्रेम से रहने का अनुरोध किया| उन्होंने उपदेश दिया की कभी भी किसी का बुरा नहीं करना चाहिए तथा एसी कोई भी बात किसी को नहीं कहनी चाहिए जिससे उसका हृदय दुखी हो क्योंकि हम सब एक परमात्मा की सन्तान है और यदि कोई किसी का दिल दुखाता है तो ये ईश्वर के दिल को दुखाने जेसा है| गुरु जी ने सन्देश दिया की स्त्री तथा पुरुष एक समान है इसलिए सभी को नारीत्व का सम्मान करना चाहिए| उन्होंने बताया की इन्सान को कभी भी अपने जीवन में चिंता नहीं करनी चाहिए क्योंकि तनाव तथा चिंता मनुष्य के व्यक्तिव पर बुरा प्रभाव डालते है| इन्सान को सदैव प्रसन्नचित हृदय रखना चाहिए|
गुरु जी ने उपदेश दिया था की व्यक्ति संसार को तभी जीत सकता है जब वह अपने अंदर को बुराइयों से लड़ कर उनपर विजय हासिल करे| कोई भी इन्सान जब तक खुद को अंतर्मन से स्थिर नहीं बनाएगा तब तक वह अपने लक्ष्य को हासिल नहीं कर सकता| इन्सान को कभी भी अपने मन में अहंकार को जगह नहीं देनी चाहिए क्योंकि अहंकार ही इन्सान का सबसे बड़ा दुश्मन है जो इन्सान को अच्छाई के मार्ग पर आगे बढने से रोकता है| गुरुनानक देव जी पुरे संसार को एक परिवार की भांति मानते थे तथा सबसे अनुरोध करते थे की आपस में प्यार से मिलकर रहें|
निष्कर्ष:
धर्म चाहे कोई भी हो, भगवन को मानने वाले तथा उस से मिलने का रास्ता दिखने वाले फ़क़ीर तथा गुरु हमेशा सच्चाई तथा अच्छाई को अपनाने का सन्देश देते हैं| तो आइये हम सब मिलकर इस प्रकाश पर्व पर प्रण लें की हम सभी एक दुसरे के हित में सोकहेंगे तथा अपने अंदर की बुराइयों को त्याग कर एक सच्चे इन्सान बनेंगे|