एक युवा संन्यासी के रूप में भारतीय संस्कृति की सुगंध विदेशों में बिखेरनें वाले स्वामी विवेकानंद साहित्य, दर्शन और इतिहास के प्रकाण्ड विद्वान थे। स्वामी विवेकानंद ने‘योग’, ‘राजयोग’ तथा ‘ज्ञानयोग’ जैसे ग्रंथों की रचना करके युवा जगत को एक नई राह दिखाई है जिसका प्रभाव जनमानस पर युगों-युगों तक छाया रहेगा। कन्याकुमारी में निर्मित उनका स्मारक आज भी स्वामी विवेकानंद महानता की कहानी बताता है।

स्वामी विवेकानंद का जीवन परिचय

संभव की सीमा जानने का केवल एक ही तरीका है असंभव से भी आगे निकल जाना।

ऐसी सोच वाले व्यक्तित्व थे “स्वामी विवेकानंद”। जिन्होनें अध्यात्मिक, धार्मिक ज्ञान के बल पर समस्त मानव जीवन को अपनी रचनाओं के माध्यम से सीख दी वे हमेशा कर्म पर भरोसा रखने वाले महापुरुष थे। स्वामी विवेकानंद का मानना था कि अपने लक्ष्य को पाने के लिए तब तक कोशिश करते रहना चाहिए जब तक की लक्ष्य हासिल नहीं हो जाए।

तेजस्वी प्रतिभा वाले महापुरुष स्वामी विवेकानंद के विचार काफी प्रभावित करने वाले थे जिसे अगर कोई अपनी जिंदगी में लागू कर ले तो सफलता जरूर हासिल होती है – यही नहीं विवेकानंद जी ने अपने अध्यात्म से प्राप्त विचारों से भी लोगों को प्रेरित किया जिसमें से एक विचार इस प्रकार है –

उठो जागो, और तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य ना प्राप्त हो‘ ।।

स्वामी विवेकानंद ने अपने आध्यात्मिक चिंतन और दर्शन से न सिर्फ लोगों को प्रेरणा दी है बल्कि भारत को पूरे विश्व में गौरान्वित किया है।

स्वामी विवेकानंद जी की जयंती

स्वामी विवेकानंद के जन्म तिथि 12 जनवरी को राष्‍ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाई जाती है। विवेकानंद जी ऐसी महान शख्‍सियत थे जिनका हर किसी पर गहरा प्रभाव पड़ा है।

स्वामी विवेकानंद की जिंदगी के रहस्य:

परोपकार

स्वामी विवेकानंद जी का मानना था कि परोपकार की भावना समाज के उत्थान में मद्द करती है इसलिए सभी को इसमें अपना योगदान देना चाहिए। वे कहते थे कि ‘देने का आनंद पाने के आनंद से बड़ा होता है’।

कर्तव्यनिष्ठा

स्वामी विवेकानंद जी का मानना था कि जो भी करो पूरी शिद्दत से करो नहीं तो नहीं करो । वे खुद भी जो भी काम करते थे पूरी कर्तव्यनिष्ठा से करते थे और अपना पूरा ध्यान उसी काम में लगाते थे शायद इसी गुण ने उन्हें महान बनाया।

लक्ष्य का निर्धारण करना

स्वामी विवेकानंद जी मानते थे कि सफलता पाने के लिए लक्ष्य का होना आवश्यक है क्योंकि एक निश्चित लक्ष्य के निर्धारण से ही आप अपनी मंजिल तक पहुंच सकते हैं।

सादा जीवन

स्वामी विवेकानंद जी सादा जीवन जीने में विश्वास रखते थे । वे भौतिक साधनो से दूर रहने पर जोर देते थे। उनका मानना था कि भौतिकवादी सोच और आनंद इंसान को लालची बनाती है।

डर का हिम्मत से सामना करो

स्‍वामी विवेकानंद का मानना था कि डर से भागने के बजाए उसका सामना करना चाहिए। क्योंकि अगर इंसान हिम्मत हारकर पीछे हो जाता है तो निश्चचत ही असफलता हाथ लगती है वहीं जो इंसान इसका डटकर सामना करता है तो डर भी उससे डर जाता है।

भारतीय नवजागरण के अग्रदूत, भारत के युवाओं के पथ प्रदर्शक, महान दार्शनिक व चिंतक स्वामी विवेकानंदजी को शत्-शत् नमन्। जय हिन्द, जय भारत! वन्दे मातरम!!

 

1 Comment

  1. गिरधर Reply

    बहुत ही ज्ञान वर्धक लेख

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