वर्ष 1947 की 15 अगस्त के दिन का हमारे इतिहास में बड़ा महत्व है। सदियों से हमारा भारत देश अंग्रेजों की दास्तां में था और उनके अत्याचारों से हर कोई वाकिफ था। खुली हवा में सांस लेने को बेचैन भारत में आजादी का पहला बिगुल 1857 में बजा। परंतु कुछ कारणों से हम गुलामी के बंधनों से मुक्त नहीं हो पाए।

आपकी जानकारी के लिए बता दे, आजादी का यह संघर्ष वास्तव में तब अधिक हुआ था, जब माननीय बाल गंगाधर तिलक जी ने कहा था कि स्वतंत्रता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है और हम इस अधिकार को लेकर रहेंगे। इसी बात से प्रभावित होकर ना जाने कितने वीरों ने अपनी आंखें बंद कर ली। ताकि आज यहां पर जन्म लेने वाला हर बच्चा आजाद भारत में आजाद आकाश के नीचे अपनी आंखें खोल सके। बहुत से वीरो ने अपने सिर पर कफन बांध कर देश की आजादी के लिए अपनी कुर्बानी दी और मंजिल एक दिन 15 अगस्त 1947 के रूप में सामने आई और भारत देश आजाद हुआ। तभी से 15 अगस्त के दिन को स्वतंत्रता दिवस के रुप में मनाया जाता है।

कैसे मनाया जाता है स्वतंत्रता दिवस-

इस बार 15 अगस्त 2021 रविवार को लाल किले की प्राचीर से नरेंद्र मोदी देश को संबोधित करेंगे। हर साल 15 अगस्त के दिन लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री के द्वारा देश को संबोधित किया जाता है। इस साल 15 अगस्त के दिन को अलग तरीके से मनाया जा रहा है।

वीरों के त्याग की याद दिलाता हैं-

स्वतंत्रता दिवस का दिन हमें वीरों के त्याग की याद दिलाता है। देश के वीरों की कुर्बानी व बहुत संघर्ष के बाद मिली यह आजादी भारत देश के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। महात्मा गांधी, गोपाल कृष्ण गोखले, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, भगत सिंह, सरदार वल्लभभाई पटेल, डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद, चंद्रशेखर आजाद, सुखदेव, लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक आदि महान वीरो के बलिदान के कारण ही हम आज आजाद भारत देश में चेन की सांस ले पा रहे हैं।

स्वतंत्रता दिवस का महत्व –

भारत देश में स्थित दिल्ली का लाल किला स्वतंत्रता दिवस का प्रतीक है। यहां सबसे पहले 15 अगस्त 1947 को भारत के सबसे पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू जी ने झंडा फहराया था। यह परंपरा आज तक चली आ रही है। इस दिन देश के प्रधानमंत्री लाल किले के प्राचीर पर तिरंगा फहराते हैं इसके साथ ही देश को संबोधित करते हैं।

उद्देश्य-

स्वतंत्रता दिवस मनाने का उद्देश्य यह है कि देश के नागरिक होने नाते स्वतंत्रता का ना तो अपने आप पर दुरुपयोग करें और ना ही दूसरों को करने दे। आपस में सभी एकता व भाईचारे से रहे। लड़ाई व झगड़े से बचे। हम सभी को इस दिन अच्छे नेक कार्य करने चाहिए और देश को आगे बढ़ाना चाहिए। रिश्वत, जमाखोरी व कालाबाजारी को देश से समाप्त करें।

क्या हम सही मायनों में आज आजाद है-

कहने में तो हम सभी स्वतंत्र देश में रहते हैं, हम दिखाते भी कुछ ऐसा ही हैं कि हम खुले विचारों वाले, आजाद सोच व खुले दिल वाले इंसान हैं। लेकिन जब हम हकीकत पर गौर करते हैं, तो नजारा देखने में कुछ और ही दिखाई पड़ता है। यह बात सुनने में बहुत कड़वी जरूर लग रही होगी। परंतु यह सत्य है। जहां आज हम 75वाँ स्वतंत्रता दिवस मनाने की तैयारी कर रहे हैं। वहीं इसमें बहुत कुछ परतंत्र भी है। इतने वर्षों की आजादी के बाद भी हम आज वास्तव में आजाद नहीं है। कहने–सुनने में तो हम आजाद दिख सकते हैं। लेकिन असल में ऐसा नहीं है।

आज आप भारत के किसी भी कोने में चले जाएं। कहीं ना कहीं इस बात की सत्यता को जरूर परखेंगे कि जो जैसा दिखता हैं, वास्तव में वह वैसा नहीं होता। फिर चाहे वह नेता, राजनेता, हमारे रिश्तेदार, सगे-संबंधी या घर परिवार कोई भी क्यों ना हो।

इस बात में बिल्कुल संदेह नहीं कि हमारे देश के वीरो और स्वतंत्रता सेनानियों के कारण हम खुली हवा में सांस ले पा रहे हैं। लेकिन केवल घूमने-फिरने और खुली हवा में सांस लेने से ही हमें संतुष्ट नहीं होना चाहिए।

यह हमारा फर्ज बनता है कि जो सपना हमारे देश के महान वीर जवानों, स्वतंत्रता सेनानियों ने देखा उस सपने को हम सभी मिलकर पूरा करें और अपने भारत देश को सही मायनों में आजाद कराएं।

कुछ कारण जिससे हमारी स्वतंत्रता अधूरी है-

आइए जानते हैं उन कारणों के बारे में जिसके कारण हमारी स्वतंत्रता का मतलब अधूरा है। अगर इन कारणों व कमियों को सुधारा जाए तो हम सच में आजादी के हकदार बनेंगे।

  1. नशों से आजादी – भारत देश में सभी धर्मों के लोग रहते हैं। हर कोई अपने-अपने धर्म को मानता है। लेकिन अफसोस इस बात का है कि धर्मों की बातों को लोग नहीं मानते। हर धर्म में नशो का सेवन करने को लेकर मनाही है। नशे बर्बादी का घर हैं व नशों के कारण घरो के घर बर्बाद हो जाते हैं। गरीबी का एक मुख्य कारण नशा भी है। अगर देश को समृद्ध और शक्तिशाली बनाना है, तो सरकार को सभी नशों पर रोक लगानी चाहिए। इसको रोकने के लिए सख्त कानून लागू होने चाहिए। तभी देश की तरक्की हो सकती है।
  1. मानसिक गुलामी से आजादी – हमारा देश भले ही 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ। लेकिन भारत में बहुत से लोग अभी भी मानसिक रूप से गुलाम है। हमारी भारतीय संस्कृति व परंपरा को छोड़कर अधिकतर लोग आज पश्चिमी सभ्यता को अपना रहे है। यह मानसिक गुलामी का शिकार नहीं होना तो और क्या है। जब तक हम विदेशी कल्चर को अपनाते रहेंगे। तब तक हम अपने देश व अपने आप को आजाद नहीं समझ सकते हैं।
  1. रिश्वतखोरी से आजादी – आज भारत में कुछ पैसों के लिए लोग अपना जमीर तक बेच देते हैं। भ्रष्टाचार को लेकर भारत की स्थिति बहुत खराब व दयनीय है। यहां बहुत से लोग रिश्वत देकर कुछ भी काम करवा सकते हैं। जब तक देश में रिश्वतखोरी भ्रष्टाचार खत्म नहीं होगा। तब तक भारत तरक्की नहीं कर सकता। इसको रोकने के लिए लोगों को जागरूक करने व कडे़ से कड़े कानून लागू करने की जरूरत है।
  1. पाखंडवाद से आजादी – आज के समय में लोग धर्म को कम मानते हैं। लेकिन दिखावा ज्यादा करते हैं। धार्मिक स्थान बनाना गलत नहीं है। परंतु जिस देश में शिक्षा से अधिक धार्मिक स्थानों को बनाने में जोर दिया जाता हो, वहां विकास डावाडोल स्थिति में ही रहता है। धर्म को मानना गलत नहीं है। लेकिन धर्म की बात भी माननी जरूरी है। पाखंडवाद को छोड़कर शिक्षा प्रणाली पर ध्यान देना जरूरी है।

अगर हम सभी देशवासी मिलकर इन कमियों व कारणों पर विचार करें और इनमें सुधार लाए। तो एक दिन सच में हम देशवासी बहुमूल्य आजादी के हकदार बनेंगे और वीरों के बलिदान को व्यर्थ नहीं जाने देंगे।

निष्कर्ष-

15 अगस्त को देश आजादी का जश्न मनाता है यह दिन होता है उन वीरों को याद करने का जिन्होंने देश को आजादी दिलाने का अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया हमें कभी नहीं भूल सकते कि आजादी पाने को लाखों लोगों ने अपनी जान गवाई थी। आखिर में आप सभी को 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस की बहुत-बहुत शुभकानाएं। अपने लोकतंत्र के इस सर्वश्रेष्ठ त्यौहार को उपरोक्त बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए भविष्य में एक वास्तविक स्वतंत्रता दिवस को मनाने के हकदार बने। जय हिन्द, जय भारत!

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