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happy father's day - Exclusive Samachar

Father’s Day 21 जून 2020

मां और बाप दोनो जिंदगी के अनमोल तोहफे हैं। मां बाप हर बच्चे के पहले गुरु होते हैं। बच्चा जैसे ही गर्भ में आता है तो माँ बाप को उसकी बहुत परवाह होती है, मां बाप सपने संजोते हैं, और जैसे ही बच्चा पैदा होता है तो फिर तो माँ की ममता और बाप का प्यार पूरी तरह से अपने बच्चे के लिए छा जाता है।मां को भगवान का दर्जा दिया गया है हमारे धर्मों में। मां हमें जन्म देती है ओर पिता पालनहार होता है। जिस तरह दुनिया मां के सम्मान में mother’s day मनाती है , उसी तरह पिता के सम्मान में father’s Day मनाया जाता है।हर वर्ष जून महीने के तीसरे रविवार को Father’s Day मनाया जाता है।

कैसा होना चाहिए एक पिता को अपने बच्चों के लिए

How a father should be? - Exclusive Samachar

मां और बाप दोनो का प्यार और उनकी सही सलाह बच्चे के लिए सबसे बड़ा सहयोग होती है, क्योंकि हम बात कर रहे हैं father’s day पर तो एक पिता को अपने बच्चों के साथ एक दोस्त की तरह रहना चाहिए ,ताकिआपके बच्चे आपके साथ हर छोटी छोटी बात करें।क्योंकि शुरू से ही अगर आपके बच्चे आपके साथ हर छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी बात शेयर करेंगे तो आपको उनके बारे में सब पता होगा, उनके friend circle का ज्ञान होगा। अगर आपको लगता है कि आपका बच्चा गलत संगत में पड़ रहा है , तो आप उसे समझाकर अच्छे नेक रास्ते पर लेकर जाएंगे।क्योंकि वो बच्चा आपका खून है और मां बाप कभी भी अपने बच्चे को गलत रास्ते पर नही लेकर जाएंगे।आपका बच्चा कभी भी अकेलापन महसूस नही करेगा।

चाहे बेटा है या बेटी आप उसे अच्छे नेक संस्कार दे ताकि वो हर अच्छे नेक क्षेत्र में आपका नाम रोशन कर दे

इसके लिए fathers को एक छोटा सा काम करना होगा।आप राक्षश पिता मत बनिये बल्कि बहुत cool और एक best friend की तरह अपने बेटे और बेटी के साथ रहिए।हां, अगर आपका बच्चा कोई गलती करता है तो उसे प्यार से समझाइए की नही बेटा, ये सही है और ये गलत ।

Father’s Day Kaise Manaye Jata Hai?

अपने पिता के लिए जो प्यार एक बेटा या बेटी का होता है वो वाकई बयान नही किया जा सकता।
आप अपनी तरफ से अपने father को बहुत सारे गिफ्ट दे सकते हैं। अपने पिता का हमेशा सम्मान कीजिये।Fathers Day को Cake काटकर,  अच्छे-2 Gifts देकर , Greetings देकर मनाया जाए तो कहना ही क्या है और इसके साथ ही ये प्रण किया जाए कि पिता का सम्मान हमेशा करेंगे तो फिर कहना ही क्या।

कोरोना काल में कैसे मनाये Father’s Day

इस कोरोना काल में बाहर न निकलना ही अच्छा है ।इसलिए बेहद जरूरी है कि आप घर पर रहकर ही 21 जून के दिन Celebrate करें।घर पर Cake बना सकते हैं जैसे मिल्क केक काफी अच्छा Option है।इसके अलावा अपना समय अपने  पिता के साथ बिताएं, अगर कभी कुछ गलत बोला गया हो तो उसके लिए अपने पिता से माफी मांगे।हर ऐसा नेक कार्य करें जिससे आपके पिता को बेहद खुशी हो और आप पर गर्व हो ।

कब हुई रक्तदाता दिवस मनाने की शुरुआत

आइए blood donation ke fayde को जानने से पहले विश्व रक्तदाता दिवस पर कुछ रोचक तथ्यों के माध्यम से जाने। इस दिवस को मनाने की शुरुआत सबसे पहले वर्ष 2004 में की गई। वर्ष 1997 में World Health Organisation (WHO) ने  100 फ़ीसदी स्वैच्छिक रक्तदान की शुरुआत की। उनका लक्ष्य ये था की विश्व के 124 देश अपने यहाँ स्वैच्छिक रक्तदान को बढ़ावा दे। उनका उद्देश्य था की ख़ून की जरूरत पड़ने पर किसी को भी पैसे देने की जरूरत ना पड़े लेकिन इस पर लगभग 49 देशों ने ही अमल किया। कई देशों में 80 प्रतिशत रक्त दाता पैसे नहीं लेते। लेकिन कई देश ऐसे भी हैं जहाँ रक्तदाता पैसे लेते हैं इसमें भारत भी शामिल है, और वहीं कुछ देश ऐसे भी है जहां रक्तदाता निशुल्क रक्तदान करते हैं।

आखिर 14 जून को ही रक्तदान दिवस क्यों मनाया जाता है?

कार्ल लैंडस्टाइनर एक महान वैज्ञानिक थे। जिनका जन्म 14 जून 1868 में हुआ था। उन्होंने मानव रक्त में उपस्थित  एग्लूटिनिन की मौजूदगी के आधार पर  रक्तकणों का अलग अलग समूहों A,B,O में वर्गीकरण कर  चिकित्सा विज्ञानं में अपना अहम योगदान दिया। जिसके बाद से ही ब्लड ग्रुप का पता लगाना आसान हुआ। वर्ष 1930 में इनको नोबल पुरष्कार से भी  सम्मानित किया गया। इस कारण हर वर्ष  रक्तदान को बढ़ावा देने व रक्तदाताओं का धन्यवाद करने के लिए  14 जून को सारी दुनिया में  वर्ल्ड डोनर डे मनाया जाता है।

रक्तदान करना क्यों जरूरी है?

रक्तदान करना आज कई कारणों से जरूरी होता जा रहा है, क्योंकि रक्तदान से खून का थक्का नहीं जमता इससे खून कुछ मात्रा में पतला हो जाता और दिल की बीमारियां होने का खतरा नहीं रहता।इस से दूसरों को जीवनदान दिया जा सकता है। अब तक किसी ऐसी मशीन का पता नहीं लगा है जो कृत्रिम खून तैयार कर सके। किसी रक्तदाता के द्वारा रक्तदान करने पर ही खून की कमी को पूरा किया जा सकता है। हर साल करोड़ों लोगों को रक्त की जरूरत होती है पर कुछ नसीबवालों को ही रक्त मिल पाता है। सिकल सेल के मरीज को कई बार ब्लड डोनेशन की जरूरत पड़ती है। अकेले एक कार एक्सीडेंट में ही 100 यूनिट रक्त की जरूरत पड़ सकती है।एक बार ब्लड डोनेशन करने से या 3 जिंदगियां बचाई जा सकती हैं। 

रक्तदान को लेकर भ्रातियाँ

‘रक्तदान करेंगे तो कमजोर हो जाएंगे’ लेकिन ऐसा नहीं है एक या 2 दिन में पूरी तरह से पिछली हालत में पहुंचा जा सकता है।

‘रक्तदान करने के बाद सामान्य तरीके से काम नहीं कर पाएंगे’ बिल्कुल कर सकते हैं सिर्फ 12 घंटे तक  heavy exercise ना करें 

‘काफी वक्त निकाल लिया जाएगा’ सिर्फ (1 unit)350ml रक्त ही लिया जाता हैं। एक औसत व्यक्ति के शरीर में 5 से 6 लीटर (10 unit) खून होता है। रक्तदान करना बहुत ही आसान है।इस से डरने की जरुरत नहीं है।

‘ब्लड प्रेशर ज्यादा रहता है इसलिए ब्लड डोनेट(Blood Donate) नहीं कर सकते’ अगर रक्तदान के समय रक्तचाप 180 सिस्टॉलिक और 100 डायस्टॉलिक है, तो आप ब्लड डोनेट कर सकते हैं।

रक्तदान कैसे किया जाता है

सबसे पहले आप का रजिस्ट्रेशन होता है। आपका नाम, उम्र, पता आदी जानकारी ली जाती है।

Medical History ली जाती है।

आपका mini-physical चेकअप किया जाता है। जिसमें आपका ब्लड प्रेशर,  pulse rate,weight, temperature,  ब्लड ग्रुप और Hemoglobin लेवल की जांच की जाती है।

कुछ सावधानियां बरतें

1.जहां से ब्लड डोनेट किया है, सुई लगने की जगह को 10 से 15 मिनट तक दबाकर रखें।

2.अगले 4 घंटे खूब सारा तरल पदार्थ लेना चाहिए, जैसे-पानी ,नींबू पानी, जूस, दूध छाछ आदि।Heavy एक्सरसाइज 1 दिन तक नहीं करनी सिगरेट 30 मिनट तक नहीं पीनी चाहिए।

3.30 मिनट तक गाड़ी ना चलाएं।खाना रोज जितनी मात्रा में ही लेना चाहिए। शराब 6 घंटे तक नहीं पीनी चाहिए।

4.खून देने के बाद अगर चक्कर आए तो लेट जाएं और अपने पैरों को ऊपर उठा ले और खूब पानी पिएं।

blood donation ke fayde - Exclusive Samachar

 रक्तदान कौन कर सकते हैं?

1.कोई भी स्वस्थ व्यक्ति जिसकी उम्र 18 साल से 65 साल के बीच की हो वह रक्तदान कर सकता है।

2. जिसका वजन 45kg से अधिक हो वो रक्तदान कर सकता है।

3.जिसने पिछले 3 महीने से रक्तदान नहीं किया वह रक्तदान कर सकता है।

4. जिसे पीलिया, मलेरिया मधुमेह, एड्स, एचआईवी हेपेटाइटिस बी या सी जैसी बीमारियां ना हो वह रक्तदान कर सकते हैं। 

5.रक्तदाता ने शराब या कोई नशीली दवा नाली हो।

6. रक्तदाता की पल्स रेट 50 से 100/min के बीच हो। 

7.शरीर का तापमान 99.5°F से कम हो।

8. खून में हीमोग्लोबिन की मात्रा 12.5 gm/dl से ज्यादा होना  चाहिए।

9. पुरुष 90 दिन और महिलाएं 120 दिन बाद दोबारा ब्लड डोनेट कर सकते हैं।

कौन नहीं कर सकता रक्तदान

1.बच्चों को स्तनपान करने वाली महिला।

2. महावारी के दौर से गुजर रही महिला।

3. पिछले ब्लड डोनेशन के समय काफी चक्कर या थकावट महसूस की हो।

4. अगर आपको कोई drug addiction हो तो आप ब्लड डोनेट नहीं कर सकते

रक्तदान के फायदे

blood donation ke fayde: वैसे तो हम में से अक्सर कई लोग ब्लड डोनेट करते हैं ऐसा करके लोगों की जान बचाई जा सकती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ब्लड डोनेट करना हमारे लिए कितना फायदेमंद है।आइए जानते हैं रक्तदान के फायदे:-

मोटापे से बचाव: नियमित ब्लड डोनेट करने से कैलरी और फैट तेजी से burn  होता है, जो मोटापे से बचाता है। 

Iron Level: नियमित तौर पर ब्लड डोनेट करने से आयरन लेवल बैलेंस रहता है जिस से hemochromatosis बीमारी से बचाव होता है।

कैंसर से बचाव: खून में ब्लड का लेवल maintain रहने और नए tissue बनने से कैंसर से बचाव होता है।

हेल्दी हार्ट और लीवर: शरीर में ज्यादा आयरन जमा होने से हर्ट और लीवर डैमेज होने का खतरा बना रहता है लेकिन नियमित ब्लड डोनेट करने से इससे बचा जा सकता है।

बेहतर ब्लड सरकुलेशन:नियमित ब्लड डोनेशन से रक्त का    circulation  अच्छा रहता है इससे शरीर में ऑक्सीजन की सप्लाई अच्छे से होती है।

हार्ट अटैक से बचाव: ब्लड सरकुलेशन अच्छा होने से  arteries में  blockage or clotting की समस्या नहीं होती इसे heart attack होने का खतरा नहीं रहता।

New Blood Cell:Blood डोनेट करने से हुई कमी को दूर करने के लिए तुरंत  नए ब्लड सेल बनने लगते हैं जिससे स्वास्थ्य अच्छा रहता हैं।

Cholesterol or B.P. control:नियमित तौर पर blood donate करने से cholesterol level भी कम रहता है, और बीपी भी कम रहता है।

Health checkup: ब्लड डोनेशन के दौरान ब्लड की जांच भी होती है जिससे बीमारियों के बारे में पता चल जाता हैं।

Healthy Brain:Research में पाया गया कि नियमित ब्लड डोनेट करने से इंसान को खुशी मिलती है जिस से  Brian healthy होता हैं ।

आइये आज हम जानते है विश्व पर्यावरण दिवस से जुड़ी सम्पूर्ण जानकारी। वैसे तो आप सब जानते ही होंगे, कि सम्पूर्ण विश्व में ५ जून का दिन विश्व पर्यावरण दिवस के रूप में मनाया जाता हैं। लेकिन आज हम इस विषय से जुड़ी हर रोचक जानकारी आपके सामने प्रस्तुत करने जा रहे हैं।
जो शायद आपने आज तक ना सुनी हो।

पर्यावरण दिवस की शुरुआत

पर्यावरण प्रदूषण की गम्भीर समस्या पर सन 1972 में संयुक्त राष्ट्र संघ (UN) ने स्वीडन में संपूर्ण विश्व के देशों का पहला पर्यावरण सम्मेलन आयोजित किया गया। जिसमें ११९ देशों द्वारा भाग लिया गया।

इसी सम्मेलन में पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण हेतु नागरिकों को अवगत कराने का निर्णय लिया गया और संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) की स्थापना की गई।
उस समय संयुक्त राष्ट्र 5  से 16 जून तक मानव संयुक्त राष्ट्रीय कार्यक्रम (UNE) और आम सभा के द्वारा पर्यावरण दिवस की स्थापना की गई।

इसी दिन से प्रतिवर्ष 5 जून का दिन विश्व भर में पर्यावरण दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।
पर्यावरण के प्रति जागरूकता और राजनीतिक चेतना जागृत करने के लिए यह दिवस मनाया जाता हैं ।

पर्यावरण दिवस बनाना क्यों हुआ अत्यंत जरूरी

अक्सर माना जाता है कि पर्यावरण और हमारे जीवन का अटूट सम्बंध हैं, लेकिन फिर भी हमारे लिए अलग से पर्यावरण की सुरक्षा और विकास का संकल्प लेना अति आवश्यक हैं।
यह हमारे लिए अत्यंत शर्मनाक बात हैं।

 क्योकि हम ख़ुद को अपनी रोजमर्रा की ज़िंदगी मे कुछ इस तरह से व्यस्त कर लेते है कि कुदरत के उपहार इस सुंदर प्रकृति जिसमें अलग अलग वनस्पति है, आसमान है, के बारे में सोच ही नही पाते, नतीजा यह होता है कि इससे पर्यावरण को अत्यंत क्षति पहुँचती है। और ये हमारे लिए ही घातक हो जाता है।

इस सम्बंध में इंदिरा गांधी जी के विचार

तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जी ने पर्यावरण की बिगड़ती हालत को लेकर अपनी चिंताओं को जाहिर किया था।
अंतरास्ट्रीय स्तर पर पर्यावरण की सुरक्षा के लिए भारत का ही पहला क़दम माना जाता हैं, जो कि हमारे लिए अत्यंत गौरव की बात हैं।

विश्व भर में यह दिन कैसे मनाया जाता है

पर्यावरण दिवस का संचालन संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के द्वारा किया जाता हैं।

यह सम्मेलन प्रत्येक वर्ष अलग-अलग शहरों द्वारा अलग-अलग theme  के साथ किया जाता हैं।

पर्यावरण दिवस पर 2016 की theme “जीवन के लिए वन्यजीवन में ग़ैरकानूनी व्यापार के खिलाफ संघर्ष” के अनुसार सभी देशों के लोगो को साथ मिलकर जलवायु परिवर्तन के साथ मुकाबला औऱ जंगलो को सुधारने के लिए समझौता था।

पर्यावरण दिवस का विश्व भर में जश्न

प्रतिवर्ष पर्यावरण दिवस पूरे विश्व में धूमधाम से मनाया जाता हैं, इस दिन भिन्न-भिन्न प्रकार की गतिविधियां लोगों द्वारा देखने को मिलती हैं।
जैसे कि –

पर्यावरण संरक्षण के लिए विद्यार्थियों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन करना जिसमें
वृक्षारोपण करना,कला व चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन करना इत्यादि के साथ
 साथ प्रश्नोतरी प्रतियोगिता, वाद-विवाद, निबन्ध लेखन, भाषण जैसी अनेकों क्रियाएँ इस दिन की जाती हैं।

विश्व पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य में 2009 में चेन्नई और बैंगलोर में पर्यावरण के अनुकूल बुनियादी ढ़ांचे और ग्लोबल वार्मिंग पर अंकुश लगाकर, सभी के लिए ई-कचरा के प्रबंधन के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम, वन्य जीव संरक्षण, वर्षा के पानी का संरक्षण, ऊर्जा स्त्रोतों का पुनः उपयोग और अन्य प्रतियोगिताओं के माध्यम से मेले का निर्माण किया गया था।

पर्यावरण दिवस बनाने का लक्ष्य

विश्व पर्यावरण दिवस की स्थापना वास्तव में हमारे ग्रह को सुंदर बनाने के लिए अनेकों योजनाओं और उद्देश्यों के साथ हुई थी।

क्योकि पर्यावरण की तरफ ध्यान केंद्रित करना , पर्यावरण को स्वच्छ रखना, पर्यावरण को प्रदूषण मुक्त रखने के लिए पर्यावरण के लिए एक विशेष कार्यक्रम की स्थापना करना अत्यंत आवश्यक था।

यह दिवस हमें स्वस्थ जीवन के लिए स्वस्थ पर्यावरण के महत्व को समझाता हैं।
साथ ही सम्पूर्ण विश्व में पर्यावरण के अनुकूल विकास के लिए लोगों को प्रेरित करने में मदद करता हैं।

इस दिन का सबसे महत्वपूर्ण लक्ष्य मनुष्यों को पर्यावरण के प्रति सचेत करने का हैं ।
यह दिन लोगों को सिखाता है कि सभी राष्ट्रों के लोगों के सुरक्षित औऱ समृद्धशाली भविष्य की उपलब्धता के लिए पर्यावरण का संरक्षण करना अंत्यंत आवश्यक हैं।

कैसे मनाया जाना चाहिए पर्यावरण दिवस

नाम से ही विदित है कि हमारे चारों और का वातावरण।

प्रकृति ने हमें बिल्कुल फ्री में ये पर्यावरण ,ये पेड़ पौधे, ऑक्सीजन दी है। कितने ही साल हम फ्री में ऑक्सीजन लेते है 

हमारा भी फ़र्ज़ है कि हम अपने आस पास के वातावरण को स्वच्छ रखें और ज्यादा से ज्यादा पेड़ पौधे लगाएं।

रोचक बात

गर सभी ये प्रण कर लें कि हम हर साल अपने इस महत्वपूर्ण दिन जो हमें सबसे प्यारे हैं, उन दिनों में पेड़ लगाएंगे और उनकी सम्भाल करेंगे।

तो मुझे लगता है धरती स्वर्ग जन्नत बन जाएगी। एक अलग ही आभा होगी धरती की और एक अलग ही खुशबू होगी आसमान में।

निष्कर्ष

हमारे पर्यावरण की स्तिथि दिन प्रतिदिन प्रदूषण की वजह से खराब होती जा रही हैं।

आज शहरों में शुद्ध वायु बिल्कुल भी नहीं मिल पाती हैं, काफ़ी लोग प्रतिवर्ष पर्यावरण प्रदूषित होने की वजह से अपनी जान तक गवा बठते है।

हमारे देश के हर नागरिक का यह कर्तव्य बनता है कि वह पर्यावरण की अच्छे से सुरक्षा करें।
अपने आस पास हरियाली औऱ वातावरण को स्वच्छ बनाएं रखें।

पूरे देश में September 2019 से नया Motor Vehicle Act लागू हो गया है, जिसके नियम हमारी सुरक्षा के नज़रिए से सही बने हैं। जी हां, आजकल जगह-जगह हेलमेट न लगा होने की वजह से चालान काटने की बातें सामने आ रही हैं , इसी बीच AC Helmet ने market में एक नई क्रांति ला दी है।

Importance of Helmet in Hindi – Helmet Ka Mahatva

आज के समय में branded चीजों का बहुत चलन है और अब मोटर व्हीकल एक्ट लागू होने के कारण दुपहिया वाहनों में हेलमेट लगाना compulsory हो गया है, यही कारण है कि अब हेलमेट के लिए लोगों की जागरूकता बढ़ी है सुरक्षात्मक सामग्री के रूप में हेलमेट वाकई important है, मानव मस्तिष्क की रक्षा करने में हेल्मेट वरदान है।

कई बार हेलमेट हम खरीद तो लेते हैं लेकिन उनके अंदर का material अच्छा नहीं होता, जिससे वो रक्षा नहीं हो पाती जो होनी चाहिये, इसलिए branded और अच्छी quality का हेलमेट खरीदें। और तो और अब AC Helmet भी मार्किट में उपलब्ध हो गए हैं।

AC Helmet अलग-अलग मॉडल में मार्किट में sale हो रहा है, model wise इसकी अलग अलग कीमत रखी गयी है।

इस special helmet की कीमत 2000 रुपये से start है।

ac helmet and importance of wearing helmet

आजकल युवा हेलमेट के लिए क्यों crazy हैं?

आजकल बड़े बड़े cinemas, hotels और घरों में air purifiers का use होने लगा है।

इसके साथ ही अब bike ride करते time भी आप धूल, प्रदुषित हवा से अपने आप को बचा पाएंगे और अब गर्मी में helmet लगाने से पसीना नहीं आएगा और साथ ही साथ प्रदूषित हवा भी आपकी body में नहीं जाएगी। यही कारण है की आज के नौजवान इसे बहुत पसंद कर रहे हैं।

Bike lovers को हेलमेट लगाने पर गर्मी का सामना करना पड़ता था, और daily up-down जो लोग bike पर करते हैं उनको प्रदूषित हवा से होने वाली एलर्जी और दिक्कतों का सामना अब नही करना पड़ेगा।

ये AC Helmet temperature को 15 डिग्री तक कम कर सकता है।

Profits and Qualities of Air Conditioner & Purifier Helmet

World का पहला ऐसा helmet जो bike riders को cool air तो provide करता ही है साथ में air को भी purify करता है।

हम सभी इस बात से विदित हैं कि दिल्ली जैसे बड़े शहरों में ज्यादा vehicles, factories होने के कारण air quality बहुत ज्यादा खराब हो रही है। जो हमारी health, हमारे lungs के लिये बहुत हानिकारक साबित होती है इन समस्याओं से निजात पाने के लिए इस helmet को market में launch किया गया है, जो ठंडी हवा के साथ-साथ इस helmet में मौजूद filter की सहायता से bike rider को pollution से safe रखेगा।

हेलमेट का हेलमेट, cool and fresh filter air यानि सभी काम एक साथ।

एक खास बात और कि ये हेलमेट चार्ज हो सकता है, और इनकी battery backup capacity है 10 hours की।

बड़ी दुर्घटनाओं से बचने के लिये करना ही होगा हेलमेट का इस्तेमाल, इसलिए सबसे पहली बात हेलमेट अच्छी quality और अच्छी company का हो और अगर आप metro city में रह रहे हैं या आप daily up-down में धूल, मिट्टी, गर्मी और प्रदूषित हवा से परेशान हैं तो देखिए ,परखिये और खरीदिये AC and Air Purifier Helmet को।

 

भारतीय सेना प्रमुख ‘बिपिन रावत’ आगामी 31 दिसंबर को रिटायर हो रहे हैं, और इस कारण नए सेना अध्यक्ष की नियुक्ति प्रक्रिया को आरंभ कर दिया गया है।

सेना अध्यक्ष की नियुक्ति में अनेक नाम चर्चा में है ,परंतु उन सभी नामों की लिस्ट में अग्रणीय हैं- लेफ्टिनेंट जनरल एम एम नरावने, लेफ्टिनेंट जनरल रणबीर सिंह तथा लेफ्टिनेंट जनरल एस के सैनी।

यह जानना बेहद ही रोमांचक है कि आखिर किस प्रकार सेनाध्यक्ष की नियुक्ति की जाती है |

परंतु उस से पहले एक प्रकाश वर्तमान सेना अध्यक्ष ‘बिपिन रावत’ के जीवन पर

Life History of Army Chief

उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में जन्मे बिपिन रावत की शुरुआती पढ़ाई Dehradun व Shimla से हुई ,उसके बाद वो ‘Indian Military Academy‘ चले गए जहाँ उन्हें प्रतिष्ठित ‘सोर्ड ऑफ ऑनर’ से सम्मानित किया गया । जनरल रावत ने ‘Chaudhary Charan Singh University‘ से P.hd. की degree ली है।

 

General Bipin Rawat Exclusive Samachar

Achievements of General Rawat

अभी तक रावत जी को विशिष्ट सेवा मेडल, युद्ध सेवा मेडल, थल सेना अध्यक्ष की विशेष उपाधि से सम्मानित किया जा चुका है। इन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान पूर्वी सेक्टर व line Of Actual Control के अलावा पूर्वोत्तर राज्य व भारत प्रशाशित कश्मीर में भी फ़ौज को कमांड किया है।

रावत भारतीय सेना की दक्षिण कमान के ‘General Officer Commanding-in-Chief‘ भी रह चुके हैं।

अतः कुल मिलाकर इनका जीवन बेहद सम्मान-जनक बीता है ,अब जैसा कि रावत जी 31 दिसंबर को रिटायर हो रहे हैं तो नियम के अनुसार वर्तमान सेना अध्यक्ष के रिटायर होने से 4-5 महीने पूर्व ही नए सेना अध्यक्ष की नियुक्ति प्रकिया को आरंभ कर दिया जाता है व नए सेना अध्यक्ष की नियुक्ति में रक्षा मंत्रालय का दख़ल बेहद कम होता है।

नए सेना अध्यक्ष की नियुक्ति पर आख़िरी फ़ैसला PM Narendra Modi के नेतृत्व वाली cabinet की नियुक्ति कमेटी ही लेगी।

Aadhar Card Update Kaise Kare: Aadhar card आज के  समय का एक महत्वपूर्ण Document है। पिछले साल तक तो यह केवल सरकारी कामों के लिए आवश्यक था। लेकिन अब ऐसा नहीं है, अब यह हमारी आम जिन्दगी पर आधारित हो गया है।

आपके जीवन का एक महत्वपूर्ण दस्तावेज

आधार कार्ड आज का एक जरूरी पहचान पत्र है। Aadhar Card पर 12 अंको का Unique Identification Number होता है। जिसे Central Government नियन्त्रित करती है। आज भी कई लोगो के पास आधार कार्ड नहीं है और जिनके पास है उनमें बनाते वक्त कई गलतियां हो जाती है।
लेकिन problem तब हो जाती है जब हमे अचानक ही Aadhar Card की जरूरत पड़ती है और हमें उसे online निकलवाना पड़ता है। ऐसे वक्त में कई बार हमारी महत्वपूर्ण जानकारी उस पर update नहीं होती जैसे कि phone number, email id। खास बात यह है कि ये सभी जानकारी आप खुद भी update कर सकते हैं अपने Aadhar card पर। तो आइए आज हम जानते हैं Aadhar Card update करने का तरीका-
Aadhar Card Update Kaise Kare exclusive samachar

How to Check Aadhar Process Status

अगर आपने Aadhar Card बनवाने के लिए apply किया है या इसकी details बदलवाने के लिए apply किया है तो आप ये जरूर जानना चाहेंगे कि ये process कहाँ तक पहुंचा है?

आधार के लिए Apply/Enroll करने के बाद 90 दिन का समय लगता है। इसी बीच UIDAI  की website पर जा कर Aadhar Status चेक भी  किया जा सकता लेकिन इसके लिए आपके पास Aadhar के लिए apply करते वक्त Aadhar center से मिली Enrollment Slip होनी चाहिए।

अपना Aadhar Card Update करने के लिए आप नीचे दिए गए steps follow कर सकते हैं।

1. सबसे पहले UIDAI पर जाए।

2. ‘My Aadhar’ Section में check Aadhar Status पर click करें।

3. अब दिए गए निर्धारित space में Enrollment number डालें। यह 14 अंको का नम्बर होता है और Enrollment slip
के top पर होता है। Enrollment number डालने के बाद captcha code डालें।

4. उसके बाद check Status पर click करें।

5. अगर आपका Aadhar Card process में है तो इसका message show होगा। अगर Aadhar बन गया है तो आपके पास notification show होगा। अगर Aadhar बनवाते वक्त आपने phone number register करवाया है तो आधार बनने के बाद UIDAI की ओर से आपको message भेजा जाता है। आप चाहे तो UIDAI की official website से भी इसे download कर सकते हैं।

Lost Aadhar Enrollment Slip?

अगर आप की enrollment slip खो गई है तो यह तरीका आसान रहेगा।

आईये हम आपको बताते है कि अगर आपकी Enrollment slip खो गई है तो आप इन steps से दोबारा पा सकते हैं। लेकिन इसके लिए आपका Mobile Number Aadhar से linked होना चाहिए।

1.  UIDAI official website पर जा कर Aadhar Enroll, Section में Retrieve Lost UID/EID Option पर क्लिक करें।

2.  इसके बाद एक नया page खुलेगा। इसमें Aadhar no. (UID) या Enrollment no. (EID) में से किसी एक पर क्लिक करें।

3. निर्धारित Space में अपना नाम, Aadhar से linked  Mobile number या Email ईद व Security code डालें। Security code डालने के बाद आपके registered mobile number या Email पर एक OTP आएगा। इसे दिए गए स्पेस पर डालें।

OTP डालने के बाद उसे Verify करना होगा। Verification हो जाने पर आपको Enrollment number, phone/email पर मिल जायेगा, जिससे आप अपनी aadhar card details update कर सकते हैं।

 

देश में आज सही मायनों में आज़ादी को मान्यता मिली है। आज भारत का स्वर्ग, ‘कश्मीर‘ पूर्णतया भारत का हो गया है।

 

जी हाँ हम बात कर रहे हैं आज की सबसे खास और बड़ी खबर की। जम्मू-कश्मीर में लागू धारा 370 और 35A को पूर्ण रूप से हटा दिया गया है। हालांकि धारा 370 का एक खण्ड अभी भी राज्य में मान्य है।

 

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पहले राज्यसभा तथा फिर लोकसभा में केंद्र सरकार द्वारा इस फैसले को pass करने की जानकारी दी है। गृह मंत्री ने कहा कि अब जम्मू और कश्मीर राज्य से Article 370 और 35A हटा दी गयी है। सरकार के इस फैसले से जहां दूसरे राज्यों में खुशी का माहौल है, वहीं काफी विपक्षी दल इस बात से परेशान नज़र आ रहे हैं।

 

 

धारा 370 हटने के बाद से अब नए दो केंद्र शासित प्रदेश भारत में बन गए हैं। जिनमें से एक जम्मू-कश्मीर है व दूसरा लद्दाख है। सरकार के फैसले के अनुसार जम्मू-कश्मीर राज्य में विधानसभा होगी तथा वहां राज्य सरकार भी बनाई जाएगी। किंतु लद्दाख में कोई भी राज्य सरकार या विधानसभा नहीं होगी।

 

धारा 370 के हटने से 35A भी स्वतः ही खत्म हो गई है यानि अब जम्मू-कश्मीर में विशेष नागरिकता का अधिकार समाप्त हो गया है।

 

धारा 370 हटने के बाद से जम्मू-कश्मीर असल मायनों में भारत का प्रदेश घोषित हुआ है तथा वहां भी अब भारत का ही सविंधान लागू होगा। जम्मू-कश्मीर का सविंधान अब खत्म हो चुका है। अब दूसरे राज्यों के नागरिक भी जम्मू-कश्मीर में रहने के लिए जमीन ले सकते हैं व अब उन्हें वहां नौकरी करने का भी अधिकार है।

 

इस से पहले विशेष नागरिकता के आधार पर कश्मीर की बेटियों के साथ पक्षपात होता आ रहा है अर्थात किसी गैर-कश्मीर नागरिक से शादी करने पर जम्मू-कश्मीर में रहने वाली बेटी अपनी नागरिकता और सम्पति पर से अधिकार खो बैठती थी। किंतु अब ऐसा नहीं होगा। धारा 370 खत्म होने के बाद जम्मू-कश्मीर राज्य की बेटियां अब किसी और राज्य के नागरिक से विवाह कर सकती हैं।

 

धारा 370 के खत्म होने से जम्मू-कश्मीर में तनावपूर्ण स्थिति होने के आसार है जिसके चलते घाटी में और ज्यादा army के जवान भेजे जा चुके हैं। Article 370 और 35A के समाप्त होने से बहुत से लोगों को खासा धक्का भी लगा है और इस वजह से जम्मू-कश्मीर में विद्रोह की आशंका जताई जा रही है। कुछ अलगाववादी दल घाटी के लोगों में अफवाह फैलाने की कोशिश भी कर रहे हैं। किंतु सरकार द्वारा किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पहले से ही वहां सैनिक बल तैनात किए जा चुके हैं।

 

अनुच्छेद 370 को लेकर गृह मंत्री ने कहा कि अब तक जम्मू-कश्मीर में इस धारा की वजह से 41 हजार जाने जा चुकी है क्योंकि article 370 आंतकवाद को बढ़ावा देने का एक कारगर तरीका था। इसके चलते घाटी में कोई भी अपने आप को सुरक्षित महसूस नहीं करता था।

 

इस फैसले के बाद से Indian constitution के according जम्मू-कश्मीर में भी सरकार का कार्यकाल अब 6 वर्ष की बजाय 5 वर्ष ही हो जाएगा और अब वहां भी भारतीय तिरंगा शान से लहराएगा।

आज 14 जून को, विश्व भर में वर्ल्ड ब्लड डोनर डे, यानी विश्व रक्त्दाता दिवस मनाया जा रहा। यह दिवस हर साल रक्त दान के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए, इससे जुड़ी भ्रांतियों को दूर करने के लिए, तथा लोगों को स्वैच्छिक रक्त दान करने के लिए प्रोत्साहन देने के लिए मनाया जाता है।

 

इस वर्ष का विषय- “सभी के लिए सुरक्षित रक्त”

हर साल विश्व स्वास्थ्य संगठन यानि वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईज़ेशन द्वारा इस दिन किसी 1 विषय पर ख़ास महत्त्व दिया जाता है, इस वर्ष का विषय है – “रक्तदान और सुरक्षित रक्त आधान तक सभी की पहुँच” और इसके लिए जो नारा विकसित किया गया है, वह है – “सभी के लिए सुरक्षित रक्त”। यह थीम पूरी दुनिया में अधिक लोगों को रक्त दाता बनने के लिए और नियमित रूप से रक्त दान करने के लिए प्रोत्साहित करती है। ऐसी क्रियाएं राष्ट्रीय रक्त की आपूर्ति की मजबूत नींव बनाने के लिए महत्वपूर्ण हैं और सभी रोगियों की रक्त की जरूरतों को पूरा करने के लिए मदद करती हैं।

हर कुछ सेकंड, किसी न किसी को, कहीं न कहीं रक्त की जरूरत होती है। रक्त और रक्त उत्पादों का आधान हर साल लाखों लोगों को बचाने में मदद करता है। रक्तदान करके आप भी अपने जीवन काल में कईं जानें बचा सकते हैं।

कौन कर सकता है रक्त दान

अच्छे स्वास्थ्य में होने पर अधिकांश लोग रक्त दे सकते हैं। रक्त दाता बनने के लिए कुछ बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा करना होगा, जो इस प्रकार हैं:

-आपकी आयु 18 से 65 वर्ष के बीच होनी चाहिए।
– आपका वजन कम से कम 50 किलो होना चाहिए।
– जिस समय आप रक्त दान करते हैं उस समय आप अच्छे स्वास्थ्य में होने चाहिएं।
– अगर आपको सर्दी, फ्लू, गले में खराश, सर्दी-खराश, पेट में कीड़े या कोई अन्य संक्रमण है तो आप रक्तदान नहीं कर सकते।
– अगर आपने एक छोटी सी प्रक्रिया के लिए दंत चिकित्सक का दौरा किया है तो आपको दान करने से 24 घंटे पहले इंतजार करना होगा; प्रमुख दन्त चिकित्सा कार्य करवाने के बाद एक महीने तक प्रतीक्षा करें।
– यदि आप रक्त दान के लिए न्यूनतम हीमोग्लोबिन स्तर को पूरा नहीं करते हैं, तो आपको रक्त दान नहीं करना चाहिए। आपका हीमोग्लोबिन कम से कम 12.5 होना चाहिए।
– गर्भावस्था के दौरान, बच्चे के जन्म के 9 महीने बाद और यदि आप अपने बच्चे को स्तनपान कराते हैं, तो आपको रक्तदान नहीं करना चाहिए।

रक्तदान करने से आपको भावनात्मक और शारीरिक स्वास्थ्य को लाभ होता है। रकतदान से निम्नलिखित लाभ होते हैं:

– मानसिक तनाव कम होता है
– नकारात्मक भावनाओं से छुटकारा मिलता है
– अपनेपन की भावना आती है अलगाव कम होता है
– नियमित रूप से रक्तदान करने से हृदय की बीमारी से बचाव करने वाले औसत कोलेस्ट्रॉल और कम घनत्व वाले लिपोप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल में कमी आती है।
– नियमित रूप से रक्तदान करने से आपका रक्तचाप भी कम हो सकता है, जो दिल के दौरे के जोखिम को तथा ब्रेन स्ट्रोक के जोखिम को कम करता है।

डेरा सच्चा सौदा- कायम कर रहा है रकतदान के क्षेत्र में नए आयाम

जहां एक ओर दुनिया में स्वार्थ है, वहीँ दूसरी ओर डेरा सच्चा सौदा के अनुयायी नियमित रक्त दान करते हैं, तथा लाखों जानें बचाते हैं।
पूजनीय संत डॉ गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां नियमित रकतदान करने की प्रेरणा देते हैं, रक्त बनाया नहीं जा सकता, केवल मनुष्य ही मनुष्य को रक्तदान कर सकता है। गुरूजी फरमाते हैं कि रक्त के अभाव में कोई भी मृत्यु नहीं होनी चाहिए, व स्वैच्छिक रकतदान करने से हम अपने राष्ट्र की रक्त की सभी ज़रूरतों को पूरा कर सकते हैं।

डेरा सच्चा सौदा के अनुयायियों द्वारा अब तक 5.25 लाख यूनिट से अधिक रक्तदान किया जा चुका है। डेरा सच्चा सौदा द्वारा मासिक रक्तदान शिविर के अलावा समय समय पर दुनिया भर में रक्तदान किया जाता है, जिसे दुर्घटनाग्रस्त लोगों को, पुलिस, आर्मी, पत्रकारों, थैलेसीमिया के मरीजों को व ज़रूरतमंद गरीबों की मदद के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

डेरा सच्चा सौदा के नाम 78 गिनीज़ विश्व रिकॉर्डों में से 4 रिकॉर्ड रक्तदान के क्षेत्र में हैं, जो कि 07 दिसंबर 2003, 10 अक्तूबर2004, 08 अगस्त 2010 व 12 अप्रैल 2014 में बनाये गए थे।

पुलवामा में शहीद हुए सैनिकों को श्रधांजलि देने के लिए भी डेरा सच्चा सौदा के अनुयायियों द्वारा 13653 यूनिट रक्तदान किया गया था। शादी हो या सालगिरह, कोई भी अवसर हो, मानवता के ये पुजारी, मानवता का भला करने से नहीं रुकते।

गर्व है हमें, कि हमारे देश में ऐसे नेक लोग हैं जो दूसरों की ज़िंदगी बचाने के लिए रक्तदान करते हैं। इन्हीं लोगों से प्रेरणा लेते हुए, इस विश्व रक्तदाता दिवस पर, आइये हम सब भी नियमित रक्तदान करने का प्रण करें, व किसी की ज़िन्दगी बचाने के पुण्य कार्य में भागीदार बनें।

सिरसा शहर में आज का माहौल भारी टैफिक से भरपूर रहा और अनेक स्टेटों से अनेक लोगों का आना अभी भी ज़ारी है। सिरसा के लोगों के लिए यह नज़ारा देखना एक आम बात है, पर ऐसा क्या है जो ये शहर इस तरह के नज़ारे देखता रहता है? वजह है वहां पर स्थापित डेरा सच्चा सौदा, जहां पर ये सब लोग एकत्रित हो रहे हैं।

 

कुछ वक़्त से ट्विटर और फेसबुक पर भी ट्रेंड में चल रहे इस विषय पर थोड़ा पढ़ा तो पता लगा की पूरे माह इन्होंने देश भर में गरीब बच्चों को स्टेशनरी का सामान व यूनिफार्म इत्यादि बाँटे हैं, और कुछ जगह पर गरीबों को राशन भी दिया है।

 

अखबारों में यह पढ़ने में आया की पिछले रविवार, 21 अप्रैल को डेरा सच्चा सौदा के अनुयायियों ने देश भर में अनेक स्टेटों में नामचर्चा मनाई, जिसमे बहुत ज्यादा भीड़ एकत्रित हुई। तब मैने यह जाना कि डेरा सच्चा सौदा के सेवादार स्थापना दिवस मना रहे हैं। भारी तादाद और इतने बड़े पैमाने पर मनाई गयी इस नामचर्चा और उनके द्वारा किये गए मानवता भलाई कार्यों ने उन्हें एक बार फिर अखबारों की सुर्ख़ियों में लाकर खड़ा कर दिया।

 

डेरा सच्चा सौदा का ‘स्थापना दिवस‘ 29 अप्रैल को है और इसी दिन उनके मौजूदा गुरु संत डॉ गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने 29 अप्रैल 2007 को ‘जाम-ए-इन्सां गुरु का’ भी शुरू किया था। क्यूंकि इस दिन को भंडारे के रूप में मनाया जाता है, तो एक बार फिर से डेरा सच्चा सौदा में उनके सेवादारों का आना शुरू हो गया है और यही वजह है की सिरसा शहर में माहौल किसी त्यौहार के जैसा हो गया है।

 

कल के इस भंडारे पर मुफ्त एलॉपथी मेडिकल कैंप, मुफ्त आयुर्वेदिक मेडिकल कैंप भी लगाए जा रहे हैं, जहाँ पर सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टरों के द्वारा मरीज़ों की मुफ्त जांच की जाएगी, व अति गरीब लोगों को समस्त उपचार व दवाइयां भी मुफ्त दी जाएँगी।

 

यही नहीं, हर बार की तरह इस बार भी गरीबों की मदद के लिए मानवता भलाई के कार्य किये जायेंगे।

 

यह सब देख कर हैरानी भी होती है और कहीं न कहीं इस श्रद्धा के आगे दिल नतमस्तक भी होता है। जिस तरह से ये आज भी इंसानियत को बरकरार रखे हुए हैं, ऐसा शायद ही कभी देखा हो।

डेरा सच्चा सौदा का स्थापना दिवस

★  29 अप्रैल, 1948 को एक फ़कीर, जिन्हें बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज के नाम से जाना जाता था, उन्होंने डेरा सच्चा सौदा की नींव रखी थी। इनके बाद इन्होंने अपनी शाह सतनाम जी महाराज को गुरगद्दी सौंपी जिन्होंने शाह मस्ताना जी के लगाए इस बीज को प्रेम से सींचा व सच्चे सौदे का नाम हर तरफ गूंजने लगा। सन 1990 में उन्होंने मौजूदा गुरु संत डॉ गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां को गद्दीनशीन किया, जिन्होंने मानवता भलाई के अनेक कार्य शुरू किये व समाज से हर बुराई को दूर करने का बीड़ा उठाया।
आज इनके देश व विदेशों में साढ़े छह करोड़ से भी अधिक अनुयायी हैं को इस पूरे माह को हर्षोंउल्लास के साथ मनाते हैं। 29 अप्रैल का यह  दिन भंडारे के रूप में मनाया जाता है।

जाम-ए-इन्सां दिवस

◆ डेरा सच्चा सौदा अपने मानवता भलाई के कार्यों के लिए अनेक विश्व कीर्तिमान स्थापित कर चुका है और देश तथा विदेश में जाना जाता है।  आज से 12 वर्ष पहले 29 अप्रैल 2007 को ही बाबा राम रहीम ने ‘जाम-ए-इन्सां गुरु का’ की शुरुआत की थी, जिससे उन्होंने इंसानियत का सन्देश देते हुए सभी को जात पात व धर्म पर भेद भाव न करने का, व इंसानियत को सबसे ऊपर रखने का संकल्प दिलवाया। इस मुहिम में करोड़ों लोग शामिल हो चुके हैं जो इंसानियत को जीवित रखने के लिए दिन-रात प्रयासरत हैं और समाज में मानवता को एक नया जीवन मिला है। लोगों को पता चला कि दुखियों, लाचारों और बेसहारों का सहारा बन कर जीना ही इंसानी गुण है। किसी के दुख-दर्द को देखकर तड़प उठना ही सच्चे अर्थों में इंसानियत है, और इसी इंसानियत को जीवित रखे हुए है डेरा सच्चा सौदा।

भलाई कार्य

◆ करीब 12 वर्षों में ही डेरा सच्चा सौदा के करोड़ों अनुयायियों ने दुनिया के सामने मानव कल्याणकारी कार्यों के नए कीर्तिमान खड़े कर दिए हैं, फिर चाहे वो गरीबों का घर बना कर देना हो, रक़्तदान हो, सफाई महा-अभियान हो, या मरणोपरांत आँखे दान व शरीरदान। ऐसे 134 मानवता भलाई के कार्य इनके गुरूजी द्वारा चलाये गए हैं। अपने काम धंधों, सुख-आराम की परवाह न करते हुए डेरा अनुयायी दीन-दुखियों की मदद में जुटे रहते हैं।
तो देखना अब यह है की इस बार डेरा सच्चा सौदा के 71वें स्थापना दिवस व ‘जाम-ए-इन्सां गुरु का’ की 12वीं वर्षगांठ पर क्या ख़ास होता है। जानने के लिए ज़रूर पढ़ें हमारा आने वाला अगला आर्टिकल।

मैं कुछ दिनों से जब भी अख़बार पढ़ती हूँ और फेसबुक खोलती हूँ तो बस, डेरा सच्चा सौदा के अनुयायियों की तस्वीरें और खबरें ही पढ़ने को मिल रही हैं। उनकी तस्वीरों से यह लग रहा है जैसे डेरा सच्चा सौदा के अनुयायी एक बहुत बड़े अरसे के बाद फिर से ज़ोर शोर से वापिस लौटे हैं, जैसा कि हम आज से दो साल पहले देखा करते थे। बाबा राम रहीम के जेल जाने के बाद ऐसी तस्वीरें पहली बार देखने को मिल रही हैं। सुनने में आया है कि इतनी भारी संख्या में इकट्ठे होकर नामचर्चा और मानवता भलाई के कार्य करके यह लोग डेरा सच्चा सौदा का ‘स्थापना दिवस’ और ‘जाम-ए-इन्सां गुरु का’ दिवस मना रहे हैं।

वैसे एक बात मैं आप सब से पूछना चाहूंगी कि जो 2 सालों में मीडिया ने डेरा सच्चा सौदा के बारे में दिखाया क्या वो सच था?

क्योंकि आज इनके अनुयायियों का विश्वास देखकर तो नहीं लगता कि जो भी मीडिया ने दिखाया है वो सच होगा। तो क्या ये आज भी करोड़ों की तादाद में बाबा को मानते हैं? ऐसे अनेक सवाल हर किसी न किसी के मन में ज़रूर आते होंगे, तो चलिए देखते हैं कि क्या डेरा सच्चा सौदा कि गतिविधियों में कोई कमी आयी? क्या टूट गए डेरा प्रेमी?

नामचर्चाओं का आयोजन

सुनने में आया है कि डेरा सच्चा सौदा के अनुयायी अप्रैल का महीना फाऊंडेशन मंथ (स्थापना माह) के रूप में मनाते हैं। 29 अप्रैल 1948 को डेरा सच्चा सौदा की नींव रखी गई थी। वैसे तो हर साल इस दिन डेरा सच्चा सौदा आश्रम में भंडारा मनाया जाता था। पर बाबा राम रहीम के जेल जाने के बाद यहां कोई भंडारा नहीं मनाया गया। पर इस बार, इसी माह, डेरा सच्चा सौदा के अनुयायियों ने देश के हर कोने में जिला स्तर पर नामचर्चा करके यह महीना मनाया है। यही नहीं, इस महीने में हर ज़िले, ब्लॉक व लोकल जगहों पर अनुयायियों द्वारा गरीब बच्चों की शिक्षा हेतु कॉपियां, किताबें, ड्रेस, पेन, पेंसिल व स्टेशनरी का अन्य सामान भी बांटा गया। गरीब परिवारों को राशन, गरीब घर की बेटियों कि शादी में सहायता करना व रक्तदान जैसे कार्य भी इस स्थापना माह में बढ़ चढ़ कर किए गए हैं।

नामचर्चाओं में जन सैलाब की

अख़बारों और फेसबुक की तस्वीरों को देख कर लगता है जैसे नामचर्चाओं में जनता की बाढ़ आ गई हो। समुन्दर कि लहरों कि तरह दूर दराज़ से लोग उमड़े और एक अरसे के बाद इन ब्लॉकों की सड़कों पर कई कई किलोमीटर तक लगे जाम देखने को मिले। रेलगाड़ियों, बसों में वही भीड़ देखने को मिली जो आज से 2 साल पहले हुआ करती थी और लोग बातें किया करते थे कि लगता है आज फिर डेरा सिरसा में सत्संग है। मगर आज की नामचर्चाओं के इकट्ठ ने सभी को हैरत में डाल दिया लोग यह देखकर दातों तले अंगुली दबा रहे हैं।

डेरा के अनुयायियों का विश्वास

जैसा कि अखबारों की सुर्खियों में हम रोज़ाना पढ़ते हैं कि डेरा सिरसा की संगत अब टूट चुकी है मगर यह सब तो झूठ साबित हो गया। इन नामचर्चाओं में डेरा के अनुयायियों की संख्या देखकर तो नहीं लगता कि बाबा राम रहीम पर से उनका विश्वास ज़रा भी हिला है। जैसा विडिओ में हमनें देखा है कि लोग ढोल बजाते हुए नाच नाच के नामचर्चाओं में खुशी-खुशी आ रहे हैं इससे तो लगता है कि डेरा के अनुयायी आज भी टस से मस नहीं हुए, उनका विश्वास ज्यों का त्यों बना हुआ है।

राजनीतिक दलों का वोट मांगने के लिए आना

हम सभी को पता है कि डेरा सच्चा सौदा एक ऐसी संस्था है जिसके अनुयायी देश व विदेश में करोड़ों की संख्या में हैं। यहां के अनुयायी हर कार्य एकता में रह कर करते हैं, चाहे वो मानवता भलाई के कार्य हो या देश की सरकार चुननी हो। जैसा कि हम सभी को पता है कि अब भी 2019 में लोकतंत्र चुनाव चल रहे हैं। तो अब भी तसवीरों में देखने को मिला कि अलग अलग राजनीतिक पार्टियां डेरा के अनुयायियों से वोट मांगने के लिए लगातार आ रही हैं। हर कोई बहुमत हासिल करने के लिए डेरा के अनुयायियों का साथ चाहता है। एक बार फिर सवाल उठता है यहां पर, कि अगर डेरा सच्चा सौदा पर लगे इलज़ाम सही थे, तो आखिर क्यों इन पार्टियों को डेरे के साथ कि ज़रुरत है? कहीं न कहीं हर आम इंसान और हर राजनीतिक पार्टी यह जानती है कि डेरे के खिलाफ बहुत गहरी साज़िश रची गयी थी।

अंत में मैं यही कह सकती हूँ कि इन सब गतिविधियों से यही पता चलता है कि डेरा सच्चा सौदा के अनुयायियों की एकता और विश्वास अब भी बरकरार है, इनको कोई नहीं हिला सकता चाहे मीडिया हो या अख़बार की झूठी खबरें। इनके जोश और जज़्बे की दाद देती हूँ और सलाम करती हूँ इनके द्वारा किये जा रहे मानवता भलाई के कार्यों को, जो आज भी सैकड़ों ज़रूरतमंदो कि मदद कर रहे हैं।