बाल मजदूरी एक व्यापार है बचपन में खेलना बच्चों का अधिकार है-

बाल श्रम का अर्थ- जब मजबूरी में बाल्यावस्था से वंचित होकर किसी बच्चे को कोई काम करना पड़े उन्हें बाल श्रम कहते हैं। बच्चों को परिवार से दूर रखकर उन्हें गुलामों की तरह पेश किया जाता है। किसी भी बच्चे को पैसे व अन्य लालच देकर बाल्यकाल में मजबूरी में करवाया गया काम बाल श्रम कहलाता है।

साधारण शब्दों में बाल श्रम का अर्थ-

जो बच्चे 14 वर्ष से कम आयु के होते हो उनके बचपन, खेल, शिक्षा के अधिकार को छीनकर उन्हें काम में लगा कर कम पैसे देकर उनका शारीरिक, मानसिक और सामाजिक शोषण करना है।

बाल श्रम गैर-कानूनी है-

बाल श्रम अपराध की श्रेणी में आता है। बाल श्रम को पूर्ण रूप से गैर-कानूनी घोषित किया गया है। भारत के संविधान में 1950 के 24वें अनुच्छेद के अनुसार जो भी बच्चे 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों से मज़दूरी, ढाबे, होटलों, कारखानों व घरेलू नौकर के रूप में काम करवाना ही बाल श्रम कहलाता है। यदि कोई व्यक्ति छोटी आयु के बच्चों से काम करवाता पकड़ा गया तो उसे उचित दंड दिया जाएगा।

भारत के लगभग 35 मिलियन बच्चें बाल श्रम का शिकार-

एक सर्वे के अनुसार भारत में लगभग 35 मिलियन से ज्यादा बच्चे ऐसे हैं, जो बाल मजदूरी करने में विवश हैं। सबसे ज्यादा बाल मजदूरी बिहार, राजस्थान, उत्तर प्रदेश इत्यादि देशों में होती है।

वर्ल्ड डे अगेंस्ट चाइल्ड लेबर 2021 थीम-

Protect children from child labour, now more than ever. Covid -19 के कारण गरीबी रेखा और ज्यादा बढ़ गई है। जिसने गरीब लोगों की आजीविका पर बहुत प्रभाव डाला है। बदकिस्मती से बच्चे अक्सर सबसे पहले पीड़ित होते हैं और उन्हें अपने बड़ों के साथ मिलकर श्रम करना पड़ता है।

वर्ल्ड डे अगेंस्ट चाइल्ड लेबर का इतिहास-

अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन संयुक्त राष्ट्र संघ की शाखा है। यह संघ मजदूरों तथा श्रमिकों के हक के लिए नियम बनाती है, जिसे सख्ती से पालन किया जाता है। इसके लिए अंतरराष्ट्रीय श्रम संघ कई बार उस पुरस्कृत भी हो चुकी है। आईएलओ ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बाल श्रम को रोकने के लिए पूरा जोर दिया था, जिसके बाद 2002 में सर्वसम्मति से कानून पास किया गया। जिसके तहत 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से श्रम कराने को अपराध माना जाएगा, इसी साल पहली बार बाल श्रम निषेध दिवस 12 जून को किया गया।

बाल श्रम दिवस की शुरुआत-

इस दिन की शुरुआत 2002 में अंतरराष्ट्रीय श्रम संघ द्वारा की गई। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन संयुक्त राष्ट्र की एक शाखा है।जिसके मुताबिक 14 वर्ष से कम बच्चों से काम करवाना एक कानूनी अपराध है। इस सांग द्वारा मजदूरों तथा श्रमिकों के लिए नियम बनाए जाते हैं। उन नियमों का पालन करना सभी के लिए आवश्यक है। ILO के सदस्य 187 देश है।

इस दिवस को मनाने का महत्व-

इस दिन को मनाने का महत्व बाल श्रम की समस्या के खिलाफ सख्त कदम उठाना और इस पर अंकुश लगाना है। यह दिन मुख्य रूप से बच्चों के विकास पर केंद्रित है। यह बच्चों के लिए शिक्षा और पूर्ण जीवन के अधिकार की रक्षा करता है। इसलिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रचारित 2030 तक सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करना महत्वपूर्ण है। बाल श्रम पर रोक लगाने के लिए कई संगठन सफल प्रयास कर रहे हैं।

गरीबी बाल श्रम का मुख्य कारण-

गरीबी बाल श्रम का एक मुख्य कारण है, इसके कारण बच्चे अपना स्कूल छोड़ने के लिए मजबूर होते हैं और अपनी आजीविका के लिए अपने माता-पिता का समर्थन करने के लिए होटलों पर दुकानों पर इत्यादि जगह पर काम करते हैं। इसके अलावा कुछ संगठित अपराध रैकेट द्वारा बाल श्रम करने पर मजबूर किया जाता है। जैसे- नशे बनाने इत्यादि।

कैसे बाल श्रम को रोका जा सकता है-

  • छोटे-छोटे बच्चों से कई तरह के काम करवाए जाते हैं। शिक्षा हर बच्चे का अधिकार है। कई बच्चे देश दुनिया में ऐसे जिनका बचपन बाल श्रम ने छीन लिया है। बच्चों को शिक्षा से जो जोड़ कर बाल श्रम को रोका जा सकता है।
  • राष्ट्रीय श्रम संगठन के आंकड़ों के अनुसार दुनियाभर में लड़कियां और लड़के ऐसे कामों में शामिल है। जो उन्हें शिक्षा स्वास्थ्य अवकाश और बुनियादी स्वतंत्रता प्राप्त करने से वंचित करते हैं उनके अधिकारों का उल्लंघन करते हैं।
  • बाल श्रम को केवल एक श्रम विभाग के द्वारा ही नहीं रोका जा सकता नहीं, बल्कि पूरे समाज का दायित्व बनता है कि जनजागरण व जागरूकता के जरिए इसे रोका जाए। 12 जून को बाल श्रम समस्या के खिलाफ विश्व दिवस के रुप में चिन्हित किया गया है और बाल श्रम की समस्या पर ध्यान दिया गया है। हर साल लाखों बच्चों को काम करने के लिए मजबूर किया जाता है, बाल श्रम पर रोक लगाने के लिए संगठन आई एल ओ इत्यादि प्रयास कर रहे हैं।
  • हमें खुद जागृत होना चाहिए, बाल श्रम को खत्म करने में मदद करने के लिए कर्तव्यों का पालन करना चाहिए। स्त्री और वेश्यावृति जैसी अवैध गतिविधियों के लिए बच्चों को मजबूर किया जाता है, इस वजह से बच्चों को बाहर श्रम की समस्या के बारे में जागरूक करने और उनकी मदद करने के लिए इस दिवस को मनाया जाता है। बच्चे देश का भविष्य है बाल श्रम के बारे में बच्चों को जागृत करके हम उनका भविष्य जागृत कर सकते हैं।

निष्कर्ष-

हमें भी जिम्मेदार होना चाहिए कि कोई बच्चा बालश्रम में ना फसा हो। हमें बाल श्रम को खत्म करने में मदद के लिए अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए। यह सही ढंग से कहा जाता है कि बाल श्रम से निकलने वाले बच्चों को उसकी क्षमता और आत्म मूल्य पता चलता है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि ऐसे बच्चे देश और दुनिया के आर्थिक और सामाजिक विकास में योगदान देंगे बच्चे देश का गौरव है।

Write A Comment