हम बात कर रहे हैं सूरजकुंड मेले की, जो कि हर बार की तरह इस बार भी भरपूर जोश और उत्साह से पूर्ण है। अनेकों लोग यहां दूर दूर से अपनी कला से बनाया हुआ सामान बिक्री के लिए लाये हैं। अनेकों लोग यहां घूमने आये हुए हैं। इन्हीं अनेकों लोगों की तरह ही एक इंसान (जिसकी बात आपको बताने लगे हैं) मेला देखने आया था। मेले में आकर वो एक स्टॉल पर गया और सारी स्टॉल खरीद डाली। स्टॉल के इंचार्ज और अन्य लोगों के बीच ये बहुत बड़ा चर्चा का विषय बन गया क्योंकि कुल बिल 60 हज़ार के पास था। हुआ यूँ की मेले में पहुँच कर सोनू कुमार को पता लगा की जैसे अन्य कई जगहों से सामान बिक्री के लिए आया है, वैसे ही हरियाणा की जेलों से भी सामान आया है, इसी बीच उसकी नज़र उस स्टॉल पर पड़ी जहां पर रोहतक की सुनारिया जेल में बना हुआ सामान बिक्री के लिए पड़ा था। उसने उस स्टॉल पर जाकर सारा सामान खरीदने का आर्डर दे डाला। स्टॉल पर मौजूद इंचार्ज और अन्य लोगों की हैरानी की कोई सीमा नहीं रही क्योंकि उस सामान में कुर्सी, टेबल, फ्रूट टोकरी, आदि थे जिनकी सोनू जी को जरूरत भी नहीं थी।

Surajkund Mela

जब इस बारे में इस व्यक्ति से बात की गई तो उसने पूछे जाने पर बताया कि जिस सामान की उनको जरूरत नहीं, वो भी इसलिए खरीदा है क्योंकि यह सामान सुनारिया जेल से आया है। उसने बताया कि वो डेरा सच्चा सौदा का श्रद्धालु है और इस वक़्त उनके गुरूजी सुनारिया जेल में हैं, इसी श्रद्धा भावना के चलते उसने सुनारिया जेल से आया सारा सामान ले लिया।

स्टॉल के इंचार्ज ललित भरद्वाज जी को जब सोनू कुमार के डेरा सच्चा सौदा के अनुयायी होने का पता लगा तो इन्होंने इस बात पर यकीन कर लिया कि ये मुमकिन है कि किसी ने इतनी महँगाई के बावजूद सारी स्टॉल खरीद डाली।

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कहते हैं कि मिसालें दी जाती हैं, भूली नहीं जाती, और अगर मिसाल श्रद्धा भावना की हो तो कोई कैसे भूल जाये! ये सब देख कर और जान कर एक ही बात कही जा सकती है कि श्रद्धा हो तो डेरा सच्चा सौदा के अनुयायियों जैसी, वरना न हो।

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