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August 2020

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15 अगस्त 1947 का दिन

इस दिन का हमारे इतिहास में बड़ा महत्व है। सदियों से भारत अंग्रेजों की दासता में था। उनके अत्याचारों से हर कोई वाकिफ था। खुली हवा में सांस लेने की को बेचैन भारत में आजादी का पहला बिगुल 1857 में बजा। परंतु कुछ कारणों से हम गुलामी के बंधनों से मुक्त नहीं हो सके। 

आपको बता दे वास्तव में आजादी का संघर्ष तब अधिक हुआ। जब बाल गंगाधर तिलक ने कहा कि स्वतंत्रता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है। इसी बात से प्रभावित होकर ना जाने कितने वीरों ने अपनी आंखें बंद कर ली। ताकि आज यहां पर जन्म लेने वाला हर बच्चा आजाद भारत में आजाद आकाश के नीचे अपनी आंखें खोल सके। बहुत से वीरो ने अपने सिर पर कफन बांध कर देश की आजादी के लिए अपनी कुर्बानी दी और मंजिल एक दिन 15 अगस्त 1947 के रूप में सामने आ गई और भारत देश आजाद हुआ।

तभी से 15 अगस्त के दिन को स्वतंत्रता दिवस के रुप में मनाया जाता है।

कैसे मनाया जा रहा है इस बार स्वतंत्रता दिवस 

इस बार 15 अगस्त 2020 शनिवार को लाल किले की प्राचीर से नरेंद्र मोदी देश को संबोधित करेंगे। हर साल 15 अगस्त के दिन लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री के द्वारा देश को संबोधित किया जाता है। इस साल 15 अगस्त के दिन को अलग तरीके से मनाया जा रहा है। इस वर्ष कोविड-19 के चलते बच्चों व बुजुर्गो को इस कार्यक्रम में शामिल नहीं किया जा रहा है।

वीरों के त्याग की याद दिलाता हैं

स्वतंत्रता दिवस का यह दिन हमें वीरों के त्याग की याद दिलाता है। देश के वीरों की कुर्बानी व बहुत संघर्ष के बाद मिली यह आजादी भारत देश के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। महात्मा गांधी, भगत सिंह, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, सरदार वल्लभभाई पटेल, डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद, गोपाल कृष्ण गोखले, चंद्रशेखर आजाद, सुखदेव, लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक आदि के बलिदान के कारण ही हम आजाद भारत देश में सांस ले पा रहे हैं। 

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स्वतंत्रता दिवस का महत्व 

भारत में स्थित दिल्ली का लाल किला स्वतंत्रता दिवस का प्रतीक है। यहां सबसे पहले 15 अगस्त 1947 को भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने झंडा फहराया था। यह परंपरा आज तक चली आ रही है। इस दिन देश के प्रधानमंत्री लाल किले के प्राचीर पर तिरंगा फहराते हैं व देश को संबोधित करते हैं।

उद्देश्य 

भारत देश के नागरिक होने के नाते स्वतंत्रता का ना तो अपने आप पर दुरुपयोग करें और ना ही दूसरों को करने दे। आपस में सभी एकता व भाईचारे से रहे। लड़ाई झगड़ों से बचे। हमें इस दिन को अच्छे नेक कार्य करके मनाना चाहिए और देश को आगे बढ़ाना चाहिए। रिश्वत, जमाखोरी व कालाबाजारी को देश से समाप्त करें। 

 क्या सही मायनों में हम आज भी आजाद है

वैसे कहने में तो हम स्वतंत्र देश में रहते हैं। हम दिखाते भी कुछ ऐसा ही हैं कि हम खुले विचारों वाले, आजाद सोच व खुले दिल वाले इंसान हैं  लेकिन जब हम हकीकत पर गौर करें तो नजारा देखने में कुछ और ही दिखाई पड़ता है।

 यह बात सुनने में बहुत कड़वी जरूर लग रही होगी। परंतु यह सत्य है। जहां आज हम 74वाँ स्वतंत्रता दिवस मनाने की तैयारी कर रहे हैं। वहीं इसमें बहुत कुछ परतंत्र भी है। इतने वर्षों की आजादी के बाद भी हम आज वास्तव में आजाद नहीं है। कहने – सुनने में तो हम आजाद दिख सकते हैं। लेकिन असल में ऐसा नहीं है।

आज आप भारत के किसी भी कोने में चले जाएं। कहीं ना कहीं इस बात की सत्यता को जरूर परखेंगे कि जो जैसा दिखता हैं, वास्तव में वह वैसा नहीं होता। फिर चाहे वह नेता, राजनेता, हमारे रिश्तेदार, सगे-संबंधी या घर परिवार कोई भी क्यों ना हो।

 इस बात में बिल्कुल संदेह नहीं कि हमारे देश के वीर क्रांतिकारीयो और स्वतंत्रता सेनानियों के कारण हम खुली हवा में सांस ले पा रहे हैं। लेकिन केवल घूमने-फिरने और खुली हवा में सांस लेने से ही हमें संतुष्ट नहीं होना चाहिए।

यह हमारा फर्ज बनता है कि जो सपना हमारे देश के वीर जवानों, स्वतंत्रता सेनानियों ने देखा उस सपने को हम सभी मिलकर साकार करें और भारत देश को सही मायनों में आजाद कराएं।

आइए जानते हैं उन कारणों के बारे में जिसके कारण हमारी स्वतंत्रता का मतलब अधूरा है। अगर इन कारणों व कमियों को सुधारा जाए तो हम सच में आजादी के हकदार बनेंगे।

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नशो से आजादी

हमारे भारत देश में सभी धर्मों के लोग रहते हैं। हर कोई अपने- अपने धर्म को मानता है। लेकिन अफसोस इस बात का है कि धर्मों की बातों को लोग नहीं मानते। क्योंकि हर धर्म में नशा करने की मनाही है। नशा बर्बादी का घर हैं।नशे के कारण घरो के घर बर्बाद हो जाते हैं। गरीबी का एक कारण नशा भी है। अगर देश को समृद्ध और शक्तिशाली बनाना है, तो सरकार को सभी नशा पर रोक लगानी चाहिए। इसको रोकने के लिए सख्त कानून लागू होने चाहिए। तभी देश की तरक्की हो सकती है। 

पाखंडवाद से आजादी 

आज के समय में लोग धर्म को कम मानते हैं। लेकिन दिखावा ज्यादा करते हैं। धार्मिक स्थान बनाना गलत नहीं है। परंतु जिस देश में शिक्षा से अधिक धार्मिक स्थानों को बनाने में जोर दिया जाता हो।वहां विकास डावाडोल स्थिति में ही रहता है। धर्म को मानना गलत नहीं है। लेकिन धर्म की बात भी माननी जरूरी है। पाखंडवाद को छोड़कर शिक्षा प्रणाली पर ध्यान देना जरूरी है।
 मानसिक गुलामी से आजादी

हमारा देश भले ही 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ। लेकिन भारत में बहुत से लोग अभी भी मानसिक रूप से गुलाम है। हमारी भारतीय संस्कृति व परंपरा को छोड़कर लोग आज पश्चिमी सभ्यता को अपना रहे है। यह मानसिक गुलामी नहीं तो क्या है। जब तक हम वेस्टर्न कल्चर को अपनाते रहेंगे। तब तक हम अपने देश व अपने आप को आजाद नहीं समझ सकते हैं।

रिश्वतखोरी से आजादी 

आज भारत में चंद रुपयों के लिए लोग अपना जमीर तक बेच देते हैं। भ्रष्टाचार को लेकर भारत की स्थिति बहुत खराब है। यहां बहुत से लोग रिश्वत देकर कुछ भी काम करवा सकते हैं। जब तक देश में रिश्वतखोरी भ्रष्टाचार खत्म नहीं होगा। तब तक भारत तरक्की नहीं कर सकता। इसको रोकने के लिए लोगों को जागरूक करने व सख्त से सख्त कानून लागू करने की जरूरत है।

अगर हम सभी देशवासी मिलकर इन कमियों व कारणों पर विचार करें और इनमें सुधार लाए। तो एक दिन सच में हम देशवासी बहुमूल्य आजादी के हकदार बनेंगे और वीरों के बलिदान को व्यर्थ नहीं जाने देंगे।

आखिर में सभी को इस 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस की बहुत-बहुत शुभकानाएं। जैसा कि आप सभी को पता है कि Covid-19 चल रहा है। तो उसको ध्यान में रखते हुए और सरकार द्वारा दिए गए दिशा निर्देशों का पालन करते हुए इस स्वतंत्रता दिवस को घर पर रहकर ही मनाए। क्योंकि हमें अपनी सुरक्षा के साथ समाज व देश की सुरक्षा के बारे में सोचकर  देशभक्ति का परिचय देना है। अपने लोकतंत्र के इस सर्वश्रेष्ठ त्यौहार को उपरोक्त बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए भविष्य में एक वास्तविक स्वतंत्रता दिवस को मनाने के हकदार बने।

जय हिन्द, जय भारत!!

आमिर खान की फिल्म ‘लाल सिंह चड्ढा’ की रिलीज का इंतजार कर रहे फैंस  के लिए एक बुरी ख़बर सामने आ रही है।     

फिल्म मेकर्स ने इस बात का ऐलान किया हैं, कि अब दर्शकों को एक साल तक का इंतजार और करना पड़ सकता है। फिल्म समीक्षक तरण आदर्श ने Social Media पर फिल्म की नई रिलीज डेट का ऐलान किया है। क्रिसमस पर रिलीज होने वाली इस फिल्म को अब एक और साल रिलीज होने का इंतजार करना होगा। लेकिन ये फिल्म अगले साल क्रिसमस के मौके पर ही रिलीज होगी। फिल्म की रिलीज डेट पोस्टपोन करने की यहीं वजह है, कि मेकर्स नहीं चाहते कि फिल्म डिजिटल प्लेटफॉर्म पर रिलीज हो।

COVID-19 Lockdown के बाद आमिर खान ने शूटिंग शुरू कर दी है। जिसमें उनकी कुछ तस्वीरें सोशल मीडिया पर तुर्की में नजर आ रही है। फिल्म को लेकर आमिर ने कोलकाता से लेकर पंजाब, राजस्थान, गुजरात जैसे कई राज्यों में शूटिंग की तो वहीं अब विदेश के शूटिंग शेड्यूल को पूरा करने में लग गए हैं।

‘लाल सिंह चड्ढा’ फिल्म रॉबर्ट जेमेकिस द्वारा निर्देशित 1994 की फिल्म ‘फॉरेस्ट गंप’ की Official Hindi रीमेक है। जिसमें लीड रोल में हॉलीवुड सुपरस्टार टॉम हैंक्स नजर आए थे। वहीं ‘लाल सिंह चड्ढा’ का निर्देशन अद्वैत चंदन कर रहे हैं। आमिर खान और उनकी पत्नी किरण राव फिल्म को प्रोड्यूस कर रहे हैं। फिल्म में करीना के साथ आमिर की जोड़ी बनी है। इससे पहले ये दोनों  ‘3 Idiots’ और ‘Talaash’ फिल्म में साथ काम कर चुके हैं।

ये कहानी है आंध्रप्रदेश के विजयवाड़ा छेत्र की, विजयवाड़ा का एक ऐसा होटल जो कोरोना देखभाल केंद्र में परिवर्तित किया गया था, उसमें रविवार सुबह भीषण आग लग गई। 

कोविड केंद्र में 5 बजकर 9 मिनट पर आग लगी , आग लगने के महज 4 मिनट बाद ही दमकलकर्मी घटना स्थल पर पहुच गए।विभाग के पांच विशेष दमकलकर्मियों ने पूरा मामला सम्भाला। इसके पश्चात विजयवाड़ा के पुलिस आयुक्त बी श्री निवासुलु आकर दमकलकर्मियों के साथ काम मे जुट गए।

आंध्रप्रदेश आपदामोचन और अग्निशमन सेवा कर्मियों ने 32 लोगों की जान को बचाया।

कोरोना वायरस देखभाल केंद्र के तीसरे तल से मरीज को   अपने कंधे पर नीचे लाता हुआ दमकलकर्मी अपने आंसू नहीं रोक पाया।दमकलकर्मी ने बहुत हिम्मत कर के 39 लोगों की टीम के सहयोग से सभी मरीज़ो की जान बचायी, यह कोई छोटा काम नहीं था, वे घातक विषाणुओं से पीड़ित (महामारी के शिकार हुए) लोगों को बचा रहे थे।

किसी भी क़ीमत पर दमकल्मर्मी ने अपने मिशन को पूरा कर सभी की जान बचायी।दमकलकर्मी ने भावुक होते हुए कहा, “आज मुझे यह काम कर के काफ़ी सन्तोष मिला हैं,वही दूसरी तरफ मुझे इस घातक बीमारी का खतरा सता रहा है, क्योंकि मेरे भी घर परिवार है”।

श्रीनवासुलु ने कहा, अग्निशमन कर्मियों ने बहुत ही शानदार तरीके से काम को पूरा किया है, यह काम उन्होंने महज 3 घण्टे में पूरा किया।उन्होंने न केवल वहाँ फँसे हुए लोगो को कंधे के सहारे बाहर निकाला, बल्कि मृतकों के शरीरों को भी बाहर निकाला।इतनी खतरनाक स्थिति को इन्होंने बहुत शानदार तरीके से अन्जाम दिया।

आंध्रप्रदेश आपदामोचन और अग्निशमन सेवा विभाग के महानिदेशक मोहम्मद अहसन रजा ने जवानों की प्रशंसा करते हुए कहा कि इन्हें पुरुस्कृत किया जाएगा।उन्होंने कहा कि परिस्थिति बहुत ही भयंकर थी, लेकिन इन्होंने काम को बहुत अच्छे से अंजाम दिया।

इसके साथ साथ इन सब के कार्यों को देखते हुए मुख्यमंत्री वाइ एस. जगनमोहन रेड्डी, ग्रह मंत्री एम सुचरिता और अन्य मंत्रियों ने भी काफी प्रशंसा की हैं।

इन दिनों कोरोना वायरस (COVID-19) के चलते आईपीएल इस बार UAE में खेला जाएगा, भारत में नहीं। अब तक आईपीएल के 12 सीजन खेले जा चुके हैं। हर बार IPL के कुछ ऐसे रिकॉर्ड बने हैं जिनको तोड़ पाना असम्भव है और इस बार भी इसके रिकॉर्ड को तोड़ पाना बहुत मुश्किल लग रहा है क्योंकि IPL के कुछ अनोखे रिकॉर्ड बन चुके हैं।

Most Dot Balls in IPL History

IPL में इतिहास में सबसे ज्यादा डॉट गेंद फेंकने का रिकॉर्ड हरभजन सिंह (Harbhajan Singh) के नाम है। उसने अब तक IPL के इतिहास में 562.2 ओवर फेंके हैं और 1,249 गेंद ऐसी फेंकी हैं जिससे बल्लेबाज का रन बना पाना बहुत मुश्किल है। हरभजन सिंह ने IPL में 160 मैच में 150 विकेट लेने में सफलता पाई है जिसके कारण उनकी Economy 7.05 की रही है।

Most Catch in IPL History

IPL History में सबसे ज्यादा कैच लेने का रिकॉर्ड सुरेश रैना (Suresh Raina) के नाम है। Raina ने अबतक कुल 102 कैच (Catch) किए हैं और 193 मैच खेले हैं। सबसे रौच्य बात ये है कि इस बार भी CSK की ओर से रैना आईपीएल (IPL) में खेलते हुए नजर आएंगे। रैना सीएसके (CSK) के सबसे बेहतरीन खिलाड़ी हैं जिन्हें मिस्टर आईपीएल (Mr IPL) भी कहा जाता है।

Most Successful Team in IPL History

IPL History में सबसे शानदार रिकॉर्ड बनाने वाली टीम Chennai Super Kings की है। CSK ने अब तक IPL के 12 सीजन में से 10 सीजन में भाग लिया जिसमें 8 सीजन में वो फाइनल में पहुंची है और वहीं IPL के हर सीजन में प्ले अॉफ में पहुंची है। ये एक ऐसी टीम है जिसमें आईपीएल के इतिहास में 3 बार खिताब CSK ने ही जीता है।

Most Runs In One Over in IPL History

IPL 2011 में Chris Gayle ने कोच्चि टस्कर्स के गेंदबाज Prasanth Parameswaran की एक ओवर में 37 रन बनाए और Gayle ने 3 चौके और 4 छक्के जमाए थे जिसमें एक No Ball भी शामिल थी।  Parameswaran के द्वारा बनाया ये रिकॉर्ड भी टूटना मुश्किल प्रतीत हो रहा है।

Players With Most Ducks in IPL History    

IPL History में सबसे ज्यादा बार शून्य (0) पर आउट होने का रिकॉर्ड हरभजन सिंह भज्जी के नाम है। भज्जी अब तक 13 बार बिना कोई रन बनाए आउट हो चुके है। साल 2008 में वह Mumbai Indians की टीम के साथ जुड़े थे लेकिन अब वे CSK की ओर से खेलते हुए नजर आएंगे। हरभजन सिंह के अलावा पार्थिक पटेल भी 13 बार शून्य पर आउट हो चुके हैं। वहीं Rohit Sharma IPL में 12 बार शून्य पर आउट हुए हैं।

Batsman with Most Runs in a Single Season of IPL     

साल 2016 के IPL Season में कोहली ने 973 रन बनाए हैं। किसी बल्लेबाज के द्वारा बनाया गया यह रिकॉर्ड तोड पाना भी असंभव नजर आ रहा है।

समस्त संसार में भारतीय संस्कृति सर्वश्रेष्ठ है। भारत त्योहारों का देश है। यहां हर त्यौहार का बड़ा महत्व हैं, व यहां हर त्यौहार को बड़े प्यार व हर्षोल्लास से मनाया जाता है। इन्हीं त्योहारों में से एक जन्माष्टमी का त्योहार है। यह हिंदुओं का प्रमुख त्योहार है।

श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन को लोग भगवान श्री कृष्ण के जन्मदिन के रुप में मनाते हैं। इस त्यौहार को रक्षाबंधन के बाद भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। लोग इस त्यौहार को पूरी आस्था और श्रद्धा के साथ मनाते हैं।

श्री कृष्ण जन्माष्टमी के इस पर्व को न केवल भारत में अपितु विदेशों में रहने वाले भारतीय भी पूरे उत्साह से मनाते हैं।

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क्यों मनाते हैं जन्माष्टमी 

श्री कृष्ण  देवकी और वासुदेव की आठवीं संतान थे। मथुरा में एक राजा हुआ करता था। जिसका नाम कंस था। जो बहुत ही अत्याचारी था। कंस के अत्याचार दिन प्रतिदिन बढ़ते ही जा रहे थे।
 फिर एक दिन अचानक आकाशवाणी हुई कि उसकी बहन की आठवीं संतान उसका वध करेगी। यह सब सुनकर कंस ने अपनी बहन देवकी और उसके पति वासुदेव को काल कोठरी में बंद कर दिया।

कंस ने  एक-एक करके देवकी के 7 बच्चों का वध कर दिया। जब श्री कृष्ण को माता देवकी ने जन्म दिया। तब भगवान विष्णु ने वासुदेव को आदेश दिया कि श्री कृष्ण को गोकुल धाम माता यशोदा व नंद बाबा के घर पहुंचा आए। जहां वह कंस मामा से सुरक्षित रह सकेगा।

श्री कृष्ण का पालन पोषण यशोदा माता व नंद बाबा की देखरेख में हुआ और तभी से उनके जन्म की खुशी में हर वर्ष जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता है।

अगर हम शास्त्रों की मानें तो भगवान श्री कृष्ण रोहिणी नक्षत्र में अष्टमी के दिन पैदा हुए थे। कहा जाता है कि इस दिन चंद्रमा वृष राशि वृष राशि और सिंह राशि में प्रवेश किया हुआ था। ऐसे में इस कॉल पर श्री कृष्ण के जन्म की खुशी को मनाया जाता है। इस दिन श्री कृष्ण भक्त भगवान के लिए भजन गाते हैं। कृष्ण को माखन मिश्री का भोग लगाया जाता हैं और बाद में इसी प्रसाद को भक्तों में बांटा जाता है।

कब है जन्माष्टमी

श्री कृष्ण जन्माष्टमी को लेकर हर बार की तरह इस बार भी सवाल खड़े हो रहे हैं कि जन्माष्टमी कब है। लोग गूगल (Google) पर सर्च कर रहे हैं कि आखिर जन्माष्टमी कब है? आपको बता दें, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का यह पावन त्यौहार हर बार की तरह इस बार भी 2 दिन पड़ रहा है। गृहस्थ लोगों के लिए 11 अगस्त का दिन व साधु- संतों के लिए 12 अगस्त का दिन शुभ माना जा रहा है। हालांकि कई बार की तरह इस बार अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र एक साथ नहीं पढ़ रहे हैं।

जन्माष्टमी को लेकर तैयारियां

हर साल श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन मंदिरों को खास तौर पर सजाया व संवारा जाता है। लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण के चलते मंदिरों में पहले की तरह शायद रौनक देखने नहीं मिल पाएगे। वही लोग इस बार घर पर कृष्ण जन्माष्टमी को अलग अंदाज से मनाने की तैयारियो में जुटे हैं। 
जन्माष्टमी पर पूरे दिन व्रत रखने का प्रावधान है।  जन्माष्टमी पर लोग 12:00 बजे तक व्रत रखते हैं। मंदिरों में विशेष रुप से झांकियों को सजाया जाता है। कृष्ण जी को झूला झुलाया जाता है। रासलीला का भी आयोजन किया जाता है।

दही-हांडी प्रतियोगिता

श्री कृष्ण जन्माष्टमी के पर्व को हर जगह अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है। कहीं-कहीं तो दही हांडी व मटकी फोड़ प्रतियोगिता का आयोजन भी किया जाता है। दही हांडी प्रतियोगिता में बच्चे बाल गोविंदा बन कर भाग लेते हैं। छाछ ,दही व मक्खन से भरी मटकी को रस्सी की सहायता से ऊंचाई में लटका दिया जाता है। बाल गोविंदा pyramid बनाकर मटकी फोड़ने का प्रयास करते हैं।  आखिर में मटकी फोड़ प्रतियोगिता के विजेता को इनाम देकर सम्मानित किया जाता है।

श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन व्रत रखने का प्रावधान है। ज्यादातर सभी लोग इस दिन व्रत रखते हैं। लेकिन अपनी सामर्थ्य के अनुसार व्रत रखना चाहिए। भगवान कभी किसी को भूखा रहने के लिए नहीं कहते। इसलिए अपनी श्रद्धा के अनुसार व्रत रखना चाहिए। सारा दिन व्रत में कुछ ना खाने से आपके स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। इसलिए भगवान श्री कृष्ण जी के संदेशों को अपने जीवन में अपनाना जरूरी है। यही सही मायनों में त्यौहार मनाने का उद्देश्य है।

मोटापा एक ऐसी बीमारी है, जो किसी  को भी हो सकती हैं, फिर चाहे वो स्त्री, पुरूष या फिर बच्चा हो! 

मोटापे के कारण न केवल इंसान की सुंदरता नष्ट होती है, बल्कि कई बार उसे समाज में हंसी का पात्र बनना पड़ता हैं। अधिक मोटे इंसान के शरीर की ना केवल चर्बी ही बढ़ती है, बल्कि उसके शरीर का विकास भी नहीं हो पाता। मोटा इंसान कम age में भी ज्यादा उम्र का लगता है।  

हमारी बॉडी में सबसे ज्यादा और सबसे पहले चर्बी पेट और कमर  पर ही जमा होती है और पेट की चर्बी होने के कारण body की internal activity slow हो जाती हैं, जिससे  कई तरह की बीमारियाँ होने की सम्भावना भी बढ़ जाती है। जैसे -दिल संबंधी, blood pressure, Gas और Diabetes आदि।
?चर्बी शरीर के लिए जरूरी होती हैं, लेकिन जरूरत से ज्यादा यह हानिकारक होती हैं।चर्बी शरीर में cell बनाने के लिए जरूरी होती हैं। सामान्य शरीर के लिए प्रतिदिन 60 gm चर्बी जरूरी होती हैं।

मोटापे के कारण :

  • खान-पान सही न होना ।
  • ज्यादा देर तक बैठकर काम करना।
  • व्यायाम न करना।
  • परिश्रम न करना।
  • पूरी नींद न लेना।
  • Due to metabolism
  • रोग व दवाई के कारण।
  • कई बार मोटापा genetic भी होता हैं। अगर परिवार  में सभी लोग मोटे हैं, तो आने वाली संतान भी मोटी हो सकती हैं।

चर्बी बढ़ने का कारण खान-पान

आजकल ज्यादातर लोग green vegetables को छोड़कर fast food की तरफ ज्यादा  भागते है। जो मोटापा  बढ़ाने का मुख्य कारण बनता है।ज्यादा मात्रा में व असमय बार -बार भोजन करना चर्बी को बढ़ावा देता हैं। अक्सर मिठाई व अधिक सूखे, मसालेदार और तेल खाद्य पदार्थो  का बड़ी मात्रा में सेवन करने से यह पाचन तंत्र और वजन बढ़ाने को प्रभावित करता हैं, जिस से चर्बी बढ़ती हैं। 

लगातार बैठकर काम करना 

यह भी चर्बी बढ़ने का एक मुख्य कारण है। अक्सर इंसान सारा-सारा दिन office में बैठकर काम करते रहते हैं, जिस से उनका शारीरिक परिश्रम नहीं हो पाता और मोटापा बढ़ता हैं। 
व्यायाम  न करना

हर समय bed पर पड़े रहना, आपका वजन घटाने के लक्ष्य के लिए किसी भी तरीके से अच्छा नहीं हैं, और exercise न करना भी मोटापा बढ़ने के मुख्य कारण में से एक है। मनुष्य को अपना शरीर स्वस्थ रखने के लिए exercise करना बहुत जरूरी हैं।

परिश्रम न करना

दिन भर आराम करना व कोई काम न करना सिर्फ खाते रहना जिस से खाना हज़म नहीं होता, और वह एक ही जगह पड़ा रहता है, और digest नहीं हो पाता। तब शरीर में fat बनता है और चर्बी बढ़ने लगती है।

पूरी नींद न लेना

पूरी मात्रा में नींद न लेना या आवश्यकता से अधिक मात्रा में नींद लेना इंसान को मोटापे की तरफ ले जाता हैं। अगर मनुष्य 7-8 घंटे की नींद ना ले तो उसकी calories अच्छे  से burn नहीं हो पाती।

Due to Metabolism 

हर व्यक्ति में मेटाबोलिज्म दो तरीको से काम करता है। कुछ का metabolism  कुशल और  तेजी से काम करने वाला होता है। जो फैट को जमा नहीं होने देता।जबकि  कुछ का मेटाबोलिज्म धीमी गति से काम करने वाला होता हैं, जो वजन बढ़ाने की ओर ले जाता है, जिस से मोटापा बढ़ता है।

रोग व दवाई के कारण

कई बार कोई इंसान एक निश्चित रोग से पीड़ित होता हैं, जिसका बुरा प्रभाव मोटापे को बढ़ावा देता हैं। कुछ दवाइयाँ भी मोटापा बढ़ाने में एक अहम भूमिका निभाती हैं।

आइए जानते हैं मोटापे को कम कैसे करे..?

Proper Nutrients और सही exercise के तालमेल  से fat burning अच्छे से की जा सकती हैं।

आज हम आप को कुछ ऐसे योगासन के बारे में बताएंगे जिस के लगातार अभ्यास से तेजी से वजन घटने लगता हैं :-

सूर्य नमस्कार

यह एक ऐसा आसन है, जिसे अगर सही तरीके से किया जाए तो किसी दूसरे आसन को करने की जरूरत नहीं पड़ती। सूर्य नमस्कार आसन में सूर्य देव को नमस्कार किया जाता है। नियमित तौर पर सूर्य नमस्कार आसन करने से शरीर स्वस्थ व मन शांत रहता हैं। इसके अलावा इस को करने से पेट की अतिरिक्त चर्बी भी धीरे-धीरे कम हो जाती हैं।

पश्चिमोतानासन –

पश्चिमोतानासन बैठ कर किया जाने वाला आसन है। पेट बढ़े होने के कारण यह अच्छे से नहीं हो पाता। परंतु जितना हो सके करने का प्रयत्न करना चाहिए।इस आसन के result जल्दी ही आने लगते है और आपके पेट पर जमा extra fat कम होने लगता हैं। 

बालासन –

यह आसन आप बहुत Easily कर सकते हैं। इस आसन को करने से हमारे पेट की चर्बी अत्यधिक कम होती चली जाती हैं।

नौकासन –

नौकासन आसन का सबसे अधिक प्रभाव पाचन तंत्र पर होता है। इस आसन को प्रतिदिन करने से पेट से सम्बंधित सभी बीमारियाँ ठीक होने लगती है, और साथ ही पेट का extra fat भी कम होने लगता है। यदि आप पेट के लिए कोई ऐसा आसन चाहते है, जो पेट की चर्बी के साथ-साथ पाचन तंत्र भी ठीक करें तो वह नौकासन है। 

कपाल भाति प्राणायाम –

कपाल भाति प्राणायाम शरीर का वजन कम करने के लिए सबसे अधिक प्रभावशाली सिद्ध हुआ है। कपाल भाति से शरीर में नई उर्जा का संचार होता है। पूरे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढती है। वर्तमान समय में कुछ शोधकर्ताओं द्वारा तो यह दावा भी किया गया है कि कपालभाती प्राणायाम से शरीर की 70 से 80% बिमारियों को ठीक किया जा सकता है। किन्तु इसमें कोई दो राय नहीं कि पेट की चर्बी कम करने में कपाल भाति प्राणायाम से अधिक प्रभावशाली कोई और दूसरा योगासन नहीं है।

VVIP TREE || VVIP BODHI TREE || VVIP TREE IN INDIA 

मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल एवं विदिशा के बीचों-बीच सलामतपुर की पहाड़ी पर लगा हैं – बोधि वृक्ष! जिसकी सुरक्षा के लिए दिन रात होमगार्डो की तैनाती की गई है।

आप यह सुनकर चोंक गए होंगे मगर यह सच है। दरअसल यह VVIP Tree जिसकी यहां बात की जा रही है, करीब आठ साल पहले 21 सितम्बर 2012 को श्रीलंका के तत्कालीन राष्ट्रपति महिंद्रा राजपक्षे एवं भूटान के तत्कालीन प्रधानमंत्री जिग्मी योजर थिंगले द्वारा एक पौधे के रूप में रोपित किया गया था। यह वही बोधि वृक्ष की टहनी है, जिसके नीचे बैठकर गौतम बुद्ध को ज्ञान प्राप्ति हुई थी।

बौद्ध धर्म में खास महत्व रखता है- बोधि वृक्ष

यह वृक्ष गौतम बुद्ध की धरोहर है। इसलिए बौद्ध धर्म के लिए इसका खास महत्व है। इसी के चलते जिस पहाड़ी पर यह वृक्ष रोपित है, उस पूरी पहाड़ी को बौद्ध विश्वविद्यालय के लिए आवंटित किया गया है, एवं पूरा क्षेत्र ही बोद्धिस्ट सर्कल के तौर पर विकसित किया जा रहा है। बौद्ध अनुयायियों के लिए यह वृक्ष श्रद्धा एवं आस्था का केंद्र है।

सुरक्षा एवं रख-रखाव के पूरे प्रबन्ध

आप को बता दें, 15 फीट ऊंची जालियों से घिरे इस वृक्ष की सुरक्षा में कोई कमी नही छोड़ी गई है। 4 होमगार्ड सुरक्षा की दृष्टि से यहां पर दिन-रात पहरा देते हैं। इस वृक्ष के रख-रखाव पर हर साल लगभग 15 लाख रुपये का खर्च होता है । 

वृक्ष तक पहुंचने के लिए पक्का रास्ता भी बनाया गया है। जोकि भोपाल-विदिशा हाइवे से लेकर पहाड़ी तक का है। सिंचाई के लिए भी स्पेशल इंतज़ाम किए गए हैं। सांची नगरपालिका ने पानी के टैंकर सिंचाई व्यवस्था के लिए लगाए हैं। किसी भी प्रकार की बीमारी से बचाने के लिए कृषि विभाग के अधिकारी हर हफ्ते इस वृक्ष की सेहत जांचते है। यह सब कार्य जिला कलेक्टर की निगरानी में सम्पन्न किये जाते है। 

यूनिवर्सिटी पहाड़ी पर लगाया गया यह वृक्ष, लेकिन यूनिवर्सिटी निर्माण अभी भी बाकी हैं। 
 राज्य के पेड़ के रख-रखाव में लगते प्रतिवर्ष 15 लाख, थोड़े से कर्ज की वजह से खुदकुशी कर चुके है राज्य में 51 किसान। 

महिंद्रा राजपक्षे इस पहाड़ी पर यूनिवर्सिटी की आधारशिला रखने आये थे। तब उन्होंने इस बोधि वृक्ष को रोपित किया। जिसके बाद से इस वृक्ष पर लाखों रुपये लगाए जा रहे है। सुरक्षा, सिंचाई से लेकर कीटों एवं बीमारी से बचाव तक की पूरी व्यवस्था की गई है। मगर यूनिवर्सिटी के निर्माण की शुरुआत भी अभी बाकी है। 

जिस यूनिवर्सिटी के नाम पर इस वृक्ष को रोपित किया गया, 5 साल बाद इसकी चारदिवारी भी टूट गयी है। यूनिवर्सिटी को लगभग 20 लाख किराए पर एक निजी भवन में चलाया जा रहा है।
वहीं दूसरी ओर इसी राज्य के करीब 51 किसान थोड़े से कर्ज की वजह से खुदखुशी कर चुके हैं।

इस बार रक्षाबंधन का त्योहार श्रावण मास के आखिरी सोमवार यानी 3 अगस्त को आ रहा है । प्रत्येक वर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन भाई-बहन के अटूट रिश्ते को ओर अधिक प्यार व सत्कार मिलता है एवं इसे रक्षाबंधन के रूप में मनाया जाता है । 

राखी बांधने का सही तरीका

थाली की सजावट करें ओर उसमें चंदन ,रोली , अक्षत , दही , राखी ओर मिठाई रख लें । थाली में घी का दीपक भी जलाकर रखें । राखी की थाली परमात्मा को समर्पित करके प्रेम-प्यार बना रहने की अरदास करें । 

इसके पश्चात अपने भैया को पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह करवाकर बैठाएं । माथे पर तिलक लगाएं , राखी बांधे ,आरती करें व मुँह मीठा करवाएं । राखी बांधते समय भाई व बहन का सिर ढका हो तो बहुत अच्छा है । इसके पश्चात घर परिवार के बुजुर्गों का आशिर्वाद लें ।

Raksha Bandhan Puja Vidhi Subh Muhurat - Exclusive Samachar

जानें रक्षाबंधन 2020 का शुभ महूर्त

इस रक्षाबंधन पर भद्रायोग सुबह के 9.30 बजे ही समाप्त हो जाने वाला है जिससे 3 अगस्त को पूरे दिन राखी बांधी जा सकती है । 

सबसे अधिक शुभ समय या शुभ महूर्त दोपहर 01.48 बजे से लेकर 04.29 बजे तक रहेगा । इसके अलावा दिन का दूसरा शुभ महूर्त 07.10 बजे से लेकर 09.17 बजे तक है ।

क्या कहती है त्योहार के पीछे की धार्मिक मान्यता? 

रक्षाबंधन के त्योहार से एक पौराणिक कथा जुड़ी हुई है जिसके आधार पर यह त्योहार आज तक चला आ रहा है । धार्मिक मान्यता के अनुसार , एक बार देवताओं व असुरों के बीच युद्ध छिड़ गया था जिसमे देवताओं को अपनी हार होना समझ मे आ रहा था । 

तब इंद्र की पत्नी इंद्राणी ने देवताओं की कलाईयों पर रक्षा-सूत्र धागा बाँधा ओर देवताओं की विजय हुई । ऐसी मान्यता है कि यह विधान श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन ही हुआ था जिस कारण आज भी यह त्योहार इसी नियत दिन को मनाया जाता है ।

इसी तरह एक ओर धार्मिक मान्यता भी इस त्योहार से जोड़कर देखी जाती है । कहा जाता है कि शिशुपाल राजा का वध करते हुए श्री कृष्ण के हाथ से खून बहने लगा तो द्रोपदी ने उसी समय साड़ी के पल्लू से कपड़े का टुकड़ा फाड़कर श्री कृष्ण के हाथ पर बांध दिया । ओर श्री कृष्ण तब से द्रोपदी को अपनी बहन मानने लगे । 

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सालों पश्चात जब पांडव द्रोपदी को जुए में  हार गए ओर भरी सभा में दुर्योधन ने द्रोपदी का चीरहरण करना चाहा , तो भगवान श्री कृष्ण ने भाई का फर्ज निभाते हुए द्रोपदी की लाज रखी व चीरहरण से बचा लिया ।

वीडियो कॉलिंग व ऑडियो कॉलिंग के जरिये  भी मनाया जाएगा 2020 का रक्षाबंधन ।

कोरोना महाबीमारी के चलते जो भाई-बहन एक दूसरे से नही मिल पाएंगे वे वीडियो कॉलिंग व फोन पर बातचीत करके अपना त्योहार मनाएंगे |

यदि आप भी कोरोना के चलते ऐसी स्थिति में हैं तो पोस्ट ऑफिस की सहायता से राखी भेज सकते हैं व निराश होने की जरूरत नही हैं । समय के साथ बदलाव प्रकृति का नियम है और इसे हमें भी इस रक्षाबंधन स्वीकार करना होगा । 

वीडियो व आडियो कॉलिंग के माध्यम से एक दूसरे से बात करें व दुआएं करें । प्रेम-प्यार का यह रिश्ता भावना व श्रद्धा का प्रतीक है जिसे आप एक दूसरे से दूर रहकर भी मना सकते है व कोरोना जैसी बीमारी से बचे रहकर लम्बी उम्र की मनोकामना कर सकते हैं ।

10 New Women College In Haryana 

जी हां, हरियाणा सरकार की ओर से इस वर्ष रक्षाबंधन के शुभ अवसर पर महिला कर्मचारियों व उच्च शिक्षा ग्रहण करने की चाह रखने वाली छात्राओं को बेहतरीन उपहार दिया हैं ।एक ओर मुख्यमंत्री जी ने महिला कर्मचारियों को Online स्थानांतरण नीति में स्टेशन का विकल्प चुनने में राहत दी है इसके साथ ही महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए 10 नए महाविद्यालय खोलने की मांग की हैं।हरियाणा की खट्टर सरकार शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए एक बड़ा कदम उठाने जा रही है।

शिक्षा मंत्री कंवर पाल ने कहा, कि राज्य के सभी कॉलेजों की मैपिंग के बाद तय किया गया कि कम से कम 10 Km के दायरे में एक महिला महाविद्यालय को होना आवश्यक हैं।

एक सरकारी प्रवक्ता ने बताया, खट्टर जी ने नए 10 महिला महाविद्यालय खोलने की मंजूरी दे दी हैं।मुख्यमंत्री जी Video Confrence के माध्यम से 3 अगस्त (रक्षाबंधन) के दिन पंचकूला के सेक्टर1 में स्थित राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय से इन महाविद्यालयों का एक साथ शिलान्यास कर लड़कियों को रक्षाबंधन का विशेष उपहार देंगे।इस शिलान्यास में  ग्राम पंचायतों के जनप्रतिनिधि व गांव के अन्य प्रबुद्ध व्यक्ति उपस्थित होंगें।

प्रवक्ता का कहना है, कि नए सक्षणिक स्तर से इन महिला महाविद्यालयों में शिक्षा की सुरुआत हो जाएंगी।जब तक ये महाविद्यालय बन कर तैयार नहीं होते तब तक कक्षाएं स्थानीय राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों में लगाई जाएंगी।

झटपट बनाए नवरात्रि स्पेशल “आलू की कढ़ी”

भारत एक ऐसा देश है जहां पूरे साल में विभिन्न त्योहार मनाए जाते हैं। इनमें से एक है नवरात्रि। भारत में हिंदू वर्ग की संख्या अधिक होने के कारण नवरात्रि का त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।नवरात्रों में आजकल तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं। परंतु सीमित सामग्री ही इसके लिए प्रयोग की जाती है। तो आज हम आपके लिए इसी सीमित सामग्री द्वारा बनाई जाने वाली special recipe लेकर आए हैं। इस recipe का नाम है Aloo Ki Kadhi

आलू की कढ़ी एक हल्की recipe है। इसलिए उपवास में खाने के लिए उचित है। आलू की कढ़ी लगभग आधे घंटे में ही तैयार हो जाती है। स्वाद में बहुत ही लजीज है। इसे आप व्रत के चावलों के साथ परोस सकते हैं।

आइए अब आपको बताते हैं इसे बनाने की सामग्री, समय और विधि के बारे में।

aloo ki kadhi recipe

Aloo Ki Kadhi तैयार करने के लिए सामग्री

दोस्तों चार व्यक्तियों के अनुसार आपको निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होगी

  • आधा किलो उबले आलू
  • आधा कप सिंघाड़े का आटा
  • दो चम्मच सेंधा नमक
  • एक छोटा चम्मच मिर्च पाउडर
  • एक छोटा चम्मच धनिया पाउडर
  • आधा चम्मच जीरा
  • आधा चम्मच राई (इच्छा अनुसार)
  • दो साबुत लाल मिर्च
  • आधा कप खट्टा दही
  • करी पत्ता
  • एक चम्मच हरी मिर्च कटी हुई
  • एक चम्मच अदरक कटा हुआ
  • तेल तलने के लिए
  • बारीक कटा हरा धनिया garnish के लिए

Time

  • बनाने में समय =10 मिनट
  • पकाने में समय =30 मिनट
  • परोसने को तैयार =40 मिनट
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पकाने की विधि

आइए अब जानते हैं आलू की कढ़ी पकाने की विधि

  • दोस्तों सबसे पहले आप उबले हुए आलू लें। उसको अच्छी तरह मसल लें। उसमें सेंधा नमक, लाल मिर्च पाउडर तथा सिंघाड़े के आटे को मिलाकर अच्छे से मिक्स कर लें।
  • तैयार मिश्रण के आटे से पकौड़ी बना ले। अब कढ़ाई में अच्छे से तेल गर्म कर लें। पकौड़ी को उस गर्म तेल में तल लें।
  • अब कड़ी के मिश्रण में दही और थोड़ा सा पानी डालकर तरल कर लें।
  • अब कढ़ाई में तेल डालें। फिर उसमें साबुत लाल मिर्च, जीरा और कड़ी पत्ते डाल दें। थोड़ी देर के लिए उसे भूने। कुछ सेकंड के बाद उसमें बारीक कटी अदरक, हरी मिर्च और धनिया पाउडर डालें।
  • 1 मिनट के पश्चात उस में दही का घोल डालकर कुछ देर उबलने दें। कम से कम 15 मिनट तक इसे उबलने दें। तत्पश्चात उसमें पकौड़ी भी डालकर 10 मिनट तक चलाएं। 

दोस्तों अब आपकी आलू की कढ़ी पूरी तरह तैयार है। धनिया से इसे गार्निश करके परोसे।