हर बच्चे के जीवन में उसके पिता का रूप अमृत के समान होता है (The Father’s Role in Every Child’s Life is Like Ambrosia)

हर बच्चे के जीवन में उसके पिता का रूप अमृत के समान होता है। पिता केवल एक शब्द ही नहीं है, बल्कि यह आशाओं व उम्मीदों से भरा हुआ एक आसमान है। पिता शब्द सुनते ही बच्चों के चेहरे पर एक अलग सी मुस्कान आ जाती है। मां के बारे में तो अक्सर बहुत कुछ कहा जाता है, जिसकी वह हकदार भी होती है, परंतु पिता का महत्व भी हमारे जीवन में माता से कम नहीं होता है। एक पिता ही है, जो सुरक्षा कवच बन कर अपने परिवार की रक्षा करता है। वह कभी अपने बच्चों व परिवार के किसी भी जीव पर कोई आंच नहीं आने देता।

संसार के हर पिता के लिए दो पंक्तियां

मेरी शोहरत, मेरी इज़्ज़त, मेरा सम्मान है मेरे पापा
मेरी ताकत, मेरी पूँजी, मेरी पहचान है मेरे पापा..!!

हमारी सारी पूंजी, ताकत, हमारी पहचान हमारे माता-पिता से है। हम सभी अपने माता-पिता के बिना अधूरे है। जैसे कि हमारी एक बाजू न होने व शरीर का कोई अंग न होने पर हम अपने आप को लाचार व अपंग महसूस करते हैं, ठीक उसी तरह से माता और पिता किसी एक के न होने से हमारी जिंदगी अधूरी है। क्योंकि किसी ने सच ही कहा है:

पसीने में यदि माँ डूबती है, तो धूप में पिता तपता है, तब कहीं जाकर बच्चा लाड़-प्यार से पलता है।

पिता का महत्व (Importance of father)

पिता न केवल हमारे पिता की ही भूमिका निभाता है, बल्कि एक अच्छे दोस्त व गाइड की तरह है। जैसे मां बच्चे को ममता की छांव देती है, तो पिता बच्चे को जिंदगी जीना सिखाता है। बड़े नसीबों वाले होते‌ हैं वो‌ लोग, जिनके सिर पर पिता का हाथ होता है। उनके कहने से पहले ही उनकी हर ज़िद पूरी हो जाती है, क्योंकि उनके साथ एक पिता खड़ा होता है।

Father’s Day कब मनाया जाता है (When is Father’s Day Celebrated?)

जिस तरह से माँ को सम्मान देने के लिए हम मदर्स डे मनाते हैं, उसी प्रकार पिता को सम्मान देने के लिए हर साल जून के तीसरे रविवार को फादर्स डे मनाया जाता है। 2024 में इसे 16 जून को मनाया जा रहा है।

Father’s Day मनाने की शुरुआत (The Beginning of Father’s Day)

सबसे पहले फादर्स डे की शुरुआत 5 जुलाई 1908 को पश्चिमी वर्जीनिया के फेयरमाउंट में पहली बार मनाकर की गई थी। यह दिवस पश्चिमी वर्जीनिया के एक दुर्घटना में मारे गए उन 250 पिताओं को 6 दिसम्बर 1907 में सम्मान देने के लिए मनाया जाता है।

Father’s Day का इतिहास (The History of Father’s Day)

फादर्स डे मनाने की प्रेरणा 1909 में मदर्स डे को मनाने से मिली थी। स्पोकेन शहर के वॉशिंगटन ने सोनारा डॉड ने अपने पिता की स्मृति में इस दिन को मनाने की शुरुआत की थी। इसके बाद में अमेरिकी राष्ट्रपति वुडरो विल्सन द्वारा 1916 में इस दिवस को मनाने के प्रस्ताव को स्वीकृति दी थी। इसके बाद राष्ट्रपति लिंडन जॉनसन ने 1966 में फादर्स को सम्मान देने के लिए तीसरे रविवार को मनाने की स्वीकृति दी। परन्तु इतिहासकारों में इस पर एकमत नहीं है।

Father’s Day मनाने का उद्देश्य (The Purpose of Celebrating Father’s Day)

दुनिया भर में फादर्स डे मनाने का उद्देश्य एक पिता का हमारे जीवन में महत्व और यह दिन पिता को धन्यवाद व सम्मानित करने के उद्देश्य से मनाया जाता है।

हमारे जीवन में पिता का महत्व (The Significance of a Father in Our Lives)

हमारे जीवन में पिता का महत्व माता से कदापि कम नहीं है। माता अगर घर को सजाती-संवारती है, तो पिता घर को चलाता है। पिता की कमाई से ही घर में खुशियों का आगमन होता है।

  • बच्चों के उज्जवल भविष्य की नींव रखने में पिता का बहुत बड़ा योगदान होता है। प्रत्येक पिता का सपना होता है, उनके बच्चों को किसी तरह की मुसीबत का सामना न करना पड़े। कई तरह के बलिदान देकर वह अपने बच्चों का हर सपना पूरा करता है। पिता अपने बच्चों को किसी भी परेशानी में नहीं देख सकता। अपने पिता को सम्मान देने के लिए इस खास दिन को अवश्य मनाएं।
  • हमारे माता-पिता हमेशा दुखों को स्वयं सहते हैं और हमें केवल खुशियां देते हैं। वो हमें जीवन में हर खुशी का एहसास दिलाते है। तभी हम अपने सपनों को पूरा कर पाते हैं। इसके बदले में हम सभी का भी यह कर्तव्य बनता है की हमें अपने पिता के संघर्षों को कभी नहीं भूलना चाहिए और एक अच्छा इंसान बनने के साथ ही एक अच्छी संतान भी बनना चाहिए।
  • हमें अपने माता-पिता को कभी भी नहीं भूलना चाहिए। क्योंकि उन्हीं की बदौलत आज हम सभी ने अपने जीवन में सफलताएं प्राप्त ही है। हमारी सफलता उनके संघर्ष और विचारों का ही फल है।

एक आदर्श पिता: सच्चा मार्गदर्शक (An Ideal Father: A True Guide)

एक आदर्शवादी पिता अपने बच्चो को हर अच्छा व नेक कार्य करना सिखाता है। वह अपने बच्चों को ज्ञानयोगी व कर्मयोगी बनाता है। बच्चों को उनकी प्रतिभा को पहचानने में मदद करता है। बच्चों के सपनों को अपना समझ कर उन्हें पूरा करने में अपनी पूरी कोशिश लगा देता है। परंतु बच्चों के सपनों को उनसे अलग नहीं होने देता। एक पिता की डांट बच्चों को निखारती है। पिता समय का सदुपयोग करना सिखाता है। धन का इस्तेमाल करना और उसका सदुपयोग करना सिखाता है।

बच्चों की हर छोटी-बड़ी जरूरतों को पिता ही पूरी करता है। फिर चाहे इसके लिए उसे अपनी आवश्यकताएं नजरअंदाज क्यों न करनी पड़ी हो। वह कभी अपने दु:खों को बच्चों पर जाहिर नहीं होने देता। पिता सचमुच पर्वत सा दृढ़ होता है।

रुहानियत के पिता (Spiritual Fathers)

लेकिन जब बात आती एक ऐसे रुहानियत के पिता की जो, इस जहां में तो क्या दोनों जहानों में अपने बच्चे के साथ रहता है, उनकी पूरी संभाल करता है, जो हमारे सभी कर्मों का बोझ अपने ऊपर उठाता है, जन्म मरण के चक्र से आजाद कराता है, हम उनका ऋण अनेकों जन्म ले कर भी नहीं चुका सकते। आज हम बात कर रहे हैं, रूहानियत के मसीहा की जिन्हें लोग गुरु पापा कहकर भी पुकारते है।

ऐसे रुहानी पिता जो एक-दो नहीं बल्कि 6 करोड़ लोगों के मार्गदर्शक (A Spiritual Father Who Guides Millions)

जी हां, आज हम बात कर रहे है, ऐसे पिता की जो एक-दो नहीं बल्कि करोड़ों लोगों के मार्गदर्शक हैं। जिनको करोड़ों लोग पिताजी, गुरु पापा कहकर पुकारते है‌। जिन्होंने करोड़ों लोगों को सच्चाई व इंसानियत का पाठ पढ़ाया है व उन्हें एक सच्चा व अच्छा इंसान बनाया। ऐसे पिता, ऐसे गुरु जिनका नाम बहुत ही अदब सत्कार से लिया जाता है। वह कोई और नहीं बल्कि डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख ”पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां” है। पूज्य गुरु जी को लाखों लोग अपना रूहानी गुरु मानने के साथ-साथ पिता भी मानते हैं।

फिर चाहे वह बच्चा हो, अधेड़ हो या बुज़ुर्ग, पूज्य गुरु जी को सभी लोग पिता जी कहकर पुकारते हैं। पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां भी अपने सभी अनुयायियों को अपने ही बच्चे मानते हैं। एक पिता की भांति ही उनकी सभी समस्याओं का समाधान करते हैं। उनसे नि:स्वार्थ भावना से प्रेम करते हैं।

  • आज पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम जी की पावन शिक्षा से डेरा सच्चा सौदा संस्था द्वारा 165 मानवता भलाई के कार्य पूरी लग्न व ईमानदारी से किए जा रहे है।
  • आज करोड़ो लोग अपने गुरु पापा के मात्र एक आह्वान से नशा, वैश्यावर्ती, ठगी, शराब, माँसाहार व रिश्वतखोरी जैसी सामाजिक बुराईयों को त्याग कर चुके है और आज एक खुशहाल जीवन जी रहे हैं।
  • पूज्य गुरु Saint Dr. MSG से अब तक लाखों लोग गुरूमंत्र की अनमोल दात प्राप्त कर चुके है। जिसका निरंतर अभ्यास करने से लोगों के शारीरिक, मानसिक व सामाजिक रोग जड़ से खत्म हो चुके है।
  • आपको बता दें, दुनियावी पिता केवल इसी जहान में अपने बच्चे का ध्यान रख सकता है। किंतु एक सच्चा गुरु अपने बच्चों का दोनों जहां का सच्चा साथी होता है, वह कभी भी अपने बच्चे को अकेला नहीं छोड़ते।

हर कला में निपुण गुरु पापा (A Multi-talented Guru Papa)

पूज्य गुरु संत डॉ गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां आध्यात्मिक गुरु होने के साथ-साथ दुनिया के हर अच्छे नेक क्षेत्रों का भी ज्ञान रखते हैं:

  • पूज्य गुरु जी से गुरुमंत्र लेकर करोड़ों लोग अपना लोक परलोक संवार चुके हैं। आज ये लोग अपनी बुराइयों का त्याग कर एक खुशहाल जीवन व्यतीत कर रहे हैं।
  • पूज्य गुरु जी ने समाज को नशामुक्त बनाने व युवाओं को नशे जैसी तमाम बुराईयों से दूर करने व आध्यात्म से जोड़ने के लिए 5 फिल्में भी बनाई हैं। उनका मानना है कि आज का युवा फिल्में ज्यादा देखता है, सत्संग को सुनना पसंद नहीं करता। इसलिए पूज्य गुरु जी ने युवा पीढ़ी को उन्हीं की भाषा में समझाने के लिए फिल्मी जगत का सहारा लिया। पूज्य गुरु जी के जीवन का एकमात्र उद्देश्य है, लोगों की बुराइयां छुड़वाकर उनको राम के नाम से जोड़ना है‌।

हजारों खिलाड़ियों के पापा कोच (Coach of Thousands of Players)

पूज्य गुरु जी अब तक 32 ननल गेम खेल चुके हैं। वह शाह सतनाम जी शिक्षण संस्थानों के हजारों खिलाड़ियों को कोचिंग दे चुके हैं। हजारों खिलाड़ियों ने पूज्य गुरु जी से विभिन्न खेलों की तरकीबें व कोचिंग प्राप्त की है, जो आज राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई पदक और पुरस्कार प्राप्त कर चुके हैं। ये खिलाड़ी प्यार से पूज्य गुरु जी को अपना पापा कोच कहते हैं। हैरानी की बात है कि इन एथलीटों को अन्य किसी पेशेवर द्वारा प्रशिक्षित नहीं किया गया। पूज्य गुरु जी द्वारा ऐसे अंतर्राष्ट्रीय खेल के गुर सिखाए गए हैं, जो सभी को हैरान कर देते हैं।

  • योगा में भी पूज्य गुरु जी का कोई सानी नहीं है, उनके द्वारा प्रशिक्षित किए गए बच्चे‌ नेशनल व इंटरनेशनल लेवल पर कीर्तिमान स्थापित कर आए दिन नए मुकाम हासिल कर रहे हैं। पूज्य गुरु जी एकाग्रता को बढ़ाने के लिए गुरुमंत्र के साथ प्राणायाम करने की सलाह देते हैं, जो बहुत फायदेमंद है।

दलितों का उत्थान

पूज्य गुरु जी ने नि:स्वार्थ भाव से मानवता की सेवा करने के लिए लाखों लोगों को प्रेरित करने के साथ-साथ दलितों का उत्थान किया। समाज में ऐसे कई वर्ग हैं, जिन्हें तिरस्कार की दृष्टि से देखा जाता है। उनके उत्थान के लिए गुरु जी आगे आए और उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ा जैसे:

  • वेश्यावृत्ति में फंसी महिलाओं को गुरु जी ने बचाया और उनका इलाज करवा कर बेटी के रूप में गोद लेकर उनकी शादी अच्छे परिवारों में करवाई और उनकी नर्क भरी जिंदगी को स्वर्ग बनाया।
  • असभ्य कहलाने वाले छत्तीसगढ़ के आदिवासी, जो पूरी तरह से असभ्य थे। पूज्य गुरुजी ने करीब डेढ़ साल तक चले एक कार्यक्रम में उन्हें ना केवल आत्मनिर्भर बनाया बल्कि वे पूज्य गुरु जी के पावन प्रयासों से सभ्य भी बन गए। जो आज पूज्य गुरु जी को अपना आध्यात्मिक पिता मानते हैं।
  • किन्नरों को समाज में थर्ड जेंडर का दर्जा दिलवाया। अब उन्हें भी समाज का हिस्सा माना जाता है। वे भी खून दान कर सकते हैं और मानव कल्याण के कार्य कर सकते हैं।

बेसहारा व अनाथ बच्चों को गोद लेना

ऐसी बेटियां व बेटे जिनके मां बाप ने उनको मरने के लिए गंदगी के ढेर पर फेंक दिया या जो अनाथ थे। पूज्य गुरु संत डॉक्टर गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां जी ने ऐसे बच्चों को गोद लिया और माता-पिता का नाम देकर उनका जीवन ही बदल दिया और इस तरह कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ जनता को शिक्षित करने और नवजात बेटी, बेटियों को न मारने की शिक्षा दी। इनमें से कई बेटे, बेटियां शानदार अंक हासिल कर, खेलों व योगा में राष्ट्रीय स्तर पर चैंपियनशिप जीतकर अपनी काबिलियत को साबित कर चुके हैं। ये बेटियां, बेटे गुरु जी को अपना आध्यात्मिक पिता व जीवन में सफल होने के लिए अंतिम प्रेरणा मानते हैं।

इस बार Father’s Day कैसे मनाएं (How to Celebrate Father’s Day This Time)

किसी भी त्यौहार को एक अच्छे तरीके से मनाएं। जैसे कि डेरा सच्चा सौदा के स्वयंसेवक कोई भी विशेष त्यौहार पूज्य संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इंसा के मार्गदर्शन से 165 मानवता भलाई कार्य करके मनाते हैं। जैसे- रक्तदान, भोजन दान, जरूरतमंद का सहारा बनना, वृक्ष लगाना इत्यादि। हमें लगता है कि फादर्स डे मनाने का सबसे अच्छा तरीका यही है। इससे एक तो सारी सृष्टि का भला होता है, दूसरा उस व्यक्ति को सम्मान दें जिसके लिए यह दिन है। अगर इस कलयुग में बच्चे अच्छे कर्म करते हैं, तो पिता तो खुद ही अपने आप पर गर्व महसूस करेंगे कि उनके बच्चे ऐसे नेक कार्य कर रहे है।

निष्कर्ष

भाग्यशाली होते हैं, वे लोग जिनको ऐसे पिता के रूप में ऐसे गुरु पिता मिले, जिन्होंने करोड़ों बच्चों को नेक शिक्षा दी। जिस पर चल कर आज करोड़ों लोग मानवता भलाई के कार्य कर मिसाल कायम कर रहें है। हमारे गुरु पापा के हमारे ऊपर अनगिनत परोपकार हैं, जो मां बाप से बढ़ कर हमारी संभाल कर रहे हैं। ऐसे रूहानियत के पिता का ऋण हम लाखों जन्म ले कर भी नहीं चुका सकते। हम सभी आपको व पूज्य गुरु जी को इस फादर्स डे की हार्दिक शुभकामनाएं देते हैं।

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