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आलू मटर की टेस्टी कचौरी

अगर आपका कुछ चटपटा व स्वादिष्ट खाने का मन है, तो आलू मटर की कचौड़ी बना कर देखिए। इसे बनाने में ज्यादा समय नहीं लगता और घर पर उपलब्ध चीजों से यह आसानी से बनाई जा सकती है। इनका जायका भी सब को बेहद पसंद आएगा। यह जाने आलू मटर की चटपटी कचौरिया बनाने का तरीका-

सामग्री

गेहूं का आटा -400 ग्राम।
हरी मटर के दाने -आधा कप पिसे हुए।
एक आलू मध्यम आकार का।
हरा धनिया -एक चम्मच कटा हुआ।
नमक- स्वाद अनुसार।
हरी मिर्च -चार बारीक कटी हुई।
जीरा -चौथाई छोटी चम्मच।
हींग- एक चुटकी।
तेल कचोरिया तलने के लिए

आलू मटर कचौरी बनाने की विधि-

मटर की कचौरी बनाने के लिए सबसे पहले आटे में नमक और थोड़ा सा गर्म तेल डालकर अच्छी तरह मिला लें। फिर इस आटे को अच्छी तरह गूंथ लें। इसके बाद आटे को कुछ देर के लिए सेट होने के लिए रख दीजिए। इसके बाद कढ़ाई में तेल डालकर गर्म करके इसमें हींग और जीरा डालें। इसे ब्राउन होने के बाद इसमें हरी मिर्च, मसला हुआ आलू डालकर इसको थोड़ा सा भून लीजिए।

इसके बाद इसमें पिसी हुई मटर डाल दें, साथ ही इसमें नमक और हरे धनिया भी डाल दें। इसके बाद इसे अच्छी तरह चलाएं और कुछ देर भूने। इसके बाद इसको अलग बर्तन में निकाल ले और कचौरिया तलने के लिए कढ़ाई में तेल डालकर गर्म करने रख दे।

इसके बाद तैयार आटे की लोईया बनाकर इसमें आलू मटर का तैयार मिश्रण भरें। फिर उंगलियों से दबाकर कचौरियों को बंद कर दे। अब इसे हथेली से दबाकर छोटा थोड़ा चपटा कर लें और हल्के हाथ से सभी कचौरियां बेल ले। अब आप कचौरियों को गर्म तेल में डालकर इन्हें धीमी आंच पर ब्राउन होने तक तल लें। तैयार हुई कचौरियों को प्लेट में नैपकिन पेपर पर निकाल ले। आप की चटपटी स्वादिष्ट कचौरियां तैयार है। इन्हें आप सब्जी या चटनी के साथ परोस सकते हैं। चाय के साथ भी इनका जायका लाजवाब लगेगा।

बाल मजदूरी एक व्यापार है बचपन में खेलना बच्चों का अधिकार है-

बाल श्रम का अर्थ- जब मजबूरी में बाल्यावस्था से वंचित होकर किसी बच्चे को कोई काम करना पड़े उन्हें बाल श्रम कहते हैं। बच्चों को परिवार से दूर रखकर उन्हें गुलामों की तरह पेश किया जाता है। किसी भी बच्चे को पैसे व अन्य लालच देकर बाल्यकाल में मजबूरी में करवाया गया काम बाल श्रम कहलाता है।

साधारण शब्दों में बाल श्रम का अर्थ-

जो बच्चे 14 वर्ष से कम आयु के होते हो उनके बचपन, खेल, शिक्षा के अधिकार को छीनकर उन्हें काम में लगा कर कम पैसे देकर उनका शारीरिक, मानसिक और सामाजिक शोषण करना है।

बाल श्रम गैर-कानूनी है-

बाल श्रम अपराध की श्रेणी में आता है। बाल श्रम को पूर्ण रूप से गैर-कानूनी घोषित किया गया है। भारत के संविधान में 1950 के 24वें अनुच्छेद के अनुसार जो भी बच्चे 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों से मज़दूरी, ढाबे, होटलों, कारखानों व घरेलू नौकर के रूप में काम करवाना ही बाल श्रम कहलाता है। यदि कोई व्यक्ति छोटी आयु के बच्चों से काम करवाता पकड़ा गया तो उसे उचित दंड दिया जाएगा।

भारत के लगभग 35 मिलियन बच्चें बाल श्रम का शिकार-

एक सर्वे के अनुसार भारत में लगभग 35 मिलियन से ज्यादा बच्चे ऐसे हैं, जो बाल मजदूरी करने में विवश हैं। सबसे ज्यादा बाल मजदूरी बिहार, राजस्थान, उत्तर प्रदेश इत्यादि देशों में होती है।

वर्ल्ड डे अगेंस्ट चाइल्ड लेबर 2021 थीम-

Protect children from child labour, now more than ever. Covid -19 के कारण गरीबी रेखा और ज्यादा बढ़ गई है। जिसने गरीब लोगों की आजीविका पर बहुत प्रभाव डाला है। बदकिस्मती से बच्चे अक्सर सबसे पहले पीड़ित होते हैं और उन्हें अपने बड़ों के साथ मिलकर श्रम करना पड़ता है।

वर्ल्ड डे अगेंस्ट चाइल्ड लेबर का इतिहास-

अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन संयुक्त राष्ट्र संघ की शाखा है। यह संघ मजदूरों तथा श्रमिकों के हक के लिए नियम बनाती है, जिसे सख्ती से पालन किया जाता है। इसके लिए अंतरराष्ट्रीय श्रम संघ कई बार उस पुरस्कृत भी हो चुकी है। आईएलओ ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बाल श्रम को रोकने के लिए पूरा जोर दिया था, जिसके बाद 2002 में सर्वसम्मति से कानून पास किया गया। जिसके तहत 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से श्रम कराने को अपराध माना जाएगा, इसी साल पहली बार बाल श्रम निषेध दिवस 12 जून को किया गया।

बाल श्रम दिवस की शुरुआत-

इस दिन की शुरुआत 2002 में अंतरराष्ट्रीय श्रम संघ द्वारा की गई। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन संयुक्त राष्ट्र की एक शाखा है।जिसके मुताबिक 14 वर्ष से कम बच्चों से काम करवाना एक कानूनी अपराध है। इस सांग द्वारा मजदूरों तथा श्रमिकों के लिए नियम बनाए जाते हैं। उन नियमों का पालन करना सभी के लिए आवश्यक है। ILO के सदस्य 187 देश है।

इस दिवस को मनाने का महत्व-

इस दिन को मनाने का महत्व बाल श्रम की समस्या के खिलाफ सख्त कदम उठाना और इस पर अंकुश लगाना है। यह दिन मुख्य रूप से बच्चों के विकास पर केंद्रित है। यह बच्चों के लिए शिक्षा और पूर्ण जीवन के अधिकार की रक्षा करता है। इसलिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रचारित 2030 तक सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करना महत्वपूर्ण है। बाल श्रम पर रोक लगाने के लिए कई संगठन सफल प्रयास कर रहे हैं।

गरीबी बाल श्रम का मुख्य कारण-

गरीबी बाल श्रम का एक मुख्य कारण है, इसके कारण बच्चे अपना स्कूल छोड़ने के लिए मजबूर होते हैं और अपनी आजीविका के लिए अपने माता-पिता का समर्थन करने के लिए होटलों पर दुकानों पर इत्यादि जगह पर काम करते हैं। इसके अलावा कुछ संगठित अपराध रैकेट द्वारा बाल श्रम करने पर मजबूर किया जाता है। जैसे- नशे बनाने इत्यादि।

कैसे बाल श्रम को रोका जा सकता है-

  • छोटे-छोटे बच्चों से कई तरह के काम करवाए जाते हैं। शिक्षा हर बच्चे का अधिकार है। कई बच्चे देश दुनिया में ऐसे जिनका बचपन बाल श्रम ने छीन लिया है। बच्चों को शिक्षा से जो जोड़ कर बाल श्रम को रोका जा सकता है।
  • राष्ट्रीय श्रम संगठन के आंकड़ों के अनुसार दुनियाभर में लड़कियां और लड़के ऐसे कामों में शामिल है। जो उन्हें शिक्षा स्वास्थ्य अवकाश और बुनियादी स्वतंत्रता प्राप्त करने से वंचित करते हैं उनके अधिकारों का उल्लंघन करते हैं।
  • बाल श्रम को केवल एक श्रम विभाग के द्वारा ही नहीं रोका जा सकता नहीं, बल्कि पूरे समाज का दायित्व बनता है कि जनजागरण व जागरूकता के जरिए इसे रोका जाए। 12 जून को बाल श्रम समस्या के खिलाफ विश्व दिवस के रुप में चिन्हित किया गया है और बाल श्रम की समस्या पर ध्यान दिया गया है। हर साल लाखों बच्चों को काम करने के लिए मजबूर किया जाता है, बाल श्रम पर रोक लगाने के लिए संगठन आई एल ओ इत्यादि प्रयास कर रहे हैं।
  • हमें खुद जागृत होना चाहिए, बाल श्रम को खत्म करने में मदद करने के लिए कर्तव्यों का पालन करना चाहिए। स्त्री और वेश्यावृति जैसी अवैध गतिविधियों के लिए बच्चों को मजबूर किया जाता है, इस वजह से बच्चों को बाहर श्रम की समस्या के बारे में जागरूक करने और उनकी मदद करने के लिए इस दिवस को मनाया जाता है। बच्चे देश का भविष्य है बाल श्रम के बारे में बच्चों को जागृत करके हम उनका भविष्य जागृत कर सकते हैं।

निष्कर्ष-

हमें भी जिम्मेदार होना चाहिए कि कोई बच्चा बालश्रम में ना फसा हो। हमें बाल श्रम को खत्म करने में मदद के लिए अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए। यह सही ढंग से कहा जाता है कि बाल श्रम से निकलने वाले बच्चों को उसकी क्षमता और आत्म मूल्य पता चलता है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि ऐसे बच्चे देश और दुनिया के आर्थिक और सामाजिक विकास में योगदान देंगे बच्चे देश का गौरव है।

  • डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख बाबा राम रहीम जी ने सुनारिया जेल से अपनी माता, डेरा प्रबंधक व करोड़ों अनुयायियों को लिखी चिट्ठी।
  • पत्र में किसान आंदोलन का किया जिक्र।
  • लिखा प्रभु अन्न दाता और देश के राजा को राह दिखाएं, ताकि देश तरक्की के रास्ते पर चले।
  • देश मे सुख शांति के लिए करोड़ों अनुयायियों से की व्रत रखने की अपील। आपकी जानकारी के लिए बता दें, हाल ही में डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख संत डॉक्टर गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने सुनारिया जेल से अपनी माता, डेरा प्रबंधक व करोड़ों डेरा अनुयायियों के नाम पत्र लिखा है। आपको बता दें, गत रविवार को यानी 28 फरवरी को डेरा सच्चा सौदा में आयोजित नामचर्चा कार्यक्रम के दौरान बाबा राम रहीम जी की चिट्ठी को पढ़कर सुनाया गया। पत्र में डेरा सच्चा सौदा प्रमुख जी ने देश के अन्नदाता व देश के राजा के बीच चल रहे विवाद का जिक्र किया है। बाबा राम रहीम सिंह जी ने पत्र मे यह लिखा कि हम सतगुरु राम जी से प्रार्थना करते हैं कि हमारे देश के अन्नदाता व देश के राजा में जो भी विवाद चल रहा है, प्रभु दोनों को सही राह दिखाएं। देश-संसार में सुख शांति व खुशहाली के दरवाजे खुल जाए। बाकी प्रभु उसी में खुश रखना, जिसमें आपकी रजा हो। 26 फरवरी को भेजा गया सुनारिया जेल से पत्र-

आपको बता दें डेरा प्रमुख बाबा राम रहीम जी द्वारा भेजी गई चिट्ठी पर जेल प्रशासन द्वारा 26 फरवरी की मुहर लगी है। इस पत्र को डेरा सच्चा सौदा में रविवार को आयोजित नाम चर्चा में पढ़कर सुनाया गया। इससे पहले भी डेरा सच्चा सौदा होने वाली नामचर्चाओं में बाबा राम रहीम जी के पत्र को पढ़कर सुनाया जाता है। बाबा राम रहीम जी ने अपनी माता को समय पर दवाईयां लेते रहने का परामर्श देते हुए लिखा है कि हम जल्द आकर आप का इलाज करवाएंगे। इसके साथ ही डेरा प्रमुख ने देश की सुख शांति के लिए अपने अनुयायियों से 1 दिन का व्रत रखने की अपील की व जरूरतमंद लोगों को राशन वितरित करने का भी जिक्र किया है।

महा रहमोंकरम यानी गुरुगद्दी दिवस पर आयोजित किया गया था यह कार्यक्रम

आपको बता दें 28 फरवरी को डेरा सच्चा सौदा के दूसरे अध्यात्मिक गुरु परम पिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज को बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज ने गुरुगद्दी पर बिठाया था। इसी उप्लक्ष्य में रविवार को यह कार्यक्रम आयोजित किया गया था व 61वां महा रहमोंकरम दिवस मनाया गया। इस अवसर पर देश के कोने-कोने से आए लोगों ने शिरकत की व पूज्य गुरु संत डॉक्टर गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के रिकॉर्डिड वचनों को ध्यानपूर्वक श्रवण किया।

इससे पहले भी डेरा प्रमुख भेज चुके हैं तीन पत्र

आपकी जानकारी के लिए बता दे, डेरा सच्चा सौदा में बाबा राम रहीम जी इससे पहले भी तीन पत्र लिखकर भेज चुके हैं। यह उनके द्वारा भेजा गया चौथा पत्र है। जिसको नामचर्चा में सभी के समक्ष पढ़कर सुनाया गया। आपको बता दे रविवार के सत्संग कार्यक्रम के बाद यह चिट्ठी सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुई। डेरा प्रमुख ने पत्र में लिखा- भगवान जो भी करते हैं 100% सही करते थे और उस करेंगे भी 100% सही। पूज्य गुरु जी ने डेरा अनुयायियों को घर से बाहर निकलते समय मास्क लगाने का भी आग्रह किया है।

जो भी त्यौहार भारत में मनाए जाते हैं, उन त्योहारों के पीछे कोई न कोई कहानी आवश्यक होती है। जो कि बाद में इतिहास के पन्नों पर लिखी जाती है। प्रत्येक त्यौहार को हर कोई अपने-अपने ढंग से मनाता हैं।

इन सब के बीच एक दिन Valentine Day के रूप में मनाया जाता है। जिस दिन को सभी प्यार का दिन कहते हैं, जो हर साल फरवरी माह की 14 तारिख को मनाया जाता है। फरवरी माह को प्यार का माह भी कहते हैं।

Valentine Day हम क्यों मनाते हैं और क्या इसका क्या इतिहास है?

वेलनटाइन एक व्यक्ति का नाम था, जिसके नाम पर Valentine Day रखा गया है। शुरुआत की इस कहानी में इतना प्यार नहीं है जितना इस प्यार के दिन में है।

रोम की तीसरी सदी में Claudius एक अत्याचारी राजा था, जोकि बहुत दुष्ट था। राजा और कृपालु संत Valentine के बीच हुए मुठभेड़ के बारे में इस कहानी में जानकारी दी गई है।

रोम के राजा का मानना था कि एक शादी शुदा सिपाही के मुकाबले बिना शादी किए सिपाही उचित है। क्योंकि शादी शुदा के मुकाबले बिना शादी वाले को अपने बच्चों और परिवार के सदस्यों की चिंता नहीं होगी।

इसी उद्देश्य से Claudius राजा ने ऐलान किया कि कोई भी सिपाही उसके राज्य में शादी नहीं करेगा यदि किसी भी सिपाही ने उसके उद्देश्य का उल्लंघन किया तो उसे सख्त सजा दी जाएगी।

राजा द्वारा किए गए इस फैसले से सभी सिपाही दुःखी थे, परन्तु उसके फैसले का उल्लंघन करने की किसी में हिम्मत न थी।

रोम के संत Valentine को ये फैसला बिल्कुल पसंद नहीं था। इसलिए उन्होंने सिपाहियों की मदद करने के लिए छुपकर सिपाहियों की शादी करवाने लगे और जो भी सिपाही अपनी शादी करवाना चाहता वह Valentine के पास जाता और शादी करवा लेता। ऐसे बहुत सी गुप्त शादियां संपन्न हो चुकी थी।

जैसे कि हम जानते ही हैं कि जो सच होता है, वह ज्यादा देर नहीं छुपता। एक न एक दिन वह सब के सामने आ ही जाता है उसी तरह Valentine द्वारा किए जाने वाले कार्य की खबर Claudius तक एक दिन पहुंच ही गई।

राजा की आज्ञा का उल्लंघन करने पर Valentine को सजा-ए-मौत सुनाई गई और उसे जेल में बंद कर दिया गया।

Valentine अपनी मौत का इंतजार कर रहा था कि एक दिन Asterius नाम का jailor उससे मिलने आया। क्योंकि उसने रोम के लोगों से सुना था कि Valentine के पास दिव्य शक्ति है। जिससे सब लोगों के रोग ठीक हो जाते थे। इसलिए Asterius उसके पास आया और जिसकी एक अंधी बेटी को Valentine ने ठीक किया।

Valentine और Asterius की बेटी के बीच कब दोस्ती प्यार में बदल गई पता ही नहीं चला। Asterius की बेटी को Valentine की फांसी होने वाली खबर सुनकर बहुत गहरा सदमा लगा।

14 फरवरी का वह पल आ ही गया, जब Valentine को फांसी होने वाली थी। मौत से पहले Valentine ने jailor से एक कागज़ और कलम मंगवाकर कागज़ पर jailor की बेटी के लिए संदेश लिखा और आखिरी पन्ने पर लिखा “तुम्हरा Valentine” इन लफ़्ज़ों को लोग आज भी याद करते हैं।

Happy Valentine's Day - Exclusive Samachar

हिंदी में वैलेंटाइन डे का अर्थ

वैलेंटाइन डे दिवस यूरोपियन देशों से शुरू हुआ है। परन्तु आज ये दिवस दुनियाभर के लोगों द्वारा मनाया जाता है। नव युवक और युवती इस दिन एक साथ समय बिताना ज्यादा पसंद करते हैं।

कब मनाया जाता है वैलेंटाइन डे?

हर वर्ष वैलेंटाइन डे 14 फरवरी को मनाया जाता है। इसलिए लोग एक दूसरे के साथ अपनी-अपनी भावनाओं का इजहार वैलेंटाइन डे कार्ड, फूल व मिठाई देकर करते हैं।

किस-किस के साथ मनाए वैलेंटाइन डे?

ये एक बहुत ही गंभीरता वाला सवाल है कि क्या हम सभी Valentine केवल प्रेमी या प्रेमिका के साथ ही मना सकते हैं? जी नहीं! बिल्कुल नहीं क्योंकि आज Valentine केवल lovers तक सीमित न रहकर भाई-बहन, परिवार के सदस्यों और दोस्तों सभी के साथ मनाया जा रहा है।

वेलेंटाइन डे आज के समय में लोग कैसे मनाते हैं?

आज के समय में लोग वेलेंटाइन डे को कहीं स्पैशल डिनर करके, मूवी देख कर, स्पैशल गिफ्ट देकर, एक अच्छा सा प्रेम पत्र लिखकर इसके साथ-साथ बहुत से लोग अपने दोस्तों को घर बुला कर मनाते हैं।

एसोसिएशन का अनुमान है कि लगभग एक अरब वैलेंटाइन हर वर्ष दुनियाभर में अमेरिका द्वारा ग्रीटिंग कार्ड भेजे जाते हैं। जोकि क्रिसमस के बाद, छुट्टी को कार्ड भेजने वाला Valentine Day दूसरा बड़े दिवस के रूप में मनाया जाता है।

आपकी जानकारी के लिए बता दे, भारतीय मौसम विभाग में नौकरी पाने का यह सुनहरी मौका है। इस भर्ती के अंतर्गत सी, डी और ई स्तर के पदों के लिए नियुक्ति की जाएगी। इच्छुक और योग्य उम्मीदवार आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर आवेदन कर सकते हैं।

www.imd.gov.in

आवेदन करने की अंतिम तिथि : 22 फरवरी 2021

 योग्यताएं- 

1. उम्मीदवार भारतीय नागरिक हो।

2. शैक्षिक योग्यता में मास्टर डिग्री, संबंधित क्षेत्र में अनुभव और अलग-अलग पदों के लिए अलग-अलग योग्यता है। सम्पूर्ण जानकारी के लिए आप आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर नोटिफिकेशन डाउनलोड कर सकते हैं।

चयन प्रक्रिया – 

आवेदन करने वाले उम्मीदवारों को शैक्षिक योग्यता और अनुभव के आधार पर शॉर्टलिस्ट किया जाएगा। शॉर्टलिस्ट किए गए उम्मीदवारों को व्यक्तिगत साक्षात्कार के लिए बुलाया जाएगा।
चयनित उम्मीदवारों को सातवें केंद्रीय वेतन आयोग के अनुसार स्तर 11, 12 और 13 के अनुसार वेतन दिया जाएगा। जिसमें अलग-अलग भत्ते भी शामिल है।

विभिन्न पदों की संख्या और वेतन की जानकारी इस प्रकार है –

पद- वैज्ञानिक

 स्तर- ई   

  •  फाॅरकास्टिंग – 3 पद
    • वेतन (स्तर 13)-  ₹123100-215900
  • इंस्ट्रूमेंटेशन – 3 पद
    • वेतन (स्तर 13) – ₹123100-215900
  • कम्प्यूटर /सूचना प्रौद्योगिकी-  2 पद
    •  वेतन (स्तर 13) – ₹123100-215900

स्तर -डी

  • फॉरकास्टिंग-  14 पद
    • वेतन (स्तर 12) –   ₹78800-209200
  • (इंस्ट्रूमेंटेशन) – 8 पद
    • वेतन (स्तर 12) –  ₹78800-209200
  • कृषि मौसम विज्ञान – 4पद 
    • वेतन (स्तर 12) – ₹78800-209200
  • कंप्यूटर / सूचना प्रौद्योगिकी –  3 पद
    • वेतन (स्तर 12) – ₹78800-209200
  • फॉरकास्टिंग – 14 पद
    • वेतन  (स्तर 11) – ₹67700-208700
  • इंस्ट्रूमेंटेशन –  3 पद
    • वेतन (स्तर 11) – ₹67700-208700

ये है दुनिया के सबसे ख़तरनाक पौधें

पेड़ पौधों का हमारे जीवन में काफी महत्व हैं। हमें पेड़ पौधों से हवा, फल जैसी काफी महत्वपूर्ण चीज़े प्राप्त होती हैं। लेकिन इसके विपरीत प्रकृति में ऐसे भी पेड़-पौधे हैं। जो बहुत ज़हरीले और खतरनाक साबित होते हैं। ये पौधे मनुष्य की जान भी ले सकते हैं।

आइये जानते है ऐसे पौधों के बारे में

Cerbera Odollam ( सुसाइड ट्री)

यह पौधा केरल और उसके आस पास समुन्द्र तटीय क्षेत्रों में पाया जाता हैं। इस पौधे की वजह से केरल के काफी लोग अपनी जान गवां चुके हैं। इस पौधे के बीज के अंदर एल्कलॉइड पाया जाता हैं। जो कि मनुष्य के दिल और श्वसन तंत्र के लिए काफी घातक होता हैं।

Oleander – Nerium Oleander (कनेर)

कनेर का पौधा एक ऐसा पौधा है, जिसका हर हिस्सा मनुष्य के लिए घातक सिद्ध होता हैं। इस पौधें के सेवन में मनुष्य में काफी तरह की बीमारी जैसे- चक्कर, लूज़ मोशन, उल्टी आदि के साथ-साथ मनुष्य के कोमा में जाने की भी संभावना बढ़ जाती हैं। अगर शरीर का कोई हिस्सा कनेर के पौधे को स्पर्श कर लेता है, तो शरीर में खुजली हो जाती हैं। कनेर के पेड़ के फूल पर बैठने वाली मधुमखियों के शहद का सेवन करने से भी मनुष्य बीमार पड़ जाता हैं। इसलिए इस पौधे को सबसे खतरनाक माना जाता हैं।

Castor Bean – Ricinus communis ( अरण्डी)

अरण्डी के पौधे के बीज क़ाफी जहरीले होते हैं। इनमें इतना जहर पाया जाता हैं कि मात्र एक से दो बीज के सेवन से ही बच्चे की मौत हो जाती हैं। इसमें राइसिन नामक जहर पाया जाता है। जो इंसान के शरीर के लिए घातक होता है। यह कोशिकाओं के अंदर प्रोटीन संश्लेषण पर रोक लगाता है। जिसकी वजह से उल्टी दस्त और इंसान की मौत भी हो जाती हैं।अरण्डी के बीज का उपयोग कस्टर्ड ऑइल निकालने के लिए किया जाता हैं। 

Rosary Pea-Abrus precatorius (रोजरी पी)

इस पौधे के रोजरी नाम होने के पीछे का रहस्य यह है कि इसका उपयोग प्रार्थना में प्रयोग होने वाली माला और जूवेल्लरी में किया जाता हैं। इसके छूने से इंसान को कोई भी ठेस नहीं पहुँचती लेकिन इसके सेवन या खुरचने की वजह से यह इंसान की जान के लिए घातक सिद्ध होती है। इस पौधे में एब्रिन नाम का जहर पाया जाता हैं जिसका मात्र 3 माइकोग्राम ही किसी इंसान की जान लेने के लिए क़ाफी हैं।

Deadly NightShade – Atropa Belladonna (घातक नाईटसेड)

यह पौधा मध्य और दक्षिणी एशिया में पाया जाता हैं। इसकी पत्ती हल्की हरी और फल काले रंग के चमकीले (चेरी के प्रकार के) होते हैं। इसके फल मीठे होते हैं। लेकिन इसके तने, फल, जड़, पत्तियों में सकोपोलामिन और एट्रोपिन पाया जाता हैं। जो कि मनुष्य शरीर के लिए घातक होता हैं। इससे शरीर लकवाग्रस्त हो जाता हैं, इसकी भी पत्ती को छूने से शरीर में खुजली होने लगती हैं।

White Snakeroot – ageratina altissima (वाइट सनकेरूट)

यह पौधा उत्तरी अमेरिका में पाया जाता हैं। इसके फूल सफेद व छोटे के होते हैं। इसमें अल्कोहल ट्रेमटोल पाया जाता है, जो शरीर के लिए घातक होता हैं। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति अब्राहिम लिंकन की माँ की मौत इसी पौधे की वजह से हुई थी। उन्होंने एक गाय का दूध पाया जिसके कारण उनकी मौत हुईं। अगर कोई जानवर इस पौधे का सेवन कर लेता है तो इसके मांस या दूध के पीने से इंसान की मौत हो जाती हैं। इससे इंसान के शरीर मे जहर फैल जाता हैं, जिससे इंसान की मृत्यु हो जाती हैं।

Water Hemlock – Cicuta maculata ( वाटर हेमलोक) – वाइट सनकेरूट के साथ इसे भी उत्तरी अमेरिका का सबसे जहरीला पौधा माना जाता है। इसके फूलों को अक्सर इंसान अजवायन समझ कर धोखा खा जाते हैं। अगर कोई इसे गलती से खा ले तो इसके परिणाम अत्यंत घातक सिद्ध होते हैं। चक्कर, पेट दर्द के साथ इंसान की मौत ही हो जाती है या फिर इंसान अपनी याददास्त खो बैठता हैं।

उत्तर भारत का प्रसिद्ध त्योहार लोहड़ी आज 13 जनवरी को पूरे पंजाब और हरियाणा में बड़ी धूम-धाम से मनाया जा रहा है।लोहड़ी का त्योहार पोष मास के अंतिम दिन और मकर संक्रांति के एक दिन पहले सूर्य के पशचात् मनाया जाता है। अलग-अलग जगहों पर मकर संक्रांति को अलग-अलग नाम से जाना जाता है। जैसे बिहार और उत्तर प्रदेश में मकर संक्रांति को तिल सकरात के नाम से जाना जाता है यानि तिल से बने लड्डू जिसको तिलकुट कहा जाता है। इस दिन लोग पतंग उडा़ते है। मकर संक्रांति को लेकर कहा जाता है जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है तब मकर संक्रांति होती है।

लोहड़ी क्यों मनाई जाती है

इस त्योंहार से जुड़ी बहुत सी पौराणिक कथाएँ हैं। परंतु सबसे महत्वपूर्ण पौराणिक कथा दुल्ला भट्टी की मानी जाती है। जो कि पंजाब का प्रसिद्ध नायक था। वो अमीरों से खजाना लूटकर, गरीबों में बांटकर उनकी मदद करता था। जिसकी वजह से लोग उसे बहुत प्यार करते थे और वो गरीबों के खिलाफ होने वाले अत्याचार के विरुद्ध हमेशा आवाज उठाता था। एक बार एक गरीब ब्राह्मण की दो बेटियां सूंदर और मूंदरी, जिनकी सगाई तय हो चुकी थी। उनकी सुंदरता को देखकर हाकिम ने उनको उठाने का मन बना लिया। उस हाकिम से बचाने के लिए दुल्ला भट्टी के पास उनके पिता ने अर्ज की। तो दुल्ला भट्टी ने उनकी शादी उसी दिन करवाकर हाकिम से बचा लिया। दुल्ले के पास शगुन के रुप में उन लड़कियों को देने के लिए शकर के सिवा और कुछ नहीं था। तभी से लोहड़ी के इस त्यौहार को मनाया जाने लगा।

Happy Lohri - 2021 - Exclusive Samachar

लोहड़ी की तैयारीयां

लोहड़ी से कुछ दिन पहले ही बच्चे इकट्ठे होकर घर-घर जाकर दुल्ला भट्टी का गाना गाकर लोहड़ी मांगते है। जिसमें उनको मूंगफली, गुड़, रेवड़ी, थापियां(पाथी) मिलती है। जैसे ही शाम होने लगती है, आसपास के घरों के लोग एक जगह इकट्ठे हो जाते हैं। बीच में लकड़ी और थापियां जलाई जाती है। जिसके आसपास सभी लोग बैठकर गीत गाते है। लोहड़ी के दहन के आसपास ढोल बजाकर नाचते हैं, औरतें गिध्धा करती है।जिनके घर बेटा हुआ हो या जिनके लड़के की शादी हुई हो, उन परिवार वालों को सभी बधाई देते हैं और वह सबको गुड़, रेवड़ी, गजक बांटते हैं।

आधुनिक युग में लड़की को भी लड़को के बराबर दर्जा दिया जा रहा है। जिससे अब सिर्फ लड़को की लोहड़ी ही नहीं मनाई जाती, बल्कि लड़की होने पर भी धूम-धाम से लोहड़ी मनाई जाती है।

लोहड़ी की आग में लोग क्या जलाते है

आपको बता दे शाम के समय को जलाई जाने वाली आग में लोग गुड़, रेवड़ी, मूंगफली और तिल डालते हैं और साथ में बोलते है – ईशर आए, दलिद्र जाए दलिद्र दी जड़ चुले पाए। 
भाव अपनी सुस्ती को आग में जलाकर चुस्ती की मांग की जाती है। सभी एक-दूसरे को लोहड़ी की बधाई देतें है। इसके साथ ही हमें  लोहड़ी की आग में अपनी तमाम बुराईयों को जलाना चाहिए। जैसे- अपनी नफरत, क्रोध, लोभ, मोह, माया व अहंकार को इस दिन जला देना चाहिए व आपस में मिल-जूलकर त्यौहार को बडे़ प्यार से मनाना चाहिए।

त्योहार को मनाने का सही तरीका

हर त्योहार हमें सीख देता है। ठीक उसी तरह लोहड़ी का त्योहार भी बुराई पर अच्छाई का प्रतीक है। तो हमें लोहड़ी के दहन में अपनी एक बुराई अवश्य छोड़नी चाहिए और अच्छाई को अपनाना चाहिए। हर कोई इस त्योहार को जैसे नाच-गाकर मनाता है। अगर त्योहार को जरुरतमंदों की मदद करके मनाया जाए, तो हमारे साथ सबकी खुशी दौगुनी हो जाती है। हम किसी की मदद विभिन्न तरह से कर सकते है। जैसे भूखे व जरुरतमंद लोगों को राशन दान करके, कपड़े दान करके व जरुरतमंद लोगों में मिठाई बांट कर हम उनके साथ खुशी बांट सकते है।

Conclusion

आज के समय में इंसान ने तरक्की जरूर कर ली है। परंतु कहीं न कहीं वह रिशतों से दूर भाग रहा है। आज के समय में त्योंहार एक घर तक ही सीमित हो गए हैं। ऐसे में हम सबको भारतीय संस्कृति को कायम रखते हुए, भाईचारे के साथ त्योहार को मनाना चाहिए। इस तरह आपस में प्यार बढ़ता है और एक दूसरे से नफरत की भावना खत्म होती है।

आमतौर पर सभी लोग अपने जीवन में देखते हैं की हर रोज सूरज उगता है और ढल जाता है। इसी नियम में वर्ष के 365 दिन कब बीत जाते है, हमें पता भी नहीं चलता और न ही कभी हम मे से किसी ने भी सूरज के उगने का इंतजार किया और ना ही इस बात से कोई वास्ता रखा है। परंतु जैसे ही वर्ष के कुछ शेष दिन रह बचते हैं, तो हमें जनवरी के सूरज उगने की एक कसक सी लग जाती है। जमाने भर में उत्सव का माहौल हो जाता है। विश्व भर एक सरूर, एक जुनून में खोया-खोया लगता है। महफिल जमने लगती है, खुशियां जैसे आसमान से उतरने लगती है। यह नजारा जनवरी के लिए ही देखा जाता है।

आपको बता दे, 31 दिसंबर की रात जैसे ही घड़ी में 12:00 बजते हैं, साथ ही साथ विश्व भर में खुशी की लहर होती है। पटाखों व आतिशबाजियों के साथ नए वर्ष का स्वागत किया जाता है। देश की राजधानी दिल्ली, मुंबई, कोलकाता सहित कई शहरों में लोगों ने महामारी के दौरान की गई जारी की गई गाइडलाइंस का पालन करते हुए नए वर्ष का स्वागत किया व जश्न मनाया। दिल्ली सहित कई प्रभावित शहरों में covid-19 को देखते हुए रात को कर्फ्यू लगाया गया।

आपको बता दे, Covid-19 के कारण इस बार भले ही हम अपने दोस्तो व सगे- संबधियों से मिल न पाए, लेकिन उनके चेहरे पर मुस्काकुराहट लाने के लिए उन्हें New Year से जुडे़ संदेश व चुटकुले सांझा कर सकते हैं।

नए साल को विश्व भर में कैसे मनाया जाता है

जैसे ही नया साल आता है, लोगों में खुशी की लहर होती है। विश्व हर में लोग नाचने-गाने के साथ स्वादिष्ट भोजन का भी लुत्फ उठाते हैं। विदेशों में तो New Year को किसी त्यौहार से कम नहीं माना जाता है। नए साल के दिन लोग एक-दूसरे से मिलने उनके घर जाते हैं। बहुत से लोग यह मानते हैं कि वर्ष का पहला दिन जैसा गुजरता है, पूरा साल वैसे ही बीतता है। इसलिए ज्यादातर लोग इस दिन हंसी-ठिठोली करते हैं। नए साल को लेकर बहुत जगहों पर शेरों-शायरियां की जाती हैं। जो इस प्रकार है:

फूल खिलेगें गुलशन में उनकी
खूबसूरती सभी को नज़र आएगी,
बीते साल की कुछ
खट्टी-मीठी यादें आपके साथ रह जाएगी,
आओ मिलकर सभी जश्न मनाएं
नए साल का हंसी-खुशी से,
नए साल की पहली सुबह आपके जीवन में खुशियां बेशुमार लाएगी।।

जीना इतना कि जिंदगी भी कम पड़ जाए,
हंसना इतना कि रोना भी मुश्किल हो जाए,
किसी मुकाम को पाना तो किस्मत की बात है,
मगर कोशिश इतनी करो कि
खुदा भी देने पर मजबूर हो जाए।
आप सभी को नए वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं….

समस्त संसार में भारतीय संस्कृति सर्वश्रेष्ठ है। भारत त्योहारों का देश है। यहां हर त्यौहार का बड़ा महत्व हैं, व यहां हर त्यौहार को बड़े प्यार व हर्षोल्लास से मनाया जाता है। इन्हीं त्योहारों में से एक जन्माष्टमी का त्योहार है। यह हिंदुओं का प्रमुख त्योहार है।

श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन को लोग भगवान श्री कृष्ण के जन्मदिन के रुप में मनाते हैं। इस त्यौहार को रक्षाबंधन के बाद भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। लोग इस त्यौहार को पूरी आस्था और श्रद्धा के साथ मनाते हैं।

श्री कृष्ण जन्माष्टमी के इस पर्व को न केवल भारत में अपितु विदेशों में रहने वाले भारतीय भी पूरे उत्साह से मनाते हैं।

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क्यों मनाते हैं जन्माष्टमी 

श्री कृष्ण  देवकी और वासुदेव की आठवीं संतान थे। मथुरा में एक राजा हुआ करता था। जिसका नाम कंस था। जो बहुत ही अत्याचारी था। कंस के अत्याचार दिन प्रतिदिन बढ़ते ही जा रहे थे।
 फिर एक दिन अचानक आकाशवाणी हुई कि उसकी बहन की आठवीं संतान उसका वध करेगी। यह सब सुनकर कंस ने अपनी बहन देवकी और उसके पति वासुदेव को काल कोठरी में बंद कर दिया।

कंस ने  एक-एक करके देवकी के 7 बच्चों का वध कर दिया। जब श्री कृष्ण को माता देवकी ने जन्म दिया। तब भगवान विष्णु ने वासुदेव को आदेश दिया कि श्री कृष्ण को गोकुल धाम माता यशोदा व नंद बाबा के घर पहुंचा आए। जहां वह कंस मामा से सुरक्षित रह सकेगा।

श्री कृष्ण का पालन पोषण यशोदा माता व नंद बाबा की देखरेख में हुआ और तभी से उनके जन्म की खुशी में हर वर्ष जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता है।

अगर हम शास्त्रों की मानें तो भगवान श्री कृष्ण रोहिणी नक्षत्र में अष्टमी के दिन पैदा हुए थे। कहा जाता है कि इस दिन चंद्रमा वृष राशि वृष राशि और सिंह राशि में प्रवेश किया हुआ था। ऐसे में इस कॉल पर श्री कृष्ण के जन्म की खुशी को मनाया जाता है। इस दिन श्री कृष्ण भक्त भगवान के लिए भजन गाते हैं। कृष्ण को माखन मिश्री का भोग लगाया जाता हैं और बाद में इसी प्रसाद को भक्तों में बांटा जाता है।

कब है जन्माष्टमी

श्री कृष्ण जन्माष्टमी को लेकर हर बार की तरह इस बार भी सवाल खड़े हो रहे हैं कि जन्माष्टमी कब है। लोग गूगल (Google) पर सर्च कर रहे हैं कि आखिर जन्माष्टमी कब है? आपको बता दें, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का यह पावन त्यौहार हर बार की तरह इस बार भी 2 दिन पड़ रहा है। गृहस्थ लोगों के लिए 11 अगस्त का दिन व साधु- संतों के लिए 12 अगस्त का दिन शुभ माना जा रहा है। हालांकि कई बार की तरह इस बार अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र एक साथ नहीं पढ़ रहे हैं।

जन्माष्टमी को लेकर तैयारियां

हर साल श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन मंदिरों को खास तौर पर सजाया व संवारा जाता है। लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण के चलते मंदिरों में पहले की तरह शायद रौनक देखने नहीं मिल पाएगे। वही लोग इस बार घर पर कृष्ण जन्माष्टमी को अलग अंदाज से मनाने की तैयारियो में जुटे हैं। 
जन्माष्टमी पर पूरे दिन व्रत रखने का प्रावधान है।  जन्माष्टमी पर लोग 12:00 बजे तक व्रत रखते हैं। मंदिरों में विशेष रुप से झांकियों को सजाया जाता है। कृष्ण जी को झूला झुलाया जाता है। रासलीला का भी आयोजन किया जाता है।

दही-हांडी प्रतियोगिता

श्री कृष्ण जन्माष्टमी के पर्व को हर जगह अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है। कहीं-कहीं तो दही हांडी व मटकी फोड़ प्रतियोगिता का आयोजन भी किया जाता है। दही हांडी प्रतियोगिता में बच्चे बाल गोविंदा बन कर भाग लेते हैं। छाछ ,दही व मक्खन से भरी मटकी को रस्सी की सहायता से ऊंचाई में लटका दिया जाता है। बाल गोविंदा pyramid बनाकर मटकी फोड़ने का प्रयास करते हैं।  आखिर में मटकी फोड़ प्रतियोगिता के विजेता को इनाम देकर सम्मानित किया जाता है।

श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन व्रत रखने का प्रावधान है। ज्यादातर सभी लोग इस दिन व्रत रखते हैं। लेकिन अपनी सामर्थ्य के अनुसार व्रत रखना चाहिए। भगवान कभी किसी को भूखा रहने के लिए नहीं कहते। इसलिए अपनी श्रद्धा के अनुसार व्रत रखना चाहिए। सारा दिन व्रत में कुछ ना खाने से आपके स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। इसलिए भगवान श्री कृष्ण जी के संदेशों को अपने जीवन में अपनाना जरूरी है। यही सही मायनों में त्यौहार मनाने का उद्देश्य है।

झटपट बनाए नवरात्रि स्पेशल “आलू की कढ़ी”

भारत एक ऐसा देश है जहां पूरे साल में विभिन्न त्योहार मनाए जाते हैं। इनमें से एक है नवरात्रि। भारत में हिंदू वर्ग की संख्या अधिक होने के कारण नवरात्रि का त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।नवरात्रों में आजकल तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं। परंतु सीमित सामग्री ही इसके लिए प्रयोग की जाती है। तो आज हम आपके लिए इसी सीमित सामग्री द्वारा बनाई जाने वाली special recipe लेकर आए हैं। इस recipe का नाम है Aloo Ki Kadhi

आलू की कढ़ी एक हल्की recipe है। इसलिए उपवास में खाने के लिए उचित है। आलू की कढ़ी लगभग आधे घंटे में ही तैयार हो जाती है। स्वाद में बहुत ही लजीज है। इसे आप व्रत के चावलों के साथ परोस सकते हैं।

आइए अब आपको बताते हैं इसे बनाने की सामग्री, समय और विधि के बारे में।

aloo ki kadhi recipe

Aloo Ki Kadhi तैयार करने के लिए सामग्री

दोस्तों चार व्यक्तियों के अनुसार आपको निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होगी

  • आधा किलो उबले आलू
  • आधा कप सिंघाड़े का आटा
  • दो चम्मच सेंधा नमक
  • एक छोटा चम्मच मिर्च पाउडर
  • एक छोटा चम्मच धनिया पाउडर
  • आधा चम्मच जीरा
  • आधा चम्मच राई (इच्छा अनुसार)
  • दो साबुत लाल मिर्च
  • आधा कप खट्टा दही
  • करी पत्ता
  • एक चम्मच हरी मिर्च कटी हुई
  • एक चम्मच अदरक कटा हुआ
  • तेल तलने के लिए
  • बारीक कटा हरा धनिया garnish के लिए

Time

  • बनाने में समय =10 मिनट
  • पकाने में समय =30 मिनट
  • परोसने को तैयार =40 मिनट
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पकाने की विधि

आइए अब जानते हैं आलू की कढ़ी पकाने की विधि

  • दोस्तों सबसे पहले आप उबले हुए आलू लें। उसको अच्छी तरह मसल लें। उसमें सेंधा नमक, लाल मिर्च पाउडर तथा सिंघाड़े के आटे को मिलाकर अच्छे से मिक्स कर लें।
  • तैयार मिश्रण के आटे से पकौड़ी बना ले। अब कढ़ाई में अच्छे से तेल गर्म कर लें। पकौड़ी को उस गर्म तेल में तल लें।
  • अब कड़ी के मिश्रण में दही और थोड़ा सा पानी डालकर तरल कर लें।
  • अब कढ़ाई में तेल डालें। फिर उसमें साबुत लाल मिर्च, जीरा और कड़ी पत्ते डाल दें। थोड़ी देर के लिए उसे भूने। कुछ सेकंड के बाद उसमें बारीक कटी अदरक, हरी मिर्च और धनिया पाउडर डालें।
  • 1 मिनट के पश्चात उस में दही का घोल डालकर कुछ देर उबलने दें। कम से कम 15 मिनट तक इसे उबलने दें। तत्पश्चात उसमें पकौड़ी भी डालकर 10 मिनट तक चलाएं। 

दोस्तों अब आपकी आलू की कढ़ी पूरी तरह तैयार है। धनिया से इसे गार्निश करके परोसे।